आपका-अख्तर खान

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26 मार्च 2015

समाज सेवा क्षेत्र से जुड़े भाई मंज़ूर तंवर कोटा देहात कांग्रेस के मुखर और सक्रिय वक्ता है

यूँ ही मुस्कुराते रहो ,,ज़िंदगी को एक बाग़ ,,,,बनाकर ,,लोगों को यूँ ही हँसाते रहो ,,,,जी हाँ दोस्तों बस यही एक सिद्धांत ,,,ना काहू से दोस्ती ,,ना काहू से बेर ,,ना बुरा कहो ,,ना बुरा सुनो ,,के सिद्धांत पर चलने वाले समाज सेवा क्षेत्र से जुड़े भाई मंज़ूर तंवर कोटा देहात कांग्रेस के मुखर और सक्रिय वक्ता है ,,,,देहात कांग्रेस ही नहीं कोटा शहर कांग्रेस और कांग्रेस की हर रीति नीति को सोशल मिडिया के ज़रिये एक दूसरे तक तुरंत पहुंचाने की कामयाब ज़िम्मेदारी भाई मंज़ूर तंवर निभा रहे है ,,,,,लोगों में शिक्षा की जागृति पैदा करने के लिए लोगों को शिक्षा से जोड़ कर शिक्षा गाइडेंस का काम कर रहे भाई मंज़ूर तंवर ,,अपने कारोबार के साथ साथ ,,,दोस्ती ,,रिश्तेदारी के साथ साथ सियासी ज़िम्मेदारी भी बखूबी निभाते है ,,,भाई मंज़ूर तंवर पैतृक रूप से सुल्तानपुर पंचायत समिति से जुड़े है ,,जहां कांग्रेस से टिकिट नहीं मिलने पर सुल्तानपुर के सभी कोंग्रेसियों द्वारा इनके काम ,,इनकी सेवा समर्पण को देखकर सुल्तानपुर डाइरेक्टर पद के लिए निर्दलीय प्रत्याक्षी के रूप में जबरन खड़ा किया ,,विकट परिस्थितियों में भी मंज़ूर तंवर अपने समर्थको ,,दोस्तों के बल पर बेहिसाब वोटों से जीते और स्थानीय लोगों के लिए फ़िल्मी स्टाइल में विकास कार्य ,,उनकी समस्याओं का समाधान करने लगे ,,अपने निर्वाचन क्षेत्र में मूलभूत आवश्यकताओं के लिए प्रशासनिक अधिकारीयों से अपनी बात मनवाकर मंज़ूर तंवर ने ऐतीहासिक विकास कार्य करवाये है ,,,,,मंज़ूर तंवर देहात कंग्रेस प्रवक्ता बनाये गए ,,इनकी ज़िम्मेदारी मुखर हुई ,,कोटा ही नहीं ,,राजस्थान ही नहीं ,,राष्ट्रिय स्तर पर भी कांग्रेस संगठन की जो भी सेमिनार ,,जो भी चिंतन बैठक हुई उसमे मंज़ूर तंवर की उपस्थिति अपने सुझावों के साथ कोटा कांग्रेस की आवाज़ के साथ गरमा गर्म रही ,,,,,,,कोटा अनंतपुरा वार्ड जो परम्परागत भाजपा का वार्ड है महिला वार्ड होने से इस वार्ड के भाजपा के वोटों में सेंध लगाने की ज़िम्मेदारी मंज़ूर तंवर को दी गई ,,,इनकी पत्नी को यहां से टिकिट दिया ,,,,,,,,,विकट परिस्थितियों में भी मंज़ूर तंवर के साथ कांग्रेस की टीम ने इस वार्ड में कांग्रेस मय माहोल बनाया ,,जिस क्षेत्र मे लोग कांग्रेस का झंडा उठाने से डरते थे उस वार्ड में कांग्रेस का वातावरण था ,,जहां कांग्रेस प्रत्याक्षियों की ज़मानत ज़ब्त हुआ करती थी उस वार्ड में भी मंज़ूर तंवर ने अपनी टीम के साथ कांग्रेस की बेहिसाब उपस्थिति दर्शायी है ,,,,,मंज़ूर तंवर को प्यार मंज़ूर है ,,,दोस्ती मंज़ूर है ,,,,भाईचारा मंज़ूर है ,,सद्भावना मंज़ूर है ,,समर्पण भाव से सेवा कार्य मंज़ूर है ,,लेकिन पीठ में छुरा घोंपना ,,अपनों के साथ गद्दारी करना ,,,कांग्रेस के खिलाफ माहोल बनाना ,,,नफरत फैलाना ,,,,,,,,शोषण और उत्पीड़न इन्हे कतई मंज़ूर नहीं ऐसे में इनके तेवर चढ़ जाते है और फिर यह शांत ,,सरल ,,मृदुल स्वभाव को ताक़ में रखकर क्रांतिकारी भी बन जाते है ,,अपनों से प्यार करना अपनों के लिए जांबाजी दिखाकर संघर्ष करना यही मंज़ूर तंवर की पहचान है ,,,,,,,,इसीलिए तो सभी तनाव से दूर इनके चेहरे पर माशा अल्लाह यह मुस्कान है जो खुदा ,,ता उम्र ,,सह्त्याबी ,,कामयाबी ,,उम्रदराज़ी ,,खुशहाली के साथ हमेशा बरक़रार रखे ,,आमीन सुम्मा आमीन ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आप से मिलिए आप है कोटा संभाग का गौरव ,,ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चेलेंज 4 के विजेता ,,सुरेश अलबेला,

