लंदन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज को एक साल पूरा होने वाला है। मशहूर मैगजीन 'द इकोनॉमिस्ट' ने अपने आर्टिेकल में मोदी
को बांटने वाला व्यक्ति करार दिया है। 'वन मैन बैंड' शीर्षक नाम के
आर्टिकल में लिखा है कि मोदी अब भी ये सोचते हैं कि वे मुख्यमंत्री हैं,
लेकिन अब वह राज्य का नहीं, देश का नेतृत्व कर रहे हैं।
मोदी की दो समस्याएं
मैगजीन के मुताबिक, मोदी के साथ दो समस्याएं हैं, जिनके बारे में वह
सोचते हैं। पहला, समय उनके साथ है और दूसरा, वह अकेले ही सब कुछ बदल कर रख
देंगें।
यह बात सही है, समय में मोदी के साथ है। जरा मुद्रास्फीति को देखिए।
वह काफी कम हो चुकी है और नियंत्रण में हैं। हालांकि इसमें सरकार का योगदान
काफी कम है। मोदी के हक में जो बात गई, वह क्रूड ऑयल के दाम कम होना है।
उनकी पार्टी के पास लोकसभा में भारी बहुमत हैं। विपक्ष कमजोर है। हालांकि
राज्यसभा में बीजेपी अल्पमत में है। अब मोदी सोचते हैं कि उनकी पार्टी जब
तक राज्यसभा में बहुमत में नहीं आती, तब तक वह कोई कदम नहीं उठा सकते।
मैगजीन कहती है कि बाकी नेताओं में एक भ्रम की स्थिति है। उनका मानना
है कि पहले सत्ता को मजबूत करना चाहिए, उसके बाद सुधार के काम किए जाएंगे।
मैगजीन के मुताबिक दूसरी समस्या और भी ज्यादा गंभीर है। उनकी
कार्यशैली के खिलाफ कई विशेषज्ञों की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए मोदी
अपने सत्तावादी रवैए से समझौता नहीं करना चाहते।
प्रधानमंत्री को अपने समझौता न कर सकने वाले रवैए को छोड़कर संसद के
साथ सामंजस्य बैठाना होगा। सीधे शब्दों में समझा जाए तो कहने मतलब है कि
मोदी को अब गुजरात के मुख्यमंत्री के रोल से बाहर निकलकर देश के बारे में
सोचना होगा।