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27 जनवरी 2015

यूएस मीडिया का दावा: दिल्ली में 3 दिन रहने से 6 घंटे कम हो गई ओबामा की जिंदगी


नई दिल्ली. अमेरिकी मीडिया ने दावा किया है कि दिल्ली में तीन दिनों तक रहने के कारण राष्ट्रपति बराक ओबामा के जिंदगी के छह घंटे कम हो गए। दिल्ली में वायु प्रदूषण का उल्लेख करते हुए अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट आई है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है और इसका असर ओबामा की सेहत पर पड़ सकता है।
सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एट होम कार्यक्रम में ओबामा।
सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एट होम कार्यक्रम में ओबामा।
 
रिपोर्ट में दावा कि गया है विश्व में सबसे जयादा पीएम 2.5-थिनी दिल्ली की वायु में है, हवा में इस जहरीले कणों के चलते सांस संबंधी बीमारियां, लंग्स कैंसर और हर्ट अटैक होता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, 'ओबामा ने तीन दिनों के दौरे के दौरान दिल्ली का पीएम 2.5 लेवल औसतन 76-84 माइक्रोग्राम्स प्रति क्यूबिक मीटर के बीच था।' यह आंकड़ा भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने संग्रह किया है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के सांख्यिकीविद डेविड स्पीगलहैल्टर का कहना है कि इस प्रदूषण के हिसाब से एक दिन में ओबामा की जिंदगी के दो घंटे कम हुए। डेविड स्पीगलहैल्टर को प्रदूषण से पैदा होने वाले खतरों के आकलन में विशेषज्ञता हासिल है।
 
स्पीगलहैल्टर का कहना है कि इस प्रदूषण से उतनी ही हानि हुई है जितनी की एक दिन में आठ सिगरेट पीने से होती है। इसी प्रदूषण के बीच ओबामा दिल्ली में रिपब्लिक डे परेड देखने के लिए दो घंटे तक खुले बैठे थे। 
 
ओबामा के आने से पहले ही अमेरिकी अधिकारियों द्वारा दिल्ली के वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। खबरें थीं कि दिल्ली में अमेरिकी दूतावास की ओर से 1800 स्वीडिश एयर प्यूरीफायर्स खरीदे गए थे। संयोग की बात है कि अमेरिका दुनिया में कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है, जबकि भारत इस मामले में तीसरे स्थान पर है। 
 
India-US की दोस्ती से घबराया चीन, बोला-'बाहरी' देश का दखल मंजूर नहीं
 
भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते के अमली दौर में पहुंचने की संभावनाओं को लेकर चीन घबरा गया है। परमाणु करार ही नहीं दोनों देशों के बीच मजबूत होते संबंधों को लेकर भी उसकी बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चीन ने कहा है कि प्रशांत और हिंद महासागर के साथ ही एशिया के विवादों में किसी बाहरी ताकत का दखल उसे मंजूर नहीं है और इन मामलों को आपस में बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय ने यह प्रतिक्रिया दी है। भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्तों को लेकर चीन कितना परेशान है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसने एनएसजी यानी न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में भारत की एंट्री को लेकर भी सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत को एनएसजी में शामिल होने से पहले एनपीटी यानी परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत करने होंगे। इस बीच, व्हाइट हाउस ने चीन की प्रतिक्रिया पर कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते चीन को रोकने या परेशान करने के लिए नहीं हैं। 
 
पाकिस्तान को बताया भरोसेमंद दोस्त
वहीं, चीनी पोलित ब्यूरो के सदस्य मेंग जियांझु ने पाकिस्तान को चीन का सबसे भरोसेमंद दोस्त बताते हुए कहा है कि पाकिस्तान की जो चिंताएं हैं वहीं चिंताएं चीन की भी हैं। मेंग ने ये भी कहा कि पाकिस्तान और चीन की दोस्ती दो व्यक्तियों के बीच का मामला न होकर दो देशों की दोस्ती का मामला है और पाकिस्तान ने हमेशा कठिन समय में चीन का साथ दिया है।

> प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने तोड़ा प्रोटोकॉल , उपराष्ट्रपति नहीं,- सोशल मीडिया पर छिड़ा विवाद ...

