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11 जून 2015

ऑनर किलिंग? खेत में मिले चचेरे भाई-बहन के शव, आज ही थी लड़की की शादी

घर से एक किमी दूर मिले चंद्रभान और बड़ी राजा के शव।
घर से एक किमी दूर मिले चंद्रभान और बड़ी राजा के शव।
भोपाल. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक प्रेमी जोड़े की गोली मारकर हत्या कर दी गई। दोनों के शव गांव के पास ही खेत से गुरुवार सुबह बरामद किए गए। लड़की की गुरुवार को शादी थी। मारा गया शख्स अवैध गांजा रखने के आरोप में दो दिन पहले ही जेल से छूटकर आया था।दोनों के बीच चचेरे भाई-बहन का रिश्ता था।
दोनों बुधवार रात 10 बजे से लापता थे
टीकमगढ़ जिले के मोहनगढ़ थाने के तहत आने वाले हनुपुरा गांव में चंद्रभान सिंह (23) और बड़ी राजा (21) बुधवार रात करीब 10 बजे से लापता थे। दोनों के शव घर से करीब एक किमी दूर खेत में पड़े मिले। उनके शरीर पर गोलियों के निशान थे।
एक अन्य लड़के से भी पहले थी लड़की की नजदीकी
सूत्रों के मुताबिक, मारी गई लड़की पहले रंजीत नाम के किसी लड़के के करीब थी। वह भी गांव से लापता है। हालांकि, अभी पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है, लेकिन इस हत्याकांड को पुराने प्रेम-प्रसंग और ऑनर किलिंग-दोनों से जोड़कर देखा जा रहा है।

इस मुस्लिम IPS ने बचाई थी मोदी की जान, अब आतंकवाद का करेंगे खात्मा

इस मुस्लिम IPS ने बचाई थी मोदी की जान, अब आतंकवाद का करेंगे खात्मा
नई दिल्ली. मोदी सरकार ने आतंकवाद के खात्मे के लिए देश के पहले मुस्लिम इंटेलीजेंस ब्यूरो चीफ रहे आसिफ इब्राहिम को पीएमओ में शामिल किया है। मध्यप्रदेश कैडर के रिटायर्ड IPS ऑफिसर पीएमओ में अब विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम करेंगे। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मध्य पूर्वी एशिया में बढ़ रहे आईएस के प्रभाव को ख़त्म करने मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है। आसिफ इब्राहिम वही अफसर हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पटना ब्लास्ट के समय जान बचाई थी। इब्राहिम ने मोदी को पहले ही ब्लास्ट होने की संभावना जताई थी।
सिंधिया और मुफ्ती मोहम्मद के रह चुके हैं निजी सचिव
नवाब घराने से ताल्लुक रखने वाले इब्राहिम ने करीब तीन दशक तक प्रशासनिक सेवा में हैं। वे कश्मीर, नक्सल, सुरक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे अभियानों को अनेक पदों पर रहते हुए संभाल चुके हैं। वह माधव राव सिंधिया और मुफ्ती मोहम्मद सईद के निजी सचिव भी रह चुके हैं। आजादी के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो जैसी प्रतिष्ठित एजेंसी के शीर्ष पद पर पहुंचने वाले वह पहले मुस्लिम थे।

शान्तिकुमार धारीवाल की आज शादी की सालगिरह

पूर्व मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल की आज शादी की सालगिरह है वोह इस दिन को धार्मिक परम्परा के अनुसार मनाते है ,,बधाई हो ,,मुबारक हो ,,खुदा खशहाली के साथ सह्त्याबी के साथ कामयाबी के साथ मुबारक करे ,,,,आमीन सुम्मा आमीन ,,,,आदरणीय भाईसाहब श्रीमान शांति धारीवाल साहब और भाभीजी को उनकी 49 वीं वैवाहिक वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाइयाँ

