एक मुसलमान के अपने जीवन के लिए कोई ऐसा सिद्धांत नहीं जो केवल उसे रोज़े में पाबन्द करता हो ,,मुसलमान की ज़िंदगी कांच की तरह साफ़ होना चाहिए जो रोज़े में ही नहीं हमेशा होना चाहिए ,,रोज़े तो एक ट्रेनिंग है इस्लाम से भटके हुए लोगों को फिर से याद दिलाने के लिए इसलिए दोस्तों कभी यह ना कहो में रमज़ान में यह नहीं करता ,,वोह नहीं करता ,,जो इस्लाम के खिलाफ है जो गलत है वोह रोज़े में नहीं हो तब भी गलत है ,,झूंठ ,,फरेब ,,बेईमानी ,,मक्कारी या फिर कोई भी गुनाह हो रोज़े में ही नहीं हर रोज़ गुनाह कहलाता है ,,इसलिए केवल रोज़े में ही बुरे काम छोड़ने का बखान ना करे हमेशा अपनी ज़िंदगी को विनम्र ,,बेदाग़ ,,,,हंसमुख ,,हरदिलअज़ीज़ होने का स्वभाव ,,सत्य ,,अहिंसा ,,सत्यमेव जयते के सिद्धांत के तहत धर्मयुद्ध जेहाद ,,,,मज़लूमों के इन्साफ की लड़ाई ,,अपनी वजह से किसी को दुःख तकलीफ ना पहुंचे ,,अपने मुल्क की तरफ आँख उठाने वाले की आँख फोड़ने का जज़्बा ,,ईमानदारी ,,दयानतदारी का जज़्बा ही इस्लाम का मूल मंत्र है ,,,,,इसलिए पुरे बारह महीने ,,पूरी ज़िंदगी अमल की ज़िंदगी हो खुदा की बारगाह में सर झुकाने की तौफ़ीक़ हो इसी दुआ के साथ आपका अख्तर खान अकेला ,,,,,
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 जून 2015
भागवत नमाज़ की प्रशंसा करते है
आर एस एस के मोहन भागवत नमाज़ की प्रशंसा करते है ,,मोहम्मद स अ व को सबसे बढ़ा योग गुरु स्वीकार करते है ,,,,मध्यप्रदेश में ईद के दौरान आर एस एस के पूर्व प्रमुख ईदगाह पर जाकर नमाज़ पढ़ने की ज़िद करते है ,,,खुद गृहमंत्री राजनाथ सिंह नमाज़ को बहतरीन योगा क़रार देते है बस इस तरह की बयानबाज़ी का ही नतीजा है के नमाज़ और योगा में योग गुरु बाबा रामदेव ने जंग छिड़वा दी और खुद को देश से ऊपर साबित करने के लिए योगा योगा का विवाद शुरू कर दिया ,,,दोस्तों नमाज़ में नियत ना हॉ और केवल नमाज़ का एक्शन हो तो वोह योगा है लेकिन उसमे इबादत हो ,,,आयतों का बयान हो तो वोह दिमाग और शरीर दोनों का योगा और इबादत होने से नमाज़ है ,,इसी तरह से योगा में अगर श्लोक हो सूर्य की परस्तिश हो तो वोह सूर्यनमस्कार है लेकिन अगर इस योगा में केवल व्यायाम हो तो यह सिर्फ योगा है ,,,,,,,,अख्तर
बढ़ी राजनितिक उथल पुथल होगी
देश के राजनितिक विशेषज्ञों का अनुमान है के अगर राजस्थान की मुख्यमंत्री
वसुंधरा सिंधिया और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को हटाया गया तो देश में
बढ़ी राजनितिक उथल पुथल होगी ,,राजनाथ सिंह देश के अगले प्रधानमंत्री बन
सकते है क्योंकि फिर भाजपा में खुली बगावत के स्वर होंगे ,,भाजपा के लोग
दबी ज़ुबान में नरेंद्र मोदी को उद्योगपति अडानी ,,अम्बानी के निकटम होकर
उन्हें फायदा पहुंचाने के कई दृष्टांत निकाल चुके है ,,जो सभी विरोधी मिलकर
चौतरफा हमले करेंगे और नरेंद्र मोदी से नैतिकता के नाम पर समान नियम के
नाम पर इस्तीफे की मांग कर उन्हें इस्तीफे के लिए मजबूर करेंगे ,,,,,अख्तर
आडवाणी को इमरजेंसी की आशंका, केजरीवाल ने कहा-दिल्ली में जारी है प्रयोग