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राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रगान बजने के समय उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा राष्ट्र ध्वज को सलामी नहीं देने को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़े विवाद पर उपराष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी कर स्पष्ट किया हैकि प्रोटोकॉल के मुताबिक इसकी आवश्यकता नहीं है दूसरी तरफ इस विवाद को तूल देने वालों की सोशल मीडिया पर ही निंदा हो रही है और कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री को स्वयं को शिक्षित करने की आवश्यकता है क्योंकि प्रोटोकॉल रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री ने तोड़ा है।
संयुक्त सचिव और उपराष्ट्रपति के ओएसडी गुरदीप सप्पल का बयान एक एजेंसी के मार्फत मीडिया में आया है, जिसमें कहा गया है, ‘‘गणतंत्र दिवस परेड के दौरान भारत के राष्ट्रपति सर्वोच्च कमांडर के नाते सलामी लेते हैं। प्रोटोकॉल के मुताबिक उपराष्ट्रपति को सावधान की मुद्रा में खड़ा होने की जरूरत होती है.’’
सप्पल ने कहा, ‘‘जब उपराष्ट्रपति प्रधान हस्ती होता है तो वह राष्ट्रगान के दौरान पगड़ी पहनकर सैल्यूट देते हैं जैसा कि इस वर्ष एनसीसी शिविर में हुआ।’’
उपराष्ट्रपति के ओएसडी व राज्यसभा टीवी के सीईओ व एडिटर इन चीफ सप्पल ने ट्वीटर पर वह वीडियो शेयर किया है जिसमें यह दिख रहा है कि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान चल रहे सावधान की मुद्रा में खड़े हैं।
गणतंत्र दिवस समारोह के तुरंत बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के तिरंगे को सलामी देने और उपराष्ट्रपति अंसारी के ऐसा नहीं करने के फोटो ट्विटर और फेसबुक पर वायरल हो गए थे। संघ कबीले की साइबरवाहिनी ने अंसारी की देशभक्ति पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे । संघ कबीले की इस हरकत का सोशल मीडिया में खासा प्रतिवाद हुआ और लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज के प्रोकॉल संबंधी धारा का स्नैपशॉट शेयर कर संघी ट्रोल की निंदा की। लोगों ने संघ कबीले की इस हरकत पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि इसे ‘‘अनावश्यक एवं शर्मनाक’’ करार दिया।
निजी चैनल को एबीपी न्यूज पर भी विशेषज्ञ कर्नल यू.एस राठौर ने बताया था, ‘राजपथ पर हुए गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का सलामी के लिए हाथ नहीं उठाना बिलकुल सही था आज के दिन सेना से सलामी लेने का हक महामहिम राष्ट्रपति का होता है, वह ही इस सलामी का जवाब देते है। ऐसे में सलामी के लिए सिवाय राष्ट्रपति के वहां मौजूद किसी को भी हाथ नहीं उठाना चाहिए था।’
वरिष्ठ पत्रकार शेषनारायण सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री ने अनभिज्ञता, उत्तेजना अथवा अनुभवहीनता में प्रोटोकॉल तोड़ा है। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 1980-85 के मध्य चीफ प्रोटोकॉल ऑफीसर रहे हैं, वे राष्ट्रध्वज के प्रोटोकॉल को अन्य से बेहतर समझते हैं।
उधर पूर्वउपराष्ट्रपति और भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता भैरों सिंह शेखावत की तस्वीरें भी सोशल मीडिया में वायरल होने लगी हैं, जिसमें उपराष्ट्रपति के तौर पर शेखावत झंडे को सलामी नहीं दे रहे हैं।

भारतीय ध्वज संहिता


भारतीय ध्वज संहिता भारतीय ध्वज को फहराने व प्रयोग करने के बारे में दिये गए निर्देश हैं। इस संहिता का आविर्भाव २००२ में किया गया था। भारत का राष्ट्रीय झंडा, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। सभी के मार्गदर्शन और हित के लिए भारतीय ध्वज संहिता-२००२ में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है। ध्वज संहिता-भारत के स्थान पर भारतीय ध्वज संहिता-२००२ को २६ जनवरी २००२ से लागू किया गया है।[1]
जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
सरकारी भवन पर झंडा रविवार और अन्य छुट्‍टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है।
झंडे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
जब झंडा किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनके दाहिने ओर हो।
झंडा किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए।
फटा या मैला झंडा नहीं फहराया जाता है।
झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा।
झंडे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।
जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।

