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10 अप्रैल 2015

इस किले में महाभारत के योद्धा ने मारी थी लात और बन गया एक बड़ा लाताब

इस किले में महाभारत के योद्धा ने मारी थी लात और बन गया एक बड़ा लाताब
भारत में ऐसे कई किले, उद्यान और जगह हैं जिन्हें विश्व विरासत में जगह मिली है। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जो इस सूची में शामिल होने की क्षमता रखते हैं।
उदयपुर. पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने वाला राजस्थान खुद में कई रोचक तथ्य छुपाए हुए है। यहां पर बने किलों का इतिहास हजारों साल पुराना है। उन्हीं किलों में से एक है चित्तौडगढ का किला। यह किला विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल है। इस किले के बारे में माना जाता है कि महाभारत के पात्र भीम ने यहां करीब 5000 वर्ष पूर्व एक किले का निर्माण करवाया था। वहीं इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण राजा चित्रांगद द्वारा सातवीं शताब्दी में करवाया गया था।

चित्तौडगढ का किला भारत के सभी किलों में सबसे बड़ा माना जाता है। यह 700 एकड़ में फैला हुआ है। यह धरती से 180 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ की शिखा पर बना हुआ है। माना जाता है कि पांडव के दूसरे भाई भीम जब संपत्ति की खोज में निकले तो रास्ते में उनकी एक योगी से मुलाकात हुई। उस योगी से भीम ने पारस पत्थर मांगा। इसके बदले में योगी ने एक ऐसे किले की मांग की जिसका निर्माण रातों-रात हुआ हो।

भीम ने अपने बल और भाइयों की सहायता से किले का काम लगभग समाप्त कर ही दिया था, सिर्फ थोड़ा-सा कार्य शेष था। इतना देख योगी के मन में कपट उत्पन्न हो गया। उसने जल्दी सवेरा करने के लिए यति से मुर्गे की आवाज में बांग देने को कहा। जिससे भीम सवेरा समझकर निर्माण कार्य बंद कर दे और उसे पारस पत्थर नहीं देना पड़े। मुर्गे की बांग सुनते ही भीम को क्रोध आया और उसने क्रोध से अपनी एक लात जमीन पर दे मारी। जहां भीम ने लात मारी वहां एक बड़ा सा जलाशय बन गया। आज इसे 'भीमलात' के नाम से जाना जाता है।

में क़लम हूँ

में क़लम हूँ पहले साधू के पास थी तो धर्म बांटती थी ,,आज साधू के पास हूँ तो सियासत और नफरत लिखती हूँ ,,,में क़लम हूँ पहले मौलाना के पास थी तो ईमान लिखती थी आज सियासी बिकाऊ मौलाना के पास हूँ तो नफरत ,,लालच लिखती हूँ ,,में क़लम हूँ कभी इन्साफ लिखती थी ,,कभी इन्साफ लिखती थी ,,आज नफरत ,,,घृणा ,,,,,कुतर्क में लिखा करती हूँ ,,,में क़लम हूँ कभी आज़ाद रहकर ,,गरीबों ,,,शोषित लोगों की पैरवी करा करती थी आज चंद चांदी के सिक्कों में बिक कर ,,अपने उसूल छोड़कर एक वेश्या की तरह से खरीदने वाले की ज़ीनत बनकर उनके लिए उनकी फरमाइशों पर तवायफों की तरह मुजरा करती हूँ ,,,में क़लम हूँ मेरे पुराने अतीत में गर्व करती हूँ ,,,मेरे आज के हालातों पर में फुट फुट कर रोती हूँ ,,में क़लम हूँ जिसे मिला करती कभी इज़्ज़त आज अपमान ,,नफरत ,,तिरस्कार ,,बिकाऊ जैसे अल्फ़ाज़ों से घिरी हूँ ,,में क़लम हूँ ऐ मेरे खुदा मुझे मेरी आज़ादी ,,,मेरी निष्पक्ष न्यायप्रियता ,,,मेरा इंसाफ ,,,मेरी सादगी ,,मेरी ईमानदारी ,,,,मेरा वोह वुजूद जिसके आगे गरीब ,,शोषित ,,पीड़ित नतमस्तक रहते थे जिससे लिखे अल्फ़ाज़ों से पूंजीपति ,,उद्योगपति ,,ज़ालिम ,,मिलावट खोर ,भ्रष्ट लोग ,,नफरत और घृणा फैलाने वाले लोग ,,,धर्म के नाम पर अराजकता का माहोल बनाने वाले लोग पनाह मांगते थे घबराते थे ,,ऐ खुदा मुझे फिर से मेरा वोह वुजूद लोटा दे ,,,मेरा वोह वुजूद लोटा दे ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बमों से भरी मालगाड़ी पलटी, विस्फोट होता तो मच जाती तबाही

