कोटा में विकट परिस्थितियों में भी कुशल प्रशांसनिक नेतृत्व के तहत साल भर
से भी ज़्यादा का चुनावी सफर अन्य प्रशासनिक कार्यों के साथ सफलतापूर्वक
करने वाले कोटा के जिला कलेक्टर जोगाराम और उनकी प्रशासनिक टीम ,,सहयोगी
कर्मचारियों की टीम को मुबारकबाद ,,,,,,जी हाँ दोस्तों कोटा जो शिक्षा नगरी
है ,,उद्योगनगरी है ,,,सियासी नगरी है ,,और दूसरे अल्फ़ाज़ों में अपराधियों
की नगरी है यहां शासन बदलने के बाद नगर विकास न्यास के चेयरमेन सहित कई
इदारों के चेयरमेंन का कार्यभार ज़िलाकलेक्टर जोगाराम वहन कर
रहे है ,,,,इस दौरान विधानसभा चुनाव ,,लोकसभा चुनाव ,,,नगर निगम चुनाव
,,,कोटा दक्षिण के उपचुनाव ,,पंचायत चुनाव परशान के लिए एक खुली चुनौती थी
,,,चुनाव के साथ साथ सामान्य क़ानून व्यवस्था से मुताल्लिक़ रोज़मर्रा के काम
,,वी आई पी विज़िट ,,,हर रविवार को होने वाली परीक्षाये ,,,,संवेदनशील मामले
,,,एक चुनौती भरा काम रहा है ,,लेकिन ,,, शांत ,रहकर ,,अपने साथियों
अधिकारीयों ,,कर्मचारियों को साथ लेकर यह असम्भव काम कोटा कलेक्टर जोगाराम
ने बखूबी निभाकर खुद को प्रशासनिक दृष्टि से अव्वल साबित कर दिया है
,,,,,,,ज़िलाकलेक्ट्रेट में सियासी लोगों के ज्ञापनों ,,समस्याओं की सुनवाई
,,सभी को संतुष्टि ,,आवश्यक कार्यों की तत्काल क्रियान्विति ,,संवेदनशील
मामलो को तुरंत निस्तारण करने की स्थानीय पुलिस को करने के निर्देश ,,हर
वर्ग के लोगों से उनकी समस्याओां के मामले में हर रोज़ उनकी शिकायतें सुन्ना
,,शिकायतों का निवारण करना जोगाराम कलेक्टर के लिए सामान्य सी बात हो
गयी है ,,,,कोटा की प्रमुख खबरों पर पेनी नज़र ,,बदलते हालातों की निजी तोर
पर अपनी टीम के ज़रिये जानकारी प्राप्त करना ,,उनकी बारीकियों को जांचना
,,परखना और फिर इन समस्याओं से निपटने का मास्टर प्लान तैयार कर हँसते
हँसते समस्याओं का समाधान करना जोगाराम कलेक्टर की खासियत रही है ,,,,ना
काहू से दोस्ती ना काहू से बेर ,,ना पार्टी ,,ना पोलटिक्स ,,अपना प्रशासनिक
कार्य निष्पक्ष ,,निर्भीकता ,,संवेदनशीलता ,,,शांत ,,सौम्य ,,गंभीरता
,,सर्वमान्य सिद्धांत के तहत निर्विवाद तरीके से सफलता पूर्वक कार्य करना
इनकी कामयाबी है ,,दफ्तर में सभी से मिलना ,,तत्काल शिायत आने पर कार्यवाही
के निर्देश ,,शहरी समस्याओं के साथ साथ ग्रामीण अंचलों की समस्याओं को
प्रमुखता ,,,,रात्रि ग्रामविश्राम कार्यक्रम बनाना ,,,,संवेदनशील समस्याओं
को खुद व्यक्तिगत रूप से चेलेंज के रूप में स्वीकार कर उनका निस्तारण
करवाना इन्हे अच्छा लगता है ,,,,,मरीज़ों के इलाज के लिए सुविधा हो
,,मुख्यमंत्री सहायता कोष की मदद हो ,,विधवा ,,तलाक़शुदा की पेंशन और दूसरी
सुविधाएं हो सामाजिक सरोकार से संबंधित सुझाव ,,शिकायते हो उनके तुरंत
निस्तारण के प्रति गंभीरता ने इन्हे कोटा वासियों में लोकप्रिय बना दिया
है ,,,,बहुपक्षीय प्रशासन ,,,,,जोगाराम की प्रमुखता है और इसीलिए इनके
अधीनस्थ अधिकारी ,,इनके कर्मचारी इनके निर्देशो की पालना कंधे से कंधा
मिलाकर तुरंत तत्परता से पूरी करते है ,,,,,,, ऐसे कामयाब कुशल प्रशासक
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कोटा कलेक्टर जोगाराम को मुबारकबाद
,,सेल्यूट ,,सलाम ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 फ़रवरी 2015
