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08 अप्रैल 2015

किन्नरों का महामिलन: सड़कों पर जमकर किया डांस तो लोगों ने बरसाए फूल

किन्नरों का महामिलन: सड़कों पर जमकर किया डांस तो लोगों ने बरसाए फूल
गोगुंदा/उदयपुर. कस्बे के इंद्रप्रस्थ मार्केट में चल रहे अखिल भारतीय किन्नर सम्मेलन में बुधवार को बड़ी कलश यात्रा निकली। धूमधाम से निकली कलश यात्रा में जगह-जगह फल-फूल से ग्रामीणों ने किन्नरों को तोला। वहीं कई जगह पुष्पवर्षा भी हुई।
आयोजक आशा बाई ने बताया कि सुबह 11 बजे महाराणा प्रताप राजतिलक स्थली के महादेवजी की बावड़ी से बड़ी कलश यात्रा रवाना हुई। मालियों का चौरा, प्रताप चौक, ठोकरा चौराया, भैरूजी घाटी होते हुए एक बजे आयोजन स्थल पहुंची। प्रताप चौक में सरपंच घागुलाल मेघवाल व भैरूजी की घाटी शंकर आचार्य की ओर से किन्नरों को फल-फूलों से तोला गया। शोभायात्रा में किन्नर नाच गान करते हुए चल रहे थे।
इससे देखने के लिए राहगीर भी रुक गए। ऐहतियात के तौर पर पुलिस का जाब्ता भी तैनात रहा। इधर, रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। अशोक सोनी ने बताया कि रात 9 से 11 बजे तक चले कार्यक्रम में गोगुंदा ज्वेलर्स एसोसिएशन की ओर से सभी किन्नरों को सम्मानित किया गया। गौरतलब है आशा बाई की गुरु मोहनी बाई की याद में 15 अप्रैल तक चलने वाले किन्नर सम्मेलन में नेपाल, दिल्ली, जयपुर, रतलाम, पाली, जोधपुर, बंबई, सूरत सहित देशभर के शहरों से प्रमुख गादीपति भाग ले रहे है।

12 साल की रेप पीड़िता का नहीं होगा गर्भपात: कोर्ट के आदेश के बाद बनेगी मां


12 साल की रेप पीड़िता का नहीं होगा गर्भपात: कोर्ट के आदेश के बाद बनेगी मां
चंडीगढ़. सातवीं क्लास में पढ़ने वाली दुष्कर्म पीड़ित 12 साल की लड़की का गर्भपात नहीं हो सकेगा। चंडीगढ़ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडकिल साइंसेज (एसजीपीजीआई) द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद बुधवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को डिलिवरी पर होने वाला सारा खर्च उठाने और इसके अलावा दो लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात की मांग की थी
हाईकोर्ट ने एसजीपीजीआई के डायरेक्टर को निर्देश जारी करते हुए कहा कि डिलीवरी उन्हीं के अस्पताल में ही कराई जाए और लड़की की पहचान सार्वजनिक न की जाए। पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उसका गर्भपात कराया जाए। लड़की की मां ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दी थी कि लड़की का अचानक वजन बढ़ना शुरु हो गया। डॉक्टर ने जांच की तो बताया कि वह गर्भवती है। लड़की की मां की शिकायत पर करनाल पुलिस ने इस मामले में 19 फरवरी को आरोपी सतीश के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था।
अक्सर घर आता था आरोपी
शिकायत में कहा गया कि सतीश उनके घर अक्सर आता था। एक दिन घर में किसी को न पाकर उसने लड़की से दुष्कर्म किया और धमकाया कि इस बारे में किसी को बताया तो उसे जान से मार देगा। केस दर्ज होने के बाद इस मामले में बच्ची के गर्भपात के प्रयास चल रहे थे, लेकिन डॉक्टरों ने इससे इनकार कर दिया था।

