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02 जून 2015

दोस्तों कल शबबरात थी सभी बहनो भाइयों ने एक दिवसीय माफ़ी नामा

दोस्तों कल शबबरात थी सभी बहनो भाइयों ने एक दिवसीय माफ़ी नामा   से प्रेरित होकर सोशल मिडिया पर जाने अनजाने में गलतियों के लिए मुआफ़ी मांगी  मुझे अजीब सा लगा ,,में शुक्र गुज़ार हूँ मेरे उस खुदा का जिसने मेरी हर  तोबा क़ुबूल की हर गलती मुआफ की ,,,में शुक्रगुज़ार हूँ मेरे खुदा का जिसने मुझे गलतियों से ग़ीबत से बचने की सलाहियत दी ,,जिसने मुझे सिखाया के अगर किसी का दिल दुःख जाए तो साल भर का इन्तिज़ार नहीं तुरंत अहसास होते ही मुआफ़ी मांग लो ,,,गलती हो तुरंत तोबा कर लो ,,यह जाने अनजाने की गलती का अलफ़ाज़ इस्लाम में नहीं है इस्लाम में एक्यूरेसी है शत प्रतिशत है गलती हुई तुरंत माफ़ी ,,,तुरंत तोबा ,,काश मेरे भाइयों ने क्षमा वाणी से माफ़ी का तरीका सीखने के बजाय क़ुरआन और हदीस से तोबा और  मुआफ़ी का तरीका सीखा होता जिसमे किसी पड़ोसी ,,किसी भी व्यक्ति ,इंसान ,,जानवर ,,चरिन्दे ,,परिंदे ,,पैढ़ पौधों को कोई तकलीफ न पहुंचे ऐसी हिदायत है ,,,,इस्लामिक चेहरा वोह जिसकी किसी भी हरकत से कोई दुखी ना हो ,,लेकिन विनम्रता का मतलब कायरता भी नहीं झूंठ ,,फरेब ,,मक्कारी से बचने के साथ साथ धर्मयुद्ध यानी सच के लिए युद्ध ,,कोई अगर किसी दूसरे पर भी ज़ुल्म करता है ,,अन्याय अत्याचार करता है तो उसे बचाने के लिए युद्ध प्रतीकार की हिदायत है ,,क़ुरबानी का जज़्बा इस्लाम सिखाता है ,,,,किसी भाई से अगर सुबह विवाद हो जाए तो सूरज डूबने के पहले उसे ढूंढ कर माफ़ी मांगने का हुक्म है ,,पुरे सालभर का तो शबबरात के दिन लेखा   जोखा होता है ,,साल भर गलतियां ,,ज़ुल्म ज़्यादतियाँ ,,बेईमानियां ,,मक्कारियां झूंठ फरेब और फिर केवल एक दिन सिर्फ एक दिन माफ़ी नामा इस्लाम का सिद्धांत नहीं है ,,इस्लाम का सिद्धांत है अव्वल तो गलतियों से बचो और फिर भी अगर गलती हो जाए तो तुरंत बिना किसी झिझक के अपनी भूल सुधार कर उससे माफ़ी मांग लो ,,एक शख्स जिससे में नहीं मिला उसकी तस्वीर मेरे सामने गंदी बताई गई  मेरे दिमाग में उसके लिए बदगुमानी थी  लेकिन जब हम मिले साथ उठे बैठे तो मुझे लगा मेरे पास गलत तस्वीर पेश की गई मेने इस शख्स से सैकड़ों बार माफ़ी मांगी और अपनी गलती इन्हे बताई इस शक्श ने मुझे  माफ़ तो कर दिया लेकिन मुझे आज भी मलाल है के बिना जाने ,,,बिना मिले मेने सभी क़ुरानी हिदायते त्याग कर कैसे किसी शख्स के  खिलाफ बदगुमानी पाली ,,,खेर दोस्तों खुदा का शुक्र है के मुझे मेरे दूसरे सातियों की तरह सोशल  मीडिया पर एक दिवसीय माफ़ी नामे को आगे नहीं बढ़ाना पढ़ा ,,मेने फिर क़ुरआन और हदीस की रौशनी में देखा तो में सच था माफ़ी तुरंत गलती हो तो मांग लो ,.,,तोबा तुरंत कर लो ,,,,,अल्लाह सभी को माफ़ करने वाला है ,,,,,,,,,,,,माफ़ी दिल से हो दिखावे के लिए नहीं क्योंकि माफ़ी कोई खेल नहीं एक  प्रायश्चित है ,,पश्चाताप है ,,,,,,,,,,,,दिखावा नहीं ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फिर दिखी दीवानगी: आसाराम को देख कोई सड़क पर लेटा तो किसी ने तोड़ा व्रत

फिर दिखी दीवानगी: आसाराम को देख कोई सड़क पर लेटा तो किसी ने तोड़ा व्रत
जोधपुर. नाबालिग छात्रा के यौन शोषण के आरोप में यहां सेंट्रल जेल में बंद आसाराम की ओर से जमानत याचिका पर पैरवी के लिए भाजपा नेता एवं अधिवक्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी के मंगलवार को जोधपुर नहीं आने से सेशन न्यायालय में सुनवाई नहीं हो सकी। याचिका पर सुनवाई अब 9 जून को होगी। गत माह स्वामी ने जोधपुर आकर आसाराम से मुलाकात कर उनकी और से पैरवी करने की बात कही थी। मंगलवार को पूर्णिमा के चलते कोर्ट में आसाराम के समर्थकों का भारी जमावड़ा रहा। जगह-जगह समर्थकों ने आसाराम के पक्ष में नारेबाजी की। कोर्ट परिसर में जिन रास्तों से आसाराम गुजरे वहां आसाराम के भक्त जमीन पर लेट गए। वहीँ कुछ भक्तों ने आसाराम को देखकर अपना व्रत तोड़ा।