फाइल फोटोः बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी।
नई दिल्ली. बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी ने
देश में फिर से इमरजेंसी की आशंका से इनकार नहीं किया है। इस आशंका को
विरोधी दलों ने आधार बना कर बीजेपी और मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं।
गुरुवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आडवाणी के बयान का समर्थन
करते हुए कहा, ''आडवाणी का यह कहना एकदम सही है कि देश में फिर इमरजेंसी लग
सकती है। तो क्या दिल्ली में इसी का प्रयोग किया जा रहा है?'' बता दें कि
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा है, '' भविष्य में
नागरिक स्वतंत्रता के निलंबन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।''
आडवाणी ने की इंदिरा गांधी की आलोचना
इमरजेंसी को इंदिरा गांधी और उनकी सरकार का अपराध बताते हुए आडवाणी ने
कहा, “यह फिर हो सकता है, भले ही देश को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है।
2015 में भी पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं हैं। मैं नहीं समझता कि आपातकाल
के दौर के बाद ऐसा कुछ किया गया हो जिससे मुझे यह आश्वासन मिल सके कि
नागरिक स्वतंत्रता का फिर से हनन नहीं हो सकता।” हालांकि इस सीनियर बीजेपी
लीडर ने ये भा कहा कि यह कोई आसानी से नहीं कर सकता… लेकिन यह फिर भी यह
असंभव नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कहना चाहता कि मूल अधिकारों और
स्वतंत्रता में फिर से कटौती कर दी गई है।” हालांकि आडवाणी ने कहा कि यह
संभव है कि एक आपातकाल भारत को दूसरे आपातकाल से बचा सकता है। उन्होंने
जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि हिटलर के शासन की वजह से आज जर्मनी में
शायद ब्रिटेन से भी ज्यादा लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जागरुकता है।
आडवाणी ने कहा, “इमरजेंसी के बाद चुनाव हुआ और इसमें जिस पार्टी ने
इमरजेंसी थोपी थी उसकी बुरी तरह से हार हुई। यह भविष्य के शासकों के लिए
डराने वाला साबित हुआ कि इसे दोहराया गया तो मुंह की खानी पड़ेगी।''
अन्ना आंदोलन के बाद निराशा
आडवाणी ने कहा, “आज मीडिया बेहद ताकतवर है लेकिन यह लोकतंत्र और
नागरिक अधिकारों के लिए वास्तविक प्रतिबद्धता है, इसका मुझे पता नहीं। इसकी
जांच करनी चाहिए।” आडवाणी ने अन्ना आदोलन पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा
कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए आंदोलन में अन्ना के नेतृत्व में लोग लामबंद
हुए। इससे उम्मीद तो पैदा हुई लेकिन यह जल्दी ही निराशा में बदल गई।
बीजेपी ने कहा- नहीं है इमरजेंसी जैसी स्थिति की संभावना
आडवाणी द्वारा भविष्य में इमरजेंसी की आशंका जताने के बाद अब बीजेपी
की प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी का कहना है कि आडवाणी किसी व्यक्ति का नहीं
बल्कि संस्थाओं की बात कर रहे थे। बीजेपी नेता एम.जे.अकबर ने कहा कि, ''मैं
सोचता हूं कि आडवाणी जी संस्थाओं की ओर इशारा कर रहे थी उनका इशारा किसी