मैं वकील हूँ जनाब

मैं वकील हूँ जनाब
बेसाख्ता दौड़ता हूँ,
आपके अधिकारों की रक्षा के लिए।
जज्ब कर लेता हूँ
कमजोरों का दर्द
और टकरा जाता हूँ,
ताकतवर दीवारों से।
खो देता हूँ अपना अमन चैन,
और कर लेता हूँ,
अपना खाना खराब ।
देखता हूँ रात दिन कानूनी नजीरें
ताकि मिल सके आपको इन्साफ।
बेचैन रहता हूँ मैं,
आपके हकूक के लिए
वो क्या समझ पायेंगे मुझे ?
जो हर वक्त मुल्लविस रहते हैं
बदकारियों में।
तल्ख होती हैं नजरें
कभी हाकिम की ,
कभी कातिल की
रहता हूँ मगर फिर भी
बेलौस मुस्कुराता ।
हारता नहीं हूँ मैं
हार जाता है, इन्साफ।
भूल जाता है, मुद्दई
भुला देता है, मुन्सिफ
मगर होता है मातम
मेरे जेहन में।
दरकता हूँ मैं
छोटे छोटे टुकड़ों में
भर जाता है ,मेरा सीना
अन्याय और बदी के लावे से।
तड़पता हूँ मैं, बेइन्तिहा दर्द से
और सहम जाता है मेरा परिवार
रोता हूँ खून के आँसू
हर एक नाइन्साफी पर..
हाँ मैं वकील हूँ
कलम का सिपाही हूँ
हर रोज लड़ता हूँ मैं
नाइन्साफी के खिलाफ जंग,
समाज के लिए,
ताकि सलामत रहें आपके हक।
हाँ, जी हाँ
मैं वकील हूँ!!

नमाज़ की संघ के लोग तारीफ़ करते है

नमाज़ की संघ के लोग तारीफ़ करते है ,,फिर गृह मंत्री तारीफ़ करते है ,,फिर देश भर में योगा का अभियान होता है कोनसी बुरी बात है ,,योगा की प्रेरणा ठीक बात है लेकिन बाध्यता किया जाना गलत है ,,चाँद ,,सूरज के झगड़े में योगा का सत्यानास हो रहा है ,,,जिसे खुदा ने बनाया जो चाँद खुदा की मर्ज़ी से बना ,,जो सूरज खुदा की मर्ज़ी से बना ,,जो नमाज़ खुदा की इबादत के लिए है ,,,जो योगा खुद की सह्त्याबी के लिए है ,,,उस मामले में कोई बहस क्यों ,,जिसकी मर्ज़ी पढ़े जो करो ,,योग करो ,,नमाज़ पढ़ो ,,चरण स्पर्श करो ,ढोंग दो ,,,,,व्यायाम करो ,,पीटी करो ,,कसरत करो ,,,बाबा की पंतजलि पर जाओ ,,दूसरे बाबाओ के यहां जाओ ,,कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ता ,,,,अख्तर

योगा दिवस

योगा दिवस के दिन एक बच्चे ने योगा नहीं किया ,,,टीचर जी ने उसे डांट पिलाई ,,फिर सज़ा दी लेकिन बच्चे ने फिर योगा नहीं किया ,,,परेशान होकर टीचर जी ने बच्चे से योगा नहीं करने का कारण पूंछा ,,,बच्चे ने बढ़ी मासूमियत से जवाब दिया ,,,टीचर जी मेने तो जो देखा जो समझा ,,योगा करने वाले गुरु झूंठे और झूंठे वायदे करने वाले होते है ,,,इसीलिए योगा अगर झूंठ बोलने और झूंठे वायदे करने वाले कर रहे है तो में इस झूंठ से बचना चाहता हूँ ,,क्योंकि में देश का भविष्य हूँ मुझे मेरे देश ,,मेरे देश के लोगों की फ़िक्र है ,,,मेरा योगा ,,मेरा ईमान ,, मेरा धर्म दिखावा नहीं ,,,में घर पर जो भी मज़हबी प्रार्थना करना होती है बंद कमरे में करता हूँ किसी को दिखावा नहीं करता ,,,,क्योंकि योग गुरु में से कुछ के वायदे ,,जनता को दिए गए भुलावे निजी हितकारी ,,सत्ता के लालची ,,सियासी ,,कार्यवाहियां साबित हुई है और ऐसा सियासी योगा जो जनता से झूंठ बुलवाये मुझे नहीं चाहिए ,,टीचर जी समझ गए के बच्चे का इशारा किस योग गुरु और किस योग गुरु के आक़ा सियासी सिरमौर की तरफ है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेरा लटका चेहरा

