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06 मई 2015

एक फ्लॉप फिल्मी पार्श्व गायक अभिजीत भट्टाचार्य


सलमान की सजा के बहाने सुर्खियां लूटने से बाज नहीं आया. वह भारत जैसे भीड़ भरे देश में मजबूरी में फुटपाथ पर साेने वाले असहाय लाेगाें काे कुत्ता कहकर अपमानित कर रहा है.
मुम्बई में आम आदमी के लिए मकान आज भी सपना है. करीब बीस फीसदी लाेग फुटपाथ पर साेते हैं. देश के असंतुलित विकास के चलते राेजगार की तलाश में लाेग देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई आते हैं, कहते हैं कि मुम्बई में लाेग भले ही फुटपाथ पर साेते हाे लेकिन काेई भूखा नहीं साेता है यानी सबकाे कुछ न कुछ राेजगार या काम मिल जाता है.ऐसे लाखाें लाेग हैं जाे खाली जेब मुम्बई पहुंचे आैर बाद में अपनी मेहनत आैर प्रतिभा के बल पर कराेड़पति हाे गए.
करीब 40 साल पहले बच्चन श्रीवास्तव ने साप्ताहिक हिन्दुस्तान में एक लेख लिखा था जिसमें उन्हाेंने कहा था कि फिल्माें में काम के आकर्षण काे लेकर प्रतिदिन 500 से भी ज्यादा युवक- युवतियां मुम्बई पहुंचते हैं आैर फुटपाथ पर साेकर शहर का हिस्सा बन जाते हैं. बॉलीवुड के चलते आगे भी मुम्बई का यह चुम्बकीय आकर्षण बना रहेगा.
सलमान की इस सजा के बहाने फुटपाथ पर साेने वाले की आेर ध्यान गया है ताे अब फडनवीस सरकार सहित समस्त राज्य सरकाराें काे यह संकल्प लेना चाहिए कि काेई आदमी सड़क पर नहीं साेए. बहुमंजिलें डारमेट्रीज टाइप रैन बसेराें का निर्माण किया जाए जाे नाममात्र के किराये पर रात गुजारने की व्यवस्था करें. सांसदाें आैर विधायकाें काे भी अपनी निधि का इस्तेमाल स्थाई रैन बसेराें के निर्माण में करना चाहिए.

टोंक के केंद्र बिंदु पर स्थित यह बिल्डिंग मुबारक मंज़िल

टोंक के केंद्र बिंदु पर स्थित यह बिल्डिंग मुबारक मंज़िल नाम से जानी जाती है यह बिल्डिंग आपने आप में टोंक के इतिहास को समोह हुए है
यह बिल्डिंग टोंक के प्रथम नवाब मोहम्मंद अमीर खान के पुत्र अहमद अली खान के लिय 1800 में बनाई गई थी यह लभग दो सालो में बन कर तैयार हुई थी जिस पर 87 हज़ार और कुछ रुपये खर्चा आया था यह हवेली नवाबी टाइम से टोंक में तहजीब और अदब का मरकज रही और यही कारन रहा की टोंक की शाही फैमिली की लड़कियों को तालीम और रीतिरिवाज को सीखने के लिय यहा भेजा जाता था साथ ही कई नवाबजादियो का सुसराल रही यह पांच बत्ती क्षेत्र में बनने वाली पहली बिल्डिंग है जो लभग 11070 वर्ग फ़ीट के एरिया में है जिनमे एक तरफ नो सात सात फ़ीट चौड़े और 12 फ़ीट उचे दर (दरवाजे )है दूसरी तरफ सामने सात दर इनके मध्य भाग में शीशे जवाहरात और सोने के पानी का बेहतरीन पिचकारी वर्क से सुसज्जित एक 18 फ़ीट लबमी और 7 फ़ीट चौड़ी सह दरी है जिस में प्रवेश करने पर चारो तरफ आपने ही छायाचित्र दिखाई देता है जिसमे किया गया पिचकरी वर्क देखते बनता है वर्तमन में जवाहिरात और सोने से हुआ पिचकरी वर्क ख़राब हो चूका है सहदरी के आगे 45 फ़ीट लाबमे दो दालान और उनके दोनों और रहने के लिय आठ बड़े हाल है हवेली की लम्बाई 120 फ़ीट है और चौड़ाई 90 फ़ीट है साथ में दो सहदरिया है मध्य भाग ४५०० वर्ग फ़ीट खुला हुआ पूर्ण हवादार है इसके दरों पे की गई नक्काशी और कोडी की पोलिश इसे बेहद सुंदरता प्रदान करती थी टोंक मेंक्षेत्रफल की नज़र से यह तीसरी बड़ी हवेली है