व्यक्ति की ओर नहीं था। मैं नहीं समझता की इमरजेंसी जैसी किसी स्थिति की
कोई संभावना है।'' हालांकि विरोधी दल बीजेपी की सफाई से संतुष्ट नहीं है।
वे आडवाणी के इंटरव्यू को मोदी और उनकी सरकार से जोड़ कर देख रहे हैं और
बीजेपी पर जमकर निशाना साध रहे हैं।
विरोधियों ने साधा मोदी सरकार पर निशाना
आडवाणी के इस इंटरव्यू के सामने आने के बाद विरोधियों को बीजेपी और
नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। ‘आप’ नेता आशुतोष ने कहा है कि आडवाणी का
इंटरव्यू मोदी की राजनीति पर पहला कलंक है। वह कह रहे हैं मोदी के नेतृत्व
में लोकतंत्र सुरक्षित नहीं है, आपाताकाल ज्यादा दूर नहीं है। एक ट्वीट में
आशुतोष ने कहा है कि जब मोदी को पीएम कैंडिडेट बनाया जा रहा था तो आडवाणी
ने अपने ब्लॉग में मुसोलिन और हिटलर का जिक्र किया था। आडवाणी ने उस वक्त
कहा था कि बीजेपी मुखर्जी, अटल, दीन दयाल उपाध्याय के आदर्शों से दूर हट गई
है।
* ''आडवाणी देश के सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं अगर उनकी
चिंता है तो सबको उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है हम लोग तो झेल ही रहे
हैं''- नीतीश कुमार
* ''आडवाणी जी के साथ ही मैं आपातकाल में बंदी रहा हूं, मैं उनसे
सहमति प्रकट करता हूं कि आपातकाल की संभावना और संदर्भ आज भी मौजूद हैं,
जिन कारणों से आपातकाल लगा था वे अभी समाप्त नहीं हुए हैं'' - के.सी.त्यागी, नेता, जेडीयू
ललित मोदी ने 96000 में खरीदे थे वसुंधरा के बेटे की कंपनी के 10 रुपए के शेयर
जयपुर. आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित
मोदी की मदद मामले में गुरुवार को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को
दिल्ली से जयपुर तक घेरा। दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं ने विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज के साथ वसुंधरा पर जुबानी हमले किए तो जयपुर सहित सात शहरों
जोधपुर, कोटा, उदयपुर, भीलवाड़ा, डूंगरपुर और अजमेर में प्रदर्शन किया।
पुतले भी फूंके गए। दरअसल, ललित मोदी की कंपनी को शेयर बेचकर 11.23 करोड़
रुपए गैरकानूनी तरीके से लेने के आरोप झेल रही वसुंधरा के सांसद बेटे
दुष्यंत की कंपनी नियंत हैरिटेज होटल का दिल्ली में करोल बाग की एक
बिल्डिंग में चौथे फ्लोर पर एक ही कमरे का ऑफिस है। लेकिन पड़ोसी बताते
हैं, उस पर तीन साल से ताला लगा है।
पड़ोसियों का कहना है कि यहां न तो किसी को आते
देखा और न ये पता कि यहां पर क्या काम होता है और कौन मालिक है। यहां एक भी
कर्मचारी काम नहीं करने आता है। उधर, दस्तावेजों के अनुसार जिस समय ललित
मोदी की कंपनी आनंदा हैरिटेज की ओर से दुष्यंत की कंपनी के 10 रुपए के शेयर
को 96 हजार रु. से भी ज्यादा में खरीदा गया था, तब ललित मोदी की कंपनी 89
लाख के घाटे में थी। दुष्यंत की कंपनी के पास भी सिर्फ एक लाख रुपए की
पूंजी थी। दस्तावेजों के अनुसार नियांत हैरिटेज ने मार्च 2009 के बाद से
आर्थिक मामलों के मंत्रालय को कंपनी की बैलेंस शीट भी पेश नहीं की है।