मीडिया में भृष्टाचार नीचे से नही वल्कि उपर से है-यशवन्त सिंह


शोशल मीडिया पर आ रही खबरों से अधिकारी भी घबराने लगे हैं।
मथुरा में पत्रकार दिवस पर पत्रकारों के मान सम्मान एवं स्वाभिमान को समर्पित संस्था इंटेलीजेन्स मीडिया एसोसियेशन (आईएमए) ने सम्मान समारोह एवं विचार गोष्ठी ‘‘सामाजिक विकास में पत्रकारों की भूमिका’’ का आयोजन चन्द्रलेखा कैम्पस निकट एटीवी, एनएच 2 पर किया जिसमें बड़ी संख्या में जनपद के पत्रकार उपस्थित थे।
विचार गोष्ठी में मुख्यवक्ता के रूप में भड़ास 4 मीडिया के सम्पादक यशवंत सिंह, ने कहा कि आज मीडिया में नीचे से भृष्टाचार नही है वल्कि भृष्टाचार उपर से है बडे़ बडे़ मीडिया घराने बडे़ पेमाने पर भृष्टाचार में डूबे हुए हैं मजीठिया आयोग की शिफारिशों को आज तक इन मीडिया घरानों ने लागू नही किया है। जिसका कारण है कि मीडिया में काम करने वाले कर्मचारियों को उचित वेतन नहीं मिल पा रहा हैं। सच्चाई की पत्रकारिता की राह में कठिनाईयां अधिक हैं। फिर भी हमें समाज के प्रति अपने दायित्व को समझते हुये कार्य करना होगा। समाज में कुरीतियों को दूर करने तथा आम आदमी की परेशानियों को आम जनता तक पहुचाना होगा। उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता का दायरा बड़ा हो गया है आज हर घर हर मौबाइल से पत्रकारिता हो रही है युवाओं में भी आसपास कुछ भी गलत हो रहा है उसकों तुरन्त लोगों तक पहुंचाने की ललक शुरू हुई है। शोशल मीडिया ने अब परम्परागत मीडिया को पीछे छोड़ दिया है अब अधिकारी भी शोशल मीडिया पर आ रही खबरों से घबराने लगे हैं। इसका दायरा और बढ़ना चाहिये।
विशिष्ठ वक्ता दिल्ली ईसान टाइम्स ग्रुप के सम्पादक संजय राय ने कहा कि पत्रकारों के सामने अनेक मजबूरियां हैं उनको मजबूत बनाने की आवश्यकता है तथा पत्रकारों के हितों की रक्षा की जानी चाहिये इसमें सरकारों और पत्रकारों को मिलकर पत्रकारों के हित के लिये योजना बना कर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। जसवंत नगर के वरिष्ठ पत्रकार वेदव्रत गुप्ता ने कहा पत्रकार समाज का आईना है पत्रकार सामाजिक रूप से समाज के प्रति प्रतिवद्ध होते हैं, लेकिन उनके लेखन को अखवारों के मालिक दवा देते हैं, इससे पत्रकार हतोत्साहित होता है तथा समाज में यह सन्देश जाता है कि समाज के प्रति पत्रकार की उदासीनता है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के वेतनमानों में विसंगतियां है अखवारों के मालिक पत्रकारों का शोषण करते हैं। अखवारों के मालिकों के खिलाफ मौर्चा खड़ा करनें की जरूरत है।
रामनगर से पत्रकार मंशा राय ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि संगठन को मजबूत करने की दिशा में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। वरिष्ठ पत्रकार के.के. वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि पत्रकारों को अपने ज्ञान को बढाना चाहिये तथा अधिक से अधिक अध्ययन करना चाहिये और आज आई टी क्षेत्र में भी अपने ज्ञान को बढाना चाहिये तथा नयी सुबिधाओं को अपने कार्य से जोडकर ही आज की पत्रकारिता की उंचाईयों पाया जा सकता है। चंदौसी से वरिष्ठ पत्रकार विनय समीर ने कहा कि पत्रकारों की आर्थिक स्थिति हमेशा से खराव है तथा इसी कारण बह अपने बच्चों की परवरिश ठीक से नही कर पाते है अधिकाशं पत्रकार बीमार होते है जो अच्छा इलाज भी नही करा सकते हैं इसके लिये सरकार की ओर से पत्रकारों को अच्छी स्वास्थ्य सेवायें मिलनी चाहिये। सिंगापुर से एनआरआई विनय राय ने भारत में आकर और मथुरा भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली में अपने आप को धन्य मानता हूँ उन्होंने कहा कि पत्रकारों को किसी भी क्राईम को ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर नहीं छापना चाहिये बल्कि अच्छे कार्यों को बढावा देना चाहिये। कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये।
आईएमए की राष्ट्रीय अध्यक्ष मन्जू वाष्र्णेय, अध्यक्ष नियन्त्रण समिति विनय समीर, प्रदेश अध्यक्ष अनूप गुप्ता, दैनिक कल्पतरू एक्सप्रेस आगरा से राजीव दधीच, दैनिक कल्पतरू एक्सप्रेस आगरा से भानुप्रताप सिंह, सम्पादक दैनिक अग्रभारत आगरा से धमेन्द्र सिंह, जसवीर मलिक, सन्तोष गंगवार, डा0 इन्द्रा राय, विशेष आमन्त्रित सदस्य के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर ग्यारह पत्रकारों का सम्मान किया ग्वालियर से राजेश चतुर्वेदी को संस्कृत में समाचार पत्र निकालने पर, कृषि समस्याओं लेख आदि के प्रकाशन पर दिलीप यादव को, अलवर के पत्रकार स्व0 मुरारी लाल अग्रवाल को सम्मानित किया गया उनके सम्मान को उनके भतीजे डा0 धनेश अग्रवाल को दिया गया तथा मथुरा बलदेव के स्व0गोविन्द बल्लभ पाठक को सम्मानित किया गया उनके पुत्र राजेश पाठक ने सम्मान ग्रहण किया। विचार गोष्ठी में जनपद के पत्रकारों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। जिसमें वरिष्ठ पत्रकार मोहन स्वरूप भाटिया, डा0 अशोक बंसल, एडवोकेट प्रदीप राजपूत, आईएमए के संस्थापक नरेन्द्र एम. चतुर्वेदी, डा0 सी.के.उपमन्यु, सुनील शर्मा, विवेकदत्त मथुरिया, अमरेन्द्र गुप्ता एपीएन न्यूज दिल्ली, डा0 धनेश अग्रवाल, मफत लाल अग्रवाल, गोपाल शर्मा, विनोद अग्रवाल, पं0 ओमप्रकाश शर्मा, राजेश कुमार पाठक, कुन्ज बिहारी शर्मा, जितेन्द्र भारद्वाज, राजेश कुमार बब्बू मिथलेश कुमार, रशिक बल्लभ, सुबीर सेन, चन्द्र प्रकाश पान्डेय, कुशल प्रताप सिंह, मोहनवीर सिंह, शशिकान्त, विपिन कुमार आदि उपस्थित थे। आयोजन के स्वागताध्यक्ष संयुक्त जाट आरक्षण संघर्ष समिति राष्ट्रीय अध्यक्ष एच.पी.सिंह परिहार थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल वक्शी ने की। सभी वक्ताओं का स्वागत आईएमए के जिलाध्यक्ष चै. दलवीर सिंह विद्रोही ने किया। विचार गोष्ठी का संचालन दीपक गोस्वामी ने किया।

