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01 मई 2015

प्रेम के खातिर नाखूनों से खोदी झील फिर नहीं मिली प्रेमिका तो दे दी थी जान

प्रेम के खातिर नाखूनों से खोदी झील फिर नहीं मिली प्रेमिका तो दे दी थी जान
उदयपुर. माउंटआबू में रविवार से समर फेस्टिवल शुरु हो रहा है। माउंटआबू इस फेस्टिवल के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां आने वाले सैलानियों के बीच यहां की नक्की झील अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है। इस झील की कहानी बेहद रोचक है जो राजस्थानी लोक गीतों और कहानियों में भी सुनने को मिलता है। कहते हैं माउंट आबू की हसीन वादियों में एक प्रेमी ‘रसिया बालम’ ने अपने प्यार की खातिर नाखूनों से ही झील को खोद डाला था। रसिया बालम माउंट आबू में मजदूरी करने के लिए आया था और उसने वहां पर कुंवारी कन्या (स्थानीय राजकुमारी) को देखा और उसे देखते ही प्यार हो गया। कुछ ऐसा ही हाल कुंवारी कन्या का भी हुआ। धीरे-धीरे ये प्यार परवान चढ़ने लगा।
बताया जाता है कि स्थानीय राजा ने अपनी कुंवारी कन्या की शादी के लिए एक शर्त रखी। शर्त यह थी कि जो भी इंसान एक रात में झील खोदेगा उसकी शादी राजकुमारी से कर दी जाएगी। रसिया बालम ने हंसते-हंसते शर्त को स्वीकार कर दिया और झील को अपने नाखूनों से खोदना शुरू कर दिया।
इधर, कुंवारी कन्या की मां को यह विवाह प्रस्ताव किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं था। कुंवारी कन्या की मां ने इस शर्त को पूरा होने से रोकने के लिए छल-कपट का सहारा लिया। रसिया बालम भोर होने से पहले झील की खुदाई कर जैसे ही कुंवारी कन्या के पिता के पास जाने के लिए निकला, वैसे ही कुंवारी कन्या की मां ने मुर्गे का रूप धारण कर कूकडू-कू की बांग दे दी। रसिया बालम ने इस मुर्गे की बांग को भोर की घोषणा मान ली और निराश होकर वहीं पर अपने प्राण त्याग दिए। लेकिन मरते-मरते वो कुंवारी कन्या की मां के मायाजाल को समझ गया और उसे श्राप दे दिया। श्राप देते ही कुंवारी कन्या की मां भी उसी जगह पर पत्थर की मूर्ति बन गई।
यहां भगवान राम ने प्राप्त की थी शिक्षा

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थल है, जहां महान ऋषि वशिष्ठ रहा करते थे। कहा जाता है यहीं भगवान राम ने अपने दोनों भाइयों समेत शिक्षा ली थी। भगवान राम से जुड़े कई ऐतिहासिक प्रमाण यहां आज भी मौजूद है। माउंट आबू के घने जंगलों में महर्षि वशिष्ठ आश्रम बसा है। इस आश्रम में जाने के लिए आपको 450 सीढ़ियों से नीचे उतरना होता है।

