आपका-अख्तर खान

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21 जून 2015

अफ़सोस सद अफ़सोस ,,,सर शर्म से झुक गया

अफ़सोस सद अफ़सोस ,,,सर  शर्म से झुक गया ,,,,हाल ही में योगा दिवस को लेकर जो टकराव जो दलीले ,,जो साम्प्रदायिकता का ज़हर देखने को मिला वोह सब हमारे देश की तहज़ीब नहीं है ,,वोह सब  हमारे देश की सियासत की गंदगी तो है लेकिन  हमारे देश के धार्मिक संस्कार नहीं है ,,चाहे हिन्दू हो ,,चाहे मुस्लिम हो ,,चाहे सिक्ख हो ,,चाहे ईसाई हो सभी धर्मो के संस्कार विनम्र है ,,प्यार और सद्भाव सिखाते है ,,लेकिन इस योग की बहस ने हम में से कुछ को जानवर बना दिया हम अपनी मर्यादाओं को प्यार कर अपनी बात मनवाने के लिए एक दूसरे को नीच दिखाने ,,एक दूसरे के लिए बकवासबाज़ी करने ,,एक दूसरे के मज़हब को कमज़ोर बताने के प्रयासों में जुट गए ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया हो  चाहे प्रिंट मिडिया हो अनावश्यक बहसबाज़ी हुई ,,हद तो यह रही के एक दूसरे से भाईचारा ,,सद्भावना का रिश्ता बढ़ाने का प्रतीक सोशल मिडिया भी अपनी मिठास ,,प्यार के रंग भुलाकर एक दूसरे के खिलाफ परस्पर ज़हर घोलने में लग गया ,,तर्क ,,कुतर्क से बोझिल माहोल हो गया ,,कई बार तो मन करा के सोशल मिडिया पर जिन दोस्तों पर हमे अपना होने ,,जिनके समझदार होने पर हमे गर्व है आज वोह कैसे पराये पराय से ,,नफरत भरे माहोल को जन्म दे रहे है ,,,कैसे कैसे कुतर्क ,,केसी केसी अपमानकारी टिप्पणियां कर रहे है ,,मन उदास रहा मेरे एक दोस्त एडवोकेट कमलेश की भावनाए तो बहुत आहत हुई ,,एक बार सोचा मेरे अपनों को दरकिनार कर दूँ लेकिन फिर सोचा जैसे भी है ,,है तो मेरे अपने ,,इन्हे अपनी बात कहने का तो हक़ है लेकिन परवरिश और सियासी भक्तगिरी में यह अपने होश खो गए है और इसीलिए जो बात सलीक़े से कही जा सकती है उस बात को यह गुस्से में अपमानकारी भाषा में कह रहे है ,,,कोई बात नहीं दोस्तों अपनी जुबां ,,अपने अलफ़ाज़ अपनी खुद की पहचान होती है ,,,दलित और मुस्लिम इलाक़ों में विश्व की सबसे बहतरीन अजीबो गरीब गालियां सीखने को मिलती है ,,,में और मेरे दोस्त इन सभी गालियों को जानते है ,,लेकिन समझते है के गालियों या अपशब्द से अपनी बात का वज़न कम हो जाता है ,,इसलिए दोस्तों आपके अपशब्द भी हमने आपका प्यार समझकर गटक लिए ,,,,,,,योगा या फिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के खिलाफ क्या किसी को  बोलने का हक़ नहीं ,,,,विरोधियों से पूंछना चाहता हूँ क्या नरेंद्र मोदी को योग करने का हक़ नहीं अनतर्राष्ट्रीय योग दिवस हमारे लिए गौरव की बात हो सकती है ,,,,लेकिन इसे धर्म से जोड़कर इसे विवादित बनाना हमारी बेवकूफी ही कही जायेगी ,,योगा कोई ज़रूरी नहीं केवल ऐच्छिक था ,,जिसकी मर्ज़ी पढ़े जाए ,,, जिसकी मर्ज़ी पढ़े ना जाए ,,लेकिन इस योगा को कुछ ने हिन्दू कुछ ने मुसलमान बना दिया कोंग्रेसी मुसलमानो की इस योग के प्रति सोच अलग हुई तो भाजपा के मुसलमानो ने तो इस योग पर क़ुरआन मजीद के गलत फ़र्ज़ी हवाले से किताबे छाप कर भाजपा सरकार में मंत्री दर्जा ओहदा प्राप्त करने की जुगत लगा डाली ,,,दोस्तों ,,मेरे भाइयों बात योग की नहीं ,,बात कांग्रेस भाजपा की नहीं ,,बात  हिन्दू मुस्लिम की नहीं ,,बात है नफरत की ,,झूंठ की फरेब की ,,हमे अपने अंदर झांकना होगा ,,अपने अंदर धर्म मज़हब और देश के प्रति समर्पित राष्ट्रीयता को तलाशना होगा ,,,,,नरेंद्र मोदी ने तिरंगे से नाक पोंछी ,,,तिरंगे को अंगोछा बनाया ,,, नितिन गडकरी योग के बाद खुद अकेले नहीं उठ पाये ,,करोडो फ़िज़ूल खर्च हुए ,,यह सब जुमले ,,आरोप प्रत्यारोप है इसका जवाब ,,नरेंद्र मोदी का अंगोछा तिरंगा नहीं था ,,,या फिर कोंग्रेसी भी तो तिरंगे का इस्तेमाल करते है नहीं है ,,,,,,,,देश देख रहा है ,,हम बेवजह आरोप प्रत्यारोप में पढ़ते है ,,, नरेंद्र मोदी से भूल हो सकती है ,,नीतिनगडकरी बीमार हो सकते है इन स बी का सब का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए ,,,,दोस्तों लिखना बहुत चाहता हूँ लेकिन डरता हूँ आप लोगों के गुस्से ,,आप लोगों की नाराज़गी से क्योंकि आप लोग मेरे हम दम मेरे राहबर हो में आप को खोना नहीं चाहता वक़्त ब वक़्त में आपसे मार्गदर्शन चाहता हूँ ,,दोस्तों मुझ से मेरे अल्फ़ाज़ों में आज कल परसों अगर कोई गलती हुई है तो  प्लीज़ मुझे मुआफ करना ,,,,लेकिन आपसे भी गुज़ारिश है के अगर आप को लगे के आपने मेरे मित्र कमलेश की शान में बेवजह गुस्ताखी की ,,गंदे ,,भद्दे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल किया है तो प्लीज़ आप भी उनसे मुआफ़ी मांगकर माहोल को साज़गार बनाइये ,,हम और आप एक है ,,हम और आप एक दूसरे के दुःख दर्द बांटने वाले एक दूसरे की कामयाबी पर वाह वाह करने वाले है ,,एक दूसरे के पूरक है सो प्लीज़ मुझे भी मुआफ कीजिये और आप भी अपने  अंतर्मन को टटोले ,,,,,,आओ एक बोझिल वातावरण को फिर से खुशनुमा वातावरण का बनाये ,,आओ   इस माहोल में फिर से एक दूसरे से गले मिलकर खुशिया बिखेरे और शपथ ले कभी भी किसी भी सियासी ,,किसी मज़हबी मामले का निजीकरण कर नफरत का वातावरण नहीं बनाएंगे अपने अल्फ़ाज़ों पर कंट्रोल करेंगे प्यार देंगे    प्यार लेंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आपका गुस्ताख़  माफ़ी का तलबगार ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पुराना इतवार मिला है..

"आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है..!"
जाने क्या ढूँढने खोला था
उन बंद दरवाजों को,
अरसा बीत गया सुने
उन धुंधली आवाजों को,
यादों के सूखे बागों में
जैसे एक गुलाब खिला है,
आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है,

कांच की एक डिब्बे में कैद
खरोचों वाले कुछ कंचे,
कुछ आज़ाद इमली के दाने
इधर उधर बिखरे हुए,
मटके का इक चौकोर
लाल टुकड़ा,
पड़ा बेकार मिला है,
आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है,
एक भूरे रंग की पुरानी कॉपी
नीली लकीरों वाली,
कुछ बहे हुए नीले अक्षर
उन पुराने भूरे पन्नों में,
स्टील के जंग लगे शार्पनर में
पेंसिल का,
एक छोटा टुकड़ा गिरफ्तार मिला है,
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है,
बदन पर मिट्टी लपेटे
एक गेंद पड़ी है,
लकड़ी का एक बल्ला भी है,
जो नीचे से छिला छिला है,
बचपन फिर से आकर
मानो साकार मिला है,
आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है,
एक के ऊपर एक पड़े,
माचिस के कुछ खाली डिब्बे,
बुना हुआ एक
फटा सफ़ेद स्वेटर,
जो अब नीला नीला है,
पीला पड़ चुका झुर्रियों वाला
एक अखबार मिला है,
आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है,
गत्ते का एक चश्मा है
पीली प्लास्टिक वाला,
चंद खाली लिफ़ाफ़े
बड़ी बड़ी डाक टिकिटों वाले,
उन खाली पड़े लिफाफों में भी,
छुपा हुआ एक इंतज़ार मिला है,
आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है,
मेरे चार दिन रोने के बाद
पापा ने जो दी थी,
वो रुकी हुई घड़ी,
दादाजी की डायरी से चुराई गयी
वो सूखी स्याही वाला कलम
मिला है,
दादी ने जो पहले जन्मदिन पे
दिया था वो श्रृंगार मिला है,
आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है,
कई बरस बीत गए
आज यूँ महसूस हुआ,
रिश्तों को निभाने की दौड़ में
भूल गये थे जिसे,
यूँ लगा जैसे वही बिछड़ा
पुराना यार मिला है,
आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है,
आज उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ॥

चार ड्राफ्ट.....और एक जनाज़ा ~~~!!


