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30 मई 2015

1000 करोड़ का व्यापार छोड़ लेंगे वैराग्य, 30 हजार से शुरू किया था कारोबार

नाव पर निकले कारोबारी भंवरलाल दोशी। अब लेंगे वैराग्य।
नाव पर निकले कारोबारी भंवरलाल दोशी। अब लेंगे वैराग्य।
अहमदाबाद/उदयपुर. 1000 करोड़ रु. से ज्यादा के कारोबारी भंवरलाल दोशी रविवार को अहमदाबाद में दीक्षा लेंगे। भंवरलाल मूलत: राजस्थान के मंडार (सिरोही) के निवासी हैं। इनकी दीक्षा के लिए पिछले तीन दिन से विशेष तैयारियां चल रही हैं। एक नाव सहित करोड़ों की लागत से आयोजन स्थल तैयार किया गया है। ट्रेलर पर बने इस जहाज पर ही शनिवार को शोभायात्रा निकाली गई। श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते 7.5 किमी के पथ को पूरा करने में पांच घंटे लगे। इन्होंने अपने शोभायात्रा के दौरान भंवरलाल ने 50 लाख रुपए का वर्षीदान दिया। आयोजन स्थल पर फिजीशियन व कॉर्डियोलॉजिस्ट सहित 12 डॉक्टरों की डिस्पेंसरी लगाई गई है।
कौन है भंवरलाल
सिरोही निवासी भंवरलाल डोसी एक हजार करोड़ रुपए की कंपनी के मालिक हैं। कंपनी का सालाना टर्न ओवर ही 350 करोड़ रुपए हैं। कई देसी-विदेशी कंपनियों के साथ टाइअप और उद्याेग जगत में बड़ा नाम भी, लेकिन 31 मई से डोसी इन सबका परित्याग कर देंगे।
30 हजार से शुरू किया था धंधा
बिजनेस में आपका रोल मॉडल कौन शख्स रहा, पूछने पर डोसी कहते हैं बिजनेस-वैराग्य सब में एक ही आदर्श है -अनुशासन। डोसी 33 साल पहले 30 हजार रुपए लेकर दिल्ली गए थे। प्लास्टिक रॉ मैटेरियल काम शुरू किया। धीरे-धीरे टर्न ओवर 350 करोड़ रुपए पहुंचाया।

US में मोहम्मद कार्टून कॉन्टेस्ट: IS की चेतावनी, हथियार ले पहुंचे प्रतिभागी



अरिजोना में हो रहे कॉन्टेस्ट में लोग हथियारों के साथ मौके पर पहुंच रहे हैं।
अरिजोना में हो रहे कॉन्टेस्ट में लोग हथियारों के साथ मौके पर पहुंच रहे हैं।
न्यूयॉर्क: अमेरिकी राज्य अरिजोना के फीनिक्स में एक पूर्व सेना अधिकारी द्वारा आयोजित मोहम्मद कार्टून कॉन्टेस्ट को लेकर प्रतिभागियों और प्रदर्शनकारियों के बीच शुक्रवार को तीखी झड़प हुई। आतंकी संगठन आईएसआईएस ने भी इस आयोजन में आईडी ब्लास्ट करने की धमकी दी है। वहीं, इसमें हिस्सा लेने बहुत सारे लोग हथियार लेकर पहुंच रहे हैं। इस कार्यक्रम के आयोजक पूर्व मरीन रिट्जहिमर ने कार्यक्रम में पहुंचने वाले लोगों को कहा था कि वे आईएस के किसी खतरे से निपटने के लिए हथियारों के साथ मौके पर पहुंचें। इस अपील से हालात और विस्फोटक हो गए। अरिजोना में हथियारों का इस तरह का सार्वजनिक प्रदर्शन कानून के दायरे में आता है। पूर्व मरीन ने ऐसी टी-शर्ट्स भी बंटवाई है, जिस पर इस्लाम के खिलाफ अपशब्द लिखे हैं।
आईएसआईस भड़का
रिट्जहिमर पर भड़के आईएसआईएस ने अपने लड़ाकों से उन पर 'लोन वोल्फ अटैक' को अंजाम देने की अपील की है। इस तरह के हमले अकेले फाइटर्स बिना किसी खास योजना के अप्रत्याशित तौर पर करते हैं। आईएसआईएस ने सोशल मीडिया पर इस पूर्व मरीन के घर का ऐड्रेस भी पोस्ट किया है।
अमेरिकी प्रशासन ने जताई चिंता
रिट्जहिमर ने यह कार्यक्रम ऐसे वक्त में प्लान किया, जब शुक्रवार को फीनिक्स के कम्युनिटी सेंटर पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है। यह आयोजन पूरी रात चला। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां लोकल अधिकारियों से मिलकर इस आयोजन की सुरक्षा पर नजरें रखे हुए हैं। वहीं, अरिजोना के गवर्नर ने कहा कि वे फ्री स्पीच के हिमायती हैं, लेकिन साथ में अच्छे फैसले और कॉमन सेंस का भी समर्थन करते हैं।

