आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

20 जून 2015

मुकेश अंबानी ने खरीदी नौ करोड़ की मर्सिडीज, धमाकों का भी नहीं होगा असर

एस600 खरीदने वालों में रिलायंस इंडस्ट्रीज की वेटिंग 57वें नंबर पर थी। उसे इसके लिए करीब आठ महीने इंतजार करना पड़ा।
एस600 खरीदने वालों में रिलायंस इंडस्ट्रीज की वेटिंग 57वें नंबर पर थी। उसे इसके लिए करीब आठ महीने इंतजार करना पड़ा।
मुंबई। देश के सबसे बड़े अमीर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अपनी सुरक्षा के लिए मर्सिडीज बेंज की अत्याधुनिक बख्तरबंद कार मर्सिडीज एस600 खरीदी है। शनिवार को मुंबई में इसका रजिस्ट्रेशन कंपनी के नाम पर हुआ। मर्सिडीज ने पिछले हफ्ते एस600 गार्ड लांच की थी। तब कंपनी ने इसकी कीमत 8.9 करोड़ रुपए बताई थी। अंबानी को अप्रैल 2013 से जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है।

यह कार सुरक्षा मानकों में वीआर9 लेवल की है। इसे सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर माना जाता है। यह बुलेट प्रूफ तो है ही, इस पर छोटे धमाकों का भी असर नहीं होता है। इस कार को कंपनी की जर्मनी स्थित संयंत्र में बनाया गया है। अभिनेता अामिर खान के पास 2014 मॉडल की यह कार है। वैसे इस तरह की कारों की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ रही है। सूत्रों के मुताबिक एस600 खरीदने वालों में रिलायंस इंडस्ट्रीज की वेटिंग 57वें नंबर पर थी। उसे इसके लिए करीब आठ महीने इंतजार करना पड़ा। गौरतलब है कि मुकेश अंबानी का आशियाना ‘एंटीला’ दुनिया का सबसे महंगा घर माना जाता है। एंटीला की कीमत करीब 6,500 करोड़ रुपए है।
कार कलेक्शन
हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि मुकेश अंबानी के पास कितनी कारें हैं, लेकिन देश के सबसे अमीर व्यक्ति के घर में 6 फ्लोर में तो सिर्फ पार्किंग ही बनी है, जिसमें 20 या 50 नहीं बल्कि 168 कारें रख सकते हैं। मीडिया में आई कुछ खबरों के अनुसार तो उनके पास 150 से भी ज्यादा कारें हैं इसीलिए उन्होंने इतना बड़ा पार्किंग स्पेस बनवाया है। मुकेश अंबानी की प्रमुख कारों में Maybach 62, Mercedes S class, Bentley Flying Spur, Rolls Royce Phantom और ब्लैक Mercedes SL500 शामिल हैं।

