आपका-अख्तर खान

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17 जून 2015

आखिर बहार क्या लिखते

खीज़ा नसीब थे आखिर बहार क्या लिखते
बिछड़ के तुमसे रातो का हिसाब क्या लिखते
तुम्हारे फूल से चहेरे पर रहती थी महक
तुम्हारे बाद चमन का शबाब क्या लिखते
भुलादो हमको यह लिखा था आखरी खत में
तुम्हारे आखरी खत का जवाब क्या लिखते
मेरे नसीब में लिखी थी फ़क़त तुमसे युही जुदाई
इतनी सी बात पर हम किस्मत ख़राब क्या लिखते

किसी शायर ने क्या खूब कहा है-


'रिमझिम तो है..
मगर सावन गायब है..!
बच्चे तो हैं..
मगर बचपन गायब है..!!
क्या हो गयी है
तासीर ज़माने की
अपने तो हैं..
मगर अपनापन गायब है..

कुरान मज़ीद में अल्लाह ता'अला फरमाता है,

| „
● " ए बन्दे कभी रात को तेरी
आँख खुले? और तू सो जाए
तो तूने मुझसे बेवफाई की।
और
अगर तेरी आँख खुले और तुने
वजू बनाया और मेरी इबादत
की और मुझसे कुछ माँगा ओर
मेने कुबूल न किया तो मेने
तुझसे बेवाई की।
ओर में एस हरगीज नहीं
करता। "●
~ सुरह मुल्क

