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18 जुलाई 2015

पुरी: भगवान जगन्नाथ की नबकलेबर रथयात्रा में भगदड़ के दौरान 2 मरे, 14 जख्मी

फोटो: पुरी में भगवान जगन्नाथ की नबकलेबर रथयात्रा के दौरान भगदड़ में जख्मी हुई महिला को ले जाते लोग।
फोटो: पुरी में भगवान जगन्नाथ की नबकलेबर रथयात्रा के दौरान भगदड़ में जख्मी हुई महिला को ले जाते लोग।
पुरी. ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की नबकलेबर रथयात्रा के दौरान भगदड़ के दौरान दो लोगों की मौत हो चुकी है और 14 लोग जख्मी हो गए हैं। मरने वालों में 65 साल की महिला बिजयलक्ष्मी मोहंती भी शामिल है। मोहंती भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के दौरान ही नीचे गिर गई थीं।घायलों को कटक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कहां हुई भगदड़?
गजपति किंग पैलेस के पास, जो मुख्य मंदिर से एक किलोमीटर दूर है।
9 दिनों की यात्रा के पहले दिन बड़ी तादाद में जुटे लोग
कड़ी सुरक्षा के बीच इस सदी की पहली नबकलेबर रथयात्रा के दौरान देश-विदेश से लाखों भक्त 9 दिनों की यात्रा के पहले दिन शनिवार को पुरी पहुंचे। इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां गुंडिचा मंदिर ले जाई जाएंगी और फिर वहां से वापस लाई जाएंगी।
कुछ दिनों पहले 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी जिले में पुष्कर मेले के दौरान हुई भगदड़ में 35 लोगों की मौत हुई थी।
क्या है नबकलेबर यात्रा?
पुरी में नबकलेबर हर 19 साल बाद होती है। इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन चक्र की पुरानी मूर्तियों को नई मूर्तियों से बदला जाता है।
2001 से 2014 तक भगदड़ ने ली 2500 जानें
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2001 से 2014 तक 3000 से ज्यादा भगदड़ की घटनाएं हो चुकी हैं। इन हादसों में अब तक करीब 2500 लोग मारे जा चुके हैं। इनमें से कुछ अहम घटनाओं पर नजर डालिए:
- महाराष्ट्र, जनवरी, 2005, जगह: मंधेर देवी मंदिर, 300 से ज्यादा लोगों की मौत, यह मंदिर सतारा जिला में है।
- राजस्थान, 2008, जगह: चामुंडा देवी मंदिर, 200 से ज्यादा लोगों की मौत, यह मंदिर जोधपुर में है।
- हिमाचल प्रदेश, 2008 : जगह: नैना देवी मंदिर, 100 से ज्यादा लोगों की मौत।
- केरल, 2011, जगह: सबरीमाला मंदिर, 100 से ज्यादा लोगों की मौत।
- मध्य प्रदेश 2013, जगह: रतनगढ़ माता मंदिर, 100 से ज्यादा लोगों की मौत, यह भगदड़ नवरात्रि के दौरान लगने वाले मेले में हुई थी।

यापमं: STF की 'लीपापोती' पर CBI हैरान, दर्ज हो सकता है मर्डर का एक और केस



व्यापमं: STF की 'लीपापोती' पर CBI हैरान, दर्ज हो सकता है मर्डर का एक और केस

एक संवाद.