सोनिया और राहुल पर विवादित टिप्पणी करने वाले अश्विनी चौबे पर FIR

सांसद अश्विनी चौबे के गाड़ी का घेराव करते कांग्रेस कार्यकर्ता
सांसद अश्विनी चौबे के गाड़ी का घेराव करते कांग्रेस कार्यकर्ता
पटना (बिहार). कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर विवादित टिप्पणियों को लेकर भाजपा सांसद अश्विनी कुमार चौबे मुसीबत में फंसते दिख रहे हैं। चौबे के बयान से आहत प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सदस्य रामनारायण झा ने दरभंगा सीजेएम की अदालत में सांसद के खिलाफ मामला दायर किया है। उन्होंने बक्सर के सांसद अश्विनी कुमार चौबे को नामजद अभियुक्त बनाते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सांसद के बयान से लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता दुखी हैं। सांसद के बयान से सामाजिक सौहार्द बिगड़ेगा।
कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने किया घेराव
बक्सर से बीजेपी सांसद अश्विनी चौबे का यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बक्सर के एक होटल के बाहर 3 घंटे तक घेराव किया। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का कहना है कि सांसद विवादित बयान पर माफी मांगें। जब तक माफी नहीं मांगेंगे, उनका घेराव जारी रहेगा।
चौबे ने कहा माफी मांगने का सवाल नहीं
बक्सर सांसद अश्विनी चौबे ने कहा कि उन्होंने कोई गलत बयान नहीं दिया है। उन्होंने कहा,
'मैंने बयान में किसी का नाम नहीं लिया है। इसलिए माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता है।'
अश्विनी चौबे ने क्या कहा था?
गुरुवार को नवादा जिले के रजौली में भाजपा सांसद अश्विनी चौबे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पूतना बताते हुए कहा था कि लालू और नीतीश इस पूतना की गोद में बैठकर जहर पीने के लिए छटपटा रहे हैं। चौबे ने राहुल गांधी को भी विदेशी तोता करार दिया था। चौबे ने कहा था “सोनिया तो इटली की गुड़िया है, जहर की पुड़िया है। देश में जहर मत घोलो। आज कांग्रेस में कोई नेता नहीं है।” इसके बाद उन्होंने लालू-नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा था, “लालू नेता नहीं हैं वह तो सजायाफ्ता हैं क्योंकि चारा घोटाले में जेल जा चुके हैं। जबकि नीतीश धान घोटाले में जेल जाएंगे। राज्य में 1500 करोड़ का धान घोटाला हुआ है, लेकिन जांच नहीं कराई जा रही है।” कुछ दिन पहले ही चौबे ने लालू-नीतीश को रंगा-बिल्ला बताया था