बमों से भरी मालगाड़ी पलटी, विस्फोट होता तो मच जाती तबाही
जबलपुर. रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूर पर स्थित कोचिंग डिपो के समीप बमों से भरी मालगाड़ी पटरी से उतर कर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ओएफके साइडिंग से मेन लाइन पर आते समय यह हादसा हुआ। 42 वैगन(डब्बों) की इस बीसीएन ट्रेन के पांच डिब्बे अचानक पटरी से उतरकर अप मेन लाइन तक जा पहुंचे।
इस घटना के बाद अप लाइन का ट्रैक 100 मीटर तक क्षतिग्रस्त हो गया। शाम साढ़े चार बजे ये घटना उस समय हुई, जब एक के पीछे एक कई ट्रेनें दौड़ रहीं थीं। ट्रेन दुर्घटना हो जाने के बाद आ-जा रहीं यात्री ट्रेनों को जहां के तहां बीच रास्ते में ही खड़ा कर दिये जाने से रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ, लेकिन किसी भी तरह की कोई जनहानि नहीं होने को राहत वाली बात माना जा रहा है। घटना की सूचना पाते ही डीआरएम एके सिंह दल-बल के साथ रवाना हुए, वहीं पूरा अमला राहत कार्य में जुट गया। फिलहाल ट्रेन के डिब्बे पटरी से कैसे उतरे, इस पूरे मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। अधिकारियों ने देर रात तक सुधार कार्य पूरा होने की उम्मीद जताई है।

ये ट्रेनें हुईं प्रभावित
इस घटना के बाद से शक्तिपुंज, फास्ट पैसेंजर, हॉलीडे, वाराणसी-दादर सुपरफास्ट, दरभंगा-पुणे ���क्सप्रेस, हावड़ा-मुंबई मेल को डुंडी, सतना-इटारसी पैसेंजर को सिहोरा, बिलासपुर-इंदौर नर्मदा को निवार, रीवा-जबलपुर शटल को स्लीमनाबाद स्टेशन पर रोक दिया गया, जो प्रभावित हुईं।

बाहर आ गए पहिये
दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन की हालत देखने वाले भी दंग रह गए। बताया जाता है कि मालगाड़ी ट्रेन साइडिंग रेल लाइन सेे रफ्तार में पटरी बदल कर मेन लाइन पर आ रही थी, उसी बीच 42 डिब्बों की ट्रेन के 5 वैगन अनियंत्रित होकर पटरी से उतरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गए। ट्रेन के रफ्तार में होने की वजह से वैगन के पहिये निकलकर बाहर आ गए।

युद्ध स्तर पर कार्य- पटरी से उतरकर दुर्घटनाग्रस्त हुई बीसीएन की सूचना पाते ही एडीआरएम जयपाल सिंह, सीनियर डीएमई समन्वय अजय श्रीवास्तवा, सीडीईएन समन्वय विजय पांडे, सीनियर डीसीएम राजेश शर्मा सहित अन्य अधिकारियों ने अपनी टीम के साथ युद्ध स्तर पर मोर्चा संभाल लिया।

