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09 अप्रैल 2015

बिल्ली के बच्चे को पाल रही है 'दुश्मन मां', रोज पिलाती है अपना दूध

बिल्ली के बच्चे को पाल रही है 'दुश्मन मां', रोज पिलाती है अपना दूध
उदयपुर. कुत्ता बिल्ली की दुश्मनी जग जाहिर है, लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब कोई मादा श्वान किसी बिल्ली के न केवल साथ रहे बल्कि उसे अपना दूध पिला कर पाले भी। उदयपुर के सज्जन गढ़ में पिछले दो महीनों से ऐसा ही हो रहा है।
वनपाल सदाशिव तिवारी ने बताया की कुछ माह पहले बिल्ली का ये बच्चा सेंचुरी में मिला था, वे इसे पालने के लिए यहां ले आए थे। यहां के कर्मचारियों को भी तब आश्चर्य हुआ जब उन्होंने यहां रहने वाली एक श्वान मादा को इस बच्चे को दूध पिलाते हुए देखा। फिर तो ये सिलसिला ही चल पड़ा। मादा श्वान और बिल्ली के बच्चे का ऐसा प्रेम यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहा है।

शंकाराचार्य बोले- हिंदू चार बच्चे पैदा करेगा तो मुसलमान 40, लागू हो कॉमन सिविल कोड

शंकाराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती।
शंकाराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती।
इलाहाबाद. द्वारका और ज्योतिष पीठ के शंकाराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की दलील देते हुए विवादास्पद बयान दिया । गुरुवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ''यदि हिंदू चार बच्चे पैदा करेगा तो मुस्लिम चालीस पैदा करेगा, क्योंकि मुस्लिम के पास एक से ज्यादा शादी करने का अधिकार है। वहीं, हिंदू के पास सिर्फ एक शादी करने का। इसके समाधान के लिए देश में कॉमन सिविल कोड लागू होना चाहिए। '' बता दें कि कुछ दिन पहले बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने भी कहा था कि हिंदुओं को चार बच्चे पैदा करना चाहिए, ताकि मुस्लिमों की बढ़ती आबादी से मुकाबला किया जा सके।
इलाहाबाद के मनकामेश्वर मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शंकाराचार्य ने कहा, ''महाराष्ट्र में गोहत्या बंद होने से मुसलमान सस्ते प्रोटीन के लिए परेशान हैं। इन लोगों को यह नहीं मालूम है कि गाय के दूध में भी सस्ता प्रोटीन होता है। मुसलमान गाय को पालें और दूध पीएं, उसमें प्रोटीन मिलेगा। इसके लिए किसी ने मना नहीं किया है।'' गोहत्या के मामले पर सरकार पर भी निशाना साधते हुए सरस्वती ने कहा कि गायों को काटने वाली मशीन विदेश से आती है। इसके लिए केंद्र सरकार सब्सिडी दे रही है। शंकाराचार्य ने आमिर खान की फिल्म 'पीके' पर भी निशाना साधा। शंकराचार्य ने यह भी दावा किया कि जहां पर ताजमहल है, उसके ठीक नीचे शिवलिंग है। उन्होंने कहा, ''आगरा में जहां पर ताजमहल है, वहां पर शिव मंदिर था। जहां मुमताज को दफनाया गया है, वह कब्र जमीन के ऊपर है। उसके नीचे शिवलिंग है। उन्हें अग्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।'