रमज़ान के मुबारक महीने मे एक दीनी कर्तव्य समझ कर रोज़े रखते हैं

आज हम लोग रमज़ान के मुबारक महीने मे एक दीनी कर्तव्य समझ कर रोज़े रखते हैं जो सही भी है लेकिन दीनी कर्तव्य और सवाब के अलावा भी रोज़े के बहुत से फ़ायदे हैं जिनमे से कुछ फ़ायदे हमारी सेहत व स्वास्थ से सम्बन्धित हैं, लेकिन हम में से बहुत से लोग यह नही जानते कि रोज़ा हमारी सेहत के लिए कितना ज़रूरी है।
.
अगर रोज़ा सही तरीक़े से रखा जाए और सेहत के नियमों का पालन किया जाए तो यह हमारे लिए आख़ेरत के साथ ही दुनिया मे भी बहुत फ़ायदा पहुंचा सकता है। रोज़ा हमारे जिस्म से ज़हरीली और हानिकारक चीज़ों और टाक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है, ब्लड सुगर को कम करता है, यह हमारी खाने पीने की आदतों मे सुधार करता है और हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाता है तथा हमारे जिस्म की बीमारियों से लड़ने की ताक़त मे बढ़ोत्तरी करता है।
.
हम अपने खाने पीने के दौरान बहुत से ज़हरीले पदार्थ या टाक्सिन्स लेते हैं, जैसे डिब्बा बन्द खाने पीने की चीज़ें, जिनको सड़ने या ख़राब होने से बचाने के लिए ऐसी चीज़ें मिलाई जाती हैं जो ज़हरीली होती हैं इसके अलावा आजकल अनाज,फल व सब्ज़ियां उगाने मे ज़हरीली दवाओं का इस्तेमाल होता है, साथ ही हमारे जिस्म मे मेटाबोलिज़्म के दौरान बहुत से ज़हरीले पदार्थ या टाक्सिन्स निकलते हैं, जिनका बड़ा हिस्सा पेशाब,पाख़ाना और पसीने द्वारा हमारे जिस्म के बाहर निकाल दिया जाता है, फिर भी इन टाक्सिन्स की बड़ी मात्रा हमारे जिस्म के अन्दर ही रह जाती है जो हमारे जिस्म में मौजूद चर्बी या फ़ैट के अन्दर इकट्ठा होती रहती है।
.
जब हम रोज़ा रखते हैं (ख़ासतौर से लम्बे समय तक, जैसे-रमज़ान के मुबारक महीने मे एक महीने तक लगातार) तो हमारे जिस्म मे जमी हुइ चर्बी या फ़ैट गलने लगता है और ज़हरीले पदार्थ या टाक्सिन्स बाहर निकलने लगते हैं जो जिगर व किडनी की मदद से जिस्म के बाहर निकाल दिये जाते हैं इस प्रॉसेस को डिटाक्सीफ़िकेशन कहते हैं। (यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि हम रोज़े के दौरान फ़ैट वाली व तली हुइ चीज़ों से परहेज़ करें तभी रोज़ा रखने का पूरा फ़ायदा उठा सकेंगे और अपने जिस्म को सेहतमन्द रख सकेंगे)।
.
रोज़े का सकारात्मक असर हमारे हाज़्मे या डाइजेशन पर भी पड़ता है, रोज़े के दौरान हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को आराम करने का मौक़ा मिल जाता है, रोज़े के दौरान डाइजेस्टिव एन्ज़ाइम्स का बनना या निकलना बन्द नही होता बल्कि धीमा हो जाता है जिससे हमारी बाडी के लिक्विड्स के बैलेंस मे मदद मिलती है, साथ ही हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम धीरे-धीरे काम करता रहता है, इस लिए इफ़्तार या सहरी मे लिया गया फ़ूड लगातार छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटता रहता है और डाइजेस्टिव इन्ज़ाइम्स की मदद से डाइजेस्ट होता रहता है
