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30 मार्च 2015

तीन-चार महीने में हो जाती मौत, लेकिन मधुमक्खी ने काटा तो बच गई जान


(सांकेतिक फोटो)
वह कैलिफोर्निया में थी, हॉस्पिटल जाने से इनकार कर चुकी थी और मरने का इंतजार कर रही थी। असल में वह इलाज करा-करा के थक चुकी थी। किसी डॉक्टर के पास उसकी बीमारी इलाज नहीं था। उसके सारे पैसे खत्म हो गए थे। लेकिन एक दिन कुछ वक्त के लिए वह कमरे से बाहर निकली और एक टूटी हुई दीवार के सहारे खड़ी हो गई। अचानक एक मधुमक्खी उसके सिर से टकराई और उसे एक झटका-सा लगा। फिर उसके चारों ओर मधुमक्खियां ही मधुमक्खियां और उनकी घनघनाहट वाली गुंज थी। सारी मधुमक्खियां उसे काट रही थीं। उसका इलाज शुरू हो चुका था... और वह बच गई।
यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, हकीकत है। ऐसा अमेरिका की 45 साल की महिला एली लोबेल के साथ हुआ। दरअसल, जब वह 27 साल की थी तो उसे एक कीड़े ने काटा था। इस कीड़े के काटने से उसे लाइम नामक बीमारी हो गई थी। इस बीमारी में लोगों को लगातार बुखार रहता है और शरीर पर जगह-जगह लाल चकत्ते हो जाते हैं। लाइम बीमारी अमेरिका में हर साल 3 लाख लोगों को होती है। पहले यह लाइलाज बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब इसका इलाज मुमकिन हो गया है। लेकिन सालों पहले जब एली को यह बीमारी हुई, तो डॉक्टर इसे पहचान ही नहीं सके। बाद में इतनी देर हो गई कि इलाज मुमकिन नहीं था। धीरे-धीरे उसका उठना-बैठना भी मुश्किल हो गया। चल पाना तो दूर की बात है। वह बताती है कि अगर मधुमक्खियां नहीं काटतीं तो तीन-चार महीने में उसकी मौत हो जाती।
एली को अफ्रीकन प्रजाति की मधुमक्खियों ने काटा था। मधुमक्खियों के शरीर में कई तरह के केमिकल होते हैं। इसी केमिकल से मधुमक्खियां शहद भी तैयार करती हैं। इस मामले में भी मधुमक्खियों के भीतर मौजूद केमिकल ने महिला के लिए दवा का काम किया और वह बच गई। आज वह बिल्कुल स्वस्थ है और उसकी कहानी दुनिया भर में पढ़ी जा रही है। कई डॉक्टर और साइंटिस्ट भी इस मामले को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

अशोक चाँदना के नेतृत्व में युवक कांग्रेस को संघर्ष की एक नयी दिशा दे रहे यूथ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मक़सूद

