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01 मार्च 2015

नीरज गुप्ता जार के प्रदेश अध्यक्ष के नाते पुरे राजस्थान के पत्रकारों को इन्साफ दिलाने की लड़ाई में हर सम्भव कोशिशों में जुट गए है

पत्रकारों की समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर संघर्षशील ,,,,युवा तुर्क पत्रकार नीरज गुप्ता जार के प्रदेश अध्यक्ष के नाते पुरे राजस्थान के पत्रकारों को इन्साफ दिलाने की लड़ाई में हर सम्भव कोशिशों में जुट गए है ,,,,,,नीरज गुप्ता ,,आपका साक्षी ,,संचार क्रान्ति ,,दैनिक समाचार पत्रों के प्रकाशक ,,मालिक ,,संपादक है ,,,इनकी प्रेस पर कई छोटे बढ़े दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन यह पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए अपेक्षाकृत रियायती दरों पर निर्धारित समयावधि में करते है ,,,कोटा कॉलेज के छात्र जीवन में ही आपका जुड़ाव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से रहा ,,छात्र जीवन में आंदोलन से जुड़े ,,,,अपने खानदानी व्यवसाय से अलग हठ कर आप पत्रकारिता से जुड़े ,,,सांध्य दैनिक समाचार पत्र फिर सुबह के समाचार पत्रों के प्रकाशन के साथ प्रेस क्लब कोटा का चुनाव लढा ,,वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित होकर नीरज गुप्ता ने पत्रकारों के हक़ के लियें संघर्ष का फैसला लिया ,,,,नीरज जार पत्रकारों की ट्रेड यूनियन संघठन से जुड़े ,,और फिर जार संगठन की लीडरशिप इनके इर्द गिर्द हो गयी ,,राजस्थान के पत्रकारों की समस्याओं के निरकरण के साथ साथ उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कई कार्यशालाएं आयोजित की गई ,,पुरे राजस्थान में सम्मेलन करवाये गए ,,पत्रकारों की आवास ,,प्लाट सुविधा हो ,,बीमा सुविधा हो ,,चिकित्सा सुविधा हो ,,अख़बारों के पंजीयन ,,डिक्लियरेशन ,,प्रकाशन ,,अधिस्वीकरण की समस्या हो सभी समस्याओं में नीरज गुप्ता ने अपनी टीम के साथ मिलकर जार संगठन के माध्यम से उन्हें इन्साफ दिलाने के सफलतम प्रयास किये है ,,,,,कोटा में प्रेस क्लब के अध्यक्ष धीरज गुप्ता इनके अभिन्न मित्र होने से पत्रकारिता राजनीति में नीरज ,,धीरज की जोड़ी मशहूर थी ,, कुछ लोगों ने इस जोड़ी को नज़र लगाकर अपनी रोटियां सेंकने की कोशिश की लेकिन जोड़ी में फेविकोल का जोड़ था इसलिए यह जोड़ी ज़िंदाबाद रही और प्रेस क्लब ने एक बार फिर चुनाव में एक जुट होकर हैटट्रिक लगाई ,,,नीरज गुप्ता प्रेस क्लब कोटा में वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरज गुप्ता अध्यक्ष है जबकि जार में नीरज गुप्ता प्रदेश अध्यक्ष ,,धीरज गुप्ता उपाध्यक्ष है ,,,,यह जोड़ी मिलकर राजस्थान में पत्रकारों के हित संघर्ष में कार्ययोजना तैयार कर उसे क्रियानवित करवाने में जुटे है ,,,,कोटा में हाल ही में नीरज गुप्ता के नेतृत्व में पत्रकारों की एक समफलतम् कार्यशाला आयोजित की गई ,,नीरज गुप्ता अब फिर राज्य स्तरीय कार्यशाला कोटा में आयोजित करने की योजना तैयार कर रहे है ,,,,,,नीरज गुप्ता पुरे दम खम के साथ राजस्थान जार पत्रकार संगठन के अध्यक्ष निर्वाचित हुए है वोह प्रेस क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी है जबकि राजनीति में उनका सीधा दखल होने से पत्रकारों की कल्याणकारी योजनाओं की क्रियान्विति के साथ साथ एकेडमिक कार्यक्रम के भी आयोजन किये जाने की सम्भावनाये बढ़ी है ,,नीरज गुप्ता और पूरी टीम को दिली मुबारकबाद ,,बधाई ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मनोजभट्ट का राजस्थान पुलिस में सिरमौर यानी पुलिस महानिदेशक बनना आमजनता के हक़ में उन्हें न्याय दिलाने की तरफ एक बेहतर और अच्छा क़दम है ,,,