.
जिसके नतीजे मे हमे एनर्जी मिलती है और हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को खाना डाइजेस्ट करने के लिए दिन भर का समय मिल जाता है जिससे उस पर अधिक बोझ नही पड़ता और हमारा हाज़्मा दुरूस्त रहता है। क्योंकि रोज़े मे एसिड्स का बनना पूरी तरह बन्द नही होता इस लिए जिन लोगों को एसिडिटी की बीमारी हो या पेट मे अल्सर हों उन्हें डाक्टर की सलाह से रोज़ा रखना चाहिए।
.
नई खोजों से पता चला है कि रोज़ा इन्फ़्लामेशन या सूजन वाली बीमारियों में फ़ायदेमन्द है और कुछ स्टडीज़ बताती हैं कि यह एलर्जी को ठीक करने मे भी मददगार है। जिन बीमारियों मे रोज़े से फ़ायदा होने का पता चला है उनमे रुयूमैटायड अर्थरायटिस (जोड़ों की सूजन), सोरिएसिस (चमड़ी की बीमारी), कोलाईटिस (आन्तों की सूजन), और आन्तों के अल्सर आदि की बीमारियां शामिल हैं।
.
रोज़े का रोल सुगर की बीमारी या डायबिटीज़ मे भी काफ़ी इम्पार्टेंट पाया गया है। रोज़ा हमारे जिस्म मे इकट्ठा ग्लूकोज़ को छोटे-छोटे टुकड़ों मे तोड़ देता है जो एनर्जी मे बदल जाता है नतीजे मे हमारी बॉडी का सुगर लेवेल कम हो जाता है और डायबिटीज़ के मरीज़ को राहत देता है, साथ ही पैंक्रियाज़ को भी आराम मिल जाता है।
.
रोज़े के नतीजे मे हमारे जिस्म मे इकट्ठा फ़ैट टुकड़ों मे टूटकर एनर्जी मे बदल जाता है या अगर हम दूसरे शब्दों मे कहें तो हमारे जिस्म की चर्बी गल जाती है इस प्रकार मोटे लोगों को और उन लोगों को कि जिनका पेट निकल आया है स्लिम करने मे रोज़ा मदद करता है।
.
रोज़ा रखना ब्लड प्रेशर के मरीज़ों को भी फ़ायदा पहुंचाता है। स्टडीज़ बताती हैं कि रोज़ा दवा के बाद ब्लडप्रेशर कम करने का सबसे बड़ा साधन है। रोज़ा अथीरोस्क्लेरोसिस के ख़तरे को कम करता है ( अथीरोस्क्लेरोसिस नसों की ऐसी बीमारी है जिसमे नसों के अन्दर फ़ैट जम जाता है जिसके नतीजे मे दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा रहता है)। रोज़े मे फ़ैट टुकड़ों मे बंटकर एनर्जी मे बदल जाता है, इस प्रकार इस बीमारी से बचाव करता है।
.
रोज़ा हमे हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाने मे मदद करता है। यह हमे अपने ऊपर कन्ट्रोल करने मे सहायक है, रोज़ा हमे दिनभर नशे व सेहत के लिए हानिकारक चीज़ों से बचाता है, ऐसा देखा गया है कि रोज़े मे नशे की तलब या तो कम हो जाती है
.
या ख़त्म हो जाती है। अब हमारे उपर है कि हम इस अवसर का कितना फ़ायदा उठा पाते हैं, निश्चित रूप से हमे चाहिए कि हम अपने उपर कन्ट्रोल करें और अपनी सेहत के दुश्मन न बनें और रमज़ान का मुबारक महीना गुज़रने के बाद अपनी खाने पीने या नशे की बुरी आदतों पर नियन्त्रण रखकर इन चीज़ों से दूर हो चुके हों। इंशा अल्लाह।

