भाजपा सरकार अटूट बहुमत से जीतने के बाद भी अकेले राहुल गांधी से डरी हुई
है ,,,,हालत यह है के विदेशों में जो भाजपा के मंत्री ,,प्रधानमंत्री गुल
खिला रहे है उनकी पोल खुलने के डर से अब वोह राहुल गांधी की गैर क़ानूनी
,,,गैर संवेधानिक रूप से जासूसी करवा रहे है ,,वोह भी इतना बेवकूफाना तरीका
साबित हुआ के पोल खुल गई ,,,सभी जानते है के राहुल गांधी पासपोर्ट से बाहर
गए है ,,,सरकार के पास पासपोर्ट है ,,नंबर है ,,एयरपोर्ट पर सभी उड़ानों की
जानकारी होती है ,,सरकार को पता है के राहुल गांधी कहा
है ,,लेकिन सरकार को जहाँ तक उनकी उड़ान थी वहां जब राहुल गांधी के बारे
में पता नहीं चला तो सरकार बोखला गयी ,,सरकार की जो विदेशों में सरकार में
नुमाइंदे कमज़ोरियाँ छोड़कर आये है वोह जनता के सामने ना आजाये इस डर से
राहुल गांधी की छानबीन होने लगी ,,,हुलिये की छानबीन होना इस बात का सुबूत
है के सरकार को शक है कहीं राहुल गांधी हुलिया बदल कर सरकार की जन विरोधी
कारगुज़ारियों के जासूसी तो नहीं कर रहे ,,इसीलिए तो सरकार ने ऐसा किया
,,,लेकिन वोह भी बचकाने तरीके से अब ,,,,देखिये सरकार का निकम्मापन जो
सरकार किसी की जासूसी भी सही ढंग से नहीं कर सकती ,,,अख्तर
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 मार्च 2015
50 लाख लीटर पानी से भी नहीं भर सका ये छोटा सा घडा़, वैज्ञानिक भी हैरान
पाली। राजस्थान के पाली जिले
में एक बार फिर सैकड़ों साल पुराना इतिहास और चमत्कार दोहराया गया। आधा
फीट गहरा और इतना ही चौड़ा घड़ा श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खोला गया।
करीब 800 साल से लगातार साल में केवल दो बार ये घड़ा सामने लाया जाता है।
अब तक इसमें 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है। इसको लेकर मान्यता
है कि इसमें कितना भी पानी डाला जाए, ये कभी भरता नहीं है। ऐसी भी मान्यता
है कि इसका पानी राक्षस पीता है, जिसके चलते ये पानी से कभी नहीं भर पाता
है। दिलचस्प है कि वैज्ञानिक भी अब तक इसका कारण नहीं पता कर पाए हैं।
मंदिर के अंदर स्थापित घड़े में पानी भरते लोग
गांव की करीब 800 से ज्यादा महिलाओं ने शुक्रवार को 12 लीटर से ज्यादा
क्षमता के कलश का पानी इस घडे में डाला। करीब दो घंटे से ज्यादा देर तक ये
सिलसिला चलता रहा। लोग पानी डालने के लिए लाइन में लगे रहे। हालांकि, 10
हजार लीटर से ज्यादा पानी डालने के बाद भी घड़ा नहीं भर सका। वहां मौजूद ये
देखकर हैरान हो गए।
वैज्ञानिकों को भी नही पता कहां जाता है पानी
दिलचस्प है कि इस घड़े को लेकर वैज्ञानिक स्तर पर कई शोध हो चुके हैं,
मगर भरने वाला पानी कहां जाता है, यह कोई पता नहीं लगा पाया है। इसके बाद
पुजारी ने प्रचलित मान्यता के तहत माता के चरणों से लगाकर दूध का भोग
चढ़ाया तो घड़ा पूरा भर गया।
साल में दो बार हटता है पत्थर
ग्रामीणों के अनुसार करीब 800 साल से गांव में यह परंपरा चल रही है।
घड़े से पत्थर साल में दो बार हटाया जाता है। पहला शीतला सप्तमी पर और
दूसरा ज्येष्ठ माह की पूनम पर। दोनों मौकों पर गांव की महिलाएं इसमें कलश
भर-भरकर पानी डालती हैं। फिर अंत में दूध का भोग लगाकर इसे बंद कर दिया