संशोधन
भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके।[2] गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गये प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी। कांग्रेस नेता जिंदल को दिये गये संदेश में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव की पड़ताल की गयी है और कई स्थानों पर दिन और रात में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए झंडे के बड़े पोल लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिंदल ने जून २००९ में मंत्रालय को दिये गये प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराये जाने की अनुमति मांगी थी। जिंदल ने कहा था कि भारत की झंडा संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां तक संभव है सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज १०० फुट या इससे उंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात फहराये गये होते हैं

सतरंगी दुनिया के तिरंगे और राष्ट्रगान का सम्मान करने वाले मेरे इस देश में कुछ लोग है जो आज भी दिलों में नफरत पाले बैठे है ,

दोस्तों सतरंगी दुनिया के तिरंगे और राष्ट्रगान का सम्मान करने वाले मेरे इस देश में कुछ लोग है जो आज भी दिलों में नफरत पाले बैठे है ,,उनकी सोच ,,उनके विचार ,,किसी भी मुद्दे को देखने का उनका तरीका ,,उनके बोलने और लिखने का तरीका सिर्फ और सिर्फ नफरत भड़काने वाला होता है ,,वोह कोन लोग है ,,,किसके लिए काम कर रहे है आप और में सभी जानते है ,,लेकिन यह तो तय है के वोह भारत में रहते है फिर भी भारतीय नहीं है ,,क्योंकि जो लोग भारत में रहकर नफरत भड़काना चाहते है ,,बेहूदा बातें करके लोगों को उसकाना चाहते है ,,,उनका आक़ा गलती करे तो उसे छुपाकर दूसरे की गलती को बढ़ावा देकर दिखाना चाहते है ,,अगर ऐसे लोग है तो वोह लोग किसी व्यक्तिगत विचारधारा के गुलाम तो हो सकते है ,,लेकिन निष्पक्ष और सद्भाविक भारतीय संस्कृति के प्रतीक हिन्दू संस्कृति पर लानत है ,,,,,,वोह लोग भारत में रहकर नफरत फैलाने वाले तो हो सकते है लेकिन भारत में रहकर भारतीय ,,राष्ट्रभक्त कतई नहीं हो सकते ,,,,,,,दोस्तों में बात कर रहा कल भारत की आन बान शान के प्रतीक तिरंगे के राष्ट्रपति द्वारा ओबामा की मौजूदगी में ध्वजारोहण ,,सलामी और राष्ट्रीय गान के वक़्त की जिसकी एक तस्वीर को देखकर केवल एक गलती तलाशकर नफरत की आंधी भड़काने वाले लोगों ने हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति को कुत्ता ,,गद्दार ,,,,,,क़रार दे दिया ,,,,लेकिन दोस्तों सच क्या है में आपको बताना चाहता हूँ ,,,,कल छब्बीस जनवरी भारत का सबसे बढ़ा त्यौहार ,,भारत के राष्ट्रपति प्रणवमुखर्जी ,,,भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ,,भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,,भारत के रक्षा मंत्री मणिकर ,,भारत के मुख्य अतीथी ओबामा ,,उनकी पत्नी मिशेल ओबामा और दुभाषिये मौजूद थे ,,,,,वक़्त था सेना में राष्ट्रीय ध्वज फैलाने का जो केवल राष्ट्रपति द्वारा फहराया जाता है और अगर राष्ट्रपति ना हो तो फिर उपराष्ट्रपति द्वारा फहराया जाता है ,,नियम है ध्वज फहराया जाएगा ,,सब लोग सावधान होंगे राष्ट्रगान होगा ,,राष्ट्रगान का सम्मान होगा और केवल राष्ट्रपति महोदय या जो भी झंडे को फहराएगा वोह झंडे को सलामी देगा बाक़ी लोग जनगण मन के सम्मान में सावधान रहेंगे ,,,,,अगर झंडा चलता हुआ किसी के हाथ में उनके सामने आता है तभी वोह सलामी देंगे वरना सावधान ही रहग्ने ,,,अब दोस्तों कल आदरणीय राष्ट्रपति महोदय ने ध्वजारोहण किया ,,,,,,राष्ट्रीयगान जन गण मन शुरू हुआ ,,,राष्ट्रपति ने तो ध्वजारोहण किया इसलिए उन्होेन झंडे को क़ानून के मुताबिक़ ध्वज संहिता के मुताबिक़ सेल्यूट किया सलाम किया लेकिन बाक़ी लोग कर्तव्यबद्ध थे राष्ट्रियगान का सम्मान करते हुए सावधान रहने के लिए ,,इस प्रक्रिया में लिखित ध्वज संहिता का उलंग्घन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी रक्षा मंत्री पणिकर जी सभी क़ानूनी तहज़ीब भारतीय मर्यादाओं और राष्ट्रगान के सम्मान के क़ानून को तोड़कर अपना हाथ सावधान की मुद्रा तोड़कर सलामी के लिए राष्ट्रपति की बराबरी करने के लिए उठा देते है साथ ही रक्षा मंत्री भी उठा देते है ,,कुछ नफरत बाज़ो द्वारा इसे उल्टा प्रचारित किया गया विधिक नियमों की पालना करते हु करते हुए सावधान की मुद्रा में खड़े हामिद अंसारी को गद्दार कहकर प्रचारित किया गया ,,,लेकिन दोस्तों लिखित ध्वज संहिता ने इन नफरतबाज़ों की पोल खोलकर रख दी ,,,,देश इस मामले में क़ानूनी नियमों से बंधे हामिद अंसारी के साथ खड़ा नज़र आया ,,,सच यह है दोस्तों के भारतीय ध्वज स नहिता संहिता की धारा छ की उपधारा तीन के उपनियम इकत्तीस में उल्लेखित है के जब राष्ट्रपति