शंकराचार्य ने दिया विवादित बयान, बोले-मुसलमान थे साईं, नाम था चांद मियां

मीडिया से बातचीत करते शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती।
मीडिया से बातचीत करते शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती।
इलाहाबाद. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने बुधवार को एक बार फिर साईं बाबा को लेकर विवादित बयान दिया। उन्‍होंने कहा, ‘साईं बाबा का नाम चांद मियां था और वह मुसलमान थे। आज मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां साईं के चरणों में रखी हुई हैं। सनातन धर्मियों के मंदिरों में देवताओं का यह अपमान है। रामनवमी के अवसर पर कई जगह पर लोग साईं बाबा की शोभा यात्रा निकालते हैं। यह बात हमें बहुत खराब लगती है।’ ये बातें उन्‍होंने इलाहाबाद प्रयाग स्‍थित मनकामेश्‍वर मंदिर पहुंचने पर एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान कही।
शिरडी की मजार से साबित होता है कि साईं मुसलमान थे
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, 'शिरडी में साईं की मजार बनी हुई है, उससे यह साबित होता है कि साईं मुसलमान थे क्योंकि, हिन्दुओं में जो समाधि दी जाती है, वह गोल आकार की होती है और मजार लंबे आकार की होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि साईं की जहां मजार बनाई गई है, वहीं वहां मूर्ति भी लगा दी गई है। ऐसे में कब्रिस्‍तान होने से वहां न तो हिंदू जाता है और मूर्ति लगाने के कारण मुसलमान भी नहीं जाता है। आखिर यह तमाशा क्यों किया जा रहा है?'
अब भी साईं का भाई कैसे जीवित हो सकता है
शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा कि एक कोई साहब हैं, जो अपने को साईं बाबा का भाई बता रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि जो आदमी 1838 में पैदा हुआ और 1918 में मर गया, उसका भाई कैसे जीवित हो सकता है। यह आजकल एकदम तमाशा बन गया है, जिसको जो मर्जी, वहीं बोले जा रहा है।
1200 करोड़ से बनेगा साईं पर टीवी सीरियल
शंकराचार्य ने कहा कि एक आदमी जन सूचना अधिकार के तहत जानकारी हासिल किया है कि साईं के ट्रस्ट में 1200 करोड़ रुपए हैं। इस रुपए को वे लोग साईं के ऊपर धारावाहिक बनाने में खर्च करेंगे। एक्टर और एक्ट्रेस आएंगे और साईं के बारे में झूठा प्रचार करेंगे। उन्‍होंने कहा कि साईं के ट्रस्ट में जो 1200 करोड़ रुपए हैं, वो सब हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति दिखा कर और ठगी करके लिया गया है।
लातूर में दान किया जाए पैसा
उन्होंने कहा कि साईं ट्रस्ट को यह पैसा लातूर में देना चाहिए, जहां पर पानी की काफी किल्लत है। यहां पानी की ऐसी दिक्‍कत है कि जब वहां कोई ट्रेन रुकती है, तो आसपास के इलाके की महिलाएं ट्रेन के बाथरूम से पानी भर कर घर ले जाती हैं और उसी पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करती हैं।
कभी दुर्गा बनते हैं, कभी शेषनाग के फन पर सोते हैं साईं
शंकराचार्य ने कहा कि साईं पर जो धारावाहिक बने हैं, उसमें कुछ भी प्रचार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि साईं के चरणों से गंगा-यमुना निकल रही है। शंकराचार्य ने साईं बाबा की तमाम तस्वीरें दिखाते हुए बताया कि किसी तस्वीर में साईं बाबा को भगवान शिव की तरह दिखाया गया है, तो किसी में उन्हें दुर्गा जी की तरह दिखाया गया है। वहीं, एक तस्वीर में दिखाया गया है कि साईं बाबा शेषनाग के फन पर सो रहे हैं।

