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23 जनवरी 2015

जानिए कितनी बार बदल चुका है हमारा राष्ट्रीय ध्वज, छठवीं बार में बना तिरंगा


नई दिल्ली। समय के साथ हमारे राष्ट्रीय ध्वज में भी कई बदलाव हुए हैं। आज जो तिरंगा हमारा राष्ट्रीय ध्वज है उसका यह छठवां रूप है। इस ध्वज की परिकल्पना पिंगली वैंकैयानंद ने की थी। इसे इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पहले ही आयोजित की गई थी। इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया और इसके पश्चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में ‘’तिरंगे’’ का अर्थ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है।

जानिए कितनी बार बदल चुका है हमारा राष्ट्रीय ध्वज, छठवीं बार में बना तिरंगा
हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों एक बराबर हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
तिरंगे का विकास
हमारा राष्ट्रीय ध्वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा। एक रूप से यह राष्ट्र में राजनैतिक विकास को दर्शाता है।
1906 में भारत का गैर आधिकारिक ध्‍वज

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प्रथम राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
1907 में भीका‍जीकामा द्वारा फहराया गया बर्लिन समिति का ध्‍वज

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द्वितीय ध्‍वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था (कुछ के अनुसार 1905 में)। यह भी पहले ध्‍वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे सप्‍तऋषि को दर्शाते हैं। यह ध्‍वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्‍मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
इस ध्‍वज को 1917 में गघरेलू शासन आंदोलन के दौरान अपनाया गया

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तृतीय ध्‍वज 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड लिया। डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया। इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
इस ध्‍वज को 1921 में गैर अधिकारिक रूप से अपनाया गया

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान जो 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया यहां आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्‍दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।
भारतीय राष्‍ट्रीय सेना का संग्राम चिन्‍ह  

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इस ध्‍वज को 1931 में अपनाया गया। वर्ष 1931 ध्‍वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है। तिरंगे ध्‍वज को हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्‍ताव पारित किया गया । यह ध्‍वज जो वर्तमान स्‍वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्‍य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। तथापि यह स्‍पष्‍ट रूप से बताया गया इसका कोई साम्‍प्रदायिक महत्‍व नहीं था और इसकी व्‍याख्‍या इस प्रकार की जानी थी।
भारत का वर्तमान तिरंगा ध्‍वज
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प्रथम राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था। इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्‍त भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया। स्‍वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्‍व बना रहा। केवल ध्‍वज में चलते हुए चरखे के स्‍थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्‍वज अंतत: स्‍वतंत्र भारत का तिरंगा ध्‍वज बना।
ध्‍वज के रंग

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भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
चक्र
इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है।
ध्‍वज संहिता

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26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्‍वज संहिता में संशोधन किया गया और स्‍वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्‍ट‍री में न केवल राष्‍ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्‍ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है। बशर्ते कि वे ध्‍वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें। सुविधा की दृष्टि से भारतीय ध्‍वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बांटा गया है। संहिता के पहले भाग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज का सामान्‍य विवरण है। संहिता के दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्‍थानों आदि के सदस्‍यों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केन्‍द्रीय और राज्‍य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में जानकारी देता है।राष्‍ट्रीय ध्‍वज को शैक्षिक संस्‍थानों (विद्यालयों, महाविद्यालयों, खेल परिसरों, स्‍काउट शिविरों आदि) में ध्‍वज को सम्‍मान देने की प्रेरणा देने के लिए फहराया जा सकता है। विद्यालयों में ध्‍वज आरोहण में निष्‍ठा की एक शपथ शामिल की गई है। किसी सार्वजनिक, निजी संगठन या एक शैक्षिक संस्‍थान के सदस्‍य द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज का अरोहण/प्रदर्शन सभी दिनों और अवसरों, आयोजनों पर अन्‍यथा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के मान सम्‍मान और प्रतिष्‍ठा के अनुरूप अवसरों पर किया जा सकता है। नई संहिता की धारा 2 में सभी निजी नागरिकों अपने परिसरों में ध्‍वज फहराने का अधिकार देना स्‍वीकार किया गया है। इस ध्‍वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्‍त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक फहराया जाना चाहिए। इस ध्‍वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्‍पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता। किसी अन्‍य ध्‍वज या ध्‍वज पट्ट को हमारे ध्‍वज से ऊंचे स्‍थान पर लगाया नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्‍वज को वंदनवार, ध्‍वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता।