अपराधियों की नब्ज़ समझकर उन्हें नियंत्रित करने में पारंगत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मनोजभट्ट का राजस्थान पुलिस में सिरमौर यानी पुलिस महानिदेशक बनना आमजनता के हक़ में उन्हें न्याय दिलाने की तरफ एक बेहतर और अच्छा क़दम है ,,,,,,,, मनोज भट्ट लगभग सभी प्रमुख ज़िलों और रेंज में पुलिसिंग का कार्य सफलतापूर्वक कर चुके है ,,कोटा से मनोजभट्ट का पुराना नाता रहा है कोटा में मनोजभट्ट के पुलिस अधीक्षक कार्यकाल में विकट परिस्थिति होने के बावजूद भी कामयाब फार्मूला तैयार किया गया था ,,सियासी दबावों के बावजूद भी ,,निजी सुचना तंत्र को मज़बूत कर अधीनस्थ अधिकारीयों और अपराधियों की साठगांठ पर निगरानी ,,अपराधियों की गतिविधियों पर नज़र रखकर उनके खिलाफ छापामार कार्यवाही उनकी अपराध नियंत्रण प्रणाली का प्रमुख हिस्सा है ,,,मनोजभट्ट अपराधियों के अपराध से नफरत करते है और प्रारम्भ में उन्हें सुधरने का अवसर देने के बाद भी नहीं सुधरने पर फिर उस अपराधी की सारी सिफारिशें ,,सारा धन बल ,,बाहुबल की गलतफहमी वोह मिनटों में खत्म करते रहे है ,,,,,मित्रों से मित्रता निभाना ,,क़ानून व्यवस्था का प्रबंधन ,,अपने स्टाफ और अधीनस्थ पुसलिसकर्मियों की कल्याणकारी गतिविधियों का लाभ उनतक पहुंचाना ,,,,,अधीनस्थों की समस्याएं सुनकर समझकर उन्हें इन्साफ दिलाना ,,,उनका मक़सद रहा है ,,उनका फार्मूला है दबाव में ,,थकान में स्टाफ को झुंझलाहट होती है ,,,,स्टाफ से होती है ,,,कार्यगुणवत्ता में भी कमी आती है ,,इसलिए मनोज भट्ट आम लोगों के मानवाधिकारों के संरक्षण के साथ साथ पुलिस स्टाफ के भी अधिकारों का संरक्षण करते है इसीलिए मनोजभट्ट जनता और स्टाफ में लोकप्रिय है ,,,कोटा पुलिस अधीक्षक कार्यकाल के दौरान मनोजभट्ट रोज़ मुझ सहित कई पत्रकारों से फीडबैक लेते थे ,,उन्हें खबरे बताते थे और खबर ब्रीफिंग में रचनात्मक पहलु होते थे ,,,परिवार के संस्कार ने मनोजभट्ट को जनता के प्रति समर्पण का भाव सिखाया है वोह कहते है के पीड़ितों को इंसाफ दिलाना ही उनकी कार्यपूजा है ,,,,वोह सियासत से दूर रहकर सभी सियासी लोगों को अपने सिद्धांतों ,,कर्तव्यों ,,ईमानदारी को जीवित रखकर निभाते है ,,,राजस्थान में पुलिस अधिनियम दो हज़ार सात में लागू हुआ लेकिन पुलिस कल्याण ,,जनता की सुनवाई ,,,समितियों का गठन ,,पुलिस कोष कल्याणकारी प्रभाव ,,,नियामक आयोग ,,पीड़ित पुलिस कर्मियों की सुनवाई मामले में आज तक कोई आयोग ,,समितियां गठित हुई है ,,ट्रांसफर का फार्मूला भी पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत तय नहीं होकर मनमाना है ,,,,लेकिन मनोज भट्ट का इस पद पर सरकार द्वारा चयन करने के बाद सरकार की इस मामले में चिंता दूर हो गयी है और अब राजस्थान की जनता ,,अधीनस्थ स्टाफ को उनसे काफी उम्मीदे बढ़ी है जबकि अपराधियों और अपराधियों से साठगांठ कर आम जनता पर ज़ुल्म ढाने वाले लोगों की अब खेर नहीं है ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भोपाल में बनी है पाकिस्तान जैसी मस्जिद, सोने से लिखी कुरान की आयतें




