जब तक था दम में दम ,,ना दबे आसमां से हम जब दम निकल गया ,,मेरे अपने मुझे ज़मीन में दबा कर चल दिए ,,जी हाँ दोस्तों कोटा के समाज सेवक ,,सलमान पंचायत के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल सलाम जर्रा की कमोबेश यही कहानी है ,,,,,कुछ दिनों से पैर में इन्फेक्शन से पीड़ित होने के बाद अस्पताल में भर्ती अब्दुल सलाम जर्रा का कल आकस्मिक निधन हो गया वोह अपने परिवार ,,अपने दोस्तों को रोता बिलखता छोड़ गए ,,,,अब्दुल सलाम जर्रा के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कल कोटा की जामा मस्जिद स्थित क़ब्रिस्तान में किया गया ,,उनके स्वेम की फातिहा सोमवार सुबह सात बजे श्रीपुरा स्थित कबाड़ियों की मस्जिद में होगी ,,,,कल अचानक अब्दुल सलमा जर्रा के निधन से समाज में शोक की लहर दौड़ गयी ,,,पांच फुट लम्बाई ,,,,,सफेद बाल ,,,दुबला पतला शरीर ,,लेकिन सदाबाहर ,,दोस्तों में दोस्त ,,दुश्मनो में दुश्मन उनका नारा था ,,,,पढ़ाई की कमी थी लेकिन फिर भी वोह समाज सेवा क्षेत्र में सबसे आगे थे ,,अपने क्षेत्र के लोगों के राशनकार्ड बनवाने से लेकर ,,सभी छोटे बढ़े सरकार के विभागों से जुड़े काम करवाने में वोह माहिर थे ,,सलमानी पंचायत के जिला महासचिव की हैसियत से अब्दुल सलाम जर्रा ने इनके समाज का ऐतिहासिक सामूहिक विवाह सम्मेलन करवाया ,,समाज सुधार और समाज को राजनीति में उचित पर्तीिनिधित्व देने के लिए संघर्ष किया ,,,मुखर वक्ता ,,तेज़ तर्रार मिजाज़ ,,निर्भीक स्वभाव ,,,दोस्तों में दोस्त और दुश्मन के दुश्मन होने से कई चारसो बीस लोग इनसे खफा सिर्फ इसलिए थे के उनकी पोल पट्टी अब्दुल सलाम जर्रा चलने नहीं देते थे ,, कांग्रेस के मुखर कार्यकर्ता ,,लोगों के खिदमतगार इस अब्दुल सलाम जर्रा की कांग्रेस ने उपेक्षा भी की है ,,समर्पण भाव होने के बाद भी कांग्रेस ने इनसे सिर्फ लिया देने के नाम पर हमेशा अंगूठा दिखाया ,,,आखरी वक़्त आखरी लम्हों में शहर के सभी दिग्गज ,,छोटे बढ़े कोंग्रेसियों को इनकी गंभीर बीमारी की जानकारी थी ,,लेकिन अफ़सोस सियासत के नशे में मद मस्त कई कोंग्रेसी कथित नेताओं ने उनकी कुशल क्षेम पूंछना ,,चिकितसकों से उनकी बीमारी के बारे में चर्चा आकर उन्हें बेहतर इलाज देने के बारे में कोई गंभीरता नहीं दिखाई ,,,,एक अकेले पंकज मेहता प्रदेश महासचिव कांग्रेस कमेटी अपने साथियों के साथ लगातार अब्दुल सलाम जर्रा की तबियत पूंछते भी रहे और चिकितसकों से कोऑर्डीनेट भी करते रहे ,,,,,,,अब्दुल जर्रा कहने को तो जर्रा था लेकिन अपनों के लिए दोस्तों के लिए ,,समाज के लिए इनके क्षेत्र के पीड़ितों ,,शोषितों के लिए अब्दुल सलाम जर्रा आफताब था ,,अब्दुल सलाम जर्रा की खासियत थी के बाल सजाने और संवारने की इनकी कला से जो प्रभावित हुआ वोह इनका होकर रह गया फिर चाहे हफ्तों इन्तिज़ार के बाद इनसे बालों को सजाने और संवारने का काम क्यों नहीं करवाना पढ़े ,,इनकी खूबी थी के यह हमेशा लोगों के बीच रहते थे तब भी लोगों की जुबां पर इनके क़िस्से ,,इनकी चर्चा रहती थी ,,जब यह लोगों के साथ नहीं रहते थे तब भी लोग ज़्यादा वक़्त इनके तोर तरीकों पर ही चर्चा करने के लिए अपना वक़्त लगाते थे ,,,आज सलाम जर्रा चाहे हमारे बीच नहीं है लेकिन इनके क़िस्से ,,इनकी कहानिया ,,इनकी समाज सुधार की ज़िम्मेदारियो के क़िस्से कई सालों तक ज़िंदा रहेंगे ,,लोगों के बीच सलाम जर्रा हमेशा याद बनकर ज़िंदा रहेंगे ,,,दुःख की बात यह है के एक साल पहले अचानक उलटी हुई इनका बढ़ा बैठा शेखू दिल का दौरा पढ़ने से मोत का शिकार हुआ फिर एक माह पहले घर का काम करते वक़्त जब वोह आलू छील रही थी तब अचानक वोह भी पक्षाघात का शिकार हुई और उनकी मोत हो गयी ,,,,,,,चिकित्सा लापरवाही देखिये अब्दुल सलाम जर्रा की किडनी इन्फेक्शन और दिल की बीमारी का इलाज यथावत चल रहा था ,,इनकी तबियत खराब हुई सभी डॉक्टर सभी जांचो के बाद अंदाज़े से दिल ,,,नसों ,,,किडनी