आठ अप्रेल बंजारा दिवस

आठ अप्रेल बंजारा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ,,इस अवसर पर बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश बंजारा ने कोटा जगपुरा स्थित बंजारा मंदिर में माथा टेक कर सभी बंजारों से एक जुट होकर इस दिवस को ,,संघर्ष दिवस ,,के रूप में बनाने का आह्वान किया ,,कैलाश बंजारा ने समाज के लोगों से आह्वान किया के वोह शिक्षा से जुड़कर खुद को समाज में स्थापित करे ,,उन्होंने कहा के भाजपा शासन में बंजारा समाज सुरक्षित नहीं है और राजस्थान में अब तक एक साल में एक दर्जन से भी अधिक योजनाबद्ध प्राणघातक हमले बंजारों की बस्तियों पर हुए है ,,कैलाश बंजारा ने कहा के बंजारा दिवस हमारे आत्मचिंतन का दिवस है इस दिन हमे सोचना होगा ,,चिंतन करना होगा के हमने अपने समाज को न्याय दिलवाने ,,बराबरी का दर्जा दिलवाने ,,शोषण से मुक्ति दिलवाने उनके उत्थान के लिए वर्ष भर में क्या कार्य किये ,,कैलाश बंजारा ने कहा के अगर विश्व दिवस पर हम अपना रिपोर्ट कार्ड तय्यार करने लगे तो निश्चित तोर पर हर साल हम अपनी कमियां दूर कर खुद को स्थापित कर सकेंगे ,,,,, दोस्तों 8 अप्रिल 1981के दिन रोमा जिप्सी व विश्व बंजारावो की बैठक जर्मनी में हुयी थी जिसमे भारत से स्व. रामसिंग भानावत व स्व. रणजीत नाईक जी ने भाग लिया था। उस दिन को समाज की एकता के लिए “विश्व गोर बंजारा दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय कई वर्ष पहले समाज के बुद्दीजीवियोने लिया था इसलिये इस दिन को विश्व गोर बंजारा समाज का एकता दिवस के रूप में मनावो और गोर बंजारा समाज को एक करने का प्रयास करो और गोर बंजारा समाज की शान बढावो । दोस्तों “गोर बंजारा संघर्ष समिति भारत” परिवार की और से पुरे विश्व के गोर बंजारा समाज व देश वासीयो को विश्व गोर बंजारा दिवस की हार्दिक शुभ कामनाए।,,,,बंजारा या 'खानाबदोश' (Nomadic people) मानवों का ऐसा समुदाय है जो एक ही स्थान पर बसकर जीवन-यापन करने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरन्तर भ्रमणशील रहता है। एक आकलन के अनुसार विश्व में कोई ३-४ करोड़ बंजारे हैं। कई बंजारा समाजों ने बड़े-बड़े साम्राज्य तक स्थापित करने में सफलता पायी।,,,,, भारत में वर्तमान में बंजारा समाज कई प्रांतों से निवास करता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश तथा मप्र प्रांतों में बंजारा समाज की संख्या अधिक है। पूरे देश में अपनी एक अलग ही संस्कृति में जीने वाले इस समाज को अपनी विशिष्ट पहचान के रूप में जाना जाता है। वैसे भारतीय संविधान अनुसार समाज विकास के लिए प्रदेश स्तर पर अलग-अलग कानून बनाये गये है, जिसके कारण बंजारा जाति को किसी प्रदेश में अनुसूचित जनजाति में तो किसी प्रदेश में पिछड़ा वर्ग या विमुक्त जाति की सूची में रखा गया है। देश में बंजारा समाज हेतु एक जैसा कानून नहीं होने से यह समाज आज भी विकास की मुख्य धारा से नहीं जुड़ गया है। इसके कारण मप्र सहित कई प्रांत के बंजारा जाति के लोग अपनी रोजी-रोटी हेतु अलग-अलग प्रांतों में पलायन कर अपनी अजीविका चला रहे है। राजनैतिक दृष्टि से यह समाज अपनी पहचान तक नहीं बना पाया है। वर्तमान में मप्र बंजारा जाति की जनसंख्या लगभग दस लाख है, फिर भी प्रदेश, जिला व ब्लाक स्तर पर इस समाज का प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण समाज आज भी विकास की राह देख रहा है। शासन को चाहिए की बंजारा समाज जिसकी संस्कृति ने भारत देश की संस्कृति से मिलती-जुलती है। ऐसे समाज को सरकारी व गैर सरकारी, राजनैतिक संगठनों में कम से कम इतना प्रतिनिधित्व तो दिया ही जाना चाहिए, जिससे सदियों से पिछड़े समाज के विकास का रास्ता प्रबल हो। समय होते हुवे यदि शासन स्तर पर समाज की कोई ठोस पहल नहीं की जाती है। समाज अब अपने अधिकारों के लिए और अधिक समय तक इंतजार नहीं करेगा व अपने स्तर पर विकास हेतु भावी राजनीति बनाने में जुट सकता है,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कल एक झलक

कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,
फिर ढूँढा उसे इधर उधर
वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी,
एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार,
वो सहला के मुझे सुला रही थी
हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,
मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख़्त तूने,
वो हँसी और बोली- मैं ज़िंदगी हूँ पगले
तुझे जीना सिखा रही थी।? .

एक शख्सियत ,,सादा और सरल ,,खूबसीरत सी लेकिन सियासी ,,ईमानदार ,,राजस्थान कांग्रेस के सह प्रभारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अलहाज मिर्ज़ा इरशाद बेग

दोस्तों एक शख्सियत ,,सादा और सरल ,,खूबसीरत सी लेकिन सियासी ,,ईमानदार ,,राजस्थान कांग्रेस के सह प्रभारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अलहाज मिर्ज़ा इरशाद बेग के साथ एक दिन का खुशनुमा सफर ,,सोचने को मजबूर करता है ,,सियासत में सभी लुटेरे ,,सभी मक्कार नहीं होते कुछ बेहतर ओर बेहतरीन इंसान भी सियासत में होते है ,,,,,,जी हाँ दोस्तों पिछले दिनों फातेहाँ वेलफेयर सोसायटी के सामूहिक विवाह सम्मेलन में मुझ से इरशाद बेग साहब को बुलाने के लिए कहा गया ,,एक फोन पर सहजता और सरलता से बेग साहब ने दावतनामा बिना किसी नाज़ नखरे के क़ुबूल किया ,,,,,,,,वायदे के मुताबिक़ मिर्ज़ा इरशाद बेग पांच अप्रेल को सुबह ट्रेन से अहमदाबाद से आने वाले थे ,,देहात अल्सपंख्य्क कांग्रेस के प्रमुख अब्दुल करीम और में इरशाद बेग को लेने स्टेशन गए ,,ट्रेन आई ,,वही अपनापन ,,,सरलता ,,,पारिवारिक माहोल ,,स्टेशन से होटल फिर होटल से सर्किट हाउस पहुंचे ,,जहां चाय से फारिग होकर ,,मिर्ज़ा इरशाद बेग ने पहले गुसल किया ,,फिर वुज़ू किया ,,क़ुरआने पाक की तिलावत की ,,फिर नमाज़ ,,और दुआओं का सिलसिला चला ,,एक लम्बी इबादत के बाद ,,,लोगों से मिलने जुलने का कार्यक्रम ,,प्रदेश कांग्रेस महा सचिव पंकज मेहता ,,,रामकुमार दाधीच ,,मनोज दुबे ,,पूर्व मंत्री नफीस अहमद ,,जयपुर की पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल ,,उप जिलाप्रमुख मनोज शर्मा सहित कई लोगों ने मेल मुलाक़ात की ,,फिर बरी थी अल्पसंख्यक विभाग से जुड़े लोगों की ,, पंकज मेहता भी अल्सपंख्य्क ,,,,राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष निज़ाम कुरैशी ,,प्रदेश को ओर्डीनेटर मक़सूद अहमद ,,आरिफ नागोरी ,,खालिद भाई ,,इक्रामुद्दीन