रोज़ा


दीन-ए-इस्लाम के पाँच सुतूनों (Pillars) में से रोज़ा एक सुतून है । रोज़े का मतलब है ख़्वाहिशात से अपने आप को रोकना । रोज़े की बहुत बड़ी शान यह है कि अल्लाह तआला ने इसे अपनी तरफ़ निसबत करते हुए फ़रमाया कि
“रोज़ा मेरे लिये है और मैं ही इसकी जज़ा यानि बदला दूँगा”
रोज़े के तीन दर्जे हैं-
एक आम लोगों का रोज़ा यह है कि पेट और शर्मगाह को खाने पीने, जिमा (हमबिस्तरी) से रोकना । यह रोज़े का सबसे निचला दर्जा है ।
दूसरा ख़ास लोगों का रोज़ा यह है कि इसमें पेट और शर्मगाह को रोकने के साथ-साथ कान, आँख, ज़ुबान, हाथ, पाँव और जिस्म के सारे आज़ा (organs) को गुनाह से बचाना है । यह रोज़े का दरमियानी दर्जा है ।
तीसरा ख़ासुलख़ास का रोज़ा, इसमें अल्लाह तआला के अलावा सब चीज़ों से अपने आपको पूरी तरह अलग करके सिर्फ़ उसी की तरफ़ ध्यान लगाना है । यह रोज़े का सबसे ऊँचा दर्जा है ।
हर मुसलमान को चाहिये कि रोज़ा रखने में कम से कम दरमियानी दर्जा हासिल करे ।
हर बालिग़ और समझदार मुसलमान पर रमज़ान के महीने के रोज़े फ़र्ज़ किये गए है । लिहाज़ा हमें चाहिये कि रोज़े के बारे में ज़रूरी जानकारी हासिल करें और इसके मसाइल को जानें ताकि इस फ़र्ज़ इबादत को सही तरह अदा कर सकें