टोंक में कुछ मशहूर बाग

टोंक रियासत काल के (आज़ादी से पहले ) के टोंक में कुछ मशहूर बाग हुआ करते थे क्या वो आज भी है
१. फिरोज बाग:- जो खलिया कलब है आज, सादात अस्पताल का तमाम इलाका इसी पार्क में आता था और यही सादात अस्पताल बना
२. चुन्नी लाल का बाग:- सर्किट हाउस के पीछे वाला इलाका इस में आता था
३.पोत बाग: अग्रेजो दवारा बांया गया था उस का कुछ भाग आज काल फूल बाग़ के नाम से जाना जाता है
४ केवड़ो का बाग़ :-यह बाग़ अस्तल के इलाके में था अंधेरी बाग़ या हाथी गुम बाग़ के नाम से जाना जाता था यह साहिबजादे अब्दुल करीम खान का था बाद में साहिबजादे तौफीक खान ने ऐसे लेलिया था
6. ककराज का बाग़ :- यह बाग़ ककराज घाट पर स्थित था आज भी वहाँ की अमरुद सबसे बेहतर मानी जाती है यह ओसामा खान या हयात खान का बाग़ था
७.झिपोलाई का बाग़ :-यह बाग़ आज काल झिपोलाई एलके के नाम से मशहूर है यह बाग़ नवाब इब्राहिम खान के सबसे बड़े बेटे वलिहाद साहब का था और मेथे फलफूलो के लिय मशहूर था
८. नैनसुख की बगिया :- फल फूलो के लिय मशहूर था मामू भांजे की दरगाह के सामने से रास्ता था और वही सामने इस्थित था
९ धुँआ का बाग़ :-यह नवाब इब्राहिम खान दौरा बनाया गया बगाह था नवाब इब्राहिम अली खान का बाग़ था जो एनर्जी अमरुद और फलफूलो के लिय मशहूर था
१०. कच्चे बंधे का बाग़ :-फॉलो के लिय मशुर यह नवाब इब्राहिम खान दौरा बनाया गया बगाह था
११. नज़र बाग़ :- यह नवाब इब्राहिम खान दौरा बनाया गया बगाह था यह अपनी सुंदरता और इमारतों के लिय आम , अमरुद , पपीते शहतूत आदि के पेड़ थे सुनहरी कोठी , मछली भवन , और शाही प्लेस इस की सुंदरता में चार चाँद लगा ते थे
१२ खला साहब का बाग़ :-यह भुतिया घाट का इलाका ऐसी में आता था फलफूलो के लिय मशहूर था यह नवाब साहब की खाला(माँ की बहिन ) का बाग़ था
13 मोती बाग़ :-यह मोती बेगम का बाग़ था जो पानी से घिरा था उनके मरने के बाद यह शाही कब्रितान बन्दिया गया जो आज काल मोती बाग़ कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है आम , अमरुद ,शहतूत , लाल इमली , और बैर के लिय मशहूर था
१४. खेड़े का बाग़ :- आजकल खेड़ेके नाम से जाना जाता है
१५ महुवा बाग़ :- आज काल महुवा के नाम से प्रसिद्ध है
१६ बेगम बाग़ :- गेहलोत घाट एस्थि बाग़ है आज भी बेगम बाग़ के नाम से मशहूर है

आजादी के बाद टोंक के बाग़ :
(1) किदवई पार्क :- यह सं २००० तक बाग़ रहा था अब भी टोंक नगर परिषद ऐसी बाग़ ही मानती है और लोग इसे बाग़ के नाम पर धब्बा भी नही मानते इसकी हालत बिकुल टोंक वासियो जैसी ही है यह सवाई माधो पर चौराहे पर इस्थित है
(२) आजाद पार्क :- शायद था है या नही कुछ नी पता इसके दयवाजे पर छोटी सब्जी मंडी जरूर है
(3) गांधी पार्क :- घंटा घर पर इस्थित बाग़ गांधी जी की याद दिलाता है इसकी हालत भी काफी नाज़ुक है यहा लगे पेड़ो की सख्या गंजे के सर पर बालो के सामान है यह तीनो पार्क ही पार्को के नाम पर धब्बा है इन पार्को का कुल इलाका चार पांच बीघा भी नही है जो बताते है की टोंक में की तरह की लीडर शिप है और किस तरह के लोग रहते है