मेरा लटका चेहरा
मेरी उदास आँखे
मेरा टूटा हुआ दिल
तुम देखोगे ,,,तो ,,
मुझे यक़ीन है
दिल तुम्हारा भी अंदर से
रोयेगा ज़रूर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर

ऐ मेरे देश के भोले भाले नोजवानो

ऐ मेरे देश के भोले भाले नोजवानो ,,,,झूंठे वायदों के झांसों में आकर नालायको को चुनकर भेजने वालो ,,,ज़रा सोचो ,,तुम कहीं पुरे साल में किये गए वायदों को निभाने का हिसाब ना मांगो ,,रोटी कपड़ा मकान जैसी ज़रूरी चीज़ों के बढ़ते दामों के लिए सरकार का गिरेहबान ना पकड़ सको इसीलिए तो यह सियासी भेड़िये तुम्हे और हमे योगा ,,,सूर्य नमस्कार ,,,घरवापसी ,,,साम्प्रदायिक उन्माद जैसे मामलो में उलझाकर बेवक़ूफ़ बना रहे है और खुद जेड सुरक्षा लेते है तो मुफ्त की सेर सपाटे उड़ाते है और हमे लढा कर बेवजह बहस में उलझाकर यूँ ही मज़े कर शाम की पार्टियों में बंद कमरों में पक्ष विपक्ष मिलकर खिलखिलाते है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वाह रे पैसा

वाह रे पैसा , तेरे कितने नाम !!!
मंदिर मे दिया जाये तो ( चढ़ावा ) ..,
स्कुल में ( फ़ीस ) ..,
शादी में दो तो ( दहेज ) ..,
तलाक देने पर ( गुजारा भत्ता ) ..,
आप किसी को देते हो तो ( कर्ज ) ..,
अदालत में ( जुर्माना )..,
सरकार लेती है तो ( कर ) ..,
सेवानिवृत्त होने पे ( पेंशन ) ..,
अपहर्ताओ के लिएं ( फिरौती ) ..,
होटल में सेवा के लिए ( टिप ) ..,
बैंक से उधार लो तो ( ऋण ) ..,
श्रमिकों के लिए ( वेतन ) ..,
मातहत कर्मियों के लिए ( मजदूरी ) ..,
अवैध रूप से प्राप्त सेवा ( रिश्वत ) ..,
और मुझे दोगे तो ( गिफ्ट ) …