माहे रमजान

माहे रमजान को नेकियों का मौसमे बहार कहा गया है। जिस तरह मौसमे बहार में हर तरफ सब्जा ही सब्जा नजर आता है। हर तरफ रंग-बिरंगे फूल नजर आते हैं। इसी तरह रमजान में भी नेकियों पर बहार आई होती है। जो शख्स आम दिनों में इबादतों से दूर होता है, वह भी रमजान में इबादतगुजार बन जाता है। यह सब्र का महीना है और सब्र का बदला जन्नात है।
यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का महीना है। इस महीने में रोजादार को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं। पैगम्बर मोहम्मद सल्ल. से आपके किसीसहाबी (साथी) ने पूछा- अगर हममें से किसी के पास इतनी गुंजाइश न हो तो एक खजूर या पानी से ही इफ्तार करा दिया जाए।
यह महीना मुस्तहिक लोगों की मदद करने का महीना है। रमजान के तअल्लुक से हमें बेशुमार हदीसें मिलती हैं और हम पढ़ते और सुनते रहते हैं लेकिन क्या हम इस पर अमल भी करते हैं। ईमानदारी के साथ हम अपना जायजा लें कि क्या वाकई हम लोग मोहताजों और नादार लोगों की वैसी ही मदद करते हैं जैसी करनी चाहिए? सिर्फ सदकए फित्र देकर हम यह समझते हैं कि हमने अपना हक अदा कर दिया है।
जब अल्लाह की राह में देने की बात आती है तो हमारी जेबों से सिर्फ चंद रुपए निकलते हैं, लेकिन जब हम अपनी शॉपिंग के लिए बाजार जाते हैं वहाँ हजारों खर्च कर देते हैं। कोई जरूरतमंद अगर हमारे पास आता है तो उस वक्त हमको अपनी कई जरूरतें याद आ जाती हैं। यह लेना है, वह लेना है, घर में इस चीज की कमी है। बस हमारी ख्वाहिशें खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं।
खासतौर से हमारी बहनें ईद की शॉपिंग का जायजा लें कि वह अपने लिबास पर कितना कुछ खर्च करती हैं। जरा रुक कर सोचें हममें से कई जरूरतमंद लोग दुनिया में मौजूद हैं जिनके पास तन ढँकने के लिए कपड़ा मौजूद नहीं।
अगर इस महीने में हम अपनी जरूरतों और ख्वाहिशों को कुछ कम कर लें और यही रकम जरूरतमंदों को दें तो यह हमारे लिए बेहत अज्र और सिले का बाइस होगा। क्योंकि इस महीने में की गई एक नेकी का अज्र कई गुना बढ़ाकर अल्लाह की तरफ से अता होता है।
मोहम्मद सल्ल ने फरमाया है जो शख्स नमाज के रोजे ईमान और एहतेसाब (अपने जायजे के साथ) रखे उसके सब पिछले गुनाह माफ कर दिए जाएँगे। रोजा हमें जब्ते नफ्स (खुद पर काबू रखने) की तरबियत देता है। हममें परहेजगारी पैदा करता है। लेकिन अब जैसे ही माहे रमजान आने वाला होता है, लोगों के जहन में तरह-तरह के चटपटे और मजेदार खाने का तसव्वुर आ जाता है।

जोधपुरः आसाराम को नहीं मिली राहत, स्वामी का ट्वीट- जुलाई में बेल निश्चित

जोधपुर में शनिवार को कोर्ट के बाहर आसाराम।
जोधपुर में शनिवार को कोर्ट के बाहर आसाराम।
जोधपुर. नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप में डेढ़ साल से जोधपुर जेल में बंद आसाराम को शनिवार को भी बेल नहीं मिली। जोधपुर जिला एवं सेशन कोर्ट (जोधपुर जिला) ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। आसाराम की जमानत याचिका पर पैरवी के लिए बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी खुद जोधपुर आए थे, लेकिन वह भी आसाराम को बेल नहीं दिला पाए। इसके बाद स्वामी ने ट्वीट कर कहा, ''छठे गवाह को 29 जून तक एक और चांस दिया जाना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो जुलाई में बेल निश्चित है।'' बता दें कि आसाराम को बेल न मिलने पर समर्थकों ने शनिवार को अदालत परिसर के बाहर काफी हंगामा किया, लेकिन पुलिस ने उनको खदेड़ दिया गया।
सातवीं बार खारिज हुई जमानत याचिका
डेढ़ साल से जोधपुर जेल में बंद आसाराम की जमानत याचिका विभिन्न न्यायालयों में सातवीं बार खारिज हुई है। जिला एवं सेशन कोर्ट ने चौथी बार उनकी जमानत याचिका खारिज की है। दो बार उनकी जमानत याचिका राजस्थान हाईकोर्ट तथा एक बार सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुकी है।
शुक्रवार को सुरक्षित रखा था फैसला
आसाराम की जमानत याचिका पर स्वामी ने शुक्रवार को उनकी तरफ से बहस की थी। इसके बाद जज ने फैसला शनिवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। शनिवार दोपहर जज मनोज कुमार व्यास ने कहा कि आसाराम को जमानत दिए जाने का कोई कारण नहीं है। जमानत के लिए जरूरी है कि आसाराम पहले स्वयं को निर्दोष साबित करें। उन्होंने कहा कि अभी तक सभी गवाहों के बयान भी पूरे नहीं हो पाए है। इसके बाद ही उन्हें जमानत दी जा सकती है।
जमानत मिलने की जताई थी उम्मीद
शनिवार को कोर्ट में प्रवेश करने के दौरान आसाराम ने कहा कि मुझे आज जमानत मिलने की पूरी उम्मीद है। आसाराम ने कहा कि विदेशी ताकतें हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने की साजिश रच रही हैं। ये ताकतें पहले रोम, यूनान व मिस्र की सभ्यता व संस्कृति को समाप्त कर चुकी है। अब हिन्दू संस्कृति की बारी है।
समर्थकों को खदेड़ा
कोर्ट परिसर के बाहर आज बड़ी संख्या में आसाराम के समर्थक बैठे थे। सुबह आसाराम को कोर्ट लाए जाने के दौरान समर्थकों ने उनके वाहन के साथ कोर्ट में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया।

