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15 अप्रैल 2015

ये कसक

ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गयी,
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गयी..
एक मैं एक तुम एक दीवार थी,
जिंदगी आधी आधी बटी रह गयी..
मैंने रोका नही वो चला भी गया,
बेबसी दूर तक देखती रह गयी..
रात की भीगी भीगी छतो की तरह,
मेरी पलको पे थोड़ी नमी रह गयी...

बेटी को खरोंच तक नहीं, मां के हुए दो टुकड़े, खुरचकर निकालना पड़ा शव

ब्रिजबाला की मौत के बाद विलाप करते परिजन। इनसेट में ब्रिजवाला का फाइल फोटो।
ब्रिजबाला की मौत के बाद विलाप करते परिजन। इनसेट में ब्रिजवाला का फाइल फोटो।
यमुनानगर। हरियाणा के यमुनानगर के कांसापुर निवासी ब्रिजबाला (42) का घर खुशियों से लबालब था। क्योंकि घर में उसकी इकलौती बेटी की शादी जो थी। शादी में छह दिन ही बचे थे। लेकिन शादी की खुशियों पर एक हादसा भारी पड़ गया। ब्रिजबाला अपने बेटी प्रियंका के साथ दोपहर के समय बाजार में शादी की खरीददारी करने आई थी। बाजार से बेटी की पसंद का हर सामान खरीद एक्टिवा पर घर जा रही थी। लेकिन बीच रास्ते में बस स्टैंड चौक के पास सफेदी से भरे ट्रक ने उन्हें कुचल दिया।
ट्रक का पिछला पहिया ब्रिजबाला के ऊपर से गुजर गया। हादसा इतना दर्दनाक था कि ब्रिजबाला के शरीर के दो टुकड़े हो गए। बाद में उसके शव को सड़क से खुरचना पड़ा। वहीं इस हादसे में एक्टिवा चला रही प्रियंका को खरोंच तक नहीं आई।

मृतका के बेटे बंटी शर्मा ने बताया कि घर में उसकी बहन की शादी की तैयारियां चल रही थी। दोपहर के समय शादी का सामान खरीदने के लिए उसकी मां ब्रिजबाला और बहन प्रियंका बाजार में गई थी। उन्होंने रेलवे रोड स्थित बाजार से सामान खरीदा था और वापस घर आ रही थी। जैसे ही वे बस स्टैंड यमुनानगर के पास पहुंची तो पिछले से ट्रक ने टक्कर मार दी और हादसे में उसकी मां की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे की सूचना उनके रिश्तेदार मोनू ने फोन पर दी। तब वे मौके पर पहुंचे।
टक्कर लगने के बाद भी नहीं लगाए ब्रेक
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ट्रक चालक की स्पीड बहुत ज्यादा थी। एक्टिवा को ओवरटेक करते समय ट्रक का अगला हिस्सा एक्टिवा के हैंडल में लगा। अनियंत्रित होकर मां बेटी सड़क पर गिर गई। टक्कर लगने के बाद भी चालक ने ब्रेक नहीं लगाए। जब ट्रक लेकर भागने का रास्ता नहीं मिला तो चालक ट्रक को मौके पर छोड़कर फरार हो गया। लेकिन लोगों ने उसका पीछा कर उसे से पकड़ लिया।
सड़क पर चिपक गया था शव
प्रत्यक्षदर्शी खेड़ा मोहल्ला निवासी उमेश कुमार और मृतका के रिश्तेदार मोनू ने बताया कि ट्रक मली से लोड होने से ब्रिजबाला का शव दो टुकड़ों में बंट गया और सड़क से चिपक गया। बाद में शव को खुरच कर सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में लाया गया।

केस दर्ज कर लिया है
शहर यमुनानगर थाना प्रभारी विरेंद्र राणा का कहना है कि ट्रक चालक को लोगों ने मौके पर ही पकड़ लिया था। आरोपी चालक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। ट्रक को भी कब्जे में ले लिया गया है।

मेरा प्यार

मेरा प्यार
गर्भ में पल रही
अनचाही बच्ची की तरह था
इसीलिए तो
गर्भ में पलने से पहले
अवैध रूप से
मेरे मेरे प्यार का
तुमने गर्भपात किया है ,,अख्तर