राजस्थान में अशोक चाँदना के नेतृत्व में युवक कांग्रेस को संघर्ष की एक नयी दिशा दे रहे यूथ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मक़सूद अहमद राजस्थान अल्पसंख्य्क विभाग प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सारथी बनकर कांग्रेस को मज़बूती देने की कामयाब कोशिशों में जुटे है ,,,,अल्पसंख्य्क प्रदेश कांग्रेस विभाग के प्रदेश निज़ाम कुरैशी के साथ को ओर्डीनेट कर मक़सूद अहमद अल्पसंख्यक विभाग से राजस्थान के लगभग सभी नाराज़ तबके को अपने साथ लाने की कोशिशों में कामयाब हुए है ,,,,,मक़सूद अहमद जयपुर में पले बढ़े ,,पढ़े लिखे और छात्र जीवन से ही छात्र कांग्रेस में रहकर कांग्रेस के लिए संघर्ष करते रहे ,,,छात्र जीवन से ही मक़सूद अहमद सेवा कार्यों से जुड़े और जनहित में इनके नेतृत्व में कई दर्जन संघर्ष हुए ,,,,स्कूल कॉलेज की सियासत के बाद मक़सूद युथ कांग्रेस में पदाधिकारी बने ,,राजीव गांधी के युथ कांग्रेस में चुनाव के निर्देशों के बाद मक़सूद अहमद दूसरी बार युथ कांग्रेस के महासचिव निर्वाचित हुए है ,,वोह अजमेर ,,उदयपुर ,,बीकानेर ,,सहित कई ज़िलों के प्रभारी युथ कांग्रेस रहे है ,,,,,कांग्रेस आंदोलन में उनका मुखर प्रदर्शन रहा है ,,अभी हाल ही में जयपुर में राष्ट्रीय यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बरार के आह्वान पर भूमि अधिग्रहण बल के खिलाफ प्रदर्शन में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही ,लाठीवार में मक़सूद अहमद का वरिष्ठ नेताओं को बचाने की पूरी कार्य योजना कामयाब हुई ,,,मकसुद अहमद कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमेन निज़ाम कुरैशी के सारथि बने और राजस्थान के विभिन्न दौरों के बाद राजस्थान अल्पसंख्य्क के प्रदेश व्यापी दो बढ़े कार्यक्रम आयोजित किये ,,उनका संफल संचालन किया राजस्थान के अध्यक्ष ,निज़ाम कुरैशी की सहमती से प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया ,,संभागीय अध्यक्ष को ऑर्डिनेटर नियुक्त किये गए ,,,,,,,मक़सूद अहमद खुद अल्पसंख्यक विभाग राजस्थान के कार्यालय प्रभारी और को ओर्डीनेटर का सफलतम काम कर रहे है ,,,,चेयरमेन निज़ाम कुरैशी और मक़सूद अहमद ने संभागीय स्तर पद नियुक्ति में अनुशासन क़ायम करने का प्रयास किया है ,,कोई भी नियुक्ति संभाग के नियंत्रित ज़िलों में संभाग के चेयरमेन पदाधिकारियों की सहमति के बगैर नहीं होगी ,,सभी संभाग के ज़िलों के पदाधिकारी संभाग के चेयरमेन की पूर्व सहमति से कार्य करेंगे ,,,मक़सूद अहमद की इस कोशिश से अल्पसंख्यक विभाग में जो मनमानी थी उस पर रोक लगी है विकेन्ट्रीकरण की जो कोशिश है उसमे कामयाबी मिली है और संभाग के ऐसे कार्यकर्ता ,,ऐसे पदाधिकारी जो खुद को पदाधिकारियों से बढ़ा समझ कर अपनी ऊँची रसुकात के बल पर मनमानी कर अनुशासनहीनता निरंकुशता का माहोल पैदा करते है उनके भी पर कतरे गए है ,,,,,,,मक़सूद अहमद यूथ कांग्रेस और अल्पसंख्यक विभाग प्रदेश कांग्रेस कमेटी को मिलाकर राजस्थान में कांग्रेस को ज़िंदाबाद करने की कामयाब कोशिशों में है ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ऐक डाक्टर ने

ऐक डाक्टर ने खुद के बारे मे कहा...
हमारी शख्शियत का अंदाज़ा तुम क्या लगाओगे ग़ालिब,,
जब गुज़रते है क़ब्रिस्तान से
तो मुर्दे भी उठ के पूछ लेते हैं...
कि डाॅक्टर साहब !!
अब तो बता दो मुझे तकलीफ क्या थी...!