सलमान को सजा दिलवाने में पांच लोगों का रहा अहम रोल



एक्टर सलमान खान को आज हिट एंड रन केस में 5 साल की सजा सुनाई गई।
एक्टर सलमान खान को आज हिट एंड रन केस में 5 साल की सजा सुनाई गई।
मुंबई. 13 साल पुराने हिट एंड रन केस में सजायाफ्ता एक्‍टर सलमान खान को बुधवार को हाईकोर्ट ने दो दिन की अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन उनकी मुश्किल अभी खत्‍म नहीं हुई है। शुक्रवार को हाईकोर्ट के फैसले पर यह निर्भर करेगा कि सलमान जेल जाएंगे या नहीं। सलमान को सजा दिलाने में पांच लोगों का अहम रोल रहा है। ये हैं- प्रदीप घरत (सरकारी वकील), आभा सिंह (वकील), सेशंस कोर्ट के जज डीडब्ल्यू देशपांडे, अशोक पांडे (ड्राइवर) और रविंद्र पाटिल (पूर्व बॉडीगार्ड)।
1. प्रदीप घरत (सरकारी वकील) ने सलमान के गवाह को झूठा साबित किया

करीब 50 साल के प्रदीप सरकारी वकील हैं। इस हाई प्रोफाइल केस में उन्होंने अपनी काबिलियत का लोहा मनवा लिया। एक चैनल को दिए इंटरव्यू में घरत ने कहा कि जैसे ही आरोपी पक्ष ने अशोक सिंह को मुख्य गवाह के तौर पर पेश किया तो उन्हें यकीन हो गया कि सलमान को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। घरत के मुताबिक ‘यह कैसे संभव है कि अशोक सिंह 13 साल से सलमान की गाड़ी चला रहा था। घटना के दिन भी वह गाड़ी चला रहा था जैसा कि आरोपी पक्ष दावा करता है। लेकिन सवाल यह है कि दोषी होने के बावजूद वह 12 साल तक चुप बैठा रहा और एक दिन अचानक से अवतार बनकर सामने आता है।’ घरत ने सलमान के खिलाफ एक और मजबूत गवाह पेश किया और वह था कल्पेश वर्मा। कल्पेशन ने मैरियट होटल की पार्किंग से सलमान को उनकी लैंड क्रूजर गाड़ी निकाल कर दी थी। उसने सलमान को ड्राइविंग सीट पर बताया था। घरत के मुताबिक सलमान ने कल्पेश को पांच सौ रुपए टिप भी दी थी। यह बात अदालत में साबित हो गई।

2. आभा सिंह (वकील)

वकील आभा सिंह ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पुलिस सलमान को बचाने की कोशिश कर रही है। आभा सिंह पूर्व आईपीएस वाईपी सिंह की पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आभा ने कुल पांच याचिकाएं दायर की थीं। उन्होंने सवाल उठाया था कि जब कार में सलमान के साथ सवार रहे रवींद्र पाटिल की मौत हो गई थी, तो उनके साथ कार में सवार रहे कमाल खान को चश्मदीद गवाह क्यों नहीं बनाया गया? अपनी याचिका में आभा सिंह ने घटना के वक्त सलमान के साथ रहे उनके पुलिस बॉडीगार्ड का पक्ष बहुत सशक्त तरीके से रखा था। आभा सिंह ही वह वकील हैं जिन्होंने आरोपी पक्ष द्वारा अशोक सिंह को ड्राइवर के रूप में पेश किए जाने पर सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए अदालत में कहा था कि अशोक को 12 साल तक अपनी गलती का अहसास क्यों नहीं हुआ।
3. सेशन जज डीडब्ल्यू देशपांडे

