आपका-अख्तर खान

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23 जून 2015

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एक मरतबा हज़रत मूसा अलैहीस्सलाम ने अल्लाह से पूछा : ऐ अल्लाह..जब तू ख़ुश होता है तो क्या करता है..?
रब्बे कायनात ने फरमाया : मैं उस दिन बारिश बरसाता हूँ ।
मूसा अलैहीस्सलाम ने फिर पूछा - ऐ अल्लाह..जब तू ज़्यादा ख़ुश होता है तो क्या करता है..?
अल्लाह तआला इर्शाद फरमाता है मैं उस दिन ज़मीन पर बेटियों को पैदा करता हूँ ।
हज़रत मूसा अलैहीस्सलाम ने फिर पूछा - ऐ अल्लाह..जब तू सबसे ज़्यादा ख़ुश होता है तब क्या करता है..?
बारी तआला ने इर्शाद फरमाया : मैं उस दिन लोगों के घर मेहमान भेजता हूँ ।
सुभानअल्लाह
और आज अल्लाह की यही नेमतें ऐसी हैं , जो इन्सान से बर्दाश्त नहीं होतीं ।
1- बेटी
2- बारिश
3- मेहमान

👆 अल्लाह ने अपने बन्दों पे नेमते की जिनमे ऐ तीन है
🐛 अनाज में कीड़े पैदा कर दिये वर्ना लोग इसे सोने और चाँदी की तरह ज़खीरा कर लेते और लोग भूखे मर जाते
२ 💮 मौत के बाद मुर्दे के जिस्म में बदबू पैदा की वरना लोग अपने प्यारो को दफन ना करते
👼 मुसीबत के बाद सबर और सकून दिया वरना ज़िन्दगी कभी खुशगवार ना होती
📖 क़ुरान पाक को सुनने से कैंसर नहीं होता बल्की कैंसर अगर हो तो वो भी मर जाता है
📢 नमाज़ में लम्बे सजदे करने से ज़ेहन तेज़ होता है
👼 और सर दर्द और बाल गिरने से बचाता है
👆 तशहूद के दौरान ऊँगली उठाने से दिल मज़बूत होता है
🛀 वो कौन सा पानी हे जो क़यामत के रोज़ नेकियों के साथ तराज़ू में रखा जायेगा
🍶 वज़ू का पानी
🚶 अगर आप किसी को बता देंगे तो ये सदक़ा ऐ जरिया होगा
🙏 पलीज़ किसी एक को जरूर सेंड करे
👆 अल्लाह पाक हमें कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाये

दोस्तों सोशल मिडिया के सुपर हिट एक्टीविस्ट भाई साबिर

दोस्तों सोशल मिडिया के सुपर हिट एक्टीविस्ट भाई साबिर जो ई टीवी सहित कई प्रिंट मिडिया में पत्रकरिता से जुड़े रहे है वोह अकेले थे ,,,,,लेकिन हिम्मत वाले जवान मर्द था फिर अठाईस साल पहले उन्हें हमारी भाभी ने पसंद कर उनसे निकाह क़ुबूल किया ,,,वोह साबिर भाई की जीवन संगिनी बानी ,,माशा अल्लाह आज अठाईस साल में अकेले साबिर भाई पहले दुकेले हुए अब खेर से खुशहाली के साथ अपने भरे पुरे परिवार के साथ खुशहाल ज़िंदगी में है ,,,साबिर खान अपनी पारिवारिक व्यस्तता के बावजूद ,,,व्यवसायीक ज़िम्मेदारियों के बावजूद और सामजसेवा सहित पत्रकारिता के नाज़ों नखरों को सहने के बाद भी माशा अल्लाह अपने परिवार के साथ बिंदास मस्त होकर ज़िंदगी गुज़ार रहे है ,,साबिर भाई के पुत्र ,,पुत्रियां उनके चहेते ,,अब भाभी जी का तो क्या जब साबिर भाई थे इनकी थी लेकिन बच्चे हो गए तो बंट गई ,,,लेकिन भाभी भी हिम्मत वाली है उनका गुस्सा उन्होंने काफी ज़ब्त कर होंठो पे मुस्कुराहट ला रखी है ,,घर की बात है लेकिन बात सही है हमारे साबिर भाई कई सालो से हर साल भाभी और बच्चो को ख़ास जगहों पर सेर सपाटे को ले जाते है लेकिन इस बार साबिर भाई अपनी व्यस्तताओं का बहाना बना कर भाभी और बच्चो को घूमने फिरने से वंचित करने में कामयाब हुए ,,,,खेर साबिर भाई की ज़िंदादिली ,,फ़राख़ दिली ,,लोगों के हमेशा काम आने का जज़्बा इन्हे अपनों का चहीता बनाये हुए है ,,यह हर दिल अज़ीज़ शख्सियत ,,हँसते खेलते पत्रकारिता क्षेत्र में कई इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी करने में माहिर है और इसीलिए रामगंजमण्डी क्षेत्र की कोई भी खबर इनसे बच कर नहीं निकल पाती है कभी सोशल मीडिया तो कभी प्रिंट मीडया तो कभी इलेक्ट्रॉनिक मिडिया साबिर भाई जहाँ जाते है अपने हंसमुख ज़िंदादिल स्वभाव की वजह से छा जाते है और कुछ अलग करने के जज़्बे से चाहे ई टी वी की पत्रकारिता हो चाहे प्रिंट मिडिया की पत्रकारिता हो विशेष दर्जा पाकर पुरस्कार भी हांसिल करते है ,,भाई साबिर और उनके परिवार को खुदा सह्त्याबी ,,उम्रदराज़ी के साथ खुशहाली कामयाबी दे ,,उनकी हर ख्वाहिश केवल नई भाभी जी लाने के आलावा अल्लाह पूरी करे ,,,आमीन सुम्मा आमीन ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आपातकाल के दौरान सरकार के शोषण उत्पीड़न से पीड़ित लोग अपने इन्साफ की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे है

