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04 मार्च 2015

नहीं हूँ मै बुद्ध


नहीं हूँ मै बुद्ध
युद्ध सर्वग्राही सा
अति घातक
चल रहा लगातार
इंसानियत के खिलाफ
स्थान व समय बदलते रहते
कभी पड़ जाता है कुछ धीमा
और कभी हो जाता है तेज, बहुत तेज
मोरचे कई हैं इसके, कई हैं प्रकार
बदलता रहता है इसका आकार
सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग
पा न सके पार
कभी लंका, कभी कुरुक्षेत्र ,कभी योरोप तो कभी अफगानिस्तान में
कभी देव, कभी असुर, कभी हिटलर, तो कभी पकिस्तान से
परन्तु अजीब विडंवना है कि
युद्ध लड़ते हैं लोग सब
शान्ति के ही नाम पर
और सच्चाई यह है कि
किसी भी युद्ध व हिंसा के मूल में है
इंसान का नितांत निजी स्वार्थ
भले ही दें वो कोई भी कारण, आदर्श या विचारधारा
इंसानियत के दुश्मन
चाहते हैं पाना
दूसरों की कीमत पर दूसरों की हानि पर
इंसानियत के वास्ते
ढूंढना ही होगा और करना ही होगा न्यूट्रेलाइज़ इन्हें
परन्तु प्रश्न यह है कि इन्हें ढूंढें कैसे ?
और फिर इंसानियत के दुश्मन
कहाँ नहीं हैं
हिंसा व युद्ध
किसी नस्ल, रंग जाति व पंथ की
बपौती नहीं होती
देश व काल की सीमाओं से
सीमित नहीं होती
परन्तु ठहरिये
कहाँ हैं ये दुश्मन
कहीं ऐसा तो नहीं
कि जिसे हम ढूंढते हैं बह्मांड में
मिल जाए वो पिंड में
भस्मासुर छिपा हो हम सब ही में
इंसानियत का दुश्मन
यकीनन है
खुद अपने ही अन्दर का इंसान,
मुकाबला हमसे ही है हमारा
पक्ष व प्रतिपक्ष दोनों हैं
बराबर के सबल और सक्षम
मुकाबला बराबरी का है
हम में ही छिपा है
हम जैसा
शातिर इंसान
मुखौटे लगाता है मुखौटों के ऊपर
लबादे पहनाता है लबादों के ऊपर
बनाए है भेष नाना प्रकार
दिखाता है भाँति भांति के करतब
स्थापित करता ही रहता है नित नए
किस्म किस्म के भगवान
देता ही रहता है धोखा सब को
हर तरह से, हर तरफ़ से
और सच्चाई यह भी है
कि नहीं हैं हम
सर्वथा अनजान
सबको है उसका
कुछ - कुछ तो भान
और यह भी तो सही है
कि हम जानकार भी पहिचानना ही नहीं चाहते
पहिचान लेने पर
तो करना ही होगा उससे खुलकर युद्ध
अजीब है उलझन
खुद से ही कैसे लड़ा जाए युद्ध
कैसे अलग हो
खुद से खुद का ही वजूद
फिर अपनी कमजोरियों से है मेरा लगाव भी तो है
नहीं करना है दुर्गम रास्तों का सफ़र
ख़तरनाक यात्रा
दुस्सह पथ
नहीं जाना अपने कोजी राजमहल से बाहर
नहीं चाहिए मुझे
आत्म ज्ञान और विवेक
नहीं हूँ मैं बुद्ध.
- शेखर

पिता के साथ खेत में ट्रैक्टर चलाकर निकाला पढ़ाई का खर्च, अब बस चलाती है ये लड़की




कैथल। अबतक बस ड्राइविंग पुरूषों के ही पैसे कमाने का एक जरिया माने जाती थी। लेकिन अब महिलाओं ने इस लाइन में भी अपने दम पर ऐंट्री मार दी है। हरियाणा के कैथल की रहने वाली पूजा उन लोगों के लिए मिसाल बन गई है, जो यह मानते थे कि बस ड्राइविंग सिर्फ पुरूषों का ही काम है।
हरियाणा के जींद की पूजा जो बस चलाती हैं
हरियाणा के जींद की पूजा जो बस चलाती हैं
पूजा, जो पिता के साथ खेत में काम करती हैं। ट्रैक्टर चलाती हैं। इतना ही नही, अब उन्होंने गांव से 6 किमी. दूर जाकर बस चलाना भी सीख लिया है। अगर माता-पिता साथ हों तो किसी के ताने की परवाह नहीं। इसी कारण आज ड्राइविंग स्कूल में बस चलाना सीख रही हूं। यह कहना है आईजी कॉलेज में बीएससी फाइनल की छात्रा पूजा देवी का।