बबलू ,,लियाक़त लिक्कु ,रहीम खान ,,रिहाना खान ,,मजीद भाई ,,गुल्लू भाई ,,रईस खान ,,कैलाश बंजारा ,,,तबरेज़ पठन ,,शाहनवाज़ खान ,,ज़ाकिर मंसूरी ,,गुल्लू भाई ,,करीम खान सहित दर्जनों लोग उनकी अगवानी में थे सभी से सहजता से सरलता से उनका परिचय लेकर ,,शेर शायरी के साथ शायराना अंदाज़ में मुलाक़ात की ,,,,,,,,हमे निज़ाम कुरैशी ,,मक़सूद अहमद ,,इरशाद बेग को लेकर सामूहिक विवाह सम्मेलन में रवाना होना था ,, स्वागत की औपचारिकता के बाद हम सम्मेलन में पहुंचे जहा मिर्ज़ा इरशाद बेग ने दीनी बाते ,,क़ुरानी ,,हदीस से जुडी हिदायते ,,शादी ,,ब्याह ,,समारोह के बारे में सियासी भाषण से लग हठ कर बताई ,,कुछ सीख दी ,,मुस्लिम समाज के कल्याण और सुधार के टिप्स दिए ,,निज़ाम कुरैशी सहित सभी की दस्तार बंदी हुई ,,,,इरशाद बेग और निज़ाम कुरैशी की ख्वाहिश थी के कोंग्रेसी कार्यकर्ता अब्दुल सलाम जर्रा के आकस्मिक निधन के कारन उनके घर वालों को सांत्वना दी ,,,हम लोग अब्दुल सलाम जर्रा के घर पहुंचे वहां बेग साहब और निज़ाम कुरैशी ने अब्दुल सलाम जर्रा के सुपुत्र कलीम जर्रा के सर पर हाथ फेरा ,,ढांढस बंधाया ,,रोते हुए को गले लगाया ,,फिर मगफिरत के लिए एक लम्बी दुआ खुद मिर्ज़ा इरशाद बेग ने पढ़ी ,,सब हैरान थे एक सियासी शख्सियत हाजी भी है तो दीनदार भी है तो एक मोलवी ,मौलाना की तरह क़ुरानी की विरद के साथ दुआए मग़फ़ेरत पढ़ रहा ,,,,,,सलाम जर्रा की वज़र ख्वाही के बाद ,,पूर्व सांसद इजैराज सिंह के यहना रवाना हुए ,,,जहां थोड़ी सियासी बातें ,,थोड़ा हंसी मज़ाक फिर कांग्रेस युवा नेता भानु प्रताप सिंह ने किसानो को आटे के कट्टे देने का प्रोग्राम रखा था ,,ओलों से तबाह गाँव पीपल्दा मदनपुरा का गाँव बर्बाद तबाह था ,,वहां के किसान रो रहे थे सैकड़ों किसानो के बीच मिर्ज़ा इरशाद बेग ,, पूर्व सांसद इजराज सिंह ,,,कैलाश बंजारा ,, रईस खान सहित कई सरपंच ,,पंच प्रधान ज़लापरिषद सदस्यों की उपस्थित में ,,किसानो को बिजली के बिल नहीं जमा कराने की क्रांतिकारी हिदायत के साथ एक सियासी दर्द भरी तक़रीर जो किसानो के आंसुओं को पोंछने और ज़ख्मों पर मरहम लगाने के लिए काफी थी की गई ,,फिर कोटा वापसी थी ,,अब्दुल करीम खान सारथी थे ,,,,में और निज़ाम कुरैशी साथ थे राजस्थान के अल्सपंख्य्कों के हालात और उनकी सियासी समझ को लेकर एक लम्बा छोड़ा डिस्कशन हुआ ,,अल्सपंख्य्क समाज के सियासी तोर पर उपेक्षित लोगों को कैसे उनके हक़ दिलाये