हमारा हिन्दुस्तान ,,हमारा भारत ,,हमारा गौरव ,,हमारा भारत महान है ,,,,,,,,,

यह ना मेरा है ना तेरा है ,,यह न हिन्दू का है मुसलमान का ना सिक्ख का है न ईसाई का ,,यह ना अमीरों का है ना गरीबों का यह ना मोलवी का है ना पंडित का यह हमारा है ,,हमारा हिन्दुस्तान ,,हमारा भारत ,,हमारा गौरव ,,हमारा भारत महान है ,,,,,,,,,,,,,कुछ लोग है जो चाणक्य नीति के तहत सत्ता की नाकामयाबियों और सत्ता में आने के पहले किये गए चुनावी जुमलों से जनता का ध्यान हठाने के लिए देश की जनता ,,देश के लोकतंत्र के प्रहरियों की सुच ,,उनका रुख ,,उनकी बहस के मुद्दे देश और देश के विकास ,,देश के चुनावी वायदों की क्रियान्विति से भटकाना चाहते है ,,,,,सत्ता पक्ष के वायदे वफ़ा की निगरानी करने वाली जनता को भटकाने के लिए एक बढ़ी मार्केटिंग चलाई जा रही है ,,,चाणक्य का यही सिद्धांत था सुकून से अगर शासन चलाना है तो जनता को मुद्दो की बहस में उलझाये रखो ,,चाणक्य का मानना था के अगर देश की जनता आधार कार्ड ,,बी पी एल ,,ज़ात पात धर्म ,,अमीरी गरीबी ,,बेईमानी ईमानदारी ,,इलाज ,,महंगाई ,,सरकार की टैक्स वसूली जैसे मुद्दो ने नहीं उलझेगी तो फिर यक़ीनन जनता सीधे सरकार से सवाल करेगी और जनता सरकार का तख्ता भी पलट देगी ,,,पहले साम्प्रदायिकता ,,,,फिर हिन्दू मुस्लिम ,,फिर लव जेहाद के मुद्दो से देश और देश की जनता को भटकाया गया अब जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन मुद्दो को सिरे से ख़ारिज कर फटकार लगाई गई तो मेगी ,,नूडल्स और अब योगा सूर्यनमस्कार जैसे मुद्दो को उजागर कर एक नई बहस इस देश में छेड़ कर जनता को भटकाया गया है ,,,देश की भोली भाली जनता जो भूखी है ,,नंगी है समस्या से त्रस्त है वोह अपनी रोटी कपड़ा मकान की प्राथमिकताएं छोड़ कर अब देखिये योगा ,,सूर्यनमस्कार पर बहस कर रही है सोशल मीडिया ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया ,,प्रिंट मीडया ,,चौपाल मिडिया ,,,,,जो भी हो सभी देश के सभी मुख्य मुद्दो से भटक कर योग में उलझ गए है ,,कालाधन कब आएगा ,,पाकिस्तान से हमारे सेनिको की मोत का बदला कब लिया जाएगा ,,,कश्मीर समस्या मुक्त कब होगा ,,पेट्रोल के दाम कैसे कम हो पाएंगे ,,,गरीबी , भुखमरी ,,कालाबाज़ारी ,,कैसे नियंत्रित हो भ्रष्टाचार से कैसे नजात पायी जाए ,,राम मंदिर निर्माण के मार्ग कैसे प्रशस्त हो ,,कॉमन सिविल कोड आरक्षण खत्म कर कैसे लागू किया जाए वगेरा वगेरा ऐसे मुद्दे है जो बाबा रामदेव और उनकी समर्थित सरकार से कोई सवाल पूंछने वाला नहीं बचा है सब उलझे है योग सूर्य नमस्कार में नमाज़ में अरदास में ,,,,,,,,,,,,,दोस्तों योग विश्व में सदियों की धरोहर है ,,,भारत विश्व का योग गुरु कहलाता है ,,यहां आदि काल से साधु संत सभी योग करते आये है ,,,नमाज़ एक विशिष्ठ प्रार्थना के साथ किया जाने वाला दिमागी ,,शारीरिक ,,योग प्रक्रिया है ,,,अरदास हो चाहे ढोंग हो ,,चाहे पूजा पद्धति सभी योग है ,,भारत धर्मो का देश है ,,एक आदर्श