पद्म विभूषण लेने के बाद आडवाणी बोले-मरने के बाद न दें ऐसे अवॉर्ड

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा पदम विभुषण से सम्मानित होते लाल कृष्ण आडवाणी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा पदम विभुषण से सम्मानित होते लाल कृष्ण आडवाणी
नई दिल्ली. पद्म विभूषण जैसे देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से सोमवार को नवाजे गए पूर्व उप प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ऐसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों की टाइमिंग पर ही सवाल खड़े कर दिए। आडवाणी ने कहा कि ऐसे सम्मान समय पर दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को ये अवॉर्ड तब दिए जाने चाहिए, जब उनका स्वास्थ्य अच्छा हो। 87 साल के आडवाणी ने दिवंगत लोगों को प्रतिष्ठित पुरस्कार दिए जाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऐसे पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिए जाने चाहिए।
आडवाणी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए कहा, 'उदाहरण के लिए मेरे सीनियर वाजपेयी को भारत रत्न बहुत पहले मिल जाना चाहिए था। मैंने इसका सुझाव उप-राष्ट्रपति को दिया था।' उन्होंने कहा, 'मुझे बहुत खुशी होती अगर वाजपेयी जी को यह सम्मान 5-7 साल पहले मिला होता।' आडवाणी ने कहा, 'यह पहली बार है कि मेरे सीनियर अटल बिहारी वाजपेयी, प्रकाश सिंह बादल और मुझे देश के द्वारा सम्मानित किया गया है। मैं बहुत खुश हूं।'
आडवाणी की बेटी प्रतिभा आडवाणी ने अपने पिता को मिले सम्मान पर खुशी जताते हुए कहा, 'मेरे पिता बचपन से ही देशसेवा के कामों में लगे हुए हैं।' उन्होंने कहा, 'अटल-आडवाणी की जोड़ी को इस देश का इतिहास हमेशा याद रखेगा। दोनों को एक ही साल में सम्मानित किया गया है।'
गौरतलब है कि आज ही प्रख्यात शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मालवीय के परिजनों को भारत रत्न सौंपा। इसके साथ ही आज कई लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया।

अमेरिका की सुरक्षा एजेंसी NSA हेडक्वॉर्टर पर हमला, गोलीबारी में एक की मौत


अमेरिका की सुरक्षा एजेंसी NSA हेडक्वॉर्टर पर हमला, गोलीबारी में एक की मौत
वाशिंगटन। अमेरिका की सुरक्षा एजेंसी एनएसए के हेडक्वॉर्टर में सोमवार को दो कार सवारों ने गोलाबारी की। दोनों हमलावर महिलाओं के कपड़े पहने हुए थे। एनएसए के गेट पर पहुंचते ही दोनों ने अपनी गोलीबारी शुरू कर दी। दोनों तरफ से चलती हुई गोलियों में एक हमलावर की मौत हो गई जबकि, एक अन्य हमलावर घायल हो गया। घटना के वक्त अमेरिका में सुबह के नौ बजे थे।
मामले की पूरी जांच एफबीआई और एनएसए पुलिस द्वारा की जाएगी। एफबीआई ने इस घटना में किसी आतंकवादी संगठन का हाथ होने की पुष्टि नहीं की है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा पूरी घटना पर अमेरिका के लोगों को संबोधित करेंगे।

