अशोक
गहलोत,,एक जादूगर ,,,,एक संकट मोचक ,,कुशल प्रशासक ,,कट्टर कोंग्रेसी
,,,,सहज ,,सरल ,ज़बर्दस् प्रतिपक्ष में प्रतीकार क्षमतावाले नेता है जो कहते
है वोह करते है ,,,कल तीन मई को उनका जन्म दिन है ,,अशोक गेहलोत राजस्थान
के हमदर्द कहे जाते है ,,विकट परिस्थितियों में भी अशोक गेहलोत के
कार्यकाल में बुज़ुर्गों को सम्मान ,,पेंशन ,,,मुंफ्त जाँचे ,,मुफ्त
चिक्तिसा ,,मुफ्त दवा ,,इलाज ,,,सम्मान ,,, मज़दूरों को नरेगा में रोज़गार
,,,धार्मिक लोगों को धार्मिक तीर्थ यात्राये ,,,,निर्धनों को उत्थान योजना
,,,शोषितों को इन्साफ ,,किसानो को रियायतें ,,,छात्र छात्राओं को
छात्रव्रत्ति और प्रोत्साहन ,,,अधिकारीयों को सम्मान ,,,कर्मचारियों को सभी
तरह के लाभ ,,कार्यकर्ताओं की शिकायतों का निवारण ,,बेदाग़ छवि ,,गांधीवादी
विचारधारा ,,,,सभी कुछ तो अशोक गेहलोत में है ,,ऐसे क्षमतावान गरीबों के
मसीहा प्रतीपक्ष में रहकर भी अपनी जनहित कार्यों की भूमिका निभाने वाले
अशोक गेहलोत का कल जन्म दिन है जिन्हे सलाम ,,,बधाई ,,,,,,,
भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री।
राजस्थान के २३वें मुख्यमंत्री
पद भावी मुख्यमत्री
13 दिसम्बर 2008 – 12 दिसम्बर 2013
पूर्वा धिकारी वसुन्धरा राजे सिंधिया
उत्तरा धिकारी वसुन्धरा राजे सिंधिया
चुनाव-क्षेत्र सरदारपुरा, जोधपुर
राजस्थान के २१ वें मुख्यमंत्री
पद बहाल
1 दिसम्बर 1998 – 8 दिसम्बर 2003
पूर्वा धिकारी भैरोंसिंह शेखावत
उत्तरा धिकारी वसुन्धरा राजे सिंधिया
पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री
पद बहाल
2 सितम्बर 1982 – 7 फ़रवरी 1984
प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी / राजीव गांधी
पद बहाल
३१ दिसम्बर १९८४ – २६ सितम्बर १९८५
प्रधानमंत्री राजीव गांधी
खेल उप केन्द्रिय मंत्री
पद बहाल
७ फ़रवरी १९८४ – ३१ अक्टूबर १९८४
प्रधानमंत्री राजीव गांधी
केन्द्रीय राज्य मंत्री (कपड़ा) स्वतंत्र प्रभार
पद बहाल
२१ जून १९९१ – १८ जनवरी १९९३
प्रधानमंत्री पी वी नृसिम्हा राव
जन्म ३ मई १९५१
महामंदिर, जोधपुर
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवन संगी सुनीता गहलोत
बच्चे वैभव गहलोत
सोनिया गहलोत
धर्म हिन्दू
अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को जोधपुर राजस्थान में हुआ। स्व॰ श्री
लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर जन्मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में
स्नातक डिग्री प्राप्त की तथा अर्थशास्त्र विषय लेकर स्नातकोत्तर
डिग्री प्राप्त की। गहलोत का विवाह 27 नवम्बर, 1977 को श्रीमती सुनीता
गहलोत के साथ हुआ। गहलोत के एक पुत्र वैभव गहलोत और एक पुत्री सोनिया गहलोत
हैं। श्री गहलोत को जादू तथा घूमना-फिरना पसन्द हैं।,
,
राजनीतिक पृष्ठभूमि
विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे गहलोत 7वीं
लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से
निर्वाचित हुए। उन्होंने जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा
(1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं
लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्व किया।
सरदारपुरा (जोधपुर)
विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद गहलोत फरवरी, 1999 में 11वीं
राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने। गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से
12वीं राजस्थान विधानसभा के लिए 04/12/2003 को निर्वाचित हुए तथा 13वीं
राजस्थान विधानसभा के लिए 08/12/2008 को सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही
पुन: निर्वाचित हुए।
केन्द्रीय मंत्र
उन्होंने स्व॰ श्रीमती
इन्दिरा गांधी, स्व॰ श्री राजीव गांधी तथा स्व॰ श्री पी.वी.नरसिम्हा राव
के मंत्रिमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया। वे तीन बार
केन्द्रीय मंत्री बने। जब स्व॰ श्रीमती इन्दिरा गांधी भारत की
प्रधानमंत्री थीं उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्बर, 1982 से 7 फ़रवरी 1984 की
अवधि में श्रीमती इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्डल में पर्यटन और नागरिक
उड्डयन उपमंत्री रहे। इसके बाद गहलोत खेल उपमंत्री बनें। उन्होंने 7
फ़रवरी 1984 से 31 अक्टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया
तथा पुन: 12 नवम्बर, 1984 से 31 दिसम्बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय
में कार्य किया। उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्हें केन्द्र सरकार