भोपाल. इबादत में चार चांद। बोहरा समाज की यह मस्जिद करोंद में बनकर तैयार है। इसे मिस्र और यमन की निर्माण शैली में तामीर किया गया है। इंग्लैंड व पाकिस्तान में बोहरा समुदाय की ऐसी ही मस्जिदें हैं।
भोपाल में बनी है पाकिस्तान जैसी मस्जिद, सोने से लिखी कुरान की आयतें
सोने से लिखी कुरान की आयतें
- चार साल में बनी इस इबादतगाह में करीब छह हजार लोग बैठ पाएंगे। इसी महीने धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन तशरीफ लाएंगे तब इसके दरवाजे इबादत के लिए खुल जाएंगे।
- डेढ़ करोड़ में बनी चार मंजिला मस्जिद के दरो-दीवार पर मिस्र और यमन के स्थापत्य की छाप।
- मस्जिद में अत्याधुनिक ऑडियो-वीडियो सिस्टम है। दुनिया के किसी भी कोने से सैयदना साहब की तकरीर के सीधे प्रसारण का इंतजाम।
- सोने से लिखी हैं दीवारों पर कुरान-ए-पाक की आयतें। क्रिस्टल के कई शानदार फानूस।
- मकराना के चमचमाते संगमरमर पर खूबसूरत कलात्मक नक्काशी है।
- दीवारों पर लाइट क्रीम व लेमन कलर इस्तेमाल किया गया है ताकि आंखों को सुकून मिले।