US में मोहम्मद कार्टून कॉन्टेस्ट: IS की चेतावनी, हथियार ले पहुंचे प्रतिभागी



अरिजोना में हो रहे कॉन्टेस्ट में लोग हथियारों के साथ मौके पर पहुंच रहे हैं।
अरिजोना में हो रहे कॉन्टेस्ट में लोग हथियारों के साथ मौके पर पहुंच रहे हैं।
न्यूयॉर्क: अमेरिकी राज्य अरिजोना के फीनिक्स में एक पूर्व सेना अधिकारी द्वारा आयोजित मोहम्मद कार्टून कॉन्टेस्ट को लेकर प्रतिभागियों और प्रदर्शनकारियों के बीच शुक्रवार को तीखी झड़प हुई। आतंकी संगठन आईएसआईएस ने भी इस आयोजन में आईडी ब्लास्ट करने की धमकी दी है। वहीं, इसमें हिस्सा लेने बहुत सारे लोग हथियार लेकर पहुंच रहे हैं। इस कार्यक्रम के आयोजक पूर्व मरीन रिट्जहिमर ने कार्यक्रम में पहुंचने वाले लोगों को कहा था कि वे आईएस के किसी खतरे से निपटने के लिए हथियारों के साथ मौके पर पहुंचें। इस अपील से हालात और विस्फोटक हो गए। अरिजोना में हथियारों का इस तरह का सार्वजनिक प्रदर्शन कानून के दायरे में आता है। पूर्व मरीन ने ऐसी टी-शर्ट्स भी बंटवाई है, जिस पर इस्लाम के खिलाफ अपशब्द लिखे हैं।
आईएसआईस भड़का
रिट्जहिमर पर भड़के आईएसआईएस ने अपने लड़ाकों से उन पर 'लोन वोल्फ अटैक' को अंजाम देने की अपील की है। इस तरह के हमले अकेले फाइटर्स बिना किसी खास योजना के अप्रत्याशित तौर पर करते हैं। आईएसआईएस ने सोशल मीडिया पर इस पूर्व मरीन के घर का ऐड्रेस भी पोस्ट किया है।
अमेरिकी प्रशासन ने जताई चिंता
रिट्जहिमर ने यह कार्यक्रम ऐसे वक्त में प्लान किया, जब शुक्रवार को फीनिक्स के कम्युनिटी सेंटर पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है। यह आयोजन पूरी रात चला। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां लोकल अधिकारियों से मिलकर इस आयोजन की सुरक्षा पर नजरें रखे हुए हैं। वहीं, अरिजोना के गवर्नर ने कहा कि वे फ्री स्पीच के हिमायती हैं, लेकिन साथ में अच्छे फैसले और कॉमन सेंस का भी समर्थन करते हैं।

राहुल पर मोदी का पलटवार, बोले-सूटकेस से अच्छी है सूट-बूट की सरकार


राहुल पर मोदी का पलटवार, बोले-सूटकेस से अच्छी है सूट-बूट की सरकार
 
नई दिल्ली. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को सूट-बूट की सरकार कहते हैं। कांग्रेस नेता के इस तंज का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलटवार करते हुए कहा, ''सूट-बूट की सरकार निश्चित रूप से सूटकेस की सरकार से अच्छी है।'' शनिवार को एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में गरीबों की वकालत करने वाली कांग्रेस के बारे में पीएम ने कहा कि 60 साल तक देश में राज करने वाली कांग्रेस के कारण ही आज गरीबों की यह हालत है। इस साल जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए थे। तब ओबामा से मुलाकात के दौरान नरेंद्र मोदी ने अपने ही नेमप्रिंट वाला सूट पहना था। तभी से संसद से लेकर सड़क तक राहुल गांधी सूट-बूट की सरकार कहकर केंद्र पर निशाना साधते रहे हैं।
'जनता करेगी मेरा ग्रेडिंग'
प्रधानमंत्री से पूछा गया कि सरकार को वह दस में कितना नंबर देंगे तो उन्होंने कहा, ''देश की जनता मेरे कामों का मूल्यांकन कर ग्रेडिंग करेगी। मैं यह अधिकार जनता से कैसे छीन सकता हूं। मैंने देश के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड रख दिया है। हाल में मीडिया ने कुछ सर्वे के तथ्यों को छापा है।''
बुरे दिनों की विदाई, क्या अच्छे दिन नहीं हैं?
'अच्छे दिन' के वादे के साथ आप सत्ता में आए, क्या आपने एक साल में अपने गोल पूरे किए? इसके जवाब में मोदी ने कहा, ''हां, मैं एक साल के अपने कामकाज से पूरी तरह खुश हूं। मैं इस बात से खुश हूं कि हमने वादों के मुताबिक देश हित में बड़े कामों की नींव रख दी है। एक साल पहले के हालात के बारे में जिक्र करें तो हमें पता चलेगा कि उस वक्त करप्शन का कितना बोलबाला था। हमारी सरकार पर करप्शन के एक भी चार्ज नहीं लगे। बुरे दिनों की विदाई हुई तो क्या यह देश के लिए अच्छे दिन नहीं हैं?'' सरकार के उद्योगपतियों की हितैषी होने के आरापों पर उन्होंने कहा, ''जिन्होंने कोयला, स्पेक्ट्रम जैसे देश के रिसोर्स को कौड़ी के दाम में उद्योगपतियों को बेच दिए हैं, उनके पास ऐसा कहने का कोई अधिकार नहीं है।