जाता है। इन दोनों दिन गांव में मेला भी लगता है।ऐसी मान्यता है कि आज से आठ सौ साल पूर्व बाबरा नाम का राक्षस था। इस
राक्षस के आतंक से ग्रामीण परेशान थे। यह राक्षस ब्राह्मणों के घर में जब
भी किसी की शादी होती तो दूल्हे को मार देता। तब ब्राह्मणों ने शीतला माता
की तपस्या की। इसके बाद शीतला माता गांव के एक ब्राह्मण के सपने में आई।
उसने बताया कि जब उसकी बेटी की शादी होगी तब वह राक्षस को मार देगी। शादी
के समय शीतला माता एक छोटी कन्या के रूप में मौजूद थी। वहां माता ने अपने
घुटनों से राक्षस को दबोचकर उसका प्राणांत किया। इस दौरान राक्षस ने शीतला
माता से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे प्यास ज्यादा लगती है। इसलिए साल में
दो बार उसे पानी पिलाना होगा। शीतला माता ने उसे यह वरदान दे दिया। तभी से
यह मेला भरता है।
नाडोल रियासत से करीब 154 साल पहले आए तीन सौ सगरवंशीय माली समाज के
लोगों ने भगवान भैरव की प्रसन्नता के लिए मूसल गेर की शुरुआत की थी। यह
परंपरा आज भी कायम है। गेर दल के सदस्य इसमें मूसल लेकर नृत्य करते हैं।
गेर में साथ चल रही महिलाएं भी हाथ में डंडे लेकर इनके पीछे भागती हैं।
इनका उद्देश्य सिर्फ अपने इष्टदेव की प्रसन्नता के साथ मनोरंजन करना होता
है। इस गेर के संचालन के लिए जोधपुर रियासत से चार दशक पहले तक अनुदान भी
मिलता था, जो अब बंद हो गया। गेर का संचालन भी मात्र 40 परिवारों के पास
है।
हुज़ूर स अ व पैगम्बर मोहम्मद साहब की सीरत पर एक रोज़ा अज़ीमुश्शान जलसा इतवार की शाम
हुज़ूर स अ व पैगम्बर मोहम्मद साहब की सीरत पर एक रोज़ा अज़ीमुश्शान जलसा
इतवार की शाम बाद नमाज़े ईशा पुरानी सब्ज़ी मंडी कोटा हजीरे वाले बाबा क्लॉथ
मार्केट के पास होगा ,,जलसे में हिन्दुस्तान के मशहूर आलिम और नातख्वाह
अपना कलाम पेश करेंगे ,,,,,,,,मौलाना फज़ले हक़ क़ादरी की सरपरस्ती में आयोजित
होने वाले इस जलसे की शुरुआत के लिए आज जलसे के बनाये गए मंच पर अमन और
ईमान के पैगाम के परचम के साथ कार्यक्रम का बिगुल बजाय गया ,,,,झंडा
कार्यक्रम में मौलाना फज़ले हक़ क़ादरी ,,,,नियाज़ भाई उर्फ़ निक्कू ,,,मोहम्मद
मिया ,,ज़ाकिर भाई ठेकेदार ,,,,,,,एजाज़ भाई अज्जु ,,जमील क़ादरी ,,पार्षद
मोहम्मद हुसेन ,,अख्तर खान अकेला ,,अब्दुल रशीद क़ादरी ,,तबरेज़ पठान ,,,रैईस
खान ,,,दानिश खान ,,,सहित कई लोग उपस्थित थे ,,,, मौलाना फज़ले हक़ ने
पन्द्राह मार्च इतवार को इस अज़ीमुश्शान जलसे में सभी लोगों से पहुंचने की
अपील की है ,अख्तर
भारत में रोज बिकता है 61 लाख किलो गौमांस, पाकिस्तान तक होती है तस्करी
मुंबई/नई दिल्ली. 19
साल लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार महाराष्ट्र सरकार गौवंश हत्या पर पूरी तरह
से प्रतिबंध लगाने में कामयाब हुई। राज्य में गौ हत्या 1976 से प्रतिबंधित
है, अब बैल-बछड़े की हत्या भी गैरकानूनी है। इस तरह देश के 29 राज्यों में
से 24 में गौहत्या पर प्रतिबंध है। लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट दूसरा पहलू उजागर
करतीं हैं। झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब में
