आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

16 मार्च 2015

21 से हिंदू नववर्ष पर दुर्लभ योग, साल भर रहेगा राशियों पर असर


शनिवार, 21 मार्च 2015 से हिंदी नव वर्ष विक्रम संवत् 2072 प्रारंभ हो रहा है। इसी दिन से देवी मां की आराधना का विशेष पर्व चैत्र नवरात्र भी प्रारंभ हो रहा है और इस दिन गुड़ी पड़वा भी है। नए हिंदी वर्ष का नाम कीलक होगा एवं इसका राजा शनि एवं मंत्री मंगल होगा। नए वर्ष का प्रवेश लग्न कर्क है, जिसमें गुरु वक्री है, पूरे वर्ष राजा शनि, अपने शत्रु मंगल के स्वामित्व वाली राशि वृश्चिक में रहेगा। मंगल इस वर्ष का मंत्री भी है, जो कि विभिन्न राशियों में विचरण करता हुआ राजा शनि पर भी बुरा असर डालेगा। इस कारण सभी 12 राशियों पर शनि एवं मंगल का सीधा असर रहेगा।
1 of 7

शनिवार से शुरु होगा नया वर्ष और शनि होगा राजा

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार विक्रम संवत् 2072 का राजा शनि है और शनिवार से ही नया वर्ष आरंभ हो रहा है। इस कारण शनि की स्थिति काफी महत्वपूर्ण रहेगी। चैत्र मास की प्रतिपदा पर उत्तराभाद्रपद नक्षत्र होगा। इसका स्वामी भी शनि ही है। वर्ष में शनि एवं मंगल में टकराव होता रहेगा।

21 से चैत्र नवरात्र होगा प्रारंभ

21 मार्च से चैत्र मास की नवरात्र प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष ये नवरात्र 8 दिन का रहेगा। इन दिनों में मां दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में किए गए पूजन और व्रत-उपवास से देवी मां बहुत ही जल्दी प्रसन्न होती हैं। सभी राशि के लोगों को कुंडली के दोष शांत करने के लिए नवरात्र में दुर्गा माता को लाल चुनरी, लाल फूल, नारियल, प्रसाद आदि अर्पित करना चाहिए।
राशि और नाम अक्षर
मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ.
वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
कन्या- ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
तुला- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
धनु- ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
मीन- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची

आज हूँ

आज हूँ
कल रहूँ ना रहूँ
इसीलिए
तुम से तुम्हे
ज़िंदगी समझ कर
शिद्दत से
प्यार करता हूँ
ज़िंदा हूँ
इसीलिए
तुम पर मरता हूँ
मर गया तो
तुम कोनसे
ज़िंदा रह पाओगे
नहीं है यक़ीन तो
उठाओ हाथ
अपने सीने पर रखो
अपनी धड़कनो से पुंछ लो
दिमाग का क्या
वोह तो तुम से
जूंठ सरासर झूंठ बोलता है ,,,,,,अख्तर खान अकेला

मेरा दिल

मेरा दिल
तुम्हारा घर है
यही तुम
मुझे बार बार
ज़लील करते हो
ऐसा क्यों करते हो
दिमाग से पूंछू अगर
तो वोह मेरे हाल पे
मुस्कुरा देता है ,,अख्तर

नफरत करने वालों

मुझे से
नफरत करने वालों
सुन लो
में भी
तुम्हारे प्यार का
मोहताज नहीं
मेरी क़ब्र
को मुझ से प्यार है
मेरी क़ब्र को
मेरा इन्तिज़ार है ,,,अख्तर

उसे कहते हैं बिटिया

घर आने पर दौड़ कर जो पास आये, उसे कहते हैं बिटिया
थक जाने पर प्यार से जो माथा सहलाए, उसे कहते हैं
बिटिया
"कल दिला देंगे" कहने पर जो मान जाये, उसे कहते हैं बिटिया
हर रोज़ समय पर दवा की जो याद दिलाये, उसे कहते हैं
बिटिया
घर को मन से फूल सा जो सजाये, उसे कहते हैं बिटिया
सहते हुए भी अपने दुख जो छुपा जाये, उसे कहते हैं बिटिया
दूर जाने पर जो बहुत रुलाये, उसे कहते हैं बिटिया
मीलों दूर होकर भी पास होने का जो एहसास दिलाये, उसे
कहते हैं बिटिया
"अनमोल हीरा" जो इसीलिए कहलाये, उसे कहते हैं बिटिया