__________________________
ग़ुलाम अली के जवां साल चार बेटों के
ड्राफ़्ट आए है इस बार भी सदा की तरह
क़ुवैत से
जिद्दा – दुबई से
तो कुछ कनाडा से
हर इक के साथ लिफाफे मैं एक सी तहरीर
“अलील* आप है पापा ख्याल अपना रखें
ग़िज़ा मैं और दवा में न कोई गफलत हो
हर एक तौर से आराम हो
सहूलत हो
डाफ्ट भेज रहे हैं दुआ के तालिब है” !
पड़ी है शहर के सरकारी मुर्दा खाने में
बशक्ले मय्यत बेकस
ग़ुलाम अली की लाश
फटी फटी आँखों से रास्ता तकती
उन उंगलियों का जो पलकों से आँख ढक जाऐं !
“कहां गये वो जिगर के पारे
आँख के तारे”
वो जिसके चार हैं वारिस
पडा है लावारिस
मोहल्‍ला वालों ने चल के
जनाजा उठवाया
वोह चार बेटे जो काफी थे कंधा देने को
न आ सके घर , उनके चार ड्राफ्टस आये हैं !!

मध्यप्रदेश के पत्रकार की हत्या कर डीजल डालकर जलाया, दो गिरफ्तार

मध्यप्रदेश के पत्रकार की हत्या कर डीजल डालकर जलाया, दो गिरफ्तार
बालाघाट(भोपाल). खनन माफिया ने मध्यप्रदेश के पत्रकार संदीप कोठारी का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी। पहचान छिपाने के लिए शव महाराष्ट्र के वर्धा ले गए और जला दिया। पत्रकार खनन माफिया की शिकायतें लगातार प्रशासन और पुलिस से कर रहा था। मामला बालाघाट जिले के कटंगी क्षेत्र का है।

पुलिस ने बताया कि संदीप को शुक्रवार शाम को मैगनीज के कारोबार से जुड़े राकेश नर्सवानी और उनके साथियों ने बालाघाट से घर लौटते वक्त कटंगी रेलवे स्टेशन के पास टक्कर मारी। उसके गिरते ही उसे जबर्दस्ती गाड़ी में डाल दिया। साथ चल रहे उसके दोस्त ललित को मारकर भगा दिया। इसके बाद वे नागपुर की ओर निकल गए। अपहर्ताओं ने गाड़ी में ही उसका गला घोंट दिया। शव की पहचान न हो इसलिए उसे जला दिया। इधर, ललित ने संदीप के अपहरण की शिकायत दर्ज करा दी। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, एक फरार है। आरोपियों ने गुनाह भी कबूल कर लिया है। पुलिस ने आरोपियों के साथ जाकर अधजला शव भी बरामद किया है।

में बात कर रहा हूँ रेनू श्रीवास्तव एंकर की जो जल्द ही पत्रकारिता में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर डॉक्टर रेनू होने जा रही है