सेशन जज डीडब्ल्यू देशपांडे ने सलमान खान को इस मामले में पांच साल की सजा सुनाई है। उन्होंने साल 2013 में इस केस की सुनवाई शुरू की थी। देशपांडे के अधिकार क्षेत्र में आने के बाद इस केस में तेजी से सुनवाई हुई। देशपांडे ने ही मार्च में कहा था कि इस केस में फैसला आने तक मीडिया संयम से रिपोर्टिंग करे।
4. अशोक सिंह (ड्राइवर)

अशोक सिंह इस मामले में तब सामने आया जब मामला करीब 12 साल से ज्यादा तक अदालत में चल चुका था। बचाव पक्ष ने अशोक सिंह को सलमान का ड्राइवर बताते हुए कहा कि घटना के वक्त अशोक ही गाड़ी चला रहा था। लेकिन सरकारी पक्ष ने कहा कि अगर अशोक ही गाड़ी चला रहा था तो वह 12 साल तक सामने क्यों नहीं आया? अशोक सिंह का दांव आरोपी पक्ष को उल्टा पड़ गया क्योंकि अदालत ने उसे झूठा गवाह मानते हुए गिरफ्तार करने का आदेश दिया।
5. रविंद्र पाटिल (पूर्व बॉडीगार्ड)

रविंद्र पाटिल मुंबई पुलिस में कॉन्स्टेबल थे। पाटिल की मौत 2007 में टीबी से हो गई थी। घटना के दिन 28 सितंबर, 2002 को वह सलमान के पुलिस एस्कॉर्ट में थे। कोर्ट को दिए अपने बयान में उन्होंने बताया था कि घटना के दिन सलमान और कमाल खान एक पार्टी में शामिल होने जुहू जा रहे थे। पाटिल ने बताया था कि सलमान गाड़ी खुद चला रहे थे और बार से निकलने के बाद वे जेडब्ल्यू मैरियट होटल गए थे। पाटिल ने अपने बयान में कहा था कि सलमान नशे में थे और मैंने उन्हें ड्राइविंग से रोका भी था, लेकिन वह नहीं माने। बचाव पक्ष ने इसके जवाब में कहा था कि चूंकि पाटिल की मौत हो गई है और इस वजह से वह उनसे जिरह नहीं कर सका। अदालत ने इस तर्क को नहीं माना।