आंसुओं से भीगा

आंसुओं से भीगा
कल रात मेरा बिस्तर
तुम्हारी बेवफाई
तुम्हारी बेवफाई
हां सिर्फ तुम्हारी बेवफाई
भारी थी मुझ पर
लेकिन सुनो ऐ बेवफा
में सोया नहीं
में रोया नहीं
वोह तो आँख के आंसू थे
जिन्होंने भी तुम्हारी तरह
आँखों से निकल कर
बेवफाई की है
सुनो ऐ बेवफा
मेरी सिसकियाँ भी नहीं निकली
वोह तो साँसे थी बेवफा
तुम्हारी तरह
इसलिए वोह भी निकल गई
सुनो ऐ बेवफा
मेरे दिल की धड़कनो को मेने नहीं रोका
तुम्हारे खातिर
वोह तो तुम्हारी ही तरह बेवफा थी
इसलिए थम गई
इसलिए थम गई ,,,,,,,,,,,
बस एक इल्तिजा
बस एक ख्वाहिश है आखरी
अब किसी से ऐसा
बेवफा प्यार ना करना
ना तड़पाना उसे
ना रुलाना उसे
बख्श देना उसे
अब किसी से
ऐसा बेवफा
प्यार ना करना ,,,अख्तर

जिसे तुम टूटकर चाहो

जिसे तुम टूटकर चाहो
उसे तुम हरगिज़ हरगिज़
प्यार ना करना
वोह खेलेगी तुम से
वोह रुलाएगी तुम्हे
वोह सताएगी तुम्हे
प्यार का दिखावा कुछ ऐसा होगा
मानो जैसे मर मिटी हो तुम पर
लेकिन
देख लेना एक दिन
बेवफाई करके
कोई भी बहाना बना कर
जीते जी मार जायेगी तुम्हे
इसलिए कहता हूँ
प्लीज़
अपनी ज़िंदगी संवारो
जिसे तुम टूटकर चाहते हो उसे ठुकराओ
जो तुम्हे टूटकर चाहता है
हाँ जो तुम्हे टूटकर चाहता है
सिर्फ उसी के लिए मर जाओ
सिर्फ उसी के लिए मिट जाओ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

उठो वर्क पलटो

उठो वर्क पलटो
अपने झूंठे प्यार की किताबों के
देखो
हर वर्क पर
तुम्हारी बेवफाई
मेरे आंसू
तुम्हारी खिलखिलाहट
मेरी सिसकियाँ
मेरा अटूट प्यार
तुम्हारा धोखा
मेरा सच
तुम्हारा झूंठ
लिखा है ,,लिखा है
यह प्यार की नौटंकी
तुम्हारा तो खेल हुआ
लेकिन मेरे लिए तो
देखो
तुम्हारा यह खेल मोत बन गया
शायद
तुम्हारा यही दस्तूर है
शायद तुम्हारे लिए
प्यार एक नाटक
प्यार एक खेल है
फिर भी
मेरा प्यार अटूट है
इसीलिए तो
आज भी में सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारी बाहों में ही मर जाना चाहता हूँ ,,,,,,,,,,,,,,

खुश हूँ में

खुश हूँ में आज
क्योंकि
तुम्हे टूट कर
चाहने की सज़ा
तुम्हारी बेवफाई से
मुझे जो मिल गई है
मुझे पता है
अपने कुतर्को
अपने झूंठे सुबूतो से
तुम खुद को वफ़ा की पुतली साबित करोगे
लेकिन कुछ नहीं
अब कुछ नहीं
तुम्हे टूट कर चाहने
तुमसे वफ़ा की सज़ा
तुम्हारी बेवफाई से
मुझे मिल गई है ,,,,,,,,,,,,,,