देश है यहां हिन्दू भाई योग करते है ,,सूर्यनमस्कार करते है ,,ढोंग देते है चरण स्पर्श कर झुकते है तो मुस्लिम भाई देश की सर ज़मीन पर माथा टेक कर अपनी नमाज़ पढ़ते है एक विशिष्ठ प्रकिया ,,निश्चित समयावधि में सुबह ,,दोपहर और शाम कुल पांच बार अलग अलग समय में अधिक और कम मात्रा में इबादत के साथ योग होता है ,,,योग ,,व्यायाम का कोई मज़हब नहीं होता यह तो बस शारीरिक स्वास्थ को मेंटेन रखने की एक कला है ,,,आज योग को सियासी लोगों ने ,,सियासत में झूंठे वायदे कर जनता को बरगला कर सत्ता हांसिल करने वाले लोग अपने गिरेहबान तक जनता का हाथ ना पहुंचे इसे बचने के लिए देश को भर्मित कर रहे है ,,योग नमाज़ सूर्यनमस्कार में देश को उलझा रहे है ,,सभी जानते है वेद ,,,सनातन ,,इस्लाम अलग अलग है लेकिन इनकी जीवन शैली एक है ,,सभी जानते है गीता जीने का ईश्वरीय वाणी से मिला ज्ञान है जबकि क़ुरान भी ईश्वर अल्लाह द्वारा भेजा गया ज्ञान है ,,इसीलिए भगवत गीता के श्लोक ,,क़ुरान मजीद की आयतें अस्सी फीसदी हु बहु जीवन शैली के सम्बन्ध में एक जैसी है ,,, सभी जानते है ,,बीमार ,,,विधवा ,,पीड़िता ,,गरीब ,,,,घायल ,,,मुसाफिर ,, मज़लूम ,का कोई धर्म नहीं होता यह भी सभी जानते है के अत्याचारी ,,अनाचारी का कोई धर्म नहीं होता राक्षस ,,रावण ,,,,दुर्योधन ,,,,कंस ,,,,,फिरोंन ,,यज़ीद ,,,सभी धर्म मज़हब में है जिसकी सभी मज़म्मत करते है ,,अच्छाई सीखते है बुराई से नफरत करते है ,,,हमारे देश में अगर हिन्दू उनका धर्म भगवत गीता ,,,वेद पढ़ ले ,,मुसलमान अगर क़ुरआन मजीद तर्जुमे से पढ़ ले ,,,बाइबिल अगर क्रिश्चियन समझ ले ,,गुरुवाणी अगर सिक्ख समझ ले तो यक़ीनन यह देश फिर से सोने की धिडिया ,,स्वर्ग हो जाएगा ,,,इस देश के साधू ,,संत ,,पाखंडी ,,तंत्र मंत्र विधा से जुड़े लोग ,,मोलवी ,,मुफ्ती ,,क़ाज़ी ,,अगर अपना मज़हब सुधार ले अपना कर्तव्य निभा ले ,,सियासी लोग ईमानदारी से काम करने लगे तो फिर इस देश की तस्वीर पुरे विश्व की लीडर शिप की होगी ,,लेकिन अँगरेज़ चले गए औलादें छोड़ गए फुट डालो राज करो के सिद्धांत वाले ऐसा ही इस देश के साथ बलात्कार कर रहे है ,,,,,,,,,,,,,,कटु सत्य है के ईश्वर ,,भगवान ,,खुदा ,,अल्लाह ने ही स्रष्टी का निर्माण किया है ,,ज़मीन आसमान ,,सूरज ,,चाँद ,,सितारे सभी तो खुदा ने बनाये है तो बताइये जिसने चाँद सूरज दुनिया बनाई ,,दुनिया ,,चाँद सूरज जिसके हुक्म के मोहताज है हम उसे छोड़कर उसके बनाये हुए उसके इशारो नाचने वाले सूरज ,,,,चाँद को तरजीह देकर क्या अपने धर्म को अपमानित नहीं कर रहे है क्या ईश्वर ,,अल्लाह ,,खुदा ,,भगवान ने जिसे अपने इशारो से चलाया ,,जिसे खुद बनाया उसकी अगर हम गुलामी करेंगे तो क्या यह ईश्वर भक्ति ,,खुदा की इबादत से भटकाव नहीं होगा ,,,प्लीज़ बताइये ज़रूर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भ्रष्टाचार ,,अनियमितता ,,,हठधर्मिता के खिलाफ जनहित में उनका संघर्ष अहिंसात्मक तरीके से जारी रहेगा ,,,मोहम्मद हुसेन