आर्टिफिशयल तरीके से बारिश करवा कर सूखे का सामना करेगा महाराष्ट्र



फाइल फोटो: सूखे से जूझते किसान।
फाइल फोटो: सूखे से जूझते किसान।
नई दिल्ली. इस साल कम बारिश की आशंका को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार पानी की कमी को पूरा करने के लिए 'क्लाउड सीडिंग' जैसे कृत्रिम तरीके को अपनाने पर विचार कर रही है। महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास विभाग के सचिव केएच गोविंदराज ने कहा, 'राज्य सरकार सरकार ने क्लाउड सीडिंग कराने के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किए हैं ताकि जरूरत से कम बारिश होने पर हम उसके मुकाबले के लिए तैयार रहें।' गोविंदराज ने कहा कि उनकी सरकार सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी कंपनियों की भी मदद लेने को तैयार है। महाराष्ट्र ऐसी कोशिश करने वाला देश का पहला राज्य है। पिछले कई सालों में सूबे के कई इलाकों खासकर विदर्भ में सूखे के हालात ने कई किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया है।
कैसे होती है क्लाउड सीडिंग से बारिश?
क्लाउड सीडिंग बारिश कराने का कृत्रिम तरीका होता है। इसके तहत ड्राई आइस जैसे पदार्थों को प्लेन के जरिए बादलों के बीच बिखेरा जाता है। बर्फ जैसे ठंडे पदार्थ के संपर्क में आने से हवा में मिला जलवाष्प (पानी से बना भाप) संघनित (condense) होता है और तब जलवाष्प पानी की बूंदों के रूप में जमीन पर गिरने लगता है। चीन जैसे देश में इस तरह से बारिश कराई जाती रही है।
सूखे का अनुमान
मॉनसून से उम्मीद लगाए बैठे लोगों के लिए बुरी खबर है। केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीक मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने जानकारी दी है कि इस साल 88 फीसदी बारिश होगी। पहले मौसम विभाग ने 93 फीसदी बारिश होने का अनुमान जताया था। इसका मतलब है कि लगातार दूसरे साल इस बार भी सूखा पड़ेगा।
अभी से मिलने लगे हैं कम बारिश के संकेत
इस साल कम बारिश के संकेत अभी से मिलने लगे हैं। मॉनसून के केरल पहुंचने में पहले ही देर हो चुकी है। अब कहा जा रहा है कि चार या पांच जून तक मॉनसून केरल पहुंचेगा। मौसम विभाग ने पहले कहा था कि 30 मई तक मॉनसून देश के दक्षिण-पश्चिमी समुद्री तट को पार कर जाएगा।
कैसे तय होती है मानसून की श्रेणी?
बारिश
मानसून
90% से कम
सूखे की स्थिति
90 से 96%
सामान्य से कम
96 से 104%
सामान्य
104 से 110%
सामान्य से ज्यादा
110% से ज्यादा
काफी ज्यादा
* इस बार बारिश 88% होने की उम्मीद है।
किन इलाकों पर पड़ेगा ज्यादा असर?
केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन के मुताबिक, देश के उत्तर-पश्चिम इलाके जैसे दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कम बारिश का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
क्यों होगी कम बारिश?
मौसम विभाग पहले ही संकेत दे चुका है कि इस साल कम बारिश की वजह अल नीनो ही होगा। अल-नीनो एक ऐसी मौसमी परिस्थिति है जिसमें तापमान बढ़ने के कारण समुद्र का सतही पानी सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाता है। ऐसे में गर्म पानी ऊपर ही रह जाता है। समुद्र के नीचे का ठंडा पानी ऊपर आने की प्रकिया रुक जाती है। इससे मौसम चक्र बदल जाता है। असर उन इलाकों पर पड़ता है, जहां अच्छी बारिश होती है। देश में 2009 में भी अल-नीनो का असर था। इस वजह से 40 साल का सबसे बड़ा सूखा पड़ा था। पिछले 65 बरसों में 16 वर्ष अल नीनो की वजह से कम बारिश हुई है।

