जयपुर। बीहड़ में 16 साल रहे डाकू मोहर सिंह पर पांच सौ पचास
मुकदमे थे, जिनमें चार सौ हत्याओं का आरोप था। जेल में 8 साल सजा काट चुके
पूर्व दस्यु मोहर सिंह ने अब धरती बचाने, हरियाली लाने की ठान ली है। अपने
गांव मेहगांव में बाकी की जिंदगी बिता रहे मोहर सिंह मूछों पर ताव देते
कहते हैं, मुझे इस बात के लिए कोई पछतावा नहीं है कि मैने बीहड़ों में अपनी
बंदूकें गरजाई हैं और लोगों की हत्याएं की हैं।
अब डाकू मोहर सिंह अपने गांव में खेती करते हैं और बाकी समय भजन
कीर्तन करते हैं। गांव में जहां भी भगवत भजन होता है वहां मोहर सिंह मौजूद
रहते हैं। वह जल्द ही कल्पतरु संस्थान की ओर से जयपुर में आयोजित होने वाले
एक पर्यावरण सम्मेलन में धरती बचाने की गुहार लगाने के लिए आने वाले हैं।
मोहर सिंह ने पुराने जमाने की यादों को ताजा करते हुए श्री कल्पतरु
संस्थान के प्रेसिडेंट विष्णु लाम्बा के जरिए dainikbhaskar.com के लिए
अपनी जिंदगी के कुछ रोचक पल साझा किए।
जेल सुप्रींटेंडेंट को पीटा
मोहर सिंह ने बताया कि जो दबदबा चंबल में था वही जेल में भी था। जेल
में गर्मी लगती थी तो पंखा लगवा लिया था। एक बार तो जेल सुप्रींटेंडेंट ने
मना किया तो उसकी बुरी तरीके से पिटाई भी कर दी। जेल में मन नहीं लग रहा था
तो जेल सुप्रींटेंडेंट को उसके बंगले से बेदखल कर उसमें बड़े आराम से रहने
लगा। जेलर एश-ओ-आराम में बाधा बनते तो उनकी भी पिटाई हो जाया करती थी। मोहर
सिंह के लिए जेल में चिकन-मटन तो आम बात थी। हां उन्हें देशी घी से तर
खाना मिला करता था। उनको सबसे अनंद ग्वालियर जेल में था।
वसुंधरा राजे की मां को मैने विधायक बनवाया :
मोहर सिंह मुस्कुराते हुए कहते हैं कि अपने जीवन में वे कभी वसुंधरा राजे से नहीं मिले, लेकिन उनकी मां विजय राजे सिंधिया को विधायक उन्होंने ही बनवाया था।
अच्छे इंसान हैं अटल बिहारी वाजपेयी
मोहर सिंह राजनेताओं को पसंद नहीं करते। उन्हें कोई भी राजनेता प्रभावित नहीं करता है सिवाय अटल बिहारी बाजपेयी के। मोहर सिंह कहते हैं कि वे एक अच्छे इंसान हैं। उन्होंने कभी बागियों का सहारा नहीं लिया।
जज साहब कितनी रोटी खाए हो :
मोहर सिंह ने बताया कि मुकदमे के दौरान कोर्ट में जज ने पूछा कि तुमने कितने मर्डर किए हैं। तब मैंने जज साहब से पूछा आपने आज कितनी रोटियां खाईं हैं। जज साहब ने कहा मुझे याद नहीं। तब मैंने कहा कि मुझे भी याद नहीं कि मैंने कितने लोगों को मारा है। हां मेरे ऊपर 400 हत्याओं का आरोप है, लेकिन मैंने यही कोई 20-22 लोगों को ही मारा है। एक बार मैंने सिवाड़ में एक साथ 11 मुखबिरों को मारा था।
मोहर सिंह ने बताया कि मुकदमे के दौरान कोर्ट में जज ने पूछा कि तुमने कितने मर्डर किए हैं। तब मैंने जज साहब से पूछा आपने आज कितनी रोटियां खाईं हैं। जज साहब ने कहा मुझे याद नहीं। तब मैंने कहा कि मुझे भी याद नहीं कि मैंने कितने लोगों को मारा है। हां मेरे ऊपर 400 हत्याओं का आरोप है, लेकिन मैंने यही कोई 20-22 लोगों को ही मारा है। एक बार मैंने सिवाड़ में एक साथ 11 मुखबिरों को मारा था।
मुझे भगवान पर भरोसा था :
मोहर सिंह को फांसी की सजा हुई थी लेकिन फांसी नहीं हुई। इस बात पर उन्होंने कहा कि मुझे भगवान पर भरोसा था। उनकी मर्जी के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता है। जेल से छूटने के बाद डाकू मोहर सिंह मेहगांव नगर पालिका के निर्विरोध चेयरमैन भी रहे ।
समर्पण के बाद कोई पूछने नहीं आया :
मोहर सिंह ने कहा कि समर्पण के बाद आज तक कोई पूछने नहीं आया। उन्होंने जयपुर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम 'पहले बसाया बीहड़ - अब बचाएंगे बीहड़’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इससे दस्युओं को समाज से जुड़ने का मौका मिलेगा। मोहर सिंह ने अपने गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए सरकार से अपील भी की।