झंडारोहण करेंगे तो वोह झंडे को सलामी देंगे बाक़ी लोग सावधान की मुद्रा में खड़े रहकर जनगण मन गाएंगे ,,लेकिन दोस्तों हामिद अंसारी जो एक मुसलमान था जिसे गद्दार कहने में नफरतबाज़ों ने कोई कोताही नहीं बरती वोह देश के क़ानून ,,देश की मान मर्यादाओं की सावधान मुद्रा में पालना कर तिरंगे और राष्ट्रगान का सम्मान कर रहे थे और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेदंर मोदी उनके रक्षा मंत्री पणिकर देश के क़ानून ,,ध्वज संहिता की मान मर्यादाओं का प्रोटोकॉल तोड़कर खुद को बढ़ा साबित्त करने के लिए जनगणमन का मान सम्मान छोड़कर राष्ट्रिय गान की अपमान करते हुए सावधान की मुद्रा तोड़ सेल्यूट करने की गलती कर रहे थे ,,यह गलती भारतीय संविधान की मान मर्यादाओं के खिलाफ,,, भारतीय तिरंगे और भारतीय राष्ट्रिय गान के खिलाफ खुले आम हो रही थी जो संविधान के रक्षक राष्ट्रपति की उपस्थिति में हुई खबर का यह सच्चा पहलु किसी को नहीं दिखा ,,किसी ने प्रचारित नहीं किया ,,दोस्तों प्रवेंशन औफ नेशनल ऑनर एक्ट के प्रावधानों में तिरंगे ,,,,राष्ट्रगान ,,,संविधान का अपमान करने वाले को पांच साल की सज़ा का प्रावधान है और भारतीय ध्वज संहिता को तोडना ,,भारतीय राष्ट्रीय गान के वक़्त सम्मानित सावधान की मुद्रा में खड़ा नहीं होना भी अपराध है ,,जो पांच साल की सज़ा का प्रावधान है ,,मेरी नफरतबाज़ों से गुज़ारिश है प्लीज़ इस पहलु को देखे और सोचे के उन्होेन गलती की है वोह अपनी इन आदतों से बाज़ आये ,,भारत में रहते है भारतीय संस्कृति को जिए ,,नफरत छोड़े प्यार बांटे ,,,हम कहते है नरेदंर मोदी और रक्षामंत्री पणिकर द्वारा राष्ट्रगान का अपमान करने की मंशा नहीं थी ,,तिरंगे का अपमान करने की मंशा नहीं थी सिर्फ क़ानून और प्रोटोकॉल की अज्ञानता के कारण उनसे गलती हुई है इसलिए हम भी उनकी इस गलती को माफ़ करने की बात करते है ,,ऐसे बनो मेरे दोस्तों ,,मेरे भारतियों ताकि नफरत खत्म हो ,,प्यार का वातावरण बने ,,हम और आप एक हो ,,,मेरे देश में खुशियों की बरसात हो ,,मेरा देश खुशहाली की खुशबु से महके लेकिन यह आप और में सब मिलकर नफरत को दिलों और दिमागों से निकाल कर सिर्फ और सिर्फ भारतीय बनकर ही कर सकते है ,,किसी धर्म किसी मज़हब ,,किसी पार्टी ,,किसी विचारधारा या फिर किसी व्यक्ति का अंध भक्त बनकर नहीं कर सकते ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जनता की मदद के लिए कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियों के पेज पर अपनी शिकायत के लिये टिप्पणी करना अपराध नहीं है.
न्यायमूर्ति वी गोपाल गौडा और न्यायमूर्ति आर बानुमति की खंडपीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही बेंगलुरू के एक दंपति को राहत प्रदान की. इस दंपति ने एक पुलिस अधिकारी के दुव्यर्वहार के बारे में फेसबुक पर बेंगलुरु यातायात पुलिस के पेज पर अपनी टिप्पणी द्वारा शिकायत की थी. पुलिस ने इसी आधार पर दंपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
न्यायालय ने कहा कि यातायात पुलिस ने फेसबुक पर जनता के लिये ही पेज बनाया था. न्यायालय ने कहा कि हमारी सुवि़चारित राय है कि इस दंपति ने यह सोच कर आन लाइन टिप्पणी की कि उनका यह कृत्य स्वीकृति सीमा के भीतर ही है. न्यायालय ने इसके साथ ही कर्नाटक उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया. उच्च न्यायालय ने इस दंपति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी.
इस मामले में माणिक तनेजा और उनकी पत्नी साक्षी जावा से 13 जून 2013 को एक सडक दुर्घटना हो गयी थी जिसमें आटो रिक्शा में जा रहा एक व्यक्ति जख्मी हो गया. इस व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया और मामला परस्पर सहमति से सुलझा लिया गया. लेकिन दुर्घटनास्थल के पास ही मौजूद एक सिपाही ने दंपति को अपने वरिष्ठ अधिकारी से मिलने का निर्देश दिया.
यह दंपति जब इस अधिकारी से मिलने गये तो उन्होंने उनके साथ दुर्व्‍यवहार किया और धमकी दी. इस अधिकारी के आचरण से आहत दंपति ने इस संबंध में बेंगलुरू यातायात पुलिस के फेसबुक पेज पर अपनी टिप्पणी पोस्ट की और इस घटना के बारे में ई मेल भी भेजी.
फेसबुक कॉमेंट से नाराज पुलिस अफसर ने इस दंपत्ति पर दुर्व्यवहार और ड्यूटी निभाने में अड़चन डालने का आरोप लगाया लेकिन अदालत ने इस आरोप को खारिज कर दिया. दंपत्ति ने यही दलील दी कि बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस का फेसबुक पेज एक पब्लिक फोरम है जहां अपनी परेशानियां जाहिर करना नागरिकों का अधिकार है
पुलिस की दलील ने असहमत सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि बिना किसी मंशा के अपने जज्बात जाहिर करना आपराधिक आरोप लगाने के लिए नाकाफी वजह है. आरोपी ने इस पेज पर कॉमेंट करके आईपीसी की धारा 503 का उल्लंघन नहीं किया.