दोस्तों आपातकाल के दौरान सरकार के शोषण उत्पीड़न से पीड़ित लोग अपने इन्साफ की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे है ,,,लोकतंत्र संरक्षक जंगजू सिपाही भाई फरीदुल्ला अपने साथियों के साथ इस जंग को लड़कर काफी हद तक जीतने में कामयाब हो गए है ,,लेकिन राजस्थान सहित कई राज्य ऐसे है जहा आज भी आपातकाल के पीड़ित शोषित लोग इन्साफ के संघर्ष कर रहे है ,,,,,जी हाँ दोस्तों वर्ष उन्नीस सो सतत्तर का वोह काला अध्याय जिस वक़्त देश के संवीधान को ताक़ में रखकर देशवासियों के सभी संवेधानिक अधिकार ज़ब्त कर लिए गए थे ,,,जो लोग जंगजू थे ,,लोकतंत्र के प्रहरी थे ,,,,उन्होंने इस शोषण ,,उत्पीड़न ,,ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद की नतीजन उन्हें बदले की भावना से जेलों में ठूंस दिया गया जिन्हे बाद में डी आई आर ,,,मीसा बंदी का नाम दिया गया ,,ज़ेल में भी इन लोकतंत्र के प्रहरियों के साथ सरकार के इशारे पर दमनकारी कार्यवाहियां की गई लेकिन यह लोकतंत्र के प्रहरी ना डरे ,,न घबराये ,,लोकतंत्र बहाली के लिए संघर्ष करते रहे ,,सरकार को इन संघर्ष शील जंगजू लोगों के आगे झुकना पढ़ा ,,,एक बार फिर आपातकाल के गुलाम भारत को इन लोकतंत्र प्रहरी सेनानियों की वजह से आज़ादी मिली ,,लोकतंत्र की बहाली हुए सरकार बदली ,,,,संघर्षशील लोकतंत्र प्रहरियों के दो हिस्से हो गए एक दल तो सत्ता की चाशनी में मंत्री ,,,,,सहित कई महत्वपूर्ण पद लेकर ज़ीरो से हीरो बने ,,सड़कछाप से अरबपति बनते चले गए ,,लेकिन जो लोग ईमानदार थे ,,जो लोग मूल्यों की राजनीती पर ज़िंदा थे वोह जैसे थे वैसे ही रहे ,,उनकी क़ुर्बानियों का सिला उन्हें नहीं मिला ,,,,,उनके परिजनों से अलग थलग रहकर उनकी जेल की पीड़ा का दर्द उन्हें सालता रहा ,,ऐसे में एक हीरो भाई फरीदुल्ला खान ने सभी साथियों को एक जुट किया ,,,,,हाड़ोती के इस शेर पर पुलिस ज़ुल्म अत्याचार की बेदर्द कहानी थी लेकिन किसी भी ज़ुल्म के आगे भाई फरीदुल्ला न झुके ,,न टूटे नतीजन सरकार इनसे घबराने लगी ,,,,फरीदुल्ला और साथियों ने लोकतंत्र के संरक्षक सेनानियों का एक अलग संघठन बनाया जो लोग सत्ता में रहकर मीसा बंदी के नाम पर चाशनी चूस रहे थे उनसे सम्पर्क किया लेकिन वोह तो सत्ता में मदमस्त थे नतीजन फरीदुल्ला भाई और साथियों ने सुचना के अधिकार के तहत ऐसे लोगों की सम्पत्तियों की जानकारी चाहि वोह घबरा गए ,,,,पुरे देश में एक आंदोलन खड़ा हुआ और कई राज्यों में लोकतंत्र के इन प्रहरियों को सेनानियों का विशिष्ठ दर्जा देकर इनकी पेंशन योजना शुरू कर इन्हे विशिष्ठ लाभ देने की घोषनाये की गई ,,राजस्थान सहित कई कांग्रेस शासित राज्य इस मामले में पिछड़ गए और कई राज्यों में ऐसे जंगजू सिपाहियों को लाभ नहीं मिल सका ,,सेकड़ो लोग अपने मान सम्मान की पुनर्स्थापना के इन्तिज़ार