दोस्तों , आप से मिलिए आप है कोटा संभाग का गौरव ,,ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चेलेंज 4 के विजेता ,,सुरेश अलबेला,,जिनके नए हास्य ,,नए अंदाज़ को पुरे देश ने सराहा और ,लॉफ्टर शो के जजेज़ को ऐसा भाया के इन्हे गले लगाकर सर्वोच्च सम्मान देना ही पढ़ा ,,,,सुरेश अलबेला ,,यूँ तो सवाई माधोपुर चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र में जन्मे ,,लेकिन इनके पिता पुलिस महकमे में होने से कोटा और खासकर मेरे मोहल्ले सूरजपोल ,,केथूनीपोल में ही सुरेश अलबेला का बचपन गुज़रा ,,सुरेश ने कोटा से बी ऐ की डिग्री पास की लेकिन जब तक सुरेश से सुरेश अलबेला बन चुके थे ,,हमेशा कुछ नया करने की उमंग थी ,,बात चीत के लहजे में हास्य था ,,व्यंग्य था ,,अल्फ़ाज़ों में रिधम ,,रदीफ़ ,,काफिये का तालमेल था ,,अल्फ़ाज़ों में फलसफा ,,,मौसीक़ी ,,तंज़ो मज़ाह ,,रवानगी थी इसीलिए जो भी लिखते जो भी बोलते एक नया अंदाज़ बनता गया ,,पहले दोस्तों में ,,परिवार में ,,फिर छोटे छोटे कार्यक्रमों में फिर तो पुरे देश के ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चेलेंज शो के चौथे एपीसोड के विजेता बन गए ,,सुरेश अलबेला देश भर के लॉफ्टर शो विजेता तो बने लेकिन कोई अहंकार नहीं ,,बस अपनी लेखनी अपनी व्यंग्य विधा से लोगों को हँसते हँसते सुधारने की कोशिशों में जुट गए ,,,सुरेश ,,,,सुरेश से सुरेश अलबेला बने ,,पुलिस विभाग में पले बढे सुरेश को संस्कार भी पुलिस में रहकर भी इनके पिता ने ईमानदारी ,,वफादारी ,,,,इन्साफ के दिए और यक़ीनन सुरेश अलबेला भी अपने अल्फ़ाज़ों से यही सब कार्यवाही आगे बढ़ा रहे है ,,उनका कविता कहने का अंदाज़ ,,उनकी छोटी छोटी तुकबन्दी ,,ताली बजाने का अंदाज़ कुछ ऐसा है के लोगों को भा जाता है और सुरेश अलबेला हास्य व्यंग्य साहित्य की दुनिया में हिट होकर ज़िंदाबाद हो जाते है ,,,इन्हे वर्ष दो हज़ार नो में सुरेलिया साहित्य सम्मान से भी सम्मानित किया गया ,,देश भर के ढेरों सम्मान ,,ढेरो साफेबन्दी ,,ढेरों पुरस्कार ,,लेकिन सुरेश अलबेला देश के हालातों से संतुष्ठ नहीं वोह जब भी देश में भ्रष्टाचार के क़िस्से चलते है तो आहत होते है ,,किसी महिला पर अत्याचार या फिर किसी पीड़िता से बलात्कार होता है तो सुरेश अलबेला तड़प जाते है वोह देश की सीमाओ की सुरक्षा के