हर ज़ोर ज़ुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है ,

हर ज़ोर ज़ुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है ,,पर विश्वास कर लोगों के इन्साफ के लिए आंदोलन का स्वभाव रखने वाले भाई चन्द्रदीप सिंह आमेरा अपने इसी व्यवहार के कारण उद्योगनगर क्षेत्र कोटा के लोगों में लोकप्रिय है और इसीलिए उन्हें इस क्षेत्र के लोगों ने भारी वोटों से वार्ड पार्षद चुना था ,,भाई चन्द्रदीप आमेरा ,,सरल ,,विनम्र लेकिन अपने इरादों के प्रति कठोर ,,जंगजू ,,जुझारू ,,संघर्षशील व्यक्तित्व के धनी है ,,चन्द्रदीप आमेरा कांग्रेस के सक्रिय ,,सजग ,,सतर्क सिपाही है ,,यह प्रारम्भ से ही अपने क्षेत्र में कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रहकर लोगन के हको के लिए धरने ,,प्रदर्शन और आंदोलन करते रहे है ,,,चन्द्रदीप आमेर राजीव ब्रिगेड ,,राजीव हित विकास समिति ,,राजीव फ़ोर्स ,,युथ कांग्रेस ,,शहर कांग्रेस से जुड़कर एक कुशल नेतृत्व ,,,जांबाज़ योद्धा की तरह कांग्रेस की हर लड़ाई में साथ जुड़े रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,चन्द्रदीप आमेरा अपने क्षेत्र के लोगों के लिए बस्ती के विकास के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे हो और इस संघर्ष में उन्हें कई बार कांग्रेस के सत्ता में रहने के कारण अपने ही लोगों से टकराना भी पढ़ा है ,,अनेको बार प्रशासन से लोहा लेना पढ़ा ,,मुक़दमे दर्ज हुए ,,गिरफ्तारियां हुई ,,लेकिन चन्द्रदीप आमेरा अपने इलाक़े के लोगन के हको के संघर्ष के लिए डटे है ,,वोह कहते है ,,मेरे क्षेत्र के लोगों का मुझ पर विश्वास है ,,इन्हे मुझ से उम्मीदे है ,,मेरे कहने से ही यह में जहा कहता हूँ वह बिना किसी सवाल के एक मुश्त वोट डालते है ,,फिर में कैसे इन लोगों से विमुख हो सकता हूँ ,,चन्द्रदीप आमेरा कहते है ,,,,जो लोग मेरे है ,,जो लोग कांग्रेस के है ,,या फिर शोषित ,,उत्पीड़ित है अगर उनके संघर्ष के लिए ,,उनकी इन्साफ की लड़ाई के लिए ,,मेरी जान भी चली जाए तो मुझे ज़रा भी परवाह नहीं ,,वोह कहते है मुझे पद नहीं मुझे मेरे कार्यकर्ताओं ,,मेरे क्षेत्र की जनता का मान सम्मान ,,विकास और उनके लिए इंसाफ चाहिए ,,यही मेरे लिए पुरस्कार है ,,राजपूती आन बान शान के प्रतीक भाई चन्द्रदीप आमेरा ,,खामागणी के साथ लोगों का अभिवादन करते है और फिर लोगों की समस्याएं सुनकर नियमित कलेक्ट्रेट या फिर सम्बधित दफ्तरों में उनकी समस्याएं सुलझाने के लिए संघर्ष करते है ,,इसी लिए चन्द्रदीप आमेरा अपने क्षेत्र ,,अपने वार्ड ,,कांग्रेस में ज़िंदाबाद है ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वक़्त ने कहा..

इंसान ने वक़्त से पूछा...
"मै हार क्यूं जाता हूँ ?
वक़्त ने कहा..
धूप हो या छाँव हो,
काली रात हो या बरसात हो,
चाहे कितने भी बुरे हालात हो,
मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,
इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,
तू भी मेरे साथ चल,
कभी नहीं हारेगा.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,,एक नेक ,,ईमानदार

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,,एक नेक ,,ईमानदार ,,सिद्धानतवादी छवि वाले होने से सच कहते है ,,सच बोलते है ,,देश की राजनीति में उन्होंने कभी भी भाजपा के किसी भी नेता ,,किसी भी नेतृत्व की तारीफ़ कर अनुकरणीय बनाया है लेकिन जब भी बात चली तो नरेदंर मोदी ने कभी महात्मा गांधी ,,तो कभी कांग्रेस के सरदार वल्ल्भ भाई पटेल ,,तो कभी राम मनोहर लोहिया की ही तारीफ़ की है ,,उन्हें अमीतशाह में भी इनकी छवि दिखती है इसलिए वोह अमित शाह की तारीफ़ करते नज़र आते है ,,,,वोह बात अलग है के इनकी सरकार में अराजकता फैलाने वाले साधू ,,साध्वी ,,,,सांसद ,,,,,राष्ट्रविरोधी ,,देश में अराकजकता फैलाने वाले जो बयान देते है उनसे खुले तोर पर असहमत होने के बाद भी ,,नरेंद्र मोदी गांधी वादी विचारधारा के तहत ,,गांधी जी के तीन बंदर ,,बुरा मत कहो ,,बुरा मत सुनों ,,बुरा मत देखो के सिद्धांत पर खामोश हो जाते है और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते ,,,,,,,अख्तर

न कहते हो ,

न कहते हो , न सुनते हो ,
सपनो में खोये रहते हो ।
अक्सर पूछा करती है हवा ,
तुम किस दुनिया में रहते हो ।
क्या बात करूँ , क्या जिक्र करूँ ,
हर पल गुमसुम से रहते हो ।
क्या रिश्ता है तेरा - मेरा ,
क्यों मेरे दिल में रहते हो