आप से मिलिए आप है मेरे भाई एडवोकेट असरार अहमद

दोस्तों आप से मिलिए आप है मेरे भाई एडवोकेट असरार अहमद डूंगरपुर वाले ,,असरार साहब वकालत के साथ साथ समाज सेवा क्षेत्र में भी सक्रिय है ,,,,कॉम की हमदर्दी और खिदमात को देखते हुए इन्हे केंद्र सरकार ने वली ऐ हिन्द ,,ख्वाजा गरीब नवाज़ अजमेर की दरगाह का चेयरमेन नियुक्त किया है ,,,खुदा ने गरीब नवाज़ की इस दरगाह के ज़रिये असरार साहब को एक नायाब मौक़ा दिया है और इसे असरार साहब बखूबी ,,प्रशासनिक और सेवाभाव से अंजाम दे रहे है ,,,,,,,,,,असरार साहब राजस्थान सरकार में अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के चैयरमेन भी रह चुके है और इसके पहले आप अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भी रह चुके है ,,असरार अहमद यूँ तो आदिवासी क्षेत्र और पुरे राजस्थान में अपनी खिदमात अंजाम देते रहे है ,,निर्भीक और निष्पक्ष होकर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर असरार साहब आमजन की खिदमत कार्यों में जुटे है ,,,,,,,,,,,,,,,असरार साहब अजमेर ख्वाजा दरगाह ट्रस्ट से मुताल्लिक़ बहुमूल्य संपत्तियां जो लोगों ने क़ब्ज़ा कर रक्खी है उसे छुड़ाने की मुहीम तो चला ही रहे है ,,साथ ही अजमेर में जायरीनों को ज़ियारत के दौरान अधिक से अधिक सुविधाये मिले ,,उनकी सुरक्षा बनी रहे ,,,इस दिशा में भी वोह मास्टर प्लान तैयार कर जल्दी ही लागू करने वाले है ,, इतना ही नहीं गरीब नवाज़ की नवाज़िश को देखते हुए असरार साहब दरगाह ट्रस्ट कमेटी की तरफ से जल्दी ही शिक्षा के उजाले के लिए शैक्षणिक इदारों की शुरुआत करने वाले है ,,,,,इससे देश के सभी वर्ग सभी तबकों को फायदा पहुंचेगा ,,,,,,, बातचीत में सरल ,,कोंग्रेसी विचारधारा में सख्त ,,,,शोषण उत्पीड़न के खिलाफ इंसाफाना मामलों में निष्पक्ष निर्भीक ,,,वकालत में तेज़ तर्रार क़ानूनी ज्ञान ,,मज़हबी तालीम में मौलानाओ के मुक़ाबिल ,,हँसते मुस्कुराते रहकर दूसरों को खुश रखने का स्वभाव ,,इंसानियत की एक मुकम्मल शख्सियत भाई असरार का जुड़ाव जोधपुर मुस्लिम इदारे के मुफ्ती शेर मोहम्मद से भी सीधे तोर पर है ,,,,,,असरार अहमद चुनाव के दिनों में कट्टर कोंग्रेसी होकर कांग्रेस के मुखर प्रचारक होते है तब वोह सिर्फ पंजे का निशाँ देखकर प्रचार प्रसार करते है ,,इस वक़्त वोह निजी तोर पर दोस्ती दुश्मनी ,,गुटबाज़ी नहीं देखते ,,लेकिन जब इनका समाज ,,इनके क्षेत्र के दलित ,,इनके क्षेत्र की जनता के हुक़ूक़ खतरे में होते है तो फिर यह सब कुछ भुलाकर इनकी खिदमत में ,,इनको इंसाफ दिलाने की लड़ाई को प्राथमिक स्तर पर लेते है ,,फिर चाहे सियासत इनसे नाराज़ हो या खुश इसकी इन्हे परवाह नहीं ,,इसीलिए तो आज भी असरार अहमद इनके अपने क्षेत्र में लोगों के दिलों की धड़कन बने है ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ऐ हुस्न

ऐ हुस्न
इतरा मत
तेरी क़दर
सिर्फ इसलिए है
क्योंकि
में तुझे चाहता हूँ ,,,,,,,
देख मेने
चाहना छोड़ा ना
अब बताओ
ऐ हुस्न
तुम मुरझा क्यों गए ,,,अख्तर

32 लाख पेंशनरों को अब हर महीने नहीं मिलेगी एक हजार रुपए की पेंशन


32 लाख पेंशनरों को अब हर महीने नहीं मिलेगी एक हजार रुपए की पेंशन
 
नई दिल्ली. ईपीएफओ ने 32 लाख पेंशनरों को मिल रही न्यूनतम एक हजार रुपए की पेंशन को रोकने का फैसला किया है। ईपीएफओ ने अपने फील्ड अफसरों को दिए निर्देश में कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से 31 मार्च के बाद भी इस स्कीम को जारी रखने से जुड़े किसी नए आदेश की गैरमौजूदगी में योजना पर रोक लगाई जा रही है।
पिछले साल 19 अगस्त को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक न्यूनतम पेंशन की योजना 1 सिंतबर, 2014 से 31 मार्च, 2015 तक के लिए लागू की गई थी। ईपीएफओ ने विधवाओं, बच्चों और अनाथों को मिलने वाली बढ़ी हुई पेंशन को भी रोकने का फैसला किया है। विधवाओं को हर महीने एक हजार, बच्चों को 250 और अनाथों को 750 रुपए महीने की पेंशन की रकम तय की गई थी।