शराब के लिए 150 रु. में किया था बेटी का सौदा, कुएं में मिली बेटियों की लाश


अजमेर. अलवर गेट स्थित नगरा के बारा कोठरी क्षेत्र में रविवार को एक सूखे कुएं में दो मासूम बहनों की दो दिन पुरानी लाश मिलने से सनसनी फैल गई। दोनों बहनों में से एक की उम्र 3 साल और दूसरी की 4 माह है। इस पूरे घटनाक्रम में मां के चेहरे पर शिकन तक नहीं दिखी। क्षेत्रवासियों ने बताया कि इनके पिता ने शराब के लिए 150 रुपए में बड़ी बेटी (उम्र 3 साल) का सौदा किया था। पुलिस ने शक के आधार पर बच्चियों की मां को हिरासत ले लिया है।
कुएं में से निकाले गए कट्‌टे, जिसमें मासूमों के शव थे। इनसेट में मृतक 3 साल की बेटी।
कुएं में से निकाले गए कट्‌टे, जिसमें मासूमों के शव थे। इनसेट में मृतक 3 साल की बेटी।
दोनों बहनों की हत्या करने के बाद शव कट्टे में बंद कर कुएं में फेंके गए थे। कुआं कचरे से अटा पड़ा था, इस वजह से दो दिनों तक किसी की नजर नहीं पड़ी। लाश फूलकर नीली पड़ गई, एक कट्टे में पैर बाहर निकलने के बाद क्षेत्रवासियों की नजर उस पर पड़ी।
मासूम बहनों के पेट से निकली लोहे की नोकदार कीलें, घर में मिले खून के धब्बे
पुलिस ने दोनों लाशों को मशक्कत कर बाहर निकाला। जेएलएन अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाकर शव परिवारजनों को सौंप दिए गए। पोस्टमार्टम में दोनों बच्चियों के पेट से एक जैसी लोहे की नोकदार जंग लगी कीलें निकली हैं। ऐसी ही कीलें उस कमरे से भी बरामद हुई, जहां दोनों बच्चियां अपने मां-बाप के साथ रहती थीं। घर में नाली, बैड व तकिये सहित कई जगह खून के धब्बे भी मिले हैं।
पुलिस ने शक के आधार पर बच्चियों की मां को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक नगरा बारा कोठरी निवासी अरुण सोनी की 4 माह की पुत्री समृद्धि आैर तीन वर्षीय सोनिया की लाश घर से कुछ दूर स्थित सूखे कुएं में पड़ी मिली। एक कट्टे में से छोटी बच्ची समृद्धि के पैर बाहर निकल आए।
दो दिन पहले हुई हत्या
क्षेत्रवासियों की नजर इस पर पड़ी, शोर-शराबा सुनकर मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। सूचना मिलते ही एएसपी (सिटी) प्रवीण जैन, सीआे साउथ एएसपी गौरव यादव, अलवर गेट थानाप्रभारी डीएसपी विक्रम सिंह सहित अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। क्षेत्रवासियों की मदद से दोनों बच्चियों की लाश को बाहर निकाला गया। क्षेत्रवासियों ने पुलिस को बताया कि दोनों बच्चियां पिछले दो दिनों से क्षेत्र में देखी नहीं गई। संभवतया हत्या दो दिन पूर्व की गई है।
शराब के लिए 150 रुपए में किया था बेटी का सौदा
बच्चियों का पिता अरुण उर्फ मल्लाह पेशे से सेल्समैन है। वह एक दिन पूर्व जयपुर गया था। क्षेत्रवासियों ने पुलिस को बताया कि अरुण ने कुछ माह पहले शराब पीने के पैसे जुटाने के लिए बड़ी बेटी सोनिया को एक अन्य शराबी को 150 रुपए में बेच दिया। पड़ोसियों व अन्य क्षेत्रवासियों को भनक लगी तो उन्होंने अरुण व अन्य शराबी की पिटाई की थी। अरुण लंबे समय से तंत्र-मंत्र का भी कार्य करता है। इसके चलते उससे भी पूछताछ की जा रही है।
मानसिक विक्षिप्त है मां
क्षेत्रवासियों ने पुलिस को बताया कि रतना मानसिक विक्षिप्त है। पिछले दिनों उसने दोनों बच्चियों को मारने का प्रयास किया था, लेकिन चीख पुकार सुनकर लोगों ने बचा लिया। इधर, इस पूरे घटनाक्रम के बाद बच्चियों की मां के चेहरे पर थोड़ी सी भी शिकन नहीं दिखी। पुलिस जब वारदात की जानकारी देने उसके घर पहुंची तो दरवाजा बंद मिला। पुलिस ने दरवाजा खुलवाया। शक के आधार पर उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
जल्द सामने होगा कातिल
मृतक बच्चियों में से छोटी की उम्र 4 माह आैर बड़ी बच्ची 3 साल की है। इनकी मां मानसिक रोगी बताई जा रही है। पुलिस ने शक के आधार पर उसे संदिग्ध मानते हुए हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। जल्द ही कातिल सामने होगा। -गौरव यादव, सीआे, साउथ सर्किल

