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05 जुलाई 2015

गर्लफ्रेंड की ब्यूटी देख युवक ने की कोर्ट मैरिज, शादी के बाद दुल्हन निकली किन्नर


गर्लफ्रेंड की ब्यूटी देख युवक ने की कोर्ट मैरिज, शादी के बाद दुल्हन निकली किन्नर
गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश). गाजियाबाद के मुरादनगर में एक लड़के ने अपनी गर्लफ्रेंड से शादी की लेकिन सुहागरात को उसे पता लगा कि वह लड़की नहीं किन्नर है। बाद में पंचायत के जरिए फैसला हुआ कि लड़के का परिवार लड़की को कुछ पैसे देगा और इसके बाद दोनों अलग रह सकते हैं।
यह है मामला
मुरादनगर की एक मल्टीनेशनल कंपनी में एक लड़का और लड़की जॉब करते हैं। दोनों के बीच अफेयर हुआ। पिछले सोमवार को दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। लड़के के परिवार ने लड़की को बहू मान लिया। सुहागरात पर लड़के को पता लगा कि उसने जिसको लड़की समझकर शादी की है वह दरअसल, किन्नर है। इसके बाद लड़का और उसका परिवार भड़क गया। लड़की ने भी मान लिया कि वह किन्नर है। शुक्रवार को इस मामले में पंचायत बुलाई गई। लड़के ने पंचायत के समझाने के बाद भी लड़की को अपनाने से इनकार कर दिया। इसके बाद पंचायत ने आदेश दिया कि लड़के का परिवार लड़की को कुछ पैसे देगा और इसके बाद वह अलग-अलग रह सकेंगे। हालांकि लड़की का परिवार नहीं चाहता कि लड़का-लड़की अलग रहें लेकिन पंचायत के फैसले को उन्होंने बाद में मान लिया। हालांकि लड़की को कितने पैसे दिए जाएंगे इसका खुलासा नहीं हो पाया।

भीड़ के सामने बच्चों से 25 सीरियाई सैनिकों को ISIS ने मरवाई गोली

वीडियो में सीरियाई सैनिकों के पीछे खड़े बच्चे मिलिट्री यूनिफॉर्म में नजर आते हैं।
बेरुत: सीरिया के ऐतिहासिक शहर पालमीरा में आईएसआईएस द्वारा 25 सीरियाई सैनिकों को बच्चों द्वारा गोली मरवाने का नया वीडियो सामने आया है। इस दौरान मौके पर काफी भीड़ मौजूद थी। वीडियो में सीरियाई सैनिक घुटनों के बल बैठे दिखते हैं। वहीं, मिलिट्री यूनिफॉर्म पहने बच्चे उनके पीछे हाथों में पिस्टल लिए दिखते हैं। बच्चों की उम्र 12 से 13 साल के बीच है। जिस जगह इस वारदात को अंजाम दिया गया, वह एक प्राचीन रोमन थिएटर है। बैकग्राउंड में आईएसआईएस का झंडा भी दिखता है। वहीं, आसपास आईएस के हथियारबंद आतंकी भी हैं।
बच्चों को अगवा कर आतंकी बना रहा आईएसआईएस
आईएस ने पालमीरा शहर पर इस साल 21 मई को कब्जा कर लिया था। इस शहर के प्राचीन इमारतों और ऐतिहासिक स्थलों को तबाह कर दिया गया। इसके बाद से, आतंकियों ने इस शहर में सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा है। आईएसआईएस बच्चों के आतंकी वारदात में इस्तेमाल के लिए कुख्यात है। वह इन्हें सुसाइड हमलावरों और सैनिकों की तरह इस्तेमाल करता है। अधिकारियों को डर है कि आने वाले वक्त में आईएसआईएस द्वारा बच्चों के आतंकी हमलों में इस्तेमाल में और इजाफा होगा। आतंकियों ने हाल में ही 500 से ज्यादा बच्चों को अगवा कर लिया था। इन बच्चों का ब्रेनवॉश करके इन्हें आईएसआईएस में शामिल करेंगे।