मित्रों इस संवाद को ध्यान से पढ़ें और मनन भी करें।
एक संवाद......
मुशीं फैज अली ने स्वामी विवेकानन्द से पूछा :
"स्वामी जी हमें बताया गया है कि अल्लहा एक ही है।
यदि वह एक ही है, तो फिर संसार उसी ने बनाया होगा ?
"स्वामी जी बोले, "सत्य है।".
मुशी जी बोले ,"तो फिर इतने प्रकार के मनुष्य क्यों बनाये।
जैसे कि हिन्दु, मुसलमान, सिख्ख, ईसाइ और सभी को अलग-अलग धार्मिक ग्रंथ भी दिये।
एक ही जैसे इंसान बनाने में उसे यानि की अल्लाह को क्या एतराज था।
सब एक होते तो न कोई लङाई और न कोई झगङा होता।
".स्वामी हँसते हुए बोले, "मुंशी जी वो सृष्टी कैसी होती जिसमें एक ही प्रकार के फूल होते।
केवल गुलाब होता, कमल या रंजनिगंधा या गेंदा जैसे फूल न होते!".
फैज अली ने कहा सच कहा आपने यदि एक ही दाल होती तो खाने का स्वाद भी एक ही होता।
दुनिया तो बङी फीकी सी हो जाती!
स्वामी जी ने कहा, मुंशीजी! इसीलिये तो ऊपर वाले ने अनेक प्रकार के जीव-जंतु और इंसान बनाए ताकि हम पिंजरे का भेद भूलकर जीव की एकता को पहचाने।
मुशी जी ने पूछा, इतने मजहब क्यों ?
स्वामी जी ने कहा, " मजहब तो मनुष्य ने बनाए हैं,
प्रभु ने तो केवल धर्म बनाया है।
"मुशी जी ने कहा कि, " ऐसा क्यों है कि एक मजहब में कहा गया है कि गाय और सुअर खाओ और दूसरे में कहा गया है कि गाय मत खाओ, सुअर खाओ एवं तीसरे में कहा गया कि गाय खाओ सुअर न खाओ;
इतना ही नही कुछ लोग तो ये भी कहते हैं कि मना करने पर जो इसे खाये उसे अपना दुश्मन समझो।"
स्वामी जी जोर से हँसते हुए मुंशी जी से पूछे कि ,"क्या ये सब प्रभु ने कहा है ?"
मुंशी जी बोले नही,"मजहबी लोग यही कहते हैं।"
स्वामी जी बोले, "मित्र! किसी भी देश या प्रदेश का भोजन वहाँ की जलवायु की देन है।
सागरतट पर बसने वाला व्यक्ति वहाँ खेती नही कर सकता, वह सागर से पकङ कर मछलियां ही खायेगा।
उपजाऊ भूमि के प्रदेश में खेती हो सकती है।
वहाँ अन्न फल एवं शाक-भाजी उगाई जा सकती है।
उन्हे अपनी खेती के लिए गाय और बैल बहुत उपयोगी लगे।
उन्होने गाय को अपनी माता माना, धरती को अपनी माता माना और नदी को माता माना ।
क्योंकि ये सब उनका पालन पोषण माता के समान ही करती हैं।"
"अब जहाँ मरुभूमि है वहाँ खेती कैसे होगी?
खेती नही होगी तो वे गाय और बैल का क्या करेंगे? अन्न है नही तो खाद्य के रूप में पशु को ही खायेंगे।
तिब्बत में कोई शाकाहारी कैसे हो सकता है?
वही स्थिति अरब देशों में है। जापान में भी इतनी भूमि नही है कि कृषि पर निर्भर रह सकें।
"स्वामी जी फैज अलि की तरफ मुखातिब होते हुए बोले, " हिन्दु कहते हैं कि मंदिर में जाने से पहले या पूजा करने से पहले स्नान करो।
मुसलमान नमाज पढने से पहले वाजु करते हैं।
क्या अल्लहा ने कहा है कि नहाओ मत, केवल लोटे भर पानी से हांथ-मुँह धो लो?
"फैज अलि बोला, क्या पता कहा ही होगा!
स्वामी जी ने आगे कहा,नहीं, अल्लहा ने नही कहा!
अरब देश में इतना पानी कहाँ है कि वहाँ पाँच समय नहाया जाए।
जहाँ पीने के लिए पानी बङी मुश्किल से मिलता हो वहाँ कोई पाँच समय कैसे नहा सकता है।