गरीबों के लिए आम आदमी के लिए हमदर्दी ,,,प्यार ,,उनके लिए ज़िम्मेदारी
ऐतिहासिक महल में जन्म ,, इक्कीस तोपों की सलामी ,पैदाइश की ख़ुशी में
महलों की जगमगाहट ,,सोने के पालने में झूलकर बढ़े होना ,,,,सेकड़ो नौकर चाकर
की जी हुज़ूरी ,,लाड प्यार ,,,सोने ,,चांदी ,,हीरे मोती जवाहरात के खिलोने
से खेलकूद कर बढ़े होना ,, बढ़े बढ़े लोगों से रसुकात ,,,फिर विदेशों में
शिक्षा लेने के बाद भी गरीबों के लिए आम आदमी के लिए हमदर्दी ,,,प्यार
,,उनके लिए ज़िम्मेदारी जिस सख्सियत में है वोह इंसानो के भेस में फरिश्ता
ही कहा जाएगा ,,,जी हाँ में बात कर रहा हूँ राजस्थान के उस कोटा के
राजकुमार इजेराज सिंह की जिसने आम लोगों को मानसम्मान और उनके हुक़ूक़ के
लिए संघर्ष का हिस्सा बनकर यह साबित कर दिया है के महलों में भी गरीबों के
दोस्त ,,गरीबों के हमदर्द पला बढ़ा करते है ,,,,,,आज ही के दिन वर्ष उनीस सो
पैसठ में जन्मे कोटा के राजकुमार इजेराज सिंह कोटा दरबार बृजराज सिंह के
पुत्र और महाराव भीम सिंह के पोत्र है ,,,बारा खम्बा रोड दिल्ली में
शिक्षा लेने के बाद आप मेयो कॉलेज में पढ़े फिर ब्रोन यूनिवर्सिटी से
कम्प्यूटर साइंस में बी एस सी करने के बाद कोलम्बित् से फाइनेंस मार्केटिंग
में एम बी ऐ किया ,,आपका विवाह राजकुमारी कल्पना देवी के साथ धूमधाम से
हुआ ,,,,इजेराज सिंह राजनीति में कोरा कागज़ थे लेकिन कांग्रेस और भाजपा
दोनों ही इन्हे सियासत में अपनी पार्टी को मज़बूती देने के लिए झपटना
चाहते थे ,,,इजेराज सिंह कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के भी निकटतम थे
सो इन्होने खुद कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया और फिर आप विकट
परिस्थितियों में कांग्रेस के टिकिट पर कोटा बूंदी के सांसद निर्वाचित हुए
,,,आपके निर्वाचन के पूर्व विरोधियों का कुप्रचार था के महाराजा है जीतने
के बाद महल के दरवाज़े बंद हो जाएंगे लेकिन कुप्रचारकों के मुंह पर तमाचा
पढ़ा ,,इनकी सादगी ,,मुस्कुराहट को लोगों ने जिताया और जीतने के बाद इजेराज
सिंह ने चुनाव ही नहीं जीता बल्कि कोटा के लोगों के दिलों को भी जीत लिया
अपनी सादगी ,,हंसमुख स्वभाव ,,गरीबों की सुनवाई ,,पीड़ितों को न्याय और
हमेशा उपलब्ध रहने की परम्परा ने इन्हे लोगों का चचहेता बना दिया,,,इजेराज
सिंह नियमित रूप से अपने निवास पर स्थापित कार्यालय में निर्धारित समय में
सबसे मिलते और अदब से उन्हें कुर्सियों पर बिठाते ,,,उन्हें पानी वगेरा की
आवश्यक अतिथि सत्कार सेवा दिलवाते ,,गंभीरता से लोगों की समस्याएं सुनते
तत्काल समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन या फिर संबंधित अधिकारी से बात
कर उसकी समस्या का समाधान करवाते ,,,,इस नज़ारे को देखकर सब मंत्रमुग्ध थे
,,सभी की गलतफहमियां दूर हो गई ,,एक राजा आम लोगों के साथ हमदर्दी में
ज़िम्मेदार था ,,,,,लोकसभा में आम जनता के लिए कोटा के हित में अधिकतम सवाल
उठाये ,,,कई समितियों में कोटा का पक्ष रखा राजस्थान सरकार में कोटा को
अव्वल लाने के लिए कई प्रस्ताव दिए ,,सबसे महत्वपूर्ण बात गंभीरता के अलावा
सहजता ,,समर्पण ,,समझदारी ,,सियासी समझ ,,,कुशल प्रबंधन के चलते इजेराज
सिंह का सियासी दर्जा लोगों के दिलों दिमाग मे छा गया ,,इसके बावजुद भी