प्रतिबंध के बावजूद गायों की हत्या की जा रही है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,
गुजरात और राजस्थान में गायों की हत्या के मामले तो सामने नहीं आए हैं,
लेकिन यहां गौ-तस्करी होती रहती है। बिहार में गौवंश हत्या प्रतिबंधित नहीं
है, लेकिन यहां गैर-लाइसेंसी बूचड़खानों में अवैध गौहत्या होती है।
पाकिस्तान के एक प्रतिनिधिमंडल के अनुसार पाकिस्तान में कटने वाले 70 फीसदी
पशु भारत से ही आते हैं।
हालात यह हैं कि बीते चार साल में भारत में बीफ यानी गाैवंश और भैंस
के मीट की खपत में करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2011 में बीफ की खपत
20.4 लाख टन थी, जो 2014 में बढ़कर 22.5 लाख टन हो गई है। इसके विपरीत
पशुगणना के अनुसार देश में गौवंश की संख्या में 2007 के मुकाबले 2012 में
4.1 प्रतिशत की कमी आई है। इसमें भी देशी गौवंश की संख्या में करीब 9
प्रतिशत की कमी आई है। इस दौरान नर भैंसों की संख्या में 18 प्रतिशत की कमी
दर्ज की गई है। वहीं, हरियाणा सरकार विधानसभा के चालू बजट
सत्र में ऐसा कानून लाने जा रही है जिसमें गौहत्या करने वाले व्यक्ति को
दस साल की सजा का प्रावधान होगा। भारत ने पिछले वर्ष 19.5 लाख टन बीफ का
निर्यात किया। भारत बीफ निर्यात में विश्व में नंबर 2 पर है। पिछले छह
महीने में बीफ निर्यात में 15.58 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
राज्यसभा की कमेटी ऑन पिटिशन्स में जैनाचार्य संत विजय रत्नसुंदर सूरीश्वर महाराज ने बीफ निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग करते हुए मीट एक्सपोर्ट पॉलिसी के खिलाफ रिव्यू पिटीशन लगाई थी। उन्होंने तर्क रखा कि भारतीय कानून के मुताबिक जवान और स्वस्थ पशुओं काे बूचड़खाने में कत्ल नहीं किया जा सकता है। भारत से जिन देशों को बीफ निर्यात किया जाता है, वहां जवान और स्वस्थ पशुओं का आयात ही मंजूर होता है। ऐसे में या तो भारत में कानून का उल्लंघन हो रहा है या दूसरे देशों में। जैन संत के अनुसार, सिर्फ बांग्लादेश सीमा पर ही 20 हजार गौवंश की प्रतिदिन तस्करी होती है।
विहिप का रोजाना 50 हजार गायों की हत्या का दावा
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय गौ रक्षा प्रमुख खेमचंद शर्मा दावा करते हैं कि देश में प्रतिदिन 20 से 25 हजार गाय या गौवंश पकड़ा जा रहा है जबकि 50 हजार गायों की रोजाना हत्या की जा रही है। दूध उत्पादन पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। नेशनल कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुभाष चंद्र माण्डगे बताते हैं कि देश में वर्ष 2013-14 तक 13.75 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ। वर्ष 2021-22 तक इसे 20 करोड़ टन प्रतिवर्ष पहुंचाना है। दुधारू पशुओं की हत्या के कारण यह लक्ष्य हासिल करना कठिन हो रहा है। दुधारू पशुओं की हत्या से देश में प्रतिदिन 80 से 85 लाख लीटर दूध की क्षति हो रही है। इसमें 30 से 35% हिस्सेदारी गाय के दूध की होती है।