ज़माना कितना ही मगरूर हो ,,यह मगरूर ज़माना झुकता है ,,बस इसे झुकाने वाला चाहिए ,

ज़माना कितना ही मगरूर हो ,,यह मगरूर ज़माना झुकता है ,,बस इसे झुकाने वाला चाहिए ,,,,जी हाँ दोस्तों नाकामयाबी का रोना रोने वाले रोते है और जो लोग कड़ी महनत और लगन से हौसलों की उड़ान भरते है ज़माना कभी उनके पंखों का भी मोहताज हो जाता है ,,यही कड़वा सच साबित किया है कोटा के समाजसेवक सय्यद असद अली रियल स्टेट बिज़नेस में लगे एक कामयाब व्यवसायी ने ,,,सय्यद असद अली का बचपन संघर्ष में था ,,,,,लेकिन इस संघर्ष को सय्यद असद अली ने जिया है और जीता है ,,,,,,सय्यद असद अली आज कामयाब शख्सियत होने से दुनिया को झुकाने का होसला रखते है ,,,,,,प्रॉपर्टी के छोटे कारोबार ,,कारबाज़ार व्यवसाय ,,,,,ऋण वसूली ,,,वित्तीय सहायता के व्यवसाय के बाद सय्यद असद अली ने खुद को स्थापित किया और फिर सामाजिक कार्यो से सरोकार के साथ लोगों से हमदर्दी निभाकर असद अली लोगों के दिलों के राजा बन गए ,,,,,, तेज़ तर्रार ,,दबंग ,,लेकिन मन से निर्मल ,,हंसमुख स्वभाव के साथ लोगों की मदद का जज़्बा रखें वाले भाई असद यूँ तो कई समाजसेवी संस्थाओ से जुड़े है ,,धार्मिक मस्जिद ,,मदरसों ,,,दरगाह समितियों के सिरमौर संचालक है ,,,,लेकिन असद अली कांग्रेस से जुड़कर दो हज़ार तीन में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के कोटा जिला अध्यक्ष बने ,,,इस दौरान असद भाई ने कोटा में हज़ारो हज़ार की तादाद में अल्पसंख्यकों को बुलाकर कामयाब राज्य्वापी सम्मेलन किया ,,सय्यद असद अली कोटा जिला वक़्फ़ कमेटी के दस वर्षो तक सचिव रहे ,,,,,इस कार्यकाल में कई सेमिनार ,,सम्मेलन आयोजित हुए ,,,वक़्फ़ की सम्पत्ति से क़ब्ज़े छुड़वाए ,,ईद मिलाडदुन्नबी के कामयाब ऐतीहासिक जलसे हुए ,,,,,,,,,,मदरसा शिक्षा को बढ़ावा देकर छात्रों को साक्षरता से जोड़ा गया ,,,,,,,,,मज़हबी सम्मेलन आयोजित किये गए ,,,,कई छात्र छात्रों को पुस्तके ,,,,उनकी फीस उपलब्ध कराई गई ,,,,,,,जो लोग उत्पीड़ित थे ,,जिन्हे लोगों ने ज़ुल्म का शिकार बना रखा था उन्हें असद भाई ने राहत दिलवाई ,,,,,,असद भाई को देहात कांग्रेस की ज़िलाकमेटी में संगठन सचिव बनाया गया ,,,,इस ज़िम्मेदारी को असद भाई ने बखूबी निभाया ,,,,,,,,,,,,,सय्यद असद अली ने दुनिया को नज़दीक से देखा है ,,कई सियासी धोखे खाए है क्योंकि किंग मेकर की हैसियत से जिसे असद भाई ने समाज में पहचान दिलवाकर सरकार में ज़िम्मेदार बनने लायक बनाया वोह समाज और इनकी कसोटी पर खरा नहीं उतरा ,,,,कोटा उत्तर में मुस्लिम समाज के वोटर्स का बाहुल्य होने से कांग्रेस हाईकमान से इनका संघर्ष रहा के कोटा उत्तर से उन्हें टिकिट दिया जाए ,,हाईकमान ने इस सच को माना भी लेकिन बाद में सियासी बंदरबांट के आगे इन्हे निराशा हाथ लगी ,,,असद भाई इन दिनों सियासत को देख रहे है ,,,सियासी दांव पेंचो को सीख रहे है ,,लेकिन इन दिनों असद भाई समाजसेवा में तो है लेकिन सियासत में अभी वक़्त के इन्तिज़ार में है ,,,लेकिन उनके समर्थक चाहते है के असद भाई फिर से सियासी जाज़्म पर सक्रियता के साथ एक जंगजू सिपाही की तरह पुरे दम ख़म के साथ उतरे और सियासत के इस मैदान को फतह करें ,,जीतें ,,असद भाई को अपने समर्थकों के जज़्बात को समझना होगा ,,एक बार फिर सियासी हिजरत से बाहर आकर ज़िम्मेदारी के साथ अपनी ताक़त ,,,बताना होगी और कोटा की जनता के लिए इन्साफ की लड़ाई लड़ना होगी ,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आदिवासी परंपरा: लिव-इन से पैदा हुए बच्‍चे बड़े होकर कराते हैं मां-बाप की शादी

