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23 मार्च 2015

पहाड़ पर स्थित मां का सबसे भव्य मंदिर, कभी यहां धोए थे केश

माता वैष्णो देवी मंदिर
माता वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णो देवी उत्तरी भारत के सबसे पूजनीय और पवित्र स्थलों में से एक है। यह मंदिर पहाड़ पर स्थित होने के कारण अपनी भव्यता व सुंदरता के कारण भी प्रसिद्ध है। वैष्णो देवी भी ऐसे ही स्थानों में एक है जिसे माता का निवास स्थान माना जाता है। मंदिर, 5,200 फीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हर साल लाखों तीर्थ यात्री मंदिर के दर्शन करते हैं।यह भारत में तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थस्थल है।

वैष्णो देवी की कथा- श्रीधर नाम का एक ब्राह्मण था। वह मां वैष्णो देवी का भक्त था।श्रीधर वर्तमान कटरा कस्बे से 2 कि.मी. की दूरी पर स्थित हंसली गांव में रहता था। एक बार उन्होंने अपने घर पर कन्या भोज का आयोजन किया। भोजन के बाद सारी कन्याएं अपने घर चली गई। एक कन्या नहीं गई। वह कन्या जिसका स्वरूप दिव्य था। उस कन्या ने विनम्रता से पंडित भंडारा (भिक्षुकों और भक्तों के लिए एक प्रीतिभोज) आयोजित करने के लिए कहा पंडित गांव और निकटस्थ जगहों से लोगों को आमंत्रित करने के लिए चल पड़े।

उन्होंने एक स्वार्थी राक्षस भैरव नाथ को भी आमंत्रित किया। भैरव नाथ ने श्रीधर से पूछा कि वे कैसे अपेक्षाओं को पूरा करने की योजना बना रहे हैं। उसने श्रीधर को विफलता की स्थिति में बुरे परिणामों का स्मरण कराया। पंडित जी चिंता में डूब गए, दिव्य बालिका प्रकट हुईं और कहा कि वे निराश ना हों, सब व्यवस्था हो चुकी है। बालिका के कहे अनुसार ही भंडारा निर्विघ्न संपन्न हुआ।
भैरव नाथ ने स्वीकार किया कि बालिका में अलौकिक शक्तियां थीं और आगे और परीक्षा लेने का निर्णय लिया। उसने त्रिकूटा पहाड़ियों तक उस दिव्य बालिका का पीछा किया। जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा, तब वह कन्या वहां से त्रिकूट पर्वत की ओर भागी और उस कन्या रूपी वैष्णो देवी ने हनुमान को बुलाकर कहा कि भैरवनाथ के साथ खेलों (युद्ध करो) मैं इस गुफा में नौ माह तक तपस्या करूंगी। इस गुफा के बाहर माता की रक्षा के लिए हनुमानजी ने भैरवनाथ के साथ नौ माह घमासान युद्ध करने लगे। जब हनुमान जी युद्ध करते करते थक गए तो माता गुफा से बाहर निकली।

भैरवनाथ से युद्ध करने लगी आज इस गुफा को पवित्र अर्ध कुंवारी के नाम से जाना जाता है। अर्ध कुंवारी के पास ही माता की चरण पादुका भी है। यह वह स्थान है, जहां माता ने भागते - भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। कहते हैं उस वक्त हनुमानजी मां की रक्षा के लिए मां वैष्णो देवी के साथ ही थे।

हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर एक बाण चलाकर जलधारा को निकाला और उस जल में अपने केश धोए। आज यह पवित्र जलधारा बाणगंगा के नाम से जानी जाती है, जिसके पवित्र जल का पान करने या इससे स्नान करने से भक्तों की सारी व्याधियां दूर हो जाती हैं
त्रिकुट पर वैष्णो मां ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से भैरवनाथ का सिर काट दिया जो उस स्थान पर गिरा जहां भैरवनाथ का मंदिर है। इस जगह को भैरोघाटी के नाम से भी जाना जाता है और भैरवनाथ का धड़ वो जगह है जहां पुरानी गुफा से होकर जाते हैं।

भैरवनाथ को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह कटे हुए सिर से माता माता पुकारने लगा। जब माता प्रकट हुई तो विनती करने लगा कि माता संसार मुझे पापी मानकर मेरा अपमान करेगा। लोग मुझसे घृणा करेंगे आप मेरा उद्धार करो। यह सुनकर जगतजननी माता का मन पिघल गया और माता ने भैरो से कहा कि जो भी मेरे दर्शन को आएगा वो जब तक तुम्हारे दर्शन नहीं कर लेगा।