दबंगों ने की महिला से मारपीट

दबंगों ने की महिला से मारपीट
नाली सफाई को लेकर हुआ विवाद
महिला गंभीर रूप से घायल
कोटा के रेलवे कॉलोनी थाना क्षेत्र के कालातलाब में आज नाली सफाई को लेकर कुछ दबंग लोगों ने एक महिला के साथ लाठी और सरीए से मारपीट की। जिससे महिला के सिर पर गंभीर चोटें आई। घायल महिला के परिजनों ने उसे एमबीएस अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर उसका उपचार चल रहा है। हम आपको बता दे कि कालातलाब निवासी शंकरा देवी ने पड़ोसी जगन्नाथ के मकान में रह रहे किराये दारों को नाली में कचरा ना फेकने के लिए कहा। जिसपर जगन्नाथ ने अपने साथ नन्दलाल, बद्री बाई, रामपाल, रमेश, रामस्वरुप और अन्य लोगों के साथ शंकरा देवी के मकान में घुसकर उसके और उसकी बेटी पिंकी के साथ लाठी व सरिये से मारपीट की। जबतक परिजन कुछ समझ पाते तब तक सभी अभियुक्त वहां से फरार हो गए। घायल के परिजनों ने रेलवे कॉलोनी थाने में मारपीट करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराया और पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक अभियुक्त रामपाल को गिरफ्तार किया। वहीं पुलिस अन्य अभियुक्तों की तलाश में जुटी है। कुछ गुंडो ने मेरी माँ को शरीयो से और लाठियो से मारा हे आप से गुजारिश हे मेरी मद्त करो जब में पुलिस के पहुची तो मेरी किसी ने नही सुनी और मुझे हे भला बुरा कहने लगे और मेरे भाई और मेरे पिता जी के साथ CI नेत्रपाल सिंह ने मारपीट की कहने वालो ने कहा हे की पैस वालो का हे कानून ह मेरी मद्त करो और इस मेसेज को ज्यादा से ज्यादा लोगो में फोरवाओर्ड करे जिससे मुझ इंसाफ मिल सके आपकी बेटी पिंकी मीणा 9782069192

AAP के 'बागियों' की 14 अप्रैल को बैठक: नई पार्टी बना सकते हैं योगेंद्र-प्रशांत


AAP के 'बागियों' की 14 अप्रैल को बैठक: नई पार्टी बना सकते हैं योगेंद्र-प्रशांत
नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद योगेंद्र यादव ने संकेत दिए हैं कि वे नई पार्टी बना सकते हैं। एक टीवी चैनल से बात करते हुए खुद योगेंद्र यादव ने कहा है कि आगे की रणनीति तय करने के लिए 14 अप्रैल को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में एक बैठक होगी। बैठक में योगेंद्र और प्रशांत 'आप' के कुछ नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ आगे की रणनीति तय करेंगे। इस बीच, खबर है कि योगेंद्र यादव को आप के मुख्य प्रवक्ता पद से हटाया जा सकता है।
'देशभर से वॉलंटियर को बुला कर चर्चा करेंगे'
योगेंद्र ने कहा, 'यह पार्टी एक आंदोलन और भावना से पैदा हुई है और हमारा काम इस भावना और आंदोलन को आगे बढ़ाना है। इसके लिए क्या करना है इसके लिए हम देशभर से कार्यकर्ताओं को बुलाकर संवाद करेंगे और आगे क्या करना है, यह तय किया जाएगा।' उन्होंने यह भी कहा कि वे देश में यात्रा करना चाहते हैं।
नहीं छोड़नी है पार्टी
भले ही योगेंद्र और प्रशांत 14 अप्रैल को बैठक कर आगे की रणनीति तय करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अभी वे खुद पार्टी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। एक टीवी चैनल से बातचीत में योगेंद्र ने कहा, 'आप देखेंगे कि आने वाले कुछ दिनों में वे (केजरीवाल गुट) हमें पार्टी से भी बाहर निकाल सकते हैं। लेकिन हम खुद पार्टी नहीं छोड़ेंगे। अगर हम पार्टी छोड़ेंगे तो वे कहेंगे कि योगेंद्र जी ने पता नहीं क्यों पार्टी छोड़ दी।' योगेंद्र ने कहा, 'हमें लोगों का फेसबुक,ट्विटर, पत्रों और फोन के जरिए कार्यकर्ताओं हमें संदेश दे रहे हैं कि पार्टी छोड़नी नहीं है।' योगेंद्र ने कहा, 'ऐसे पार्टी किसी की प्रॉपर्टी नहीं, यह आंदोलन से निकली पार्टी है। लेकिन आंदोलन से निकली पार्टी और मौजूदा आम आदमी पार्टी में बड़ा अंतर है।'
'मेरा कोई झगड़ा नहीं'
योगेंद्र यादव ने कहा, 'मैं उनकी बातों का कोई जवाब नहीं देना चाहता। मेरा उनसे कोई झगड़ा नहीं है। मैं तो पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप का उनसे प्रमाण मांग रहा हूं, जिसे वे दे नहीं रहे हैं।'
'चुनौती है, मुझे करके दिखाना होगा'
'आप' की मौजूदा स्थिति पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, 'नई राजनीति का सपना देखना आसान है, उसे जमीन पर उतारना चुनौती है। यह चुनौती मेरे सामने है। मुझे करके दिखाना है, इस विचार को लेकर में देशभर के लोगों को जोड़ना चाहता हूं। गांव, किसान और खेती कि किसी को कोई चिंता नहीं है। दिल्ली में बैठकर लोग कैसे ओडिशा, बंगाल और महाराष्ट्र के बारे में फैसला कर लेते हैं। ये ठीक नहीं है। मुझे किसी पार्टी से कोई एजेस्टमेंट नहीं करनी, यही करना होता तो मैं 'आप' के साथ ही एडजस्ट कर लेता।'
अरविंद को दिया संदेश-निंदक नियरे राखिए...
अरविंद केजरीवाल को लेकर उनसे पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि वे बस इतना कहना चाहते हैं कि हमने आप को जो चिट्ठियां लिखी हैं, वे नकारात्मक नहीं है, सकारात्मक हैं।
योगेंद्र ने कहा, 'मैं अरविंद भाई को कहना चाहता हूं कि आपके आसपास जो लोग जमा हैं, वे आपके दोस्त नहीं हैं। वे आपको गुमराह कर रहे हैं अगर मेरी बातें उन्हें बुरी लगती हैं तो मेरा उनसे कहना है कि निंदक नियरे राखिए..यही हमारी संस्कृति है।'

