आरटीआई के तहत मांगी गई
जानकारी के जवाब में एग्जामिनेशन कंट्रोलर ने तोमर की बी.एस.सी. सेकंड ईयर
की मार्कशीट और उनकी डिग्री फर्जी पाए जाने की जानकारी दी थी।
नई दिल्ली. फर्जी डिग्री रखने के आरोप में मंगलवार को गिरफ्तार दिल्ली
के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को कोर्ट ने चार दिन की पुलिस रिमांड
में भेज दिया है। गिरफ्तारी के बाद देर रात उऩ्होंने अपने पद से इस्तीफा
दे दिया। उन्होंने अपने वकील के जरिए मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेजा। दिल्ली
के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि तोमर का इस्तीफा मंजूर कर
लिया गया है।
इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने तोमर को मंगलवार शाम साकेत कोर्ट में पेश
करके पांच दिन की रिमांड मांगी थी। दिल्ली पुलिस को शुक्रवार तक गिरफ्तारी
के आधार से जुड़े दस्तावेज पेश करने होंगे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के
मुताबिक, कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि तोमर को गिरफ्तार करने की ऐसा क्या
जल्दी थी, जब उन्हें मंगलवार को ही अरेस्ट नोटिस दिया गया? कोर्ट के
मुताबिक, पुलिस द्वारा तोमर को गिरफ्तारी के दिन यह नोटिस देना 'हास्यास्पद
कार्रवाई' लगती है।
आप ने केंद्र पर मढ़ा आरोप
उधर, उनकी पार्टी आप का कहना है कि गिरफ्तारी केंद्र के कहने पर हुई
है। लेकिन, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनका मंत्रालय किसी
की गिरफ्तारी का आदेश नहीं देता। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि
गिरफ्तारी नियमों के तहत ही की गई है। आप ने आरोप लगाया है कि पुलिस तोमर
पर सादे कागज पर दस्तखत करने के लिए दबाव बना रही थी। आप नेता आशुतोष ने
कहा कि मुझे जानकारी मिली है कि ऐसा नहीं करने पर तोमर को पुलिस अधिकारियों
द्वारा थप्पड़ मारा गया। तोमर की गिरफ्तारी पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष
सिसोदिया ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि इमरजेंसी जैसे हालात
हो गए हैं और बदला लेने के लिए यह कार्रवाई हुई है ।
मामले पर ताजा अपडेट ये है-
- उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जितेंद्र तोमर का इस्तीफा मंजूर होने की जानकारी दी।
- तोमर ने अपने वीकल के जरिए सीएम केजरीवाल को इस्तीफा भेजा
- तोमर की ओर से कोर्ट में पेश वकील एचएस फुलका ने कहा कि पुलिस इस मामले में बेहद पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है।
- तोमर को चार दिन की पुलिस कस्टडी में भेजे जाने के बाद आप नेता
कुमार विश्वास ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन ऊपरी
अदालत में जाएंगे।
-वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने वित्त मंत्रालय पहुंचे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया।
-दिल्ली यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन किया। इस्तीफे की मांग की।
- दिल्ली सरकार ने एलजी द्वारा तैनात प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम धर्मपाल का किया तबादला।
-एटीएस ऑफिस के सामने धरने पर बैठे आप नेता संजय सिंह और आशुतोष।
- दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने गिरफ्तारी को ठहराया वाजिब। कहा-दिल्ली के राजनीतिक इतिहास का काला दिन।
-गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मामले पर कहा कि गृह मंत्रालय किसी की गिरफ्तारी के आदेश नहीं देता।
- दिल्ली के वसंत विहार इलाके में जितेंद्र तोमर की गिरफ्तारी को लेकर
समर्थकों का प्रदर्शन। आरोप लगाया कि कानून मंत्री को दिल्ली पुलिस ने
अगवा किया।
- एम के मीणा को दिल्ली सरकार ने एसीबी चीफ का कार्यभार संभालने से
रोका। चिट्ठी लिखकर कहा-आपकी जरूरत नहीं। मीणा को सोमवार को एलजी ने एसीबी
प्रमुख बनाया था।
- दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री सौरभ भारद्वाज आप के साथ साजिश रची
जा रही है। कानून मंत्री की गिरफ्तारी के वक्त ड्राइवर को धक्का देकर कार
से फेंक दिया गया।
-बीजेपी नेता किरण बेदी बोलीं-आप इस मामले में गड़बड़ी की बात कहेगी।
लेकिन पुलिस राजनीति में शामिल नहीं है। पुलिस इस मामले में चल रही जांच के
लिए कोर्ट के सामने जवाबदेह है।
-आप नेता कुमार विश्वास ने भी कहा कि कानून मंत्री के साथ पुलिसवालों
ने हाथापाई की। उन्होंने पूछा कि ऐसे ही मामले केंद्रीय कानून मंत्री
रामशंकर कठेरिया और स्मृति ईरानी के खिलाफ भी है, लेकिन मोदी सरकार अपने
मंत्रियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं करती?