बोर्ड एग्जाम में नंबर पाने के लिए लड़कियों ने कॉपी में लिखा I LOVE YOU

परीक्षकों को रिझााने के लिए छात्राओं ने कॉपी में लिखा आई लव यू।
परीक्षकों को रिझााने के लिए छात्राओं ने कॉपी में लिखा आई लव यू।
गाजीपुर. यूपी बोर्ड एग्जाम में पास होने के लिए परीक्षार्थियों ने परीक्षक को लुभाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाए हैं। किसी ने रिश्वत देने के लिए कॉपी में 100 रुपए की नोट लगा रखा है तो कोई 'आई लव यू' या लव लेटर लिखकर रिझाने की कोशिश कर रहा है। किसी ने कॉपी में उत्तर लिखने की बजाए बढ़ा-चढ़ाकर अपनी मजबूरी का बखान कर डाला है। परीक्षक को विश्वास दिलाने के लिए कॉपी में फोन नंबर तक लिख रखा है। ऐसे में एशिया के सबसे बड़े माने जाने वाले यूपी बोर्ड के एग्जाम महज मजाक बनकर रह गए हैं।
गाजीपुर में बोर्ड परीक्षा की कॉपियों की चेकिंग के दौरान कई कॉपियों से 100 रुपए की नोट लगी मिली हैं। यही नहीं कुछ छात्राओं ने तो परीक्षक को रिझाने के लिए 'आई लव यू' तक लिखा था तो कुछ ने तो पूरा लव लेटर ही कॉपी के साथ अटैच कर दिया था। कुछ कॉपियों में निवेदन पत्र लिखकर पास करने के लिए अजीबोगरीब बहाना लिखा गया था।
यहां बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षा खत्म होने के बाद अब उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का काम चल रहा है। इस दौरान मिलने वाले नोट और लव लेटर परीक्षकों के लिए मनोरंजन का केंद्र बन गए हैं। एक तरफ वह यह सब देखकर हंस रहे हैं। वहीं, हैरान भी हैं कि छात्र का ध्‍यान अब पढ़ाई करने के बजाए पास होने की तरकीब लगाने में लग रहा है। कॉपियों में सवालों के जवाब की बजाए शायरी, निवेदन पत्र और लव लेटर लिखा मिल रहा है।

कोटा का छत्र विलास उद्यान

कोटा का छत्र विलास उद्यान पहले कभी कोटा की शान था ,,फिर प्रशासनिक लापरवाही ,,,सियासी उपेक्षा के चलते यह उद्यान बेरौनक हो गया ,,लेकिन पिछली सरकार में कांग्रेस के दिग्गज मंत्री शानतिकुमार धारीवाल ने इस उद्यान को पर्यटन दृष्टि से महत्ता देने के लिए एक विज़न बनाया और इस उद्यान का जीर्णोद्धार कर यहां काफी जद्दो जहद के बाद मुख्य आकर्षण के लिए जॉय ट्रेन चलवाई ,,छत्र विलास विलास तालाब में मोटर बोट चलवाई ,,लेकिन अफ़सोस प्रशासनिक लापरवाही और सियासी उपेक्षा के चलते नगरविकास न्यास का जॉय जॉय ट्रेन संचालन पर ध्यान नहीं है ,,जॉय ट्रेन के कर्मचारी सफेद हाथी साबित हो रहे है ,,,, न्यास ,प्रशासन का इस तरफ ध्यान नहीं है स्थिति यह है के कई जॉय ट्रेन का आंनद लेने वाले बच्चो और अभिबावकों को कई बार पच्चीस सवारिया नहीं होना कहकर टरका दिया जाता है ,,,,जॉय ट्रेन का संचालन सही नहीं ,,प्रबंधन सही नहीं समय संचालन सही नहीं ,,नगर विकास न्यास प्रशासन को इस मामले में ध्यान देकर जॉय ट्रेन प्रबंधन को सुधार कर आकर्षक ,,मनोरंजक करना चाहिए ताकि आम जनता [परेशान ना हो ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