इस्लाम,अल्लाह और पैगम्बर ए इस्लाम की शान में गुस्ताखी का मामला सामने आया।

कोटा,
आज एक बार फिर व्हाट्सअप पर इस्लाम,अल्लाह और पैगम्बर ए इस्लाम की शान में गुस्ताखी का मामला सामने आया।
मुफ़्ती शमीम अशरफ़ी,सलीम भारती,वहीद मुल्तानी की अगुवाई में सैकड़ो लोगों ने रेली निकालकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर ज़िला कलेक्टर को ज्ञापन दिया।
बाद में विज्ञान नगर निवासी मो०ज़ुबैर ने समीउल्लाह अंसारी,ज़ाकिर भाई,शमसुद्दीन भाई,नावेद अख्तर की अगुवाई में कई लोगो के साथ मिलकर विज्ञान नगर थाने में मुकदमा दर्ज़ करवाया।
कोटा निवासी नितिन पोरवाल,तरुण गौतम एवं जिप्पी के खिलाफ़ धारा 153 A/295 A/66 (A) में मुकदमा दर्ज़ किया गया।
धर्मों के नाम पर नफ़रत फैलाने वालो को सख्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए,ऐसी उम्मीद हम कोटा की पुलिस से करते है।
सोशल मीडिया पर धर्म का अपमान करने वालो की अब खेर नहीं,पुलिस इस मामले में अब मुस्तैद हो चुकी है।
आज कोटा के विज्ञान नगर थाने में दोपहर को दर्ज़ कराया गए मामले में पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दो आरोपियों को चंद घंटों में ही गिरफ्तार कर लिया।
तीसरे की तलाश जारी है।

क़ुरआन का सन्देश

 
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