में मोत के शिकार हो गए ,,,,कई लोग और उनका परिवार आज भी आहत है ,,पेंशन योजना क़ानूनी पेचीदगियों कलेक्टर ,,बाबुओं के वेिरफिकेशन में उलझती चली गई ,,,नतीजा आज कई लोकतंत्र के प्रहरी फ्रस्टेशन में है ,,,उनकी वाणी से आपा खो बैठे है ,,लोकतंत्र के कई सरंक्षक प्रहरी तो निराशावाद के इस दौर में आ गए है के वोह किसी दूसरी पार्टी ,,किसी दूसरे व्यक्ति के किसी भी अलफ़ाज़ पर उसे खाने को दौड़ते है ,,,उसके लिए अपशब्द भी कह देते है कुल मिलाकर ऐसे लोगों के साथ जो सरकार द्वारा विश्वासघात किया जा रहा है उससे वोह उत्पीड़ित है और वोह यह भूल गए के जिस लोकतंत्र की आज़ादी जिस वाक् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने संघर्ष किया था आज वाही लिखने वालों के साथ मीसा बंदियों जैसा अत्याचार अपनी वाणी अपने अल्फ़ाज़ों से आकर रहे है ,,,,,देश में आज भाजपा की सरकार है ,,,,,,,,,,केंद्र में लोकतंत्र के प्रहरी है राज्यों में अलग अलग सरकार है कई राज्यों में मीसा बंदियों को उनका हक़ नहीं मिल पा रहा है उनके साथ अत्याचार हो रहा है और इसीलिए वोह गुस्से और सदमे में दूसरे लोगों के वाक् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मीसा बंदियों के खिलाफ अत्याचारियों की तरह हो गए है उनका बर्ताव मोहब्बताना नहीं क्रोध स्वभाव वाला होता जा रहा है ,,,बात वाजिब भी है सब्र वाले और वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठकर वाक् एवं अभिव्यक्ति सम्मान करने वाले तो ठीक है लेकिन जो लोग निराशावाद में है ,,अतिउत्साही होने लगे है उनके इंसाफ के लिए हमे और आपको संघर्ष करना होगा ,,,मेरे कुछ सुझाव है जो सभी मीसा बंदी अगर एक जुट हो जाए तो एक हफ्ते में उनका मान सम्मान उन्हें मिल सकता है ,,,सभी मीसाबंदी राज्यों की पेंशन और लाभों की जगह सिर्फ केंद्र से नीति नियम बनवाकर केंद्र के बजट से ही पेंशन और दूसरी सुविधाये सांसदों के बराबर प्राप्त करे ,,,नरेंद्र मोदी मीसा का दर्द तो नहीं समझेंगे लेकिन लोकतंत्र के वोह सच्चे प्रहरी है अगर उन्हें समझाया जाए के देश के सभी मीसाबंदियों को केंद्र अपने बजट से क़ानून बनाकर समान पेंशन दे ,,,केंद्र मीसा बंदियों को विशेष लोकतंत्र बचाओ संघर्ष के सेनानी का दर्जा देकर उन्हें पेंशन के साथ ,,उन्हें व् परिजनों को चिकित्सा सुविधा ,,यात्रा भत्ता ,,सर्किट हाउस में रियायती दर पर ठहरने का अधिकार ,,संसद और विधानसभाओ में आने जाने का पास और वहां केन्टीन में एक रूपये वाले रियायती मूल्य पर खाने का अधिकार दे ,,, छब्बीस जनवरी ,,पन्द्राह अगस्त के कार्यक्रमों में मीसा बंदियों को दिल्ली समारोह में राजकीय अतिथि के रूप में निमंत्रण का क़ानून हो ,,,देश के सभी ज़िलाकलकेटरो को निर्देश हो के उनके क्षेत्र में मीसाबंदियों से तीन माह में एक बार बैठक कर उनके हाल