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21 मार्च 2015

11 साल के बेटे की हत्या के बाद सूटकेस में रखकर ले जा रही थी शव, गिरफ्तार

फोटो: सलीम का शव, नीचे मां और वो सूटकेस जिसमें शव को रखा गया था।
फोटो: सलीम का शव, नीचे मां और वो सूटकेस जिसमें शव को रखा गया था।
राजकोट। गुजरात के शहर राजकोट में एक मां द्वारा अपने बेटे की हत्या करने और शव को ठिकाने लगाने की कोशिश करने से जुड़ा मामला सामने आया है।
घटना शहर के कुवाडवा इलाके की है। पुलिस के मुताबिक, सकीनाबेन भीख मांगकर परिवार का गुजर-बसर करती हैं। शुक्रवार रात करीब 11 बजे उसने अपने बेटे सलीम (11 साल) के पास कुछ नोट देखे। सकीना को शक हुआ कि उसने ये पैसे कहीं से चुराए हैं। इसी बात पर गुस्साई सकीना ने उसके सिर पर लोहे का पाइप मार दिया। सिर में गंभीर चोट लगने के करण सलीम की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस के डर की वजह से सकीना ने शनिवार तड़के उसका शव एक सूटकेस में रखा और उसे ठिकाने लगाने निकल पड़ी। उस वक्त इलाके की पुलिस पैट्रोलिंग पर थी। उनकी नजर सकीना पर पड़ी। सकीना के पास सूटकेस देखकर पुलिस को शक हुआ और सूटकेस खुलवाया तो उसमें से शव मिला। सकीना ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

झूलेलाल को वेदों में वर्णित जल-देवता, वरुण देव का अवतार माना जाता है

झूलेलाल को वेदों में वर्णित जल-देवता, वरुण देव का अवतार माना जाता है। वरुण देव को सागर के देवता, सत्य के रक्षक और दिव्य दृष्टि वाले देवता के रूप में सिंधी समाज भी पूजता है।[1] उनका विश्वास है कि जल से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जल ही जीवन है। जल-ज्योति, वरुणावतार, झूलेलाल सिंधियों के ईष्ट देव हैं जिनके बागे दामन फैलाकर सिंधी यही मंगल कामना करते हैं कि सारे विश्व में सुख-शांति, अमन-चैन, कायम रहे और चारों दिशाओं में हरियाली और खुशहाली बने रहे।
भगवान झूलेलाल के अवतरण दिवस को सिंधी समाज चेटीचंड के रूप में मनाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार सिंध का शासक मिरखशाह अपनी प्रजा पर अत्याचार करने लगा था जिसके कारण सिंधी समाज ने 40 दिनों तक कठिन जप, तप और साधना की। तब सिंधु नदी में से एक बहुत बड़े नर मत्स्य पर बैठे हुए भगवान झूलेलाल प्रकट हुए और कहा मैं 40 दिन बाद जन्म लेकर मिरखशाह के अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाउंगा। चैत्र माह की द्वितीया को एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम उडेरोलाल रखा गया। अपने चमत्कारों के कारण बाद में उन्हें झूलेलाल, लालसांई, के नाम से सिंधी समाज और ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से मुसलमान भी पूजने लगे। चेटीचंड के दिन श्रद्धालु बहिराणा साहिब बनाते हैं। शोभा यात्रा में ‘छेज’ (जो कि गुजरात के डांडिया की तरह लोकनृत्य होता है) के साथ झूलेलाल की महिमा के गीत गाते हैं। ताहिरी (मीठे चावल), छोले (उबले नमकीन चने) और शरबत का प्रसाद बांटा जाता है। शाम को बहिराणा साहिब का विसर्जन कर दिया जाता है।[2][3][4]
श्री झूलेलाल की आरती
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा।। ॐ जय...
तुहिंजे दर दे केई सजण अचनि सवाली।
दान वठन सभु दिलि सां कोन दिठुभ खाली।। ॐ जय...
अंधड़नि खे दिनव अखडियूँ - दुखियनि खे दारुं।
पाए मन जूं मुरादूं सेवक कनि थारू।। ॐ जय...
फल फूलमेवा सब्जिऊ पोखनि मंझि पचिन।।
तुहिजे महिर मयासा अन्न बि आपर अपार थियनी।। ॐ जय...
ज्योति जगे थी जगु में लाल तुहिंजी लाली।
अमरलाल अचु मूं वटी हे विश्व संदा वाली।। ॐ जय...
जगु जा जीव सभेई पाणिअ बिन प्यास।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा।। ॐ जय...
भगवान झूलेलाल के प्रमुख संदेश
ईश्वर अल्लाह हिक आहे।
ईश्वर अल्लाह एक हैं।
कट्टरता छदे, नफरत, ऊंच-नीच एं छुआछूत जी दीवार तोड़े करे पहिंजे हिरदे में मेल-मिलाप, एकता, सहनशीलता एं भाईचारे जी जोत जगायो।
विकृत धर्माधता, घृणा, ऊंच-नीच और छुआछूत की दीवारे तोड़ो और अपने हृदय में मेल-मिलाप, एकता, सहिष्णुता, भाईचारा और धर्म निरपेक्षता के दीप जलाओ।
सभनि हद खुशहाली हुजे।
सब जगह खुशहाली हो।
सजी सृष्टि हिक आहे एं असां सभ हिक परिवार आहियू।
सारी सृष्टि एक है, हम सब एक परिवार हैं।