इस पर कुछ गुर सिखाये ,,,,कोटा पहुंचे क्रांतितिवारी उनके स्वागत को आतुर थे ,,,पंकज मेहता झालावाड़ से वापसी लेकर मौजूद थे ,,मिर्ज़ा इरशाद बेग ने उनके सांसद रहे जुझार सिंह की तबियत खराब होने से उनकी मिजाज़ पुरसी करने का हुक्म दिया ,,सभी लोग पूर्व मंत्री भरत सिंह और उनके पिता जुझार सिंह के निवास पर पहुंचे ,,जहां इरशाद बेग ने विनम्रता से जुझारसिंघ की कुशल क्षेम पुंछी ,,कुछ खट्टी मीठी पुरानी यादे ताज़ा हुई ,,हंसी ठहाके हुए फिर भाई इन्साफ आज़ाद के छोटे भाई की शादी में शामिल होना था ,,ट्रेन का वक़्त नज़दीक था लेकिन भागा दौड़ी तो हुई फिर भी भागते भागते बरात स्थल बोरखेड़ा इंसाफ़ आज़ाद साहब ,,उनके परिवार वालों के साथ सादगी भरी सरल मुलाक़ात ,,दूल्हा की बलाइयां लेकर दुआए देने का अन्दाज़ सभी को भा गया ,,,मिर्ज़ा इरशाद बेग की ट्रेन का वक़्त नज़दीक था ,,करीम खान ने गाढ़ी तेज़ दौड़ाई और आखिर वक़्त से पहले स्टेशन पहुंच ही गए ,,रस्ते में मुंबई के लोग उनकी महमानवाज़ी के लिए बार बार इसरार कर रहे थे ,,कोटा और राजस्थान के कई दिग्गज कोंग्रेसी नेता लगातार उनकी महमानवाज़ी की पेशकश कर रहे थे लेकिन वोह हमारी महमाँनवाज़ी की तारीफे करते हेु सभी को अदब के दायरे में शुक्रिया कह रहे थे ,,,तो दोस्तों ,,एक शीर्ष सियासी पद पर रहने वाले राष्ट्रिय कांग्रेस के सचिव ,,राजस्थान के सहप्रभारी जो हाजी तो है ही ,,एक बहतरीन इंसान ,,बेहतरीन वक्ता ,,सियासी समझ वाले तेज़ तर्रार चाणकय कोंग्रेसी ,,क्रन्तिकारी विचारक ,,सहज सरल ,,पुराने लोगों के साथ यादें बटोरने का जज़्बा रखने वाली शाखिसियत ,,,एक इस्लामिक कल्चर ,,नमाज़ी ,,परहेज़गारी ,,इबादतगारी और मौलाना की तरह क़ुरान ,,हदीस की जानकारी रखने वाली यह शख्सियत बहुमुखी प्रतिभा थी ,,जिसके साथ ने एक अहसास तो दिलाया है के सियासत में सभी लोग बुरे नहीं होते ,,सियासत में सभी मुस्लिम लीडर चमचे और बेहूदा बद्तमीज़ नहीं होते ,,कुछ ऐसे अपवाद भी है जो हमारा गुरुर है ,,जो हमारे हमदर्द है ,,ऐसे लोग जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी है वोह लोग सियासत में दबी कुचली मुस्लिम कॉम को होसला देकर ,,बेहतर सीख देकर निश्चित यत्र पर उनका हक़ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे है ,,और दिल से पहली बार आवाज़ निकली मिर्ज़ा इरशाद बेग ज़िंदाबाद ,,ज़िंदाबाद ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम ही तो थे