मेरी कंपनी ने कुछ गलत नहीं किया : दुष्यंत
सांसद दुष्यंत सिंह ने खुद पर लगे आरोपों पर
सफाई दी है। उन्होंने कहा- मैं निजी विदेश यात्रा पर हूं। जानकारी मिली है
कि मेरी कंपनी को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। मेरी छवि को धूमिल किया
जा रहा है। मेरी कंपनी नियंत हैरिटेज होटल प्रा.लि. ने विधि विरुद्ध कोई
काम नहीं किया है।
पीएम के छोटे भाई ने कहा, स्मृति ईरानी की डिग्रियों की भी हो जांच
फाइल फोटो- पीएम नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद
मोदी ने मांग की है कि जिस तरह दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह
तोमर की फर्जी डिग्रियों की जांच हुई है, वैसे ही केंद्रीय मानव संसाधन
विकास मंत्री स्मृति ईरानी की डिग्रियों की भी जांच होनी चाहिए। पीएम के
भाई गुरुवार को गाजियाबाद में पत्रकारों से बात कर रहे थे।
पीएम के भाई ने उठाई 'आप' की आवाज
ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेरडरेशन के वाइस प्रेसिडेंट
प्रह्लाद मोदी गुरुवार को गाजियाबाद में थे। इस दौरान पत्रकारों से चर्चा
करते हुए उन्होंने आम आदमी पार्टी की मांग को दोहराया। उन्होंने साफ तौर पर
कहा कि स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता की जांच होनी चाहिए।
सुषमा के मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए
प्रह्लाद मोदी से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा पूर्व आईपीएल
कमिश्नर ललित मोदी की मदद के मामले में सवाल पूछा गया। इस पर उनका कहना था
कि यह 'इंसानियत' के नाते की गई मदद थी, इसलिए इस मामले को ज्यादा तूल नहीं
देना चाहिए।
'राशन की दुकान से हो सिलेंडर की सप्लाई'
प्रह्लाद ने एलपीजी सिलिंडर की सप्लाई राशन की दुकानों के जरिए करने
का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, 'राशन की दुकानों के जरिए ही एलपीजी की
सप्लाई की जानी चाहिए। इससे दुकानदारों की आमदनी बढ़ेगी और करप्शन पर रोक
लगाने में मदद मिलेगी।'
एक मच्छर
सौ मच्छर मिलकर उतने खतरनाक नही होते जितना मच्छरदानी
में
घुसा एक मच्छर।,,इसीलिए कहते है के बाहर वाले दुश्मनो से हमे खतरा नहीं हमारे देश की मच्छर दानी में जो मज़हबी कॉकरोच हिन्दू मुस्लिम के नाम पर धर्म के सिद्धांतो के विपरीत झूंठ बोलकर भड़का रहे है जो सियासी मच्छर कुर्सी बचाने के लिए मुद्दो और वायदों से भटकाकर देश को गुमराह कर रहे है देश के लिए वोह ज़्यादा खतरनाक मच्छर है इन्हे तुरंत इस मच्छर दानी से बाहर निकालो ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
में
घुसा एक मच्छर।,,इसीलिए कहते है के बाहर वाले दुश्मनो से हमे खतरा नहीं हमारे देश की मच्छर दानी में जो मज़हबी कॉकरोच हिन्दू मुस्लिम के नाम पर धर्म के सिद्धांतो के विपरीत झूंठ बोलकर भड़का रहे है जो सियासी मच्छर कुर्सी बचाने के लिए मुद्दो और वायदों से भटकाकर देश को गुमराह कर रहे है देश के लिए वोह ज़्यादा खतरनाक मच्छर है इन्हे तुरंत इस मच्छर दानी से बाहर निकालो ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