अशोक गहलोत,,एक जादूगर

अशोक गहलोत,,एक जादूगर ,,,,एक संकट मोचक ,,कुशल प्रशासक ,,कट्टर कोंग्रेसी ,,,,सहज ,,सरल ,ज़बर्दस् प्रतिपक्ष में प्रतीकार क्षमतावाले नेता है जो कहते है वोह करते है ,,,कल तीन मई को उनका जन्म दिन है ,,अशोक गेहलोत राजस्थान के हमदर्द कहे जाते है ,,विकट परिस्थितियों में भी अशोक गेहलोत के कार्यकाल में बुज़ुर्गों को सम्मान ,,पेंशन ,,,मुंफ्त जाँचे ,,मुफ्त चिक्तिसा ,,मुफ्त दवा ,,इलाज ,,,सम्मान ,,, मज़दूरों को नरेगा में रोज़गार ,,,धार्मिक लोगों को धार्मिक तीर्थ यात्राये ,,,,निर्धनों को उत्थान योजना ,,,शोषितों को इन्साफ ,,किसानो को रियायतें ,,,छात्र छात्राओं को छात्रव्रत्ति और प्रोत्साहन ,,,अधिकारीयों को सम्मान ,,,कर्मचारियों को सभी तरह के लाभ ,,कार्यकर्ताओं की शिकायतों का निवारण ,,बेदाग़ छवि ,,गांधीवादी विचारधारा ,,,,सभी कुछ तो अशोक गेहलोत में है ,,ऐसे क्षमतावान गरीबों के मसीहा प्रतीपक्ष में रहकर भी अपनी जनहित कार्यों की भूमिका निभाने वाले अशोक गेहलोत का कल जन्म दिन है जिन्हे सलाम ,,,बधाई ,,,,,,,
भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री।
राजस्थान के २३वें मुख्यमंत्री
पद भावी मुख्यमत्री
13 दिसम्बर 2008 – 12 दिसम्बर 2013
पूर्वा धिकारी वसुन्धरा राजे सिंधिया
उत्तरा धिकारी वसुन्धरा राजे सिंधिया
चुनाव-क्षेत्र सरदारपुरा, जोधपुर
राजस्थान के २१ वें मुख्यमंत्री
पद बहाल
1 दिसम्बर 1998 – 8 दिसम्बर 2003
पूर्वा धिकारी भैरोंसिंह शेखावत
उत्तरा धिकारी वसुन्धरा राजे सिंधिया
पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री
पद बहाल
2 सितम्बर 1982 – 7 फ़रवरी 1984
प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी / राजीव गांधी
पद बहाल
३१ दिसम्बर १९८४ – २६ सितम्बर १९८५
प्रधानमंत्री राजीव गांधी
खेल उप केन्द्रिय मंत्री
पद बहाल
७ फ़रवरी १९८४ – ३१ अक्टूबर १९८४
प्रधानमंत्री राजीव गांधी
केन्द्रीय राज्य मंत्री (कपड़ा) स्वतंत्र प्रभार
पद बहाल
२१ जून १९९१ – १८ जनवरी १९९३
प्रधानमंत्री पी वी नृसिम्हा राव
जन्म ३ मई १९५१
महामंदिर, जोधपुर
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवन संगी सुनीता गहलोत
बच्चे वैभव गहलोत
सोनिया गहलोत
धर्म हिन्दू
अशोक गहलोत का जन्‍म 3 मई 1951 को जोधपुर राजस्‍थान में हुआ। स्‍व॰ श्री लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त की तथा अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त की। गहलोत का विवाह 27 नवम्‍बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। गहलोत के एक पुत्र वैभव गहलोत और एक पुत्री सोनिया गहलोत हैं। श्री गहलोत को जादू तथा घूमना-फिरना पसन्‍द हैं।,
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राजनीतिक पृष्‍ठभूमि
विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे गहलोत 7वीं लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। उन्‍होंने जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्‍व किया।
सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद गहलोत फरवरी, 1999 में 11वीं राजस्‍थान विधानसभा के सदस्‍य बने। गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए 04/12/2003 को निर्वाचित हुए तथा 13वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए 08/12/2008 को सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही पुन: निर्वाचित हुए।
केन्‍द्रीय मंत्र
उन्‍होंने स्‍व॰ श्रीमती इन्दिरा गांधी, स्‍व॰ श्री राजीव गांधी तथा स्‍व॰ श्री पी.वी.नरसिम्‍हा राव के मंत्रिमण्‍डल में केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया। वे तीन बार केन्‍द्रीय मंत्री बने। जब स्‍व॰ श्रीमती इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्‍बर, 1982 से 7 फ़रवरी 1984 की अवधि में श्रीमती इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्‍डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे। इसके बाद गहलोत खेल उपमंत्री बनें। उन्‍होंने 7 फ़रवरी 1984 से 31 अक्‍टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया तथा पुन: 12 नवम्‍बर, 1984 से 31 दिसम्‍बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया। उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्‍हें केन्‍द्र सरकार में राज्‍य मंत्री बनाया गया। 31 दिसम्‍बर, 1984 से 26 सितम्‍बर, 1985 की अवधि में श्री गहलोत ने केन्‍द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके पश्‍चात् उन्‍हें केन्‍द्रीय कपड़ा राज्‍य मंत्री बनाया गया। यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा श्री गहलोत को इसका स्‍वतंत्र प्रभार दिया गया। श्री गहलोत इस मंत्रालय के 21 जून 1991 से 18 जनवरी 1993 तक मंत्री रहे।
राजस्‍थान सरकार में मंत्री
जून, 1989 से नवम्‍बर, 1989 की अल्‍प अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्‍थान सरकार में गृह तथा जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियां‍त्रिकी विभाग के मंत्री रहे।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
जनवरी, 2004 से 16 जुलाई 2004 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्‍य के रूप में कार्य किया और इस पद पर रहते हुए हिमाचल प्रदेश व छत्‍तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी के रूप में सफलता पूर्वक जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया। 17 जुलाई 2004 से 18 फ़रवरी 2009 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया। इस दौरान श्री गहलोत ने उत्‍तरप्रदेश, दिल्‍ली, समस्‍त फ्रन्‍टल इकाईयों व सेवादल के प्रभारी के रूप में अपनी जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया। महात्‍मा गांधी के ऐतिहासिक दांडी मार्च के 75 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस एवं महात्‍मा गांधी फाउण्‍डेशन की ओर से आयोजित ढाडी यात्रा के समन्‍वयक के रूप में कार्य करते हुए सफलता पूर्वक सम्‍पन्‍न कराया।
राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष के रूप में कार्यकाल
, गहलोत को 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्‍यक्ष रहने का गौरव प्राप्‍त हुआ है। पहली बार श्री गहलोत 34 वर्ष की युवा अवस्‍था में ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष बन गये थे। राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष के रूप में उनका पहला कार्यकाल सितम्‍बर, 1985 से जून, 1989 की अवधि के बीच में रहा। 1 दिसम्‍बर, 1994 से जून, 1997 तक द्वितीय बार व जून, 1997 से 14 अप्रैल 1999 तक तृतीय बार वे पुन: राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष पद पर रहे। वर्ष 1973 से 1979 की अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्‍थान NSUI के अध्‍यक्ष रहे और उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी की इस यूथ विंग को मजबूती प्रदान की। श्री गहलोत वर्ष 1979 से 1982 के बीच जोधपुर शहर की जिला कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष रहे। इसके अलावा वर्ष 1982 में श्री गहलोत राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (इन्दिरा) के महासचिव भी रहे।
सामाजिक पृष्‍ठभूमि
गरीबों और पिछड़े वर्ग की सेवा को तत्‍पर श्री गहलोत ने पश्चिम बंगाल के बंगांव और 24 परगना जिलों में वर्ष 1971 में बंग्‍लादेश युद्ध के दौरान आयोजित शरणार्थी शिविरों में काम किया। समाज सेवा में गहरी रूचि रखने वाले श्री गहलोत ने तरूण शान्ति सेना द्वारा सेवाग्राम, वर्धा औरंगाबाद, इन्‍दौर तथा अनेक जगहों पर आयोजित शिविरों में सक्रिय रूप से कार्य किया तथा कच्‍ची बस्‍ती और झुग्‍गी क्षेत्रों के विकास के लिए अपनी सेवाएं दी। नेहरू युवा केन्‍द्र के माध्‍यम से उन्‍होंने प्रौढ शिक्षा के विस्‍तार में उन्‍होंने अपना महत्‍वपूर्ण योगदान दिया। श्री गहलोत सक्रिय रूप से कुमार साहित्‍य परिषद और राजीव गांधी मेमोरियल बुक-बैंक से जुड़े हुए है। श्री गहलोत भारत सेवा संस्‍थान के संस्‍थापक अध्‍यक्ष भी हैं। यह संस्‍थान समाज सेवा को समर्पित हैं तथा एम्‍बूलेन्‍स सेवा प्रदान करती है। इसके अलावा यह संस्‍थान राजीव गांधी मेमोरियल बुक बैंक के माध्‍यम से गरीब छात्रों के लिए नि:शुल्‍क पुस्‍तकें उपलब्‍ध करवाती है। संस्‍थान ने जोधपुर में राजीव गांधी सेवा सदन में एक वाचनालय भी स्‍थापित किया है। गहलोत राजीव गांधी स्‍टडी सर्किल, नई दिल्‍ली के भी अध्‍यक्ष हैं। यह संस्‍था देशभर के विश्‍वविद्यालय/महाविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों के हितों की देखभाल करती है।
विदेश यात्रा
गहलोत ने भारतीय प्रतिनिधिमण्‍डल के सदस्‍य के रूप में विदेशों में भी भारत का प्रतिनिधित्‍व किया है। उन्‍होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधिमण्‍डल के सदस्‍य के रूप में जनवरी, 1994 में चीन की यात्रा की। श्री गहलोत ने कॉमनवैल्‍थ यूथ अफेयर्स काउन्सिल के भारतीय प्रतिनिधिमण्‍डल के नेता के रूप में साइप्रस की यात्रा की। उन्‍होंने बुल्‍गारिया जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमण्‍डल का भी नेतृत्‍व किया। श्री गहलोत ने बैंकॉक, आयरलैण्‍ड, फ्रेंकफर्ट, अमेरीका, कनाडा, हांगकांग, यूके, इटली तथा फ्रांस देशों की यात्रा की। इन यात्राओं से उन्‍हें अन्‍तरराष्‍ट्रीय सम्‍बन्‍धों तथा इन देशों के विकास कार्यों को जानने का अवसर मिला।
सदस्‍यता
, अशोक गहलोत स्‍वयं को हमेशा जनता के धन ओर सम्‍पत्ति का ट्रस्‍टी मानते हैं। वर्ष 1980 से 1982 के बीच श्री गहलोत पब्लिक एकाउण्‍ट्स कमेटी (लोकसभा) के सदस्‍य रहे। श्री गहलोत संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति (10वीं लोकसभा) के सदस्‍य भी रह चुके हैं। उन्‍होंने रेल मंत्रालय की स्‍थाई समिति (10वीं और 11वीं लोकसभा) के सदस्‍य के रूप में कार्य किया। इसके अलावा श्री गहलोत विदेश मंत्रालय से सम्‍बद्ध सलाहकार समिति (11वीं लोकसभा) के सदस्‍य भी रहे हैं।
मुख्‍यमंत्री राजस्‍थान,,,,
, अशोक गहलोत 01/12/1998 से 08/12/2003 तक राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री रहे। उनका यह कार्यकाल अन्‍य महत्‍वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्‍धन, विद्युत उत्‍पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्‍तीय प्रबन्‍धन और सुशासन के लिए जाना जाता है। मुख्‍यमंत्री के रूप में श्री गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान राजस्‍थान में इस सदी का भयंकार अकाल पड़ा। उन्‍होंने अत्‍यन्‍त ही प्रभावी और कुशल ढ़ंग से अकाल प्रबन्‍धन का कार्य किया। उस समय अकाल प्रभावित लोगों के पास इतना अनाज पहुंचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भी प्राप्‍त नहीं कर सकते थे। प्रतिपक्ष भी खाद्यान्‍न और चारे की अनुपलब्‍धता के सम्‍बन्‍ध में सरकार की तरफ अंगुली तक नहीं उठा सके क्‍योंकि गहलोत ने व्‍यक्तिगत रूप से अकाल राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की थी। श्री गहलोत को गरीब की पीड़ा और उसके दु:ख दर्द की अनुभूति करने वाले राजनेता के रूप में जाना जाता है। उन्‍होंने 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ' का नारा दिया जिसे राज्‍य की जनता ने पूर्ण मनोयोग से अंगीकार किया। अशोक गहलोत को 13 दिसम्‍बर, 2008 को दूसरी बार राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 8 दिसम्‍बर, 2013 के चुनावी नतीजों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा के दिया।