अलहाज इब्राहिम कुरैशी

देश भर के मुसलमानो में साक्षरता के प्रति बेदारी पैदाकर ,, उनके हको के संघर्ष के लिए ,,,जागरूकता पैदा करने वाले ,,,मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री ,,,पूर्व अल्पसंख्यक आयोग चेयरमेन ,,दलित मुस्लिम समस्याओं और समाधान के अनुसंधान विशेषज्ञ ,,आल इण्डिया मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी के राष्ट्रिय महासचिव और मध्यप्रदेश मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी के सुप्रीमो ,,,,,अलहाज इब्राहिम कुरैशी के नेतृत्व में ,,,मध्यप्रदेश के भोपाल में ,,ताजुल मसाजिद अहाते में ,,,संचालित मुस्लिम एजुकेशन एवं गाइड सेंटर से ,,मध्यप्रदेश के कई बेरोज़गार ,,,छात्र छात्राओ को फायदा पहुंचा है ,,,,,,भोपाल के इस गाइड सेंटर में कम्प्यूटर प्रशिक्षण स्कीम के तहत हर साल सेकड़ो छात्र छात्राएं लाभान्वित होते है ,,,तो नौकरी और रोज़गार संबंधित जानकारियों से हज़ारो हज़ार बेरोज़गार छात्र छात्राएं अपना भविष्य संवारते है ,,,कार्यालय में एक हिस्से में गरीब मुस्लिम बच्चो के रहने ,,ठहरने और पढ़ने की अलग से व्यवस्था है ,,,जहाँ प्रतीभावांन छात्रों को निशुल्क छात्रावास सुविधा दी जाकर ,,,कोचिंग के प्रति जागरूक किया जाता है ,,इब्राहिम कुरैशी की महनत का ही नतीजा है ,,,,के यहां रहकर दो आई ऐ एस और एक आई पी एस बन चुके है ,,,जबकि मध्य प्रदेश शासन की सहयोगी प्रशासनिक और दूसरी नौकरियों में तो सेकड़ो लोग लाभान्वित हुए है ,,इब्राहिम कुरैशी के नेतृत्व में बेटियों को पढ़ाओ जागरूकता अभियान के तहत कॉलेज ,,तकनीकी कॉलेज ,,व्यवसायिक कॉलेज ,,स्कूलों को मायनोरीटी एजुकेशन का दर्जा दिलवाया गया है जिसमे सिंधी भाषी ,,पंजाबी भाषी ,,क्रिश्चियन ,,जेन और मुस्लिम समाज के डेढ़ सो से भी अधिक कॉलेज संचालित है ,,,इसका फायदा केवल मायनोरीटी के छात्र छात्राओ को मिल रहा है ,,,,इब्राहिम कुरैशी की साक्षरता की अलख से ,,मध्यप्रदेश के पिछड़े दलित मुस्लिम समाज के लोगों में ,,,साक्षरता की मशाल जली है और जहाँ मुस्लिम साक्षरता प्रतीशत चालीस प्रतीशत था ,,,,अब वोह बढ़कर पच्यासी प्रतीशत पहुंच गया है ,,,,इब्राहीम कुरैशी जब मध्यप्रदेश सरकार में दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल में मंत्री दर्जा अल्प संख्यक आयोग के चेयरमेंन थे ,,,,,तब ताजुल मस्जिद के इस हिस्से में पुलिस की टुकड़ियों को हटाकर इब्राहीम कुरैशी ने रातो रात इस परिसर में मुस्लिम इदारे क़ायम करवाये ,,,,जिसमे मदरसा बोर्ड ,,वक़्फ़ बोर्ड सहित कई मुस्लिम इदारों के कार्यालय स्थापित हुए,,, इसी परिसर में से एक हिस्से में बैठकर इब्राहीम कुरैशी देश भर के मुस्लिम ,,,दलित लोगों के लिए,,, रोज़गार ,,साक्षरता ,,उनके जीविकोपार्जन ,,,सामजिक सुरक्षा ,,,पुलिस सुरक्षा ,,साम्प्रदायिक सद्भाव योजनाओ का संचालन करते है ,,,इब्राहीम कुरैशी के बारे में कहा जाता है के वर्तमान में पुरे देश भर में मुस्लिम और दलित समस्याओं के मामले में थिंक टेंक के रूप में जानकार और महत्वपूर्ण सुझाव देकर खिदमते ख़ल्क़ करने वाला कोई दुसरा शख्स नहीं है इब्राहीम कुरैशी मदरसा मॉडर्नाइजेशन ,,,अल्पसंख्यक वित्तविकास निगम की योजनाओ की क्रियान्विति ,,,वक़्फ़ प्रबंधन और वक़्फ़ विकास परिषद से सम्पत्ति का पर्यटन और व्यवसायिक दृष्टि से उपयोग ,,स्कूली शिक्षा से लेकर कॉलेज शिक्षा तक छात्र छात्राओं को कैसे लाभान्वित करे ,,हज प्रबंधन कैसे सस्ता और पुख्ता किया जाए ,,इसका नुस्खा रखते है,, इब्राहिम कुरैशी के प्रयासों से ही ,,जेन समाज को अल्सपंख्य्क सूचि में जोड़ कर अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है ,,इब्राहीम कुरैशी ,,,,ने इनके अल्सपंख्य्क आयोग चेयरमेन कार्यकाल में जो पुख्ता योजनाये मध्यप्रदेश में लागू करते थे वोह मॉडल सभी कांग्रेस शासित राज्यों में लागु कर कांग्रेस वाह वाही लूट कर अल्पसंख्यकों को अपनों से जोड़े हुए थी ,,,कांग्रेस अगर दलित और मुस्लिमों को फिर से अपने साथ जोड़कर अपना वोट बैंक बढ़ाना चाहती है तो कांग्रेस को इब्राहीम कुरैशी को उनके अनुभवों को देखते हुए एक पृथक से विभाग खोलकर ज़िम्मेदारी देना होगी ताकि उनके काम करने के तोर तरीक़ो और सुझावों से दलित और मुस्लिम समाज के लोग जो कांग्रेस के प्रति अविश्वास होने से बिखर कर दूर हो गए है वोह फिर से एक जुट होकर कांग्रेस का अपना हमदर्द समझे और कांग्रेस के साथ जुड़कर कांग्रेस को देश भर में एक बार फिर ज़िंदाबाद कर सत्ता में वापसी करे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ललित मोदी से मिलने लंदन गए थे मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया


ललित मोदी से मिलने लंदन गए थे मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया
मुंबई. ललित मोदी और सुषमा स्वराज विवाद में अब मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया फंसते नजर आ रहे हैं। आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी से पिछले साल जुलाई में राकेश मारिया मिले थे। दोनों की मुलाकात लंदन में हुई थी। अब इस मामले में राकेश मारिया ने अपनी सफाई दी है। मारिया ने सफाई देते हुए कहा है कि जान पर खतरे की शिकायत को लेकर ललित मोदी मिले थे और मैंने उन्हें मुंबई आकर शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी थी। मारिया के अनुसार मोदी के वकील ने उनसे संपर्क किया था और कहा था कि मोदी को अंडरवर्ल्ड की ओर से धमकियां मिल रही हैं। जिसके बाद उन्होंने मारिया से मुलाकात की थी।
मारिया ने कहा कि 2009 में मैं मुंबई पुलिस की क्राइम शाखा का ज्वाइंट कमिश्नर था। मेरे अंतर्गत काम कर रही क्राइम ब्रांच ने ललित मोदी के खिलाफ अंडरवर्ल्ड की साजिश का पर्दाफाश किया था। मारिया का कहना है कि भारत लौटकर उन्होंने ललित मोदी से मुलाकात के बारे में गृह मंत्रालय को इस बात की जानकारी दे दी थी।

कौन हैं राकेश मारिया
राकेश मारिया मुंबई पुलिस के कमिश्नर हैं। 1981 बैच के आईपीएस अफसर राकेश मारिया ने डीसीपी ट्रैफिक रहते हुए 1993 के मुंबई धमाकों का केस सुलझाया था। बाद में उन्हें डीसीपी क्राइम और फिर ज्वाइंट सीपी क्राइम बनाया गया। मारिया ने 2003 में गेटवे ऑफ इंडिया और झवेरी बाजार में हुए धमाकों का केस भी सुलझाया। 26/11 के मुंबई हमले की जांच की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गई एक मात्र गिरफ्तार आतंकी अजमल कसाब से अहम जानकारियां भी उन्होंने ही निकलवाई थीं।

वाल्मीकि समाज

वाल्मीकि समाज की ओर से आयोजित जयपुर मेँ जनसभा को संबोधित करते हुए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष माननीय सचिन पायलट जी ने कहा कि वाल्मीकि समाज कांग्रेस पार्टी का एक अभिन्न अंग है उनहोने अपने संबोधन मेँ संबोधित करते हुए कहा कि हर समाज का विकास तब संभव होता हे जब उनके बच्चे पढ लिख कर प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्र मेँ उच्च पदो पर आसीन हो कर अपने समाज के उत्थान करे उनहोने अपने संबोधन मेँ कहा कि वाल्मीकि समाज जब कभी भी मुझे अपने सामाजिक राजनीतिक कार्यक्रम मेँ मुझे बुलायेंगे तो मे हर समय कार्यक्रम मेँ आने के लिए तैयार हू ओर कहा कि जब कभी भी वाल्मीकि समाज की किसी प्रकार की तकलीफ होगी ये उनके अधिकारोँ का हनन होगा तो में उनके अधिकारोँ के लिए संघर्ष करुंगा
विक्रम वाल्मीकि
प्रदेश सचिव राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी

सावधान : अब देश में नहीं चलेंगे पेन की स्‍याही लगे नोट..

.

भारतीय रिजर्व बैंक का लोगोनई दिल्‍ली। अगर आप किसी भी नोट पर अपना नाम या नंबर लिखने की आदत रखते हैं तो यह आदत उक्‍त नोट को अमान्‍य करार दे सकती है। जी हां, भारतीय रिजर्व बैंक ने अब तय किया है कि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में रुपये की स्‍थिति मजबूत करने के लिए ऐसे नोटों का उपयोग पूरी तरह से बंद कर दिया जाए, जिन पर पेन से निशान बना दिए जाते हैं।
इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी बैंकों को एक सर्कुलर भी जारी किया है। इस सर्कुलर के अनुसार 30 जून के बाद पेन के निशान वाले नोट बैंकों में स्‍वीकार नहीं किए जाएंगे।
भारजीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, बैंकों में बड़े बोर्ड पर दिशा-निर्देश लटकाए गए हैं। जिनमें सभी ग्राहकों से अनुरोध किया गया है कि वे नोट पर लिखने की आदत छोड़ दें। 30 जून के बाद अगर आपने नोट पर कुछ भी लिखा तो उक्‍त नोट की कीमत कागज के टुकड़े के बराबर हो जाएगी....

क़ुरआन का सन्देश

  
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...