काकोरी कांड के नायक

11 जून/जन्म-दिवस
काकोरी कांड के नायक : पंडित रामप्रसाद बिस्मिल
पंडित रामप्रसाद का जन्म 11 जून, 1897 को शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके पिता श्री मुरलीधर शाहजहाँपुर नगरपालिका में कर्मचारी थे; पर आगे चलकर उन्होंने नौकरी छोड़कर निजी व्यापार शुरू कर दिया। रामप्रसाद जी बचपन से महर्षि दयानन्द तथा आर्य समाज से बहुत प्रभावित थे। शिक्षा के साथ साथ वे यज्ञ, सन्ध्या वन्दन, प्रार्थना आदि भी नियमित रूप से करते थे।
स्वामी दयानन्द द्वारा विरचित ग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ पढ़कर उनके मन में देश और धर्म के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगी। इसी बीच शाहजहाँपुर आर्य समाज में स्वास्थ्य लाभ करने के लिए स्वामी सोमदेव नामक एक संन्यासी आये। युवक रामप्रसाद ने बड़ी लगन से उनकी सेवा की। उनके साथ वार्तालाप में रामप्रसाद को अनेक विषयों में वैचारिक स्पष्टता प्राप्त हुई। रामप्रसाद जी ‘बिस्मिल’ उपनाम से हिन्दी तथा उर्दू में कविता भी लिखतेे थे।
1916 में भाई परमानन्द को ‘लाहौर षड्यन्त्र केस’ में फाँसी की सजा घोषित हुई। बाद में उसे आजीवन कारावास में बदलकर उन्हें कालेपानी (अन्दमान) भेज दिया गया। इस घटना को सुनकर रामप्रसाद बिस्मिल ने प्रतिज्ञा कर ली कि वे ब्रिटिश शासन से इस अन्याय का बदला अवश्य लेंगे। इसके बाद वे अपने जैसे विचार वाले लोगों की तलाश में जुट गये।
लखनऊ में उनका सम्पर्क क्रान्तिकारियों से हुआ। मैनपुरी को केन्द्र बनाकर उन्होंने प्रख्यात क्रान्तिकारी गेंदालाल दीक्षित के साथ गतिविधियाँ शुरू कीं। जब पुलिस ने पकड़ धकड़ शुरू की, तो वे फरार हो गये। कुछ समय बाद शासन ने वारंट वापस ले लिया। अतः ये घर आकर रेशम का व्यापार करने लगे; पर इनका मन तो कहीं और लगा था। उनकी दिलेरी,सूझबूझ देखकर क्रान्तिकारी दल ने उन्हें अपने कार्यदल का प्रमुख बना दिया।
क्रान्तिकारी दल को शस्त्रास्त्र मँगाने तथा अपनी गतिविधियों के संचालन के लिए पैसे की बहुत आवश्यकता पड़ती थी। अतः बिस्मिल जी ने ब्रिटिश खजाना लूटने का सुझाव रखा। यह बहुत खतरनाक काम था; पर जो डर जाये, वह क्रान्तिकारी ही कैसा ? पूरी योजना बना ली गयी और इसके लिए नौ अगस्त, 1925 की तिथि निश्चित हुई।
निर्धारित तिथि पर दस विश्वस्त साथियों के साथ पंडित रामप्रसाद बिस्मिल ने लखनऊ से खजाना लेकर जाने वाली रेल को काकोरी स्टेशन से पूर्व दशहरी गाँव के पास चेन खींचकर रोक लिया। गाड़ी रुकते ही सभी साथी अपने-अपने काम में लग गये। रेल के चालक तथा गार्ड को पिस्तौल दिखाकर चुप करा दिया गया। सभी यात्रियों को भी गोली चलाकर अन्दर ही रहने को बाध्य किया गया। कुछ साथियों ने खजाने वाले बक्से को घन और हथौड़ों से तोड़ दिया और उसमें रखा सरकारी खजाना लेकर सब फरार हो गये।
परन्तु आगे चलकर चन्द्रशेखर आजाद को छोड़कर इस कांड के सभी क्रान्तिकारी पकड़े गये। इनमें से रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खाँ तथा राजेन्द्र लाहिड़ी को फाँसी की सजा सुनायी गयी। रामप्रसाद जी को गोरखपुर जेल में बन्द कर दिया गया। वे वहाँ फाँसी वाले दिन तक मस्त रहे। अपना नित्य का व्यायाम, पूजा, सन्ध्या वन्दन उन्होंने कभी नहीं छोड़ा।
19 दिसम्बर, 1927 को बिस्मिल को गोरखपुर, अशफाक उल्ला को फैजाबाद तथा रोशन सिंह को प्रयाग में फाँसी दे दी गयी।