शाबान के रोज़े और शबे बरात की वास्तविकता


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shabanअभी हम शाबान के महीना से गुज़र रहे हैं जो हिजरी कलेण्डर के अनुसार आठवां महीना है, यह महीना रमजान की भूमिका है इसके बाद रमजान का महीना आता है तो अति उचित था कि इस महीने में रोज़ा जैसी इबादत का आयोजन हो।
शाबान में रोज़े का महत्वः
अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्ल. हमारे लिए रोल मॉडल हैं, आप का तरीक़ा यह था कि आप इस महीने में अधिक से अधिक रोज़ा रखते थे. सही बुखारी में हज़रत आईशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है, उन्होंने कहा:
كان رسول الله صلى الله عليه وسلم يصوم حتى نقول لا يفطر، ويفطر حتى نقول لا يصوم وما رأيت رسول الله صلى عليه وسلم استكمل صيام شهر قط إلا رمضان، وما رأيته في شهر أكثر منه صياما في شعبان . البخاري (1969)، ومسلم (1156
“अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्ल. रोज़ा रखते चले जाते यहां तक कि हम समझते कि आप रोज़ा रखना न छोड़ेंगे और आप रोज़ा छोड़ते चले जाते यहां तक कि हम समझते कि आप रोज़ा नहीं रखेंगे मैं ने आप सल्ल. को नहीं देखा कि रमजान के सिवा किसी महीने का पूरा रोज़ा रखा हो, और मैं ने उन्हें शाबान से अधिक किसी अन्य महीने का रोज़ा रखते हुए नहीं देखा।”
मुस्नद अहमद की एक लंबी हदीस में हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु के माध्यम से वर्णित है वह कहते हैं:
وكان أحب الصوم إليه في شعبان رواه الإمام أحمد في المسند
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को शाबान में रोज़ा रखना अधिक पसंदीदा था. हज़रत अनस एक अन्य रिवायत के अनुसार फरमाते हैं: अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जितना शाबान के रोज़े रखने का प्रयास करते इतना अन्य महीनों के रोज़े का प्रयास नहीं करते थे।
मुस्नद अहमद, तिर्मिज़ी और नसाई की एक तीसरी रिवायत आती है जो उम्मुल मुमिनीन हज़रत उम्मे सल्मा रज़ी. से वर्णित है, उन्हों ने कहाः
ما رأيت النبي صلى الله عليه وسلم يصوم شهرين متتابعين إلا شعبان ورمضان رواه احمد والترمذي والنسأئي
“मैं ने नबी सल्ल. को शाबान और रमज़ान के अतिरिक्त किसी अन्य दो महीनों में निरंतर रोज़ा रखते नहीं देखा “
इस हदीस के ज़ाहिर से यह विदित होता है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान के जैसे पूरा शाबान रोज़ा रखा करते थे, और अभी हमने हज़रत आईशा रज़ियल्लाहु अन्हा वाली जो रिवायत बयान की है उस में आया है कि आप शाबान के अधिक दिनों का रोज़ा रखते थे।
इस सम्बन्ध में कुछ उलमा ने एकत्र की यह शक्ल बताई है कि यह समय के भिन्न होने के कारण था अर्थात् कुछ वर्षों में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सारा शाबान ही रोज़ा रखा और कुछ वर्षों में शाबान के अधिक दिनों में रोज़ा रखा।
और कुछ अन्य उलमा का कहना है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान के अतिरिक्त किसी अन्य महीना के रोज़े नहीं रखते थे उन्हों ने हज़रत उम्मे सल्मा रज़ियल्लाहु अन्हा की हदीस का उत्तर दिया है कि इस से अभिप्राय शाबान के अधिक दिन हैं, और जब कोई व्यक्ति किसी महीना में अधिक दिनों के रोज़े रखे तो बरबों की भाषा में यह कहना उचित है कि उसने पूरे महीने के रोज़े रखा, इसी आधार पर हज़रत उम्मे सल्मा रज़ियल्लाहु अन्हा ने फरमाया कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम शाबान के पूरे महीने के रोज़े रखते थे। इसकी अधिक व्याख्या बुखारी और मुस्लिम में हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित हदीस से होती है वह बयान करते हैं: कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रमज़ान के अतिरिक्त किसी भी पूरे महीने का रोज़ा नहीं रखा।
तात्पर्य यह कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम शाबान के अक्सर दिनों के रोज़े रखते थे.
शाबान के रोज़ों की हिकमतः
सवाल यह है कि शाबान के रोज़े का आप इतना जो एहतमाम करते थे इसका मुख्य कारण क्या था …? इस विषय को भी अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने स्पष्ट कर दिया है:
इमाम नसाई और अबू दाऊद हज़रत ओसामा बिन ज़ैद रज़ी. के माध्यम से वर्णन करते हैं कि मैंने कहा:
لم أرك تصوم من الشهر ما تصوم من شعبان قال: ذاك شهر يغفل الناس عنه بين رجب ورمضان، وهو شهر ترفع فيه الأعمال إلى رب العالمين عز وجل فأحب أن يرفع عملي وأنا صائم. رواه الإمام أحمد (21753)، والنسائي 2357
“ऐ अल्लाह के रसूल! मैं आपको नहीं देखता कि आप किसी भी महीने में इतना रोज़ा रखते हों जितना आप शाबान में रखते हैं? नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फरमाया: “यह रजब और रमज़ान के बीच वह महीना है जिस से लोग ग़फ़लत में पड़े हुए हैं, यह वह महीना है जिस में अल्लाह के पास बन्दों के अमल पेश किए जाते हैं, इसलिए मैं इस बात को पसंद करता हूँ कि जब मेरा अमल अल्लाह के पास पेश किया जाए तो मैं रोज़े से हूँ।”
इस हदीस से पता चला कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम शाबान के अधिकतम दिनों का जो रोज़ा रखते थे इसमें दो हिकमतें थीः
पहली हिकमत यह कि इस महीने में लोग ग़फ़लत के शिकार होते हैं, और यह स्पष्ट है कि जिस समय लोग गफ़लत मैं हों उस समय इबादत के पुण्य में वृधि कर दी जाती है. इसी लिए तहज्जुद की नमाज़ का महत्व है कि उस समय लोग ला-परवाही में होते हैं .गफ़लत के समय किसी काम का करना तबीयत पर शख्त गज़रता है, क्योंकि किसी काम के करने वाले अगर अधिक मात्रा में हों तो उनकी अदाएगी आसान हो जाती है जबकि अगर काम के करने वाले कम मात्रा में हों तो उनकी अदाएगी में परेशानी होती है. इसलिए पुण्य भी इसी के अनुपात से रखा गया. इस महीने में ला-परवाही की वजह यह होती है कि कुछ लोग रजब के महीने में रजब के मह्तव के नाम पर बिदात व खुराफ़ात में लग जाते हैं, और जब शाबान आता है तो सुस्त पड़ जाते हैं.
दूसरी हिकमत यह है कि इस महीने में बन्दों के काम अल्लाह के पास पेश किए जाते हैं और अल्लाह की आज्ञाकारी प्राप्त करने और अमल की स्वीकृति के लिए रोज़ा बहुत महत्व रखता है।
यही कारण है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस महीने में अधिक से अधिक रोज़ा रखते और लोगों की ग़फ़लत से लाभ उठाते थे, हालांकि आप वह हैं जिस के अगले पिछले प्रत्येक पाप क्षमा कर दिये गये थे, तो फिर हमें इस महीने में रोज़ों का कितना एहतमाम करना चाहिए इसकी कल्पना हम और आप आसानी से कर सकते हैं। बल्कि इन दिनों में रोज़े रखने के साथ साथ सदक़ा दान और क़ुरआन करीम की तिलावत में भी आगे आगे रहना चाहिए, जब शाबान का महीना आता तो हबीब बिन अबी साबित रहि. कहते थेः “यह क़ारियों का महीना है।” और अमर बिन क़ैस अल-मुल्लाई रहि. अपनी दुकान बंद कर देते और क़ुरआन करीम की तिलावत के लिए स्वयं को फ़ारिग़ कर लेते थे।
शाबान के रोज़े रमज़ान के लिए ट्रैनिंग और अभ्यास की हैसियत भी रखते हैं ताकि रमज़ान के कुछ दिनों पहले रोज़े का अनुभव कर लेने से उसकी अदायेगी में किसी प्रकार की परेशानी न आये और पूरी ताक़त और दिलजमई के साथ रमज़ान के रोज़े रख सकें।
शबे बरात की वास्तविकताः
15 शाबान की रात को शबे-बरात कहते हैं। इस रात के सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार की हदीसें बयान की जाती हैं जिनका उद्देश्य इस रात का महत्व बयान करना होता है। इस रात के प्रति अल्लाह के रसूल सल्ल. का यह आदेश सही सनद के साथ आया हैः
إن الله ليطلع في ليلة النصف من شعبان فيغفر لجميع خلقه إلا لمشرك أو منافق. روى الطبراني وابن ماجة والبيهقي وصححه الألباني في السلسلة الصحيحة 1144
“अल्लाह तआला शाबान की 15वीं रात को अपनी पूरी सृष्टि की ओर (दया की दृष्टि से) देखता है फिर मुश्रिक और झगड़ालू के अतिरिक्त शेष सभी सृष्टि के पापों को क्षमा कर देता है।“ (अल-तबरानी, इब्ने हिब्बान, बैहक़ी)
इस हदीस को बयान करने के बाद अल्लामा अल-बानी रहि. लिखते हैं : “ सारांश यह है कि यह हदीस प्रत्येक सनदों के साथ निःसंदेह सही है।“ (सिलसिला सहीहाः अलबानीः1144)
यही हदीस शाबान की 15वीं रात की श्रेष्ठता के सम्बन्ध में सही सनद के साथ बयान की जाती है इस के अतिरिक्त जितनी हदीसें साधारण रूप में बयान की जाती हैं वह सभी बिल्कुल कमज़ोर बल्कि बनावटी हैं। जैसेः
(1) शाबान मेरा महीना है और रमज़ान अल्लाह का। अलबनी ने इसे मौज़ूअ अर्थात् बनावटी सिद्ध किया है (ज़ईफ़ अल-जामि लिल-अल-बानी 3402)
(2) निःसंदेह अल्लाह शाबान की 15वीं रात को आसमाने दुनिया पर आता है और फिर इतने लोगों के पापों को क्षमा करता है जितने बनू कल्ब की बकरियों के बात हैं। (तिर्मिज़ी 739, इस हदीस को भी अल-बानी ने ज़ईफ़ ठहराया है)
(3) उसी प्रकार इस रात में नमाज़ें पढ़ने के सम्बन्ध में जो रिवायतें आई हैं वह सब बनावटी हैं, जैसे हज़ारी नमाज, सलातुर्रग़ाइब आदि। (अल-मौजूआत 2/440-443)
शबे-बरात में क्या किया जाए ?
शबे-बरात के सम्बन्ध में जो सही रिवायत आई है उस में इतना है कि अल्लाह मुश्रिक और झगड़ालू के अतिरिक्त सब के पापों को क्षमा कर देता है, इसमें कीसी प्रकार की इबादत का वर्णन नहीं है इस लिए इस रात की सार्वजनिक क्षमा का अधिकारी बनने के लिए आवश्यकता इस बात की है कि इनसान अपनी आस्था ठीक रखे, अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य से न मांगे। अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य पर विश्वास न रखे। इसके साथ साथ मुसलमानों के सम्बन्ध में अपना हृदय शुद्ध रखे और किसी से जलन और ईर्ष्या आदि न रखे।
शबे-बरात जब क्षमा की रात है। तो उस में इबादत क्यों न की जाएः
यदि कोई पूछे कि शबे बरात जब इबादत की रात है तो उसमें इबादत क्यों न की जाए तो इस का उत्तर यह है कि हमने जो कलमा पढ़ा है वह है :
لا اله الا الله محمد رسول الله
अल्लाह के अतिरिक्त कोई इबदत के योग्य नहीं और मुहम्मद सल्ल. अल्लाह के रसूल हैं। अर्थात् हम अल्लाह की इबादत अपने मन से नहीं अपितु मुहम्मद सल्ल. के बताए हुए तरीक़ के अनुसार करेंगे। इस लिए हमें देखना होगा कि आपने कौन से अवसर पर कौन सी इबादत की है ताकि हम उनको स्वयं के लिए आदर्श बना सकें। अहादीस और सीरत की पुस्तकों के अध्ययन से पता चलता है कि इस रात में अल्लाह के रसूल और आपको सहाबा से कोई अमल करना साबित नहीं है। और किसी रात की श्रेष्ठा सिद्ध होने से कोई ज़रूरी नहीं कि उस रात में इबादत भी की जाए…उदाहरण स्वरुप अल्लाह के रसूल ने शुक्रवार के दिन और रात का बहुत महत्व बयान फरमाया लेकिन उसके बावजूद यह आदेश दिया कि :
لا تخصوا ليلة الجمعة بقيام من بين الليالي، ولا تخصوا يوم الجمعة بصيام من بين الأيام، إلا أن يكون في صوم يصومه أحدكم . رواه مسلم
रातों में से मात्र शुक्रवार की रात को क़याम के लिए और दिनों में से मात्र शुक्रवार के दिन को रोज़ा कि लिए विषेश न करो, हां यदि शुक्रवाद का दिन उन दिनों में आ जाए जिन में तुम में से कोई व्यक्ति रोज़ा रखने का आदी हो तो उसका रोज़ा रखने में कोई हर्ज नहीं है।
क्या शाबान की 15वीं रात फ़ैसले की रात है?
कुछ लोग शाबान की 15वीं रात को फैसले की रात सिद्ध करने के लिए अल्लाह के इस आदेश को प्रमाण के रूप में पेश करते हैं “ निःसंदेह हमने इसे बरकत वाली रात में उतारा है, निःसंदेह हम डराने वाले हैं, इस रात में हर दृढ़ काम का फैसला किया जाता है। (सूरः अल-दुख़ान 3-4)
हालांकि इस आयत में बरकत वाली रात से अभिप्राय लैलतुल क़द्र है, जिसमें क़ुरआन उतरा है, अतः क़ुरआन ही से हमें इसका उत्तर मिल जाता हैः अल्लाह ने फरमायाः “वह
रमज़ान का महीना है जिसमें क़ुरआन को उतारा गया।“ (सूरः अल-बक़रः185 )
दूसरे स्थान पर अल्लाह ने लैलतुल कद्र के सम्बन्ध में फरमाया“ नि:संदेह हमने इसे तैलतुल क़द्र में उतारा है।“ (सूरः अल-क़द्र 1) और लैलतुल कद्र शाबना में नहीं अपितु रमजान के अन्तिम दस दिनों की विषम रातों में आती है। और इसी में इनसान के जीवन, मृत्यु, रिज्क़ आदि का फैसला किया जाता है। ज्ञात यह हुआ कि 15वीं शाबान की रात को फैसलों की रात सिद्ध करना बिल्कुल ग़लत है और इसकी कोई हैसियत नहीं।
15 शाबान के बाद रोज़े रखने का हुक्मः
अल्लाह के रसूल सल्ल. रमज़ान के आगमण से एक दो दिन पूर्व रोज़ा रखने से मना किया है, बुखारी और मुस्लिम की रिवात है अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फरमायाः
لا تقدموا رمضان بصوم يوم ولا يومين إلا رجل كان يصوم صوماً فليصمه . رواه البخاري و مسلم
“रमज़ान के एक दो दिन पहले से रोज़ा मत रखो, हां जो कोई (आदत के अनुसार) पहले से रोज़ा रखता आ रहा है तो इसमें कोई हरज की बात नहीं। “
इस लिए एक आदमी 15 शाबान के बाद भी रोज़ा रख सकता है परन्तु उसे चाहिए कि रमज़ान के आगमण से दो दिन पहले रोज़ा रखना बंद कर दे, रही वह हदीस कि जब 15 शाबान गुज़र जाए तो रोज़े मत रखो ( अबूदाऊद, तिर्मिज़ी ) तो यह रिवायत वास्तव मैं ज़ईफ और कमज़ोर है। इमाम अहमद रही. ने कहा कि यह रिवायत शाज़ है क्यों कि यह हज़रत अबू हुरैरा रजी. की रिवायत के विरोद्ध है जिस में आया है कि रमज़ान के एक दो दिन पहले से रोज़ा मत रखो। और यदि हम रिवायत को सही भी मान लें तो इतना कहा जा सकता है कि 15 शाबान के बाद रोज़े रखना मकरूह होगा हराम नहीं।
अन्त में अल्लाह से दुआ है कि वह हम सब को शाबान में अपने नबी मुहम्मद सल्ल. के आदेशानुसार जीवन बिताने की तौफीक़ दे और हर उस काम से बजाए जो अल्लाह के रसूल सल्ल. से प्रमाणित नहीं है।

