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22 अप्रैल 2015

लोकसभा में 18 बार मांगने पर भी राहुल को नहीं मिली सवाल की इजाजत

नई दिल्ली. जमीन अधिग्रहण संशोधन बिल और फसलों की बर्बादी पर केंद्र सरकार को घेरने वाले कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को नेट न्यूट्रैलिटी का मुद्दा लोकसभा में उठाया। राहुल ने सदन में कहा, ''मनरेगा, भोजन के अधिकार की तरह युवाओं के लिए इंटरनेट एक अधिकार है।'' उनके बयान के बाद सरकार की ओर से जवाब आया तो राहुल ने सवाल करना चाहा। इसके लिए उन्‍होंने 18 बार इजाजत मांगी, लेकिन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने उन्हें मौका नहीं दिया।
लोकसभा से बाहर निकलने के बाद राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, ''मैं एक और सवाल पूछना चाहता था, लेकिन मुझे मंजूरी नहीं मिली। मैं दूसरे सवाल में केवल पांच सेकंड का वक्त लेता लेकिन मुझे पूछने नहीं दिया गया। मेरा सवाल था कि अगर आप नेट की आजादी प्रोटेक्ट करना चाहते थे तो नेट न्‍यूट्रैलिटी पर पहल ही क्यों शुरू की?''
लोकसभा में राहुल ने क्‍या कहा...
राहुल ने कहा, ''केंद्र सरकार बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हाथ में नेट का अधिकार देने की कोशिश कर रही है। एक मिलियन लोगों ने इसके खिलाफ अपना विरोध दर्ज करया है। सरकार को नेट की आजादी बरकरार रखनी चाहिए।'' सोमवार को जमीन अधिग्रहण संशोधन बिल और फसलों की बर्बादी पर राहुल गांधी ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ खुलकर हमला बोला था।
ओबामा द्वारा मोदी की प्रशंसा किए जाने पर ली चुटकी
नेट न्यूट्रैलिटी पर सदन में बोलते वक्त राहुल गांधी ने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा किए जाने पर चुटकी ली। उन्होंने बीजेपी सांसदों की ओर इशारा करते हुए कहा, ''अब मैं जो बोलने जा रहा हूं, वह आपके प्रधानमंत्री के बारे में है। कल मैंने टाइम मैगजीन में देखा अमेरिका के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की प्रशंसा की है। 60 साल में पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी पीएम की इतनी प्रशंसा की।'' बुधवार को भी राहुल गांधी द्वारा सदन में पीएम को 'आपके प्रधानमंत्री' कहे जाने पर बीजेपी सांसदों ने विरोध दर्ज कराया।
सरकार का जवाब
नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे पर दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा, ''सरकार इस मामले में पूर्ण स्वतंत्रता चाहती है, जनता को बिना किसी भेदभाव के इंटरनेट सुविधा देना चाहती है। टेलिकॉम मंत्रालय की ओर से जनवरी महीने में ही समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया जा चुका है। कमेटी मई के दूसरे हफ्ते तक रिपोर्ट देगी। इसके बाद ट्राई की ओर से मिलने वाली रिपोर्ट का भी कमिटी अध्ययन करेगी। उसके बाद फैसला मैं लूंगा और अंत में कैबिनेट। पीएम नरेंद्र मोदी खुद सोशल साइट और इंटरनेट पर सक्रिय हैं। सरकार को नौजवानों की पूरी फिक्र है।''
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''सरकार न कभी किसी के दबाव में आई है और न ही आती है। राहुल गांधी सदन के वरिष्ठ नेता हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि भले ही ट्राई को सुझाव दे, लेकिन उसे मानने या न मानने का अधिकार सरकार और मेरे मंत्रालय के पास है।''
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?
ताजा विवाद नेट न्यूट्रैलिटी के खत्म होने की आशंका से जुड़ा हुआ है। मौजूदा समय में जब कोई भी यूजर किसी ऑपरेटर से डेटा पैक लेता है तो वह नेट पर किसी भी वेबसाइट को सर्फ करने या स्काइप या वाइबर पर वॉयस या वीडियो कॉल करने के लिए एक ही दर से शुल्क अदा करता है। मतलब यूजर नेट पर किसी भी तरह की वेबसाइट देख सकता है या किसी भी एप्लिकेशन को यूज कर सकता है। शुल्क इस बात पर निर्भर करता है कि यूजर ने उस दौरान कितना डेटा इस्तेमाल किया है। शुल्क इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि यूजर कौन-सी वेबसाइट सर्फ कर रहा है या कौन-सा एप्लिकेशन यूज कर रहा है। यही नेट न्यूट्रैलिटी है। सरल भाषा में कहें तो आप बिजली का बिल देते हैं और बिजली इस्तेमाल करते हैं। ये बिजली आप कम्प्यूटर चलाने में खर्च कर रहे हैं, फ्रिज चलाने में या टीवी चलाने में, इससे बिजली कंपनी का कोई लेना-देना नहीं होता। कंपनी ये नहीं कह सकती कि अगर आप टीवी चलाएंगे तो बिजली के रेट अलग होंगे और फ्रिज चलाएंगे तो अलग। लेकिन नेट न्यूट्रैलिटी खत्म हुई तो इंटरनेट डेटा के मामले में आपको अलग-अलग वेबसाइट को सर्फ करने या एप्लिकेशन को यूज के लिए अलग-अलग शुल्क अदा करना पड़ेगा। इससे कंपनियों को तो फायदा होगा, लेकिन आम जनता के लिए इंटरनेट काफी महंगा हो जाएगा। ये ठीक उसी तरह होगा, जैसे हम टीवी देखने के लिए टाटा स्काई, एयरटेल या अन्य किसी डीटीएच कंपनी के अलग-अलग पैकेज लेते हैं। किसी एक पैकेज को लेने पर उस पैकेज के तहत आने वाले चैनल तो देखे जा सकते हैं, लेकिन कुछ चैनल नहीं देखे जा सकते हैं। ऐसे चैनलों को देखने के लिए पैकेज से अलग चैनल के हिसाब से पैसे चुकाने पड़ते हैं। इस तरह महीने के अंत में हम पैकेज के शुल्क के अलावा खास चैनलों के लिए अलग से शुल्क चुकाते हैं।