यह तो भारत में ही संभव है, जहाँ नदियां बहती हैं,
झरने बहते हैं, कुएँ जल देते हैं।
तिब्बत में यदि पानीहो तो वहाँ पाँच बार व्यक्ति यदि नहाता है तो ठंड के कारण ही मर जायेगा।
यह सब प्रकृति ने सबको समझाने के लिये किया है।
"स्वामी विवेका नंद जी ने आगे समझाते हुए कहा कि," मनुष्य की मृत्यु होती है।
उसके शव का अंतिम संस्कार करना होता है। अरब देशों में वृक्ष नही होते थे, केवल रेत थी। अतः वहाँ मृतिका समाधी का प्रचलन हुआ, जिसे आप दफनाना कहते हैं।
भारत में वृक्ष बहुत बङी संख्या में थे, लकडी.पर्याप्त उपलब्ध थी अतः भारत में अग्नि संस्कार का प्रचलन हुआ।
जिस देश में जो सुविधा थी वहाँ उसी का प्रचलन बढा।
वहाँ जो मजहब पनपा उसने उसे अपने दर्शन से जोङ लिया।
"फैज अलि विस्मित होते हुए बोला!
"स्वामी जी इसका मतलब है कि हमें शव का अंतिम संस्कार प्रदेश और देश के अनुसार करना चाहिये। मजहब के अनुसार नही।
"स्वामी जी बोले , "हाँ! यही उचित है।
" किन्तु अब लोगों ने उसके साथ धर्म को जोङ दिया। मुसलमान ये मानता है कि उसका ये शरीर कयामत के दिन उठेगा इसलिए वह शरीर को जलाकर समाप्त नही करना चाहता।
हिन्दु मानता है कि उसकी आत्मा फिर से नया शरीर धारण करेगी इसलिए उसे मृत शरीर से एक क्षंण भी मोह नही होता।
"फैज अलि ने पूछा कि, "एक मुसलमान के शव को जलाया जाए और एक हिन्दु के शव को दफनाया जाए तो क्या प्रभु नाराज नही होंगे?
"स्वामी जी ने कहा," प्रकृति के नियम ही प्रभु का आदेश हैं।
वैसे प्रभु कभी रुष्ट नही होते वे प्रेमसागर हैं, करुणा सागर है।
"फैज अलि ने पूछा तो हमें उनसे डरना नही चाहिए?
स्वामी जी बोले, "नही! हमें तो ईश्वर से प्रेम करना चाहिए वो तो पिता समान है, दया का सागर है फिर उससे भय कैसा।
डरते तो उससे हैं हम जिससे हम प्यार नही करते।
"फैज अलि ने हाँथ जोङकर स्वामी विवेकानंद जी से पूछा, "तो फिर मजहबों के कठघरों से मुक्त कैसे हुआ जा सकता है?
"स्वामी जी ने फैज अलि की तरफ देखते हुए मुस्कराकर कहा,
"क्या तुम सचमुच कठघरों से मुक्त होना चाहते हो?"
फैज अलि ने स्वीकार करने की स्थिति में अपना सर हिला दिया।
स्वामी जी ने आगे समझाते हुए कहा,"फल की दुकान पर जाओ, तुम देखोगे वहाँ आम, नारियल, केले, संतरे,अंगूर आदि अनेक फल बिकते हैं; किंतु वो दुकान तो फल की दुकान ही कहलाती है।
वहाँ अलग-अलग नाम से फल ही रखे होते हैं।
" फैज अलि ने हाँ में सर हिला दिया।
स्वामी विवेकानंद जी ने आगे कहा कि ,"अंश से अंशी की ओर चलो।
तुम पाओगे कि सब उसी प्रभु के रूप हैं।
"फैज अलि अविरल आश्चर्य से स्वामी विवेकानंद जी को देखते रहे और बोले "स्वामी जी मनुष्य ये सब क्यों नही समझता?
"स्वामी विवेकानंद जी ने शांत स्वर में कहा, मित्र! प्रभु की माया को कोई नही समझता।
मेरा मानना तो यही है कि, "सभी धर्मों का गंतव्य स्थान एक है।
जिस प्रकार विभिन्न मार्गो से बहती हुई नदियां समुंद्र में जाकर गिरती हैं, उसी प्रकार सब मतमतान्तर परमात्मा की ओर ले जाते हैं।
मानव धर्म एक है, मानव जाति एक है।

