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28 अप्रैल 2015

हाईटेंशन पर दो घंटे तक चिपका रहा युवक, मेंटेनेन्स के लिए चढ़ा था ऊपर

हाईटेंशन पर दो घंटे तक चिपका रहा युवक, मेंटेनेन्स के लिए चढ़ा था ऊपर
आलीराजपुर(इंदौर). 11 केवी की लाइन सुधारने के लिए खंभे पर चढ़े लाइनमैन की करंट लगने से मौत हो गई। दो घंटे तक उसका शव लाइन से चिपका रहा। गुस्साए ग्रामीणों ने शव को खंभे से उतारने नहीं दिया और सहायक लाइनमैन की पिटाई कर दी। घटना मंगलवार दोपहर इंदौर के गांव जोबट में हुई।
दरअसल, लाइन सुधारने के लिए जमानी डाबड़ी ग्रिड से सप्लाय बंद कराया गया था। दोपहर 1.10 बजे लाइन सुधारने के लिए दीपक पिता दीतू (22) खंभे पर चढ़ा, लेकिन तार छूते ही करंट लगने से उसकी मौत हो गई। दीपक को चार महीने पहले ही दैनिक वेतन पर रखा गया था।
घटना की जानकारी लगते ही ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। आक्रोशित ग्रामीणाें ने जेई, लाइनमैन, सहायक लाइनमैन के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की मांग की।
ग्रामीणों का आक्रोश देख मुख्य लाइनमैन भाग निकला, जबकि सहायक लाइनमैन माधवसिंह ग्रामीणों के हत्थे चढ़ गया। जिसे ग्रामीणों ने जमकर पीटा। पुलिस ने जैसे-तैसे उसे बचाया और भीड़ को खदेड़ा। ग्रामीण तारों में चिपके दीपक के शव को उतारने के लिए तैयार नहीं थे। एसडीओपी आनंद सिंह वास्कले ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। तब ग्रामीण शव को उतारने के लिए तैयार हुए।
लाइन पर काम करने के लिए परमिट दिया गया था। तब लाइन बंद कर दी गई थी, लाइन पुन: चालू कैसे हो गई। इसकी जांच कराएंगे। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -एसके नामदेव, जेई, विविकं, जोबट
अमझेरा में करंट से खंभे पर चढ़े युवक की मौत

डाडूर में हाईटेंशन लाइन का तार 11 केवीए की बंद लाइन पर गिरा। इससे लाइन में करंट दौड़ गया। बंद लाइन पर काम कर रहे प्राइवेट कर्मचारी सुभाष निवासी चालनी को जोरदार झटका लगा। वह पाेल से नीचे आ गिरा। गंभीर अवस्था में ग्रामीण उसे अमझेरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर आए, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे धार रैफर कर दिया लेकिन रास्ते में ही सुभाष ने दम तोड़ दिया। घटनास्थल पर तत्काल जेई मनोज यादव पहुंचे। घटना के कुछ देर पूर्व ही अमझेरा बस स्टैंड पर सर्विस लाइन जोड़कर सुभाष नाश्ता कर डाडूर निकला था। जेई यादव ने पुष्टि की कि खारसा गांव के समीप तार बंद लाइन पर गिरने से हादसा हुआ।