प्रति चिंतित है ,,देश के हालातों को बदलना चाहते है ,,देश में अमन ,,चेन ,,सुकून ,,शांति ,,सद्भावना पैदा कर युवाओ के लिए सुरक्षा और रोज़गार के अवसर देखना चाहते है ,,वोह बहानेबाज़ी ,,बेईमानी ,,धोखेबाज़ी वाली सियासत से खफा है ,,इसीलिए देश को कुछ मिले यह सोचकर पिछले चुनाव में सुरेश अलबेला देश के वर्तमान प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित थे ,,वोह नरेंद्र मोदी की साफ़गोई ,,उनकी जादुई भाषण शैली ,,कुछ कर गुज़रने के जज़्बे में जज़्बाती हुए और नरेंद्र मोदी को ज़िंदाबाद कर बेहतर प्रचार भी किया नतीजन नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भी बन गए ,,,सुरेश अलबेला एक साहित्यकार है वोह किसी विचारधारा के गुलाम नहीं बस देश के हालात कैसे सुधरे उसके प्रति चिंतित रहते है ,,यही वजह है के नरेंद्र मोदी सरकार के ज़ीरो रिज़ल्ट के बाद सुरेश अलबेला सदमे में लगते है ,,वोह चाहते है जो वायदे हुए है उन्हें निभाए जाए ,,कालाधन वापस आये तो सीमाये सुरक्षित हो ,,गरीबों को रोटी ,,रोज़गार ,,कपड़ा ,,मकान ,,शिक्षा , चिकित्सा मुफ्त मिले ,,देश तरक़्क़ी करे और इसीलिए उनकी लेखनी में अब थोड़ा बदलाव ,,थोड़ी हंसी के साथ हालातों पर टिप्पणी भी शामिल होने लगी है ,,,,सुरेश ने हज़ारों व्यंग्य लिखे है ,,तत्काल भी व्यंग्य तैयार किये है ,,यह उनकी कुशाग्र बुद्धि का ही सुबूत है ,,हिंदी भाषा के प्रति प्रेम की हद देखिये के एक बार हवाई जहाज़ में जब उन्हें मुंबई जाना था तो हवाईजहाज़ में हिंदी अख़बार नहीं मिलने पर इन्होने हंगामा खड़ा कर दिया ,,शिकायते लिखी और अब इनकी कोशिश है के हवाई सेवा में अंग्रेजी मेगज़ीन ,,अखबारों के साथ हिंदी अख़बार और मेगज़ीन भी आवश्यक रूप से रखवाई जाए ,,,,,,इनका एक हास्य व्यंग्य जो प्रचलित है ,,,,प्रत्क्षनम रक्षम ददामि नारी वस्त्रं समर्पयामि,वस्त्रविहारणी,न्यून वस्त्रधारणी,डील उघाडनी,आदरणिय मल्लिका शेरावत
रात्रीकालीन कुशल सैनानी,अधर रमयामी,नारी वस्त्रं भक्शणामी,लिपस्टिक चट्खामी,महामहिम चुम्बन स्वामी आदरणीय इमरान हाशमी !,,तो भाइयों कोटा के सुरेश अलबेला कोटा के युवाओ के लिए भी शीघ्र ही कोई नयी आदर्श कार्य योजना तैयार कर आपके बीच आने वाले है उनका स्वागत है ,,सत्कार है ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोहब्बत