महिला को पेड़ से बांधकर पीटा, खुले चबूतरे पर किया गैंगरेप, तमाशा देखता रहा गांव

सभी आरोपी।
सभी आरोपी।
शिवपुरी(ग्वालियर). शहर के पास एक गांव में गैंगरेप पीड़ित आदिवासी महिला पर दबंगों ने दो दिन तक दुष्कर्म और अमानवीय अत्याचार किए। अपने बच्चों व अंधे सास-ससुर के साथ अकेली रहने वाली इस महिला को दबंग पहले तो उसे झोंपड़ी से बाल पकडकर खींचते हुए गांव के बीच ले गए। यहां उन्होंने उसे पहले पेड़ से बांधकर पीटा फिर भरी दोपहरी में खुले चबूतरे पर बांधकर बारी-बारी से गैंगरेप किया।
दबंगों के जुल्म का सिलसिला शुक्रवार से रविवार तीन दिन अनवरत चलता रहा। लेकिन 70 घरों की इस बस्ती में किसी भी शख्स ने न तो आरोपियों का विरोध किया न समय रहते पुलिस को घटना की जानकारी दी। आरोपी हर रोज महिला को झोंपड़ी से खीचकर गांव के बीच लाते और जुल्म की दास्तां को दोहराकर उसे घर के बाहर फेंक देते। तीसरे दिन महिला खुद हिम्मत जुटाकर जंगल के रास्ते भागते हुए गोवर्धन थाने पहुंची तब मामला उजागर हुआ। जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर ग्राम पंचायत ठेवला के मजरा कैमरारा में न इन दिनों अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है। मंगलवार की सुबह बस्ती के चबूतरे पर कई आदिवासी पुरुष बैठे थे, लेकिन कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था।
गांव में महिला के साथ तीन दिन तक गैंगरेप के साथ अमानवीय जुल्म हुए लेकिन मामले की गंभीरता को दबाने के लिए एसडीओपी रामराज सिंह तोमर ने पूरे मामले को कुपोषण की तरफ मोड़ दिया। एसडीओपी का दावा था कि गांव में 50 बच्चे कुपोषित हैं जबकि गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रामदई यादव ने बताया कि अप्रैल में तीन वर्षीय चाना पुत्री संतम आदिवासी की मौत हुई थी, वो कमजोर नहीं थी और न कुपोषित थी, बल्कि बुखार आने पर मौत हुई थी। इसके अलावा बस्ती में किसी की मौत नहीं हुई।
रामकटोरी ने पीड़िता को बताया था ‘डायन’
गैंगरेप पीड़िता की जेठानी ने बताया कि जुल्म से एक दिन पहले बस्ती में रहने वाली अशोक की पत्नी रामकटोरी दौड़ती हुई मेरी देवरानी की झोंपड़ी में गिर गई। वो बोली कि मैं माता हूं और इसमें रहने वाली डायन है, ये सबको मार देगी, सबको खा जाएगी। इसके बाद से ही मेरी देवरानी पर अत्याचार शुरू हो गए। हमारे घर में मर्द नहीं है। गांव के दबंगों के आतंक से हम बुरी तरह डर गए। अगर वे हमारे साथ भी ऐसा ही करते तो हम क्या कर लेते।
आरोपियों का हुआ डीएनए गोवर्धन थाना पुलिस मंगलवार को सभी छह आरोपियों को लेकर जिला अस्पताल आई। जहां उन सभी का डीएनए टेस्ट कराया गया। यह टेस्ट इसलिए कराया गया, ताकि जांच में मदद मिल सके।
ज्यादती में गांव की दो महिलाएं भी शामिल
पीड़िता की बेटी व उसकी जेठानी ने बताया कि रामकटोरी पर इससे पहले कभी भी कोई माता नहीं आईं। वहीं मामले में आरोपी बने जनवेद की पत्नी, बैराड़ में रहकर गलत काम करती है। वो भी उस समय बस्ती में आई थी। इन दोनों महिलाओं ने ही पीड़िता को डायन प्रचारित किया था। जब उस पर अत्याचार होता था तो ये महिलाएं वहां मौजूद रहती थीं।
अब भी बस्ती वाले चुप
बस्ती में 70 परिवार रह रहे हैं, लेकिन पीड़ित परिवार की महिलाओं के अलावा कोई दूसरा कुछ भी कहने को तैयार नहीं। चबूतरे के पास रहने वाले एक महिला-पुरुष से जब पूछा तो वे बोले कि हम तो काम करने बाहर गए थे, रात में ही लौटकर आए। चबूतरे पर बैठे युवकों और बच्चों ने भी चुप्पी साध रखी थी।
जल्द से जल्द पूरी होगी इन्वेस्टिगेशन