राज्यसभा में महाराष्ट्र में गौवंश हत्या पर रोक का विरोध तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने किया। उन्होंने कहा कि गौवंश के मांस पर प्रतिबंध लगाना संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ है। देश में ईसाई, मुसलमान, हिंदू दलित समुदाय सहित पूर्वोत्तर भारत में यह खाया जाता है। सार्वजनिक रूप से नहीं तो घर में तो खाने की छूट मिलना ही चाहिए। आतंकवादी गतिविधियों और सेक्सुअल हरासमेंट की सजा से अधिक गौवंश का मांस रखने पर है। यह गलत है।
दूसरी जाति की लड़की से प्यार किया तो लड़के को नंगा कर गधे पर घुमाया
नासिक. महाराष्ट्र
के अहमदनगर जिले के वामबोरी गांव में दूसरी जाति की लड़की से प्यार करना
एक 18 साल के शख्स को बहुत भारी पड़ा। गांव के लोगों ने प्यार करने वाले
शख्स के कपड़े उतरवा लिए। इसके बाद उसे एक गधे पर बैठा दिया और गांव में
घुुमाया। इस दौरान कुछ लोगों ने उसके गले में चप्पलों की माला भी डाल दी
थी। आरोप है कि गांव वालों ने उसके परिवार वालों को भी पीटा। पुलिस ने इस
संबंध में आठ लोगों को हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि शिवम
द्वारकानाथ भारदिया नाम का युवक दूसरी जाति की एक लड़की से प्यार करता था।
वामबोरी के लोग दोनों के रिश्ते के खिलाफ थे।
बताया जा रहा है कि गांव वाले इसे लेकर कई दिनों से नाराज थे और शुक्रवार को लोगों का समूह युवक के घर के सामने इकट्ठा हो गया और परिवार के सदस्यों को बेइज्जत करने लगा। इसी दौरान घर के भीतर से लड़के को भीड़ ने बाहर निकाल लिया और उसके साथ बदसलूकी शुरू कर दी।
इस संबंध में राहुरी पुलिस स्टेशन के इंचार्ज संजय पाटिल ने कहा कि
घटना की शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले के संबंध में अधिक जानकारी मांगी
गई है। घटना के बाद गांव में तनाव को देखते हुए पुलिस बल तैनात कर दिया
गया है।
9 घंटे के ऑपरेशन के बाद पहली बार पेनिस ट्रांसप्लांट करने में सफल हुए डॉक्टर्स
केपटाउन। दक्षिण
अफ्रीका में दुनिया की पहली सफल पेनिस ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई। राजधानी
केपटाउन में 'टाइगरबर्ग अस्पताल' में स्टेलनबोश यूनिवर्सिटी के सर्जन्स की
टीम ने ऑपरेशन के पूरी तरह से सफल होने के बाद शुक्रवार को इसकी घोषणा की।
21 साल के मरीज का पेनिस तीन साल पहले खतना करते हुए कट गया था। बीते साल
11 दिसंबर को ऑपरेशन किया गया था। इसमें नौ घंटे का समय लगा। इसके बाद बीते
तीन महीने से यह गहन जांच रखा गया था। डॉक्टर्स के मुताबिक, अब पूरी तरह
से रिकवरी हो चुकी है। पेनिस के सभी फंक्शन ठीक हैं। डॉक्टर्स ने एक बीमार
डोनर से पेनिस लिया गया था। अब उसकी मौत हो चुकी है।
कुछ इस तरह किया गया पेनिस ट्रांसप्लांट।
बीमार व्यक्ति का लिया पेनिस
डॉक्टर्स ने बताया कि सबसे पहले इसके लिए एक डोनर चाहिए था। हमें
बीमार व्यक्ति का पेनिस मिल गया। उसकी मौत के बाद उसके पेट से खाल निकालकर
एक पेनिस जैसा खोल बनाकर लगाया और उसे सम्मानजनक तौर पर दफनाया गया।
2010 से शुरू हो गई थी प्लानिंग
ट्रांसप्लांट के अलग-अगल चरण की एक पायलट स्टडी की। साल 2010 में ही
यह प्लानिंग शुरू हो गई थी। एक व्यापक रिसर्च के बाद प्रोफेसर वान डर मर्व
और उनकी सर्जिकल टीम ने पहली फेशियल ट्रांसप्लांट तकनीक का इस्तेमाल करने