RSS ने पहली बार रखी इफ्तार पार्टी, मुस्लिम देशों के डिप्लोमैट भी हुए शामिल

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शनिवार को इफ्तार पार्टी के दौरान इंद्रेश कुमार (पीला कुर्ता पहने हुए)।
शनिवार को इफ्तार पार्टी के दौरान इंद्रेश कुमार (पीला कुर्ता पहने हुए)।
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस ने शनिवार को पहली बार इफ्तार पार्टी दी। पार्लियामेंट एनेक्सी बिल्डिंग में दी गई इस पार्टी में देश भर से आए मुस्लिम और मुस्लिम देशों के डिप्लोमैट शामिल हुए। इस इफ्तार पार्टी का आयोजन RSS से जुड़े संगठन ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ ने किया।
इंद्रेश कुमार भी हुए शामिल
RSS के नेता इंद्रेश कुमार भी इस इफ्तार पार्टी में शामिल हुए। इस मौके पर दिए अपने भाषण ने इंद्रेश कहा कि सभी धर्मों को एक-दूसरे की भावनाओं का आदर करना चाहिए। इंद्रेश ने अरबी में कुरान की कुछ आयतों और पैगम्बर मोहम्मद के कुछ कोट्स का हवाला देते हुए कहा, इस्लाम का अर्थ शांति और खुशहाली है। इंद्रेश ने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद ने सेकुलरिज्म का संदेश दिया था। इफ्तार पार्टी में इस्लामिक देशों के डिप्लोमैट्स के साथ ही केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी शामिल हुए।
RSS के बारे में गलतफहमियां दूर करने की कोशिश
इंद्रेश ने कहा, जो लोग इस पार्टी में आए हैं उन्हें RSS की सच्चाई समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “हम RSS के बारे में मुस्लिम भाइयों के मन में जो गलतफहमियां हैं उन्हें दूर कर दुनिया भर में भाईचारे का मैसेज देना चाहते हैं। इस इफ्तार पार्टी का राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है। यह सोशल और कल्चरल प्रोग्राम है ताकि हम एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ सकें। मुस्लिम राष्ट्रीय एकता मंच रमजान महीने में ऐसे कई प्रोग्राम ऑर्गनाइज कर रहा है जिससे आपसी भाईचारे को बढ़ावा मिल सके।” पार्टी में शामिल हुए मुस्लिम नेता और धर्म गुरू मौलाना सुहैब कासमी ने कहा, “हम RSS के बारे में जो गलत बातें कही जाती हैं उन्हें दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।” इस पार्टी के लिए पीएम मोदी और प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी को भी न्योता भेजा गया था हालांकि ये दोनों ही नहीं आए।

यूपी: 57 मर्डर करने वाले 25 साल के सलमान ने कहा, कत्ल के बिना डकैती का मजा नहीं

57 मर्डर करने वाला आरोपी सलमान।
57 मर्डर करने वाला आरोपी सलमान।
बरेली (यूपी). पुलिस ने शुक्रवार को यहां डकैती और मर्डर के एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के दौरान 25 साल के हत्यारे ने बताया कि वह अब तक 57 लोगों का मर्डर कर चुका है। आरोपी का नाम सलमान है और वह डकैती करने वाले एक बड़े गिरोह का सरगना है।
मुखबिर को भी नहीं छोड़ूंगा

बरेली पुलिस सलमान तक डकैती और दो लोगों के मर्डर की जांच के दौरान पहुंची। सलमान के साथ उसके तीन और साथियों को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने जब सलमान से पूछताछ की तो उसने हैरान कर देने वाले खुलासे किए। सलमान ने पुलिस को बताया कि वह अब तक 57 लोगों का मर्डर कर चुका है। उसने कहा कि डकैती के दौरान जब तक वह मर्डर नहीं करता था तब तक उसे मजा ही नहीं आता था। उसने कहा कि वह जब भी जेल से बाहर आएगा तब उस मुखबिर को नहीं छोड़ेगा जिसने पुलिस को उसके बारे में सूचना दी है। सलमान के गैंग में कुछ महिलाएं भी शामिल हैं। ये लोग डकैती के पहले अपने टारगेट की रेकी भी करते थे।

पहली बार

पहली बार किसी पोस्ट को पढ़कर आंसू आ गए ।,शख्सियत, ए 'लख्ते-जिगर, कहला न सका ।"जन्नत,, के धनी "पैर,, कभी सहला न सका ।.'दुध, पिलाया उसने छाती से 'निचोड़कर,मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।.बुढापे का "सहारा,, हूँ 'अहसास, दिला न सका ।पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल, पर सुला न सका ।.वो 'भूखी, सो गई 'बहू, के 'डर, से एकबार मांगकर,मैं "सुकुन,, के 'दो, निवाले उसे खिला न सका ।.नजरें उन 'बुढी, "आंखों,, से कभी मिला न सका ।वो 'दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।.जो हर "रमज़ान,, 'ममता, के रंग पहनाती रही मुझे,उसे "ईद,, पर दो 'जोड़, कपडे सिला न सका ।."बिमार,, बिस्तर से उसे 'शिफा, दिला न सका ।'खर्च, के डर से उसे बडे़ 'अस्पताल, ले जा न सका ।."माँ" के बेटा कहकर 'दम, तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,'दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।.