आरोपियों का कराया गया डीएनए टेस्ट इन्वेस्टिगेशन का एक पार्ट है। हम बहुत जल्दी इस मामले में सभी जरूरी कार्रवाई पूरी करके चालान पेश करेंगे। काफी कुछ बातें अभी इसमें हैं, जो इन्वेस्टिगेशन के दौरान सामने आएंगी। इस मामले में कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून अपना काम पूरी मुस्तैदी से करेगा। यूसुफ कुर्रेशी, एसपी शिवपुरी

हम कल कृष्ण जन्म भूमि के द्वार मथुरा यात्रा पर थे

दोस्तों हम कल कृष्ण जन्म भूमि के द्वार मथुरा यात्रा पर थे ,,बहाना बिटिया की एम्स प्री मेडिकल टेस्ट का था ,,वहां कोटा कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉक्टर प्रताप सिंह भी मौजूद थे ,,गोपाल एडवोकेट भी अपनी बिटिया के साथ थे ,,,हमने पहले ही मथुरा के सभी दर्शनीय स्थलों को तलाशने ओर खंगालने की तैयारी कर ली थी ,,मथुरा में उद्योगपतियों की पांच सितारा धर्मशालाएं चर्चा का विषय थी जहाँ अस्सी जी की धारा में टैक्स की छूट लेकर इन्हे बनाया गया है ट्रस्ट के ज़रिये इनका रखरखाव है लेकिन गरीबों और मध्य्मवर्गीयों के लिए यहां नो एन्ट्री है ,,कुछ मंदिर है जो है तो भगवान के लेकिन उनकी पहचान उद्योगपतियों के नाम से है जिसमे बिरला मंदिर के नाम की ज़्यादा चर्चा है ,,बात सही है जयपुर हो मथुरा हो या फिर कहीं भी हो उद्योगपति बिरला ने मंदिर तो भगवान की मूर्ति स्थापित कर बनवाया है लेकिन वहां मंदिर की प्रसिद्धि भगवान के नाम से नहीं बिरला जी के नाम से है देश में मथुरा ,,वृन्दावन ,,जयपुर या फिर कहीं भी श्रद्धालु मंदिर का नाम भगवान के नाम की जगह उद्योगपति के नाम से रखकर उसकी पहचान बताकर कैसे बर्दाश्त करते है समझ में नहीं आता ,,भगवान उद्योगपतियों का मोहताज नहीं ,,उद्योगपति भगवान से बढ़कर नहीं फिर भी यह घोर अपमान इस देश में उद्योगपतियों के टैक्स बचाओ अभियान के तहत काले धन को सफेद करने के नाम पर हो रहा है ,,,खेर पुजारी से सवाल किया के मंदिर की पहचान बिरला जी के नाम से क्यों भगवान के नाम से क्यों नहीं है ,,पुजारी जी खामोश उनका जवाब था साहब यह तो मंदिर प्रबंधन समिति वाले जाने में क्या बताऊँ ,,,हम आगे कृष्ण जन्मभूमि और मस्ज्दि स्थल की तरफ गए ,,,,ताज्जुब हुआ वहां भगवान का मंदिर कड़ी सुरक्षा के घेरे में था मोबाइल कैमरा सभी नो एन्ट्री ,बाहर कूपन देकर अपने किराए पर सामान जमा कराने की व्यवस्था थी ,,मुख्य द्वार पर पुलिस का कडा पहरा ,,,पुरे बदन और जेबों की मेटल डिटेक्टर और फिर हाथों से तलाशी ,,कुत्ते अलबत्ता बिना तलाशी के प्रवेश कर रहे थे लेकिन इंसानो को बिना तलाशी प्रवेश नहीं था ,,,अंदर जूते चप्पल रखवाने का मुफ्त इंतिज़ाम ,,सभी नंगे पैर लेकिन पुलिस के जवान आधुनिक हथियारों के साथ जूतों के साथ मंदिर परिसर में मुस्तैद ,,कुछ उंघः रहे थे तो कुछ मोबाइल पर बतिया रहे थे ,,,,कृष्ण जन्मभूमि को सजाया संवारा गया पास की मस्जिद जो अलग थलग है उसकी बाउडंरी मज़बूत किलेबंदी के साथ हो रही थी मस्ज्दि के मीनारों के साथ भगवान कृष्ण की जन्मस्थली का यूँ तो ऐतिहासिक क़ौमी एकता के संगम का खूबसूरत नज़ारा है लेकिन हमारे देश में सुकून छीनने वालों की शरारत के सभी शिकार है ,,उन्हें विश्व भर में देश की यह अनोखी क़ौमी की एकता के संगम की पहचान मंज़ूर नहीं बस इसीलिए भगवान को अल्लाह के घर को शरारती तत्वों के डर से कड़ी सुरक्षा के घेरे में रखना पढ़ रहा है ,,अंदर एक खूबसूरत गुफा जहां टिकिट के साथ प्रवेश है ,,मंदिर के द्वार भगतों की सहूलियत से नहीं खुलते ,,मंदिर समिति के प्रबंधकों की मर्ज़ी से बनाये गए नियम से खोलने का टाइम तय किया हुआ ,,कई भक्त जो मंदिर में प्रवेश कर भगवान के दर्शन करना चाहते है वोह उनकी ट्रेन का वक़्त होने की वजह से भगवान के दर्शन का समय तय किये जाने के कारण वंचित रह जाते है ,,मथुरा में हमारे सोशल मिडिया दोस्त भाई नरेदंर एम चतुर्वेदी पत्रकार साहब की धूम थी हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर भाई नरेंद्र जी ने देश के सभी प्रमुख पत्रकार ,,देश के सोशल मिडिया एक्टिविस्टों को इकठ्ठा कर एक सेमिनार रखी थी ,,सेमिनार कामयाब थी ,रचनात्मक बिंदु खंगाले गए ,,,,,अखबारों में खबर तो कम थी लेकिन सोशल मिडिया में छाये हुए थे भाई नरेदंर एम चतुर्वेदी ,,भाई नरेंद्र ने होटल में पहले से ही कमरे का इंतिज़ाम करा था ,,,समय की व्यस्तता के कारण और ट्रेन के छूट जाने के डर से भाई नरेदंर से टेलीफोनिक तो बात चीत हुई लेकिन उनसे रूबरू मुलाक़ात नहीं होने का सदमा रहा ,,उनकी मुलाक़ात उधार रही ,,तो दोस्तों श्री कृष्ण जन्म भूमि की लीला नगरी के तेवर ही कुछ तीखे तीखे से है वहां का पानी मीठा ,,,लोग मीठे ,,,,खाने में ताज़गी और स्वादिष्टता लेकिन भगवान और अल्लाह का विवाद कुछ अजीब सा है जिसने दुनिया को बनाने वाले अल्लाह भगवान को पुलिस के घेरे में ,,आधुनिक हथियारों के साये में क़ैद करने पर मजबूर किया इंसान को भक्तों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के तहत तलाशी के दौर से गुजरना ,,,, भक्तों को दर्शन के लिए मन मर्ज़ी दर्शन का वक़्त मुक़र्रर होने से घंटो इन्तिज़ार करना मुझे तो अजीब लगा लेकिन भक्त तो भक्त है वोह हर तरह से इसे स्वीकार करते है ,,दर्शन का इन्तिज़ार करते है ,,,,,,,,,,,,,कहते है हर मसलेहत का भेद खुदा,, अल्लाह ,,,भगवान,, जो लगभग एक ही हैं ,,,जानता है ,,पता नहीं इस तरह के निज़ाम में जहाँ मंदिर भगवान के नाम के स्थान पर उद्योगपति के नाम से पहचाने जाते हो ,,भगवान जो पूरी दुनिया के रक्षक है वोह खुद उनके भक्तो और पुलिस की सुरक्षा के घेरे में रहते हो ,,अल्लाह जो खुद दुनिया का मालिक है उसका घर पुलिस के घेरे में हो इसके पीछे अल्लाह भगवान की क्या मसलेहत क्या मर्ज़ी है क्या राज़ इसमें छुपा है यह तो वही बेहतर जानता है ,,लेकिन बस में तो एक बात समझा अल्लाह ,,भगवान एक है उनकी भक्ति का तरीका पूजा का तरीका अलग हो सकता है और यह अदृश्य शक्ति सिर्फ और सिर्फ एकता ,प्यार ,,विनम्रता ,,,,,भाईचारा ,,सद्भावना चाहते है और इसीलिए जहाँ जिस कृष्णजन्मस्थलि पर उन्हें क़ैद करके रखा था आज भी वोह पुलिस सुरक्षा में क़ैद है शायद एक संदेश हो के अब तो सुधर जाओ यूँ ही बेवजह झगड़ने वालों ,,,,एक हो जाओ देश के खातिर ,,अल्लाह भगवान के खातिर जो तुम्हारे खातिर ,,तुम्हारे लिए खुद को ज़ंजीरों से मुक्त होकर भी दुनिया का पालन हार होकर भी पुलिस के संगीन पहरे में क़ैद किये हुए है ,,सिर्फ आपके एक संदेश भाईचारा सद्भावना के खातिर और आप हम यह इशारा समझकर भी एक नहीं हो रहे है ,,नफरत के खेल में लगे है सो प्लीज़ मान जाइये कुछ गलतिया हमारी है ,,कुछ गलतिया तुम्हारी है आओ मिले बैठे इन्हे सुधारे एक दूसरे से गले लगे ,,गले मिले ,,इस देश की संस्कृति ,,इस देश की ताक़त को विश्व पर राज करने वाली बनाये ,,मज़बूत बनाये हम एक और नेक बने मिली जुली संस्कृति तुम्हारा धर्म तुम्हे मुबारक ,,मेरा धर्म मुझे मुबारक लेकिन सभी धर्मो की एक सीख अमन ,,चेन ,,सुकून ,,भाईचारा ,,सद्भावना ,,राष्ट्रभक्ति के इस पैगाम को मिलजुलकर आगे बढ़ाये ,,,मेरे इस हिन्दुस्तान को मेरे इस भारत को फिर से महान बनाये ,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मिल्कियत मेरी भी बन जाती