आप नेता विश्वास बोले-अन्ना आंदोलन में बीजेपी के लिए जासूसी करती थीं किरण बेदी


नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव में किरण बेदी को बीजेपी द्वारा सीएम कैंडिडेट बनाए जाने के बाद उन पर लगातार हमले कर रही आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर निशाना साधा है। आप के नेता कुमार विश्वास ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के वक्त किरण बेदी अन्ना की टीम में बीजेपी के जासूस के तौर पर काम करती थीं। 
रिक्शे पर बैठकर चुनाव प्रचार करतीं किरण बेदी।
रिक्शे पर बैठकर चुनाव प्रचार करतीं किरण बेदी।
 
... तो फिर किरण बेदी के लिए प्रचार करूंगाः विश्वास
कुमार विश्वास ने कहा, "अन्ना आंदोलन के वक्त बीजेपी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन का किरण बेदी ने विरोध किया था। अगर वह आज भी बीजेपी के भ्रष्ट नेताओं को निकाल दें, पार्टी के काले फंड का ब्योरा दें तो मैं किरण बेदी के लिए सभा तक करने तक को तैयार हूं। वह सीबीआई को आजाद करने की मांग करती थीं, लेकिन आज उन्हीं की पार्टी (बीजेपी) कांग्रेस की तरह सीबीआई का बेजा इस्तेमाल कर रही है। इस संबंध में उनका क्या कहना है, वह अपना रुख स्पष्ट करें।"  
 
किरण बेदी ने कुमार विश्वास के बयान पर कहा, "मैं उन्हीं बयानों का जवाब देती हूं जिनकी मैं कदर करती हूं।" बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि आप की जमानत जब्त होने वाली है। इसलिए उनके नेता बौखलाए हुए हैं।
 
किरण पर हमलावर हुई आम आदमी पार्टी 
कुमार विश्वास ने कहा कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) की टीम में सबको किरण बेदी पर शक था और अब किरण के बीजेपी में जाने से यह शक यकीन में बदल गया है। विश्वास ने कहा, "किरण बेदी को सीएम कैंडिडेट बनाने से आप को ही फायदा होगा, क्योंकि ऐसा कर बीजेपी ने राजनीतिक तौर पर यह स्वीकार कर लिया कि उनके पास अरविंद केजरीवाल को चुनौती देना वाला कोई नेता नहीं है।" वहीं, आप के नेता मनीष सिसौदिया ने कहा कि कई लोगों को यह पहले से पता था कि किरण बेदी बीजेपी की ओर से आंदोलन में जुड़ी थीं। सिसौदिया ने यह भी आरोप लगाया कि अब किरण बेदी को ब्लैकमनी रास आने लगी है, जिसे लेकर वह कभी बीजेपी पर अारोप लगाया करती थीं। वहीं, आप की सरकार में कानून मंत्री रहे सोमनाथ भारती ने कहा कि किरण बेदी ने बीजेपी के खिलाफ जो बयान दिए, अब उन बयानों पर वह क्या कहेंगी?  
 
इस बीच, कांग्रेस ने भी मौके का फायदा कर यह कहना शुरू कर दिया है कि बीजेपी और संघ के इशारे पर अन्ना का आंदोलन हुआ था। हालांकि, इसके जवाब में बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि बीजेपी का इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) से कुछ लेना-देना नहीं है। कांग्रेस को खुद का आकलन करना चाहिए। 
 
 
बीजेपी का पलटवार, अब क्यों बोल रहे हैं विश्वास
अन्ना आंदोलन में किरण बेदी के बीजेपी के लिए जासूसी करने के आरोपों पर पार्टी ने पलटवार किया है। दिल्ली बीजेपी के प्रभारी प्रभात झा ने कहा कि कुमार विश्वास को यदि ये बातें पता थीं, तो पहले क्यों नहीं बताया। क्या वह अब इससे फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं? वहीं, बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि कुमार विश्वास और अन्य आप नेताओं के बयान उनकी मायूसी का नतीजा हैं। आप किरण बेदी पर जबरन आरोप लगाने की कोशिश कर रही है, जबकि उनके पास इसका कोई सबूत नहीं है। 
 
प्रचार में जुटीं किरण 
आरोप-प्रत्यारोपों के बीचजोर-शोर से प्रचार में जुटीं किरण बेदी ने शुक्रवार को अपने विधानसभा क्षेत्र में रिक्शा पर बैठ कर प्रचार किया। बेदी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी।