एक दीवानी से

एक दीवानी से
मोहब्बत तुम कर लो
एक पागल से
नज़दीकी तुम कर लो
खुशनुमा ज़िंदगी तुम
बस यूँ ही जहन्नुम कर लो ,
एक पागल दीवानी से तुम
बस तड़प कर यूँ ही प्यार कर लो ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर

पुत्रजीवक बीज' का नाम नहीं बदलेंगे रामदेव, बोले- मेरे बहाने मोदी निशाने पर


'पुत्रजीवक बीज' का नाम नहीं बदलेंगे रामदेव, बोले- मेरे बहाने मोदी निशाने पर
 

यूपीः मुस्लिम से हिंदू बने 17 लोगों ने फिर अपनाया इस्लाम, करना पड़ा निकाह

इस्लाम कबूल करते हिंदू।
इस्लाम कबूल करते हिंदू।
आगरा. उत्तर प्रदेश में एक बार फिर धर्मांतरण का मामला सामने आया है। मुस्लिम से हिंदू बने 17 लोगों ने शुक्रवार को दोबारा मुस्लिम धर्म अपना लिया। जानकारी के मुताबिक, इन्होंने 25 दिसंबर, 2014 को हिंदू धर्म अपनाया था। शुक्रवार को इन सभी को शहर मुफ्ती अहले सुन्‍नत मुदर्स्सिर खान कादरी और तंजीम उलेमा अहले सुन्‍नत के पदाधिकारी इस्‍लामुद्दीन कादरी ने एक शादी समारोह में कलमा पढ़वाया।
मामला आगरा के अछनेरा ब्‍लॉक के महुअर लाठिया गांव का है। दोबारा मुस्लिम बनने वालों में रहमत (70), उनका बेटा रवि उर्फ मोहम्मद आरिफ, पत्‍नी नफीसा, मुन्‍ना उर्फ अली मोहम्‍मद और पत्‍नी शाजिया, राजू उर्फ शौकत और पत्‍नी सलमा, लियाकत और उनके बच्‍चे शामिल हैं। ये नट जाति के हैं। इस्लाम अपनाने के साथ ही उन्हें दोबारा निकाह भी करना पड़ा।
'समय खराब था जो हिंदू बने, बेटों ने डाला था दबाव'
धर्म परिवर्तन करने वाले रहमत ने बताया कि उनका समय खराब था, जो हिंदू बन गए थे। उस समय बेटों ने दबाव डाला था। रहमत के बेटे मुन्‍ना उर्फ अली मोहम्‍मद ने कहा कि हिंदू नेता लव शुक्‍ला ने उन्हें धर्म परिवर्तन करने पर जमीन दिलाने की बात कही थी। वह गांव में सार्वजनिक जमीन पर झोपड़ी में रहते हैं। दिसंबर 2014 में यह जमीन दलितों को आवंटित कर दी गई थी। उस वक्‍त परिवार को यहां से बेदखल होने का खतरा महसूस होने लगा था। तब लव शुक्‍ला ने कहा था कि धर्म परिवर्तन कर लो तो जमीन मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
दोबारा मुस्लिम बनने पर ही शादी समारोह में मिली जाने की अनुमति
धर्म परिवर्तन के बाद से मुस्लिम नट बिरादरी ने उन्हें शादी और अन्‍य समारोहों में बुलाना बंद कर दिया था। शुक्रवार को ये सभी रसुलपुर गांव में एक शादी समारोह में पहुंचे। वहां लोगों ने उनसे कहा कि इस्‍लाम धर्म कबूल करने पर ही शादी समारोह में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। इसके बाद अचानक पूरे परिवार ने दोबारा मुस्लिम बनने का फैसला कर लिया।
दोबारा मुस्लिम बनने पर फिर से हो रहा है इनका निकाह
शहर मुफ्ती ने बताया कि इस्‍लाम धर्म को छोड़ते ही निकाह खारिज हो जाता है। इसलिए जब इन लोगों ने फिर से इस्‍लाम कबूल किया है, तो इनका दोबारा निकाह पढ़वाया जा रहा है। निकाह कबूल करने के बाद अब वे शादीशुदा जिंदगी गुजार सकेंगे। अभी तक इनका साथ रहना हराम था। दोबारा मुस्लिम बनने वालों का कहना है कि शादी समारोह के दौरान ही शहर मुफ्ती को बुलाया गया। वहां उन्‍होंने रहमत और उसके बेटे रवि उर्फ मोहम्मद आरिफ को कलमा पढ़वाकर इस्‍लाम कबूल करवाया। इसके बाद सभी मिढाकुर स्थित मदरसा जिया-उल-उलूम पहुंचे। वहां पर मुन्‍ना उर्फ अली मोहम्मद और शौकत भी पहुंचे। शहर मुफ्ती ने उन्‍हें कलमा पढ़ाया। इसके बाद मोहम्मद आरिफ और नफीसा का निकाह पढ़वाया गया।
14 मई को होगी पंचायत, नट बिरादरी में शामिल होने का होगा फैसला
इस्‍लाम धर्म में वापसी के बाद 17 सदस्‍यीय परिवार की अपील पर 14 मई को पंचायत बुलाने का फैसला हुआ है। यह पंचायत नट बिरादरी की होगी। रहमत ने बताया कि इसमें उनका पूरा परिवार बिरादरी में शामिल करने के लिए पंचों को मनाएगा। उन्‍हें उम्‍मीद है कि इस पंचायत में समाज के सारे गिले-शिकवे दूर हो जाएंगे। पंचायत की जगह एक सप्‍ताह में तय हो जाएगी।