गांव चंदाना निवासी पूजा सुबह कॉलेज में पढ़ने के लिए आती है। पढ़ाई के बाद अपने पिता इंद्र सिंह के साथ छह किलोमीटर दूर ड्राइविंग सीखने पहुंच जाती है। पूजा कहती हैं परिवार में एक भाई तीन बहन हैं। बड़ी होने के कारण पिता के साथ खेती में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। इसी दौरान ट्रैक्टर चलाना भी सीख लिया। अब वह खेतों में जुताई करके अपने कॉलेज की फीस का खर्च निकाल लेती है।दादी भानी देवी कहती हैं कि 'मुझे अपनी सबसे बड़ी पोती पर गर्व है। जब बस चलाना सीखने की बात सामने आई तब पहले तो हैरानी हुई, लेकिन जब पूजा को बस चलाते देखा तो बहुत खुशी हुई। दादी के अनुसार पूजा में पटरी से हटकर कुछ करने का जज्बा साफ दिखाई देता है। पूजा की दादी के अनुसार जिन लड़कियों को घर से बाहर नही निकलने दिया जाता उनमें भी पूजा जितनी ही काबीलियत है, जरूरत है तो सिर्फ उन्हें एक मौका देने की। दादी भानी देवी नें कहा कि पूजा से लड़कियों को सीख लेनी चाहिए।