युवाओ की जान राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट

आइये दोस्तों आज आपको कांग्रेस के युवा तुर्क हाज़िर जवाब नेता से मिलवाते हैं यह मुस्कुराता चेहरा , गरीब किसानो की लड़ाई लड़ने वाला , गरीबो का भला चाहने वाला , राजस्थान की सभी समाजो को साथ लेकर समाज के दबे कुचले लोगो की मदद करने वाला व सभी से सम्मान पाने वाला कोई और नहीं राजस्थान की शान युवाओ की जान राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री सचिन पायलट जी हे इनकी ख़ास पहचान कुशल नेत्र्तव क्षमता , कुशल व्यवहार ,जनता में अपना पन आपके भाषण का निराला अंदाज़ व कभी हार नहीं मानने वाला जज़बा हे आपने 7 सितम्बर 1977 को एक राजनैतिक घराने में जन्म लिया आपके पिता स्वर्गीय राजेश पायलट साहब जो भारत सरकार के मंत्री रहे एंव किसान नेता के नाम से अपनी एक अलग पहचान बनाई श्री सचिन पायलट जी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से BA की डिगरी हासिल की और USA से MBA किया पढ़ाई पूरी करने के बाद 2004 में दौसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ाकर सबसे कम उम्र के सांसद बनाने का रिकॉर्ड बनाया डोसा के सांसद रहते हुए दौसा लोकसभा क्षेत्र के लोगो की चाहत बन कर रहे हर आम ख़ास व्यक्ति आपको अपना समझता था और मानता था लोकसभा परिसीमन के बाद 2009 में आपने अजमेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती किरण माहेश्वरी को हरा कर दूसरी दफा संसद पहुंचे इस से पहले अजमेर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की जीत पिछले पांच चुनावो से नहीं हुई थी अजमेर भाजपा की सीट मानी जाती रही हे पर आपके ककशल व्यवहार ने अजमेर की जनता के दिलो को जीता और आपको अजमेर से भरपूर समर्थन मिला सांसद बनकर आप भारत सरकार के मंत्री बने एंव आपने अजमेर की जनता को भारत सरकार की और से चलाई जाने वाली योजनाओ का खूब लाभ दिलाया अजमेर बहुवर्षीय मांग हवाई अड्डा आपने भर पुअर कोशिश करके मंज़ूर करवा और उसका शिलान्यास करवाकर अजमेर की जनता की मांग को पूरा करते हुए एक बड़ी सुगात दी टेलिकॉम मंत्री रहते हुए अजमेर की पंचायतो को कंप्यूटर से जोड़ा इस तरह आपने अजमेर की जनता की सेवा की पर 2014 में अजमेर की जनता आपके काम का बदला नहीं दे पाई और भाजपा के भरमक प्रचार का शिकार हुई और आप चुनाव हार गए पर आज फिर से अजमेर की जनता अपने पुराने दिनों को याद करते हुए सचिन पायलट जी को याद कर रही हे जो हर आम आदमी की मदद करते हुए अजमेर को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहे थे कांग्रेस के आला कमान ने सचिन जी में नेत्र्तव क्षमता को देखते हुए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान दी जब ऐसे समय में आपने अपनी नेत्र्तव क्षमता को दिखाते हुए जब कांग्रेस पार्टी को राजस्थान में मरी हुई मान लिया गया था लोकसभा की 25 की 25 सीटें भाजपा जीत कर जश्न मनाने में लगी थी और श्री सचिन पायलट जी कांग्रेस को ज़िंदा करने के लिए भाजपा का मिथक तोड़ने के लिए राजस्थान के गांव गांव घूमकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओ में जान डालने की कोशिश कर रहे थे आपकी मेहनत रंग लाई और विधानसभा के उपचुनावों में भाजपा को भारी झटका देते हुए 4 में से 3 विधानसभा में कांग्रेस का परचम लहरा दिया जिसको देख कर अच्छे को पसीना आने लगा भाजपाइयों के माथे पर सिलवटे आना शुरू हो गई पर भाजपाई यह मानने को तैयार ना थे की सचिन पायलट इस मरी हुई कांग्रेस को ज़िंदा करने में सफल हो पाएँगे और इसी सोचो इंतज़ार में राजस्थान पंचायत चुनाव आ गए जिसमे किसी को उम्मीद नहीं की कांग्रेस के प्रमुख ,प्रधान अगर पचास साठ बन जाए तो बहुत बड़ी कामयाबी होगी पर सचिन पायलट हार मानने वालो में से नहीं थे आपने अपनी कोशिोष जारी रखी प्रदेश के हर कोने में गए कांग्रेस के सोये हुए कार्यकर्ताओ को जगाया और जीतने का मन्त्र दिया देखते ही देखते राजस्थान पंचायत के चुनाव हो गए और नतीजे आना शुरू हुए तो प्रदेश के हर हिस्से से सचिन पायलट ज़िंदाबाद के नारे लगने शुरू हो गए और उम्मीद से भी अधिक और अच्छे नतीजे आये 100 से अधिक पंचायत समितियों के प्रधान कांग्रेस के बनवा दिए जो बेगाने थे अब तो वह भी दबी ज़बान में सचिन पायलट ज़िंदाबाद कहने लगे और भाजपाइयों के मुंह सिकुड़ने लगे आप की ख़ास विशेषता हे की आप सभी जातियों धर्म वालो को साथ लेकर काम करते हैं और राजस्थान की सभी 36 बिरादरियों में आज आपकी एक अलग ही पहचान बनी हे सभी आपको अपना नेता अपना लीडर माननेलगी हे जिधर भी आपका काफ्ला निकलता हे देखते ही देखते आपको देखने और सुनने के लिए भीड़ लग जाती हे आपने अपनी प्रदेश की टीम में सभी को सम्मान देते हुए बुज़ुर्ग , महिला और युवाओ का संगम बना दिया हे हर उम्र का व्यक्ति नेता कार्यकर्ता आज आपके साथ काम करने के लिए आतुर हे तैयार हे राजस्थान के इस मायनाज़ सितारे व राजस्थान की शान कहलाने वाले नेता श्री सचिन पायलट जी को मेरा भी बहुत बहुत आदाब अर्ज़