मकान में विस्फोट से उड़े पति-पत्नी के चीथड़े, बच्चे हुए गायब

विस्फोट के बाद मलबा हटाती जेसीबी।
विस्फोट के बाद मलबा हटाती जेसीबी।
हजारीबाग/पदमा/ रांची. पदमा में एक वीरान घर में मंगलवार की रात जबरदस्त विस्फोट हुआ। इसमें गांव के तिजेश्वर महतो व उसकी पत्नी धनेश्वरी देवी की मौत हो गई। जबकि इस दंपती के दो बच्चे अभी भी लापता हैं। विस्फोट इतना तेज था कि पति- पत्नी के शरीर के चीथड़े उड़ गए।
पड़ोस में रह रही एक वृद्ध महिला ने बताया कि रात में दो बाइक पर कुछ लोग उस घर के पास आए थे। एक बाइक पर सवार दो लोग दो बोरी में सामान लेकर जैसे ही गए कि अचानक विस्फोट हुआ। विस्फोट से इलाका दहल गया। घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति का जायजा लिया। जहां देखा गया कि जिस मकान में विस्फोट हुआ है, वह मकान मलबे में तब्दील हो गया है। पुलिस ने तत्काल महिला धनेश्वरी देवी के क्षत विक्षत शव को बरामद कर कब्जे में ले लिया। बुधवार को सुबह पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। मलबे में जिधर तिधर छितराया तिजेश्वर मेहता का क्षत विक्षत शरीर बरामद किया गया।
क्या है मामला : जिस मकान में विस्फोट हुआ वह हेमराज महतो सूरजपुरा का पुराना मकान है। यहां खाली देखकर तिजेश्वर मेहता और बंगाली मेहता ने मकान को अवैध विस्फोटक का गोदाम बना लिया। वहीं गांव के कुछ लोग घर के कुछ हिस्से का उपयोग मवेशी बांधने में करने लगे। विस्फोटक के अवैध कारोबारी उस मकान से पत्थर खदान संचालकों को विस्फोटक सप्लाई करने लगे। यह सिलसिला लंबे समय से जारी था। रात में भी खदान कारोबारी वहां पर विस्फोटक खरीदने पहुंचे थे। तभी यह घटना घटी।
आशंका : आशंका जताई जा रही है कि छह माह पूर्व दाउजी नगर और नेशनल पार्क के बीच एक विस्फोटक लदा वाहन अगवा हुआ था। कहीं उसी वाहन पर लोड विस्फोटक को उक्त मकान में रखकर अवैध पत्थर खदान संचालकों के पास बेचा जा रहा था। बंगाली मेहता के गिरफ्तारी के बाद उस घटना से भी पर्दा उठने की संभावना है। चर्चा यह भी है कि अगवा करने वाले कोई और थे। जिनसे बंगाली प्रसाद मेहता और तिजेश्वर मेहता विस्फोटक खरीद कर खदानों में सप्लाई करते थे।
क्यों घटी होगी घटना : प्रशासन ने आशंका जताया है कि मोबाइल रेडिएशन के कारण यह विस्फोट हुआ होगा। खरीद बिक्री के दौरान मोबाइल पर वार्ता हुई होगी। जिसके रेडिएशन से भारी मात्रा में रखे गए विस्फोटक प्रभावित हुए और विस्फोट हो गया। एसपी अखिलेश झा ने कहा कि उस घर में अनलीगल विस्फोटक स्टॉक रखा गया था।
घटना के बाद से दो लोगों की मिसिंग की भी बात आ रही है। अवैध विस्फोटक कारोबार के खिलाफ मेरा छापामारी अभियान लगातार जारी है। एक व्यक्ति को गिरफ्त में लिया गया है। मामले के अनुसंधान में जो बाते सामने आएगी, उस आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। कुछ माह पूर्व विस्फोटक लदे वाहन के अगवा होने की घटना का इस घटना से तार जुड़े होने से प्रथम दृष्टया इनकार नहीं किया जा सकता।