मेरी ज़िंदगी तुम ही तो थे
तुमने इस ज़िदंगी को लेकर
आखिर कमाल कर दिया
तुम तो पराये हो गए
लेकिन हमारी ज़िंदगी में
मोत सा धमाल कर दिया ,,

जहा शक हो

जहा शक हो
जहा फरेब हो
जहा सिर्फ इल्ज़ामात हो
जहाँ रुसवाई हो
जहां सिर्फ झूंठे वायदे हो
जहाँ टाइम पास हो
बस समझ लेना
वोह तुम्हारे कभी थे ही नहीं
बस समझ लेना
वोह तुम्हारे कभी हो सकते ही नहीं ,,,
तुम मर जाना लेकिन बस
ऐसे लोगों से दूर हमेशा दूर रहना
वरना ज़िल्लत ,,तड़पन फिर मोत के सिवा
कुछ और तुम्हे मिल नहीं सकेगा ,
मेरी बात पर यक़ीन ना हो अगर
तो जाओ ऐसे लोगों से ज़रा प्यार करके तो देखो
मुझे तो माँ की बद्दुआ थे बर्बाद होने की
इसीलिए में यह गलती कर बैठा
में तो रोज़ मर मर कर जी रहा हूँ
इसीलिए तो तुम्हे बचाने के लिए
अपने जीवन का कड़वा सच तुमसे कह रहा हूँ ,,,,अख्तर

जुझार सिंह पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री राजस्थान सरकार को सियासत विरासत में मिली