अजमेर शरीफ में नकवी से बोले पाकिस्‍तानी- हिंदुस्‍तान की तरह हो हमारा मुल्‍क

नकवी ने कहा, 'ख्‍वाजा साहब इंसानी उसूलों के खिदमतगार थे। उन्‍होंने पूरे मुल्‍क में अमन चैन का संदेश दिया था। वे इंसानियत के प्रतीक थे।' नकवी ने कहा, 'पीएम ने देश की तरक्‍की की कामना की। रविवार से शुरू हो रहे उर्स के मौके पर प्रधानमंत्री ने दुआ की कि देश तरक्‍की के रास्‍ते पर चलते हुए सभी मुल्‍कों से आगे निकले। दुनिया में हमारे मुल्‍क का नाम हो। देश के प्रत्‍येक व्‍यक्ति तक तरक्‍की के रास्‍ते खुले। देश के आखिरी पायदान पर खड़े कमजोर तबके तक विकास पहुंचे।'
इसलिए महत्‍वपूर्ण है मोदी की चादर
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने रमजान के महीने में रोजा इफ्तार की दावत नहीं दी थी। ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी प्रधानमंत्री ने इस तरह की दावत का आयोजन नहीं किया था। राजनीतिक दलों ने इसके कई मायने निकाले थे। अब अजमेर उर्स में मोदी की ओर से चादर पेश किया जाना, इस मायने में महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है। बता दें कि भारत रत्न पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से भी मंगलवार को चादर ख्वाजा की दरगाह पर पेश की गई थी। सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से भी चादर पेश की गई थी। सोनिया गांधी भी चादर भिजवा चुकी हैं।

विक्रम वाल्मीकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी में दलितों के संघर्ष का एक नाम