पूर्व डीएसपी के बेटे ने किया था डॉक्टर दंपती को अगवा, लड़ चुका है चुनाव राजेश कुमार ओझा May 06, 2015, 19:43 PM IST Print Decrease Font Increase Font Email Google Plus Twitter Facebook COMMENTS 1 of 9 Next मुख्य आरोपी अजय सिंह अपनी प्रेमिका के साथ - फाइल फोटो मुख्य आरोपी अजय सिंह अपनी प्रेमिका के साथ - फाइल फोटो पटना. गया से बीती एक मई को अगवा किए गए डॉ. पंकज गुप्‍ता बुधवार की सुबह अपनी पत्नी डॉ. शुभ्रा गुप्ता के साथ अपने घर पहुंच गए। पुलिस का दावा है कि उनके दबाव में अपराधियों ने डॉक्टर दंपती को रिहा किया गया है। जबकि सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर और अगवा करने वालों के बीच लेन-देन होने के बाद अपराधियों ने दंपती को लखनऊ से रिहा किया। यूपी पुलिस ने इस मामले में आरोपी अजय सिंह को आठ अन्‍य साथियों के साथ गिरफ्तार किया है। डॉक्टर दंपती को लखनऊ में छुपा रखा था यूपी के आईजी (एसटीएफ) सुजीत पांडेय ने बताया कि अगवा किए गए डॉक्‍टर दंपती को लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर के मखदुमपुर चौकी के नजदीक शारदा अपार्टमेंट में छुपाकर रखा था। डॉक्‍टर की ऑडी और अपहरण में इस्तेमाल की गई फॉर्च्युनर गाड़ी भी पुलिस ने बरामद कर ली है। रिटायर्ड डीएसपी का बेटा है आरोपी अजय सिंह बिहार पुलिस के रिटायर्ड डीएसपी मंगल सिंह का बेटा है। जबकि उसके चाचा आईजी रहे हैं। आरोपी अजय के एक भाई पटना नगर निगम के अधिकारी हैं। अजय ने यूपीएससी की परीक्षा की दिल्ली में तैयारी भी की थी। लेकिन सफलता नहीं मिलने पर उसने अपराध की दुनिया में पैर रखा था। अजय सिंह चतरा लोकसभा क्षेत्र से चंद्रशेखर सिंह की पार्टी से चुनाव भी लड़ चुका है। अजय ने जयपुर जेल में रहते हुए भी तरैया से विधानसभा का चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी थी, लेकिन नहीं मिली थी । जयपुर के हीरा व्यापारी की पत्नी को किया था अगवा अजय सिंह की गिनती देश के सबसे बड़े अपहर्ताओं में होती है। पहले ये बिहार से बाहर अपहरण किया करता था। अजय सिंह राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार चर्चा में तब आया था जब उसने फरवरी, 2003 में जयपुर से हीरों के बड़े व्‍यापारी रश्मिकांत दुर्लभजी की पत्‍नी सुमेधा दुर्लभजी को मार्निंग वाक करते वक्त उन्हें अगवा कर लिया था। हीरा व्यापारी का परिवार भाजपा नेता लालकृष्‍ण आडवाणी के काफी करीब था। देशव्‍यापी ऑपरेशन के बाद साठ वर्षीया सुमेधा दुर्लभजी को फरीदाबाद बरामद किया गया था। अजय सिंह तब भी अपने साथियों के साथ पकड़ा गया था। मिली थी ताउम्र कैद की सज़ा जयपुर अपहरण में अजय को आजीवन कैद की सजा मिली। अजय अक्‍तूबर, 2011 में पैरोल पर छूटकर आया था। महीने भर बाद जेल लौटना था, लेकिन वह नहीं लौटा। इसके बाद अपने गिरोह को फिर से तैयार कर अपहरण को अंजाम देता रहा। पुलिस अधिकारी बन कर अगवा करने में इस गिरोह को महारत हासिल थी।