वकीलों के मान सम्मान ,,प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने वाले किसी भी स्तर की एजेंसी को बख्शा नहीं जाएगा
राजस्थान के वकीलों के मान सम्मान ,,प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने वाले किसी
भी स्तर की एजेंसी को बख्शा नहीं जाएगा ,,वकीलों के मान सम्मान की रक्षा के
लिए राजस्थान के वकीलों को एक करने के लिए संभागीय स्तर पर कोटा अभिभाषक
परिषद की पहल पर मेराथन बेठके हो रही है जिसमे संघर्ष की रुपरेखा तैयार हो
रही है इस मामले में राजस्थान भर के अभिभाषक पदाधिकारियों का सम्मेलन कोटा
में आठ अगस्त को बुलाया जाना प्रस्तावित है ,,,कोटा अभिभाषक परिषद के
अध्यक्ष रघुनन्दन गौतम और महासचिव संजीव विजय ने पत्रकारों
को सम्बोधित करते हुए कहा के राजस्थान की शीर्ष संस्था बार कोंसिल वर्तमान
में अस्तित्व में नहीं है जबकि राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासनिक दृष्टि से
वकीलों के आकस्मिक निधन पर उनकी शोकसभा करने तक में पाबंदी लगाने के
परिपत्र जारी कर रही है ऐसे में कोटा अभिभाषक परिषद ने प्रथम बार इसका
विरोध शुरू किया जिसे राजस्थान के सभी वकील साथियो का समर्थन मिल रहा है और
अब राजस्थान भर में गंभीर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए तरह जून को
अजमेर संभाग में ग्यारह जुलाई को जयपुर में बैठक होगी जबकि आठ अगस्त को
राजस्थान भर के अभिभाषक पदाधिकरियों की बैठक कोटा में बुलाई जाना
प्रस्तावित किया गया है , अध्यक्ष ,रघु नंदन गौतम महासचिव संजीव विजय ने
कहा के वर्तमान में राजस्थान सरकार एक रूपये के टिकिट नहीं उपलब्ध करा रही
है जबकि पक्षकारों को मजबूरीवश एक रूपये के स्थान पर दो रूपये के टिकिट
चस्पा करना पढ़ रहे है इसी तरह स्टाम्प भी उपलब्ध नहीं करवाये जा रहे है
,,उन्होंने कहा के राजस्थान भर में एस डी ओ सहित सभी रेवेन्यू कोर्ट्स में
पृथक से अधिकारी नियुक्त हो जो केवल न्यायिक कार्य ही करे प्रशासनिक कार्य
के लिए पृथक नियुकिया की जाए ,, रघु गौतम और संजीव विजय ने कहा के
राजस्थान के वकीलों के लिए वकील विश्राम गृह सभी जिला मुख्यालयों पर बनाना
आवश्यक है जबकि वरिष्ठ वृद्ध अभिभाषकों के लिए पेंशन योजना लागू करना और
युवा अभिभाषकों के लिए स्टाईफण्ड की विशेष मासिक भत्ता सरकार की ज़िम्मेदारी
है जिसे सरकार को देना चाहिए ,,,रघु गौतम ,,संजीव विजय ने कहा के कोटा
अभिभाषक परिषद हमेशा वकीलों के हक़ के संघर्ष के लिए अग्रणी रही है और इस
बार भी कोटा अभिभाषक परिषद राजस्थान के वकीलों के साथ है ,,, उन्होंने कहा
के राजस्थान में वर्तमान में ऐ डी जे की भर्ती प्रस्तावित है जिसकी
नियुक्ति नियम में बदलाव कर एक रूपता लाना आवश्यक है वकील और न्यायिक
अधिकारीयों का एक ही सिलेबस एक ही पेपर होना चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे
और भ्रस्टाचार के आरोपों से बचा जा सके ,,रघु गौतम ,,संजीव विजय ने कहा के
राजस्थान बार कोंसिल के चुनाव में कोटा अभिभाषक परिषद स्थानीय युवा लोगों