यु तो में क़तरा हूँ मेरे अंदाज़ ने मुझे समंदर बना दिया ,,यूँ तो में एक कण हूँ खूबियों ने मुझे पर्वत बना दिया ,,,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ रेनू श्रीवास्तव एंकर की जो जल्द ही पत्रकारिता में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर डॉक्टर रेनू होने जा रही है ,,,जैसा नाम वैसा ही काम एक कण ,, रेनू यानि एक अणु ,,जिससे मिलकर पूरी कायनात ,,पूरी दुनिया बनाई गई है ,,,अगर उसका अंदाज़ निराला हो ,, उसमे मौसीक़ी हो ,,हिम्मत हो ,,जज़्बा हो ,, तो यह अणु ,,,एक समंदर,,, एक पर्वत का रूप ले लेता है ,,और खुद रेनू ने ,,,अपनी महनत और लगन से,,, खुद को एंकरिंग और लेखन क्षेत्र में आकाश कर लिया है ,,,दोस्तों रेणु श्रीवास्तव जिसकी खनखनाती आवाज़ ,,जिसका अंदाज़ किसी भी बोझिल कार्यक्रम को खूबसूरत और आकर्षक बना देता है ,,,,कहते है अल्फ़ाज़ों में अगर रवानगी हो ,,मौसीक़ी हो ,,मिठास हो ,,अंदाज़ हो और सही वक़्त पर इन अल्फ़ाज़ों का उपयोग हो तो किसी भी बोझिल वातावरण को खुशगवार बनाया जा सकता है ,,रेनू श्रीवास्तव कार्यक्रम के संचालन ,,कार्यक्रम की खूबसूरत एंकरिंग के इस हुनर में माहिर है ,,मास्टर है और इसीलिए यह राजस्थान में एंकरिंग की दुनिया में आज सर्वोच्च हो गई है ,,,,मेला दशहरा हो ,,,,पुलिस प्रशिक्षण या फिर स्किल डवलपमेंट कार्यक्रम हो ,,,आज़ादी के स्वर का कार्यक्रम हो ,,हिंदी दिवस समारोह हो ,,आकाशवाणी हो ,,,टी वी चैनल हो सभी जगह एक नए अंदाज़ ,,नए जज़्बात ,,नए अलफ़ाज़ ,,नयी मौसीक़ी ,,नया रिदम ,,नये व्यक्तित्व के साथ लुभावने अंदाज़ में जब रेनू एंकरिंग करती है तो जो भी कार्यक्रम हो उसकी रूह उसकी आत्मा बन जाती है ,,,,,एक बोझिल वातावरण खुशनुमा माहोल में बदल जाता है ,,,जैसे एक खूबसूरत ग़ज़ल को लोग सुनते भी ,,देखते भी है ,, समझते भी है और दाद भी देते है बस कमोबेश इसी अंदाज़ में रेनू की एंकरिंग को लोग सराहते है उस लम्हे को यादगार बनाते है ,,,,,,,,,,,,,रेनू श्रीवास्तव एक घरेलू ग्रहणी के साथ अपनी सारी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाती है ,,सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ ,,कामकाजी महिला होने की वजह से नौकरी की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद अपने इस एंकरिंग के हुनर को आकाश कर लेना वाक़ई क़ाबिले तारीफ़ है और रेनू की इस कामयाबी को देखकर खुद ब खुद दिल से दाद निकल उठती है वाह वाह कहने को जी करता है ,,,,,,,,,,रेनू ने हिंदी साहित्य में एम ऐ किया फिर पत्रकारिता में स्नातक के बाद स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की कामकाजी महिला के साथ पारिवारिक दाम्पत्य जीवन के निर्वहन के साथ रेनू ने अपना होसला दिखाया अपने एंकरिंग के हुनर को तराशा ,,संवारा और खुद को आकाश कर लिया ,,रेनू अभी थकी नहीं है उन्होंने उदयपुर से पत्रकारिता विषय पर पी एच डी शुरू की है रेनू शीघ्र ही शोध के बाद रेनू से डॉक्टर रेनू कहलायी जाने लगेंगी ,,कोटा वर्धमान विद्यालय में अपने कार्यालय समय में पूरी ज़िम्मेदारी से काम करने के बाद रेनू कोटा आकाशवाणी में भी एंकरिंग करती है ,,कई कार्यक्रम संचालित करती है ,,कई साक्षात्कार लेती है ,,जबकि अपनी पुरकशिश आवाज़ ,,,,लुभावने अलफ़ाज़ ,,अल्फ़ाज़ों में गीत ,,रिदम ,,मौसीक़ी के नए अंदाज़ के साथ रेनू झालावाड़ में चन्द्रभागा मेले की कई सालों से लगातार एंकरिंग कर रही है जबकि कोटा मेले दशहरे में भी आपकी एंकरिंग सर्वोच्च है ,,,रेनू अपने इस अंदाज़ को जब टीवी चैनल पर आकर्षक रूप से न्यूज़ रीडर के रूप में पेश करती है तो लोग इनके इस अंदाज़ को सराहते है ,,,रेनू श्रीवास्तव को चिश्ती प्रोडक्शन की तरफ से ,,,मिसेज़ कोन्ज़ीनाइलिटी ,,,एवार्ड से भी नवाज़ा गया जो चिश्ती प्रोडक्शन का ख्यात्मान एवार्ड है और इसके लिए ऐसी शख्सियत को चुना जाता है जो बहुमुखी प्रतिभा हो ,,हर दिल अज़ीज़ हो ,,जिसका अंदाज़ निराला हो आकर्षक हो ,,लुभावना हो ,,,,,,रेनू श्रीवास्तव महावीर युनिवर्सीटी के कार्यक्रमों की एंकरिंग कर उन कार्यक्रमों में तो जान फूंक ही देती है लेकिन इनकी तासीर है इनका हुनर है के किसी भी बोझिल कार्यक्रम की एंकरिंग अगर इनके पास आ जाए तो उसमे यह रस बिखेर देती है ,,उस बोझिल कार्यक्रम को आकर्षक और मोहक बना देती है ,,रेनू श्रीवास्तव टी वी चैनल पर स्पोन्सर्ड फेमिली गेम शो में प्रतियोगी थी और इन्हे चौसठ युगल जोड़ी के प्रतियोगियों में से दूसरे स्थान पर रख कर विनर एवार्ड से नवाज़ा गया यह रेनू श्रीवास्तव और इनके हमदम ,,इनके जीवन साथी ,,इनके सारथि आशुतोष श्रीवास्तव के लिए गौरव का दिन था और इस जीत से इन्होने कोटा का भी नाम रोशन किया है ,,,,,, इस युगल कामयाब स्मार्ट जोड़ी का यह मुस्कुराता अंदाज़ किसी टूथपेस्ट का विज्ञापन नहीं यह तो इनका अंदाज़ है ,,इनकी जीवन शैली है ,,,,,,जिसका प्रमुख सिद्धांत हंसो और हँसते रहो खुद भी खिलखिलाओ दुसरो को भी खिलखिलाते रहो ,,बेजान ज़िंदगियों में अपनेपन का रंग भर दो ,,,बोझिल वातावरण को खुशगवार माहोल में बदल कर यही इसी सर ज़मीन पर माहोल स्वर्ग सा कर दो ,,,, इस निराले अंदाज़ को सलाम ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