विक्रम वाल्मीकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी में दलितों के संघर्ष का एक नाम ,,,दलितों को इन्साफ दिलाने की एक उम्मीद जिन्हे दलित ,,,आज का आंबेडकर कहकर पुकारते है ,,वोह आज दलित ,,शोषित ,,पीड़ित ,,वर्ग को इंसाफ दिलाने के एक संघर्ष का नाम बन चुके है ,,,,,,,,,,,,,,राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जुझारू संघर्ष शील नाम विक्रम वाल्मीकि कोटा देहात क प्रभारी है और आरक्षित विधानसभा क्षेत्र रामगंजमंडी में नगरपालिका चुनाव में प्रत्याक्षियों का चयन और जीत का परचम इनके लिए कड़ी चुनौती है इसीलिए विक्रम वाल्मीकि अपने इस अभियान में अपने साथियों की मदद के साथ जुट गए है ,,,,तीन अप्रेल उन्नीस सो पचत्तर को एक साधारण परिवार में जन्मे विक्रम को इन्साफ के संघर्ष और निष्पक्ष इन्साफ के लिए विक्रम आदित्य भी इनके दोस्त कहा करते थे ,,,ना कोई ज़ात ना कोई समाज ,,सिर्फ इंसानियत ,,एकता ,,राष्ट्रभक्ति ,,और कांग्रेस ज़िंदाबाद के नारे के साथ इनका बचपन कोंग्रेसी माहोल में गुज़रा ,,छात्र जीवन से ही सनगानेर विधानसभा क्षेत्र के बूथ कार्यकर्ता बने ,,ज़मीन से जुड़कर कांग्रेस के कार्यक्रमों के हिस्सेदार बने ,,फिर युथ कांग्रेस का नेतृत्व बनकर प्रतीपक्ष में रहने के दौरान धरने ,,प्रदर्शन ,,अान्दोलन एक अभियान के रूप में चलाये गए ,,इनकी ईमानदारी ,,प्रतीभा ,,नेतृत्व क्षमता को देखते हुए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने इनकी पीठ थपथपाई और वाल्मीकि को जयपुर जिला कांग्रेस में स्थान दिया ,,,,जहां पूरी ईमानदारी से इन्होने अपने पद की ज़िम्मेदारी निभाई ,,निर्भीक ,,निष्पक्षता के साथ व्यक्तिवाद गुटबाज़ी से अलग हठ कर ,,कांग्रेस के विधि विधान के तहत ,,कांग्रेस के झंडे और चुनाव चिन्ह हाथ के लिए जान की बाज़ी लगाकर संघर्ष किया ,,,,कांग्रेस की सरकार आई ,,सरकार में बैठे लोग इनके चहेते थे इनके हर काम को करने के लिए तत्पर थे लेकिन वाह विक्रम भाई वाह ,,इन्होने किसी भी मंत्री या ज़िम्मेदार आदमी को कोई काम भी नहीं बताया ,,हाँ दलितों ,,पीड़ितों ,,शोषितों के साथ जहाँ अत्याचार अनाचार हुआ वहां अधिकारीयों के खिलाफ आँखे तरेर कर उन्हें रास्ते पर लाकर पीड़ितों को इंसाफ दिलवाया है ,,विक्रम वाल्मीकि राष्ट्रिय वाल्मीकि समाज में भी पदाधिकारी है दलित युवाओं की धड़कन है ,,,सादगी ,,सहजता ,,सरलता ,,मिलंनसारी ,,हंसमुख स्वभाव इनकी पहचान है ,,इसीलिए दलित समाज विक्रम वाल्मीकि को आज का अमेडकर की उपाधि देकर कांग्रेस ज़िंदाबाद का नारा लगते हुए विक्रम वाल्मीकि के साथ जुड़ता नज़र आता है ,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रैली के दौरान एक किसान ने खुदकुशी कर ली

नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी (आप) की बुधवार को जंतर मंतर पर बुलाई गई रैली के दौरान एक किसान ने खुदकुशी कर ली। करीब डेढ़ बजे दौसा के नांगल (राजस्‍थान) से आए इस किसान ने पेड़ पर चढ़ कर जान देने की कोशिश की। उसे अस्‍पताल ले जाया गया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल भाषण देते रहे। करीब पौने तीन बजे उनका भाषण खत्‍म हुआ तो उन्‍होंने राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल जाकर किसान के बारे में जानकारी ली। उनके साथ मनीष सिसोदिया और संजय‍ सिंह भी थे। केजरीवाल के पहुंचने के कुछ ही मिनट के अंदर बताया गया कि किसान की मौत हो गई। आप नेता सोमनाथ भारती ने ट्वीट कर किसान की खुदकुशी को साजिश बताया है।
आम आदमी पार्टी ने जमीन अधिग्रहण बिल के विरोध में रैली की थी। इसी दौरान गजेंद्र नाम का 45 वर्षीय किसान पेड़ पर चढ़ गया और फंदे पर झूलने की कोशिश करने लगा। तभी भीड़ से कुछ लोग निकले और उन्होंने उसे उतारा। उसे राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
किसान के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है, जिसमें लिखा है, ''मेरे घर में 3 बच्चे हैं, घर में खाने में कुछ नहीं। मेरी फसल बर्बाद हो गई। पिता ने घर से निकाल दिया।'' दिल्ली पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है।
घटना के बावजूद चलती रही रैली
घटना दोपहर डेढ़ बजे के आसपास हुई। इसके बावजूद, आम आदमी पार्टी के नेता एक-एक करके भाषण देते रहे। कुमार विश्वास, संजय सिंह के अलावा केजरीवाल ने पुलिस को इस घटना के लिए दोषी ठहराया। विश्वास ने रैली में हुई नारेबाजी और शोरशराबे को भी विपक्षी पार्टियों की साजिश बताई। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली पुलिस को मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था। केजरीवाल ने कहा, ''पुलिस की इतना इंसानियत तो बनती है कि वे उसे बचाएं। वे यह तो नहीं कहेंगे कि हम इसके (दिल्ली सरकार) कंट्रोल में नहीं हैं।

तालिबान ने तैयार की उमर-1 मिसाइल, पाक के एटम बम की सुरक्षा पर सवाल

टीटीपी द्वारा जारी की गई उमर-1 मिसाइल की फोटो।
टीटीपी द्वारा जारी की गई उमर-1 मिसाइल की फोटो।
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने मिसाइल के कामयाब परीक्षण का दावा किया है। तालिबान ने मिसाइल को उमर-1 नाम दिया है। हालांकि, मिसाइल की रेंज के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा सूबा पाकिस्तान तालिबान का गढ़ माना जाता है। इस सूबे से भारत की सीमा करीब 600 किलोमीटर दूर है। पाकिस्तान की फौज से लड़ रहे पाकिस्तानी तालिबान ने एक बयान जारी कर उमर-1 मिसाइल के सफल परीक्षण का दावा किया। इसके साथ ही एक वीडियो भी जारी किया गया है। वीडियो में मिसाइल को असेंबल करते हुए दिखाया गया है। टीटीपी के प्रवक्ता मुहम्मद खुरासनी ने मिसाइल के बारे में कहा, "जरूरत के हिसाब से मिसाइल को कभी भी असेंबल और डी-असेंबल किया जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी डिजाइन है।"
'बहुत जल्द दुश्मन को भागते देखोगे'
टीटीपी के प्रवक्ता खुरासनी ने कहा, "उमर-1 मिसाइल दुश्मन को भौचक्का कर देगी। अल्लाह की मर्जी रही तो बहुत जल्द हमारे दुश्मन को भागते हुए देखोगे। हमारी इंजीनियरिंग यूनिट के पास मॉडर्न हथियार तैयार करने की कूव्वत है। हम अपने लड़ाकों को तकनीक का पूरा इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इसमें सुसाइड वेस्ट, सुसाइड गाड़ियां, हैंड ग्रेनेड, एंटी जैमर डिवाइसेस शामिल हैं।" पिछले साल जून से पाकिस्तानी फौज अफगानिस्तान से सटे इलाकों में सक्रिय आतंकवादियों के सफाए के लिए ऑपरेशन 'जर्ब-ए-अज्ब' चला रही है। इसमें सैकड़ों आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया है।
एटम बम की सुरक्षा पर फिर सवाल खड़े हुए
टीटीपी की मिसाइल टेस्टिंग की खबर आने के बाद पाकिस्तान के एटमी हथियारों की सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर उठ गया है।
‘भारत सक्षम, लेकिन खतरा बड़ा’
रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने dainikbhaskar.com को बताया कि ये कहना गलत नहीं होगा कि तालिबान का मिसाइल टेस्ट का दावा एक बड़ा खतरा है। इससे निपटने के लिए हमारी सुरक्षा एजेंसियां सक्षम हैं। लेकिन तालिबान के असर वाले इलाकों से दिल्ली की दूरी महज 600 किलोमीटर की है। हमें पहले से ज्यादा चौकस रहना होगा। इस मामले में दूसरे देशों को भी सतर्क करना होगा। रहा सवाल पाकिस्तान का तो हम उस पर कतई भरोसा नहीं कर सकते। वह अपने देश में आतंकवाद पर रोता है, लेकिन हमारे देश में आतंक को बढ़ावा देता है। पाकिस्तान खुद भी तालिबान के खतरे से निपटने के लिए असमर्थ है। ऐसे में, भारत के पास विकल्प यही है कि इस मुद्दे पर वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ लेकर चले और पाकिस्तान पर दबाव बनाए।