'मुर्गी चोर' कहे जाते थे नारायण राणे, हारे तो शिवसेना ने ‘मुर्गी’ लेकर मनाया जश्न Bhaskar News Apr 16, 2015, 03:09 AM IST Print Decrease Font Increase Font Email Google Plus Twitter Facebook COMMENTS 1 of 3 Next नारायण राणे के चुनाव हारने के बाद शिवसैनिकों ने मुर्गियां लेकर प्रदर्शन किया नारायण राणे के चुनाव हारने के बाद शिवसैनिकों ने मुर्गियां लेकर प्रदर्शन किया मुंबई. बांद्रा-पूर्व सीट के उप-चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को मात देने का जश्न शिवसैनिकों ने हाथ में ‘मुर्गी’ लेकर मनाया। इसके साथ ही ‘मुर्गी चोर चुनाव हारा...’ इस प्रकार के नारे भी लगाए। दरअसल पूर्व शिवसैनिक राणे का नाम ‘मुर्गी चोर’ पड़ने के पीछे कई तरह से किस्से बताए जाते हैं। ये है 'मुर्गी चोर' का किस्सा शिवसेना भवन से जुड़े एक पुराने शिवसैनिक ने बताया कि राणे को शिवसेना में लाने का काम पार्टी के वफादार व वरिष्ठ नेता लीलाधर डाके ने किया था। उन्होंने कहा कि राणे अपने दोस्त हनुमंत परब के साथ बचपन के दिनों में चेंबूर इलाके में गुंडागर्दी करते थे। बचपन की इसी नादान उम्र में उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर कई बार चेंबूर इलाके में मुर्गी चुराने का काम किया था। पकड़े जाने पर उन्हें डाके ने बचाया था। हालांकि राणे के खिलाफ अधिकृत रूप से पुलिस स्टेशन में मुर्गी चुराने का कोई भी मामला दर्ज नहीं है। परंतु इसी किस्से की वजह से उन्हें बाद में ‘मुर्गी चोर’ के नाम से चिढ़ाया जाने लगा। शिवसेना छोड़ने के बाद, तो बाल ठाकरे से लेकर रामदास कदम तक सभी शिवसेना नेता उनके नाम का उल्लेख न करते हुए ‘मुर्गी चोर’ कहकर ही संबोधित करते थे। 'मुर्गी चोर' कहे जाने का दूसरा किस्सा राणे का नाम ‘मुर्गी चोर’ पड़ने के पीछे एक और कहानी भी है। शिवसेना कार्यालय शिवालय से जुड़े एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने बताया कि राणे अपने लड़कपन में मुर्गी चुराने के साथ-साथ लड़ाई-झगड़े में आगे रहते थे। युवा होने पर चेंबूर इलाके में बकायदा उनकी गैंग सक्रिय थी। इस गैंग पर मारपीट से लेकर हत्या करने और हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर मामले दर्ज थे। चूंकि राणे महाराष्ट्र के कोंकण विभाग से संबंधित हैं और कोंकण में छोटे-बड़ी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाले गुंडों को ‘मुर्गी चोर’ कहा जाता है। लिहाजा राणे का नाम भी ‘मुर्गी चोर’ पड़ गया। कभी बाला साहब के खास थे राणे कभी शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के खास रहे राणे ने शिवसेना से बगावत करके कांग्रेस का दामन थाम लिया। शिवसेना छोड़ने के बाद से ही शिवसैनिक राणे को ‘मुर्गी चोर’ कहकर उनका उपहास उड़ाते हैं। अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में नारायण राणे को अपने गढ़ कोंकण में हार का सामना करना पड़ा था। अब देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी है। लगातार दूसरी बार हराकर शिवसेना ने उनकी सियासत पर पूर्णविराम लगाने का प्रयास किया है। पटाखे फोड़े शिवसैनिकों ने पिटाई किसी और की उप-चुनाव में पराजित हुए नारायण राणे को भड़काने, चिढ़ाने और उकसाने का शिवसैनिकों ने बुधवार को कोई मौका नहीं छोड़ा। बांद्रा-पूर्व सीट के उप-चुनाव में शिवसेना की जीत सुनिश्तित होते ही कुछ अतिउत्साही शिवसैनिक राणे के जुहू स्थित बंगले के बाहर पहुंच गए और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। इसकी जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में राणे समर्थक भी वहां पहुंच गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसी दौरान एक युवक करीब के एटीएम सेंटर से बाहर निकला। राणे समर्थकों को लगा कि यह युवक भी पटाखा फोड़ने वालों के साथ था लिहाजा उन्होंने उसकी पिटाई कर दी। परंतु पुलिस ने हस्तक्षेप करके पिट रहे युवक को बचा लिया। उधर जब एक बेकसूर युवक को अनजाने में पिटने की बात राणे समर्थकों को समझ में आई, तो उन्होंने भी गलती कबूलते हुए अफसोस जताया और वहां से चले गए।