इजेराज सिंह ने कभी स्थानीय पुराने नेताओं से कोई टकराव ,,कोई प्रतिस्पर्धा
,,कोई मनमुटाव नहीं रखा ,,सभी को साथ लेकर चले ,,कांग्रेस के आम सिपाही
बनकर सभी को सजोते संवारते रहे ,,वोह बात अलग है के विकट परिस्थितियों ने
उन्हें पूर्व सांसद बना दिया लेकिन जनता के दिलों पे राज आज भी इजेराज सिंह
साहब का ही है ,,यही वजह है के कार्यकर्ता इनके पचासवें जन्म दिन को लेकर
काफी उत्साहित रहे ,,,,इजेराज सिंह साहब को उनके जन्म दिन पर हार्दिक बधाई
,,मुबारकबाद ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
डेढ़ एकड़ के तालाब से किसान निकालता है मोती, लाखों में करता है कमाई
बेगूसराय. इरादे
मजबूत हों तो तालाब से भी मोती निकाले जा सकते हैं। तेतरी के किसान जयशंकर
कुमार बूढ़ी गंडक के मीठे जल से सीप निकालकर मोती का उत्पादन तालाब के
माध्यम से कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। मुंबई के पर्ल वैज्ञानिक अशोक
मलवानी के निर्देशन में मोती का उत्पादन किसानों को आकर्षित कर रहा है।
बड़े पैमाने पर नहीं होने के कारण व्यापारी इस तरह का उत्पादन आकर्षित
नहीं हो रहे हैं। किसान जयशंकर कुमार का कहना है कि मोती उत्पादन के लिए
मीठे जल वाले क्षेत्र के किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, तभी मांग
के अनुरूप मोती का उत्पादन होगा और तब यहां मोती का बाजार विकसित हो
सकेगा। डेढ़ एकड़ का तालाब इंटिग्रेटेड पर्ल फार्मिंग का बेजोड़ नमूना है।
सीप के अंदर तैयार हुआ मोती, इनसेट में किसान
तालाब के मेड़ पर सागवान, केला अखरोट के लगे पेड़ से झड़े सूखे पत्ते
पेन्टान (मछली का भोजन) बन जाते हैं। तालाब के चारों ओर की जमीन पर वर्मी
कंपोस्ट का उत्पादन, गो पालन व बकरी पालन किया जाता है। जय शंकर कुमार
बेगूसराय जिले के डंडारी ब्लॉक में तेतरी गांव के निवासी हैं। गुजरात के
छोटा उदयपुर क्षेत्र में आदिवासी अकादमी, तेजगढ़ में रिसर्च स्कॉलर के रूप
में काम करने के दौरान ‘विमुक्त घुमंतु जनजाति’ के साथ काम करना शुरू किया।
इस अवधि के दौरान ही उन्हें अपने गांव में इस तरह का कार्य करने की
प्रेरणा मिली।
कैसे बनता है मोती
जिंदा सीप का मुंह खोल कर विभिन्न आकृति के कैल्शियम कार्बोनेट के
टुकड़े सीप के अंदर डाल दिए जाते हैं। टुकड़ा डालने की प्रक्रिया के दौरान
सीप से नैक्रे नामक केमिकल का स्राव होता है, जो सीप में डाली गयी आकृति पर
जम जाता जाता है। सीप जितने दिन जिंदा रहता है, मोती उतना ही बड़ा होता
है। ताजा पानी में सीपों की पालन देखभाल के चरण के बाद इन सीपों को तालाब
में डाल दिया है।
कहते हैं मत्स्य वैज्ञानिक
मत्स्य वैज्ञानिक डाॅ. स्वप्ना चौधरी ने बताया कि इंटिग्रेटेड
फार्मिंग का यह जगह बेजोड़ नमूना है। कतला, रेहु आदि मछली बहते पानी में
ब्रीडिंग करती हैं, लेकिन यहां ठहरे पानी में ब्रीडिंग मछली वैज्ञानिकों के
लिए शोध का विषय है। किसानों को जागरूक कर मीठे जल वाले क्षेत्र में मोती
का उत्पादन इस क्षेत्र के लिए क्रांति लाएगा।
कितनी है लागत
निर्माण की पूरी प्रक्रिया में 400 से 500 रुपए लगते हैं, जबकि बाजार में एक मोती की कीमत लगभग 3500 रुपए होती है।
चीन को पछाड़ भारत बना दुनिया में सबसे तेजी से तरक्की करने वाला देश
नई दिल्ली. विश्व