का इलाज कर रहे थे ,,तीन दिन अस्पताल में गुज़रने के बाद एक बिहारी कम्पाउण्डर ने इनकी जकड़न देखकर पूंछा इनके चोट तो नहीं थी जब हफ्ते भर पहले पैर के अंगूठे की चोट के बारे में परिजनों ने बताया तब कही जाकर आइसोलेशन वार्ड में पैर के इन्फेक्शन का इलाज शुरू हुआ लेकिन जब तक काफी देर हो चुकी थी और प्रकृति के क्रूर हाथो ने अब्दुल सलाम जर्रा को हँसते खेलते हमसे छीन लिया ,,एक दुखद घटना है ,,अश्रुपूर्ण श्रद्धाजंलि ,,इनके परिजनों को इस दुक्ख की घडी से निपटने के लिए खुदा हिम्मत दे और इनके घर में इनके एक मात्र बेटे ,,विधवा पत्नो ,,यतीम मासूम पोता ,,पोती को अल्लाह अपनी हिफाज़त में रखे ,, आमीन सुम्मा आमीन ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 अप्रैल 2015
भूत उतारने के नाम पर बेटी को पीटा, सलाखों से दागा और आंखों में नींबू निचोड़ा
अंबेडकर अस्पताल में लाया गया छात्रा को।
रायपुर. राजधानी में पुरानी बस्ती इलाके की एमकॉम की छात्रा को
उसके पिता और बैगा ने कथित तौर पर भूत उतारने के लिए अधमरी होने तक पीटा।
उसके शरीर को कई जगह गर्म सलाख से दागा गया, आंखों में नींबू तक निचोड़ दिए
गए। गंभीर रूप से घायल 21 साल की छात्रा को उसकी मां और बड़ी बहन ने
अस्पताल में दाखिल कराया है। परिजनों ने बताया कि घटना के बाद छात्रा का
पिता और बैगा ये कहकर फरार हो गए कि छात्रा को कुछ हो भी गया तो उन्हें
अफसोस नहीं होगा।
छात्रा पर प्रेतबाधा के नाम पर यह अत्याचार शनिवार की दोपहर डेढ़ से
ढाई बजे के बीच माना में किया गया। वहां बैगा का घर है। परिजनों के अनुसार
उसकी बहन एमकॉम प्रीवियस की पढ़ाई के साथ-साथ कुछ महीने से प्रतियोगी
परीक्षाओं के लिए कोचिंग कर रही थी।
इस दौरान वह दो-चार बार चक्कर खाकर गिरी। तब से पिता धनवा प्रसाद को
शक था कि प्रेत बाधा है। वह भी तंत्र-मंत्र जानता है। परिजनों के मुताबिक
उसके बाद से धनवा प्रसाद अपनी बेटी को प्रताड़ित कर रहा था। उसकी पिटाई भी
की जाती थी। धनवा प्रसाद शनिवार को सुबह अपनी बेटी को प्रोफेसर कॉलोनी के
एक मकान में ले गया।
वहां तंत्र-मंत्र के बाद माना में रहनेवाले बैगा ने अपने घर बुलाया।
माना पहुंचते ही बैगा ने छात्रा की लाठियों से पिटाई शुरू की। डाक्टरों के
मुताबिक उसके शरीर पर एक-दो जगह दागने के निशान भी हैं। इसके बाद बैगा और
पिता ने भूत उतारने के लिए छात्रा की आंख में नींबू निचोड़ दिए। इससे उसकी
दोनों आंखें सूज गईं और कम दिखने लगा।
यह सब चलता रहता, लेकिन छात्रा की बड़ी बहन को भनक लग गई। वह मां को
लेकर बैगा के घर गई और बहन को अस्पताल पहुंचाया। उसी ने सिविल लाइंस थाने
में शिकायत भी दर्ज कराई।
पिता मंत्रालय में ड्राइवर
छात्रा की बड़ी बहन ने बताया कि उसका पिता मंत्रालय में वाहन चालक है। वह तंत्र-मंत्र में लगा रहता है। इसीलिए जब भी छात्रा को चक्कर आता था, वह डाक्टर के बजाय प्रेत-बाधा की बात करता था और झाड़-फूंक कराता था। उसने यह भी बताया कि छात्रा को बैगा के पास ले जाने और प्रताड़ित करने में उसका मौसा चिंताराम फेकर भी शामिल है। छात्रा की मां ने कुछ दिन पहले विरोध किया था, तब पिता ने उसे भी जमकर पीटा था।
छात्रा की बड़ी बहन ने बताया कि उसका पिता मंत्रालय में वाहन चालक है। वह तंत्र-मंत्र में लगा रहता है। इसीलिए जब भी छात्रा को चक्कर आता था, वह डाक्टर के बजाय प्रेत-बाधा की बात करता था और झाड़-फूंक कराता था। उसने यह भी बताया कि छात्रा को बैगा के पास ले जाने और प्रताड़ित करने में उसका मौसा चिंताराम फेकर भी शामिल है। छात्रा की मां ने कुछ दिन पहले विरोध किया था, तब पिता ने उसे भी जमकर पीटा था।
छात्रा गंभीर, इलाज जारी
छात्रा गंभीर है। राजधानी में ऐसी घटना शर्मनाक है। घायल का ट्रामा सेंटर व नेत्र रोग विभाग में इलाज किया जा रहा है। ''
डॉ. सुनील गुप्ता, सीएमओ अंबेडकर अस्पताल
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