निर्भीकता से डटे और अड़े है मोहम्मद शफी मंसूरी

देश में अराजकता ,,मनमानी ,,भेदभाव का माहोल खत्म हो ,,दलित और मुस्लिम ,,शोषित ,उत्पीड़ित जो देश की अस्सी फीसदी आबादी है उन्हें उनका हक़ मिले ,,न्याय मिले इसी मुद्दे को लेकर जनता को न्याय दिलाने के संघर्ष में एक सजग सतर्क सिपाही की तरह निर्भीकता से डटे और अड़े है मोहम्मद शफी मंसूरी ,,,,तीन अप्रेल उन्नीस सो सतत्तर को कोटा की सरज़मीं में जन्मे मोहम्मद शफी एक दिनी तालीम में मुकम्मल ऐसी शख्सियत है जिन्होंने ने दीन के साथ साथ दुनियावी तालीम भी ज़िम्मेदारी से हांसिल की है ,,कोटा में ही शिक्षा प्राप्त करने के बाद मोहम्मद शफी यहां समाज सेवा कार्यों में जुटे ,,लोगों के इन्साफ के लिए संघर्ष किया ,,,स्कूल कॉलेज शिक्षा के दौरान खेल कूद से जुड़े रहे जबकि मार्शल आर्ट और जुडो में विशेष दक्षता प्राप्त कर ब्लेक बेल्टर बने ,,शफी मोहम्मद कई स्कूलों में बच्चो और बच्चियों को आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट सिखाने लगे ,,,,मोहम्मद शफी ने ज़ुल्म ज़्यादतियों की कहानियाँ और दलितों ,,अल्सपसंख्यको के साथ ना इंसाफी नज़दीक से देखी है ,,,इसी बीच समाज को इंसाफ दिलाने ,,देश में अमन चेन स्थापित कर देश को खुशहाल और विकसित बनाने के इरादों को लेकर मोहम्मद शफी पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया से जुड़े ,,दक्षिणी भारत के इस समाज सेवी संगठन को राजस्थान में कोई नहीं जानता था ,,लेकिन मोहम्मद शफी के कुशल प्रबंधन और बुलंद इरादों ने पॉपुलर फ्रंट को पुरे राजस्थान में उत्तरी भारत में एक खुसूसी पहचान दी ,,फ्रंट को गरीब दलितों से जोड़ा ,,संघर्ष और इन्साफ की एक बुलंद आवाज़ बनाया ,,गरीब बस्तियों में आटा ,,ज़रूरत के सामान ,,किताबें बस्ते बटवाए ,,,गरीबों में एक उम्मीद एक आस जगाई और फिर राजस्थान के हर ज़िले में पॉपुलर फ्रंट के बढ़ते दबाव से सभी वोटो की सियासत करने वाली सियासी पार्टियों में घबराहट पैदा कर दी ,,,जब बात समाजसेवा के साथ सियासी समझ की आई तो मोहम्मद शफी सियासी विंग सोशल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ इंडिया सियासी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष फिर राष्ट्रीय कार्यसमिति में निर्वाचित हुए ,,,उत्तरी भारत और राजस्थान के हर ज़िले में सूक्ष्म समस्या के समाधान के लिए भी प्रंबधन तरीके से व्यवस्थित आंदोलन ,,धरना प्रदर्शन ,,,मोहल्लों से जुड़ाव ,,सामाजिक सरोकार के कार्यक्रमों से ,,कहावत चरितार्थ होने लगी ,,,,,में तो अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल ,,,लोग जुड़ते गए और कारवाँ बनता गया ,,,,,,के तहत हर गली ,,हर मोहल्ले ,,हर विधानसभा ,,हर भाग संख्या में इनको पहचान मिली ,,विभिन्न विधानसभाओं में चुनाव लड़े ,,सकारात्मक परिणाम आये ,,आज एस डी पी आई के राजस्थान में कई पार्षद ,,पंच ,,सरपंच बन गए है ,,,,,,,मोहम्मद शफी समाजसेवक के साथ दीनदार है ,,नमाज़ी परहेज़गार है और क़ुरानी शिक्षा ,,,,दर्द मंदों के हमदर्द बनो ,,,,,के सिद्धांत पर गरीब ,,दलीत ,,शोषित ,,उत्पीड़ित ,,को इन्साफ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे है ,,इन्साफ की इस लड़ाई में मोहम्मद शफी की राह में कई लोगों ने फूल बिछाये तो अधिकतम लोगों ने इनके बढ़ते क़दम रोकने के लिए कांटे बिछाये ,,इलज़ाम लगाये ,,लेकिन जो इनसे मिला है सभी जानते है के शफी मोहम्मद इन्साफ ,,इंसानियत ,,ईमानदारी ,,सिद्धानतवादिता की एक अनूठी मिसाल है ,,और इसीलिए वोह विकट परिस्थितयों के बावजूद भी कांच के घरों में रहने वालों द्वारा उनपर पत्थरबाजी करने के बाद भी वोह लोगों के चहेते बनकर इन्साफ की इस लड़ाई में डटे है अड़े है ,,,,,,,,,,,,,,,,,मोहम्मद शफी के सिद्धांतों के आगे अगर कोई उनका पदाधिकारी या निकटतम भी आया तो उसे पद से हटाने बर्खास्त कर इन्साफ की मिसाल क़ायम रखने में पीछे नहीं हटे है ,,मोहम्मद शफी के प्रबंधन के चलते राजस्थान के जयपुर में देश की राजधानी दिल्ली में हज़ारो हज़ार लोगों की भीड़ के साथ इन्साफ का संघर्ष एक ऐतीहासिक मिसाल है ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