तब तक उसकी यात्रा पूरी नही होगी। इसलिए भक्त तीन किलोमीटर और चढ़कर भैरो मंदिर पर जाते हैं। माता के दर्शनों के बाद दूसरी तरफ श्रीधर पंडित इस बात से दुखी था कि माता उसके घर आई और वो पहचान ना सका तो माता ने श्रीधर को सपने में दर्शन दिए। अपनी गुफा का रास्ता बतलाया। उसी मार्ग पर चलकर श्रीधर वैष्णो माता के मंदिर पर पहुंचा जहां उसे माता के पिंडी रूप में दर्शन ह़ुए।

जिस स्थान पर मां वैष्णो देवी ने हठी भैरवनाथ का वध किया, वह स्थान आज पूरी दुनिया में भवन के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थान पर मां काली (दाएं) मां सरस्वती (मध्य) और मां लक्ष्मी पिंडी (बाएंं) के रूप में गुफा में विराजित है, जिनकी एक झलक पाने मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इन तीनों के सम्मिलित रूप को ही मां वैष्णो देवी का रूप कहा जाता है।
 

अशोक सिंघल ने कहा- गांधी पर सवाल उठाना गलत, साध्‍वी नहीं हैं वीएचपी की सदस्‍य

मेरठ/मुजफ्फरनगर. पीएम नरेंद्र मोदी के चेतावनी के बावजूद बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं का विवादास्‍पद बयान जारी है। मुजफ्फरनगर के शामिली में रविवार को बीजेपी की फायरब्रांड नेता साध्‍वी प्राची ने राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की आजादी में उनका कोई योगदान नहीं है। उनके इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा कि गांधी पर सवाल उठाना अनुचित है। साध्‍वी अब वीएचपी की सदस्‍य भी नहीं हैं।

इलाहाबाद में अशोक सिंघल ने यह भी कहा कि वह एक राजनीतिज्ञ हैं और चुनाव भी लड़ चुकी हैं। वैसे भी वीएचपी में चुनाव लड़ने वाले लोग कतई नहीं होते हैं। हो सकता है कि वह कभी वीएचपी में रही हों, लेकिन अब नहीं हैं। उन्‍होंने साध्‍वी के बयान पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि बापू पर कोई भी सवाल उठाना अनुचित है। बापू ने देश को एक नई दिशा दी। ऐसे में सभी को उनका सम्‍मान करना चाहिए।

अपने विवादित बयानों से हमेशा चर्चा में रहने वाली साध्‍वी प्राची महात्‍मा गांधी तक ही नहीं रुकीं। उन्‍होंने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्‍मद सईद को देशद्रोही तक कह डाला। प्राची ने कहा कि यदि सईद की अलगाववादी नेताओं के प्रति यही नीति रही तो बीजेपी सरकार अपना समर्थन वापस ले लेगी। हाल ही में सईद ने अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को रिहा करने का फैसला लिया था।

'कहां गया क्रांतिकारियों के फांसी का फंदा'

साध्‍वी प्राची ने कहा कि देश के संग्रहालय में आज भी वह रस्‍सी सुरक्षित है, जिससे महात्‍मा गांधी अपनी बकरी बांधा करते थे। वहीं, शर्म की बात यह है कि सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को जिस रस्‍सी के फंदे से फांसी दी गई थी, वह गायब है। उसे लोगों ने भुला दिया। उन्‍होंने कहा कि यदि उन्‍हें इस बात के लिए जेल भी जाना पड़े तो वे तैयार हैं।

बोले स्‍वामी स्वरूपानंद- गोमांस खाते थे साईं, शिवलिंग के ऊपर बना ताजमहल

वाराणसी. काशी में द्वारिका शारदा पीठाधीश्‍वर जगतगुरु शंकराचार्य स्‍वामी स्वरूपानंद सरस्‍वती ने सोमवार को साईं पर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि साईं मुसलमान थे। वे गोमांस खाते थे। फातिया पढ़ा करते थे। शिर्डी के साईं ट्रस्ट ने हिंदुओं को ठगकर 13 अरब से ज्यादा रुपए बनाए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने 1300 एकड़ जमीन ट्रस्ट को दिया है। अजमेर में चिश्ती की दरगाह और ताजमहल के नीचे शिवलिंग मौजूद है।

वाराणसी के केदारघाट स्थित विद्यामठ में बातचीत में उन्होंने कहा कि 'सबका मालिक एक है', ये गुरुनानक जी की वाणी थी, साईं की नहीं। साईं मुसलमान थे। उनकी मूर्ति हिंदू मंदिरों में नहीं रखी जानी चाहिए। सरकार को इसे रोकना चाहिए। साईं पर धारावाहिक बनाकर चमत्कार दिखाकर जनता को बेवकूफ बनाया गया है। साईं ट्रस्ट ने 13 अरब से ज्यादा रुपए जमा किए हैं। ये पैसे देश के 13 अलग-अलग बैंकों में जमा हैं। साईं ट्रस्‍ट 1200 करोड़ रुपए से शताब्‍दी समारोह मनाकर हिंदुओं को ठगने की तैयारी में है।