योगा के फायदे

योग योग चिल्लाने वालो के लिये योगा के फायदे जानें.
नमाज अदा करने के दौरान होने वाली मूवमेंट शरीर को कुछ
इस तरह से चुस्त दुरुस्त रखती है-
1- नियत बांधने का वैज्ञानिक फायदा-जब दायां हाथ बांये
हाथ पर रखते हैं, दायीं हथेली के अंगुठे व तर्जनी से बांये
हाथ की कलाई के छोर पर दबाव बना कर नाभि के पास
उसे रखने से पूरा नर्वस सिस्टम रिलेक्स होता है। प्रेम को
बढ़ावा मिलता है और ध्यान लगता है। ये एक्सरसाइज रीढ
की हड्डी को रिलेक्स करता है। मसल्स कोआर्डिनेशन को
संतुलित करता है।
2- रूकू अर्थात झुकना या अर्द्घशीर्षासन-यह स्थिति
कमर की मांसपेशियों को मजबूत करती है। हैमिस्ट्रिंग व
काफ मसल्स को मजबूत मिलती है और दर्द से राहत
मिलती है। ये क्रिया घुटने के लुब्रिकेंट गूदे को मोबिलाइज
कराती है।
3- खड़े होना दोबारा-इसमें नार्मल सांस ली जाती है यानि
कि योगा की भाषा में क्रिया कहा जाता है। मस्तिष्क को
आराम मिलता है।
4- सजदा पढ़ते वक्त आधा शीर्षासन। इसके जरिये दिमाग
तेज होता है। ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। आंख, नाक व
कान की बीमारियों से बचाव, सिर में दर्द और चक्कर आने
से राहत मिलती है।
पाचन क्रिया दुरुस्त होने से जैसे शारीरिक फायदे।
5- बृजासान जैसी पोजीशन में बैठना- पाचन दुरुस्त करता
है। आमतौर पर इसे खाना खाने के बाद किया जाता है,
जिससे शरीर अम्लीय क्षार को सही तरीके से छोड़ता है।
वायु और कब्ज के विकार को दूर करने में बेहद मददगार।
6- प्रथमा अंगुली को ऊपर उठाना-अंगुली उठाने से ब्लड
प्रेशर संतुलित होता है। पूरे शरीर को बड़ी राहत मिलती है।
7- सलाम फेरना या गर्दन को बांयी से दांयी ओर घूमना-
सरवाइकल के दर्द के लिये सबसे बेहतर एक्सरसाइज-
गर्दन की मांसपेशियां मजबूत होती है तथा टिप्रीजियस
मसल्स को मजबूत और सक्रिय करता है। जिससे कंधे की
तमाम बीमारियों से मुक्ति मिलती है और उसकी मोबिलिटी
को बढ़ाता ह

बैठक। दण्ड बैठक

जुगाळ
बैठक। दण्ड बैठक। तीसरा, बारहवाँ और उठावणे की बैठक। समाज की बैठक। होली या दीपावली हो तो स्नेह मिलन। मामला गंभीर हो तो बात महा पडाव। पति-पत्नी में झगड़ा हो तो बैठक। बेटी ससुराल नहीं जा रही तो बैठक। बहू मायके से नहीं आ रही तो बैठक। रिश्ता जोड़ने के लिए बैठक। तोड़ने के लिए बैठक।
ये सामाजिक किस्म की बैठकों के कुछ विषय हैं। जितने विषय उतनी बैठकें। समाज उत्थान पर बैठक। शैक्षिक उत्थान पर बैठक। पतन पर बैठक। युवा पीढ़ी की दशा और दिशा पर बैठक। बुजुर्गों की हालत पर बैठक।