प्यार लिख दो

गुरूजी ने
मुझ से कहा
प्यार लिख दो
में लिख न सका
क्योंकि प्यार केसा होता है
मेने देखा ही नहीं
मेने तो बस
तेरी बेवफाई
तेरी झूंठ
तेरी फरेबियां देखी है
इसीलिए में
बेवफा ,,बेवफा
लिखता रहा
गुरु जी प्यार
;लिखने का कहते रहे
में बेवफा लिखता गया
गुरूजी पीटते रहे
में बेवफा लिखता गया
क्योंकि
प्यार मेने देखा ही नहीं
तो लिखता कैसे
बेवफाई देखी सो लिखता रहा
गुरु जी से पिटता रहा

तिरंगे से नफरत कर

तिरंगे से नफरत कर
अपने अपने झंडो की
बात करने वालो
बिखरो मत
टूटो मत
सुधर जाओ
भूख ,,गरीबी ,,रोटी ,,रोज़गार
मकान की बात करो
मेरे इस देश को नरक बनाने वालो
ज़रा रहम करो
मेरे इस मुल्क को भारत महान
सोने की चिड़िया ,,स्वर्ग ही रहने दो ,,,

ज़िंदगी की

तुम्हारे बिना
ज़िंदगी की
अधूरी किताब हूँ में
आओ मुझ में
शामिल होकर
मुझे मुकम्मल कर दो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,