जाने ,,समस्याओं का समाधान करे और ज़िले की समस्याओं पर भी ऐसे जांबाज़ लोकतंत्र के प्रहरियों से चर्चा हो ,,,,,,,,,,,,विधि नियमों में लिखा जाए के जो मीसा बंदी संघर्ष के दौरान मोत का ग्रास बन गए है उनके नाम से उनके ज़िले में एक स्मारक ज़रूर बनाया जाए ,,,मीसा बंदियों मृत्यु पर उनका अंतिम संस्कार लोकतंत्र के संघर्ष जवान की हैसियत से राजकीय सम्मान के साथ तिरंगे में लपेट कर इक्कीस तोपों की सलामी के साथ किया जाए ,,,,,मीसा बंदियों के अनुभवों को देखते हुए उन्हें विशिष्ठ राजकीय समितियों में उनके सुझावों का लाभ लेने के लिए नामज़द किया जाए जबकि मीसा बंदियों को विशेष रूप से रियायती दर पर रहने के लिए मकान ,,पेट्रोल पम्प ,,गैस एजेंसियों के लाइसेसं का पृथक कोटा निर्धारित किया जाए ,,,,,दोस्तों बाद कड़वो ज़रूर है लेकिन सच्ची है झुनझुने तो सबको पकड़वाए जाते है लेकिन लोकतंत्र के रक्षक ,,लोकतंत्र के लिए जेल काटने वाला कोई भी शख्स किसी व्यक्ति ,,किसी पार्टी ,,किसी धर्म ,,किसी विचारधारा का गुलाम नहीं होता वोह तो सिर्फ आज़ाद सिर्फ आज़ाद होता है और ऐसा आज़ाद शख्स लोकतंत्र की रक्षा के लिए ,,सच के संघर्ष के लिए सत्ता में चाहे कोई भी हो उससे संघर्ष करने का माद्दा रखता है क्योंकि जो दुम हिलाने वाले थे वोह तो पहले ही सत्ता की चाशनी में सराबोर है और जो सच के संघर्ष करने वाले लोग है वोह आज भी संघर्ष कर रहे है ,,,ऐसे में अगर यह सच बोलने वाले पार्टी ,,धर्म ,,निजी गुलामी की ज़ंजीरें तोड़कर ,,भारत के लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी कहे जाने वाले प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाये और सभी मीसा बंदियों को एक समान वेतन ,भत्ते ,,पेंशन लाभ और ऊपर लिखी सुविधाये देने का क़ानून बनजाये तो संसद में इनका अपना बहुमत है ,,राजयसभा में कांग्रेस अल्पमत में है लेकिन मीसा बंदियों के साथी राजनितिक दल भी राजयसभा में बढ़ी संख्या में है जो इस विधेयक नियम को राजयसभा में भी तुरंत पारित करवाकर देश भर के मीसा बंदियों को उनका हक़ ,,इन्साफ दिलवा सकते है ,,दोस्तों अगर नरेंद्र मोदी से सभी मीसाबंदी एक जुट होकर यह सब करवापाने में नाकाम रहे तो अलग अलग राज्य तो अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग अलापते रहेंगे ,,,मीसा बंदियों को उनका हक़ दिलाने के लिए भाई फरीदुल्ला ही एक ऐसी शख्सियत है जो सभी लोगों को जोड़ कर एक साथ एक जुट होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मीसा बंदियों का हक़ छीन सकते है ,,इस लड़ाई में में खुद हर मीसाबंदी के साथ जो खुले विचारो के साथ आज़ाद है ,,खुलेमन से मीसाबंदियों के साथ है उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने को तैयार हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