तुझ से दूर रहकर.. 
मोहब्बत 
बढ़ती जा रही हैं..
क्या कहूँ..
कैसे कहूँ.. 
ये दुरी तुझे और
करीब ला रही हैं !!

क़सम

मेने क़सम खाई थी 
मरते दम तक रह लूँगा 
तुम्हारे बगैर ,,
बताओ तो सही 
कोनसा काल जादू है तुम्हारे पास 
जो में पल भर ही
बिन पानी मछली की तरह
तड़पने लगा तुम्हारे बगैर ,अख्तर

फतेहाँन वेलफेयर सोसाइटी के तत्वाधान में चौहदवा सामूहिक विवाह सम्मेलन

फतेहाँन वेलफेयर सोसाइटी के तत्वाधान में चौहदवा सामूहिक विवाह सम्मेलन आगामी पांच अप्रेल को कोटा मेला दशहरा ग्राउंड पर होगा ,,फातेहाँन वेलफेएर सोसाइटी के अध्यक्ष अब्दुल रहीम खान अपनी फातेहाँन टीम के साथ हर साल विवाह सम्मेलन का आयोजन कर खिदमत का काम कर रहे है ,,शेख ,,मुग़ल ,,सय्यद ,,पठान सहित कई जोड़े इस सम्मेलन में निकाह क़ुबूल कहते है ,,,,,,,कम खर्च में बेहतर विवाह व्यवस्था इनका कमाल है ,,,हर साल अब्दुल रहीम खान कई गरीब ,,निर्धन ज़रूरत मन्दो का विवाह शुल्क खुद के पास से जमा करा कर उनका विवाह करवाते रहे है ,,, रहीम खान कई सालो तक कोटा कार बाज़ार के अध्यक्ष भी रहे है ,,यूँ कहिये के कोटा में कार बाज़ार की स्थापना करने वाले ,,कारबाज़ार को पहचान दिलवाकर सरकारी स्तर पर अतिरिक्त जगह दिलवाने वाले रहीम खान ही है ,,,,रहीम खान कांग्रेस से जुड़कर हर चुनाव में कांग्रेस ज़िंदाबाद करते है ,,पहले अल्सपंख्य्क प्रकोष्ठ में प्रदेश पदाधिकारी की हैसियत से रहीम खान ने कई सेमिनार ,,सम्मेलन करवाये है ,,वोह हमेशा किसी की भी समस्या के लिए तत्पर तय्यार रहते है ,,,,,रहीम खान कांग्रेस में खासकर शांतिधरीवाल के साथ जुड़ कर सत्ता पक्ष में रहते हुए कई लोगों के काम करवाते रहे है ,,,रहीम खान के सेवा कार्यों की वजह से ही आज उनके पास मित्रों की लम्बी फौज है जो हर वक़्त उनके साथ समर्पण भाव से कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार रहती है ,,,,सम्मेलन में युवा कोंग्रेसी साजिद जावेद सहिात पूरी टीम ज़िम्मेदारी से तैयारियों में जुटी है ,,आगामी पांच अप्रेल को फतेहाँन वेलफेयर सोसाइटी के कई दर्जन जोड़ों को निकाह क़ुबूल है निकाह क़ुबूल के वक़्त कोटा के सियासी लोगों सहित कांग्रेस अस्ल्पसंख्य्क विभाग के प्रदेश अध्यक्ष ,,पूर्व मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ,,राजस्थान कांग्रेस के सह प्रभारी मिर्ज़ा इरशाद बेग इस विवाह सम्मेलन के साक्षी बनेंगे और दूल्हा दुल्हन को दुआएं देंगे ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम रोज़

तुम रोज़ मुझे 
इस तरह से सताते थे 
आज देखो 
क़ब्र में पढ़ा हूँ 
फिर भी मुझे 
तुम्हारे आने
तुम्हारे सताने का इन्तिज़ार है ,,,

कोटा संभाग में को ओर्डीनेटर

फातेहाँन वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष रहीम खान ,,पूर्व पार्षद रेहाना खान को ,,,प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक् अल्पसंख्यक विभाग निज़ाम कुरैशी ने कोटा संभाग में को ओर्डीनेटर के पद पर नियुक्त किया है ,,,,,प्रदेश को ओर्डीनेटर मक़सूद अहमद ने बताया के रहीम खान और रेहाना खान कोटा संभाग के चेयरमेन एडवोकेट अख्तर खान अकेला के साथ कोऑर्डीनेट कर संगठन को मज़बूती देने के लिए काम करेंगे ,,,,,,,,,रहीम भाई और बहन रिहाना को उनकी इस नियुक्ति पर दिली मुबारकबाद ,,बधाई ,,,कोटा संभाग के चेयरमेन एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कहा के कोटा संभाग के सभी पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की एक बैठक शीघ्र ही कोटा में बुलाई जायेगी जिसमे संगठन को मज़बूत करने ,,पीड़ित अल्सपंख्य्कों को इन्साफ दिलाने के लिए संघर्ष की कार्ययोजना तैयार की जायेगी ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इस वीर ने अपना सिर काटकर फेंका था किले में और जीत ली थी प्रतियोगिता