मौत के बाद

कहते हैं
"मौत के बाद
क्या होता है
पता नहीं",
हमारे यहाँ मुआवज़ा
होता है,,सियासतर होती है

दिल तो पागल है

दिल तो पागल है
जो एक पगली से
प्यार करता है ,,
रोज़ लड़ती है झगड़ती है
शक करती है
पागलों की तरह से
हर रोज़ हरकत करती है
फिर भी
दिल तो पागल है
इसी पगली सिर्फ इसी पगली से
प्यार करता है
क्योंकि दिल जानता है
उसका यह पागलपन
सिर्फ मेरे प्यार में
सिर्फ मेरे लिए
सिर्फ मुझे खो देने के डर से होता है
इसीलिए कहता हूँ
दिल भी पागल है
दिल जिससे लगा है वोह भी पागल है ,,,अख्तर

चलती ट्रेन से टीटीई ने महिला को फेंका नीचे, पैर कटा, हालत गंभीर

अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती महिला।
अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती महिला।
जबलपुर। चलती ट्रेन से एक महिला यात्री को टीटीई ने नीचे धक्का दे दिया, जिससे ट्रेन की चपेट में आने से उसका पैर कट गया और वह बुरी तरह घायल हो गई। हादसे के बाद ट्रेन राेककर उसे अस्पताल ले जाया गया। उसकी हालत नाजुक है। हादसा सुबह करीब साढ़े पांच बजे जबलपुर स्टेशन पर हुआ। महिला की हालत नाजुक होने पर उसे मेडिकल अस्पताल रिफर कर दिया गया। इस वारदात को अंजाम देने के बाद टीटीई महेन्द्र कुमार अग्रवाल मौके से फरार हो गया।
रेल पुलिस ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी की तेजी से तलाश शुरू कर दी। जबलपुर से नैनपुर की ओर जा रही सतपुड़ा एक्सप्रेस पर सवार महिला यात्री लोंगा बाई (40) गांव चौरई मंडला जा रही थी, ट्रेन के रवाना होते ही टिकट चैक करने आए टीटीई एमके अग्रवाल ने महिला से टिकट मांगा, टिकट देखते ही उसे दूसरे कोच में जाने के लिये कहने लगा।
टीटीई की बात पर महिला ने अगले स्टेशन पर कोच बदल लेने का आश्वासन दिया। इतनी सी बात पर आपा खो बैठे टीटीई ने महिला यात्री को चलती ट्रेन से नीचे धक्का दे दिया। सतपुड़ा एक्सप्रेस से नीचे गिरी महिला ट्रेन के नीचे आ गई। इस पूरे मामले की जांच में जुटी रेल पुलिस ने महिला के बयान दर्ज किये जाने के बाद आरोपी टीटीई की तलाश शुरू कर दी गई है।
अकेली थी महिला
जबलपुर की नेरोगेज लाईन स्टेशन से ट्रेन में सवार लोंगा बाई अकेले ही सफर कर रही थी। उसके पति महेश चंद गोंड़ की दो साल पहले मौत हो गई थी। जिसके चलते वो अपने काम काज के सिलसिले मे मंडला से जबलपुर आया करती है।

आरोपी की तलाश जारी
'चलती ट्रेन से टीटीई ने महिला को धक्का दे दिया। घायल महिला के बयान पर टीटीई के खिलाफ हत्या का प्रयास का प्रकरण दर्ज किया जाएगा। इस वारदात को अंजाम देकर फरार हुए आरोपी की खाेजबीन की जा रही है।' -एसबी शर्मा, टीआई जीआरपी जबलपुर

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लेकर प्रदेश भर में जार के पत्रकारों ने दिये ज्ञापन