उन्होंने कहा कि साईं बाबा को हिंदू देवताओं की मुद्रा में दिखाया जाता है। कभी वे कृष्ण की तरह बंसी बजाते हैं, कभी शेषनाग पर बैठते हैं, तो कभी शिव की मुद्रा में रहते हैं। साईं बाबा के जुड़े लोग गलत प्रचार कर रहे हैं।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद की दीवारों पर भगवान के चित्र आज भी मौजूद हैं। फर्स्ट फ्लोर पर मस्जिद है, जबकि ग्राउंड फ्लोर पर आज भी मंदिर है। सामने नंदी विराजमान हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अजमेर में चिश्ती की मजार और ताजमहल के नीचे भी शिवलिंग है। मुस्लिम शासकों ने मंदिरों को जमकर तोड़ा और जगह-जगह मस्जिदों में शिवलिंग मौजूद है।

तन्‍हा जीवन जी रहे शशि कपूर को मिलेगा दादा साहब फाल्‍के पुरस्‍कार



मुंबई. हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता शशि कपूर को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। फिल्म 'दीवार', 'कभी-कभी', 'सिलसिला', 'नमक हलाल', 'उत्सव', 'सत्यम शिवम सुंदरम' में अभिनय कर चुके शशि कपूर लंबे समय से बीमार चल रहे हैं।
फिल्म 'दीवार' के एक दृश्य में शशि कपूर के डायलॉग, 'मेरे पास मां है' को आज भी लोग याद करते हैं। हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता शशि कपूर को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। फिल्म 'दीवार', 'कभी-कभी', 'सिलसिला', 'नमक हलाल', 'उत्सव', 'सत्यम शिवम सुंदरम' में अभिनय कर चुके शशि कपूर लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। फिल्म 'दीवार' के एक दृश्य में शशि कपूर के डायलॉग, 'मेरे पास मां है' को आज भी लोग याद करते हैं। शशि कपूर करीब तीन साल से भी ज्‍यादा वक्‍त से किडनी की बीमारी झेल रहे हैं। उन्‍हें सप्ताह में दो बार डायलिसिस कराना पड़ता है। उनके बड़े भाई शम्मी कपूर ने डायलिसिस की सहायता से बारह वर्ष निकाले और मृत्यु का कारण किडनी रोग नहीं, कोई और रोग था। शम्मी कपूर सप्ताह में तीन बार डायलिसिस कराते थे। उनकी और छोटे भाई शशि कपूर की बीमारियां लगभग समान हैं।
बताया जाता है कि शशि कपूर करीबी लोगों से भी मिलते-जुलते नहीं हैं। उन्हें यश चोपड़ा ने ‘वीर जारा’ में उस भूमिका का प्रस्ताव दिया था जो अमिताभ बच्चन ने निभाई है। दरअसल, यश चोपड़ा अमिताभ बच्चन को शशि कपूर से बेहतर अभिनेता मानते हैं, परंतु उन्होंने यह भूमिका पुराने मित्र को अपने ओढ़े हुए नैराश्य से उबारने के लिए देनी चाही थी। अमिताभ बच्चन भी अनेक बीमारियों को झेलते हुए निरंतर काम कर रहे हैं।
शशि कपूर ने बतौर निर्माता सार्थक फिल्में बनाईं, जैसे-जुनून, कलयुग, विजेता, 36 चौरंगी लेन और उत्सव। ‘अजूबा’ की असफलता के कारण हुए घाटे को उन्होंने एक बहुमंजिला बनाकर चुकता कर दिए। ‘उत्सव’ के प्रदर्शन के समय उनकी पत्नी का निधन हुआ था। बतौर सितारा उन्होंने लंबी पारी खेली और पृथ्वी थियेटर के निर्माण ने उनके जीवन को सार्थकता दी है।
शशि कपूर के जीवन की पहेली भी बूझी जा सकती है कि ‘36 चौरंगी लेन’ ऑस्कर के लिए भेजी गई और उसे श्रेष्ठ फिल्म माना गया परंतु ऑस्कर नहीं दिया जा सकता था क्योंकि उसे फॉरेन भाषा कैटेगरी में भेजा गया था और अंग्रेजी भाषा में बनी होने के कारण अमेरिका में उसे ‘फॉरेन कैटेगरी’ की फिल्म नहीं माना गया।
शशि कपूर ने शेक्सपीएराना थियेटर में ज्योफ्रे कैंडल के मार्गदर्शन में अंग्रेजी नाटकों में अभिनय किया। उनकी पहली फिल्म इस्माइल मर्चेन्ट और आइवरी जेम्स की ‘हाउसहोल्डर’ भी अंग्रेजी भाषा में है। उनका स्वाभाविक रुझान हमेशा अंग्रेजी नाटक रहे।