मिलिए सबसे कम उम्र की 'स्टाइलिश लेडी' से, इंस्टाग्राम पर हैं 92K फॉलोअर्स

कैलिफोर्निया की राइली
कैलिफोर्निया की राइली
इंटरनेशनल डेस्क. तस्वीरों में आप शायद सबसे कम उम्र की बेहद 'स्टाइलिश लेडी' को देख रहे हैं। महज साढ़े तीन साल की इस बच्ची का नाम राइली है। वह कैलिफोर्निया की रहने वाली है। इंस्टाग्राम पर राइली के 92,000 से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं। हालांकि, यह अकाउंट उसकी मां केली मरे का है।
केली ने अपनी बेटी राइली की ढेरों तस्वीर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की हैं। ओवरसाइज्ड हैट्स, क्यूट बैकपैक्स और राउंड सन ग्लासेस में राइली की ऐसी कई तस्वीरें हैं, जिसे सैकड़ों यूजर्स ने पसंद किया है।
केली बताती हैं कि राइली के फैन फॉलोविंग को देखते हुए, उन्होंने अब खुद से बच्चों की क्लोदिंग लाइन तैयार करना शुरू कर दिया है। तस्वीरों में आप राइली की मां द्वारा डिजाइन किए कपड़ों में उसे देख सकते हैं।

हाईकोर्ट के परीपत्र के नाम पर तानाशाही नहीं चलेगी

बस अब बहुत हुआ कोटा अभिभाषक परिषद में वकीलों की मृत्यु पर शोकसभा के दौरान कार्यस्थगन के मामले में हाईकोर्ट के परीपत्र के नाम पर तानाशाही नहीं चलेगी ,,,,,किसी वकील के निधन पर शोक में डूबे वकीलों को कार्य करने के नाम पर उनके मुकदमो में खिलाफ आदेश हुए तो फिर वकील इसके लिए एक जुट होकर अनुशासित तरीके से संघर्ष करेंगे ,,,,,कोटा अभिभाषक परिषद की साधारण सभा की बैठक कल अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष रघुनन्दन गौतम की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई बैठक का संचालन महासचिव संजीव विजय ने किया ,,,बैठक में हाईकोर्ट द्वारा वकीलों के कार्य स्थग को लेकर जारी परीपत्र की आढ़ न्यायालयों में वकीलों के निधन जैसे संवेनशील समय में भी अदालतों द्वारा कार्य स्थगन के निर्णय के बाद भी वकीलों को कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है और ऐसा नहीं करने पर मुक़दमों में विपरीत आदेश किये जा रहे है ,,इस मामले में वकीलों के निर्णय के विरूद्ध वकीलों की अदालतों में उपस्थिति घोर अनुशासन हीनता मानी जायेगी जबकि सदस्यो ने बार कोंसिल जैसी संस्था जो वकीलों की हितैषी होने के लिए कर्तव्यबद्ध है उसकी चुप्पी पर सभी सदस्यों ने आक्रोश जताया और निंदा की ,अदालतों में अधिकारीयों की कमी ,,अदालतों में व्यव्यस्थाएं नहीं ,,,,एक अदालत के पास कई अदालतों का कार्यभार ,,लोक अदालत के नाम पर गंभीर मामलों का निस्तारण भी इस मामले में मुद्दा बनाया गया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अध्यक्ष रघुनन्दन गौतम ने व्यवस्था दी की किसी भी कार्यस्थगन पर अब कोई वकील साथी न्यायालय में उपस्थिति नहीं देगा और वकीलों के निर्णय की एक जुट होकर पालना करेगा अगर ऐसा हुआ तो ऐसे अनुशासन तोड़ने वाले सदस्यों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक ग्रामीण परिप्रेक्ष के पक्षकार ने आज मेरी आँखें खोल दी