कोटा नगरनिगम के साजिदेहड़ा किशोरपुरा पूरा वार्ड से कांग्रेस भाजपा को पछाड़ कर निर्वाचित हुए लोकप्रिय निर्दलीय पार्षद मोहम्मद हुसेन मिसकॉल का कहना है के भ्रष्टाचार ,,अनियमितता ,,,हठधर्मिता के खिलाफ जनहित में उनका संघर्ष अहिंसात्मक तरीके से जारी रहेगा ,,,मोहम्मद हुसेन को कोटा नगर निगम की उपमहापौर द्वारा विधि विरुद्ध जनता के रुपयो का दुरूपयोग कर सरकारी वाहन ,,,ड्राइवर ,,,गार्ड का अनावश्यक खर्च और सुप्रीम कोर्ट के आदेशो के अनुरूप जारी राजस्थान सरकार की अधिसूचना के विपरीत वाहन पर अनधिकृत लालबत्ती लगाने का विरोध करने पर संगीन धाराओ में मुक़दमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था जिनकी आज अदालत से रिहाई के आदेश होने के बाद वोह जेल से छूट रहे है ,,,मोहम्मद हुसेन मिसकॉल का मिजाज़ समाज सेवा ,,दलित और पीड़ितों की मदद करने का तो रहा ही है लेकिन सर्वधर्म सिद्धांतो के तहत किसी भी भ्रष्टाचार ,,विधिविरुद्ध कार्य ,,सरकार के धन का दुरूपयोग या कुछ भी गलत हो उसका विरोध करना उनका स्वभाव है ,,मोहम्मद हुसेन मिस कॉल का मिजाज़ क़ानून के दायरे में रहकर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात मनवाने का रहा है और इसी लिए वोह गरीब ,,दलित ,,पीड़ितों के हमदर्द होने से उनके दिलों पर राज कर रहे है ,,,,,,मोहमद हुसेन के स्वभाव के तहत सरकार की कोई भी दमनकारी नीति ,,फ़र्ज़ी और झूंठे मुक़दमों की प्रक्रिया उनके इंसाफ के संघर्ष को नहीं रोक सकेगी ,,मोहम्मद हुसेन सफाई कर्मियों के फ़र्ज़ी वेतन मामले में आवाज़ बुलंद कर भ्र्ष्टाचार उजागर करने के बाद कई पार्षदों के टारगेट पर थे ,,जबकि वोह लगातार लोकतांत्रिक तरीके से देश के विधान देश के क़ानून और माननीय उच्चतम न्यायालय के तहत लाल बत्ती के दुरूपयोग को रोकने की मांग उठाते रहे है ,,,कोटा में पूर्व उप अधीक्षक यातायात जगमाल सिंह ने पिछली सरकार में जब न्यास अध्यक्ष की अवैध लाल बत्ती नहीं हटाई तो मुकेश गुप्ता के परिवाद पर कोटा न्यायालय ने उपाधीक्षक यातायात के खिलाफ विधि की अवज्ञा और पुलिस अधिनियम के तहत प्रसंज्ञान लिया पहले उन्हें ज़मानती वारंट फिर गिरफ़्तारी वारंट से तलब कर अदालत में विधि की अवज्ञा का दोषी मानते हुए अदालत में खड़े रहने की प्रताड़ना देकर एक दिन की सज़ा दी थी ,,,मोहम्मद हुसेन द्वारा लाल बत्ती के दुरूपयोग का जो मामला जो उठाया है और जिस तरह से अखबारों ने इस मुद्दे को खुलकर उठाया है उससे स्पष्ट है के किशोरपुरा थानाधिकारी ,,संबंधित अधिकारीयों द्वारा अगर इन वाहनों के चालान बनाकर लाल बत्तियां नहीं उतरवाई तो इन अधिकारीयों के विरुद्ध भी विधि की अवज्ञा संबंधित मामलों में परिवाद दायर होने पर इनके लिए क़ानूनी दिक़्क़त खड़ी हो सकती है क्योंकि विधि का सर्वमान्य सिद्धांत है के क़ानून सभी के लिए बराबर है अगर नगरनिगम के वाहनों पर लालबत्ती लगाकर क़ानून तोडा जा रहा है और संबंधित अधिकारी यह सब देखकर भी चुप है तो फिर ऐसे अधिकारी मुसीबत में फंस सकेंगे ,,,मोहम्मद हुसेन के खिलाफ पुलिस ने सरकारी कर्मचारियों को धमकाकर मारपीट का मामला बनाया है लेकिन अनुसंधान में अगर अनुसंधान अधिकारी ने नगर निगम के मुख्यकार्यकारी अधिकारी से संबंधित वाहन पर लाल बत्ती लगाने का अधिकार पत्र ,,विधि नियम ,,वाहन की लोग बुक और संबंधित लोगों को वाहन किस क़ानून के प्रावधान के तहत दिया गया था यह लोग किस राजकार्य के लिए जा रहे थे जिसमे मोहम्मद हुसेन ने बाधा पहुंचाई तो यक़ीनन मुख्यकार्यकारी अधिकारी नगर निगम और वाहनों को नियंत्रित करने वाले दूसरे अधिकारी मुसीबत में फंस सकते है क्योंकि विधि विरुद्ध तरीके से किसी भी व्यक्ति को बिना क़ानूनी अनुमति के कोई भी लाभ पहुंचाकर सरकारी कोष का दुरूपयोग कर सुविधा देना भ्रष्ट आचरण में आता है और ऐसे अधिकारी को दंडित करने का भी प्रावधान है जबकि संबंधित सरकारी खर्च की राशि तो संबंधित व्यक्ति से ही वसूली जाने का प्रावधान है ,,,मोहम्मद हुसेन के समर्थको में उनकी रिहाई से उत्साह है ,,आप पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस रिहाई पर जश्न मनाना शुरू किया है ,,,आप पार्टी कार्यकर्ताओ की बीच सड़क पर कार्यवाही गलत थी लेकिन जितनी उनकी गलती थी उसी अनुपात में उन्हें सज़ा भी मिलना थी ,,,मोहम्मद हुसेन और उनके समर्थक अहिंसात्मक तरीके से अपने कार्यकर्ताओ और आम जनता के हितो के लिए विधिक रूप से संघर्ष करने के लिए तत्पर है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भारत महान को छोटा करने के लिए बहस का विषय ना बनाये