राजस्थान सरकार की दरियादिली कहे या फिर प्रबंधन

राजस्थान सरकार की दरियादिली कहे या फिर प्रबंधन ,,या फिर लाचारी मजबूरी के राजस्थान के थानों में उपाधीक्षक तैनात है ,,उपाधीक्षक पद का काम अतीरिक्त पुलिस अधीक्षक देख रहे है ,,पुलिस अधीक्षक का काम डी आई जी और डी आई जी का काम आई जी जबकि आई जी का काम एडिशनल डी जी देख रहे है ,,,जी हाँ दोस्तों राजस्थान के लगभग हर ज़िले में कमोबेश यही हालत है ,,इससे सरकार की लाचारी और कुप्रबंध के हालात स्पष्ट नज़र आते है ,,,पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत पुलिस आयोग ,,पुलिस जवाब देही समितिया ,,शान्ति समितियां ,,जवेनाइल पुलिस यूनिट ,,,,जिला समितिया और कल्याण आयोग का गठन तो नहीं हुआ उलटे हालात यह हो गए के पुलिस अधिकारीयों के प्रमोशन हुए कई महीने गुज़र गए लेकिन अभी तक उन्हें पोस्टिंग नहीं दी जा सकी है ,,स्थिति सभी जानते है ,,अधिकतम थानों में उपअधीक्षक बने अधिकारी कार्यरत है जबकि उप अधीक्षक पद पर अतीरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के पदोन्नत लोग काम देख रहे है ,,इतना ही नहीं पुलिस अधीक्षक पद पर डी आई जी तो आई जी स्तर पर एडिशनल आई जी के पद पर पदोन्नत अधिकारी कार्यरत है इससे सभी अधिकारियों में फ्रस्ट्रेशन भी है तो कई महत्वपूर्ण अनुसंधान सहित काफी कामकाज अटके पढ़े है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कविता करकरे का पार्थिव शरीर आज सुबह पंचतत्व में विलीन हो गया

  • कविता करकरे का पार्थिव शरीर आज सुबह पंचतत्व में विलीन हो गया। शहीद हेमंत करकरे की पत्नी नहीं रहीं, जाते-जाते एक बार फिर उन्होंने ज़माने को संदेश दे दिया कि वो एक वीर की पत्नी ही नहीं, खुद भी एक वीरांगना हैं।
    उनके पति हुए थे देश के लिए कुर्बान, उन्होंने मरने के बाद कईयों को दिया जीवनदान! ये कहानी है कविता करकरे की, शहीद हेमंत करकरे की पत्नी। वही हेमंत करकरे जो 26/11 के आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। 6 साल पहले हेमंत करकरे डिनर के लिए पत्नी के साथ आउटिंग पर गए थे। एक फोन कॉल के बाद आधे में डिनर छोड़कर निकले और फिर कभी नहीं लौटे।
    उसी वीर की पत्नी ने साबित कर दिया कि वो भी किसी से कम नहीं। सोमवार सुबह मष्तिष्क घात के बाद कविता दुनिया छोड़ गईं। लेकिन जाते-जाते तीन लोगों को जिंदगी दे गईं। कविता की एक किडनी 48 साल के एक शख्स को दी गई, जो 10 साल से डायलिसिस पर बस इस इंतज़ार में था कि कोई उसे जिंदा रहने के लिए एक किडनी दे दे।
    दूसरी किडनी जसलोक अस्पताल में 59 साल के एक शख्स को दी गई, जो सात साल से किडनी ट्रांसप्लांट का इंतज़ार कर रहा था और कविता के लीवर ने कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल में 49 साल के एक शख्स को नई ज़िंदगी दे दी।
    परेल के हाजी बचूली में दान की गईं कविता ने आंखें भी कई लोगों की रोशनी बन रही हैं। कविता करकरे के इस महादान के पीछे उनके तीन बच्चों का भी हाथ है, जिन्होंने अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए अपनी मां के शरीरदान की इजाज़त दे दी।
    कविता करकरे ने जाते-जाते ये बता दिया कि उनका परिवार जान देना भी जानता है और जिंदगी देना भी। इसे वीरों का परिवार कहें, तो गलत नहीं होगा। इस परिवार को शत शत नमन।

ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानि AICC के नीचे पांच कमेटियां बनाने का प्रस्ताव है

  • ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानि AICC के नीचे पांच कमेटियां बनाने का प्रस्ताव है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी, लोकसभा कांग्रेस कमेटी, विधानसभा कांग्रेस कमेटी, सेक्टर कांग्रेस कमेटी और पोलिंग बूथ कांग्रेस कमेटी।
    इन तमाम कमेटियों में 21 सदस्य रखने का प्रस्ताव है। हरेक कमेटी का अपना एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव होगा। इनका कार्यकाल पांच साल का होगा। लोकसभा कांग्रेस कमेटी और विधानसभा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बन सकेंगे। उन्हें एआईसीसी और पीसीसी के निर्देशों का पालन करना होगा। इसे नहीं करने पर उनके खिलाफ एआईसीसी को कार्रवाई करने का अधिकार होगा।
    इस प्रस्ताव में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनावी प्रक्रिया को लेकर भी सुझाव दिया गया है। अध्यक्ष का चुनाव या तो कांग्रेस के सभी पंजीकृत सदस्य करेंगे या फिर एक इलेक्टोरल कॉलेज चुनेगा जिसमें विधानसभा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, उसके दो डेलीगेट, लोकसभा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और उसके दो डेलीगेट, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सभी कार्यकारी सदस्य, सभी ज़िला पंचायत अध्यक्ष, महानगरपालिकाओं के मेयर और पार्टी के सभी सांसद और विधायक शामिल होंगे।
    अध्यक्ष के लिए चुनाव होने की सूरत में जिन उम्मीदवारों को 20 फीसदी से ज़्यादा वोट मिलेगा वो कमेटी के सदस्य बन जाएंगे। लेकिन अगर अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना गया या किसी को भी 20 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट नहीं मिलता है तो कांग्रेस अध्यक्ष वर्किंग कमिटि के 21 सदस्यों को मनोनीत करेगा जिसमें एक उपाध्यक्ष और 6 महासचिव शामिल होंगे।
    इस प्रस्ताव के तहत कमेटियों में 20 फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों का होना ज़रूरी बताया गया है। इतना ही नहीं 21 सदस्यों में से एक तिहाई महिलाएं होंगी। वर्किंग कमेटी के हर तीन महीने में एक बार मिलने का प्रस्ताव भी रखा गया है। इसके अलावा एआईसीसी में 21 सदस्यों वाली एक केंद्रीय चुनाव समिति भी बनाने का प्रस्ताव है जिसमें एक तिहाई महिलाएं और 20 फीसदी एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को रखा जाएगा।
    एआईसीसी के अलावा तमाम कमेटियों के ढ़ाचे, उनकी ज़िम्मेदारियों और कर्तव्यों को लेकर विस्तृत सुझाव दिए गए हैं। इसमें सदस्य बनाने और फंड उगाहने के लिए ज़िम्मेदारियां भी तय की गई हैं।