का फैसला किया। इस तरह की प्रॉसेस में दूसरी बार यह ऑपरेशन किया जा रहा था।
भाग्य ने साथ दिया। इतिहास में पहली बार इसके दूरगामी परिणाम सफल रहे।
जान जाने का था खतरा
इससे पहले ऐसी कोशिश चीन में की गई थी, लेकिन बाद में पेनिस ने काम
करना बंद कर दिया था। डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और
शारीरिक संबंध भी बना सकता है। इस सर्जरी के पहले काफी बहस की गई थी,
क्योंकि इस ऑपरेशन में हार्ट सर्जरी की तरह ही जान जाने का जोखिम था।
किसी को भी दे सकते हैं अंग
स्टेलनबोश यूनिवर्सिटी स्थित प्लास्टिक रिकन्स्ट्रक्टिव सर्जरी के हेड
प्रोफेसर फ्रेंक ग्रावे ने बताया कि हमने साबित कर दिया है कि हम कुछ भी
कर सकते हैं। हम किसी को भी वापस अंग दे सकते हैं। दुनिया की पहली
ट्रांसप्लांट सर्जरी को सफल करने का मौका हमें मिला है।
पहले भी हो चुकी है कोशिश
2006 में चीनी व्यक्ति का पेनिस ट्रांसप्लांट किया गया था। लेकिन दो
हफ्ते बाद ही डॉक्टर्स ने पीड़ित और उसकी पत्नी के मानसिक रूप से परेशान
होने पर इसे हटा लिया।
ऑपरेशन के साथ और बाद में आई परेशानियां
डॉक्टर्स ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान स्थितियां अनूकूल नहीं थीं। कई
गलत चीजें भी हुईं। हमें इंफेक्शन, क्लॉट फॉर्मेशन और खून बहने की समस्या
से जूझना पड़ा। ब्लड वेसल्स में क्लॉटिंग हो गई थी। हालांकि बाद में हमने
इसे ठीक कर लिया। ऑपरेशन के बाद भी लगातार खून बहता रहा। यह बहुत कठिन समय
था।
खतना की परपंरा
अफ्रीका में खतने की परंपरा है। दक्षिण अफ्रीका में खोसा आदिवासी
समुदाय में लड़के को मर्द बनाने के लिए उसका किशोरावस्था में ही खतना कर
दिया जाता है। इस पीड़ित व्यक्ति का भी 18 साल की उम्र में खतना कर दिया गया
था। लेकिन गलती से पेनिस कट गया। पीड़ित का पेनिस असली साइज से सिर्फ एक
सेंटीमीटर का रह गया था। डॉक्टर्स ने बताया कि हर साल करीब दर्जनों लड़के
(कुछ लोग हजारों का दावा करते हैं) पारंपरिक खतने के बाद या तो अपंग हो
जाते हैं। कई मर भी जाते हैं।
हरियाणा में भी लगाया कम्प्लीट बैन, पर गोवा में बीफ इम्पोर्ट करवा रही बीजेपी सरकार
चंडीगढ़: महाराष्ट्र के बाद अब हरियाणा की बीजेपी सरकार ने
राज्य में बीफ की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा,
गोवध पर 10 साल के सश्रम कारावास की सजा का प्रस्ताव भी रखा है। वर्तमान
कानून के तहत सिर्फ पांच साल की सजा का प्रावधान है। राज्य के पशुपालन
मंत्री ओपी धनकड़ की ओर से शनिवार शाम जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है
कि यह बैन डिब्बाबंद बीफ पर भी लागू होगा। बता दें कि पिछली सरकार में
डिब्बाबंद बीफ की खरीद-फरोख्त को कानूनी मंजूरी मिली हुई थी।
उधर, गोवा से खबर है कि राज्य में बीते कुछ महीनों से बीफ की बढ़ती
किल्लत के बाद राज्य की बीजेपी सरकार ने पड़ोस के राज्यों से बीफ इम्पोर्ट
करने का फैसला किया। इस फैसले के बाद से शनिवार से होटलों में दोबारा से
बीफ परोसा जाने लगा। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के पशुपालन
मंत्री पर बीफ की शॉर्टेज से निपटने में नाकाम रहने के बाद यहां के ईसाई