जुझार सिंह पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री राजस्थान सरकार को सियासत विरासत में मिली और इनकी विरासत इनके पुत्र भरत सिंह पूर्व मंत्री राजस्थान सरकार को मिली है ,,जुझार सिंह राजस्थान झालावाड़ लोकसभा से कांग्रेस सांसद रहे ,,इसके पूर्व खानपुर झालावाड़ से विधायक होने के बाद इन्हे कांग्रेस सरकार में पर्यटन मंत्री बनाया गया ,,,जुझार सिंह एक संघर्ष का नाम है जो रजवाड़ों के नज़दीक होने से ,,जनता से सीधे जुड़े रहे और जनता के कामकाज में सीधा हाथ बंटा कर उन्हें न्याय दिलवाने की परम्परा ने इन्हे जनता का लोकप्रिय बना दिया ,,,,,,,,,,,,,,,जुझार सिंह वर्ष उन्नीस सो बावन में रामराज्य परिषद पार्टी से खानपुर झालावाड़ से विधायक का चुनाव जीते फिर कांग्रेस में शामिल होकर कांग्रेस के ही होकर रह गए ,,,,जुझार सिंह पहली विधानसभा के दिग्गज ,,तेज़तर्रार विधायकों में से थे जिन्हे इनकी लोकप्रियता देखकर राजस्थान सरकार में पर्यटन मंत्री बनाया गया ,,राजस्थान में दबदबा होने से पुरे राजस्थान में अपने प्रयासों से इन्होने राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में जाकर कार्ययोजनाएं तय्यार की और राजस्थान को सजाया संवारा ,,राजस्थान को इन्होें लोगों के आकर्षक का केंद्र बनाया ,,राजस्थान में खान व्यवसाय को जुझारसिंह ने परवान चढ़ाया कई लोगों को रोज़गार से लगाया और राजस्थान की रेवेन्यू बढ़ने से राजस्थान में खुशहाली के भी प्रयास हुए ,,,विभिन्न संकटों में कांग्रेस के लिए संघर्ष कर कांग्रेस को स्थापित रखने में जुझार सिंह जूझते रहे और उन्नीस सो चौरासी में झालावाड़ से सांसद निर्वाचित हुए ,,जुझार सिंह इनकी राजनितिक परिपक्वता के चलते कई महत्वपूर्ण समितियों में सिरमौर रहे ,,संकटमोचक रहे और इनके विश्वास ,,भरोसे के चलते इन्हे कांग्रेस संगठन मज़बूत करने की भी ज़िम्मेदारियाँ दी गई ,,,जुझार सिंह अभी लगभग छियानवे वर्ष के है लेकिन गाँधीवादी विचारधारा के होने से खुद के काम खुद ही करते है ,,,खुद के कपड़े धोना ,,चाय नाश्ता तय्यार करना इनकी खुद की ज़िम्मेदारी है ,,इनके पुत्र भरत सिंह संस्कारवान है वोह राजस्थान के अकेले ऐसे सिद्धांतवादी मंत्री रहे है जिनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की एक ऊँगली भी नहीं उठी है ,,ईमानदार ,,कर्तव्यनिष्ठ , ग़रीबों के मसीहा ,,,हमदर्द ,,,सहज और सरल ,वक़्त के पाबंद भरत सिंह ने भी सियासत में अलग मिसाल क़ायम की है ,,अभी भरत सिंह जिस महकमे के केबिनेट मंत्री रहे है उसी महकमे में पंच है ,,उप सरपंच है ,,इनकी पत्नी सरपंच है और इनके प्रयासों से कई वर्षो बाद कोटा में कांग्रेस का जिलाप्रमुख इनके गांव का ही बना है ,,,जुझार सिंह पूर्व सांसद ,,पूर्व मंत्री ,,दिग्गज कोंग्रेसी होने से कांग्रेस का हर नेता इनकी कुशल क्षेम पूंछने इनके निवास पर जाता है ,,कांग्रेस के वर्तमान हालात ,,वर्तमान विवाद ,,,गुटबाज़ी और निराशावादी विचारधारा से वोह दुखी है उनका हर पुराने कोंग्रेसी से एक सवाल होता है के हमारे वक़्त की कांग्रेस और आज के वक्त की कांग्रेस में क्या फ़र्क़ है ,,वोह चिंतित रहते है के कांग्रेस को फिर से जनता से जुड़कर कैसे मज़बूती दी जाये ,,वोह आज सो साल के नज़दीकी होने पर भी ,,खादी का कुरता पायजामा पहन कर सियासी सूझ बुझ समझ के साथ उनसे आएं वाले लोगों से चर्चा करते है,,चाहे अशोक गेहलोत हो ,,चाहे सचिन पायलेट हो ,,चाहे गुरुदास कामत हो ,चाहे मिर्ज़ा इरशाद बेग हो सभी इनके क़ायल है ,,,,जुझार सिंह के संस्कार ही है के उनके पुत्र भरत सिंह सभी व्यस्तताओं के बावजूद पिता की सेवा में समर्पण भाव से लगे है ,,,जुझार सिंह महमाँनवाज़ी में भी अव्वल है वोह आने वालों को दुलारते है ,,प्यार करते है और कुर्सी से उठ कर अभिवादन करते है ,,घर के बाहर तक छोड़कर आने की ज़िद करते है ,,, जुझार सिंह एक पुरानी कांग्रेस ,,संघर्ष समर्पित कांग्रेस ,,निर्गुट कांग्रेस ,,गरीब ,,किसानो के हक़ के लिए संघर्ष शील कांग्रेस ,, भ्रस्टाचार मुक्त ईमानदार कांग्रेस ,,हमदर्द कांग्रेस का अहसास है ,,,एक यादगार है ,,,,जो एक सीख देते है के अगर हम हमारे विचार ,, हमारा संघर्ष ,,हमारी एकता ,,हमारा समर्पण पहले की कांग्रेस जैसा हो जाए तो फिर हम भारत की राजनीति पर ,,जनता के दिलों पर फिर से राज करने लगेंगे ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोन थी वो ?

पति पत्नी दोनों मार्केट गए
पति ने एक लड़की को hello बोला
पत्नी : कोन थी वो ?
पति : तुम plz दिमाग ख़राब मत करो..
अभी उसको भी बताना है तुम कोंन हो ?

क़ुरआन का सन्देश

 
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