आसाराम बोला- जेल में अफीम का दूध मिलता है, फिर कहा-नहीं-नहीं गंगाजल

मीडिया वालों को आसाराम ने पहले बोतल दिखाई और कहा जेल में अफीम का दूध मिलता है
मीडिया वालों को आसाराम ने पहले बोतल दिखाई और कहा जेल में अफीम का दूध मिलता है
जोधपुर| नाबालिग छात्रा के यौन शोषण के आरोप में यहां सेंट्रल जेल में बंद आसाराम को मंगलवार को पेशी पर अदालत लाया गया। पुलिस वाहन से उतरते हुए आसाराम ने वहां उपस्थित मीडिया के सामने एक बोतल दिखाते हुए कहा- देखो, इसमें क्या है? सेंट्रल जेल में सब कुछ मिलता है। बोतल में अफीम का दूध है। अगले ही पल आसाराम ने अपने होठों पर अंगुली रखते हुए चुप रहने का इशारा करते हुए कहा- किसी से कहना मत। कुछ पल रुक कर फिर कहा- बोतल में अफीम का दूध नहीं , इसमें तो गंगाजल है...। गंगाजल की बात कहने के कुछ पल बाद आसाराम ने हाथ ऊपर उठाते हुए कहा- जेल में सब कुछ ठीक है...हरि ऊं...।
...इधर आसाराम की निगरानी याचिका खारिज
राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को अधीनस्थ अदालत के आदेश के विरुद्ध दायर आसाराम की निगरानी याचिका की सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया। नाबालिग छात्रा से दुराचार के मामले में आरोपी अासाराम के अधिवक्ताओं ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि पीड़िता की दसवीं की अंकतालिका को पुलिस ने पूर्व में रिकॉर्ड में पेश नहीं किया, लेकिन सब इंस्पेक्टर मुक्ता पारीक की गवाही के बाद अभियोजन अंकतालिका को रिकॉर्ड पर लेना चाहता है। अब अंकतालिका को रिकाॅर्ड पर लेना उचित नहीं है, जबकि उप राजकीय अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस बनवारीलाल शर्मा ने निगरानी याचिका खारिज कर दी।

दुःख तकलीफ में इलाज के अभाव में तड़पते ,,सिसकते मरीज़ों की खिदमत का दीवानगी की हद तक का जज़्बा ,,

दुःख तकलीफ में इलाज के अभाव में तड़पते ,,सिसकते मरीज़ों की खिदमत का दीवानगी की हद तक का जज़्बा ,,आपने सब कुछ छोड़कर भूके प्यासे रहकर ,,मरीज़ों के साथ हमदर्दी करने वाले खिदमतगार का नाम इमरान कुरैशी है ,,जी हाँ दोस्तों वैसे तो सभी जानते है के इस्लाम में किसी भी मरीज़ की तीमारदारी ,,उसकी मदद ,,उसकी हमदर्दी एक इबादत है ,,और इसी इबादत को रोज़ इमरान कुरैशी सुबह सवेरे से उठकर रात रात जागकर अनजान चेहरे ,,अनजान मरीज़ों के साथ रहकर उनके इलाज के लिए दोढ़ भाग करते नज़र आते है ,,इमरान कुरैशी यूँ तो मेले दशहरे में झूले वगेरा लगाकर लोगों का मनोरंजन कर अपना व्यवसाय करते है लेकिन दस सालों से भी अधिक समय से इमरान कुरैशी ने अपना कारोबार से ज़्यादा अहमियत मरीज़ों की खिदमत को देना शुरू की है ,,इमरान कुरैशी आज तक हज़ारो हज़ार मरीज़ों की खिदमत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कर चुके है ,,मरीज़ किसी भी जाती ,,किसी भी धर्म ,,किसी भी मज़हब का हो बस इनकी जानकारी में आते ही ,,मरीज़ के लिए दवा की व्यवस्था ,,मरीज़ की जाँचे ,,उनकी बीमारी के बारे में विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह ,,,ज़रूरत पढ़ने पर खून दिलवाना ,,,रात रात भर जागकर मरीज़ों की खिदमत करना इमरान कुरैशी ने अपन धर्म बना लिया है ,,अब तक हज़ारो मरीज़ के परीजन इन्हे दुआएं देते है जो इलाज के आभाव में तड़प रहे थे लेकिन असाध्य बीमारी के बाद भी ठीक हो कर घर आराम कर रहे है ,,कोटा का कोई भी प्राइवेट चिकित्सालय हो ,,सरकारी चिकित्सालय हो डॉक्टर हो ,,,मरीज़ों की जांच करने वाली लेबोरेटरी संचालक हो सभी लोग इमरान को मरीज़ों के मसीहा के रूप में जानते है ,,,,बिना किसी लोभ लालच के फी सबीह लिल्लाह यानी मुफ्त में अपना वक़्त ,,अपना रुपया खर्च कर खिदमत के इस अंदाज़ को लोग दीवानगी कहते है लेकिन कोटा की जनता और ज़रूरत मंद इस जज़्बे को कोटा के एक मसीहा के रूप में देखते है ,,,,,,,,,हाल ही में जिला प्रशासन को जब इमरान कुरैशी के इस जज़्बे ,,इस खिदमत की जानकारी मिली तो जिला प्रशासन ने सभी जानकारियां तस्दीक़ करने के बाद कोटा जिला स्टेडियम पर एक समारोह में ज़िलाकलेक्टर के ज़रिये इनको सम्मानित करवाकर इनकी होसला अफ़ज़ाई की ,,,,,,,,,इमरान कुरैशी कई बार लावारिस मरीज़ों के वारिस बनते है तो अपने हाथों से उनकी गंदगी भी साफ़ करते नज़र आते है ,उनकी दवाये ,,फ्रूट ,,खाने पीने का इंतिज़ाब भी वोह अपने पास से अपने साथियों की मदद से करते है ,,इमरान कुरैशी अपने इस काम को खुदा का आदेश समझकर पूरा करते है वोह कहते है यह मेरा फ़र्ज़ है ,,उनको इस मामले में किसी वाह वाही की भी ज़रूरत नहीं ,,वोह किसी पब्लीसिटी के भी मोहताज नहीं ,,लेकिन एक दस्तूर है जो लोग बिना किसी लालच के लोगों की खिदमत करते है वोह कमाल करते है और इस मतलबी दुनिया में इस कलियुग में तो बस ऐसे लोग गिनती के होते है इसीलिए ऐसे लोगों को जज़्बे को सलाम करते हुए इनकी पीठ थपथपा कर इन्हे शाबाशी देने का फ़र्ज़ तो हमारा बनता ही है ,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गांव और शहर में क्या अन्तर है