योगा ,,योगा ,,योगा ,,आखिर योगा दिवस हो ही गया

योगा ,,योगा ,,योगा ,,आखिर योगा दिवस हो ही गया ,,,योगा एक कला ,,एक व्यायाम जिसने हमारे भारत को अंतर्राष्ट्री स्तर पर योग गुरु की पहचान दी ,,तस्वीयों और त्यागी साधू संतों ने इस योगा को दुनिया की ज़रूरत बना दिया ,, लेकिन योगा के नाम पर व्यापार और सियासत करने वालों ने इस योगा की हस्ती को मतीयामेट करने की कोशिश की है योगा बदनाम तो हुआ ,,लेकिन विश्व की ज़रूरत बनकर एक अटल वृक्ष की तरह खड़ा रहा ,,,,भारत में योगा को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा किया योगा हिन्दू और नमाज़ मुसलमान हो गयी ,,अनावश्यक टकराव ,,अनावश्यक बयानबाज़ी नफरत फैलाने के अलफ़ाज़ सोशल मिडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मिडीया और प्रिंट मीडियिा पर चलते रहे ,,,योगा जिसका कोई धर्म नहीं है अगर योगा के साथ सूर्य नमस्कार करो तो योगा हिन्दू हो गया और अगर क़ुरआन की इबादत करो तो योगा मुसलमान हो गया ,,,अजीब बात है योगा करने वाला हिन्दू और मुसलमान तो है लेकिन इन्सान नहीं बन पा रहा है ,,खेर भारत में योगा के साथ सूर्यनमस्कार की बंदिश खत्म हुई ,,योगा बाध्यता नई ऐच्छिक रहा लेकिन योगा का प्रचार प्रसार ,,नेगेटिव प्रचार प्रसार ने इस योगा को प्रसिद्धि दी है ,,दोस्तों योगा दिवस केवल भारत में ही नहीं था यह विश्व स्तर पर मनाया गया ,,,,दिन तारीख़ तिथि क्या हुई यह दूसरी बात है लेकिन विश्व स्तर पर बनाये जाने वाले योगा को भारत में किसी व्यक्ति ,,किसी सरकार ,,किसी पार्टी ,,किसी विचारधारा से जोड़ कर देखना बेवकूफी की बात है ,,,केंद्र में सरकार मुस्लिम लीग की भी होती तो अंतर्राष्ट्रीय सिस्टम में योगा दिवस देश में मनाया जाता ,,,योगा में सूर्यनमस्कार का विवाद आते ही अंतर्राष्ट्रीय दबाव में योगा और सूर्यनमस्कार को अलग अलग कर दिया गया ,,,,,,योगा ज़िंदाबाद हो गया ,,भारत में अगर मुनाफाखोर विवादित योग गुरु के स्थान पर किसी योग के प्रति समर्पित योग गुरु को योगा का प्रचारक बनाया जाता ,,जिस पर हत्या ,,बेईमानी ,,फ़र्ज़ी पासपोर्ट के इल्ज़ामात नहीं होती ,,ऐसा योगी जो भोगी नहीं होता ,,योग को व्यापार से जोड़कर दवा का व्यापार नहीं करता ,,अगर ऐसा होता तो शायद देश का एक बढ़ा तब्क़ा सड़को पर उत्तर कर इस निर्विवाद जीवन के लिए आवश्यक व्यायाम योगा को करता ,,मानता ,,स्वीकारता ,,खेर योग दिवस कामयाब हुआ ,, आगे भी देश के लोगों के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस योग दिवस की ज़रूरत होगी लेकिन अगर योग की बागडोर निर्विवाद गैर व्यापारिक योग के प्रति समर्पण व्यक्ति को ज़िम्मेदारी दी जायेगी तो भारत का यह योग फिर से पुरे विश्व के पटल पर ज़िंदाबाद होगा और दैनिक प्रक्रियिा में चाहे पूजा हो ,,,,चाहे नमाज़ हो ,,,चाहे अरदास हो ,,,चाहे गॉड ब्लेस हो ,,,,सभी अपनी अपनी इबादत के बाद योगा को शरीर के लिए ज़रूरी समझकर करते देखे जाएंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सवाल:

सवाल: सबसे पहला
बादशाह कौन है जिसने
सूली की सजा दी
और किसको दी ?
जवाब: फ़िरऔन पहला
बादशाह है जिसने हाथ
पैर काटने और
सूली की सजा दी उन
जादूगरों को जो हज़रत
मूसा
अलैहिस्सलाम पर ईमान
लाए थे |
(Khaza-E Nul Irfan,P 9,R
5)
सवाल: सबसे पहले दुनियां
में कौनसा जानवर
बीमार हुआ ?
जवाब: सबसे पहला
जानवर "शेर" बीमार हुआ
|
जो कश्ती-ए-नूह में सवार
था ये शेर पहला जानवर है
जो दुनियां
में बीमार हुआ |
अबी इब्ने हातिम की
रिवायत है कि रसूल
अल्लाह सल्ल० ने
फ़रमाया: कि हज़रत नूह
अलैहिस्सलाम जब तमाम
जानवरों को
अपनी कश्ती में सवार कर
चुके तो लोगों ने कहा कि
शेर की
मौजूदगी में बाकी
जानवर कैसे आराम से रह
सकेंगे | तब अल्लाह
पाक ने शेर पर बुख़ार डाल
दिया जिससे वह चुपचाप
बैठा रहा
इससे पहले जमीन पर ये
बीमारी नहीं थी |
सवाल: रूह कब्ज करने के
लिए "मल्कुल मौत" कितने
फ़रिश्तों को
अपने साथ लेकर आते हैं ?
जवाब: मोमिन की रूह
कब्ज करने के लिए मल्कुल
मौत अपने
हमराह "रहमत" के छ: लाख
फ़रिश्तों को लेकर आते हैं
और काफिर
की रूह कब्ज करने के लिए
छ: लाख "अजाब" के फरिश्ते
उनके
साथ होते हैं |
Allahu Akbar
(Ma'rijun Nubuwwa
Jild-3 Safa No.105)
सवाल: उस फरिश्ते का
क्या नाम है जो "कयामत"
के दिन
जमीन को बोरी की तरह
लपेट देगा ?
जवाब: उस फरिश्ते का
नाम "रियाफ़ील"
अलैहिस्सलाम है जो
कयामत के दिन तमाम
जमीन को बोरी की तरह
लपेट देगा |
(Al Ittiqan Fi Ulumul
Quran Jild -1 Safa No.
60)
सवाल: वह कौनसा
फरिश्ता है जिसके माथे
पर पूरा "कुरआन"
लिख दिया गया है?
जवाब: वह हज़रत
इस्राफील अलैहिस्सलाम
हैं जिनकी पेशानी
पर पूरा कुरआन लिख
दिया गया है |
(Tafseer Naimi Jild-2
Safa No. 309)
सवाल: वह कौनसा
फरिश्ता है जो कयामत के
दिन लोगों को
मैदाने महशर की तरफ
बुलाएगा ?
जवाब: वह हज़रत
इस्राफील अलैहिस्सलाम
हैं बअज ने कहा है कि
निदा तो हज़रत
जिब्रील अलैहिस्सलाम
देंगे और सूर हज़रत
इस्राफील अलैहिस्सलाम
फूकेंगे |
(Savi Jild - 3 Safa No. 65)
सवाल: जन्नत के खजीन
फरिश्ते का क्या नाम है ?
जवाब: जन्नत के खजीन
फरिश्ते का नाम
"रिजवान"
अलैहिस्सलाम है |
सवाल: दोजख के खजीन
फरिश्ते का क्या नाम है ?
जवाब: दोजख के खजीन
फरिश्ते का नाम
"मालिक"
अलैहिस्सलाम है |
(Al Ittiqan Fi Ulumul
Quran Jild-1Safa No. 60)
सवाल: कयामत के दिन यह
भी पूछा जायेगा कि
अपनी
उंगलियों के नाम बताओ ?
जवाब: अपने हाथ की
छोटी उंगली से शुरू करें --
(1) आमीन
(2) अमानत
(3) जन्नत
(4) शहादत
(5) फ़र्ज
पाँच जगहों पर हंसना
पच्चीस गुनाहों के
बराबर है ---
(1) कब्रस्तान में
(2) जनाजे के पीछे
(3) मजलिस में
(4) तिलावत-ए-कुरआन में
(5) मस्जिद में
अच्छी बातों को फैलाना
सदका जारिया है --
तीस लाख नेकिया लिख
दी जाती हैं कयामत के
दिन तो
इन्सान एक-एक नेकी के
लिए तरसेगा ....