इस वीर ने अपना सिर काटकर फेंका था किले में और जीत ली थी प्रतियोगिता
30 मार्च को राजस्थान अपना 65 वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। राजस्थान का अपना गौरवमयी इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।आपको आज बताने जा रहा है एक वीर योद्धा की कहानी जिसने राजा की सेना में आगे रहने के लिए अपना सिर काटकर किले में फेंक दिया था...
उदयपुर। राजस्थान का इतिहास यहां के राजपूतों के हजारों वीरता की सच्ची गाथाओं के लिए भी जाना जाता है। उन्हीं गाथावों मे से एक है जैतसिंह चुण्डावत की कहानी। मेवाड़ के महाराणा अमरसिंह की सेना की दो राजपूत रेजिमेंट चुण्डावत और शक्तावत में अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए एक प्रतियोगिता हुई थी। इस प्रतियोगिता को राजपूतों की अपनी आन, बान और शान के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर देने वाली कहावत का एक अच्छा उदाहरण माना जाता है।
मेवाड़ के महाराणा अमरसिंह की सेना में विशेष पराक्रमी होने के कारण चुण्डावत खांप के वीरों को ही युद्ध भूमि में अग्रिम पंक्ति में रहने का गौरव मिला हुआ था। वह उसे अपना अधिकार मानते थे। किन्तु शक्तावत खांप के वीर राजपूत भी कम पराक्रमी नहीं थे। उनकी भी इच्छा थी की युद्ध क्षेत्र में सेना में आगे रहकर मृत्यु से पहला मुकाबला उनका होना चाहिए। उन्होंने मांग रखी कि हम चुंडावतों से त्याग, बलिदान व शौर्य में किसी भी प्रकार कम नहीं है। युद्ध भूमि में आगे रहने का अधिकार हमें मिलना चाहिए। इसके लिए एक प्रतियोगिता रखी गई जिसे जीतने के लिए चुण्डावत ने अपना सिर खुद धड़ से अलग कर किले में फेंक दिया था।
सभी जानते थे कि युद्ध भूमि में सबसे आगे रहना यानी मौत को सबसे पहले गले लगाना। मौत की इस तरह पहले गले लगाने की चाहत को देख महाराणा धर्म-संकट में पड़ गए। किस पक्ष को अधिक पराक्रमी मानकर युद्ध भूमि में आगे रहने का अधिकार दिया जाए?
इसका निर्णय करने के लिए उन्होंने एक कसौटी तय की, जिसके अनुसार यह निश्चित किया गया कि दोनों दल उन्टाला दुर्ग (किला जो कि बादशाह जहांगीर के अधीन था और फतेहपुर का नवाब समस खां वहां का किलेदार था) पर अलग-अलग दिशा से एक साथ आक्रमण करेंगे व जिस दल का व्यक्ति पहले दुर्ग में प्रवेश करेगा उसे ही युद्ध भूमि में रहने का अधिकार दिया जाएगा।
प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए दोनों दलों के रण-बांकुरों ने उन्टाला दुर्ग (किले) पर आक्रमण कर दिया। शक्तावत वीर दुर्ग के फाटक के पास पहुंच कर उसे तोड़ने का प्रयास करने लगे तो चुंडावत वीरों ने पास ही दुर्ग की दीवार पर रस्से डालकर चढ़ने का प्रयास शुरू कर दिया। इधर शक्तावतों ने जब दुर्ग के फाटक को तोड़ने के लिए फाटक पर हाथी को टक्कर देने के लिए आगे बढाया तो फाटक में लगे हुए लोहे के नुकीले शूलों से सहम कर हाथी पीछे हट गया।


क़ुरआन का सन्देश

 
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