जनर्लिस्ट एसोसियेशन आॅफ राजस्थान (जार) के तत्वावधान में शुक्रवार को मई दिवस के मौके पर राजस्थान के विभिन्न जिला मुख्यालयों व उपखंड मुख्यालयों पर जार संगठन के पदाधिकारियों की अगुवाई में पत्रकारों ने जिला कलेक्टरों को ज्ञापन दिये। ज्ञापन में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरूप पत्रकारों व गैरपत्रकारों को वेतन व अन्य परिलाभ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार पत्रकार कानून धारा 17 बी के तहत इंसपेक्टर नियुक्त करने, यह जिम्मेदारी ऐसे लोगों को देने की भी मांग की जो मीडिया प्रबंधनों के दबाव में नहीं आवे के अलावा लेबर कमिश्नर के मार्फत मीडिया प्रबंधनों को याचिकाओं के निपटारा होने तक पत्रकारों व गैर पत्रकारों को प्रताड़ित नहीं करने व लेबर कमिश्नर को पत्रकार संबंधी प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण करने की मांग की गई।
जार के प्रदेश अध्यक्ष नीरज गुप्ता के निर्देश पर राजस्थान मजीठिया वेज बोर्ड के मसले पर पत्रकारों की जो एकता आज दिखाई दी है उससे पूरे प्रदेश में पत्रकारों में गजब का उत्साह का संचार हुआ है। देर सांय तक जिलों से पत्रकार ज्ञापन देने के संबंध में सूचनाएं जार के प्रदेश कार्यालय को देते रहे।
जार के प्रदेश अध्यक्ष नीरज गुप्ता के नेतृत्व में प्रदेश व्यापी कार्यक्रम के तहत आज जयपुर प्रदेश के पदाधिकारियो ने एनयूजेआई के उपाध्यक्ष ललित शर्मा व जार के प्रदेश उपाध्यक्ष राधा रमन शर्मा के नेतृत्व में जयपुर संभाग सचिव राहुल गौतम,प्रदेश कोषाध्यक्ष अतुल अरोरा,प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य ईश्वर बैरागी, जयपुर संयोजक जे के वैष्णव, विकास वर्मा, राकेश शर्मा ,चंद्र शेखर त्रिशूल व अन्य सदस्यों ने मुख्यमंत्री व राज्यपाल के निवास पर जाकर उनकी अनुपस्थिति में वहां के अधिकारियो को ज्ञापन दिए।
झालावाड़ में जार के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरज गुप्ता तेज के नेतृत्व में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ज्ञापन सौंपा गया। उनके साथ अरुण शौरी व अन्य पत्रकार भी रहे।
जार की कोटा इकाई ने आज प्रदेश सचिव योगेश जोशी , जिलाध्यक्ष हरिवल्लभ मेघवाल व रिछपाल पारीक के नेतृत्व में जिला कलेक्टर जोगाराम को मई दिवस के अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष नीरज गुप्ता की मुहीम के तहत ज्ञापन सौंपा। उनके साथ मनोहर पारीक, भास्कर के संतोष श्रीवास्तव , के के शर्मा , पवन पारीक,सुनील पांचाल,योगेश सिंघल सहित कई पत्रकार मौजूद रहे।
जोधपुर में जार के वरिष्ठ पदाधिकारी देबीसिंह बडगुर्जर की अगुवाई में पत्रकारों ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। टौंक जिला मुख्यालय पर जार के वरिष्ठ पदाधिकारी राजकुमार करनानी, लियाकत अली व भगवान सहाय शर्मा की अगुवाई में पत्रकारों ने जिला कलेक्टर टीना कुमार को ज्ञापन सौंपा।
बीकानेर में जार के प्रदेश उपाध्यक्ष भवानी जोशी के नेतृत्व में ज्ञापन दिया गया।
चित्तौडगढ़में जिला इकाई द्वारा प्रदेश सचिव ललित मेहरा के नेतृत्व में राज्य की मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को शुक्रवार को ज्ञापन दिया गया । ज्ञापन में पत्रकारों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरूप वेतन एवं अन्य परिलाभ दिलवाने की मांग की गई साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप इंस्पेक्टर्स की नियुक्त करने, मीडिया प्रबन्धकों के दबाव में नहीं आने वाले अफसरों की नियुक्ती, लेबर कमीश्नर के माध्यम से मीडिया प्रबन्धनों की पाबन्दी तथा लेबर कमीश्नर को पत्रकार संबन्धी प्रकरणों में शीघ्र कार्यवाही करने की मांग राज्य सरकार से की गई। ज्ञापन देते समय जिला संयोजक गोविन्द त्रिपाठी, जिला उपाध्यक्ष नरेश ठक्कर, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य आकाश शर्मा, रमेश टेलर, अमित दशोरा, विनोद शर्मा, राजेश जोशी, जयेश नन्दवाना, सुभाष बैरागी, कुलदीप शर्मा, सत्यनाराण,सलमान मंसूरी, मो. उस्मान छीपा सहित अनेक पत्रकार उपस्थित थे ।
भीलवाडा में जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान द्वारा आज मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू करने व इस संबंध में सरकार पर दबाव बनाने को लेकर प्रदेशव्यापी आव्हान पर भीलवाडा जिला मुख्यालय पर भी जार की भीलवाडा इकाई की और से पत्रकारों ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकारं प्रमोद तिवारी , राजेश तोषनीवाल , महेश अग्रवाल , नवीन जोशी, जार के जिला महामंत्री चेतन ठठेरा , दिलशाद खान,मनीष जैन ,राजेश जीनगर, पंकज हैमराजानी , साजिद अंसारी , बाल गोविदं व्यास सहित कई वरिष्ठ पत्रकारों सहित जार के मैम्बर मौजूद थे ।
भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में उपखंड मुख्यालय पर भी जार की शाहपुरा इकाई की और से पत्रकारों ने उप जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया , जिसमें अजमेर संभागीय सचिव मूलचंद पेसवानी, प्रेस क्लब अध्यक्ष चांदमल मूंदडा, शाहपुरा संयोजक अविनाश शर्मा, राजेंद्र पाराशर, सुर्यप्रकाश आर्य, मोनु छीपा, रवि सोनी, विजय टेलर , रमेश पेसवानी सहित पत्रकारों सहित जार के मैम्बर मौजूद थे । जिले के ही जहाजपुर उपखंड पर संयोजक अनिल सोनी व दिनेश पत्रिया की अगुवाई में एसडीओ कांे ज्ञापन दिया। इसी प्रकार मांडलगढ उपखंड मुख्यालय पर पूर्व जिला अध्यक्ष चैतन्य पुरोहित व तहसील संयोजक अमित जोशी की अगुवाई में एसडीओ को ज्ञापन दिया गया। इसी प्रकार बुंदी व करौली में जार के तत्वावधान में पत्रकारों ने जिला कलेक्टरों को ज्ञापन दिया।