अब दिलीप संघवी बने सबसे अमीर भारतीय, मुकेश अंबानी दूसरे नंबर पर खिसके


मुंबई। फार्मा क्षेत्र के दिग्गज दिलीप संघवी अब देश में सबसे अमीर उद्योगपति हो गए हैं। उनकी नेटवर्थ 21.5 अरब डॉलर (करीब 1.34 लाख करोड़ रु.) बताई गई है। उन्होंने मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया है। उनकी नेटवर्थ 21 अरब डॉलर (लगभग 1.30 लाख करोड़ रु.) है। बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने दो दिन पहले ही देश के अमीरों की सालाना फेहरिस्त जारी की है।
दिलीप सांघवी।
दिलीप सांघवी।
इसके 'रियल टाइम' अपडेट के मुताबिक, विप्रो के अजीम प्रेमजी तीसरे स्थान पर हैं। फोर्ब्स की सूची में इससे पहले लगातार आठ साल तक मुकेश अंबानी नंबर एक पर रह चुके हैं। दुनिया के अमीरों की सूची में संघवी 37वीं पायदान पर पहुंच गए हैं। वहीं मुकेश अंबानी फिसल कर 43वें स्थान पर आ गए हैं।
ये है दुनिया के टॉप टेन अमीरों की लिस्ट
रैंक नाम नेटवर्थ(डॉलर में)
1 बिल गेट्स 79.2 अरब
2 कार्लोस स्लिम 74.4 अरब
3 वारेन बफेट 71.2 अरब
4 अमानिको ओर्टेगा 65.5 अरब
5 लैरी एलिसन 53.7 अरब
6 चार्ल्स कोच 43.1 अरब
6 डेविड कोच 43.1 अरब
8 लिलियन बेटनकोर्ट 41.1 अरब
9 क्रिस्टी वाल्टन 40.7 अरब
10 जिम वाल्टन 39.3 अरबअब तक देश के सबसे अमीर आदमी रहे मुकेश अंबानी को इस बार लिस्ट में दूसरे नंबर पर खिसक गए हैं। ओवरऑल लिस्ट में मुकेश 42 नंबर हैं। उनकी नेटवर्थ 21 अरब डॉलर (लगभग 1.30 लाख करोड़ रु.) है। 2014 में मुकेश अंबानी की नेटवर्थ 23.6 अरब डॉलर थी। 13 अप्रैल, 1957 को जन्में मुकेश अंबानी ने 1981 में रिलायंस का काम संभाला था। इस वक्त वे रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर और कंपनी के सबसे बड़े शेयर धारक हैं। उनकी कंपनी की जामनगर गुजरात में बुनियादी स्तर की विश्व की सबसे बड़ी पेट्रोलियम रिफाइनरी है। मुकेश इंडियन प्रीमियर लीग की टीम मुंबई इंडियंस के मालिक भी हैं। आईटी कंपनी विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन अजीम प्रेमजी फोर्ब्स की इस सूची में तीसरे स्थान पर हैं। 1999 से 2005 तक देश के सबसे अमीर व्यक्ति रह चुके प्रेमजी पिछले साल भी तीसरे स्थान पर थे। 69 साल के प्रेमजी की नेटवर्थ 19.1 अरब डॉलर (लगभग 1.18 लाख करोड़ रुपए) है। विप्रो के दुनियाभर में एक लाख तीस हजार कर्मचारी हैं और इसकी 54 देशों में शाखाएं हैं। विप्रो का मुख्यालय बैंगलोर में है। अजीम प्रेमजी का जन्म मुंबई के एक गुजराती मुस्लिम परिवार में 24 जुलाई 1945 को हुआ था। मुकेश अंबानी की तरह प्रेमजी को भी अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी थी। जब उनके पिता एमएच प्रेमजी का 1966 में निधन हो गया था। उस समय अजीम प्रेमजी की उम्र महज 21 साल थी। अजीम प्रेमजी ने जब कारोबार संभाला उस समय उनकी कंपनी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट कंपनी हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल आयल बनाती थी। बाद में साबुन तेल बनाने वाली वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल ने विप्रो का रूप लिया और विभिन्न उत्पादों के साथ ही आईटी क्षेत्र में खास मुकाम बनाया। 2005 में अजीम प्रेमजी को सामाजिक कार्यों में सराहनीय योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। अजीम प्रेमजी के परिवार में पत्नी यास्मिन और दो बच्चे रिषाद और तारिक हैं. रिषाद विप्रो में ही कार्यरत हैं। प्रेमजी की संस्था ‘दि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ गरीब बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने में योगदान देती है।शिव नाडर- शिव नाडार एचसीएल टेक्नॉलोजीज के अध्यक्ष एवं प्रमुख रणनीति अधिकारी हैं। सबसे अमीर भारतीय उद्योगपतियों में उनका स्थान चौथे नंबर पर है। इनका नेटवर्थ 15.1 अरब डॉलर है। नाडर पिछले साल इस लिस्ट में सातवें स्थान पर थे।

हमे एक बार

हमे एक बार
सिर्फ एक बार
गले लगाकर तो देखो
हम में खोकर
सब कुछ भुलाकर तो देखो
यक़ीनन तुम्हे हमसे
दीवानगी से भी ज़्यादा
मोहब्बत हो जायेगी ,,,अख्तर

यह शक शुबह

यह शक शुबह
अगर, मगर, लेकिन ,परन्तु
वायदे ,,बहाने ,,नखरे ,,अंदाज़ ,
तुम्हारा इतराना ,,इठलाना
वायदों से मुकरना
बेवजह यूँ ही झगड़ना
कभी जान से भी ज़्यादा
हम पर टूट कर बिखरना
कभी तड़पा तड़पा कर हमे बिखेरना
कभी रूठ जाना
कभी मान जाना
कभी हमे समझाना
कभी हमे मनाना
कभी हमारे पास आना
कभी हमसे दूर जाना
तुम्हारा हर अंदाज़ प्यारा सा लगता है
तुम्हारा प्यार लाजवाब सा लगता है
देखो तुम्हारी बद्तमीज़िया
तुम्हारी बेहूदगियाँ खतरनाक है फिर भी
तुम्हारे बिना सब कुछ अधूरा सबकुछ सूना लगता है ,
लोग पूंछते है कोन है वोह
में कहता हूँ तुम हो तुम हो ,,,,,अख्तर

क़ुरआन का सन्देश

 
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