,,एडवोकेट ,,पूर्व विधायक डॉक्टर दयाकृष्ण विजय साहित्य सृजन में एक ऐसा ख्यातनाम

कोटा के ही नहीं ,राजस्थान के ही नहीं ,,पुरे भारत के एक विख्यात साहित्यकार ,,एडवोकेट ,,पूर्व विधायक डॉक्टर दयाकृष्ण विजय साहित्य सृजन में एक ऐसा ख्यातनाम है जिनकी लेखनी ,,जिनके साहित्य और जीवनी पर आधा दर्जन से भी अधिक लोगों ने रिसर्च कर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है ,,,जी हाँ दोस्तों हमारे अपनों के बीच सहज ,,सरल ,,मुस्कुराते हुए साथ रहने वाले ,,,आठ अप्रेल उन्नीस सो उन्तीस में बारा ज़िले की अटरू तहसील ग्राम छजावा में जन्मे डॉक्टर दया कृष्ण विजयवर्गीय कॉलेज शिक्षा समय से ही साहित्यिक विधा में पारंगत थे ,,इनकी नेतृत्व क्षमता थे और सेवाभावी होने से भारतीय जनसंघ के साथ साथ राष्ट्रीय स्वम सेवक संघ से जुड़े थे ,,,डॉक्टर दयाकृष्ण विजय ने कोटा से एल एल बी की ,14 वर्ष की उम्र में ही आपकी तीखी लेखनी लोगों को लुभाने लगी ,,आपने भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भी बालपन में सक्रिय हिस्सा लेकर सभी आंदोलनकारियों को चौंका दिया ,,,आपने हिंदी साहित्य में एम ऐ करने के बाद पी एच डी की डिग्री प्राप्त कर खुद को डॉक्टर बना लिया ,,,डॉक्टर दया कृष्ण विजयवर्गीय 1957 में एडवोकेट अहमद बख्श को छबड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हरा कर विधायक निर्वाचित हुए ,,,,आप आंदोलनकारी भूमिका होने से आपात काल के दौरान उन्नीस महीने जेल में रहे ,,, डॉक्टर दया कृष्ण विजयवर्गीय साहित्य में विजय के नाम से जाने जाते है ,,,इन्हे इनके विजयवर्गीय समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किया गया ,,,,छात्र जीवन से ही स्काउट से जुड़े होने से लोगों में मोहब्बत प्यार बाँट कर उनकी सेवा करना इनका स्वभाव रहा ,,वकालत में आप रेवेन्यू ,,सिविल के पारंगत वकील के रूप में पहचान बना चुके थे ,,लेकिन साहित्य के शोक ने इन्हे देश का ख्यातनाम साहित्यकार बना दिया ,,,आप कोटा की ख्यातनाम साहित्यिक संस्था भारतेंदु समिति के अध्यक्ष निर्वाचित हुए ,,अनेक साहित्यिक गतिविधियों के बाद आपको राजस्थान साहित्य अकादमी का अध्यक्ष दो बार निर्वाचित किया गया ,,इनके कार्यकाल में राजस्थान के साहित्यकारों को काफी सुविधाये दिलवाई गई ,,साहित्यकारों के लिए पेंशन ,,इलाज की सुविधा व्यवस्था लागू की गई ,,डॉक्टर विजय ने पत्रिका मधुमती और चिदंबरा का सम्पादन प्रमुखता से किया ,,आप अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रिय अध्यक्ष रहे ,,,इनकी साहित्य प्रतिभा को देखकर सातवे विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम में वर्ष दो हज़ार तीन में आपको विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया गया ,,आपको विद्या वाचस्पति उपाधि मिली जबकि साहित्य भूषण सम्मान ,,विशिष्ठ साहित्य पुरस्कार सहित साहित्य का सर्वोच्च सम्मान मीरा पुरस्कार से आप सम्मानित हो चुके है ,,,,,,,,डॉक्टर दयाकृष्ण विजय वर्गीय के वयक्तित्व ,,इनकी जीवनी ,,इनकी साहित्यिक विधा पर आधा दर्जन से भी अधिक शोधकर्ता पी एच डी कर चुके है जबकि एक दर्जन से भी अधिक छात्र छात्राओ ने इनकी साहित्यिक विधा पर एम फिल की डिग्री प्राप्त की है , काव्य ,,,मुक्त छंद काव्य ,,,हाइकु संग्रह,, ग़ज़ल संग्रह ,,दोहा सतसई ,,गीत संग्रह ,,कविता संग्रह ,,मुक्तक संग्रह ,,उपन्यास ,,,, ,,एकाकी का लेखन किया ,,डॉक्टर मिर्ज़ा हैदर बेग ,,डॉक्टर नरेंद्र सिंह तोमर ,,डॉक्टर यदुवीर सिंह खिरवार ,,,डॉक्टर सुनीता चौधरी ,,,डॉक्टर शशी प्रभा शर्मा ,,,डॉक्टर किरण विजय ने ने डॉक्टर दयाकृष्ण विजय के कृतित्व ,,व्यक्तित्व और साहित्य पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर इन्हे अलंककृत किया जबकि ,,अनीता राठी ,,,हिमानी भाटिया सहित एक दर्जन साहित्यकारों ने इनके व्यक्तित्व पर एम फिल की है ,,डॉक्टर दयाकृष्ण विजय ने हिंदी के काव्य लेखन से ,,कविता ,,ग़ज़ल ,,,एकाकी ,, उपन्यास ,,गीत ग़ज़ल ,,, सभी तरह का लेखन लिखा है ,,,कोटा की एक अज़ीम हसती डॉक्टर दया कृष्ण विजयवर्गीय साहित्य क्षेत्र में वरिष्ठं हस्ताक्षर है ,,,,जिन्होंने कोटा को ,,हाड़ोती को ,,राजस्थान को पुरे देश में गौरवान्वित किया है ,,,,,,,,,,आप के पुत्र हेमंत विजयवर्गीय भी वरिष्ठ अधिवक्ता है और भाजपा के कोटा जिला अध्यक्ष के रूप में सफलतम कार्य कर रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,डॉक्टर विजय को बधाई ,,मुबारकबाद ,,सेल्यूट ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ऐ नवाब

ऐ नवाब शाहीन की तरह
बुलंदिया पाकर
तुम किताब लिखो
थोड़े पन्ने खाली छोड़ दो
मोहब्बत ,,प्यार ,,नफासत ,,वफ़ा के रंगो से
में उन सभी पन्नो को रंगारंग जीवंत कर दूंगा ,,,,अख्तर

क़ुरान का सन्देश

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...