इस भागती दौड़ती दुनिया में ,,,,रोज़े इफ्तार

दोस्तों इस भागती दौड़ती दुनिया में ,,,,रोज़े इफ्तार ,,,,,के सियासीकरण का भी सोशल मिडिया करण हो गया है आधुनिकता के इस युग में अब रोज़े इफ्तार के कार्ड सोशल मिडिया पर दावतनामे के बतौर प्रकाशित किये जा रहे है ,,,,,रोज़े इफ्तार पर टेलीफोन पर सुचना देने ,,या निजी तोर पर कार्ड भेजने की परम्परा खत्म हो गई है ,,क्योंकि सियासी रोज़े इफ्तार कार्यक्रमों में एक बुलाओ सो आते है वाली परम्परा होने से अब रोजेदारों ,,महमानों को बुलाने की तहज़ीब भी मर गई है ,,,,,आधुनिकता की इस साइबर दौड़ में महमाँनन वाज़ी खासकर रोजेदारों की मेहमाननवाज़ी में इस बदलाव को देखकर तकलीफ तो होती है ,,,,,,,,,,,,हम शुक्रगुज़ार है मंज़ूर तंवर ,,,गुड्डू धनवा ,,,पंकज मेहता ,,,अल्पसंख्यककर्मचारी महासंघ सहित उन भाइयों के जिन्होंने दावतनामे की इस तहज़ीब को मरने नहीं दिया और निमंत्रण की तहज़ीब को ज़िंदा रखा है ,,,,,,,,,,,,अख्तर
राजस्थान सरकार में बैठे शिक्षा मंत्री के इशारे पर उर्दू सहित सभी सेकंड ग्रेड के शिक्षकों के तुगलकी आदेश झालावाड़ ज़िले की हद तक मुख्यमंत्री के निर्देशों पर खारिज कर पूर्ववत रहने के आदेश जारी किये गए है ,,,,,राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा के खिलाफ माहोल बनाने की साज़िश के तहत योजनाबद्ध तरीके से स्टाफ पैटर्निंग के नाम पर शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है ,,उनके पद समाप्त किये जा रहे है खासकर ,,सिंधी ,,पंजाबी ,,उर्दू के शिक्षकों के पद समाप्त किये गए है ,,,रमज़ान के माह में उर्दू का खत्म ,,उर्दू शिक्षकों को परेशान करने की घटना से राजस्थान के सभी वर्ग आहत है ,,,झालावाड़ में उर्दू शिक्षकों के पद समाप्त कर उन्हें संस्कृत पढ़ाने के लिए हास्यास्पद तरीके से लगाया गया ,,फिर संशोधन कर हिंदी पढ़ाने के लिए लगाया गया ,मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार के लिए प्रदेश के दो हिस्से है ,,एक हिस्सा खुद का जीला झालावाड़ दूसरा हिस्सा पूरा राजस्थान ,झालावाड़ में जो तुगलकी आदेश हुए है वोह तो डंडे के ज़ोर पर वसुंधरा जी ने रद्द करवा दिए लेकिन झालावाड़ के शिक्षकों और राजस्थान के दूसरे हिस्से में रहने वाले शिक्षको की पीड़ा अलग अलग नहीं है इसलिए झालावाड़ की तर्ज़ पर पुरे राजस्थान की वरिष्ठ अध्यापकों की ट्रांसफर ,,समानीकरण ,,स्टफिंग पैटर्न की सूचि निरस्त होना ज़रूरी है ,,वरना वसुंधरा सरकार की छवि को योजनाबद्ध तरीके से बिगाड़ने वाले लोग सरकार की छवि बिगाड़ने में कामयाब हो जाएंगे ,,राजस्थान के सभी सांसद ,,सभी विधायक इस स्टफिंग पैटर्न और शिक्षा विभाग में देवनानी के फार्मूले के खिलाफ है ,,अव्यवहारिक फार्मूला है ,,,,फिर भी एक आदमी की ज़िद इस राजस्थान सरकार को ले डूबेगी ,,वसुंधरा सिंधिया के समर्थकों में मुस्लिम समाज से जुड़े कई जांबाज़ लोग भी है जो वसुंधरा के लिए जान दे भी सकते है और उनके लिए किसी की जान ले भी सकते है ,,लेकिन अगर उर्दू ,,और मुस्लिमों के साथ ऐसा ही सौतेला व्यवहार हुआ तो वोह जांबाज़ लोग अपने समाज की दुर्दशा बर्दाश्न नहीं कर पायेंगे अगर वसुंधरा के साथ रहने वालों का ज़मीर जाग गया तो फिर वसुंधरा के चहेतों की फौज में कमी आजाने के बाद उनके दुश्मन उन पर हावी हो जायेगे इसे रोकने के लिए मुख्यमंत्री के समर्थकों को वीटो का इस्तेमाल करते हेु पुरे राजस्थान में यह तुग़लकी स्टाफिंग पैटर्न को खत्म करे ,,व्यवहारिक नीति बनाये ,,विषयवार साहित्य विषयों ,,के साथ छेड़छाड़ न करे जहाँ उर्दू पढ़ने वाले विधिसम्मत परिपत्र के अनुसार बच्चे है वहां छेड़छाड़ नहीं करे ,,,,,,,,,,,,,,,,एक आदर्श शिक्षा संहिता बनाये जिसमे नफरत नहीं हो ,,,राजनीति नहीं हो ,,खाओ पियो मौज करो की नीति नहीं हो ,,लोगो को परेशान करने बदले की भावना की नियत नहीं हो ,,सिर्फ एक आदर्श राजस्थान ,,आधुनिक राजस्थान बनाने का सपना हो ,क्या मुख्यमंत्री अपनी वीटो शक्ति का उपयोग कर झालावाड़ की तर्ज़ पर राजस्थान के सभी ज़िलों के शिक्षको को राहत देकर उनके खिलाफ बगावत की साज़िश को असफल करेंगी ,,,या फिर उनके चहेते मुस्लिम समाज के जांबाज़ जंगजुओं को उनके अपने समाज में खामोश रहने के कारण उन्हें अपमानित होता हुआ देखेंगी ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुख्यमंत्री वसुंधरा के खिलाफ माहोल बनाने की साज़िश के तहत योजनाबद्ध तरीके से स्टाफ पैटर्निंग के नाम पर शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है