कल स्कूल में मेरी बेटी से उसकी क्लास टीचर ने पूछा कि ....
गांव और शहर में क्या अन्तर है ....??
बहुत सुन्दर उत्तर दिया उसने ....
इतना ही अन्तर है कि गांव में ,
कुत्ते आवारा घूमते हैं और गौमाता पाली जाती है .....
और शहर में कुत्ता पाला जाता है और गौमाता आवारा घूमती हैं ..

बिना सुरक्षा जनरल बोगी में राहुल ने की यात्रा, लड़कियों को दिए ऑटोग्राफ

नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार को ट्रेन की जनरल बोगी में यात्रा की। वह पंजाब के खन्ना और गोविंदगढ़ के लिए रवाना हुए, जिसे 'अनाज का कटोरा' भी कहा जाता है। कांग्रेस के मुताबिक, यहां राहुल किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं जानेंगे। राहुल गांधी जब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में सवार हुए तो बहुत सारे यात्री उनको देखकर हैरान रह गए। राहुल डिब्बे में खिड़की की तरफ वाली सीट पर बैठे और उन्होंने लड़कियों को ऑटोग्राफ भी दिए। इस यात्रा में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके साथ रहे। राहुल का सुरक्षा दस्ता साथ नहीं था।
'किसानों का दर्द जानूंगा'
यात्रा से पहले राहुल ने कहा कि किसानों की जमीन छीनी जा रही है, इसलिए वे किसानों से मिलना चाहते हैं और खुद उनके दर्द को जानना चाहते हैं। बता दें कि राहुल गांधी छुट्टियों से लौटने के बाद किसानों के मुद्दों को जोर-शोर से उठा रहे हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले केंद्र सरकार के लैंड बिल के विरोध में किसान रैली को भी संबोधित किया था।
पद यात्रा भी करेंगे राहुल
राहुल गांधी जल्द ही ‘किसान पदयात्रा’ निकालेंगे। यात्रा का प्रारूप लगभग तैयार है। संसद सत्र खत्म होने के पहले ही इसकी औपचारिक घोषणा हो सकती है। रामलीला मैदान की किसान रैली में मोदी सरकार पर धावा बोल चुके राहुल ने इसके लिए एक लंबी रणनीति तैयार की है। इसके तहत वे खेती और किसानों के मुद्दों को उठाकर पार्टी में जान फूंकने की कोशिश करेंगे।
रोजाना 15-18 किमी की पदयात्रा
राहुल की पदयात्रा महाराष्ट्र के विदर्भ से शुरू होकर तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, राजस्थान होते हुए देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचेगी। इस दौरान वे रोजाना 15 से 18 किलोमीटर का सफर तय करेंगे। वे पहले देश के उन हिस्सों में जाएंगे, जहां किसानों की आत्महत्या से लेकर, भूमि अधिग्रहण, फसलों को समर्थन मूल्य न मिलने जैसे मुद्दों पर असंतोष है।

क़ुरआन का सन्देश

 
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