में राज्य मंत्री बनाया गया। 31 दिसम्बर, 1984 से 26 सितम्बर, 1985 की
अवधि में श्री गहलोत ने केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री
के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात् उन्हें केन्द्रीय कपड़ा राज्य
मंत्री बनाया गया। यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा श्री
गहलोत को इसका स्वतंत्र प्रभार दिया गया। श्री गहलोत इस मंत्रालय के 21
जून 1991 से 18 जनवरी 1993 तक मंत्री रहे।
राजस्थान सरकार में मंत्री
जून, 1989 से नवम्बर, 1989 की अल्प अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्थान
सरकार में गृह तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री रहे।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
जनवरी, 2004 से 16 जुलाई 2004 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में
विशेष आमन्त्रित सदस्य के रूप में कार्य किया और इस पद पर रहते हुए
हिमाचल प्रदेश व छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी के रूप में सफलता पूर्वक
जिम्मेदारी का निर्वहन किया। 17 जुलाई 2004 से 18 फ़रवरी 2009 तक गहलोत ने
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया। इस दौरान
श्री गहलोत ने उत्तरप्रदेश, दिल्ली, समस्त फ्रन्टल इकाईयों व सेवादल के
प्रभारी के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। महात्मा गांधी के
ऐतिहासिक दांडी मार्च के 75 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस एवं महात्मा गांधी
फाउण्डेशन की ओर से आयोजित ढाडी यात्रा के समन्वयक के रूप में कार्य
करते हुए सफलता पूर्वक सम्पन्न कराया।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल
, गहलोत को 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष रहने का गौरव
प्राप्त हुआ है। पहली बार श्री गहलोत 34 वर्ष की युवा अवस्था में ही
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गये थे। राजस्थान प्रदेश
कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उनका पहला कार्यकाल सितम्बर, 1985
से जून, 1989 की अवधि के बीच में रहा। 1 दिसम्बर, 1994 से जून, 1997 तक
द्वितीय बार व जून, 1997 से 14 अप्रैल 1999 तक तृतीय बार वे पुन: राजस्थान
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर रहे। वर्ष 1973 से 1979 की अवधि
के बीच श्री गहलोत राजस्थान NSUI के अध्यक्ष रहे और उन्होंने कांग्रेस
पार्टी की इस यूथ विंग को मजबूती प्रदान की। श्री गहलोत वर्ष 1979 से 1982
के बीच जोधपुर शहर की जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा
वर्ष 1982 में श्री गहलोत राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (इन्दिरा) के
महासचिव भी रहे।
सामाजिक पृष्ठभूमि
गरीबों और पिछड़े वर्ग की
सेवा को तत्पर श्री गहलोत ने पश्चिम बंगाल के बंगांव और 24 परगना जिलों
में वर्ष 1971 में बंग्लादेश युद्ध के दौरान आयोजित शरणार्थी शिविरों में
काम किया। समाज सेवा में गहरी रूचि रखने वाले श्री गहलोत ने तरूण शान्ति
सेना द्वारा सेवाग्राम, वर्धा औरंगाबाद, इन्दौर तथा अनेक जगहों पर आयोजित
शिविरों में सक्रिय रूप से कार्य किया तथा कच्ची बस्ती और झुग्गी
क्षेत्रों के विकास के लिए अपनी सेवाएं दी। नेहरू युवा केन्द्र के माध्यम
से उन्होंने प्रौढ शिक्षा के विस्तार में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण
योगदान दिया। श्री गहलोत सक्रिय रूप से कुमार साहित्य परिषद और राजीव
गांधी मेमोरियल बुक-बैंक से जुड़े हुए है। श्री गहलोत भारत सेवा संस्थान
के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। यह संस्थान समाज सेवा को समर्पित हैं तथा
एम्बूलेन्स सेवा प्रदान करती है। इसके अलावा यह संस्थान राजीव गांधी
मेमोरियल बुक बैंक के माध्यम से गरीब छात्रों के लिए नि:शुल्क पुस्तकें
उपलब्ध करवाती है। संस्थान ने जोधपुर में राजीव गांधी सेवा सदन में एक
वाचनालय भी स्थापित किया है। गहलोत राजीव गांधी स्टडी सर्किल, नई दिल्ली
के भी अध्यक्ष हैं। यह संस्था देशभर के विश्वविद्यालय/महाविद्यालय के
छात्रों एवं शिक्षकों के हितों की देखभाल करती है।
विदेश यात्रा
गहलोत ने भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य के रूप में विदेशों में भी भारत
का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के
प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य के रूप में जनवरी, 1994 में चीन की यात्रा की।
श्री गहलोत ने कॉमनवैल्थ यूथ अफेयर्स काउन्सिल के भारतीय प्रतिनिधिमण्डल