नारायण राणे के चुनाव हारने के बाद शिवसैनिकों ने मुर्गियां लेकर प्रदर्शन किया
नारायण राणे के चुनाव हारने के बाद शिवसैनिकों ने मुर्गियां लेकर प्रदर्शन किया
मुंबई. बांद्रा-पूर्व सीट के उप-चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को मात देने का जश्न शिवसैनिकों ने हाथ में ‘मुर्गी’ लेकर मनाया। इसके साथ ही ‘मुर्गी चोर चुनाव हारा...’ इस प्रकार के नारे भी लगाए। दरअसल पूर्व शिवसैनिक राणे का नाम ‘मुर्गी चोर’ पड़ने के पीछे कई तरह से किस्से बताए जाते हैं।
ये है 'मुर्गी चोर' का किस्सा
शिवसेना भवन से जुड़े एक पुराने शिवसैनिक ने बताया कि राणे को शिवसेना में लाने का काम पार्टी के वफादार व वरिष्ठ नेता लीलाधर डाके ने किया था। उन्होंने कहा कि राणे अपने दोस्त हनुमंत परब के साथ बचपन के दिनों में चेंबूर इलाके में गुंडागर्दी करते थे। बचपन की इसी नादान उम्र में उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर कई बार चेंबूर इलाके में मुर्गी चुराने का काम किया था। पकड़े जाने पर उन्हें डाके ने बचाया था। हालांकि राणे के खिलाफ अधिकृत रूप से पुलिस स्टेशन में मुर्गी चुराने का कोई भी मामला दर्ज नहीं है। परंतु इसी किस्से की वजह से उन्हें बाद में ‘मुर्गी चोर’ के नाम से चिढ़ाया जाने लगा। शिवसेना छोड़ने के बाद, तो बाल ठाकरे से लेकर रामदास कदम तक सभी शिवसेना नेता उनके नाम का उल्लेख न करते हुए ‘मुर्गी चोर’ कहकर ही संबोधित करते थे।
'मुर्गी चोर' कहे जाने का दूसरा किस्सा
राणे का नाम ‘मुर्गी चोर’ पड़ने के पीछे एक और कहानी भी है। शिवसेना कार्यालय शिवालय से जुड़े एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने बताया कि राणे अपने लड़कपन में मुर्गी चुराने के साथ-साथ लड़ाई-झगड़े में आगे रहते थे। युवा होने पर चेंबूर इलाके में बकायदा उनकी गैंग सक्रिय थी। इस गैंग पर मारपीट से लेकर हत्या करने और हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर मामले दर्ज थे। चूंकि राणे महाराष्ट्र के कोंकण विभाग से संबंधित हैं और कोंकण में छोटे-बड़ी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाले गुंडों को ‘मुर्गी चोर’ कहा जाता है। लिहाजा राणे का नाम भी ‘मुर्गी चोर’ पड़ गया।
कभी बाला साहब के खास थे राणे
कभी शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के खास रहे राणे ने शिवसेना से बगावत करके कांग्रेस का दामन थाम लिया। शिवसेना छोड़ने के बाद से ही शिवसैनिक राणे को ‘मुर्गी चोर’ कहकर उनका उपहास उड़ाते हैं। अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में नारायण राणे को अपने गढ़ कोंकण में हार का सामना करना पड़ा था। अब देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी है। लगातार दूसरी बार हराकर शिवसेना ने उनकी सियासत पर पूर्णविराम लगाने का प्रयास किया है।
पटाखे फोड़े शिवसैनिकों ने पिटाई किसी और की
उप-चुनाव में पराजित हुए नारायण राणे को भड़काने, चिढ़ाने और उकसाने का शिवसैनिकों ने बुधवार को कोई मौका नहीं छोड़ा। बांद्रा-पूर्व सीट के उप-चुनाव में शिवसेना की जीत सुनिश्तित होते ही कुछ अतिउत्साही शिवसैनिक राणे के जुहू स्थित बंगले के बाहर पहुंच गए और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। इसकी जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में राणे समर्थक भी वहां पहुंच गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसी दौरान एक युवक करीब के एटीएम सेंटर से बाहर निकला। राणे समर्थकों को लगा कि यह युवक भी पटाखा फोड़ने वालों के साथ था लिहाजा उन्होंने उसकी पिटाई कर दी। परंतु पुलिस ने हस्तक्षेप करके पिट रहे युवक को बचा लिया। उधर जब एक बेकसूर युवक को अनजाने में पिटने की बात राणे समर्थकों को समझ में आई, तो उन्होंने भी गलती कबूलते हुए अफसोस जताया और वहां से चले गए।