गणगौर मेला जहां लिव-इन रिलेशनशिप के लिए ढूंढा जाता है साथी।
गणगौर मेला जहां लिव-इन रिलेशनशिप के लिए ढूंढा जाता है साथी।
आबू रोड. सुप्रीम कोर्ट ने एक साल पहले लिव-इन रिलेशनशिप पर कानूनी मुहर लगाते हुए इस रिश्ते से पैदा हुए बच्चों को मान्यता दी थी। लेकिन राजस्थान के अाबू रोड स्थित कई आदिवासी गांवों में लिव-इन रिलेशनशिप का कॉन्सेप्ट काफी पुराना और सामाजिक तौर पर मान्य है। आदिवासियों की इस परंपरा का एक रोचक तथ्य यह है कि आम तौर पर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े के बच्चे ही बड़े होने पर अपने मां-बाप की शादी कराते हैं। हर साल गणगौर मेले में लड़का और लड़की अपना लिव-इन पार्टनर चुनते हैं। इस साल यह मेला गुरुवार को संपन्न हुआ और इस मेले में भी लड़के-लड़कियों ने अपना लिव-इन पार्टनर चुना।
ऐसे तय होता है पार्टनर
गणगौर मेला हर साल अप्रैल महीने में लगता है। इस मेले में आने वाले लड़के-लड़की एक-दूसरे को पसंद करने के बाद वहां से भाग जाते हैं। ये लोग अपने गांव को छोड़कर किसी दूसरे गांव में पति-पत्नी की तरह रहने लगते हैं और अपने साथ रहने की सूचना परिवारों को भेज देते हैं। अगर दोनों के परिवार शादी के लिए तैयार हो जाते हैं तो शादी करा दी जाती है और अगर नहीं तो वे अपना जीवन लिव-इन में ही गुजारते हैं। लिव-इन में रहते हुए ही इनके बच्चे भी होते हैं। लेकिन परंपरा यहीं आकर और रोचक हो जाती है, जब लिव-इन से पैदा हुए बच्चे ही बड़े होकर और अपना लाइफ पार्टनर चुनने से पहले अपने मां-बाप की शादी कराते हैं। जब वे अपने मां-बाप की शादी करा देते हैं, तो उनके इन्हीं पेरेंट्स को आदिवासी समाज में मान्यता मिल जाती है और वे अपने गांव लौटने के लिए भी आजाद हो जाते हैं।

क्या है गणगौर मेला
आदिवासियों में यह मेला काफी लोकप्रिय है और लड़के-लड़कियों को साल भर इसका इंतजार रहता है। गण का अर्थ शिव और गौर का अर्थ गौरा यानी माता पार्वती है। मेले में गणगौर की मिट्टी से बनी मूर्तियों की एक रात पहले पूजा की जाती है और अगले दिन इन्हें नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। मेले में लगभग पूरा आदिवासी समाज शिरकत करता है। मेले के मैनेजमेंट का जिम्मा बुजुर्गों के पास ही रहता है। लड़के-लड़की जब अपना लिव-इन पार्टनर चुनने के बाद उसे भगाकर ले जाते हैं तब इसे ‘खींचना’ प्रथा कहा जाता है।
क्या कहते हैं समाज के मुखिया
‘यह मेला हमारी समाज में सिसोदिया वंश ने शुरू किया था। मेले की चर्चित खींचना प्रथा भी उसी समय से चली आ रही है। मैंने 15 साल पहले इसी मेले में अपने लिए लाइफ पार्टनर चुना था और आज हमारे चार बच्चे हैं।’
- लालाराम गरासिया, प्रधान पंचायत समिति, आबू रोड

इसमें ना में हूँ

गुम हो गया हूँ में
अपने ही इस मकान में ,,
इसमें ना में हूँ
ना मेरा नाम
ना मेरा वुजूद है ,,,,अख्तर