राजस्थान सरकार में बैठे शिक्षा मंत्री के इशारे पर उर्दू सहित सभी सेकंड ग्रेड के शिक्षकों के तुगलकी आदेश झालावाड़ ज़िले की हद तक मुख्यमंत्री के निर्देशों पर खारिज कर पूर्ववत रहने के आदेश जारी किये गए है ,,,,,राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा के खिलाफ माहोल बनाने की साज़िश के तहत योजनाबद्ध तरीके से स्टाफ पैटर्निंग के नाम पर शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है ,,उनके पद समाप्त किये जा रहे है खासकर ,,सिंधी ,,पंजाबी ,,उर्दू के शिक्षकों के पद समाप्त किये गए है ,,,रमज़ान के माह में उर्दू का खत्म ,,उर्दू शिक्षकों को परेशान करने की घटना से राजस्थान के सभी वर्ग आहत है ,,,झालावाड़ में उर्दू शिक्षकों के पद समाप्त कर उन्हें संस्कृत पढ़ाने के लिए हास्यास्पद तरीके से लगाया गया ,,फिर संशोधन कर हिंदी पढ़ाने के लिए लगाया गया ,मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार के लिए प्रदेश के दो हिस्से है ,,एक हिस्सा खुद का जीला झालावाड़ दूसरा हिस्सा पूरा राजस्थान ,झालावाड़ में जो तुगलकी आदेश हुए है वोह तो डंडे के ज़ोर पर वसुंधरा जी ने रद्द करवा दिए लेकिन झालावाड़ के शिक्षकों और राजस्थान के दूसरे हिस्से में रहने वाले शिक्षको की पीड़ा अलग अलग नहीं है इसलिए झालावाड़ की तर्ज़ पर पुरे राजस्थान की वरिष्ठ अध्यापकों की ट्रांसफर ,,समानीकरण ,,स्टफिंग पैटर्न की सूचि निरस्त होना ज़रूरी है ,,वरना वसुंधरा सरकार की छवि को योजनाबद्ध तरीके से बिगाड़ने वाले लोग सरकार की छवि बिगाड़ने में कामयाब हो जाएंगे ,,राजस्थान के सभी सांसद ,,सभी विधायक इस स्टफिंग पैटर्न और शिक्षा विभाग में देवनानी के फार्मूले के खिलाफ है ,,अव्यवहारिक फार्मूला है ,,,,फिर भी एक आदमी की ज़िद इस राजस्थान सरकार को ले डूबेगी ,,वसुंधरा सिंधिया के समर्थकों में मुस्लिम समाज से जुड़े कई जांबाज़ लोग भी है जो वसुंधरा के लिए जान दे भी सकते है और उनके लिए किसी की जान ले भी सकते है ,,लेकिन अगर उर्दू ,,और मुस्लिमों के साथ ऐसा ही सौतेला व्यवहार हुआ तो वोह जांबाज़ लोग अपने समाज की दुर्दशा बर्दाश्न नहीं कर पायेंगे अगर वसुंधरा के साथ रहने वालों का ज़मीर जाग गया तो फिर वसुंधरा के चहेतों की फौज में कमी आजाने के बाद उनके दुश्मन उन पर हावी हो जायेगे इसे रोकने के लिए मुख्यमंत्री के समर्थकों को वीटो का इस्तेमाल करते हेु पुरे राजस्थान में यह तुग़लकी स्टाफिंग पैटर्न को खत्म करे ,,व्यवहारिक नीति बनाये ,,विषयवार साहित्य विषयों ,,के साथ छेड़छाड़ न करे जहाँ उर्दू पढ़ने वाले विधिसम्मत परिपत्र के अनुसार बच्चे है वहां छेड़छाड़ नहीं करे ,,,,,,,,,,,,,,,,एक आदर्श शिक्षा संहिता बनाये जिसमे नफरत नहीं हो ,,,राजनीति नहीं हो ,,खाओ पियो मौज करो की नीति नहीं हो ,,लोगो को परेशान करने बदले की भावना की नियत नहीं हो ,,सिर्फ एक आदर्श राजस्थान ,,आधुनिक राजस्थान बनाने का सपना हो ,क्या मुख्यमंत्री अपनी वीटो शक्ति का उपयोग कर झालावाड़ की तर्ज़ पर राजस्थान के सभी ज़िलों के शिक्षको को राहत देकर उनके खिलाफ बगावत की साज़िश को असफल करेंगी ,,,या फिर उनके चहेते मुस्लिम समाज के जांबाज़ जंगजुओं को उनके अपने समाज में खामोश रहने के कारण उन्हें अपमानित होता हुआ देखेंगी ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