AAP: बागी हो सकते हैं दस MLA, प्रो. आनंद बोले- बेडरूम तक जाएगी लड़ाई

AAP: बागी हो सकते हैं दस MLA, प्रो. आनंद बोले- बेडरूम तक जाएगी लड़ाई
नई दिल्ली. वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई, आंतरिक लोकपाल को हटाने जैसे कड़े कदम उठाने के बावजूद आम आदमी पार्टी (आप) में आपसी कलह और बगावत थमने का नाम ही नहीं ले रही है। जानकारी के मुताबिक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दस विधायक और दो सांसद मोर्चा खोल सकते हैं। ऐसे में पहले से ही प्रशांत-योगेंद्र खेमे के कारण बगावत का समाना कर रहे पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
इस बीच राष्ट्रीय परिषद की बैठक से निकाले गए प्रो. आनंद कुमार ने केजरीवाल के साथ लड़ाई और गंभीर होने के संकेत दिए हैं। उन्होंने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, ''आम आदमी पार्टी में आपसी विवाद अब किसी भी स्तर पर जा सकता है। लड़ाई अब बेडरूम, ड्राइंगरुम और रात के अंधेरों तक जाएगी ।'' बता दें कि मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं जिसमें आप नेता कवि कुमार विश्वास पर पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान एक पार्टी कार्यकर्ता से अवैध संबंध रखने का आरोप लगा है।
विरोधियों को संसदीय सचिव बनाए जाने से नाराज हैं विधायक
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दस विधायक दिल्ली के सीएम केजरीवाल से खुश नहीं है और वह मौके का इंतजार कर रहे हैं। इन विधायकों ने आप नेतृत्व को चेतावनी दी है कि उनके विरोधियों को दिल्ली में संसदीय सचिव बना कर मंत्री का दर्जा दिया जा रहा है जिसे वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। बता दें कि संसदीय सचिव के पद पर बैठे व्यक्ति को मंत्री के बराबर का दर्जा मिलता है जिसके तहत गाड़ी, एक व्यक्तिगत सहायक, विधानसभा क्षेत्र के तहत कार्यालय की सुविधा होती है।
केजरीवाल ने कहा-पार्टी में सबकुछ ठीक
इस बीच सोमवार को अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी में सबकुछ ठीक है। उन्होंने सोमवार को दिल्ली में कहा, ''पार्टी में सबकुछ ठीक है।'' बता दें कि पीएसी के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की ओर से बैठक में मारपीट का आरोप लगाया गया था। साथ ही रविवार को पार्टी ने केजरीवाल को जो बैठक मीडिया में जारी किया उसे एडिट होने का आरोप भी बागी नेताओं ने लगाया था। बागी नेताओं को कहना है कि 15 मिनट का हिस्सा जारी वीडियो में नहीं है जिसमें केजरीवाल के इशारे पर विधायक बैठक में हंगामा कर रहे थे। इस संबंध में सोमवार को प्रशांत भूषण ने कहा, ''आप अपने सिद्धांतों से भटक गई है। आंतरिक लोकपाल के पद से एडमिरल रामदास को हटाया जाना इस बात का संकेत है कि पार्टी में वही रहेगा जो केजरीवाल की हां में हां मिलाएगा।''