को तरजीह देकर प्रतिनिधित्व दिलवाने का भी प्रयास करेगी ताकि कोटा की
समस्याओ को निर्भीकता से बार कोंसिल के समक्ष उठाई जा सके ,,,रघु गौतम ने
कहा के बार कोंसिल का दायित्व होना चाहिए के वोह साल में दो बार राजस्थान
भर के अध्यक्ष और सचिव को बुलाकर विचार आदान प्रदान कर समस्याओं का समाधान
करे जबकि राजस्थान हाईकोर्ट की इस मामले में एक समीति गठित की जाना आवश्यक
है जो हर तीन माह में राजस्थन के अभिभाषक परिषद के अध्यक्षों महासचिवों
के साथ बैठक कर बार और बेंच के आवश्यक टकराव को कैसे रोका जाए विषय पर
चर्चा कर समाधान का रास्ता निकाले ,,उन्होंने कहा के बार कोंसिल को
राजस्थान के वकीलों के लिए आर जे एस ,,,ऐ डी जी की मुफ्त कोचिंग की
व्यवस्था भी करना चाहिए ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
इतना मत झुको
1) लोगों से मिलते वक्त इतना मत झुको, कि
उठते वक्त सहारा लेना पड़े!
.
(2) ज़ुबान की हिफाज़त, दौलत से ज्यादा
मुश्किल है !
.
(3) गरीबों का मज़ाक मत उड़ाओ, क्युँकि
गरीब होने में वक्त नहीं लगता !
.
(4) अगर इबादत नहीं कर सकते, तो गुनाह भी
मत करो !
.
(5) दुनिया ये नहीं देखती कि तुम पहले क्या
थे, बल्कि ये देखती है कि तुम अब क्या हो !
.
6) जहां अपनी बात की कदर ना हो, वहां चुप
रहना ही बेहतर है !
.
(7) धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों
से भरी हो ,
धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से
भरी हो !
.
(8) आजकल लोग समझते 'कम' और समझाते
'ज्यादा' हैं,
तभी तो मामले सुलझते 'कम' उलझते 'ज्यादा'
हैं!
.
(9) शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता!
.
(10) न सफारी में नज़र आई और न ही फरारी
में नज़र आई;
जो खुशिया बचपन मै दोस्तों के साथ साईकिल
की सवारी में नज़र आई
उठते वक्त सहारा लेना पड़े!
.
(2) ज़ुबान की हिफाज़त, दौलत से ज्यादा
मुश्किल है !
.
(3) गरीबों का मज़ाक मत उड़ाओ, क्युँकि
गरीब होने में वक्त नहीं लगता !
.
(4) अगर इबादत नहीं कर सकते, तो गुनाह भी
मत करो !
.
(5) दुनिया ये नहीं देखती कि तुम पहले क्या
थे, बल्कि ये देखती है कि तुम अब क्या हो !
.
6) जहां अपनी बात की कदर ना हो, वहां चुप
रहना ही बेहतर है !
.
(7) धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों
से भरी हो ,
धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से
भरी हो !
.
(8) आजकल लोग समझते 'कम' और समझाते
'ज्यादा' हैं,
तभी तो मामले सुलझते 'कम' उलझते 'ज्यादा'
हैं!
.
(9) शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता!
.
(10) न सफारी में नज़र आई और न ही फरारी
में नज़र आई;
जो खुशिया बचपन मै दोस्तों के साथ साईकिल
की सवारी में नज़र आई
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वेबसाइट में कहा गया है, 'डिजिटल लॉकर अधिकृत उपभोक्ताओं/ एजेंसियों को किसी भी समय और कहीं भी अपने दस्तावेजों को सुरक्षित तरीके से अपलोड और साझा करने की सहूलियत देंगे।'
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