माहे रमज़ान

माहे रमज़ान मे कुछ जवानो ने एक बुढे को देखा के वो छुप कर खा पि रहा है..
जवानो ने उस बुढे से पूछा, चाचा आप रोज़े से नही हो?
बुढे ने कहा, हाँ रोज़े से हुँ सिर्फ खाता पिता हुँ..
जवानो ने हँसते हुवे कहा, क्या वाकई तुम रोज़े से हो?
बुढे ने कहा, वाकई मे रोज़े से हुँ लेकिन मेरा रोज़ा ईस तरह है..
मै झूट नही बोलता,
मै गाली नही देता,
मै ग़ैर औरत कि तरफ नज़र नही करता,
मै हराम माल नही खाता,
मै किसी का मज़ाक नही उङाता,
मै अल्लाह कि मना कि गई जगह पर नहीं जाता,
ना कोई वाजिब ना सुन्नत ना फर्ज़ छोङता हुँ,
बस खाता पिता हूँ क्योकि मै बुढा हूँ, मुझसे भुका नही रह जाता..
फिर बुढे ने उन जवानो से पूछा, क्या तुम्हारा रोज़ा है?
जवानो ने नज़रे झुका के शर्म के साथ जवाब दिया, नही हमारा रोज़ा नही है, हम सिर्फ खाते पिते नहीं हैं.

एक बादशाह

एक बादशाह ने ऐलान करवाया के तमाम
शादी शुदा मर्द 2 लाइन में खड़े होंगे..
एक लाइन में वो जो बीवी से डरते हैं और
दूसरी लाइन में वो जो बीवी से नहीं डरते..
बीवी से डरने वालों की लाइन लंबी थी,
जबकि बीवी से ना डरने वालों की लाइन
में सिर्फ़ एक ही आदमी खड़ा था!!
बादशाह उस आदमी के पास गया और
उसको शब्बाशी देते हुए बोला,..
आप ये कैसे समझते हैं के
आप अपनी बीवी से नहीं डरते??
आदमी ने जवाब दिया,-: मालूम नहीं जी,
मुझे तो मेरी बीवी कह कर गयी है की..
"इसी लाइन में खड़े रहना,
बिल्कुल हिलना मत!"..