*दुनिया की सबसे बड़ी अफ़तारी**


दुनिया की सबसे बड़ी अफ़तारी ख़ान-ए-काबा में होती है।
- यहाँ अफ़तारी के लिए बिछाए जाने वाले दसतरख़ान की लम्बाई 12 किलोमीटर होती है। यह तवाफ़ की जगह बिछाया जाता है ।
- इस पर रोज़ाना 12 लाख रोज़ेदार अफ़तारी करते हैं।
- जिस पर रोज़ाना 10 लाख सऊदी रियाल ख़र्च होता है।
- अफ़तार के दौरान रोज़ादारों को रोज़ाना 50 लाख खजूरें और 20 लाख आबे ज़मज़म की बोतलें फ़राहम की जाती हैं। इसके अलावा जूस, दूध, और केक से भी तवाज़ो की जाती है।
- यह दुनिया की सबसे बड़ी अफ़तारी 10 मिनट में समेट ली जाती है और फ़र्श धो कर साफ़ कर लिया जाता है।

राजीव चतुर्वेदी सोशल मिडिया पर तहलका के नाम से अपनी पहचान रखते है

राजीव चतुर्वेदी सोशल मिडिया पर तहलका के नाम से अपनी पहचान रखते है ,,इनके अल्फ़ाज़ों को पढ़ने के लिए इनके मित्र इन्तिज़ार करते है ,,,एक कट्टर राष्ट्रभक्त की सोच जिसमे ना हिन्दू है न मुसलमान सिर्फ भारतीयता शामिल रहती है बस इसी विचारधारा को आगे बढ़ते हुए यत्र तत्र बिखरे पढ़े अल्फ़ाज़ों को राजीव चतुर्वेदी सहज संवार कर जब परोसते है तो सभी के मुंह से बेसाख्ता वाह निकल पढ़ती है ,,इनकी लेखनी में मनोविज्ञान होता है ,,,,,राष्ट्रभक्ति होती है ,,वर्तमान हालातो और साम्प्रदायिक तनाव के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ गुस्सा होता है ,,,सिस्टम के खिलाफ इनकी लेखनी में आक्रामक रूख होता है ,,लिखने का अंदाज़ ऐसा सहज ,,ऐसा सरल के जो शख्स इनकी लेखनी पढ़ता है बस नज़र से गुज़र कर दिल में जाकर चोट होती है और दिल वाह वाह चीखने को मजबूर हो जाता है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,राजीव चतुर्वेदी यूँ तो लखनऊ में आधारशिला गुरुप के चेयरमेन की हैसियत से प्रमुख व्यवसायी की पहचान रखते है ,,,,,राजीव चतुर्वेदी द्वारा कई उत्पाद ,,,ट्रांसपोर्टेशन से लेकर एक दर्जन से भी अधिक कारोबार है ,,कारोबार की व्यस्तताओं के बावजूद भी ,,वर्तमान ज्वलंत मुद्दो पर शोधपूर्ण चिंतन ,,मंथन के बाद इनका लेखन जो कभी कविता के रूप में सारगर्भित विचार होते है तो कभी लेख ,,आलेख के रूप में आग उगलते नज़र आते है ,,,प्रमुख रूप से पत्रकार राजीव चतुर्वेदी चाहे व्यवसाय के सिलसिले में कितने ही व्यस्त क्यों न हो लेकिन ,,लेखन खासकर पत्रकारिता वोह भी काव्य अंदाज़ की पत्रकारिता इनकी विशिष्ठ पहचान बन गयी है ,,,राजैव चतुर्वेदी देश के विभिन मुद्दो पर तो लिखते रहे है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख देशो में भी इनका पत्रकारिता का अनुभव रहा है ,,,,,इसीलिए राजैव चतुर्वेदी को अगर अंतर्राष्ट्रीय काव्य पत्रकार से सम्बोधित किया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी ,,,,,,,,,,,,,,,,,राजीव चतुर्वेदी लिखते है तो लिखते रहते है ,,मुद्दो को पकड़ कर उनमे सुधार करने के मक़सद से लेखन की इनकी ज़िद ,,इनकी निर्भीकता समाज में बदलाव की भूमिका भी निभाता है ,,,विभिन्न मुद्दो पर लगभग पचास हज़ार से भी अधिक लेख ,,आलेख ,,कविताये भाई राजीव चतुर्वेदी ने लिखकर लेखन क्षेत्र में विशिष्ठ इतिहास रचकर प्रमुख स्थान हांसिल किया है ,,,,,,,,,,,राजीव चतुर्वेदी फ्रंटलाइन ,,इण्डिया टू डे ,,द वीक ,,हिन्दू ,,स्टेट्समैन ,,पायोनियर ,,दैनिक जागरण ,,भास्कर ,,पत्रिका ,,नयी दुनिया ,,अमर उजाला ,,,जनसत्ता ,,,ट्रिब्यून सहित ऐसी कोई मेगज़ीन ऐसा कोई समाचार पत्र नहीं जिसमे इनके विचार ,,इनका दर्शन प्रकाशित नहीं हुआ हो ,,,,,,,,,,, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समस्याओ का पोस्टमार्टम कर उन पर चिंतन मंथन करने वाले राष्ट्रवादी लेखक राजीव चतुर्वेदी पर कई बार एक तरफा लेखन ,,मज़हबी विचारधाराओं को भड़काने का इलज़ाम भी लगता रहा है ,,लेकिन कई बार राजीव चतुर्वेदी के दर्शन में सुधार भी हुआ है ,,उनके हर अलफ़ाज़ में राष्ट्रीय चिंतन ,,राष्ट्र भक्ति ,,,,वीर रस भरा है ,,,,,राजीव चतुर्वेदी सोशल मडिया पर माहिर लेखक ,,अतुकांत कवि के रूप में मास्टर की पहचान बना चुके है ,,,,,,,,,इनकी सोच में कटटर राष्ट्रभक्ति है ,,राजीव चतुर्वेदी देश के लोगों को जगाकर वर्तमान गुलाम मानसिकता से आज़ाद कराने के लिए प्रयासरत है ,,,,,राजीव चतुर्वेदी जो विख्यात लेखक है ,,विख्यात कवि है ,,अल्फ़ाज़ों को अपने विचारो में सरलता से बांधकर खूबसूरत अंदाज़ में परोसने का हुनर रखते है ,,,,,,इनकी इस विधा ,,इनके इस विधार ,,इनके इस दर्शन ,,इनके इस अंदाज़ को सलाम ,,आदाब ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