मिल्कियत मेरी भी बन जाती . .. औरों की तरह,
युँ लूटकर अपनों को, हमें कमाना नही आता ,
दोस्तो, जैसा दिखता हूँ . . सच मे वैसा हूँ दिल से,
यूँ चेहरे पे चेहरा लगाना हमे नही आता

आयकर अधिनियम

आयकर अधिनियम की धारा 269ss व 269t में दिनाक 1जून 15 से यह संसोधन किया गया है कि जो व्यक्ति प्रापर्टी वेचने पर 20000/-रूपया या अधिक की रकम प्रप्त कर रहा है वह इस राशि को केवल तीन साधनों द्वारा ही ले सकेगा
1 एकाउंट पेई चेक
2 एकाउंट पेई ड्राफ्ट
3 ईसीएस
प्रापर्टी चाहे सौदा करते समय एडवांस के रूप में प्राप्त की जा रही हो या रजिस्ट्री के समय फाइनल भुगतान के रूप में प्राप्त की जा रही हो दोनों मामलो में यह प्राविधान लागू होंगे
वशर्ते यह रकम 20000 से अधिक हो
आयकर अधिनियम की धारा 271d कहती है की अगर 269ss की पालना नहीं की गई तो जितनी रकम नगद स्वरुप ली गई हो उतनी राशि पर पेनाल्टी लग जाएगी इस प्रकार प्रापर्टी के वेचने पर प्राप्त रकम 1जून15 के बाद नकद प्राप्त की जाती है तो आयकर कानून में इस रकम पर नकद राशि के बराबर पेनाल्टी लग जाएगी

बिहार में भी अमिताभ, माधुरी, प्रिटी पर FIR, कोर्ट ने कहा- जरूरी हो तो करें गिरफ्तार dainikbhaskar.com Jun 02, 2015, 18:21 PM IST Print Decrease Font Increase Font Email Google Plus Twitter Facebook COMMENTS 1 of 15 Next फाइल फोटो: अमिताभ, माधुरी और प्रिटी फाइल फोटो: अमिताभ, माधुरी और प्रिटी नई दिल्ली. मैगी मामले में बिहार के मुजफ्फपुर कोर्ट ने अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, प्रिटी जिंटा और नेस्ले कंपनी के अधिकारी (कंपनी के एमडी मोहन गुप्ता और ज्वाइंट डायरेक्टर सबाब आलम) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।सोमवार को एक वकील ने मैगी में घातक रासायनिक पदार्थ मिलने के मामले को लेकर सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी थी। इसमें मांग की गई थी अमिताभ, माधुरी और प्रिटी के खिलाफ IPC की धारा 270, 272, 273,275, 276 और 420 के तहत केस दर्ज किए जाने का आदेश दिया जाए। मंगलवार को एसीेजेएम रामचंद्र प्रसाद ने एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दे दिए। ये एफआईआर मुजफ्फरपुर के काजी मोहम्मदपुर थाने में दर्ज की जाएगी। एसीजेएम ने कहा कि इन सेलिब्रिटीज और नेस्ले कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर कर जांच शुरू की जाए। साथ ही कहा कि जांच के लिए जरूरत पड़े तो इन्हें गिरफ्तार भी किया जाए। यह एफआईआर हाल में यूपी में मैगी के सैंपल टेस्‍ट में फेल हो जाने के बाद दर्ज कराई गई है। टेस्‍ट में मैगी में खतरनाक स्‍तर तक लेड और एमएसजी की मात्रा पाई गई थी। अमिताभ, प्रिटी और माधुरी मैगी का प्रचार करते रहे हैं। उधर, अमिताभ बच्चन ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए इंटरव्यू में इस मामले पर कहा, "मैंने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले से पूछा था कि क्या इसके पूरी तरह से हेल्दी और सही होने का कंपनी को भरोसा है?... मैंने मैगी का ऐड साइन करने से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट में एक प्रावधान जोड़ा था, जिसमें मैंने कहा कि अगर कानूनी तौर पर मुझे इस ऐड से कुछ होता है, तो आप लोग मुझे बचाएंगे। फिलहाल, मैगी के साथ मेरा कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है और अब मैं मैगी के लिए ऐड नहीं कर रहा हूं। मैं बेगुनाह हूं।" सोमवार को टेलीकास्‍ट हुए इंटरव्‍यू में अमिताभ ने कहा, "मैं एक सेलिब्रिटी हूं। इसके चलते मेरा नाम विवादों में घसीटा जाता है। ऐसा न हो, इसलिए मैं खाने-पीने के सामान का ऐड करने से पहले उन्हें खुद देखता और परखता हूं। खास तौर से उन चीजों में जो हमेशा विवाद में रहती हैं।" मैगी का ऐड करने को लेकर अमिताभ, माधुरी और प्रिटी के खिलाफ शनिवार को यूपी के बाराबंकी कोर्ट में भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। माधुरी से पहले अमिताभ मैगी का ऐड करते थे। 2013 में हरिद्वार फूड डिपार्टमेंट से नोटिस मिलने के बाद बिग बी ने मैगी का ऐड छोड़ दिया था।