ICC ने टीम इंडिया के साथ की नाइंसाफी: ऑस्ट्रेलिया को मिला असली वर्ल्ड कप

फोटो: वर्ल्ड कप की दो अलग-अलग ट्रॉफियां विजेताओं के पास।
फोटो: वर्ल्ड कप की दो अलग-अलग ट्रॉफियां विजेताओं के पास।
खेल डेस्क. इंटरनेशनल क्रिकेट एसोसिएशन (आईसीसी) का दोहरा रवैया सामने आया है। रविवार को वर्ल्ड कप जीतने के बाद ऑस्ट्रेलिया को नकली ट्रॉफी दी गई थी। लेकिन सोमवार को आईसीसी ने पांचवीं बार वर्ल्ड कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को जश्न मनाने के लिए असली कप दे दिया। जबकि भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप-2011 जीता था तो उसे 'रेप्लिका' यानी असली ट्रॉफी जैसी दिखने वाली नकली ट्रॉफी ही सौंपी गई थी। तब नियमों का हवाला देकर कहा गया था कि विजेता टीम को नकली ट्रॉफी दी जाती है और असली ट्रॉफी को आईसीसी अपने पास रखती है। लेकिन सोमवार को जश्न मनाती ऑस्ट्रेलियाई टीम के हाथों में असली ट्रॉफी देखकर साफ हो गया कि भारतीय टीम के साथ 2011 में अन्याय हुआ था।
ऑस्ट्रेलियाई टीम के हाथ में था असली कप
असली ट्रॉफी के नीचे के हिस्से (यानी बेस) पर सिक्के जैसी डिजाइन होती है, जिस पर वर्ल्ड कप विजेता टीमों के नाम अंकित होते हैं। जबकि रेप्लिक का बेस काला होता है। ऑस्ट्रेलियाई टीम के जश्न की फोटोज में साफ-साफ देखा जा सकता है कि उनके हाथ में जो ट्रॉफी है, वह असली है। ट्रॉफी के बेस में सिक्के जैसा निशान मौजूद है, जबकि आईसीसी के चेयरमैन एन. श्रीनिवासन ने चैम्पियन बनने पर जो ट्रॉफी कप्तान क्लार्क को थमाई थी, उसका बेस काला था।
वर्ल्ड कप-2011 में हुआ था विवाद
वर्ल्ड कप-2011 जब भारतीय टीम विजेता बनी थी तो उसे काली बेस वाली रेप्लिका ही दी गई थी। यह बात सामने आते ही मीडिया ने काफी जोरशोर से आईसीसी पर सवाल उठाए थे। उस समय आईसीसी ने सफाई देते हुए कहा था, "विजेता टीम को जश्न के लिए 'रेप्लिका' यानी डुप्लीकेट ट्रॉफी ही दी जाती है।"

क़ुरआन का सन्देश

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