हमें हमारे बाप दादा के नाम के बाद नसब(खानदानी सिलसिला) याद नहीं है, मगर अल्लाह तआला ने अपने प्यारे हबीब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नसब का नाम महफूज़ रखा है.
गौर फरमाऐ,
🌠मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
बिन अब्दुल्लाह
बिन अब्दुल मुत्तलिब
बिन हाशिम
बिन अब्दे मुनाफ
बिन कैस
बिन किलाब
बिन मुराॅह
बिन कअब
बिन लूअइ
बिन गिलाब
बिन फाहेर
बिन मालिक
बिन नज़र
बिन किनाना
बिन खुझैम
बिन मुदरीका
बिन ईलयास
बिन मुझर
बिन नजार
बिन माअद
बिन अवाद
बिन हामैसा
बिन सलमान
बिन औस
बिन बौस
बिन कमवल
बिन उबैद
बिन अवाम
बिन नशीद
बिन हिझा
बिन बलदाझ
बिन यदलाफ
बिन ताबिक
बिन जाहिम
बिन नाहिश
👉 बिन ईफी
👉 बिन अबकार
👉 बिन उबैद
👉 बिन अद्भुवा
👉 बिन हमदान
👉 बिन सनबार
👉 बिन यसराबी
👉 बिन यहझान
👉 बिन यलहान
👉 बिन ईरवा
👉 बिन अईझी
👉 बिन झिशान
👉 बिन इसार
👉 बिन अक्नाद
👉 बिन इहाम
👉 बिन मुकास्सीर
👉 बिन नाहिब
👉 बिन झारी
👉 बिन सामी
👉 बिन माझी
👉 बिन लवाद
👉 बिन इरम
👉 बिन किदर
👉 बिन इस्माइल
👉 बिन इब्राहिम
👉 बिन आझर
👉 बिन नाहुर
👉 बिन सरुज
👉 बिन राउ
👉 बिन फाइज
👉 बिन आबीर
👉 बिन अरफकशाद
👉 बिन साम
👉 बिन नूह
👉 बिन लामिक
👉 बिन मतुसाली
👉 बिन इदरीस
👉 बिन मलहालील
👉 बिन किनाना
👉 बिन आनोष
👉 बिन शीस
👉 बिन आदम अलैहि सलाम

:;;;;मैं बात कर रहा हूँ इस्लाम के आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) की..ं
;:::आप(सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°)ने औरतों के हक़ में उस वक़्त आवाज़ उठाई जिस दौर में बेटियों को जिंदा दफना दिया जाता था और विधवाओं को जीने तक का अधिकार न था...
;:::::हाँ ये वही मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) हैं जिन्होंने एक गरीब नीग्रो बिलाल (रजि अल्लाहू ) को अपने गले से लगाया, अपने कंधों पर बैठाया, और इस्लाम का पहला आलिम मुक़र्रर किया....
;::;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की मज़दूर का मेहनताना उसका पसीना सूखने से पहले अदा करो, मज़दूर पर उसकी ताक़त से ज़्यादा बोझ न डालो, यहाँ तक की काम में मज़दूर का हाथ बटाओ....
;:;;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की वो इंसान मुसलमान नहीं हो सकता जिसका पड़ोसी भूखा सोये, चाहे वो किसी भी मज़हब का हो...
;::;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की अगर किसी ग़ैर मुस्लिम पर किसी ने ज़ुल्म किया तो अल्लाह की अदालत में वो खुद उस ग़ैर मुस्लिम की वक़ालत करेंगे....
;::;;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने अपने ऊपर कूड़ा फेंकने वाली बुज़ुर्ग औरत का जवाब हमेशा मुस्कुरा कर दिया और उसके बीमार हो जाने पर ख़ुद खैरियत पूछने जाते हैं....हाँ
;:;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की दूसरे मज़हब का मज़ाक न बनाओ...
;::;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने जंग के भी आदाब तय किये की सिर्फ अपने बचाव में ही हथियार उठाओ...बच्चे, बूढों और औरतों पर हमला न करो बल्कि पहले उन्हें किसी महफूज़ जगह पहुँचा दो...यहाँ तक की पेड़ पौधों को भी नुकसान ना पहुचाने की हिदायत दी...

पत्रकार ✒


कभी बिजली नहीं आती तो पत्रकार को बुलाओ ,
पानी नहीं आता तो पत्रकार को बुलाओ ,
नाली नाले भरे हुए है तो
पत्रकार को बुलाओ ,
कोई रिश्वत मांगता है तो पत्रकार को बुलाओ ,
नेता जी को अगर जनता में अपनी पहचान बनाकर वोट चहिये हों तो कहते है पत्रकार को बुलाओ
हर गम हर ख़ुशी की खबर पर
पत्रकार को 24 घण्टे में कभी भी सर्दी , गर्मी, बरसात बुलाया जाता है ।
तो क्यों जब किसी पत्रकार के साथ बुरा होता है
तो उसको बुलाने वाले लोग ,या नेता , उसकी मदद को आगे नहीं आते.

क़ुरान का सन्देश

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