तड़पते मरीज से डॉक्टर बोले- कीड़े नहीं निकालेंगे, बदबू आ रही है, खुद निकालो


तड़पते मरीज से डॉक्टर बोले- कीड़े नहीं निकालेंगे, बदबू आ रही है, खुद निकालो
अलवर. गले के कैंसर से तड़पते एक 64 वर्षीय वृद्ध के इलाज में डॉक्टरों ने शुक्रवार को संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दी। राजीव गांधी अस्पताल में ड्रेसिंग नहीं की तो गले में कीड़े पड़ गए। कीड़ों के कारण गले से रक्तस्राव हो रहा था। जब परिजन शुक्रवार को ईएनटी ओपीडी में लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने इलाज करने से ही इनकार कर दिया। कीड़े निकालने के लिए परिजनों ने विनती की तो डॉक्टर बोले हम कीड़े नहीं निकालेंगे। बदबू आ रही है। रोगी को ओपीडी से बाहर ले जाओ और अपने आप कीड़े निकालो। रोगी के पुत्र को ग्लब्स पहना दिया। लेकिन जब कीड़े देखकर उसके हाथ कांप गए।
दयानगर दाउदपुर निवासी प्रभुदयाल शर्मा एक साल से गले के कैंसर से पीड़ित हैं। सांस लेने में दिक्कत होने पर डॉक्टरों ने गले में नली डाल दी। जब डॉक्टरों ने नली नहीं बदली तो परिजनों की ओर से नली को बदलते-बदलते घाव हो गया। शुक्रवार को गले में कीड़े दिखाई दिए तो रोगी का पुत्र हरीश शर्मा और पुत्रवधू पिंकी उन्हें लेकर अस्पताल में पहुंचे। यहां डॉ. समीर शर्मा से मिले पर उन्होंने रोगी की ओर ध्यान ही नहीं दिया। फिर वे उन्हें डॉ. एलपी बंसल के पास लेकर गए। वे रोगी को देखकर बोले बदबू आ रही है यहां क्यों लाए हो। बाहर ले जाओ। जब उन्हें बताया कि गले से कीड़े निकालने हैं तो डॉ. बंसल बोले हम कीड़े नहीं निकालेंगे। तारपीन का तेल छिड़को और अपने आप ही निकालो।
ड्रेसिंग नहीं की तो पड़ गए कीड़े
हरीश अपने पिता के गले में हुए घाव की ड्रेसिंग कराने बुधवार को राजीव गांधी अस्पताल पहुंचा तो डॉ. समीर शर्मा ने मना कर दिया। वे बोले 15 दिन से पहले ड्रेसिंग नहीं करेंगे। इससे पहले आना भी मत। ड्रेसिंग नहीं होने के कारण रोगी को गले में कीड़े पड़ गए।
बीकानेर में हो चुकी है एक मौत
बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल में भी गले में कीड़े पड़ने से एक युवक की मौत हो चुकी है। यहां भी डॉक्टरों द्वारा ड्रेसिंग नहीं करने पर दो दिन में ही युवक के गले के घाव में कीड़े पड़ गए थे। गिड़गिड़ाते परिजनों की डॉक्टरों ने नहीं सुनी तो युवक की 31 मार्च को मौत हो गई।
कीड़े शरीर में भी फैल चुके हैं। इससे इलाज करना संभव नहीं है। इसमें कीड़े निकाले तो रोगी को खून की उल्टी हो सकती है। इसके लिए अस्पताल में संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। बेहतर है कि वे जयपुर में इलाज कराएं। क्योंकि रोगी की क्रिटिकल स्टेज है। इसके लिए रोगी की पर्ची पर भी लिख दिया है।
-डॉ. भगवान सहाय, पीएमओ अलवर