लोकतंत्र के रक्षक सेनानियों के लम्बे संघर्ष के बाद भी उन्हें आज तक पर्याप्त सम्मान नहीं मिल पाया

लोकतंत्र के रक्षक सेनानियों के लम्बे संघर्ष के बाद भी उन्हें आज तक पर्याप्त सम्मान नहीं मिल पाया है ,,राज्य अपने स्तर पर कोशिशों में जुटे है ,, पहले कुछ कोंग्रेसी शासित राज्य थे जहाँ लोकतंत्र के इन सेनानियों का हक़ और सम्मान काट दिया गया था ,,खुदा का शुक्र है लोकतंत्र के सेनानियों की एकता इनका संघर्ष कामयाब हुआ और कथित रूप से लोकतंत्र की दुश्मन पार्टी की जगह इन लोकतंत्र समर्थकों की सरकारें राज्यों में और केंद्र में आ गयी ,,,लोकतंत्र के रक्षकों को लगभग लगभग सभी जगह पेंशन सुविधाओं का लाभ घोषित हुआ ,,कुछ जगह मिला है तो कुछ जगह इंतज़ार है ,,लेकिन दोस्तों पेंशन उनका सम्मान ,,उनकी क़ुर्बानियों के क्षतिपूर्ति कीमत नहीं ,,,आज लोकतंत्र के रक्षक उनका हक़ चाहते है उन्हें फ्रीडम फाइटर की सभी सुविधाये दी जाए ,पेंशन तो मिले लेकिन उनके नाम पर स्मारक हो ,,, उनमे से कुछ का मंत्री दर्जा हो ,,सभी सेनानियों को पुरे देश के सर्किट हाउस में मुफ्त में ठहरने ,,मुफ्त यात्रा ,,मुफ्त चिकित्सा की सुविधा हो ,,खादी भंडार से उन्हें कपड़े मिले ,,,, रियायती पारिवारिक सुविधाये हो ,,,उनका मान सम्मान ऐसा हो के आने वाली पीढ़ी उन्हें याद करे ,,स्कूलों में उनके साथ हो रहे अत्याचार ,,उनके अटल रहकर लोकतंत्र के संघर्ष की गाथा पढ़ाई जाए ,,,,,दोस्तों लोकतंत्र के रक्षकों की दुश्मन पार्टी अभी सत्ता में नहीं है ,,लोकतंत्र के रक्षक सेनानियों ने दिन रात प्रचारक के रूप में काम कर लोकतंत्र की बहाली के लिए जिस पार्टी का सपोर्ट किया आज वही पार्टी सत्ता में है ,,,,,,,सभी जानते है के लोकतंत्र के रक्षकों को सेनानी का दर्जा और सुविधाये देने के लिए राज्य कुछ नहीं कर सकता केंद्र सरकार जो पूर्ण बहुमत में है वोह इस सम्मान को आसानी से चंद मिनटों में पहले एक ओर्डीनेंस निकाल कर तत्काली रूप से फिर ओर्डीनेंस को क़ानून बनाकर स्थाई रूप से दिया जा सकता है ,,लोकतंत्र के सेनानी रक्षक आपस में एक दूसरे पर फ़िक़रे बाज़ी छोड़कर अगर एक जुट हो जाए ,,पार्टी ,,संगठन ,,,दूसरी विचारधाराओं से आज़ाद होकर अर्जुन की तरह मछली की आँख को टारगेट बनाकर केवल केंद्र सरकार से लोकतंर के रक्षकों को सम्मान दिलवाने का संघर्ष कर ले तो निश्चित तोर पर सभी सेनान्यों को मान सम्मान के साथ सभी सुविधाये आज़ादी की सालगिरह पन्द्राह अगस्त तक मिल जायेगी ,,दोस्तों नरेंद्र मोदी जिन्होंने लोकतंत्र का गला घोटने वालों की कलाई करतूतें देखी है ,,नरेंद्र मोदी जिन्होंने लोकतंर के सिपाही सेनानियों का दर्द जाना है ,,नरेंद्र मोदी जो लोकतंत्र के सभी रक्षक सिपाहियों के हमदर्द पारिवारिक है ,,,नरेंद्र मोदी जो संवेदनशील है जो सेनानियों को सेनानियों का दर्जा देने का साहस रखते है ,,,बस उन्हें अगर कोई जगा दे ,,कोई समझा दे तो इंशा अल्लाह पन्द्राह अगस्त को आज़ादी की सालगिरह के दिन लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकत्रंत के रक्षक सेनानियों की पेंशन दूसरी सुविधाये फ्रीडम फाइटर अधिनियम की तर्ज़ पर करते नज़र आएंगे और इस घोषणा का आप और हम तालिया बजाकर स्वागत करेंगे ,,,,,,उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने लोकतंत्र के सेनानियों के इस दर्द को समझा है ,,लोकतंत्र सेनानियों के अध्यक्ष क्षत्रपाल सिन्हा को मंत्री दर्जा दिया है ,,पेंशन दी है ,,क़ानून बनाने की तय्यारी है लेकिन केंद्र सरकार की मर्ज़ी के बगैर किसी भी राजय में कुछ भी सम्भव नहीं है ,,,,,,,,फिर भी अखिलेश यादव के लोकतंत्र सेनानी रक्षको के प्रति जो जज़्बा जाग्रत हुआ उसके लिए उनका धन्यवाद और क्षत्रपाल सिंह सिन्हा को मंत्री दर्जा मिलने पर मुबारकबाद ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