अपनी आँखों को

अपनी आँखों को
अपनी अदाओं को
अपनी नज़ाकत को
अपनी खूबसूरती को
अपनी खूबसीरती को
पूरी तरह से संभालकर रखो
यह सब मेरी अमानत है
मुझे मेरे प्यार पर भरोसा है
तुम फिर लौटकर
मेरे पास ज़रूर आओगे ,,अख्तर

भगवा परिवार के खिलाफ जनता परिवार, मुखिया मुलायम

भगवा परिवार के खिलाफ जनता परिवार, मुखिया मुलायम
नई दिल्ली: जनता परिवार के विलय का एलान हो गया है। जनता दल से टूटकर अलग हुईं पार्टियों सपा, आरजेडी, जेडीयू, आईएनएलडी, जेडीएस, एसजेपी के बीच हुई बातचीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बुधवार को इसकी जानकारी दी गई। जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने बताया कि नए दल के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव होंगे। वे ही पार्लियामेंट्री कमेटी के अध्यक्ष होंगे। मीटिंग मुलायम सिंह यादव के दिल्ली स्थित आवास पर हुई।
शाहनवाज बोले- बीजेपी को रोकने के लिए हुआ है विलय
विलय के बावजूद सब कुछ ठीक चलेगा, इसकी गारंटी नहीं लग रही। इसका एक संकेत तो यही लगता है कि बुधवार की बैठक में नई पार्टी का नाम, झंडा तय नहीं हो सका। छह लोगों की एक समिति बनाई गई, जो संगठन के नीतियों और अन्य मुद्दों पर फैसला करेगी। यह कमेटी विलय करने वाले अध्यक्षों की होगी। वहीं, बीजेपी ने इस मर्जर पर निशाना साधा। बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि पार्टी के सिंबल या नाम पर चर्चा न होना इस बात का सबूत है कि इन पार्टियों के बीच काफी खाई है। हुसैन के मुताबिक, ये पार्टियां कितने भी नाम बदलकर सामने आ जाएं, लेकिन बीजेपी इनसे लड़ने को तैयार है।
नीतीश बोले-मजबूत विकल्प देंगे
मुलायम ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया। मुलायम ने कहा, ''नई सरकार को बहुमत मिलने के बावजूद उसने कुछ नहीं किया। यह पहली सरकार है, जिसने विपक्षी दलों की कभी राय नहीं ली। पूर्व की कोई भी सरकार लोकतांत्रिक ढंग से काम करती थी और हमसे बातचीत करती थी। केंद्र सरकार ने कोई वादा पूरा नहीं किया। गरीब और हाशिए पर जी रहे लोग हताश हो चुके हैं। सरकार करे न करे, लेकिन हम सब की समस्याओं का निराकरण करेंगे। '' वहीं, जेडीयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा, ''पिछले कुछ महीने से छह दलों के बीच में एकजुटता के लिए विचारमंथन चल रहा था। शुरुआत से ही सभी की इच्छा थी कि सब एकजुट हों। यह दल एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरेगा और देश की राजनीति को दिशा देगा।'' इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला ने कहा कि देश को काफी वक्त से इस मर्जर की जरूरत थी। वहीं, लालू ने दावा किया कि नई पार्टी बीजेपी का हवा निकाल देगी।
सपा नेताओं में असंतोष
मुलायम सिंह ने जनता परिवार में सपा के विलय होने से अंदरूनी नाराजगी की खबरों को खारिज किया। सपा के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो यूपी के मुख्यमंत्री व मुलायम के बेटे अखिलेश और उनके सांसद भाई जनता परिवार से सपा को अलग रखना चाहते थे। हालांकि, मुलायम ने उनकी राय को खारिज कर दिया। उधर, सपा के कुछ नेताओं को लगता है कि आरजेडी और जेडीयू से हाथ मिलाने से उत्तर प्रदेश में सपा को कोई फायदा नहीं होगा। इस साल के आखिर में बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने की बात भी सपा के कुछ नेताओं को नहीं भा रही है। सपा के नेता दबी जुबान से कह रहे हैं कि अब उन्‍हें बिहार की राजनीति के मजबूत क्षत्रपों- लालू यादव और नीतीश कुमार- के हिसाब से फैसले लेने होंगे। सपा के कई नेता इस बात को लेकर भी फिक्रमंद हैं कि अगर आगे चलकर बनने जा रही यह नई पार्टी टूटी तो उन्हें अपनी पहचान वापस पाने में मुश्किल आ सकती है। विलय के विरोधी सपा के नेताओं का कहना है कि दो दशक से ज्यादा लंबे संघर्ष के बाद उनकी पार्टी ने अपनी पहचान बनाई है। अक्टूबर, 1992 में सपा वजूद में आई थी।