अरुण शौरी बोले- मोदीनॉमिक्स फेल, मोदी-शाह-जेटली चला रहे बीजेपी


अरुण शौरी बोले- मोदीनॉमिक्स फेल, मोदी-शाह-जेटली चला रहे बीजेपी
 
नई दिल्ली. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। शौरी ने कहा है कि बीजेपी को मोदी,शाह और जेटली की त्रिमूर्ति चला रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए शौरी ने कहा कि देश के आर्थिक हालात को संभालने में मोदीनॉमिक्स फेल होती दिखाई दे रही है। इसके अलावा उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर प्रधानमंत्री द्वारा आंखें मूंद लेने का आरोप भी लगाया। अरुण शौरी ने ये बातें एक अंग्रेजी चैनल से बातचीत में कही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री और विनिवेश मंत्री रहे शौरी आर्थिक सुधारों के दिशा में प्रमुखता से आवाज उठाते रहे हैं। वाजपेयी सरकार में पार्टी के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले शौरी मोदी सरकार में फिलहाल हाशिए पर हैं।
सिर्फ हेडलाइंस में बने रहने के लिए काम कर रही है सरकार
मोदी सरकार ने आर्थिक विकास की दर के 8 फीसदी और बहुत जल्द इसके 10 फीसदी के करीब होने के दावे पर भी शौरी बरसे। उन्होंने कहा कि ये सरकार के बड़बोलेपन को दिखाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे दावे कुछ देर के लिए हेडलाइंस तो बन सकते हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने दावा किया कि मोदीनॉमिक्स दिशाहीन तरीके से काम कर रही है। शौरी ने कहा कि सरकार के पास दावे हैं लेकिन आर्थिक योजनाओं का कोई खाका नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा दिखाई देता है कि सरकार सिर्फ हेडलाइंस में बने रहने के लिए काम कर रही है ताकि उसकी योजनाओं को मीडिया में जगह मिलती रहे।
सरकार ने अब तक कुछ खास नहीं किया
मोदी सरकार की उपलब्धियों की सूची को खारिज करते हुए शौरी ने कहा कि महंगाई, फिस्कल डेफिसिट, एफडीआई, कोल ब्लॉक और स्पेक्ट्रम नीलामी जैसे मुद्दों पर शौरी ने कहा कि इन चीजों के नतीजे कुछ ऐसे ही आने थे। इसमें सरकार ने कुछ नहीं किया है। मसलन- तेल और गैस की कीमतों में कमी का मसला अंतरराष्ट्रीय मामला है] इसमें सरकार ने कुछ नहीं किया।
मोदी के महंगे सूट पर भी साधा निशाना
शौरी से जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दिल्ली दौरे के दौरान पहने गए मोदी के महंगे सूट को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ''मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं कि उन्हें ऐसा करने और दिखाने की क्या जरूरत थी।'' शौरी ने आरोप लगाया कि आप लाखों का सूट पहन कर गांधीजी का नाम नहीं ले सकते।

,ख्वाजा गरीब नवाज़ अल्लाह के हुक्म से जिससे चाहते है अपनी खिदमत करवाते है

सुल्ताने हिन्द ,,ख्वाजा गरीब नवाज़ अल्लाह के हुक्म से जिससे चाहते है अपनी खिदमत करवाते है ,,और जिसे उनकी खिदमत के लिए चुना जाता है वोह खुशकिस्मत तो होता ही है साथ ही उस शख्स में इंसानियत की ,,ज़ुल्म और ज़्यादती के खिलाफ संघर्ष की अलम्बरदारी होती है ,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ हाल ही में दुबारा से ख्वाजा गरीब नवाज़ की खिदमत के लिए बनाई गई देश की सबसे बढ़ी कमेटी के निर्वाचित चेयरमेन एडवोकेट असरार भाई की जिन्होंने एक साल के अपने चेयरमेंन कार्यकाल में अजमेर दरगाह से संबंधित सम्पत्तियों का कुशल प्रबंधन किया ,,पूरी टीम को साथ लेकर भविष्य की विकसित कार्ययोजनाएं तैयार की जो शीघ्र ही क्रियान्वित होने वाली है ,,इन कार्ययोजनाओं में शिक्षा ,,चिकित्सा ,,रोज़गार ,,और अजमेर शरीफ की दरगाह के कुशल प्रबंधन से संबंधित है ,,,,असरार अहमद यूँ तो पहले अल्पसंख्यक आयोग राजस्थान सरकार में सदस्य रह चुके है ,,फिर असरार अहमद को मंत्री दर्जा देकर अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के चेयरमेन बनाये गए ,,,,,,असरार अहमद आदिवासियों के खिदमतगार है तो इनके सीने में धड़कता दिल हमेशा पिछड़े और दलित मुस्लिम लोगों के उत्थान ,,,शिक्षा ,,उनकी चिकित्सा व्यवस्था के बारे में सोचता है ,,असरार अहमद ने कई बार सत्ता में रहकर भी सत्ता से जुड़े लोगों से अपनी कॉम के लोगों के खिलाफ हो रही ज़्यादती को लेकर संघर्ष किया है ,,दो दो हाथ किये है ,,,,,इनका स्वभाव है पहले अपने लोगों का दर्द उसका निवारण फिर सियासत दूसरे नंबर पर है ,,,असरार अहमद के इसी जज़्बे और अजमेर शरीफ की दरगाह की विकास योजनाओ के विज़न को देखकर सभी सदस्यों ने एक राय होकर फिर से असरार अहमद को दरगाह कमेटी का चेयरमेन नियुक्त किया है ,,सभी जानते है के वली ऐ हिन्द ख्वाजा गरीब नवाज़ के दरबार में खिदमत का मौक़ा अल्लाह ताला उसे ही देता है जो दूसरों का दर्द समझता है ,,खिदमतगार होता है ,,निष्पक्ष और निर्भीक होता है ,,असरार भाई के दुबारा अजमेर दरगाह कमेटी के निर्वाचन पर उन्हें मुबारकबाद ,,बधाई ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