अल्पसंख्यक समुदाय का काफी दबाव बढ़ गया था। इस फैसले के बाद बीफ आसपास के
राज्यों से इम्पोर्ट करके गोवा के प्राइवेट कोल्ड स्टोरेज में रखा जाएगा।
हरियाणा में बेहद कड़े कानून बनाना चाहती है सरकार
हरियाणा के पशुपालन मंत्री की ओर से साफ किया गया है कि गोवध पर मर्डर की धारा 302 के तहत मामला दर्ज नहीं होगा। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया था। बता दें कि कुछ दिन पहले ही बीजेपी शासित महाराष्ट्र सरकार राज्य में बीफ पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा चुकी है। इसके अलावा, गोवध पर पांच साल जेल की सजा भी तय की है। हरियाणा के पशुपालन मंत्री ने बताया कि गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन बिल राज्य के बजट सेशन के दौरान पेश किया जाएगा। मंत्री के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में इस संदर्भ में लागू कानूनों का अध्ययन करके यह बिल तैयार किया गया है। इस बिल में गोवध पर दस साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, बीफ ले जा रहे वाहन को जब्त कर लिया जाएगा और उसके ड्राइवर पर भी कार्रवाई होगी।
हरियाणा के पशुपालन मंत्री की ओर से साफ किया गया है कि गोवध पर मर्डर की धारा 302 के तहत मामला दर्ज नहीं होगा। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया था। बता दें कि कुछ दिन पहले ही बीजेपी शासित महाराष्ट्र सरकार राज्य में बीफ पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा चुकी है। इसके अलावा, गोवध पर पांच साल जेल की सजा भी तय की है। हरियाणा के पशुपालन मंत्री ने बताया कि गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन बिल राज्य के बजट सेशन के दौरान पेश किया जाएगा। मंत्री के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में इस संदर्भ में लागू कानूनों का अध्ययन करके यह बिल तैयार किया गया है। इस बिल में गोवध पर दस साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, बीफ ले जा रहे वाहन को जब्त कर लिया जाएगा और उसके ड्राइवर पर भी कार्रवाई होगी।
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1931 की फोटो से प्रेरित है प्रतिमा
महात्मा गांधी की यह प्रतिमा 1931 में 10, डाउनिंग स्ट्रीट में लिए गए एक फोटो से प्रेरित है। 1931 में लंदन में गांधी जी सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए डाउनिंग स्ट्रीट गए थे। उसी वक्त ये फोटो ली गई थी।
गांधी स्टैचू मेमोरियल ट्रस्ट को मिले 10 लाख पाउंड से भी ज्यादा रकम से इस मूर्ति का निर्माण किया गया है। इस ट्रस्ट में तमाम भारतीयों सहित इस्पात कारोबारी लक्ष्मीनिवास मित्तल ने एक लाख पाउंड और केवी कामत की अगुआई वाले इन्फोसिस बोर्ड ने 250,000 पाउंड दिया है। मूर्ति की ऊंचाई 9 फीट (2.75 मीटर) है। ट्रस्ट के फाउंडर-चेयरमैन लॉर्ड मेघनाद देसाई ने कहा, ''पार्लियामेंट स्क्वेयर में गांधी की मूर्ति स्थापित होना एक महान काम है। लंदन उनके प्रिय शहरों में से एक था। वह पहले और इकलौते भारतीय होंगे, जिन्होंने कभी कोई प्रशासनिक पद नहीं स्वीकार किया, लेकिन आज उनकी मूर्ति स्थापित की जा रही है।''