फाइल फोटो: अमिताभ, माधुरी और प्रिटी
फाइल फोटो: अमिताभ, माधुरी और प्रिटी
नई दिल्ली. मैगी मामले में बिहार के मुजफ्फपुर कोर्ट ने अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, प्रिटी जिंटा और नेस्ले कंपनी के अधिकारी (कंपनी के एमडी मोहन गुप्ता और ज्वाइंट डायरेक्टर सबाब आलम) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।सोमवार को एक वकील ने मैगी में घातक रासायनिक पदार्थ मिलने के मामले को लेकर सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी थी। इसमें मांग की गई थी अमिताभ, माधुरी और प्रिटी के खिलाफ IPC की धारा 270, 272, 273,275, 276 और 420 के तहत केस दर्ज किए जाने का आदेश दिया जाए। मंगलवार को एसीेजेएम रामचंद्र प्रसाद ने एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दे दिए। ये एफआईआर मुजफ्फरपुर के काजी मोहम्मदपुर थाने में दर्ज की जाएगी।
एसीजेएम ने कहा कि इन सेलिब्रिटीज और नेस्ले कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर कर जांच शुरू की जाए। साथ ही कहा कि जांच के लिए जरूरत पड़े तो इन्हें गिरफ्तार भी किया जाए।
यह एफआईआर हाल में यूपी में मैगी के सैंपल टेस्‍ट में फेल हो जाने के बाद दर्ज कराई गई है। टेस्‍ट में मैगी में खतरनाक स्‍तर तक लेड और एमएसजी की मात्रा पाई गई थी। अमिताभ, प्रिटी और माधुरी मैगी का प्रचार करते रहे हैं।
उधर, अमिताभ बच्चन ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए इंटरव्यू में इस मामले पर कहा, "मैंने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले से पूछा था कि क्या इसके पूरी तरह से हेल्दी और सही होने का कंपनी को भरोसा है?... मैंने मैगी का ऐड साइन करने से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट में एक प्रावधान जोड़ा था, जिसमें मैंने कहा कि अगर कानूनी तौर पर मुझे इस ऐड से कुछ होता है, तो आप लोग मुझे बचाएंगे। फिलहाल, मैगी के साथ मेरा कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है और अब मैं मैगी के लिए ऐड नहीं कर रहा हूं। मैं बेगुनाह हूं।"
सोमवार को टेलीकास्‍ट हुए इंटरव्‍यू में अमिताभ ने कहा, "मैं एक सेलिब्रिटी हूं। इसके चलते मेरा नाम विवादों में घसीटा जाता है। ऐसा न हो, इसलिए मैं खाने-पीने के सामान का ऐड करने से पहले उन्हें खुद देखता और परखता हूं। खास तौर से उन चीजों में जो हमेशा विवाद में रहती हैं।"
मैगी का ऐड करने को लेकर अमिताभ, माधुरी और प्रिटी के खिलाफ शनिवार को यूपी के बाराबंकी कोर्ट में भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। माधुरी से पहले अमिताभ मैगी का ऐड करते थे। 2013 में हरिद्वार फूड डिपार्टमेंट से नोटिस मिलने के बाद बिग बी ने मैगी का ऐड छोड़ दिया था।

घोटाला:आम आदमी पार्टी ने की निगम को चपत लगाने वालों पर सीघ्र कार्यवाही की मांग


ए.सी.बी में आस्थाई सफाई कर्मचारियों के हाजरी वेतन और पीएफ घोटाले की शिकायत
कोटा 1 जून आम आदमी पार्टी नेता पार्षद मोहम्मद हुसैन ने सोमवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्पेसल यूनिट कोटा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरेंद्र कासक को कोटा नगर निगम में 1886 आस्थाई सफाई कर्मचारियों के हाजरी वेतन और पीएफ में हो रहे घोटालों की शिकायत दर्ज कराई है व इसमें लिप्त लोगों पर मुकदमा दर्ज कर सीघ्र कार्यवाही की मांग की है हुसैन ने बताया की कोटा के सभी 65 वार्डों में कार्यरत आस्थाई सफाई कर्मचारियों को 166 रूपये प्रतिदिन के अनुसार महीने में 26 रोज के 4316 रूपये निगम द्वारा नगद भुगतान ठेकेदार को किया जाता है जिसमें प्रतिमाह तीन तरह के लाखों के घोटाले अधिकारी ठेकेदारों और कुछ पार्षदों की मिलीभगत से हो रहे हैं जिसमें 1 नगद भुगतान घोटाला, इन सभी कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए नगर निगम ठेकेदारों को चेक देती है और ठेकेदार इन्हें नगद भुगतान करता है नगद भुगतान के कारण कर्मचारियों को पुरे पैसे नहीं पहुँचते 2 पीएफ घोटाला, जो काटा तो जाता है पर सफाई कर्मचारियों के खाते ही नहीं खोले गए है तो जमा कहाँ होता है, तथा कुछ पीएफ राशी जमा तो हो रही पर किसी और के नाम से 3 कम कर्मचारी घोटाला, कागजों में तो 1886 कर्मचारी काम कर रहे है पर हकीकत यह है की मौके पर आधे कर्मचारी भी काम नहीं करते इसके बावजूद निगम पूरी लेवर का भुगतान ठेकेदारों को करता है इस तरह से आस्थाई सफाई कर्मचारियों का यह घोटाला निगम में बर्षों से हो रहा है जिसकी सही जाँच होने पर करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश होगा इसकी सिकायत हुसैन ने पूर्व में सफाई समिति की अध्यक्ष उप महापौर सुनीता व्यास को तथा तत्कालीन मुख्यकार्यकारी अधिकारी केसी मीणा को भी औगत करा कर कर्मचारियों के नाम पीएफ,व ईएसाई खाते नम्न्बर सहित की लिस्ट निकलवा कर सही गलत की जाँच कर दोषियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी और नए सफाई ठेके में चेक द्वारा भुगतान का सुझाव भी दिया था पर मिली भगत के कारण निगम ने इस मामले में अब तक किसी पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया ना ही इस घोटाले का खुलासा हुआ और न ही नए सफाई ठेके में चेक से भुगतान देने के सुझाव को सामिल किया गया है हुसैन ने निगम पर्शाशन को चेताया की दोषियों को जल्द सजा मिले जिस से निगम के राजस्व को बचाया जा सके तथा आस्थाई सफाई कर्मचारियों को उनका हक़ मिल सके इस मौके पर सुमित विजय, निलेश अग्रवाल,ज़हीर खान,गफार पठान,सहित कई लोग मौजूद रहे

क़ुरआन का सन्देश

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