परिवार का सवाल कुछ संभावित जवाब

जुगाळ
परिवार का सवाल
कुछ संभावित जवाब
अभी तक तो पारिवारिक मित्र के कारण बोलती बंद थी। सौ सवाल का एक जवाब! मौन। आजमाया हुआ नुस्खा। रामबाण ही मानो। दस साल खींच गए पिछले वाले। कार्यकाल के आखिरी दिनों में एक शेर। मौन श्रेष्ठ भूषणम्। आप मीडिया के सवाल टाल सकते हैं। नेताओं के संदिग्ध आचरण के सच्ची कहानियां टाइप किस्सों को मीडिया की उपज बता सकते हैं। सवाल उठाने वालों को दुनिया से उठवा सकते हैं। लेकिन परिवार के सवालों को टालना आसान नहीं। नामुमकिन। अब तक की परम्परा तो यही रही है। परिवार का फरमान पत्थर की लकीर। कौन मार्गदर्शन करेगा और कौन मंत्री बनेगा! कौन सत्ता से संगठन में आएगा और किसे संगठन से सत्ता का मजा चखने भेजा जाएगा? परिवार ही तय करता रहा है। रघुकुल रीति। परिवार के आंखें फेरते ही अच्छे-अच्छे राजनीति के परिदृश्य से गायब हो गए। बियाबान में खो गए। तो ऐसा अनुशासन है परिवार में। अुशासनहीनता मतलब अच्छेखासे करियर का अंत। तुरंत।
तो परिवार का सवाल मंत्रियों, सांसद, विधायकों और पदाधिकारियों से। सुबह-सुबह बुला लिया। कई की तो खुमारी भी नहीं उतरी होगी। अंदाज भी नहीं होगा। सत्ता वालों से सवाल? किसकी हिम्मत? लेकिन परिवार का मामला हो तो जाना पड़ता है। उद्घाटन, भाषण हो तो घंटा-दो घंटे देर से ही जाने की परंपरा है। आप किसी भी मंत्री, सांसद या विधायक के घर जाकर देख लें। साहब या तो बाथरूम में होते हैं, या पूजा में! लेकिन परिवार का बुलावा हो तो कइयों की हाजत रुक जाती है। तो फरमान आते ही पहुंच गए। जाते ही सवाल। सवाल क्या? 'मंदिर टूट रहे थे तब आप क्या कर रहे थे?' राजधानी में मेट्रो रेल के नाम पर 86 मंदिर हटा दिए, ध्वस्त कर दिए तब आखिर आप क्या कर रहे थे? मंदिर का मुद्दा कितना संवेदनशील है बताने की जरूरत नहीं। उधर अयोध्या में रामलला मंदिर के इंतजार में दशकों से तम्बू में। उन्हीं की बदौलत सारी सत्ता। सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे। रामशिलाएं। साधु-संत। कारसेवक। सभी भव्य मंदिर निर्माण के इंतजार में। इधर 86 मंदिर टूट गए। फिर भी किसी के मुंह से आह तक नहीं! जनता के विरोध को दबा दिया। पुजारियों को हिरासत में ले लिया। फिर भी कोई नहीं बोला? इतना गंभीर मामला! जनाधार का जनाजा निकलने की आशंका! फिर भी चुप? अब परिवार के सामने क्या बोलें? मजबूरी! असहाय! इस्तीफे की पेशकश! उधर परिवार वालों ने मंत्रियों-सांसद को ऊंचा-नीचा किया, इधर सीएमआर में अफसरों की खिंचाई।
ये मामला अपनी जगह। कोई रास्ता निकलेगा। निकालना पड़ेगा। मूल सवाल यह कि सत्तारूढ दल के मंत्री, सांसद और विधायक करते क्या हैं? एक जवाब तो यही कि कुछ नहीं करते। जैसे मंदिर टूटने पर चुप रहे। लोग पानी-बिजली के लिए हाय-हाय करते रहते हैं। अस्पतालों में इलाज के अभाव में मरे परिजन को रोते-पीटते घर ले जाते हैं। मास्टर नहीं हो तो स्कूलों पर ताले लगा देते हैं। चक्काजाम करते हैं। बुलडोजर के आगे लेट जाते हैं। टंकी पर चढ़ जाते हैं। कुछ जहर खा जाते हैं। पर जनप्रतिनिधि कहां बोलते! अनदेखी करते हैं। लेकिन कई काम करते भी हैं। जैसे तबादले करना। ठेके लेना या दिलवाना। मुख्यमंत्री की जयजयकार करते रहना। पारिवारिक मित्रों की मदद करना। चुनाव हों तो कार्यकर्ता की उपेक्षा कर परिवार वालों को टिकट दिलाना। अपनी सात पीढ़ियों के लिए इंतजाम कर लेना। इन्वेस्टमेंट के नाम पर सरकारी जमीन लुटा देना। हर समस्या के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराना। कुछ आप भी तो बताओ!
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भाषाई अल्पसंख्यक उर्दू ,,पंजाबी के साथ की जारही दमनकारी नीति बर्दाश्त नहीं की जायेगी ,,,,हारुन खान