दोस्तों एक ग्रामीण परिप्रेक्ष के पक्षकार ने आज मेरी आँखें खोल दी ,,अदालतों में लम्बित मामलों को लेकर ऐसे सटीक सवाल दागे के में खुद ला जवाब हो गया ,,कल कोटा अभिभाषक परिषद की किसी भी वकील की मृत्यु पर शोक सभा के दौरान कार्यस्थगन होने पर भी न्यायालयों द्वारा वकीलों को अदालत में उपस्थित होकर काम करने के लिए मजबूर करने के खिलाफ रणनीति तैयार करने के लिए आम सभा थी ,,अध्यक्ष रघु गौतम का निर्णय था के कार्यबहिष्कार के निर्णय का सख्ती से वकील साथी पालना करेंगे अन्यथा उन्हें जुर्माना देना होगा और उनकी सदस्य्ता भी खत्म की जा सकती है ,,अख़बार में कल और आज इस मामले में जिला जज का पक्ष भी था ,,,हम आज अदालत में बैठे थे इसी दौरान राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन एक मुक़दमे के मामले में जानकारी करने एक सज्जन आये ,,हमने कहा के अभी तो प्रकरण लम्बित है और वैसे भी हाईकोर्ट में एक महीने का अवकाश है ,,,,,ग्रामीण का सवाल था के कोटा में क्यों हड़ताल है ,,मेने उसे समझाया के हाईकोर्ट का एक परिपर्टर जजों के नाम आया है जिसमे हाईकोर्ट ने वकीलों द्वारा कार्यस्थगन किये जाने पर कोई सहयोग नहीं कर अदालत का काम यथावत चलाने के निर्देश है ऐसे में वकील की मृत्यु के दौरान भी जज काम जारी रखने को मजबूर है ,,ग्रामीण का सवाल था के इसका मतलब हाईकोर्ट से कई गुना ज़्यादा मामले इन कोर्टों में लम्बित है ,,मेने बताया के हाईकोर्ट में ज़्यादा मामले लम्बित है इसीलिए सालों सुनवाई में लग जाते है ,,बस ग्रामीण की बात समझ में आई उसने बढ़े चटकीले अंदाज़ में कहा के वाह वकील साहब किसी सरकार है ,,केसा विधि मंत्रालय है केसा अदालतों का निज़ाम है जहाँ हज़ारों मामले पेंडिंग है हाइक्रोट और सुप्रीम कोर्ट में सालों से लम्बित मामलों की सुनवाई का इन्तिज़ार है वहां तो हमारी सरकार ने हाइक्रोट और सुप्रीम कोर्ट को साल में पूरी एक महीने जून की छुट्टी का प्रावधान रखा है सर्दियों की छुट्टी दीपावली की छुट्टी और दूसरी छुट्टियां शनिवार को कोई सुनवाई नहीं ऐसे में मामले तो लम्बित होंगे ,,ग्रामीण का सुझाव था के जब भी कोई गरीबों की सुनवाई वाली सरकार आई कोई हाईकोर्ट मुख्य न्यायधीश गरीबों के हित की सोच वाले आये तो वोह हाईकोर्ट जजों की यह अनावश्यक छुट्टियां जिस कारन से हाईकोर्ट में मुक़दमों का और अम्बार लगता है पक्षकार जनता परेशान होती है इन को समाप्त कर कार्य करने के निर्देश देंगे ,,,,,ग्रामीण ने फिर कहा के अख़बार मिडिया कहा गए वोह जनता और पक्षकारों की इस व्यथा सरकार के छोटी अदालतों और बढ़ी अदालतों के संचालन में यह दोहरा मापदंड के बारे में कोई खबर नहीं बनाते ,,छोटी अदालतों पर तो वकीलों के मरने पर भी काम करने का दबाव और बढ़ी अदालतों को बेवजह की महीनो की छुट्टिया अजीब अँगरेज़ राज है आज भी इस देश में ,,एक धोती कुर्ते में लकड़ी टेकते हुए आये इस ग्रामीण बुज़ुर्ग के सवाल और जवाब को सुनकर में आवाक था ,,में सोचने पर मजबूर था के सिस्टम में गड़बड़ नहीं बहुत गड़बड़ है मेने सोचा एक पोस्ट तो बनती है शायद अख़बार के संपादक ,,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया से जुड़े लोग छोटी और बढ़ी अदालतों में सुनवाई के कार्यदिवसों के इस भेदभाव का पोस्टमार्टम कर राष्ट्रपति ,,विधिमंत्रालय ,,हाईकोर्ट ,,सुप्रीमकोर्ट को सोचने पर मजबूर होना पढ़े और शायद छोटी कोर्ट और बढ़ी कोर्टों की सुनवाई के दिन बराबर के हो जाए शायद इस जागरूकता से हाइक्रोट और सुप्रीमकोर्ट में जो हज़ारो अपील सुनवाई के इन्तिज़ार में है उनकी सुनवाई जल्दी शुरू हो जाए और लोगों को त्वरित सस्ता न्याय मिलने का रास्ता खुले इस जागरूकता के लिए मिडिया अपनी क्या ज़िम्मेदारी निभाता है क्या जागरूकता दिखाता है देखने की बात है ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में आज बहुत कुछ लिख कर हिंदी पत्रकारिता की हिंदी नहीं करना चाहता

आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है ,,में आज बहुत कुछ लिख कर हिंदी पत्रकारिता की हिंदी नहीं करना चाहता ,,लेकिन गौरव की बात यह है के उदन्त मार्तण्ड से लेकर गांधी ,,मैथिली ,,प्रेमचंद सभी ने तो इस हिंदी हिन्दी पत्रकारिता से अंग्रेज़ों का मुक़ाबला कर उन्हें खदेड़ दिया ,,अफ़सोस इस बात का ह के हिंदी से जुड़े पत्रकार लेखक हिंदी को आज भी संवेधानिक भाषा होने पर भी देश की जुबां नहीं बना सके ,,कर्नाटक ,,आंध्रा ,,केरल ,,,गुजरात ,,,बांग्ला ,, सभी जगह तो ज़ुबानों को जोड़ने के लिए अंग्रेज़ी की ज़रूरत है अंग्रेजी पुरस्कृत है तो हिंदी तिरस्कृत है ,,,आज इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता के हालात गुलामी की तरफ है इनकी चारण भाट नौकरी हो गई है तो हिंदी पत्रकारिता विगापनदाताओं की गुलाम है ,,,,पुरुषार्थ बढ़ाने की दवा बिकवाने का विज्ञापन एजेंट बने है कोई पत्रकारिता की प्राथमिकताएं त्याग कर मेले लगवा रहा है तो कोई खलकूद कर रहा है कोई आतिशबाज़ी कर रहा है ,,हिंदी पत्रकारिता की गुणवत्ता बढ़ाने हिंदी दिवस पर हिंदी समाचार पत्र ,,पत्रकारों के संगठन कोई कार्यक्रम ,,सेमिनार ,,वैचारिक मंथन ,,पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए अच्छे काम करने वालों की होसला अफ़ज़ाई कार्यक्रम नहीं कर रहे है ,,सरकार तो हिंदी पत्रकारिता का गला दबा देना चाहती है इसलिए सुचना केंद्र ,,सुचना मंत्री ,,सरकार के इंफोर्मेशन विभाग से तो इस दिवस पर किसी कार्यक्रम की उम्मीद करना भी बेमानी सा लगता है ,,लेकिन अफ़सोस होता है ,,जब हिंदी की चिंदी होते देखी जाती है भारत को इणिडया कहते हुए सुना जाता है ,,,हिंदी को भुलाकर सभी जगह अंग्रेजी भाषा का उपयोग होता है ,,हिंदी पत्रकारिता से जुड़े पत्रकारों को हिक़ारत की नज़र से देखा जाता है और इन अख़बारों में हिंदी से जुड़े लोगों की खबरे कम ,,नेताओ और अधिकारीयों की चमचागिरी खबरे और विज्ञापन ज़्यादा होते है ,,,फिर भी हिंदी पत्रकारिता कई मायनों में गरीबों की हमदर्द उनकी आवाज़ उनके इन्साफ की कड़ी साबित हुई है ,,सोशल मिडिया पर हिंदी पत्रकारिता विविध आयाम स्थापित कर रही है कुछ सियासी अपवादों को छोड़ दे तो यक़ीनन सोशल मिडिया जिसकी हिंदी हम आज तक नहीं पचा पाये है जिसका हिंदी नाम हम नहीं दे पाये है इस मिडिया में हिंदी पत्रकारिता और खबरचियों का महत्व बढ़ता जा रहा है ,,, आपको याद होगा अभिषेक सिंघवी की सीडी कांड ,,,महिपाल मदेरणा का काण्ड हिंदी पत्रकारिता ने ठंडे बस्ते में बंद कर दी थी लेकिन सोशल मिडिया ने इसे हिंदी में उजागर कर इन मामलों की पोल खोली और बिकाऊ पत्रकारों को भी आखिर मजबूरी में फिर खबर बनाना पढ़ी आखिर सोशल मिडिया हिंदी पत्रकारिता ज़िंदाबाद हो गई ,,इसलिए में कहता हूँ हिंदी पत्रकारिता के साथ अब हिंदी सोशल मिडिया पत्रकारिता दिवस भी मनाया जाना चाहिए ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मैगी जैसे 80 हजार कंपनियों के पैकेज्ड फूड की न जांच का इंतज़ाम, न खतरों का पता