बैंक के अनुमानों से दो साल पहले ही भारत ने चीन को पछाड़ दिया है। सोमवार
को जारी विकास दर के आंकड़ों में अक्टूबर-दिसंबर यानी तीसरी तिमाही में
हमारी जीडीपी ग्रोथ रेट 7.5% रही। जबकि इस तिमाही में चीन की ग्रोथ रेट
7.3% दर्ज की गई। साथ ही इस पूरे वित्त वर्ष के लिए विकास दर 7.4% रहने की
उम्मीद जताई गई है। लेकिन विशेषज्ञों ने आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं। दरअसल ये
आंकड़े नए बेस ईयर 2011-12 के आधार पर आए हैं। पुराने बेस ईयर (2004-05)
के हिसाब से तो जीडीपी ग्रोथ रेट 5.5% ही है।
ये हुए दो बदलाव
1. बेस ईयर : यह हर पांच साल में बदलता है। इससे पहले 2010 में बदला
था। इसे इसलिए बदला जाता है, ताकि आंकड़े मौजूदा वास्तविक मूल्य के करीब
हों। चीन में भी हर पांच साल में बदला जाता है। मौजूदा बेस ईयर 2005 का है।
2. फैक्टर कॉस्ट के बदले मार्केट प्राइस : पहले जीडीपी फैक्टर कॉस्ट
के आधार पर आंकी जाती थी। अब मार्केट प्राइस के आधार पर आंकी जा रही है।
किसी वस्तु को बनाने में जो लागत आती है (कंपनी के मार्जिन समेत) वह फैक्टर
कॉस्ट होती है। जबकि टैक्स आदि जोड़ने के बाद की कीमत मार्केट प्राइस होती
है।
ज्यादातर सेक्टर 7% के ऊपर (आंकड़े सीएसओ के मुताबिक)
वित्तीय सेवाओं, रियल्टी, ट्रेड, ट्रांसपोर्ट, बिजली, गैस समेत कई सेक्टरों में विकास दर 7% से ज्यादा रही है।
खेती की ग्रोथ रेट सबसे कम 1.1%, खनन की 2.3%, कंस्ट्रक्शन की 4.5%और मैन्युफैक्चरिंग की 6.8% रही।
खेती की ग्रोथ रेट सबसे कम 1.1%, खनन की 2.3%, कंस्ट्रक्शन की 4.5%और मैन्युफैक्चरिंग की 6.8% रही।
न निवेश बढ़ा, न मांग फिर ग्रोथ कैसे?
कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद न तो नया निवेश बढ़ रहा और न ही मांग। फिर ये ग्रोथ कैसे हो सकती है। - एसोचैम, उद्योग संघ
हमें नए आंकड़ों को समझने की जरूरत है। पुराने आधार पर इस साल ग्रोथ रेट 5.5% रह सकती है। - रघुराम राजन, आरबीआई गवर्नर
मौजूदा वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 7.4 फीसदी की दर से आगे बढ़ने
की उम्मीद है। यह अनुमान नए बेस ईयर के आधार पर है। इसी आधार पर साल
2013-14 में विकास दर 6.9 फीसदी थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ)
के मुताबिक सितंबर-दिसंबर यानी तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.5
फीसदी रही। दूसरी तिमाही में यह 8.2 फीसदी थी। पहली तिमाही में जीडीपी
ग्रोथ का संशोधित आंकड़ा 6.5 फीसदी था।
नए बेस ईयर के आधार पर आंकड़े पहली बार 30 जनवरी को जारी हुए थे।
उसमें मौजूदा साल में जीडीपी का आकार 106.57 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान
लगाया गया है। पिछले साल यह 99.21 लाख करोड़ रुपए था। नया बेस ईयर 2011-12
है। पहले यह 2004-05 था।
सीएसओ के मुताबिक तीसरी तिमाही में वित्तीय सेवाओं, रियल्टी, ट्रेड,
ट्रांसपोर्ट, बिजली, गैस समेत कई सेक्टरों में विकास दर सात फीसदी से
ज्यादा रही है। खेती की ग्रोथ रेट 1.1 फीसदी, खनन की 2.3 फीसदी,
कंस्ट्रक्शन की 4.5 फीसदी और मैन्युफैक्चरिंग की 6.8 फीसदी रही।
प्रति व्यक्ति आय
प्रति व्यक्ति आय इस साल 74,193 रुपए रहने का अनुमान है। यह पिछले साल के 69,959 रुपए से 6.1 फीसदी ज्यादा है।
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