वैभव गेहलोत ,,,,राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में ,,,प्रदेश महासचिव की हैसियत से संगठन को मज़बूती देने के कार्य में जुटे है

दोस्तों यह खूबसूरत हीरो जैसे दिखने वाले नौजवान ,,,,वैभव गेहलोत ,,,,राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में ,,,प्रदेश महासचिव की हैसियत से संगठन को मज़बूती देने के कार्य में जुटे है ,,युवा ,,उत्साही ,,संघर्षशील ,,शालीन ,, ,,अनुभवी कोंग्रेसी कार्यकर्ता है ,,,,,,,,,,,उनमे नेतृत्व क्षमता है,,, तो कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की लायकी भी उनमे है ,,,वैभव गेहलोत ,,,यूँ तो राजस्थान की राजनीति में जाना पहचाना नाम है ,,,राजनीति ,,बढ़ो से अदब के संस्कार ,,,छोटो से प्यार ,,,पीड़ितों के लिए हमदर्दी ,,राजनितिक समझ यूँ तो वैभव गेहलोत को विरासत में मिली है ,,लेकिन वोह अति उत्साही नहीं है ,,बहुत सोच समझ कर राजनीतिक फैसले लेते है ,,,सबसे बढ़ी बात यह है के उनके साथ ,,,उनके पिता कद्दावर कोंग्रेसी नेता ,,आदरणीय अशोक गेहलोत का नाम जुड़ा है ,,लेकिन इस नाम की चकाचोंध से ,,,वैभव ने खुद को दूर रखकर,, अपनी पहचान अलग से बनाने की कोशिश की है ,,,और इसमें वैभव ने कामयाबी भी हांसिल की है ,,,,सभी जानते है के अशोक गेहलोत केंद्र में भी मंत्री रहे तो संगठन के प्रभावशाली नेता बने रहे ,,राजस्थान में मंत्री फिर दो बार सफलतम मुख्यमंत्री रहे ,,लेकिन सियासी शानो शौकत से वैभव ने खुद को दूर रखा ,,,सियासत और सरकारी कामकाज में कोई दखल नहीं ,कोई गुरुर ,,कोई घमंड नहीं ,,हाँ कोई पीड़ित अगर वाजिब पीड़ा लेकर आया तो एक आम आदमी एक कोंग्रेसी कार्यकर्ता की हैसियत से बतौर हम्दर्दाना ऐसे दुखियारों के साथ हमदर्दी का रिश्ता ज़रूर वैभव का बना रहा ,,,वैभव की प्रारम्भिक शिक्षा बाल भर्ती एयर फ़ोर्स स्कूल में हुई फिर राजनीतिक शोर शराबे से दूर आई एल एस कॉलेज पूना से एल एल बी की डिग्री पास की ,,,वैभव वकील बनना चाहते थे इसलिए राजस्थान हाईकोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराया ,,वरिष्ठ वकील के साथ वकालत के दांव पेच भी सीखे ,,लेकिन मन में तो दलित ,,पीड़ित ,,शोषित ,,अल्सपंक्षीकों के लिए हमदर्दी थी इसलिए वर्ष उन्नीस सो अट्ठीयान्वे से ही राजनीती में सक्रिय हुए ,,अपने पिता अशोक गेहलोत की चुनावी कमान कामयाबी के साथ संभाली ,,फिर राजनीति रिश्तो के चलते वैभव गेहलोत की इनके समर्थको द्वारा सक्रिय राजनीति में आने की मांग उठाई जाने लगी ,,,,,,,,वैभव गेहलोत को टोंक विधानसभा क्षेत्र फिर टोंक लोकसभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़ने का ऑफर था ,,लेकिन वैभव ने पहले संगठन से जुड़कर कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलकर कांग्रेस को मज़बूती देने का फैसला किया ,,,राजनीति में वैभव का एक ही नारा है ,,युवाओ को अधिकार मिले ,,,वरिष्ठों को सम्मान मिले ,,महिलाओ ,,बच्चो ,,किसानो ,,मज़दुरो को उनका वाजिब हक़ हर हाल में मिले ,,अनेको बार प्रतिपक्ष ने होसला तोड़ने के लिए एक ईमानदार छवि पर कुछ छीटाकशी करने की कोशिश भी की लेकिन विपक्ष को मुंह की खाना पढ़ी क्योंकि वैभव की बेदाग छवि के आगे विपक्ष को चुप्पी साधने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था ,वैभव अच्छा बोलते है ,,अच्छा लिखते है ,,अच्छा व्यवहार लोगों के साथ करते है ,,,,,इसीलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी की टीम में हर दिल अज़ीज़ है ,,वैभव गेहलोत सोनिया गांधी की छवि के साथ भारत को विकसित करने के राहुल गांधी के सपने को पूरा करने के लिए सचिन पायलेट के नेतृत्व में कांग्रेस को मज़बूती देने के प्रयासों में जुटे है ,,वैभव की एक खासियत यह भी है के जो एक बार इनसे मुलाक़ात कर लेता है वोह बस व्यवहार ,,इनकी शालीनता ,,,इनके अपनेपन के सलीक़े के कारण इनका अपना हो जाता है ,,वैभव गेहलोत अपने पिता अशोक गेहलोत की गांधीवादी छवि से प्रभावित है वोह भी फूलों की माला ,,स्वागत सत्कार के चोचलो से दूर रहकर काम सिर्फ काम करना चाहते है ,,,,,वैभव गेहलोत से राजस्थान के युवाओ ,,कोंग्रेसी कार्यकर्ताओें को बहुत उम्मीदें है ,,,इनकी सक्रियता कांग्रेस को हिम्मत ,,ताक़त और मज़बूती दे रही है ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सरकारी लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं


aadhar-card
उच्चतम न्यायालय ने 16 मार्च को केन्द्र और सभी राज्य सरकारों से कहा है कि उन्हें इस आदेश का ‘पालन करना होगा’ कि भारतीय विशेष पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी आधार कार्ड के अभाव में किसी भी व्यक्ति को लाभों से वंचित या ‘परेशान’ नहीं किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘हम केन्द्र और राज्यों तथा सभी प्राधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे 23 सितंबर, 2013 के आदेश का पालन करेंगे।’ न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि कुछ प्राधिकारियों ने एक प्रपत्र जारी करके आधार को अनिवार्य बनाया है लेकिन इसके बावजूद किसी भी व्यक्ति को आधार कार्ड नहीं होने की वजह से परेशानी नहीं होनी चाहिए।
मामले की सुनवाई शुरू होते ही एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि न्यायालय के आदेश के बावजूद प्राधिकारी पट्टा विलेख और विवाह पंजीकरण आदि के मामलों में आधार कार्ड के लिये जोर दे रहे हैं और यह ‘गंभीर चिंता’ का विषय है। न्यायाधीशों ने केन्द्र सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाये कि उसके पहले के आदेश का प्राधिकारी पालन करे।
सालिसीटर जनरल ने बाद में न्यायालय से कहा कि सभी राज्य इस मामले में पक्षकार हैं और ऐसी स्थिति में उन्हें न्यायिक आदेश पर अमल सुनिश्चित करने के लिये कहा जा सकता है और जिलाधिकारियों जैसे अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया जा सकता है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने कहा कि इस परिपत्र के अनुसार बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी प्राधिकारियों को आधार नंबर उपलब्ध कराने के लिये कहा गया था। हालांकि एक वकील ने कहा कि यह मुद्दा अब खत्म हो गया है।
न्यायालय वेतन, भविष्य निधि वितरण ओर विवाह तथा संपत्ति के पंजीकरा सहित अनेक मामलों में आधार कार्ड को अनिवार्य बनाये जाने के कुछ राज्य सरकारों के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में न्यायालय अब जुलाई के दूसरे सप्ताह में आगे विचार करेगा।

क़ुरआन का सन्देश

 
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