विलय क्यों
दिसंबर 2013 से भाजपा का हर चुनाव में अच्छा प्रदर्शन रहा। उसने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता कायम रखी। लोकसभा चुनाव जीता। फिर महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई। सिर्फ दिल्ली का चुनाव वह हार गई। लालू-नीतीश-मुलायम को विलय की जरूरत इसलिए महसूस हुई, क्योंकि बिहार में इसी साल और यूपी में 2017 में चुनाव हैं। ये दल मिलकर मोदी लहर को वहां बेअसर करना चाहते हैं।

जमीन का उचित मुआवजा नहीं दिया तो ट्रेन होगी जब्त!


Northern-Railway-adaalat
हिमाचल प्रदेश की ऊना अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने मुआवजा ना देने पर उत्तर रेलवे की जनशताब्दी एक्सप्रेस को जब्त करने के निर्देश दिए हैं. अदालत में भूमि मुआवजे को लेकर चल रहे दो मामलों में ये आदेश सुनाया गया है और उत्तर रेलवे को गैरजिम्मेदाराना रवैये के लिए फटकार भी लगाई है।
कोर्ट ने रेलवे विभाग को 16 अप्रैल तक इस मामले पर संज्ञान लेने को कहा है, अगर रेलवे विभाग इस मामले का संज्ञान नहीं लेता तो 16 अप्रैल को ऊना में ही जनशताब्दी ट्रेन जब्त हो सकती है. तलवाड़ा रेलवे ट्रैक के लिए भूमि अधिग्रहण करके मालिकों को उचित मुआवजा न देने पर कोर्ट ने जनशताब्दी ट्रेन को अटैच करने के निर्देश दिए हैं.
शिकायतकर्ता मेला राम और मदन लाल के वकील अरूण सैणी ने बताया कि 1998 में रेलवे विभाग द्वारा शिकायतकर्ताओं की जमीन का अधिग्रहण किया था और इसकी एवज में उचित मुआवजा नहीं दिया गया था.
इसे लेकर शिकायतकर्ताओं ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और दिसंबर 2011 में अदालत ने रेलवे विभाग को शिकायतकर्ता मेला राम को 8 लाख 91 हजार 424 रूपये और मदन लाल को 26 लाख 53 हजार 814 रूपये मुआवजा अदा करने के आदेश सुनाया.
अदालत के फैसले के खिलाफ रेलवे विभाग ने हाईकोर्ट में अपील की. 2013 में हाईकोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया.
इसके बाद किसानों ने दोबारा अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में एक्जीक्यूशन के लिए केस दायर किया। 9 अप्रैल को कोर्ट ने जनशताब्दी ट्रेन को अटैच करने के आदेश जारी कर दिए.

क़ुरआन का सन्देश

 
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