- आप से निकाले गए योगेंद्र यादव ने किया ट्वीट, ''मैंने और प्रशांत
भूषण ने चार महीने पहले यह सवाल उठाया था। अगर डिग्रियां सही हैं तो क्यों
नहीं उन्हें सार्वजनिक किया जाता है। गिरफ्तारी बड़ा सवाल नहीं है, सवाल यह
है कि आखिर पार्टी कोर्ट की कार्रवाई के पीछे क्यों छिप रही है।''
दिल्ली पुलिस ने कहा, कानून की प्रक्रिया के तहत गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने मंगलवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि तोमर की
गिरफ्तार कानूनी प्रक्रियाओं के तहत की गई है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया,
''बार काउंसिल से 11 मई को इस बारे में शिकायत मिली थी। 13 को थाने में
मामला दर्ज किया गया। शिकायत में बताया गया कि तोमर की ओर से बार काउंसिल
में जो कागजात सबमिट किए गए, वे फर्जी हैं। तोमर ने अपने कागजातों में
फैजाबाद की यूनिवर्सिटी से बीएससी और भागलपुर की तिलका माझी यूनिवर्सटी से
एलएलबी की जो डिग्री दिखाई है, उनके रोल नंबर से कोई एंट्री नहीं थी। तोमर
की एलएलबी की डिग्री में जो रोल नंबर दिया गया है उसपर तिलका माझी
यूनिवर्सिटी से संजय कुमार चौधरी नाम के व्यक्ति को डिग्री मिली है। दोनों
डिग्री की जांच के लिए 2 टीमें बनाई गई थीं और यह कार्रवाई हमने सुप्रीम
कोर्ट की गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए की थी।''
ऐसे हुई गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस के एक एसीपी मंगलवार सुबह तोमर के दफ्तर कुछ कागजात
जांचने के मकसद से गए। लेकिन कुछ देर बाद वह तोमर को लेकर निकले और उन्हें
पहले हौज खास थाने ले गए और फिर वसंत विहार थाने ले गए। कहा जा रहा है कि
फर्जी डिग्री मामले में केस वसंत विहार थाने में दर्ज है जहां थोड़ी देर की
पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बद आप नेता संजय सिंह
ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया, ''अगर मामला डिग्री से
संबंधित भी है तो क्या केंद्रीय मंत्री समृति ईरानी और रामशंकर कठेरिया को
भी पुलिस बगैर सूचना और नोटिस के थाने लाएगी?''
क्या है मामला?
आरोप
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जितेंद्र सिंह तोमर यूपी की डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी से
साइंस ग्रैजुएट नहीं हैं। उनकी बीएससी की डिग्री फर्जी है। बिहार के मुंगेर
स्थित विश्वनाथ सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडी से तोमर की लॉ की डिग्री
भी सही नहीं है। यह कॉलेज बार काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों पर खरा नहीं
उतरता।
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बिहार की यूनिवर्सिटी
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मामला दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद तिलका मांझी भागलपुर
यूनिवर्सिटी ने हलफनामा दायर किया। कहा- तोमर के प्रोविजनल सर्टिफिकेट
हमारे रिकॉर्ड में नहीं हैं। तोमर ने अपना रोल नंबर 3687 बताया था जो किसी
संजय कुमार चौधरी का है।
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यूपी की यूनिवर्सिटी
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फैजाबाद की अवध यूनिवर्सिटी में एक आरटीआई अर्जी दायर हुई। जवाब में
यूनिवर्सिटी ने कहा कि तोमर की बीएससी सेकंड ईयर की मार्कशीट फर्जी है और
डिग्री अमान्य है।
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बार काउंसिल
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काउंसिल ने 13 मई को दिल्ली पुलिस के डीसीपी को पत्र लिखकर तोमर पर
कार्रवाई करने को कहा। काउंसिल ने कहा- तोमर ने गलत जानकारी दी है।
मार्कशीट के साथ जालसाजी की है। उनकी डिग्री फर्जी है। वे फर्जी प्रोविजनल
एलएलबी सर्टिफिकेट के आधार पर लॉ ग्रैजुएट होने का दावा करते हैं। तोमर का
वकालत करने का लाइसेंस निलंबित किया गया है।
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तोमर के वकील
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तोमर 1994 से 1998 के बीच एलएलबी के स्टूडेंट थे। मुंगेर के लॉ कॉलेज ने खुद यह बात स्वीकार की है। इसलिए आरोप गलत हैं।
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तोमर का बयान
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‘मैं बेकसूर हूं। हाईकोर्ट में यह साबित कर दूंगा कि मेरी डिग्रियां
फर्जी नहीं हैं। मेरे पास पुख्ता सबूत हैं।’ इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट
में अगली सुनवाई 20 अगस्त को है।
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ये लगी हैं तोमर के खिलाफ लगी धाराएं
धारा
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किसलिए
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अधिकतम सजा
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420
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धोखाधड़ी और बेईमानी
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7 साल
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467
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दस्तावेजों में जालसाजी
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10 साल
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468
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इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा
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7 साल
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471
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फर्जी दस्तावेज को मूल दस्तावेज बताना
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7 साल
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120 बी
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साजिश रचना
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धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में अधिकतम 2 साल।
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