मुस्लिम समाज की राजनीति करने वाले सियासी मुल्लाओ प्लीज़ मुझे एक बात बताये
देश भर में हर ज़िले ,हर शहर में सिक्खों के गुरूद्वारे में भंडारा है
,,रहने की व्यवस्था है ,,,जेन भाइयों के यहां भोजन की व्यवस्था है
,,धर्मशालाए है ,,,,अग्रवाल समाज हो ,,ब्राह्मण समजा हो ,,गुर्जर समाज हो
कोई भी छोटे से छोटा समाज हो सभी के अपने हॉस्टल ,,अपने सामुदायिक भवन है
,,खुद का प्रसादम है जो बाहर से आने वाले महमानों के अतीथी सत्कार के लिए
हमेशा तत्पर रहते है ,,,,,,एक इस्लाम जिसमे क़ुरानी हुक्म भी है ,,हदीस
भी है फिर भी देश भर में सरमायदार लोगों के होने के बाद भी किसी भी ज़िले
में कोई भंडारा नहीं ,,कोई हॉस्टल नहीं ,,कोई धर्मशाला ,,सराय
,,मुसाफिरखाना सस्ते दामों वाला नहीं ,दिखावा है ,,कमाई का ज़रिया है
,,,,,खाने का लंगर नहीं ,,गरीब बच्चो के फीस ,,किताबों और रहने का इंतिज़ाम
नहीं ,,,,मरीज़ों के इलाज के लिए कोई प्रबंधकीय फंड नहीं जबकि हर साल ज़कात
के नाम पर हम अरबो रुपया रिकॉर्ड के आधार पर निकालते है ,,,खरबों रूपये की
वक़्फ़ संपत्तियां है ,, मस्जिद है ,,मदरसे है ,,सराये है लेकिन ज़रा सोचो
किस मैनजमेंट की कमी ,,किस इत्तेहाद की कमी है जो हम वोह कुछ नहीं कर पाये
है जो हमारे क़ुरआन ने हमे हुक्म दिया है जो हमारे हुज़ूर स अ व की सीख हमे
दी गई है ,,,,,दोस्तों एक बार फिर अपने अपने ज़िलों में मस्जिद ,,मदरसे
,,वक़्फ़ सम्पत्तियों का प्रबंधन सरकारी हाथो से हटाकर खुद देखे ,,सरमायदारों
को बुलाकर हर ज़िले में एक फंड इलाज और शिक्षा के अलावा आपातकाल में मदद के
लिए बनवाए ,,हर ज़िले में बच्चो के लिए हॉस्टल ,,एक भटर स्कूल ,,कॉलेज हो
जहा ओवेसी बंधुओ की तरह मैनेजमेंट कोटे के नाम पर गरीब मुसलमानो की सीटें
महंगा डोनेशन लेकर भरने का गुनाह ना हो ,,,,,शहर में आने जाने वाले बाहरी
मुसाफिरों के लिए एक सराय ,,एक आराम गाह ,,और एक लंगर मुफ्त हो जहा बेहतर
से बेहतर खाने तक़सीम किये जाए ,,खुद अपनी हालत सुधारों तो देश भी खुद ब खुद
आगे बढ़ जाएगा ,,लेकिन इसके लिए चंदे से मस्जिदों में एयरकंडीशन
,,खूबसूरती ,,,निजी सम्पत्ति बनाने और पेट पालने का ज़रिया जिन्होंने चंदे
को बनाया है उनको भी हमे बेनक़ाब करना होगा क्योंकि हमारी मदद पहले भूखों के
लिए ,,,फटेहाल कपड़े पहनने वालों के लिए ,,बीमारों के लिए ,,बेघरों के लिए
,,मुसाफिरों के लिए ,,शिक्षा में गरीबी की वजह से पिछड़े लोगों के लिए है
और इसके लिए सरकार की भी कई योजनाये है जिनका भी हमे फायदा उठाना चाहिए
,,दोस्तों बात कड़वी ज़रूर है ,,लेकिन यही नंगा सच हमारे समाज का है ,,,हमारे
पास खुदा का दिया हुआ सब कुछ है लेकिन मैनेजमेंट ,,हिम्मत ,,एकता ,,नहीं
है सिर्फ फ़िरक़े ,,झगड़े फसाद ,,चुगली ,,एक दूसरे के खिलाफ माहौल बनाने की
आदत हमे गर्त में ले जा रही है ,,,खुदा खेर करे और हमे एक दे ,,एकता दे
,,हिम्मत दे ,,सियाई मौलानाओ और सियासी गुलामों से हमे आज़ाद कराकर सामाजिक
इज़्ज़त हमे मिले बस यही दुआ है ताके हम गर्व से कह सके के हम हिन्दुस्तानी
मुसलमान भी किसी से कम नहीं ,,अभी दिखावे पर तो कई स्कूल ,,कई सराहे ,,कई
लंगर ,,कई सबीलों की बाते आएँगी ,,मोहर्रम पर हलीम ,,,बारावफ़ात पर जुलुस
,,जुलुस के खैरमकदम पर करोडो करोड़ के खर्च का हिसाब आएगा लेकिन कॉम की
फलाह बहबुदगी के लिए क्या हुआ वोह अभी भी ज़ीरो है जनाब ,,,,,,,,,,,अख्तर
खान अकेला कोटा राजस्थान