कांग्रेस के वरिष्ठ पथ प्रदर्शक ,,सजग और सतर्क सिपाही अनूप कुमार सूद

कांग्रेस के वरिष्ठ पथ प्रदर्शक ,,सजग और सतर्क सिपाही अनूप कुमार सूद पैदा तो कोटा राजस्थान में हुए ,,लेकिन कांग्रेस के सेवादल सिपाही के रूप में देश भर में कांग्रेस को मज़बूत करने के लिए अनूप कुमार सूद ने शिद्दत से क़ुर्बानियाँ दी है ,,,जी हाँ दोस्तों बाराह सितम्बर उन्नीस सो उनचालीस में जन्मे अनूप कुमार सूद ने आज़ादी का बचपना देखा है ,,,अनूप सूद कोटा में ही पले ,,बढ़े ,,और यहीं कांग्रेस के झंडे को थामकर कांग्रेस को ज़िंदाबाद किया ,,अनुप कुमार सूद यूँ तो समाज सेवा क्षेत्र से जुड़े रहे ,,मुखर पत्रकार ,,,तीखे लेखक की पहचान बनाकर रहे ,,,अनूप कुमार सूद ने कोटा कांग्रेस दफ्तर से लेकर ,,प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर और ऐ आई सी सी के दफ्तर तक की ख़ाक छानी है ,,सेवादल के मुखर कार्यकर्ता रहने के साथ साथ अनूप सूद कांग्रेस के सेवक भी रहे है ,,उन्होंने कांग्रेस कार्यालय में झाड़ू लगाकर साफ़ सफाई करने में भी कोई शर्म महसूस नहीं की ,,कांग्रेस के दिग्गज दिग्गज लोग इनके अधीनस्थ कार्यकर्ता के रूप में काम कर चुके है ,,अनूप कुमार सूद जुझारू संघर्ष शील पत्रकारों में से एक रहे ,,,,ईमानदारी और सैद्धांतिक पत्रकारिता की यह मिसाल रहे ,,,,,,अनूप सूद सेवादल संगठन के साथ ,,कांग्रेस में भी काम करते रहे ,,इन्हे सेवादल बरादरी का अध्यक्ष भी बनाया गया ,,देश में सेवादल कांग्रेस के मुखर और प्रमुख स्तम्भ रहने के कारण ही कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने अनूप कुमार सूद को आसाम और बिहार का प्रभारी बनाया है , ,,जहाँ अनूप कुमार सूद के चयनित टिकिटों में अधिकतम प्रत्याक्षियों की जीत हुई कई विधायकों को इनकी सिफारिश पर मंत्री पद मिले है ,,,अनुप सूद कोटा में रहकर कोटा से भी जुड़े रहे है ,,शांति कुमार धारीवाल का चुनाव हो ,,,भुवनेश चतुर्वेदी का चुनाव हो ,,नयी पीढ़ी पंकज मेहता का चुनाव हो हर वक़्त अनूप कुमार कांग्रेस के साथ रहे है ,,,हमेशा कांग्रेस को मज़बूत करने की कोशिशों में जुटे अनूप सूद ने उम्र के इस पड़ाव में कांग्रेस के अच्छे ,,बहुत अच्छे ,,बुरे और बहुत बुरे दिन भी देखे है ,,,अनूप सूद ने कांग्रेस के अच्छे दिनों में कांग्रेस से खुद के लिए कुछ नहीं माँगा ,,लेकिन दोस्तों के हक़ के लिए हर ताक़त से टकराये है ,,साथियों को टिकिट भी दिलवाया है तो मंत्री भी बनवाया है ,,,इधर कांग्रेस के बुरे दिनों में विपक्षियों के ज़ुल्म भी सहे है उनसे टकराये है तो विपक्ष में रहते उनकी ज़्यादतियों के शिकार भी हुए है ,,लेकिन अनुप सूद कांग्रेस के पक्ष में डटे रहे जुटे रहे ,,इसीलिए जो इन्हे नज़दीक से जानता है ,,इनकी क़ुर्बानियाँ समझता है वोह इनके चरण छूकर कांग्रेस के प्रति समर्पण की मिसाल अनूप सूद में देखकर खुद को धन्य समझता है ,,ऐसे कांग्रेस के सात्विक विचार वाले समर्पित सिपाही को सेल्यूट ,,बधाई ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क़ुरआन का सन्देश

 
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