मुख्य आरोपी अजय सिंह अपनी प्रेमिका के साथ - फाइल फोटो
मुख्य आरोपी अजय सिंह अपनी प्रेमिका के साथ - फाइल फोटो
पटना. गया से बीती एक मई को अगवा किए गए डॉ. पंकज गुप्‍ता बुधवार की सुबह अपनी पत्नी डॉ. शुभ्रा गुप्ता के साथ अपने घर पहुंच गए। पुलिस का दावा है कि उनके दबाव में अपराधियों ने डॉक्टर दंपती को रिहा किया गया है। जबकि सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर और अगवा करने वालों के बीच लेन-देन होने के बाद अपराधियों ने दंपती को लखनऊ से रिहा किया। यूपी पुलिस ने इस मामले में आरोपी अजय सिंह को आठ अन्‍य साथियों के साथ गिरफ्तार किया है।
डॉक्टर दंपती को लखनऊ में छुपा रखा था
यूपी के आईजी (एसटीएफ) सुजीत पांडेय ने बताया कि अगवा किए गए डॉक्‍टर दंपती को लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर के मखदुमपुर चौकी के नजदीक शारदा अपार्टमेंट में छुपाकर रखा था। डॉक्‍टर की ऑडी और अपहरण में इस्तेमाल की गई फॉर्च्युनर गाड़ी भी पुलिस ने बरामद कर ली है।
रिटायर्ड डीएसपी का बेटा है आरोपी
अजय सिंह बिहार पुलिस के रिटायर्ड डीएसपी मंगल सिंह का बेटा है। जबकि उसके चाचा आईजी रहे हैं। आरोपी अजय के एक भाई पटना नगर निगम के अधिकारी हैं। अजय ने यूपीएससी की परीक्षा की दिल्ली में तैयारी भी की थी। लेकिन सफलता नहीं मिलने पर उसने अपराध की दुनिया में पैर रखा था। अजय सिंह चतरा लोकसभा क्षेत्र से चंद्रशेखर सिंह की पार्टी से चुनाव भी लड़ चुका है। अजय ने जयपुर जेल में रहते हुए भी तरैया से विधानसभा का चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी थी, लेकिन नहीं मिली थी ।
जयपुर के हीरा व्यापारी की पत्नी को किया था अगवा
अजय सिंह की गिनती देश के सबसे बड़े अपहर्ताओं में होती है। पहले ये बिहार से बाहर अपहरण किया करता था। अजय सिंह राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार चर्चा में तब आया था जब उसने फरवरी, 2003 में जयपुर से हीरों के बड़े व्‍यापारी रश्मिकांत दुर्लभजी की पत्‍नी सुमेधा दुर्लभजी को मार्निंग वाक करते वक्त उन्हें अगवा कर लिया था। हीरा व्यापारी का परिवार भाजपा नेता लालकृष्‍ण आडवाणी के काफी करीब था। देशव्‍यापी ऑपरेशन के बाद साठ वर्षीया सुमेधा दुर्लभजी को फरीदाबाद बरामद किया गया था। अजय सिंह तब भी अपने साथियों के साथ पकड़ा गया था।
मिली थी ताउम्र कैद की सज़ा
जयपुर अपहरण में अजय को आजीवन कैद की सजा मिली। अजय अक्‍तूबर, 2011 में पैरोल पर छूटकर आया था। महीने भर बाद जेल लौटना था, लेकिन वह नहीं लौटा। इसके बाद अपने गिरोह को फिर से तैयार कर अपहरण को अंजाम देता रहा। पुलिस अधिकारी बन कर अगवा करने में इस गिरोह को महारत हासिल थी।

आजम खान बोले- आरएसएस के टुकड़े-टुकड़े करने के लिए एकजुट हों मुसलमान

यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान।
यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान।
लखनऊ. यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने एक बार फिर विवादित बयान देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा है। मंगलवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ''अब वक्त आ गया है कि मुससमान एकजुट हो जाएं और आरएसएस के टुकड़े-टुकड़े कर दें। उसे आरएसएस से आर एस एस बना दें।'' अपने विवादित बयान के कारण हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सपा नेता ने कहा, ''कुछ सांप्रदायिक ताकतें देवबंद, बरेलवी और शिया-सुन्नी के नाम पर मुस्लिमों को आपस में लड़ा रही है। उन्हें एकजुट होकर इसका वाजिब जवाब देना चाहिए। आरएसएस के टुकड़े-टुकड़े कर देना चाहिए। इसके लिए उलेमा मुसलमानों को एकजुट करें, ताकि वे सांप्रदायिक ताकतों का खात्मा कर सकें।
बंटवारे पर कहा- क्या दूसरों की तरह पाकिस्तान चला जाना चाहिए था?
आजम ने बंटवारे को लेकर भी एक ऐसा बयान दिया है जो विवाद खड़ा कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत-पाक विभाजन के बाद आज मुसलमान पछता रहा है। वह इस सोच में पड़ गया है कि विभाजन के समय भारत में रुकने का उसका फैसला क्या सही था या उन्हें भी दूसरों की तरह पाकिस्‍तान चले जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि बंटवारे के वक्त भागते हुए मुसलमानों को बापू की आवाज और मौलाना अबुल कलाम आजाद की तकरीर ने रोका था। उन्‍होंने कहा कि आज के समय में राजनीति करने वाले कह रहे हैं कि जो पाकिस्‍तान चले गए, वे वहीं के हो गए हैं। जो यहां रह गए है उनपर यकीन मत करो। इसलिए देश का हर मुसलमान सोच में पड़ गया है कि उसका हिंदुस्तान में रहने का फैसला सही था या गलत। वहीं, बीजेपी विधायक संगीत सोम ने कहा कि यदि आजम को इतनी दिक्कत है, तो उन्हें हिंदुस्तान छोड़कर पाकिस्तान चले जाना चाहिए।
हिंदू महासभा चला रही - गद्दारों भारत छोड़ो आंदोलन
बताते चलें कि हाल ही में हिंदू महासभा उन मुसलमानों के खिलाफ ‘गद्दारों भारत छोड़ो आंदोलन’ चला रही है, जो उनके मुताबिक देश से गद्दारी कर रहे हैं। सबसे बड़ा निशाना यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री आजम खान हैं। इसके अलावा, एमआईएम पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी भी उनके निशाने पर हैं।