लगता है बैठकें करना हमारा सामाजिक दायित्व है। राष्ट्रीय धर्म है। या मर्ज है? जो भी हो। बैठक करनी पड़ती है। बैठक का बुलावा आए तो जाना ही पड़ता है। नहीं जाने पर असामयिक होने का ठप्पा लगने का खतरा।
सामाजिक बैठकों का अपना समाजशास्त्र होता है। किसने बुलाई। किस-किस को बुलाया। किसे नहीं बुलाया। इसे बुलाया तो वो नहीं आएगा। वो नहीं आया तो मजा नही आएगा। स्टेटस देखना पड़ता है। विषय देखा जाता है। समय की अहमियत भी होती है। सुबह या दोपहर की बैठकों में जाना कम ही लोग पसंद करते हैं। ऐसी बैठक में चाय-नाश्ते से ज्यादा की उम्मीद नहीं होती। शाम को होने वाली बैठकों की बात अलग। कुछ खास इंतजाम की उम्मीद रहती है। बैठक की सफलता ऐसे इंतजाम पर निर्भर करती है। या खुद मूड बनाकर जा सकते हैं। मूड ठीकठाक हो तो चिंतन भी स्तरीय होता है। कई लोग मूड बनाने बैठकों में जाते हैं। कई इसलिए नहीं जाते की इंतजाम नहीं था। समझदार लोग पहले ही पता कर लेते हैं। वैसे समझदार आयोजक निमंत्रण के साथ ही संकेत दे देता है।
अथिकांश बैठकों का नतीजा अधिकतर एक जैसा होता है। सभी इस बात पर एकमत होकर उठते हैं कि बैठक अच्छी रही। चर्चा सारगर्भित थी। आयोजन सफल रहा। इंतजाम अच्छा हो तो लगे हाथ यह भी पूछ लिया जाता है कि अगली बैठक कब? बल्कि कुछ लोग तो आयोजक से तारीख तय कराके ही उठते हैं।
कभी-कभार बैठकों मे बात जुबानी जमा खर्च से आगे बढ़ जाती है। आपस में मारपीट। कपड़े फाड़ना। मुंह काला कर देना। आयोजक को या अतिथि को ही ठोक देना।
राजनीतिक बैठकें इसी बिंदु पर समाप्त होती हैं। यही चरमोत्कर्ष होता है।
ऐसी घटनाएं होने पर ही बैठक होने का पता चलता है। लेकिन पीटने वाला या पिटने वाला कभी स्वीकार नहीं करता कि बैठक में चर्चा के अलावा और भी कुछ हुआ। कोई पूछे तो उल्टा सवाल यह कि किसने कहा?
सरकारी बैठकें कुछ अलग होती हैं। मीटिंग। जिला स्तरीय। संभाग स्तरीय। राज्य या केंद्र स्तरीय। सचिव या मंत्री स्तरीय। मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री स्तर की। डिपार्टमेंट की। केबिनेट की। मंत्रिमंडल की। मंत्रियों के समूह की। निवेशकों के साथ। दलालों के साथ। ठेकेदारों के साथ। जनता की भलाई के नाम पर। खुद के भले के लिए। मीडिया के लिए। फीडबेक के लिए। लक्ष्य निर्धारण के लिए। उपलब्धियां बताने के लिए। धूल झोंकने के लिए। विरोधियों को लताड़ने के लिए। अनंत। अंतहीन।
मीटिंग-सिटिंग और सेटिंग। इनसे ही देश की तरक्की हो रही है। ये सब किसके लिए। आपके लिए। आम जनता के लिए।