राजस्थान अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष हारून खान ने आज यहाँ कोटा सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राजस्थान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा के भाषाई अल्पसंख्यक उर्दू ,,पंजाबी के साथ की जारही दमनकारी नीति बर्दाश्त नहीं की जायेगी ,,,,हारुन खान ने कहा के स्टाफ पैटर्निंग के नाम पर कोटा सहित पुरे राजस्थान में उर्दू शिक्षको को टारगेट बनाकर परेशान किया जा रहा है ,,उर्दू खत्म करने की साज़िश रची जा रही है ,,अल्पसंख्यक कर्मचारी अधिकारी महासंघ इसकी निंदा करता है ,,,उन्होंने कहा के सरकार ने झालावाड़ मुख्यमंत्री के क्षेत्र में संबंधित नीति को गलत मानकर सभी ट्रांसफर रद्द कर दिये है ,,इसी तर्ज़ पर पुरे राजस्थान के ट्रांसफर निरस्त किये जाए और उर्दू ,,सिंधी ,,पंजाबी जुबांन और इनके शिक्षको के साथ बदले की भावना से काम करना यह सरकार बंद करे ,,,,,,,,,,,,,,हारून खान ने कहा के सरकार ने अगर बदले की भावना से किये गए ट्रांसफर और उर्दू के खात्मे की सूचि निरस्त नहीं की तो महासंघ इस मामले में आंदोलन करेगा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इसके बाद अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ की की तरफ से शेर वाले बाबा के यहाँ रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम में हारुन खान ने सभी कर्मचारियो ,अधिकारीयों को बधाई दी मुबारकबाद दी ,,,,,,,रोज़ा इफ्तार में जयपुर से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी कमरुद्दीन ,,,,सऊद अख्तर ,,कोटा नगर निगम के कमिश्नर अशोक त्यागी ,,,रेडियोलॉजिस्ट अधीक्षक उजागर सिंह ,,,बंजारा समाज के कैलाश बंजारा ,,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,इंसाफ आज़ाद ,,,तबरेज़ पठान मदनी ,,,हाफ़िज़ रशीद क़ादरी ,,,अब्दुल करीम खान ,,,मंटू भाई ,,,,,कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सलीम जावेद ,,माजिद हाशमी सहित सैकड़ों अधिकारी पदाधिकारी मौजूद थे ,,कार्यक्रम का संचालन नईम दानिश ने किया जबकि रोज़े इफ्तार के बाद कर्मचारियों ,,,अधिकारीयों ,,अध्यापकों ने अपनी समस्याएं हारून खान के समक्ष रखी जिनके समाधान के लिए हारून खान ने शीघ्र ही सरकार से वार्ता कर हल निकालने का आश्वासन दिया ,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बधाई हो ।


आज साल का मध्य दिवस है।
इस वर्ष के 182 दिन गुजर चुके और 182 ही दिन और शेष बचे हैं।
मेरे ख्याल से आपको ये बताने वाला मैं पहला शख्श हूँ।

क़ुरआन का सन्देश

 
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