कुरान जलाने के आरोप में पीट कर की गई थी महिला की हत्या, चार को मौत की सजा

कुरान जलाने के आरोप में फरखुंदा को पीटते लोग।
कुरान जलाने के आरोप में फरखुंदा को पीटते लोग।
काबुल. अफगानिस्तान की एक अदालत ने बुधवार को एक महिला की सरेआम हत्या करने के मामले में चार लोगों को दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई है। 19 मार्च को काबुल में 27 वर्षीय फरखुंदा नाम की महिला को सार्वजनिक तौर पर पीट-पीटकर मार डाला गया था। उस पर कुरान की प्रति जलाने का झूठा आरोप था। मामले में 19 पुलिसकर्मियों सहित 49 लोगों पर संदेह के आधार पर मामला दर्ज किया गया था।
आठ लोगों को 16 साल की सजा
काबुल स्थित अफगानिस्तान प्राइमरी कोर्ट में जज सफिउल्लाह मोजेदेदी ने सभी अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई। उन पर हत्या, हमला करने और भीड़ को उकसाने का आरोप था। इसके अलावा, आठ लोगों को 16 साल जेल की सजा भी सुनाई गई है। वहीं, 18 अन्य लोगों पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके। बाकी लोगों की सजा का फैसला रविवार तक आने की उम्मीद है। दोषियों को ऊपरी कोर्ट में जाने की अनुमति भी दे दी गई है। वहीं, पुलिसकर्मियों पर मामले पर पर्दा डालने और अपनी ड्यूटी ठीक से न निभाने का आरोप लगाया गया।
फैसले से पीड़ित परिवार खुश नहीं, सभी के लिए चाहता है मौत
फैसला आने के बाद फरखुंदा के भाई मुजिबुल्लाह ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं। कोर्ट ने बचाव पक्ष का बहुमत देखकर यह फैसला दिया है। सिर्फ चार लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है, जबकि सभी जानते हैं कि उस दौरान करीब 40 लोगों की भीड़ मौजूद थी। उन्होंने कहा, "सभी मेरी बहन को जलाने, पीटने और उसकी हत्या के दोषी थे। यह सही फैसला नहीं है। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।"
पीटकर की थी हत्या, नदी में फेंक दिया था शव
कुरान जलाने के झूठे आरोप में राजधानी काबुल के मध्य इलाके में 19 मार्च को फरखुंदा को पीटने, जलाने और नदी में फेंकने की घटना के दौरान वहां मौजूद पुलिस वाले मूक दर्शक बने रहे। कुछ लोगों ने घटना का वीडियो बनाकर उसे इंटरनेट पर डाल दिया था। इससे पता चला कि उसे जलाने से पहले कार से भी कुचला गया था। हालांकि, बाद में जांच में यह आरोप गलत साबित हुआ।

क़ुरआन का सन्देश

 
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