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10 जनवरी 2015

गणतंत्र दिवस पर पैदा हुए तो पिता ने नाम रख दिया 26 जनवरी


मंदसौर. गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाता है। आप सोच भी नहीं सकते कि किसी आदमी का नाम 26 जनवरी होगा। पर ऐसा व्यक्ति मंदसौर में है। वह भी 22 साल से डाइट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) में। इस कारण उन्हें 26 जनवरी को कई बार बुरे अनुभव से गुजरना पड़ा। अच्छी बात यह है कि उनका जन्मदिन पूरा राष्ट्र मनाता है।
गणतंत्र दिवस पर पैदा हुए तो पिता ने नाम रख दिया 26 जनवरी
 
डाइट में पदस्थ 26 जनवरी पिता सत्यनारायण टेलर 22 साल से भृत्य के रूप में सेवा दे रहे हैं। उन्हें नाम के कारण कई उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ा। उन्होंने बताया उनका जन्म 26 जनवरी 1966 को उदयगढ़ जिला झाबुआ हुआ था। पिता ने जन्म दिनांक को ही नाम बना दिया। पांचवीं बोर्ड में नाम लिखाते हुए पिता को किसी ने सलाह भी दी कि चाहो तो नाम चेंज हो सकता है। 
 
पिता ने नाम नहीं बदला। 1979 में पिता सत्यनारायण प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हो गए। उसके बाद पूरा परिवार मंदसौर आ गया। तब से वे डाइट में भृत्य के पद पर सेवारत हैं। अनोखे नाम के कारण ही डाइट में चर्चित हैं। गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण होता है। इसके साथ ही स्टाफ 26 जनवरी का जन्मदिन भी मनाता है।
 
ऐसे भी हुए वाकये : नाम के कारण रुक गया था पूरे स्टाफ का वेतन 
> 1993 में डाइट के स्टाफ के साथ 26 जनवरी नाम होने से संदेह के आधार पर पूरे स्टाफ का वेतन जिला कोषालय ने रोक लिया। बाद में नाम के प्रमाणीकरण के साथ नियुक्ति-पत्र व अन्य दस्तावेज दिखाए तब 26 जनवरी नाम को मान्य किया गया।
 
> 1998 के लोकसभा चुनाव में मतदान दलों की सूची में 26 जनवरी का नाम सबसे ऊपर आया तो तत्कालीन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव ने कहा, ये क्या मजाक है। उन्होंने सूची पर साइन करने से मना कर दिया। बाद में उन्हें भी दस्तावेज के साथ प्रमाणीकरण देना पड़ा था।

बोको हरम ने मारे 2 हजार लोग: बच के आने वाले ने बताया-लाशों के ढेर पर चलकर आया


कानो। नाइजीरिया के बागा कस्बे पर कब्जे के बाद बोको हरम के आतंकियों ने 16 गांवों और कस्बों को तबाह कर दिया। बताया जाता है कि उसने एक साथ दो हजार लोगों को मार डाला। इस बड़े नरसंहार के एक प्रत्यक्षदर्शी मछवारे ने बताया कि वह लाशों के ढेर को पार करते हुए अपने गांव से बाहर निकल पाया। 38 साल के यानाये ग्रेमा ने बताया कि जब बोको हरम के आतंकी उसके गांव को तहस-नहस कर रहे थे, तब उसने तीन दिनों तक एक दीवार और पड़ोसी के घर के बीच छिपकर अपनी जान बचाई। 
टि्वटर पर चल रही यह तस्वीर बागा कस्बे की बताई जा रही है।
टि्वटर पर चल रही यह तस्वीर बागा कस्बे की बताई जा रही है।
 
चुन चुन कर गोली मारी  
ग्रेमा बोको हरम के खिलाफ लड़ने वाली नागरिक सेना का एक सदस्य था। यह गांवों में पहरेदारी का काम करती है और आतंकियों के खिलाफ नाइजीरिया सेना को सूचनाएं देती हैं। एएफपी को दिए इंटरव्यू में उसने बताया कि बीते शनिवार को हुआ हमला इतना जबरदस्त था कि हमारे छोटे हथियार भी उनके सामने नहीं टिक सके। कई लोग झाड़ियों में छिप गए तो कईयों ने खुद को घर में बंद कर लिया। बंदूकधारियों ने लोगों को झाड़ियों से निकालकर चुन-चुन कर गोली मारी। 
 
600 लोग बिना भोजन, पानी के 
ग्रेमा ने बताया कि उसने बीते छह सालों में बोको हरम के हमले का ऐसा भयावह रूप कभी नहीं देखा था। उसने बताया कि वह लाशों के ऊपर पैर रखकर निकला। इसके बाद पांच किलोमीटर का सफर तय करके मलाम करांती गांव पहुंचा था। लेकिन उसे भी जलाकर उजाड़ दिया गया था। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि बीते सप्ताह हमले के बाद बागा कस्बे से 20 हजार लोग भागकर सीमा पार जा चुके हैं। वहीं, 600 के करीब लोग बिना खाने-पीने और आसरे के एक द्वीप पर फंसे हुए हैं।
 