रिपोर्टर हूँ मैं.....

~~~.
जी हां, एक रिपोर्टर हूं मैं...
बेसाख्ता दौड़ता हूं, आपके अधिकारों
की रक्षा के लिये ।।
जज्ब कर लेता हूँ ,कमजोरों का दर्द ,
और टकरा जा ता हूँ ताकतवर
दीवारों से।।
खो देता हूँ अपना अमन चैन ,
और कर लेता हूँ ,अपना खाना खराब ।।
करता रहता हूं नित नयी कोशिशें,
जिससे मिल सके आपको इन्साफ ।।
बैचेन रहता हूं मैं,
आपके अधिकारों के लिये ।।
वो क्या समझ पायेंगे मुझे...
जो हर वक्त लगे रहते हैं,
बदकारियों में ।।
तल्ख़ होती हैं नज़रें,
कभी पुलिस तो कभी अपराधियों
की।
देते हैं धमकियां भी देख लेने की,
रहता हूं फिर भी,
बेलौस मुस्कराता।
हारता नही हूं,
हार जाते हैं भ्रष्ट अधिकारी।
इधर पल पल दरकता रहता हूं मैं...
छोटे-छोटे टुकड़ों में ।
भर जाता है, मेरा सीना,
अन्याय और बदी के लावे से।
तडप उठता हूं, बेइन्तहा दर्द से,
और सहम जाता है, मेरा परिवार,
किसी धमकी की सुगबुगाहट पर।
और मैं...
रोता हूं खून के आंसू,
हर एक नाइंसाफी पर।
जी हां, रिपोर्टर हूं मैं।
क़लम का सिपाही...
हर रोज, लड़ता हूं ;
नाइन्साफी के खिलाफ जंग ,
समाज के लिये...
ताकि सलामत रहें आपके अधिकार।
जीवित रहे सच्चाई...
जी हां... रिपोर्टर हूँ मै
**एक पत्रकार का दर्द**

जान बचाई थी

कल जान बचाई थी
जिस ने मेरी
मजहब पूछ कर
आज उसी ने
जान लेली मेरी
मेरा फीरका पूच्छ कर

राजेश पायलेट की मूर्ति लगाने की इजाज़त की मांग

आधुनिक भारत के निर्माता स्वर्गीय राजीव गांधी के साथ देश के किसानो के लिए संघर्ष कर उन्हें नयी आधुनिक तकनीक और इन्साफ दिलवाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलेट की पुण्य तिथि आज कोटा में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य क्रान्ति तिवारी के नेतृत्व में राजेश पायलेट अमर रहे के गुंजायमान नारों के साथ किसान मेला दशहरा स्थल पर डॉल्फ़िन पार्क में राजेश पायलेट की मूर्ति लगाने की इजाज़त की मांग को लेकर महापौर महेश विजय को ज्ञापन दिया ,,,क्रान्ति तिवारी ने अपने ज्ञापन में महापौर से कहा के राजेश पायलेट भारत के किसानो के रक्षक ,,हितेषी और उन्हें एक नयी आधुनिक तकनीक देकर बेहतर कृषि उपज दिलवाने वाले किसान नेता थे इसलिए उनकी स्मृति में राजेश पायलेट की आदमक़द मूर्ति कोटा किसान मेला स्थल के डॉल्फ़िन पार्क पर लगना ज़रूरी है ,,,,,क्रांति तिवारी ने आश्वस्त किया के मूर्ति स्थापित करने की इजाज़त मिलते ही वोह खुद राजेश पायलेट की आदमक़द मूर्ति खुद अपने खर्चे से बनवाकर लगवाएंगे ,,,,,,,,,,महापौर महेश विजय ने कहा के इस में हमारी सकारात्मक सोच रहेगी उन्होंने कहा के राजेश पायलेट के वोह भी प्रशंसक है क्योंकि कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की रक्षा के साथ उनके दुःख दर्द बाँट कर कार्यकर्ताओ का विश्वास जितने की कला के मामले में वोह खुद राजेश पायलेट के क़ायल है और कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेने की कला उन्होंने राजेश पायलेट के इसी अंदाज़ से सीखी है ,,,क्रांति तिवारी के साथ अरुण भार्गव ,,,कैलाश बंजारा ,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,,,

वकीलों के हितो पर कुठाराघात

राजस्थान के वकीलों के मान सम्मान की सुरक्षा को लेकर वकीलों के हितो पर कुठाराघात करने वालों के घेरने के लिए कल अजमेर में बन रही रणनीति में कोटा अभिभाषक परिषद का शेर भाई रघु गौतम की दहाड़ सुनाई देगी ,,,रघु गौतम के साथ कोटा अभिभाषक परिषद के महासचिव संजीव विजय और कोषाध्यक्ष राम गोपाल चतुर्वेदी के आलावा बूंदी ,,,बारां ,,झालावाड़ के प्रतीनिधी भी रहेंगे ,,विदित रहे की वर्तमान में राजस्थान के वकीलों के खिलाफ लामबंध होकर उन्हें अपनानित कर वकीलों के धैर्य संयम का जो परीक्षण चल रहा है वोह अब गले तक आ गया है ,,वकील साथी की आकस्मिक मृत्यु पर हाईकोर्ट के एक परिपत्र ने वकीलों से शोक जताकर अपने भाई को श्रद्धांजलि देने का हक़ भी छीन लिया है ,,इस मामले में कोटा अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष रघु गौतम ने पहल की ,,अभिभाषक परिषद की साधारण सभा की बैठक बुलाई फिर कोटा संभाग के प्रतिनिधियों की बैठक ली ,,अब अजमेर ने इस मामले में राजस्थान भर के वकीलों एक हो जाओ के बुलंद नारे के साथ यह बैठक बुलाई है ,,इस बैठक में भी कोटा का शेर भाई रघुनन्दन गौतम राजस्थान के वकीलों की मानमर्यादा के संरक्षण के लिए अपनी दहाड़ से वकीलों के नाम पर चापलूसी और चमचागिरी का बाज़ार गर्म कर रहे दलालों के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क़ुरआन का सन्देश

 
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