किस इलाके में बनी मिसाइल?
बताया जा रहा है कि यह मिसाइल खैबर पख्तूनख्वाह इलाके में बनी और वहीं इसका टेस्ट भी हुआ। इस इलाके का बड़ा हिस्सा तालिबान के कब्जे में है और सेना यहीं आतंकियों से लड़ रही है। अफगानिस्तान की सीमा से सटे तालिबान के कब्जे वाले पहाड़ी इलाके में अमेरिका भी अपने ड्रोन से नजर रखता है। इसके बावजूद मिसाइल टेस्ट होने का दावा किया जा रहा है।

तालिबान को किसने दी तकनीक?
अमेरिकी लेखक कीनिथ आर टिमरमैन की किताब ‘डार्क फोर्सेस : द ट्रूथ अबाउट व्हॉट हैपन्ड इन बेनगाजी’ और अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्टों की मानें तो अफगानिस्तान को दिए गए कई हथियार लापता हैं। 2007 के बाद से अमेरिका ने अफगानिस्तान को 62 करोड़ डॉलर मूल्य के 7.5 लाख हथियार और उससे जुड़े पुर्जे मुहैया कराए हैं। लेकिन स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान ने अमेरिका को नवंबर 2014 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 43 फीसद यानी दो लाख हथियार लापता हैं। आशंका है कि तालिबान इन्हीं हथियारों के दम पर आतंक फैला रहा है। उसने अमेरिकी तकनीक का ही इस्तेमाल कर मिसाइल बनाने की कोशिश की है।

खतरा किसे ज्यादा?
तालिबान की मिसाइल से भारत को तो खतरा होगा ही, लेकिन पाकिस्तान के अंदर हालात ज्यादा बिगड़ेंगे। पाकिस्तान ने पिछले साल खैबर इलाके में तालिबान के खिलाफ जर्ब-ए-अज्ब अभियान शुरू किया था। तब से अब तक 2000 आतंकी इस फौजी अभियान में मारे जा चुके हैं। 15 लाख लोगों को आतंकियों और सेना के बीच मुठभेड़ के कारण अपने इलाकों से पलायन करना पड़ा है। इसी अभियान से बौखलाए तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तान में बीते दिसंबर पेशावर में आर्मी स्कूल पर हमला किया था। इसमें 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। इसके बाद आतंकी संगठन का मिसाइल टेस्ट दूसरा बड़ा घटनाक्रम है। पाकिस्तान के अंदर अब हमले और बढ़ सकते हैं।

इस मिसाइल टेस्ट का पाकिस्तान अमेरिका से कितना फायदा उठाएगा?
पाकिस्तान के लिए जर्ब-ए-अज्ब अभियान काफी महंगा साबित हो रहा है। तालिबान के खतरे के कारण पाकिस्तान को सिर्फ पेशावर में स्कूलों की हिफाजत के लिए 11 हजार सैनिकों की टुकड़ी तैयार करनी पड़ी है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने हाल ही में दावा किया था कि तालिबान के खिलाफ अभियान की लागत 1.75 अरब डॉलर आएगी। 80 करोड़ डॉलर तो सिर्फ विस्थापितों के पुनर्वास पर खर्च हो जाएंगे। पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद को 15 फीसद बढ़ाने की गुजारिश की है। अमेरिका पिछले 12 साल में पाकिस्तान को पहले ही 28 अरब डॉलर की मदद दे चुका है। इस साल भी 1 अरब डॉलर की मदद प्रस्तावित है।

क़ुरआन का सन्देश

 
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