मैगी (फाइल फोटो)
मैगी (फाइल फोटो)
मुंबई। देश में पैकेज्ड फूड बनाने में सक्रिय छोटी-बड़ी 70 से 80 हजार कंपनियों के प्रोडक्ट की नियमित जांच ही नहीं हो रही है। भास्कर द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया है कि देश में वर्तमान में करीब दो लाख करोड़ रुपए के कारोबार वाले इस सेक्टर में बिना किसी खास जांच के ही प्रोडक्ट लगातार हम तक पहुंच रहे हैं। जहां चंडीगढ़ जैसे शहर में 70 फीसदी तक सैंपल जांच में फेल हो रहे हैं। हालांकि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के अनुसार केंद्रीय स्तर पर 30 फीसदी तक फूड सैंपल जांच के दौरान फेल हो रहे हैं। इससे स्वास्थ्य को बड़ा खतरा भी पैदा हो रहा है। पड़ताल में सामने आया कि राज्यों में स्तरीय टेस्टिंग लैब ही नहीं है तो कहीं लंबे समय से सैंपल्स ही नहीं लिए गए। वहीं बिहार जैसे राज्य में तो बीते वित्त वर्ष में सिर्फ 15 केस ही दर्ज किए गए। निगरानी के नाम पर पैकेज्ड फूड के हजारों प्रोडक्ट के करोड़ों नगों में से एफएसएसएआई ने बीते वर्ष 28 हजार सैंपल्स इकट्‌ठे किए। इसमें से 60 फीसदी सैंपल पैकेज्ड पानी और दूध व दूध से बने उत्पादों के हैं। गौरतलब है कि बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले के मैगी नूडल्स के सैंपल्स की जांच हुई और उसमें लैड व मोनोसोडियम ग्लूटामैट (एमएसजी) की मात्रा खतरनाक स्तर से अधिक पाई गई।
पैकेज्ड फूड क्षेत्र में छोटी-बड़ी 70 से 80 हजार कंपनियां हैं सक्रिय
एसोचैम के मुताबिक देश के महानगरों में 80 फीसदी, सेमी अर्बन एरिया में 40 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 15 फीसदी पैकेज्ड फूड की खपत है। पैकेज्ड फूड जैसे बेकरी उत्पाद, सॉस, चाॅकलेट, रेडी टू ईट फूड आयटम्स (मैगी, पास्ता आदि), दूध से बने उत्पाद, डिब्बाबंद प्रोसेस्ड फूड, फ्रोजन प्रोसेस्ड फूड लोग पसंद कर रहे हैं। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डीएस रावत ने बताया कि देश में पैकेज्ड फूड इंडस्ट्री 30 फीसदी की दर से बढ़ रही है। युवाओं और बच्चों में इसकी मांग सर्वाधिक है। रावत के मुताबिक देश में पैकेज्ड फूड क्षेत्र में छोटी-बड़ी 70 से 80 हजार कंपनियां सक्रिय हैं। 80 फीसदी हिस्सेदारी ऑर्गनाइज्ड क्षेत्र की कंपनियों की है। कंपनियों को उत्पादों की पैकिंग पर बहुत अधिक ध्यान देना चाहिए।
राजस्थान में पैकेज्ड फूड की करीब 2,000 छोटी-बड़ी कंपनियां
राजस्थान में पैकेज्ड फूड की जांच नहीं हो रही है। जयपुर में चीफ मेडिकल एंड हैल्थ ऑफिसर (सीएमएचओ) डॉ. नरोत्तम शर्मा के मुताबिक पिछले चार महीनों में कोई जांच नहीं की गई है। लाइसेंस की नियमित रूप से जांच की जाती है और प्रदेश में सभी फूड निर्माताओं के पास लाइसेंस हैं। वहीं, एफएसएसएआई के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में पैकेज्ड फूड की जांच के लिए लैब नहीं है। जो सैंपल्स लिए भी जाते हैं, उनकी जांच में एक-दो चीज ही देखी जाती है। ऐसे पैकेज्ड फूड में गड़बड़ी को लेकर भी कोई तथ्य सामने नहीं आया। कारोबारी आनंद केनिया के मुताबिक राजस्थान में करीब 2,000 छोटी-बड़ी कंपनियां पैकेज्ड फूड का कारोबार कर रही हैं। राज्य में प्रतिदिन लगभग 4,000 टन से ज्यादा पैकेज्ड फूड की खपत का अनुमान है।
महाराष्ट्र में शिकायत मिलने पर ही होती है पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट की जांच
महाराष्ट्र का खाद्य व औषधि प्राधिकरण (एफडीए) शिकायत मिलने पर ही पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट की जांच करता है। जैसे पिछले साल नासिक में हल्दीराम ब्रांड का एक्सपायरी डेट का मिक्स चूड़ा बेचे जाने की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की गई। एफडीए के कमिश्नर हर्षदीप कांबले ने बताया कि शिकायत की गंभीरता और उससे उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले असर को ध्यान में रखकर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। यदि मामला गंभीर है तो संबंधित ब्रांड का लाइसेंस रद्द करने तक की सिफारिश करते हैं।
चंडीगढ़ में पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स की नियमित जांच की कोई प्रक्रिया नहीं
चंडीगढ़ में स्थानीय स्तर पर पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स की नियमित जांच की कोई प्रक्रिया नहीं है। हेल्थ डिपार्टमेंट का फूड एंड प्रिवेंशन ऑफ एडल्ट्रेशन विंग शिकायत मिलने पर या कभी-कभार बाजार में बिकने वाले ऐसे पैकेज्ड फूड उत्पादों का सैंपल लेकर जांच करता है। जांच में 70 फीसदी से अधिक सैंपल फेल हो जाते हैं इसके बावजूद इनकी बिक्री रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया जाता है। चंडीगढ़ में पैकेज्ड फूड बनाने वाले 22 निर्माताओं ने ही हेल्थ विभाग से लाइसेंस लिया है। शहर में ऐसे निर्माताओं की संख्या 100 से अधिक है। इन सभी को 5 अगस्त तक लाइसेंस लेने का समय दिया गया है।
भोपाल में 6000 लोग बिना लाइसेंस के खाद्य से जुड़े आइटम बेच रहे
भोपाल में करीब छह हजार लोग बिना लाइसेंस के खाद्य से जुड़े आइटम या तो सीधे बेच रहे हैं या फिर बनाकर बेच रहे हैं। पैकेज्ड फूड बनाने वाले करीब एक दर्जन बड़े ब्रैंड हैं। ये नमकीन, चिप्स, नूडल्स, ब्रेड और पनीर पैक करके बेचते हैं। कभी कभार ही खाद्य और औषधि विभाग कार्रवाई करता दिखता है। राजधानी में 18,000 कारोबारी खाद्यान्नों से जुड़े कारोबार में है लेकिन इनकी निगरानी का जिम्मा केवल नौ खाद्य अधिकारियों के जिम्मे है। यहां हर किराना दुकान पर स्थानीय स्तर पर बने नूडल्स, चिप्स मिल जाते हैं और कई प्रोडक्ट में तो उनमें मिले कंटेंट की भी जानकारी नहीं दी जाती।
बिहार में पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स की नियमित जांच के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं
बिहार में जिला प्रशासन या नगर निगम की ओर से मैगी और अन्य पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स की नियमित जांच के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। राजधानी पटना और अन्य हिस्सों में धड़ल्ले से फास्ट फूड काउंटर्स पर इनकी बिक्री होती है। राज्य में स्थानीय फूड प्रोडक्ट की जांच के लिए कोई लैब नहीं है। जांच के लिए सैंपल को कोलकाता भेजा जाता है। इसकी रिपोर्ट आने में करीब एक से डेढ़ महीने का वक्त लग जाता है। पटना के अगमकुआं में स्थित लैब सिर्फ नाम के लिए है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी मुकेश कश्यप कहते हैं कि फूड एनालिस्ट के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने के कारण लैब कारगर नहीं है। राज्य में बीते वित्त वर्ष में सिर्फ 15 केस दर्ज किए गए हैं।