J&K में फिर फहराए गए पाक झंडे, गिलानी ने दी अमरनाथ यात्रा पर चेतावनी


गिलानी की रैली में प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी झंडे फहराए।  ये तस्वीर टि्वटर पर शेयर की गई है। इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है।
गिलानी की रैली में प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी झंडे फहराए। ये तस्वीर टि्वटर पर शेयर की गई है। इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है।
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के त्राल में शुक्रवार को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की रैली में एक बार फिर पाकिस्तानी झंडे फहराए गए। गिलानी ने राज्य की मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार को चेतावनी दी कि अमरनाथ यात्रा एक महीने से ज्यादा वक्त नहीं चलनी चाहिए। बता दें कि इससे पहले, श्रीनगर में हुई एक रैली में अलगाववादी नेता मसरत आलम ने पाकिस्तानी झंडा फहराया, जिसके बाद काफी विवाद हुआ। इस रैली में गिलानी भी शामिल हुआ था। इस मामले में मसरत जेल में है और उस पर देशद्रोह का मामला भी दर्ज हुआ है।
पुलिस को चकमा देकर त्राल पहुंचा गिलानी
हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े का नेता सैयद अली शाह गिलानी पुलिस को चकमा देकर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल पहुंचा था। वह यहां जुमे की नमाज में हिस्सा लेने आया थ। पुलिस को इस बात की खबर थी कि गिलानी त्राल जा सकता है। इस वजह से एक पुलिस पार्टी शुक्रवार सुबह हैदरपोरा स्थित अलगाववादी नेता के घर पहुंची। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता अयाज अकबर ने बताया कि हम जानते थे कि पुलिस गिलानी को फिर नजरबंद करने आएगी। लेकिन गिलानी इससे पहले ही त्राल चला गया।
त्राल ही क्यों गया गिलानी?
त्राल के कमल फॉरेस्ट एरिया में दो युवकों की 13 अप्रैल को मुठभेड़ में मौत हुई थी। स्थानीय लोगों और अलगाववादी नेताओं का दावा है कि यह फर्जी मुठभेड़ है। गिलानी इस कथित फर्जी मुठभेड़ के बाद पिछले एक पखवाड़े में कई बार त्राल जाने की कोशिश कर चुका है। लेकिन हर बार पुलिस ने उसकी कोशिशें नाकाम कर दी थीं। 15 अप्रैल से पुलिस ने उसे नजरबंद कर रखा था। इस बार वह पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। गिलानी ने सात साल बाद कश्मीर घाटी में जुमे की नमाज के बाद किसी जमावड़े को संबोधित किया।
अपने आकाओं को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं अलगाववादी : नकवी
कश्मीर में फिर पाकिस्तानी झंडे नजर आने के बाद केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा- ये अलगाववादी अपने आकाओं को खुश करने के लिए ऐसी हरकतें कर रहे हैं। इन्हें निराशा हाथ लगेगी। अलगाववादियों को समझना होगा कि यह देश कभी तालिबानी विचारधारा से नहीं चलेगा। यह देश विकास के एजेंडे पर आगे बढ़ेगा। देश और जम्मू कश्मीर की जनता अमन चाहती है।
2008 में भी अमरनाथ यात्रा काे लेकर हो चुका है टकराव
अमरनाथ यात्रा इस वर्ष 2 जुलाई से शुरू होनी है। यह 29 अगस्त तक चलेगी। करीब दो महीने चलने वाली अमरनाथ यात्रा को लेकर 2008 में भी विवाद हो चुका है। तब जम्मू कश्मीर सरकार ने 800 कनाल वन भूमि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को सौंपने का फैसला किया था। लेकिन इसके विरोध में अलगाववादियों ने कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिए। जवाब में जम्मू में श्री अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति ने प्रदर्शन शुरू किए। कई जिलों में लंबे समय तक कर्फ्यू रहा। कई लोगों की मौत हुई। सेना बुलाई गई। दो महीने तक राज्य में अशांति के बाद सरकार और संघर्ष समिति के बीच सहमति बनी। 40 हेक्टेयर जमीन श्राइन बोर्ड को दी गई।

क़ुरआन का सन्देश

 
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