के नेता के रूप में साइप्रस की यात्रा की। उन्होंने बुल्गारिया जाने वाले
भारतीय प्रतिनिधिमण्डल का भी नेतृत्व किया। श्री गहलोत ने बैंकॉक,
आयरलैण्ड, फ्रेंकफर्ट, अमेरीका, कनाडा, हांगकांग, यूके, इटली तथा फ्रांस
देशों की यात्रा की। इन यात्राओं से उन्हें अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों
तथा इन देशों के विकास कार्यों को जानने का अवसर मिला।
सदस्यता
,
अशोक गहलोत स्वयं को हमेशा जनता के धन ओर सम्पत्ति का ट्रस्टी मानते
हैं। वर्ष 1980 से 1982 के बीच श्री गहलोत पब्लिक एकाउण्ट्स कमेटी
(लोकसभा) के सदस्य रहे। श्री गहलोत संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति
(10वीं लोकसभा) के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने रेल मंत्रालय की
स्थाई समिति (10वीं और 11वीं लोकसभा) के सदस्य के रूप में कार्य किया।
इसके अलावा श्री गहलोत विदेश मंत्रालय से सम्बद्ध सलाहकार समिति (11वीं
लोकसभा) के सदस्य भी रहे हैं।
मुख्यमंत्री राजस्थान,,,,
, अशोक
गहलोत 01/12/1998 से 08/12/2003 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। उनका यह
कार्यकाल अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा
प्रबन्धन, विद्युत उत्पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और
पर्यटन विकास, कुशल वित्तीय प्रबन्धन और सुशासन के लिए जाना जाता है।
मुख्यमंत्री के रूप में श्री गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान राजस्थान
में इस सदी का भयंकार अकाल पड़ा। उन्होंने अत्यन्त ही प्रभावी और कुशल
ढ़ंग से अकाल प्रबन्धन का कार्य किया। उस समय अकाल प्रभावित लोगों के पास
इतना अनाज पहुंचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भी
प्राप्त नहीं कर सकते थे। प्रतिपक्ष भी खाद्यान्न और चारे की अनुपलब्धता
के सम्बन्ध में सरकार की तरफ अंगुली तक नहीं उठा सके क्योंकि गहलोत ने
व्यक्तिगत रूप से अकाल राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की थी। श्री गहलोत को
गरीब की पीड़ा और उसके दु:ख दर्द की अनुभूति करने वाले राजनेता के रूप में
जाना जाता है। उन्होंने 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ' का नारा दिया
जिसे राज्य की जनता ने पूर्ण मनोयोग से अंगीकार किया। अशोक गहलोत को 13
दिसम्बर, 2008 को दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई
गई। 8 दिसम्बर, 2013 के चुनावी नतीजों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा
के दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रामदेव ने दावा किया कि उनकी दवा का संंबध बेटा-बेटी पैदा करने से नहीं है। विरोध करने वालों सबसे पहले आयुर्वेद को समझ लेना चाहिए। उन्होंने कहा, ''हमारा काम योग और आयुर्वेदिक संस्कृति का प्रचार करना है। विरोध तो होंगे ही, लेकिन बेबुनियाद विरोध का हम जवाब देंगे। केसी त्यागी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।'' रामदेव ने उन आरोपों को भी नकारा कि वह सेक्स को बढ़ाने की दवा बेच रहे हैं। उन्होंने कहा, ''हमारी संस्था ने कभी ऐसी कोई दवा नहीं बेची। हां, मैं इतना जरूर दावा करता हूं कि योग के जरिए सेक्स डिसऑर्डर और सेक्स कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें योग की क्रियाएं मदद करती हैं लेकिन कुछ लोग इसे लेकर गलतफहमी फैला रहे हैं।''
जेडीयू सांसद केसी त्यागी गुरुवार को 'पुत्रजीवक बीज' दवा लेकर पहुंचे थे। उन्होंने इस पर तुरंत बैन लगाने की मांग की थी। गुलाम नबी आजाद, जया बच्चन और जावेद अख्तर समेत पूरे विपक्ष ने सरकार से रामदेव के खिलाफ तत्काल कार्रवाई किए जाने की मांग की थी। इसके बाद सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्री ने जांच का आश्वासन और कार्रवाई का भरोसा दिया था। त्यागी ने कहा था कि रामदेव मोदी सरकार के करीबी हैं और हरियाणा सरकार के ब्रांड एंबेसडर, सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। त्यागी ने रामदेव के बहाने मोदी पर निशाना साधा था कि एक ओर प्रधानमंत्री 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान चला रहे हैं तो दूसरी ओर उनके करीबी बेटा पैदा करने की दवा बेच रहे हैं।
जदयू सांसद केसी त्यागी ने दवा विवाद को लेकर रामदेव से माफी मांगने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ''विज्ञापन पर 'पुत्रजीवक बीज' लिखा हुआ है। जैसे सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी लिखी रहती है, वैसे ही रामदेव अपनी दवा पर लिखवाएं कि पुत्र-पुत्री प्राप्ति से इस दवा का कोई संबंध नहीं है, तो मेरा विरोध समाप्त हो जाएगा।"