जर्नलिस्ट ने पुलिस को बताया- मौत से पहले IPL पर बोलना चाहती थीं सुनंदा


नई दिल्ली. कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर हत्या मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की विशेष टीम ने शुक्रवार को सीनियर जर्नलिस्ट नलिनी सिंह से पूछताछ की। पूछताछ के बाद पत्रकारों को नलिनी ने बताया कि मौत से पहले जब सुनंदा ने उनसे बात की थी तो वह आईपीएल को लेकर कुछ बोलना चाहती थीं।
फाइल फोटो: शशि थरूर और सुनंदा।
फाइल फोटो: शशि थरूर और सुनंदा।
 
नलिनी ने कहा,' जब मैंने उससे पूछा कि क्या वह टीवी पर बोलना चाहती हैं तो फिर उसने कुछ नहीं कहा था। सुनंदा ने कहा था कि उसने सारा दोष अपने ऊपर ले लिया था इसलिए अब वह आईपीएल को लेकर बोलना चाहती थी।' नलिनी ने बताया कि जिस दिन सुनंदा की मौत हुई थी उस दिन उसने मुझसे बात की थी इसलिए मुझसे पूछताछ हुई। इस दौरान पुलिस नलिनी से सुनंदा के साथ हुई बातचीत का ब्योरा और बातचीत का टोन जानना चाहा। नलिनी सिंह ही मौत के पहले अंतिम बार सुनंदा पुष्कर ने बात की थी। 
 
 

80 मिनट हुई पूछताछ

दिल्ली पुलिस ने नलिनी से करीब 80 मिनट तक पूछताछ की। जर्नलिस्ट नलिनी से पूछताछ की पुष्टि करते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा, 'हमने पहले ही कहा है कि इस मामले में जिसके पास कुछ जानकारी है उसे साझा करने के लिए उन्हें आगे आना चाहिए।' डीसीपी प्रेम नाथ के नेतृत्व वाली जांच टीम ने शुक्रवार को सरोजनी नगर पुलिस थाने में नलिनी से पूछताछ की। नलिनी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में उनसे पहली बार पूछताछ की है। पिछले दिनों दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस सांसद और सुनंदा के पति शशि थरूर से पूछताछ की थी।
 
दिल्ली पुलिस सूत्रों का कहना है कि नलिनी सिंह से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) एंगल के बारे में पूछताछ की गई जिसके बारे में पुष्कर ने उनसे बातचीत की थी। इस मामले में गुरुवार को पुलिस ने पत्रकार राहुल कंवल से भी पूछताछ की थी। बताया जाता है कि सुनंदा पुष्कर राहुल कंवल को टीवी पर एक इंटरव्यू देना चाहती थीं जिसमें वह कुछ मुद्दों का खुलासा करने वाली थीं। पिछले दिनों दिल्ली पुलिस के कमिश्नर ने कहा था कि इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए वह पत्रकारों की मदद लेंगे जिनसे सुनंदा पुष्कर ने अंतिम बार बात की थी। पुलिस का कहना है कि सुनंदा पुष्कर से बात करने वाले कुछ और पत्रकारों को पूछताछ के लिए बुला सकती है।

जर्नादन द्विवेदी के बाद कांग्रेस के शशि थरूर ने की मोदी की तारीफ


जर्नादन द्विवेदी के बाद कांग्रेस के शशि थरूर ने की मोदी की तारीफ
 
 
जयपुर: कांग्रेसी नेता जर्नादन द्विवेदी द्वारा पीएम मोदी की तारीफ करने से शर्मिंदगी झेल रही पार्टी के सामने फिर से मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। इस बार एक अन्य कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने मोदी के प्रशंसा के पुल बांधे हैं। मौका था जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का, जहां शुक्रवार को थरूर ने पीएम मोदी को पहचान की राजनीति को परफॉर्मेंस की राजनीति (politics of identity to politics of performance) में बदलने वाला व्यक्ति करार दिया। बता दें कि जनार्दन द्विवेदी ने मोदी को भारतीयता की पहचान कहा था। इस बयान पर उठे विवाद के बाद उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। 
 
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेसी सांसद शशि थरूर अपनी नई किताब 'इंडिया शास्त्र' की रीडिंग के लिए पहुंचे थे। यह किताब निबंधों का संकलन है। थरूर बोले, ''मोदी इतिहास में जगह बना सकते हैं, लेकिन बतौर विपक्ष हमें इस बात पर विश्वास नहीं है। हालांकि, मोदी ने 'पहचान की राजनीति' को 'परफॉर्मेंस की राजनीति' में बदल दिया है।''
 