वहीं रांची में सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों के सैंपल्स की जांच नामकुम स्थित सरकारी टेस्टिंग लैब में की जाती है। चाउमिन, सॉस, अचार आदि कई ऐसे उत्पाद हैं, जिनका लैब में टेस्ट नहीं होता। कारोबारी धड़ल्ले से इनका उत्पादन कर स्थानीय बाजार में बिक्री करते हैं।
गुजरात में जांच के लिए जुटाए गए सैंपल
गुजरात में स्थानीय स्तर पर तैयार होने वाले विविध 29 सीलबंद प्रोडक्ट के सैंपल जुटाए गए हैं। इन्हें परीक्षण के लिए देश की अलग-अलग प्रयोगशालाओं में भेजा गया है । फूड एंड ड्रग्स विभाग के आयुक्त एचजी कोशिया ने बताया कि अगले एक सप्ताह में परीक्षण रिपोर्ट आ जाएगी। राजकोट महानगर पालिका ने बीते दो साल में 15 केस किए हैं।वहीं सूरत में स्थानीय स्तर पर राज्य में बेचे जा रहे नूडल्स के लोकल ब्रैंड को लेकर स्वास्थ्य विभाग उदासीन बना हुआ है। विभाग ने लोकल ब्रैंड नूडल्स निर्मताओं के उत्पाद के सैंपल लेने की जरूरत महसूस ही नहीं की।

बिगबी-प्रिटी-माधुरी दोषी हुए तो उम्रकैद भी संभव, माधुरी बोलीं- बरसों खाई मैगी

बिगबी-प्रिटी-माधुरी दोषी हुए तो उम्रकैद भी संभव, माधुरी बोलीं- बरसों खाई मैगी
नई दिल्ली. बॉलीवुड स्टार माधुरी दीक्षित ने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले के अफसरों से मुलाकात की है। माधुरी ने इस बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है। माधुरी ने लिखा, 'ज्यादातर भारतीयों की तरह मैंने बरसों तक मैगी नूडल्स को पसंद किया है। हाल में आई रिपोर्टों के बाद मैं चिंतित हो गई थी और इसी वजह से नेस्ले की टीम से मिली। नेस्ले ने मुझे जानकारी दी है कि वे कंज्यूमर के हित सबसे ऊपर रखते हैं और सबसे अच्छी क्वॉलिटी मेंटेन करते हैं। नेस्ले ने मुझे आश्वस्त किया है कि वे मैगी की क्वॉलिटी की टेस्टिंग करते हैं।' हरिद्वार फूड डिपार्टमेंट ने एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित को नोटिस भेज चुका है। माधुरी को यह नोटिस बतौर ब्रांड एंबेसडर एक प्रचार में मैगी को हेल्दी बताने के लिए दिया गया। 15 दिन के अंदर नोटिस का जवाब न देने पर विभाग ने एडीएम कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात भी कही गई है। हरिद्वार के फूड सेफ्टी ऑफिसर दिलीप जैन का कहना है कि आटा मैगी के एक विज्ञापन में माधुरी ने ये गलत जानकारी फैलाई थी कि इसे खाने से 2 से 3 रोटी खाने के बराबर फाइबर मिलता है। साथ ही, शरीर हेल्दी रहता है। इस संबंध में जारी नोटिस में माधुरी से पूछा गया है कि उन्होंने किस आधार पर ये बातें कही हैं?
 