AAP में पड़ी फूट, पार्टी के लोकपाल ने उठाया केजरीवाल पर सवाल


AAP में पड़ी फूट, पार्टी के लोकपाल ने उठाया केजरीवाल पर सवाल
नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी (आप) में कलह बढ़ती जा रही है। पार्टी के आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास ने आप की पीएसी (पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी) के सदस्यों को पत्र लिख कर सवाल उठाया है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल पार्टी के संयोजक पद पर कैसे रह सकते हैं? बता दें कि वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने गुरुवार-शुक्रवार को हुई पीएसी की बैठक में इस मुद्दे को उठाया था।
वरिष्ठ नेताओं में मतभेद, अविश्वास और गुटबाजी बढ़ी
आंतरिक लोकपाल ने चिंता जताई है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में मतभेद, अविश्वास और गुटबाजी बढ़ने की वजह से दो धड़े बन रहे हैं। लोकपाल के मुताबिक यह पार्टी के लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। अपने पत्र में एल रामदास ने इस बात का भी उल्लेख किया है, ''पार्टी के संस्थापक सदस्य भूषण उम्मीदवारों के चयन और उम्मीदवारों को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।''
ब्वॉयज क्लब बनाना चाहते हैं केजरीवाल?
लोकपाल ने पूछा, ब्वॉयज क्लब बनाना चाहते हैं?
आप के आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास ने अपनी चिट्ठी में दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल में किसी महिला सदस्य को शामिल न करने के फैसले पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि क्या वह आप को बनाना चाहते हैं। ऐसे में इस संबंध में उठ रहे सवालों का जवाब देना मुश्किल हो सकता है।
योगेंद्र यादव को निकाले जाने की तैयारी?
कहा जा रहा है कि आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी में बड़े फैसलों को लेकर आपसी सहमति नहीं बन पा रही है जिससे पार्टी दो गुटों में बंट जा रही है। पार्टी के लोकपाल का यह पत्र तब सामने आया है जब पिछले दिनों यह खबर आई थी कि आप के 17 नेताओं ने अरविंद केजरीवाल को पीएसी को फिर से गठित करने का अधिकार दिया है जिससे योगेंद्र यादव को निकाले जाने की तैयारी चल रही है। बता दें कि दिल्ली चुनावों के बाद बीते गुरुवार और शुक्रवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अरविंद केजरीवाल को फिर से पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक चुना गया था। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, कार्यकारिणी की बैठक में कुछ नेताओं के साथ योगेंद्र यादव की बहस भी हुई थी। कुछ 'आप' नेताओं ने दिल्ली चुनाव में योगेंद्र यादव की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए थे। कार्यकारिणी ने केजरीवाल को नई पीएसी के गठन के लिए भी अधिकृत कर दिया है।
पार्टी ने नहीं दिया जवाब, योगेंद्र यादव ने नकारे मतभेद
आप के वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद पर हालांकि पार्टी की ओर से अभी तक बयान नहीं आया है लेकिन आप नेता योगेंद्र यादव ने मतभेद की बात को नकार दिया है। पीएसी में खारिज किया जा चुका है योगेंद्र को केजरीवाल की जगह लाने का प्रस्ताव आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय संयोजक पद से हटने का प्रस्ताव रखा गया था, जो खारिज हो गया था। प्रशांत भूषण ने प्रस्ताव रखा था कि सरकार में अरविंद केजरीवाल को बहुत काम रहेगा, इसलिए योगेंद्र यादव को राष्ट्रीय संयोजक बनाया जाए। इस प्रस्ताव को भी एकमत से खारिज कर दिया गया था।

18 साल के होते ही घर पहुंच जाएगा वोटर कार्ड, ऑनलाइन ही बदल सकेंगे फोन नंबर और पता