मार्केट को लूट लगा दी आग
ग्रेमा ने बताया कि उसने लगातार बम धमाकों, बंदूक की आवाजें और मरते लोगों की चीखें सुनी थीं। आतंकी 'अल्लाह-हू-अकबर' के नारे लगा रहे थे। बीते शनिवार को हमले के बाद ग्रेमा मंगलवार को बाहर निकला था। उसने बताया कि वह हर रात चोरी-छिपे बाड़ को पार करते हुए अपने घर में जाता और खा-पीकर वापस छिपने की जगह पर आ जाता था। हमले के वक्त ग्रेमा का परिवार घर में नहीं था। वह 40 किमी. दूर कुकावा में था। ग्रेमा ने बताया कि बोको हरम के कुछ आतंकियों ने बागा कस्बे के बाहर कैम्प डाला हुआ था। वह दूर से जनरेटर की बिजली देख सकता था। वहां आतंकी जोर-जोर बात करते और हंसते थे। सोमवार तक कुछ आतंकियों के जाने के बाद कस्बे में कुछ ही बंदूकधारी रह गए थे। मंगलवार को आतंकियों ने मार्केट और घरों को लूटना शुरू किया। शाम को उन्होंने वहां भी आग लगा दी। इसके बाद मैंने अपने छिपने की जगह को छोड़ना मुनासिब समझा। रात में सफर किया, ताकि गहरे अंधेरे में कोई न देख पाए।
 
नागरिक सेना को बनाया निशाना
ऐसा पहली बार नहीं है कि बागा कस्बे पर इतना बर्बर हमला किया गया। अप्रैल 2013 में आतंकियों ने 200 लोगों की हत्या कर दी थी और कस्बे के कई इलाकों को आग के हवाले कर दिया था। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ बताते हैं कि इस बार का हमला नागरिक सेना (पहरेदार) को निशाना बनाकर किया गया। ये लोग सेना को आतंकियों के बारे में सूचना देने का काम करते हैं।

बीजेपी नेता बोले- स्टालिन ने कराई नेताजी की हत्या, फाइलें होंगी सार्वजनिक


बीजेपी नेता बोले- स्टालिन ने कराई नेताजी की हत्या, फाइलें होंगी सार्वजनिक
 
कोलकाता. बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दावा किया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत किसी प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी। स्वामी का दावा है कि रूसी नेता जोसफ स्टालिन के इशारे पर नेताजी की हत्या कराई गई। उन्होंने कहा कि स्टालिन ने नेताजी को साइबेरिया में जेल में डाल दिया। इसके बाद 1953 में उनकी हत्या करा दी। कोलकाता में शनिवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी ने यह बात कही।  
 
मर्चेंट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यक्रम में स्वामी ने यह भी दावा किया कि तत्कालीन भारतीय पीएम जवाहर लाल नेहरू को इस बात की जानकारी थी कि बोस को साइबेरिया याकुत्स जेल में बंदी बनाया गया है। स्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही नेताजी से संबंधित खुफिया फाइलों को सार्वजनिक करेगी। वे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केा ऐसा करने के लिए मनाएंगे। स्वामी ने माना कि बोस की मौत से जुड़े गुप्त दस्तावेज सार्वजनिक करने से ब्रिटेन और रूस से रिश्ते खराब होंगे, लेकिन उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग उठाएंगे। स्वामी ने बताया कि अमेरिका ने नेताजी के गुम होने की जांच कर रहे मुखर्जी आयोग को लिखित में यह जानकारी दी है कि ताइवान के रिकॉर्ड में कोई भी विमान दुर्घटना होने और वहां के किसी भी अस्पताल में आग से झुलसे हुए शव के आने का रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। ऐसे में ताइवान में विमान दुर्घटना होने की बात पूरी तरह गलत है। 
 
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने हाल में एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि नेताजी से संबंधित 41 फाइल मौजूद हैं, जिन्हें गुप्त फाइलों से अलग कर दिया गया है, लेकिन उन्हें अन्य देशों से रिश्ते खराब होने के डर से सार्वजनिक नहीं किया जा रहा। स्वामी ने कहा कि जर्मनी और जापान के हारने के कारण नेताजी ने ही अपनी मौत की खबर को प्रचारित किया और चीन के मंजूरिया नामक स्थान पर चले गए। बता दें कि 1941 में ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को कोलकाता स्थित उनके घर में नजरबंद कर दिया था। हालांकि, वह ब्रिटिश सरकार को चकमा देकर यहां से निकलने में कामयाब रहे। इसके बाद वह भारत की आजादी के लिए अंतर्राष्ट्रीय सपोर्ट पाने के लिए कई देशों में गए। जापान के सहयोग से उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया। 1945 में वह लापता हो गए।

क़ुरआन का सन्देश

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