फोरेंसिक रिपोर्ट की जाँच में हेराफेरी और लेटलतीफी से आमजनता दुखी

देश में आपराधिक मुक़दमों के निस्तारण के लिए ,,मृतकों को सरकारी मुआवज़े के लिए फोरेंसिक लेबोरेटरी की जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट की जाँच में हेराफेरी और लेटलतीफी से आमजनता दुखी है तो दूसरी तरफ न्याय में भी इन तौरतरीकों से बाधा उतपन्न हो रही है एक तरफ तो सुल्तानपुर के उप प्रधान रईस खान ,,पूर्व मंत्री भरतसिह दर्भीजी गाँव में खेत पर कीड़े के काटने से मरे एक कृषक के पुत्र बुद्धिप्रकाश मीणा को चार माह होने पर भी एफ एस एल रिपोर्ट नहीं आने से आर्थिक मदद नहीं दिलवा पा रहे है जबकि राजस्थान हाईकोर्ट के जज आर एस राठोड ने महिला थाना में दर्ज एक अपराधिक मामले में एडवोकेट सुरेन्द्रशर्मा द्वारा प्रस्तुत एक ज़मानत याचिका पर सुनवाई के बाद ज़मानत तो ली ,,लेकिन एडवोकेट सुरेन्द्र शर्मा द्वारा उठाये गे प्रश्नो को गंभीरता से लिया और फोरेंसिक लेबोरेटरी ,,कोटा के महिला थानाधिकारी ,,उपाधीक्षक सहित संबंधित ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच कर होम सेक्रेटरी ,,सहित उच्च अधिकारीयों को अनुशासनात्मक कार्यवाही के कठोर निर्देश जारी किये है ,,,,,,,,,,,,,कोटा ज़िले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र के गाँव दर्भीजी के एक खेत में काम करते वक़्त ज़हरीले कीड़े द्वारा काटने से एक किसान की मोत हो गयी ,,,मृतक का पुत्र बुद्धिप्रकाश दाधीच कृषि उपज मंडी समिति से विधि अनुसार खेत पर मरने वाले के परिजनों को दो लाख रूपये प्राप्त करने के अधिकारी होने पर भी अब तक राशि नहीं दे रहे है ,,पूर्व मंत्री भरतसिंह ,,सुल्तानपुर के उप प्रधान रहे रईस खान ने इस सम्बन्ध में आवाज़ उठाई तो पता चला के जनवरी से आज तक चार माह के लगभग का समय होने पर भी मृतक किसान के पोस्टमार्टम और एफ एस एल रिपोर्ट भेजने पर भी एफ एस एल नहीं आने से मोत का कारण नहीं लिखा जा सका है ,,,रईस खान ने जब इस मामले में तहक़ीक़ात की तो पता चला अभी तो दो हज़ार बारह की ही एफ एस एल रिपोर्ट नहीं आई तो यह कैसे आएगी ,,खेर इसकी प्रक्रिया में ठकुराई प्रक्रिया चल रही है लेकिन अफ़सोस इस बात का है के मोत का कारण जानने के लिए बिना किसी सिफारिश के एफ एस एल रिपोर्ट के लिए कितना इन्तिज़ार करना पढ़ता है यह जनता को पता है लेकिन अधिकारी और सियासी लोग जानकार भी अनजान बने बैठे है ,,,,,,,इधर राजस्थान हाईकोर्ट ने हेंड राइटिंंग एफ एस एल मामले में अनुशंधान के दौरान हेराफेरी को गंभीरता से लिया है और इस संबंध में कोटा महिला थाने से संबंधित अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश भी जारी किये है ,,,,एडवोकेट सुरेन्द्र शर्मा ने महिला थाने में दहेज़ हत्या के एक मामले में आरोपी घनश्याम आत्मज हेमराज की ज़मानत का प्रार्थना पत्र माननीय राजस्थान हाईकोर्ट में पेश किया ,,एडवोकेट सुरेन्द्रशर्मा का कहना था के मृतका का सुसाइड नोट उसकी स्वीकारित लेखनी से मेल नहीं खाता है ,,लेकिन कोटा महिला थाने के अनुसंधान अधिकारी ने एफ आई आर नंबर 230 / 2014 मामले में हाईकोर्ट के निर्देशो के बाद भी गंभीरता से एफ एस एल नहीं करवाई ,,बार बार सुरेन्द्र शर्मा एडवोकेट द्वारा प्रस्तुत तर्कों को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया और कोटा महिला थाने के थानाधिकारी गजेन्द्र सिंह ,,,,अनुसंधान अधिकारी रामकिशन ,,उप अधीक्षक राजैन्द्र ओझा को न्यायालय में तलब किया ,,लेकिन एफ एस एल रिपोर्ट संतोषप्रद नहीं थी ,,भ्रामक होने पर सुरेन्द्र शर्मा की आपत्ति और एफ एस एल अधिकारीयों से पुलिस मिलीभगत को हाईकोर्ट ने बारीकी से समझा और गंभीरता से लेते हुए इसे न्यायिक प्रक्रिया के विपरीत मानते हेु प्रमुख सचिव गृह ,,,पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हेडक्वार्टर को दर्ज एफ आई आर में जारी अनुसंधान प्रक्रिया में एफ एस एल बाबत सुसाइड नोट में लापरवाही करने वाले अधिकारी के खिलाफ जांच कर उन्हें दंडित करने के निर्देश देते हुए इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किये है ,,,हाईकोर्ट ने एक अप्रेल को महिला थाना कोटा में दर्ज मुक़दमे में एडवोकेट सुरेन्द्र शर्मा के तर्कों से सहमत होकर घनश्याम की ज़मानत तो ले ली लेकिन संबंधित लोगों के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही के निर्देश भी देते हुए न्यायलय में प्रस्तुत एफ एस एल रिपोर्ट की फोटो प्रतियां रखने के भी निर्देश दिए है ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