18 साल के होते ही घर पहुंच जाएगा वोटर कार्ड, ऑनलाइन ही बदल सकेंगे फोन नंबर और पता
रायपुर. देश में युवा जैसे ही 18 साल के होंगे, उनका नाम खुद ही उनके इलाके की वोटर लिस्ट में जुड़ जाएगा। इसके बाद वोटर कार्ड उनके घर भी पहुंच जाएगा। इसके लिए न तो बूथ जाना पड़ेगा और न ही निर्वाचन दफ्तर के चक्कर लगाने होंगे।
वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए फॉर्म भी नहीं भरना पड़ेगा। यह आधार कार्ड के जरिए होगा। केंद्रीय निर्वाचन आयोग आधार कार्ड को वोटर लिस्ट से लिंक करने का सिस्टम बना रहा है। यह 15 अगस्त तक बनकर तैयार हो जाएगा।
ऑनलाइन ही बदलवा सकेंगे फोन नंबर और पता
आधार कार्ड में दिया आपका फोन नंबर या पता बदल गया है तो उसे बदलवाने के लिए यूआईडीएआई की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। इस सिस्टम में सबसे पहले उन लोगों के नाम जोड़े जाएंगे, जिनके आधार कार्ड बन चुके हैं। 15 अगस्त के बाद जैसे ही किसी का आधार कार्ड बनेगा, वह खुद ही आयोग के सिस्टम से लिंक हो जाएगा। सारे झंझट खत्म।
ऐसे जुड़ेगा नाम
>कम उम्र के बच्चे जिनका आधार कार्ड बना हुआ है, 18 साल के होते ही वे वोटर लिस्ट में आ जाएंगे।
>उन्हें मोबाइल पर इसका कन्फर्मेशन मैसेज मिल जाएगा।
तेलंगाना से निकला आइडिया
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से सलाह ली थी। तेलंगाना के निजामाबाद जिले और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम ने प्रेजेंटेशन दिया। इसमें वोटर लिस्ट और उसकी स्क्रूटनी को आधार कार्ड के जरिए करने का सुझाव था। आयोग ने इस कॉन्सेप्ट को लिया। यूआईडीएआई इस प्रोजेक्ट में मदद कर रहा हैं।

बीजेपी नेता सिन्हा बोले- BUDGET से हुई निराशा,


नई दिल्ली: अरुण जेटली ने शनिवार को एनडीए सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश किया। जानकार मानते हैं कि बजट में आम आदमी के लिए कुछ भी खास नहीं है, हालांकि सरकार ने गरीबों के करीब दिखने की कोशिश की है। इसके अलावा, कॉरपोरेट को भी राहत देने की कोशिश की गई है। बजट पर राजनीतिक दलों से लेकर एक्सपर्ट्स तक की राय बंटी हुई है। फायनेंस और अर्थव्यवस्था से जुड़े छह एक्सपर्ट्स ने अपनी राय हमसे शेयर की है। पढ़ें...
फाइल फोटो: यशवंत सिन्हा
फाइल फोटो: यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा (पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी नेता)
भारत जैसे देश में बजट बनाना जटिल प्रक्रिया होती है, इसलिए इसे जांचने के मानदंड कई होते हैं। मेरे लिए तो आंकड़ों का गणित सबसे पहले हैं। प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री के बयान देखकर यह अपेक्षा थी कि वित्तीय घाटे का लक्ष्य प्रमुख होगा। हालांकि, वित्त मंत्री ने इसे अगले दो से तीन साल तक फैला दिया है। ऐसे में अगले साल तक वित्तीय घाटा 20 बेसिस पॉइंट और राजस्व घाटा 10 बेसिस पॉइंट से ही कम होगा। वित्तीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन अधिनियम के लेखक के रूप में मुझे थोड़ी निराशा हुई है।
जहां तक टैक्स से पैसा जुटाने की बात है, वित्त मंत्री ने ज्यादा साहस नहीं दिखाया है। बजट अनुमानों को पुनरीक्षित अनुमानों तक ही सीमित रखा गया है, लेकिन खर्च के मोर्चे पर कुछ रोचक आंकड़े दिखाई देते हैं। वित्त मंत्री ने केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 से बढ़ाकर 42 फीसदी करने को कहा था, जिसे चतुराई से मैनेज किया गया है। राज्यों का हिस्सा अब से लेकर अगले साल तक 1.36 लाख करोड़ बढ़ गया है। इसी के साथ राज्यों को केंद्र से मिलने वाली आयोजना मदद 3,38,000 करोड़ से घटकर 2,05,000 करोड़ कर दी गई है है। मोटे तौर पर 1,34,000 करोड़ की कमी। इस तरह राज्यों को दिए अतिरिक्त संसाधन 2014-15 तक 64,000 करोड़ रहेंगे। खर्च के मोर्चे पर मुझे अपेक्षा थी कि वित्त मंत्री खर्च प्रबंधन आयोग की रिपोर्ट, खाद्य प्रबंधन पर शांताकुमार कमेटी की रिपोर्ट और केंद्रीय व केंद्र द्वारा आयोजित योजनाओं को तर्कसंगत बनाने पर तवज्जों देंगे, पर उसके लिए हमें इंतजार करना होगा।
बजट का दूसरा पहलू यह होता है कि इसमें वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए क्या है? इस बजट में ऐसी बहुत-सी बातें हैं। आधारभूत ढांचे के विकास पर काफी जोर दिया गया है। 70,000 करोड़ रुपए का आवंटन, सालाना 20,000 करोड़ की राष्ट्रीय निवेश व आधारभूत ढांचा निधि, रेल, रोड और सिंचाई क्षेत्र के लिए कर मुक्त बांड, पीपीपी मोड को पुनर्जीवन, नई कंपनियों को मदद देने के लिए इंक्यूबेशन सेंटर, बंदरगाहों का कॉर्पोरेटाइजेशन, अटल इनोवेशन मिशन, आईटी इंडस्ट्री को रियायतें, बिजनेस करने में आसानी के उपाय, सोने संबंधी उपायों से मिलने वाले संसाधन और कौशल विकास कार्यक्रमों से इस क्षेत्र को वह प्रोत्साहन मिलेगा, जिसकी उसे लंबे समय से दरकार थी। हालांकि, काश वित्त मंत्री आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लेखित आधारभूत ढांचे संबंधी अटके पड़े प्रोजेक्ट पर कुछ कहते। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को सिर्फ 5,300 करोड़ रुपए की राशि दिए जाने से भी मुझे थोड़ी निराशा हुई है। यह खेल बदलने वाला विचार है। इसे ज्यादा ध्यान व अधिक आवंटन दिए जाने की जरूरत थी।