माजसेवा से जुड़कर जयपुर में लोगों खिदमत अंजाम दे रही श्रीमती रमा बजाज कोटा में कांग्रेस की मज़बूती को लेकर चिंतित है

दोस्तों छात्र राजनीति के बाद समाजसेवा से जुड़कर जयपुर में लोगों खिदमत अंजाम दे रही श्रीमती रमा बजाज कोटा में कांग्रेस की मज़बूती को लेकर चिंतित है वोह जिला प्रभारी धीरज गुर्जर ,,अपने साथी विक्रम वाल्मीकि के साथ मिलकर कंधे से कंधा मिलकर कोटा में कांग्रेस को फिर से ज़िंदाबाद करने के लिए प्रयासरत है ,,कोटा ज़िले की सहप्रभारी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सचिव होने के नाते रमा बजाज ने कोटा ज़िले के कई बार दौरे किये अलग अलग युवाओं ,,छात्र छात्राओ ,,,महिला वो पुरुषो से मिलकर उन्हें फिर से कांग्रेस के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित कर कांग्रेस के सदस्य्ता अभियान को मज़बूती दी है ,,,,कोटा ज़िले में कांग्रेस के किसी भी प्रदर्शन ,,कार्यक्रम में प्रभारी धीरज गुर्जर और विक्रम वाल्मीकि के साथ रमा बजाज सक्रिय रहती है ,,किसी वजह से अगर रमा बजाज नहीं आ सके तो वोह टेलीफोन पर कार्यकर्ताओं और संबंधित पदाधिकारी प्रतीिनिधियों से सम्पर्क कर कार्यक्रम पर कड़ी नज़र रखती है ,,रमा बजाज जयपुर क्षेत्र में रहकर अपने कार्य को पूरी तरह से अंजाम देती है और जयपुर सहित राजस्थान के विभिन्न इलाक़ों में जाकर महिलाओं ,दलितों ,,अल्पसंख़्यकों को कांग्रेस के साथ जोड़ने का प्रयास करती है ,,रमा बजाज की कांग्रेस के प्रति सक्रियता और उनका समर्पण का ही नतीजा है के वोह महिला प्रतीनिधी के रूप में अखिल भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की सदस्य भी नामज़द की गई है वोह दिल्ली में होने वाले कांग्रेस संगठन की बैठकों में हिस्सा लेकर राजस्थान में कांग्रेस को मज़बूत करने ,,आम लोगों में कांग्रेस के प्रति गलतफहमियां हो जाने से उनके अलग हो जाने पर उन्हें फिर से कांग्रेस के साथ कैसे जोड़ा जाये इस बारे में महत्वपूर्ण सुझाव देती रही है ,,उनके कई सुझावों पर अमल भी किया गया है ,,,,,,,,,रमा बजाज महिला तो है लेकिन अबला नहीं दबंग ,,मज़बूत तेज़तर्रार और कांग्रेस को ज़िंदाबाद करने के लिए हर तरह का संघर्ष हर तरह की लड़ाई करने का जज़्बा रखने वाली मज़बूत इरादों वाली महिला है ,,,,,,रमा बजाज जयपुर के कई समाज सेवी संस्थाओ से जुड़कर सेवाभावी रूप से कार्य करते हुए लोगों में कांग्रेस के प्रति झुकाव ,,जुड़ाव पैदा कर रही है ,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेल कोटा राजस्थान

"आख़री" होगी,

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात
अच्छी लगती है..
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में
रहना ।।
चाहता तो हु की
ये दुनिया
बदल दू
पर दो वक़्त की रोटी के
जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती
दोस्तों
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से
कभी ना चला ...!
युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, 'किमत
चेहरों की होती है!!'
अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र
क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र
क्यों ???
"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर
देती हैं,
एक उसका 'अहम' और
दूसरा उसका 'वहम'......
" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता
और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है
या नहीं,
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नही
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात
"आख़री" होगी,
ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी ।
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक
दूसरे से,
ना जाने कौनसी "मुलाक़ात"
आख़री होगी ....।।।।
अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो
तरीके बदलो,....ईरादे नही....||
ग़ालिब ने खूब कहा है :
ऐ चाँद तू किस मजहब का है !!
ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा!