हालांकि, थरूर ने यह भी कहा कि पीएम मोदी विकास और गवर्नेंस पर फोकस करने की बात कहते हैं, लेकिन ऐसे लोगों को खुला छोड़ रखा है जो किताबों को दोबारा से लिखने, आधुनिक विज्ञान पर प्राचीन विज्ञान को तरजीह देने में लगे हुए हैं। थरूर के मुताबिक, भले ही पीएम मोदी को बड़ा जनमत मिला है, लेकिन उसे इस बात पर शक है कि क्या उनके पास देश की आर्थिक तरक्की के लिए कोई गेमप्लान भी है। 
 
पहले भी कर चुके हैं तारीफ 
बता दें कि पिछले हफ्ते कोलकाता लिटरेचर फेस्टिवल में भी कांग्रेसी सांसद ने पीएम मोदी की तारीफ की थी। थरूर की निजी जिंदगी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। 58 वर्षीय थरूर से उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर के कथित मर्डर के मामले में हाल ही में पुलिस ने चार घंटे तक पूछताछ की थी। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से थरूर की कई मौकों पर उनकी की गई तारीफ के बाद कांग्रेस के एक धड़े में वह खटकने लगे हैं। अक्टूबर महीने में थरूर को उस वक्त प्रवक्ता पद से हटा दिया गया था, जब केरल के पार्टी वर्करों ने तारीफ की थी कि थरूर कई मौकों पर पीएम की तारीफ कर चुके हैं।

अपने घर में पनाह देकर हिंदू विधवा ने दंगाइयों से बचाई 10 मुसलमानों की जान


मुजफ्फरपुर. सांप्रदायिक हिंसा के गवाह बने अजीजपुर गांव में एक हिंदू विधवा शैल देवी ने 10 मुसलमानों की जान बचा ली। शैल देवी ने अपने पड़ोसियों को पनाह दी, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि भीड़ उनके पड़ोसियों की हत्या कर सकती थी। शैल देवी ने कहा, "मैंने दंगाइयों से झूठ बोल दिया कि मैंने किसी मुसलमान को पनाह नहीं दी है। हालांकि, कुछ लोगों ने मेरे घर में घुसने की कोशिश की। मैंने उन्हें रोक दिया तो वे लौट गए।" शैल देवी ने अपनी दो बेटियों के साथ अपने घर के दरवाजे पर निगरानी की। 
 

शैल देवी का सम्मान करते सीएम।
शैल देवी का सम्मान करते सीएम।
पड़ोसियों ने डराया तो मुस्लिम के यहां ली शरण 
शैल देवी ने जिन लोगों को पनाह दी थी, उनमें आश मोहम्मद भी शामिल थे। आश ने कहा, "हमारे लिए शैल खुदा की ओर से भेजी गई दूत की तरह है।" बाद में पड़ोसियों ने शैल देवी को डराया कि अगर दंगाइयों को पूरी बात पता चली तो वे शैल को सजा देंगे। यह सुनकर शैल घबरा गई और वह मोहम्मद के घर में छुप गई। लेकिन जब जिला प्रशासन ने आश्वस्त किया तो वह सामने आईं। रविवार को पड़ोसी गांव के पांच हजार लोगों ने शैल देवी के गांव अजीजपुर पर हमला बोल दिया था। 
सीएम ने किया सम्मानित 
मुख्यमंत्री ने शैल देवी को 51 हजार रुपए का चेक, साड़ी, शाल एवं प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने शैल देवी को झांसी की रानी बन कर लोगों की जान बचाने के लिए प्रशंसा की। बीस-बीस हजार रुपए उसकी दोनों बेटियों रीता कुमारी एवं रूपन कुमारी की पढ़ाई के लिए प्रदान करने की घोषणा की।
क्या है मामला?
एक संप्रदाय का लड़का अजीजपुर की दूसरे संप्रदाय की लड़की से प्रेम करता था। यह बात लड़की के घर वालों को नागवार गुजरी। उसके बाद लड़के का अपहरण हो गया और बाद में उसकी लाश मिली। लड़के की मौत की बात सामने आते ही अजीजपुर में सांप्रदायिक दंगा भड़क गया। पुलिस ने पांच हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और 14 लोगों को गिरफ्तार किया। अजीजपुर में मुसलमान बहुसंख्यक हैं। 

क़ुरआन का सन्देश

 
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