घूस लेते पकड़े गए क्लर्क की सबके सामने उतरवाई पैंट, तौलिया पहना कर ले गए अफसर

क्लर्क को हिरासत में लेने के बाद तौलिये में लेकर अपने साथ ले जाती निगरानी टीम।
क्लर्क को हिरासत में लेने के बाद तौलिये में लेकर अपने साथ ले जाती निगरानी टीम।
रांची/पलामू। निगरानी विभाग की टीम ने शुक्रवार को झारखंड के घोर नक्सल प्रभावित पलामू जिले के पांकी ब्‍लॉक ऑफिस में छापा मारा। टीम ने वहां तैनात सहायक क्लर्क मनमोहन प्रसाद को दस हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। टीम ने तलाशी के लिए ऑफिस में सबके सामने क्लर्क की पैंट उतरवाई। तलाशी के बाद भी उन्‍हें पैंट नहीं दी, बल्कि पहनने के लिए एक तौलिया दे दिया। क्लर्क को तौलिया पहनाकर निगरानी की टीम अपनी गाड़ी से रांची ले गई।
क्लर्क ने मांगी थी 50 हजार रुपये की रिश्वत
निगरानी डीएसपी मिथलेश कुमार ने बताया कि बान्दुबार निवासी शैलेन्द्र कुमार ने बान्दुबार में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क का निर्माण कराया था। सड़क के निर्माण के लिए उसे प्रखंड कार्यालय द्वारा छह लाख पचास हजार रुपये का भुगतान किया जाना था। उन्होंने बताया कि सहायक लिपिक मनमोहन प्रसाद योजना के लाभुक शैलेन्द्र कुमार से भुगतान के बदले पचास हजार रुपये की रिश्वत की मांग कर रहा था। लाभुक ने इसकी सूचना निगरानी को दी। निगरानी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए टीम का गठन कर पांकी भेजा।
केमिकल लगे पैसे लिए तो पकड़े गए
निगरानी की टीम ने लाभुक शैलेन्द्र कुमार को दस हजार रुपये उपलब्ध कराये, जिस पर केमिकल लगा था। शुक्रवार को जैसे ही शैलेन्द्र ने प्रसाद को पैसे दिए, वहां मौजूद निगरानी की टीम ने उसे धर दबोचा।
निगरानी टीम में विशेष दंडाधिकारी दीपक कुमार, निरीक्षक अनिल कुमार, आरएन सिंह तथा अनिल सिन्हा शामिल थे।

कार्रवाई सही पर दूसरा पैंट दिया जाना चाहिए : पूर्व डीजीपी
पेंट उतरवाना निगरानी की ओर से सही कार्रवाई है। पैंट सुबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जाएगा क्योंकि उसमें पैसा था और पैसे में कैमिकल लगा था। हां, ऑफिस में उन्हें बिना टॉवल के बिठाए रखना गलत माना जाएगा। निगरानी टीम को एक नया पैंट मंगवाकर दिया जाना चाहिए। सरेआम उन्हें तौलिए में जाना और ऑफिस में बिना टॉवल के बिठाना मानवाधिकार का हनन है। - नेयाज अहमद, पूर्व डीजीपी, झारखंड।

ज़िंदगी

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26/11 का मास्टरमाइंड लश्कर कमांडर लखवी रिहा, मोदी बोले- दुनिया के लिए बुरी खबर

फाइल फोटो: जकीउर रहमान लखवी।
फाइल फोटो: जकीउर रहमान लखवी।
लाहौर। मुंबई पर हुए 26/11 के आतंकी हमले का मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सरगना जकीउर रहमान लखवी को रावलपिंडी की अदियाला जेल से रिहा कर दिया गया है। सूत्रों ने पाकिस्तान के न्यूज चैनल जियो टीवी को बताया कि लाहौर हाईकोर्ट द्वारा लखवी की हिरासत को गैरकानूनी करार देने के बाद गुरुवार देर रात उसे रिहा कर दिया गया। हालांकि, अदियाला जेल प्रशासन की ओर से उसकी रिहाई से जुड़ी कोई सूचना मीडिया को नहीं दी गई। उधर, जियो टीवी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जमात-उद दावा के कुछ सदस्य लखवी को लेने के लिए जेल पहुंचे थे। यहां से उसे अज्ञात लोकेशन पर ले जाया गया। उधर, फ्रांस के दौरे पर गए पीएम नरेंद्र मोदी ने लखवी की रिहाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, दुनिया भर के लिए बुरी खबर है। उधर, भारतीय हाई कमिश्नर ने पाकिस्तानी विदेश सचिव से मिलकर लखवी की रिहाई को लेकर कड़ा विरोध जताया।
गौरतलब है कि लखवी ने अपनी हिरासत की गैरकानूनी बताते हुए लाहौर हाईकोर्ट में अपील की थी। गुरुवार को लाहौर हाईकोर्ट ने चौथी बार लखवी की हिरासत को गैरकानूनी बताते हुए तत्काल रिहाई के आदेश दिए थे। उसके वकीलों की दलील थी कि कोर्ट द्वारा उसकी रिहाई के आदेश के बावजूद उसे बार-बार हिरासत में लिया जा रहा है। लखवी को 10-10 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दी गई है। पिछले महीने भी इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने लखवी की हिरासत को गैरकानूनी बताते हुए रिहाई के आदेश दिए थे।

क़ुरआन का सन्देश

 
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