,,,,आई पी एस पंकज चौधरी ,,,जो जनता के दिलों पर राज करते है

सियासत सरकारी अधिकारीयों और कर्मचारियों को ट्रांसफर का डर बताकर ,,,,अपना गुलाम बनाकर रखती है ,,लेकिन ट्रांसफर को लेकर भी,,, कुछ विधि नियम बने है अगर अधिकारी ,,कर्मचारी चमचागिरी और चपलुसवाद से ऊपर उठकर जनता की सेवा को परमोधर्म समझ ले तो फिर उन्हें सत्ता के किसी भी नेता का डर नहीं होता है ,,सरकार चाहे बदले की भावना से किसी भी क़ाबिल अधिकारी को सज़ा के बतौर काले पानी ही क्यों ना भेज दे ,,,,,,,,,,राजस्थान के एक मात्र मर्द पुलिस अधिकारी ने विधि नियम के तहत मनमाने ट्रांसफर करने की प्रक्रिया के खिलाफ दबंगता दिखाते हुए आवाज़ उठाई है ,,,,आई पी एस पंकज चौधरी ,,,जो जनता के दिलों पर राज करते है ,,पीड़ित ,,शोषित लोग पलक पावणे बिछाकर उनकी आमद का इन्तिज़ार करते है ,,,लेकिन जनता के हक़ के लिए ईमानदारी से ,,जनता को गुंडों से प्रोटेक्शन देने वाले ,,,पुलिस अधिकारी पंकज चौधरी ,,,नेताओ और राजस्थान सरकार की आँख की किरकिरी बन गए है ,,,,,पंकज चौधरी पहले बाड़मेर पुलिस अधीक्षक रहकर कांग्रेस के एम एल ए के पिता की दादागिरी खत्म करने के कारण सरकार के कोप भाजन का शिकार बने उन्हें क़ाबलियत के बावजूद ठंडे बस्ते वाली पोस्टिंग दी गई ,,भाजपा ने इस मामले में ऐतराज़ जताया आंदोलन किया और जनता की मांग पर सत्ता में आते ही भाजपा ने पंकज चौधरी की क़ाबलियत देखकर उन्हें बूंदी पुलिस अधीक्षक ,के पद पर नियुक्त किया ,,पंकज चौधरी की कार्यशैली से जनता खुश लेकिन गुंडे ,बदमाश ,,दलालों के कारोबार बंद ,,लुच्चागिरी खत्म , गुंडाई तत्व जब खुले रूप में हथियार लेकर आमने सामने का संघर्ष कर खून खराबे को तैयार हुए तो पंकज चौधरी ने ईमानदारी से क़ानून का डंडा चलाया अपराधियों को दोढा दोढा कर पीटा ,,,,,,,,,,,पंकज चौधरी की इस कार्यवाही से राजस्थान में भहजपा सरकार बढ़ा खून खराबा रुक जाने से कलंकित होने से बच गई ,,लेकिन पंकज चौधरी को सियासी नाराज़गी का शिकार होना पढ़ा ,,,नतीजा एक क़ाबिल होनहार अधिकारी का मनोबल तोड़ने और दूसरे अधिकारियों को अपनी चाकरी में रखने के लिए सरकार ने पंकज चौधरी को फिल्ड पोस्टिंग से हटकर आर ऐ सी बटालियन दिल्ली में तैनात कर दिया ,,पंकज चौधरी ने वहां भी ईमानदारी से काम किया तैनात जवानो का दिल जीता उनसे काम लिया तो उन्हें उनके काम के बदले पुरस्कृत कर उत्साहवर्धन भी किया ,,,,,,राजस्थान में फिर आई पी एस की ट्रांसफर लिस्ट निकली यहां राजस्थान पुलिस अधिनियम अस्त्तित्व में है इस अधिनियम के विधिक प्रावधानों के तहत कोई भी ट्रांसफर ,,अधिकारी या पुलिसकर्मी की क़ाबलियत के आधार पर होगा ,,क़ाबिल अधिकारीयों को फील्ड पोस्टिंग मिलेगी नाकारा और जिन की शिकायत है उन्हें फील्ड पोस्टिंग नहीं देंगे ,,लेकिन राजस्थान में इस क़ानून का ध्यान नहीं रखा गया नै लिस्ट में फिर पंकज चौधरी जैसे क़ाबिल ,,जांबाज़ ,,गरीबों के हमदर्द ,,पुलिस अधिकारी को अंगूठा दिखाते हुए फील्ड पोस्टिंग नहीं दिया ,,,आम तोर पर सरकार से टकराने की हिम्मत अधीकरियो की नहीं होती ,,वोह उनके साथ हो रहे ज़ुल्म के बाद भी खामोश रहते है ,,लेकिन पंकज चौधरी जो दूसरों के ज़ुल्म के खिलाफ उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए बेधड़क होकर लड़ते है ,,उन्होंने अपने साथ हुए इस विधिविर्रुद्ध अन्याय के खिलाफ जंग का ऐलान किया है ,,,पंकज चौधरी पुलिस अधिनियम के विधिक प्रावधान के खिलाफ मनमर्ज़ी बंदरबांट वाली इस ट्रांसफर लिस्ट को केट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती देने को तेह्यर है ,,पंकज चौधरी की इस शेर दिली दहाड़ से सरकार सकते में तो है ,,नतीजा कुछ भी हो लेकिन पंकज चौधरी के इस विरोध के चलते सरकार को अब नए ट्रांसफर पोस्टिंग में अधिकारीयों की क़ाबलियत का भी ध्यान रखना पढ़ेगा और अगर सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले में विधि नियम की व्याख्या कर ट्रांसफर लिस्ट निरस्त कर दी तो सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क़ुरआन का सन्देश

 
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