तीसरा पहलू अाजीविका से जुड़ा है। मनरेगा में आमूल सुधार किए बिना, खासतौर पर लोकसभा में इसे लेकर प्रधानमंत्री के बयान के बाद इसे आवंटन देने का कुछ मतलब नहीं है। बेशक, कौशल विकास और आर्थिक वृद्धि से बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होगा। अब जहां तक जीवन की गुणवत्ता का सवाल है तो बजट में 2022 के विज़न का समावेश किया गया है। बेहतर होता कि 2015-16 का अलग से उल्लेख किया जाता। दूर के लक्ष्य हमेशा ही कम विश्वसनीय होता है। सामाजिक क्षेत्र के मोर्चे पर बजट बहुत मजबूत है और यह जन-धन से जन सुरक्षा पर होता हुआ सभी भारतीयों के लिए काम करने वाले सामाजिक सुरक्षा सिस्टम की बात करता है।
करों के संबंध में आयकर की दरों में कोई बदलाव ने होना निराशाजनक है। आयकर छूट की सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख कर देते, तो बेहतर होता। यह रियायत कॉर्पोरेट टैक्स में जो 5 फीसदी की कमी की गई है, उसे लोगों में स्वीकार्य बना देती। आवास क्षेत्र को और बढ़ावा मिलता, यदि ब्याज पर आयकर रियायत सीमा को दो लाख से बढ़ाकर ढाई लाख कर दिया जाता।
काले धन पर लगाम लगाने के उपायों की लंबे समय से जरूरत थी। उनका स्वागत है। मुझे अब भी लगता है कि प्रत्यक्ष कर संहिता की जरूरत है और इसे खारिज नहीं किया जाना चाहिए।
वित्त मंत्री ने 1 अप्रैल 2016 से सामान व सेवा कर संहिता (जीएसटी) को लागू करने का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य ले लिया है। इसके लिए केंद्र के साथ राज्य सरकारों को भी तेजी दिखानी होगी पर सेवा कर व केंद्रीय उत्पाद शुल्क में भिन्न दरें बहुत सहायक नहीं हैं। कुल-मिलाकर रेल बजट की तरह अाम बजट भी विज़न डाक्यूमेंट है। कमाल तो तब होगा, जब इस विज़न में जान फूंककर उसे अमल में लाया जाएगा।
ऐसा क्यों
कर में राहत से क्या होता?
- व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ने से कॉर्पोरेट टैक्स में 5 फीसदी की कमी लोगों को स्वीकार हो जाती।

क़ुरआन का सन्देश

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