,स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी स्मृति सभागार

कोटा प्रेस क्लब की कार्यकारिणी बैठक में आज स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी पूर्व मंत्री राजस्थान सरकार को श्रद्धांजलि देते हुए उनके सम्मान में कोटा प्रेस क्लब ऑडीटोरियम का नाम ,,,स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी स्मृति सभागार ,,रखने का निर्णय लेते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया है ,,,धीरज गुप्ता तेज की अध्यक्षता में आयोजित प्रेस क्लब कोटा कार्यकारिणी बैठक का संचालन महासचिव हरिमोहन शर्मा ने किया ,,बैठक में सदस्यों के नवीनीकरण पर चर्चा हुई और तीस अप्रेल तक सदस्यों का नवीनीकरण स्वम की उपस्थिति की शर्त पर किया जाना तय हुआ है ,,,बैठक में प्रेस क्लब सभागार का कार्यक्रमों में देने को लेकर भी शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया ,,जबकि शीघ्र ही प्रेस क्लब के विस्तार भवन का निर्माण पूर्ण होने पर इसके लोकार्पण पर चर्चा हुई ,,,नवीन सदस्यों के लिए नया आवेदन परफोरमा तैयार किया गया ,,,प्रेस क्लब की डायरेक्ट्री के साथ स्मारिका के प्रकाशन पर भी चर्चा हुई ,,,,बैठक में अख्तर खान अकेला ,,प्रताप सिंह तोमर ,,,गिरीश गुप्ता ,,माल सिंह शेखावत ,प्रशांत सक्सेना,पवन पारीक भी उपस्थित थे ,,,,,,,,,,, बैठक में स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए दो मिनट का मोन भी रखा गया ,,स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी का कोटा प्रेस क्लब से सीधा जुड़ाव रहा है और प्रेस क्लब के भवन विस्तार में उनके सांसद कोष से दो बार राशि दी गई है जबकि उन्होंने एक कार्यक्रम में कथावाचन कर पूर्व सांसद इजराज सिंह को भी प्रेस क्लब के लिए सहायता राशि देने के लिए मजबूर किया था जो उनके द्वारा दी गई ,,,लाइब्रेरी विस्तार में भी ललित किशोर चतुर्वेदी के कहने पर फर्नीचर दिया गया है ,,प्रेस क्लब लाइब्रेरी अगले माह तक डिजिटल लाइब्रेरी के रूप में काम करेगी ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोहब्बत सुन

ऐ मगरूर मोहब्बत सुन
मेरे ख्याल में जब
तुम गुमसुम हो जाओ
मुझ से बिछड़ कर जब तुम
तड़पने लग जाओ
तुम्हे जब भी मेरी याद सताए
मेरी याद में जब भी
तुम्हारे सर दर्द हो जाए
मुझ से बिछड़ने के गम में
जब तुम पागल हो जाओ
मेरे दिल का पागल खाना
खुला है तुम्हारे लिए खुला ही रहेगा
बस तुम मुस्कुरा देना
थोड़ा आँखों को मिचकाना
बस फिर चले आना ऐ पागल
मेरे इस दिल के पागल खाने में चले आना ,,अख्तर

जाओ

जाओ चले जाओ
तुम चाहो जिससे
मोहब्बत कर लो
हमारी तो मजबूरी है
हमने तो सिर्फ तुमसे
मोहब्बत की है ,,अख्तर

तुम बेवफा थे

मुझे पता है
तुम बेवफा थे
तुम बेवफा हो
तुम बेवफा रहोगे
झूंठ तुममे
फरेब तुममे
मक्कारी तुममे
लेकिन फिर भी
में क्या करूँ ,,
वफादारों से तो
सब प्यार करते है
में तो ऐसा ही हूँ
बेवफा से प्यार
क्यों न करूँ ,,,
क्योंकि में
ऐसा ही हूँ ,अख्तर

क़ुरआन का सन्देश

 
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