दोस्तों आप योगा करे ,,सूर्यनमस्कार करे ,चन्द्र नमस्कार करे ,,,नमाज़ पढ़े ,,पूजा करे यह सब आपके निजी मामले है लेकिन प्लीज़ मेरे इस भारत महान को छोटा करने के लिए बहस का विषय ना बनाये ,,आपका धर्म आपको मुबारक मेरा धर्म मुझे मुबारक ,,सो प्लीज़ धर्म एक निजी उपासना है लेकिन यह भारत देश किसी निजी व्यक्ति का नहीं ,,,किसी धर्म विशेष का नहीं ,,यह भारत देश हम सब का अपना है इसलिए प्लीज़ इस भारत देश की सुख शांति समृद्धि सरहदों की हिफाज़त हमे मिलकर करना है अपने अपने अल्लाह ,,भगवान ,,खुदा से मेरे इस भारत को महान बनाने इसकी तरक़्क़ी की दुआ करना है ,,इसलिए हम एक हो नेक हो देश को मज़बूत कैसे बनाये इस मामले में मिलकर संघर्ष करे ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Negotiable Instruments (Amendment) Ordinance, 2015

Breaking ; Negotiable Instruments (Amendment) Ordinance, 2015 promulgated
President of India has promulgated Negotiable Instruments (Amendment) Ordinance, 2015 (6 of 2015) . Last week the Union Cabinet, chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi, had given its approval for the proposal to promulgate the Negotiable Instruments (Amendment) Ordinance, 2015.
The amendments to the Negotiable Instruments Act, 1881 (“The NI Act”) are focused on clarifying the jurisdiction related issues for filing cases for offence committed under section 138 of the NI Act.
The clarification of jurisdictional issues may be desirable from the equity point of view as this would be in the interests of the complainant and would also ensure a fair trial.
The clarity on jurisdictional issue for trying the cases of cheque bouncing would increase the credibility of the cheque as a financial instrument. This would help the trade and commerce in general and allow the lending institution, including banks, to continue to extend financing to the economy, without the apprehension of the loan default on account of bouncing of a cheque.
The Ordinance proposes to inserts a new sub-clause to the existing Section 142 [sub-clause (2)]. It reads as follows,
“(2) The offence under Section 138 shall be inquired into and tried only by a court within whose local jurisdiction the bank branch of the payee, where the payee presents the cheque for payment, is situated“
The Bill also introduces a new Section [142A] in the N.I Act. It reads as follows;
“(1) Notwithstanding anything contained in the Code of Criminal Procedure, 1973 or any other judgment, decree, order or directions of any court, all cases arising out of section 138 which were pending in any court, whether filed before it, or transferred to it, before the commencement of the Negotiable Instruments (Amendment) Act, 2015, shall be transferred to the court having jurisdiction under sub-section (2) of section 142 as if that sub-section had been in force at all material times.
(2) Notwithstanding anything contained in sub-section (2) of section 142 of sub-section (1), where the payee or the holder in due course, as the case may be, has filed a complaint against the drawer of a cheque in the court having jurisdiction under sub-section (2) of section 142 or the case has been transferred to that court under sub-section (1), all subsequent complaints arising out of section 138 against the same drawer shall be filed before the same court irrespective of whether those cheques were presented for payment within the territorial jurisdiction of that court.
(3) If, on the date of commencement of the Negotiable Instruments (Amendment) Act, 2015, more than one prosecution filed by the same person against the same drawer of cheques is pending before different courts, upon the said fact having been brought to the notice of the court, such court shall transfer the case to the court having jurisdiction under sub-section 142(2) before which the first case was filed as if that sub-section had been in force at all material times.”
It was in Dashrath Rupsingh Rathod vs. State of Maharashtra a three Judge Bench of the Supreme Court held that a Complaint of Dis-honour of Cheque can be filed only to the Court within whose local jurisdiction the offence was committed, which in the present context is where the cheque is dishonoured by the bank on which it is drawn. The Court clarified that the Complainant is statutorily bound to comply with Section 177 etc. of the CrPC and therefore the place or situs where the Section 138 Complaint is to be filed is not of his choosing. Supreme Court in Dashrath Rupsingh Rathod Vs. State of Maharashtra & Anr. Overruled the two Judge Bench Judgment in K. Bhaskaran v. Sankaran Vaidhyan Balan (1999) 7 SCC 510 wherein it was held that “the offence under Section 138 of the Act can be completed only with the concatenation of a number of acts.
A two Judge Bench of the Supreme Court recently dismissed the Special Leave Petition as withdrawn, filed against the Bombay High Court Judgment which held that dis-honour of “AT PAR” Cheque cases can be filed to the Court within whose local jurisdiction the nearest available branch of bank of the drawer situated explaining the Apex Court Judgment in Dashrath Rupsingh Rathod vs. State of Maharashtra. Earlier Supreme Court had stayed the Bombay High Court Judgment. It was in Ramanbhai Mathurbhai Patel vs State of Maharashtra, Justice M.L.Tahalyani explained the dictum in Dashrath vs. State of Maharashtra in which a three Judge Bench of the Supreme Court held that dis-honour of Cheque cases can be filed only to the Court within whose local jurisdiction, the offence was Committed; ie, where the cheque is dishonoured by the bank on which it is drawn.

क़ुरआन का सन्देश

   
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