अमिताभ, प्रिटी और माधुरी के खिलाफ दर्ज हो सकता है केस 
शनिवार को बाराबंकी के सीजीएम कोर्ट में एक वकील ने मैगी का विज्ञापन करने वाले अमिताभ बच्चन, प्रिटी जिंटा और माधुरी दीक्षित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए याचिका दायर की। कोर्ट ने इस अर्जी पर सुनवाई की अगली तारीख 19 जून तय की है।
से एक्सक्लूसिव बातचीत में याचिका दायर करने वाले वकील संतोष सिंह ने बताया कि मजिस्ट्रेट ने उनका बयान 200 सीआरपीसी के तहत दर्ज कर लिया है। संतोष ने कहा है कि वह इन सितारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 109, 272, 273, 420 के तहत मामला दर्ज कराना चाहते हैं। 
 
धारा 272 में दोषी पाए जाने पर यूपी में उम्रकैद भी हो सकती है
अगर मैगी का विज्ञापन करने के मामले में अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित और प्रिटी जिंटा पर आईपीसी की धारा 272 लगी तो उनकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। यह धारा मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने की प्रक्रिया में शामिल होने से जुड़ी है। इसके तहत अधिकतम छह महीने की सजा का प्रावधान है। लेकिन उत्तर प्रदेश ने इसमें संशोधन किए हैं। उत्तर प्रदेश में लगने वाली धारा 272 के तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम उम्रकैद की भी सजा हो सकती है। 
 
नेस्‍ले और पांच अन्‍य पर भी केस
उत्तर प्रदेश फूड सेफ्टी और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (UPFDA) की ओर से मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया और पांच अन्‍य पर शनिवार को मुकदमा दर्ज कराया गया। इनके खिलाफ बाराबंकी के चीफ फूड इंस्‍पेक्‍टर वी. के. पांडे ने एसीजीएम-1 कोर्ट में फूड एंड सेफ्टी एक्ट 2006 की धारा 58 और 59 के तहत मुकदमा दर्ज कराया। जल्द ही कोर्ट की तरफ से सम्मन भेजा जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी। इस दिन नेस्ले और अन्य पक्ष को बाराबंकी कोर्ट में पेश होना होगा। 
 
क्‍यों हुआ मुकदमा 
पिछले दिनों यूपी के बाराबंकी जिले से मैगी के 12 अलग-अलग सैंपल लेकर केंद्र सरकार की कोलकाता स्थित लैब में टेस्ट कराया गया। रिपोर्ट आई  तो मैगी के इन पैकेटों में लेड की मात्रा 17.2 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) पाई गई है, यह स्‍वीकार्य सीमा से लगभग सात गुना ज्‍यादा है। FDA के डिप्‍टी इंस्‍पेक्‍टर जनरल डीजी श्रीवास्‍तव के मुताबिक, मैगी नूडल्‍स में लेड और मोनोसोडियम ग्‍लूटामैट (एमएसजी) की मात्रा खतरनाक स्‍तर पर पाई गई है। लेड की स्‍वीकार्य योग्‍य सीमा 0.01 पीपीएम से 2.5 पीपीएम के बीच है। FDA ने ये सारी जानकारी एक चिट्ठी लिख FSSAI को दी थी।
 
हो सकती है सात साल की सजा, 10 लाख रुपए तक जुर्माना 
धारा 58 फूड मानकों के उल्लंघन के लिए है। इसमें 2 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, धारा 59 अनसेफ फूड के लिए लगाई जाती है। इसके तहत दोषियों को अधिकतम 7 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।
 
मुकदमा किनके खिलाफ 
वी. के. पांडे ने  बताया कि न्यू दिल्ली ईजीडे, नेस्ले इंडिया प्राइवेट लिमिटेड न्यू दिल्ली और ऊना (हिमाचल प्रदेश) में कंपनी के दफ्तर, ईजीडे के लाइसेंस धारक साहब आलम और ईजीडे के मैनेजर मोहन गुप्ता समेत छह पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। सोमवार को कोर्ट इन सभी को सम्मन भेजेगी। 
 
कोलकाता में टेस्ट का मैगी का दावा झूठा
नेस्ले इंडिया कंपनी द्वारा मैगी के सैंपल को कोलकाता लैब में टेस्ट करवाने का दावा झूठा साबित हुआ है। कंपनी ने दावा किया था कि उसने मैगी का एक पैकेट सैंपल जांच के लिए बाराबंकी के फूड ऑफिसर की मदद से कोलकाता की लैब में भिजवाया था, लेकिन बाराबंकी के फूड सेफ्टी ऑफिसर के मुताबिक कंपनी ने जांच कराने के लिए कोई आवेदन ही नहीं दिया। 
 
 
अब तक 80 हजार लोग दे चुके हैं मैगी पर अपनी राय
मैगी से जुड़ी इस खबर पर दैनिक भास्कर के फेसबुक पेज पर 80 हजार से ज्यादा कमेंट आ चुके हैं। सबसे ज्यादा लोगों ने मैगी में MSG और लेड जैसे खतरनाक केमिकल होने के बाद भी अब तक सरकार की ओर से इस पर बैन न लगाने पर सवाल उठाया है। लोगों ने सरकार से पूरे देश में मैगी की जांच की मांग भी की है।

क़ुरआन का सन्देश

 
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