कीमत

1 साल ..की कीमत उस से पूछो
👉जो फेल हुआ हो ।
1 महीने... ..की कीमत उस से पूछो
👉जिसको पिछले महीने तनख्वाह
ना मिली हो ।

1 हफ्ते... ..की कीमत उस से पूछो
👉जो पूरा हफ्ते अस्पताल में रहा हो।
1 दिन.. ..की कीमत उस से पूछो
👉जो सारा दिन से भूखा हो ।
1 घंटे.. ..की कीमत उस से पूछो
👉जिसने किसी का इंतज़ार किया हो।
1 मिनट... ..की कीमत उस से पूछो
👉जिसकी ट्रेन 1 मिनट से मिस हुई हो।
1 सेकंड.. ..की कीमत उस से पूछो..
👉जो दुर्घटना से बाल बाल बचा हो।
इसलिये हर पल का शुक्रिया करो ।👍
👍 लाख टके की बात_ 👌
कोई नही देगा साथ तेरा यहॉं
हर कोई यहॉं खुद ही में मशगुल है
जिंदगी का बस एक ही ऊसुल है यहॉं,
तुझे गिरना भी खुद है
और सम्हलना भी खुद है.

राजस्थान के सभी स्कूलों में उर्दू विषय बहाल कर पूर्ववत यथावत रखने की मांग

कोटा सहित राजस्थान के सरकारी स्कूलो से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर छात्रों की शिक्षा नियमों के तहत संख्या होने पर भी सरकार के शिक्षा विभाग में बैठे कुछ नौसिखिये अधिकारियों द्वारा मनमानी कार्यवाही के तहत स्कूलों से उर्दू बंद करने से आक्रोशित अल्पसंख्यक समुदाय के प्रबुद्ध लोगों ने आज कोटा शहर क़ाज़ी के नेतृत्व में ज़रिये अतिरिक्त ज़िलाकलेक्टर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर कोटा सहित राजस्थान के सभी स्कूलों में उर्दू विषय बहाल कर पूर्ववत यथावत रखने की मांग की है ,,,कोटा शहर क़ाज़ी ने कहा के कोटा के कई स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहिसाब है जबकि दस छात्र छात्राओं के नामांकन होने पर भी पूर्व स्वीकृत पद को खत्म नहीं करने का सरकारी नियम है फिर भी इस नियम को ताक़ में रखकर जहाँ सो ,,दो सो ,,तीन सो इससे भी अधिक छात्र छात्राये अध्ययनरत है वहां भी उर्दू बंद कर अध्यापकों को गेर क़ानूनी तरीके से हटा दिया गया है ,,,कोटा शहर क़ाज़ी ने साफ़ तोर पर विनम्रता से मुस्कुराते हुए चेतावनी स्वरूप कहा के अगर सरकार इस ज्ञापन को लेकर पन्द्राह दिवस में कोई सकारात्मक निर्णय लेकर उर्दू विषय बहाल नहीं करती है तो हमे ऐतिहासिक रूप से बहुत बढ़ा प्रदर्शन ,,बहुत बढ़ा आंदोलन करने पर मजबूर होना पढ़ेगा जिससे फैलने वाली अव्यवस्था के लिए सरकार ही ज़िम्मेदार होगी ,,,,,,कोटा शहर क़ाज़ी के साथ एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,,प्रोफ़ेसर डॉक्टर नईम फलाही ,,,शिक्षाविद गफ्फार मिर्ज़ा ,,शफी खान ,,इमरान कुरैशी ,,रफ़ीक़ बेलियम ,,,मौलाना अलाउद्दीन अशरफी ,,,,ज़ाकिर भाई ,,,गुलशेर खान ,,अब्दुल करीम खान ,,,साजिद जावेद ,,,तबरेज़ पठान मदनी ,,,अज़ीज़ अंसारी सहित दो दर्जन से भी अधिक लोग शामिल थे ,,,अख़्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा हर जंग में राजस्थान में ही नहीं पुरे देश में अव्वल रहता है

दोस्तों आज़ादी की जंग हो ,,पढ़ाई की जंग हो ,,औद्योगीकरण की जंग हो ,,,,,आपसी जंग हो ,,,या फिर उर्दू और तहज़ीब को बचाने की जंग हो ,,,,कोटा हर जंग में राजस्थान में ही नहीं पुरे देश में अव्वल रहता है ,,,राजस्थान के सभी स्कूलों में उर्दू विषय खत्म किया गया है लेकिन कोटा ही एक मात्र ऐसा केंद्र बिंदु है जहाँ प्रबंधन तरीके से मर्दानगी के साथ उर्दू और तहज़ीब को बचाने के लिए जंग की शुरुआत की गई है ,,अफ़सोस इस बात का है के कोटा के अलावा दूसरे शहर दूसरे ज़िले के लोग आज तक भी हाथ पर हाथ धरे बैठे है ,,जयपुर ,,जोधपुर जैसे बढ़े ज़िलों के लोग इस मामले में खामोश है ,,उर्दू की हमदर्द ,,उर्दू से जुड़े लोगों के वोट बटोरने बटोरने वाली सियासत तो तवायफ की तरह मुजरा कर रही है और दिखावे के रूप में भी अब तक कोई खास कार्यवाही कोई खास आंदोलन नहीं किया गया है ,,,,,, कोटा सहित सारे राजस्थान में उर्दू को बेदर्दी से कुचला जा रहा है ,,कोटा तो ज़िंदा है ,,कोटा के विधायक ,,,मंत्री ,,सांसद सत्ता पक्ष के लोग उर्दू के पक्ष में खुली हिमायत कर रहे है ,लगातार दबाव से ज़िलों के कलेक्टरों के भी समझ में आया है के अनावश्यक रूप से उर्दू को गलत टारगेट बनाया है सरकारी अधिकारी भी इस अन्याय को सुधारना चाहते है ,,एक जानकारी के मुताबिक़ कोटा के पैतीस स्कूलों में विषय खत्म करने पर दुबारा संबंधित विषयों को दुबारा से यथावत रखने की सिफारिश की जा रही है जिसमे उन्तीस उर्दू संबंधित सिफारिशें है ,,,,,,,,,,,दोस्तों राजस्थान के कई इलाक़ों में ईद है ,ईद के इस जश्न को अगर सभी ज़िले के क़ाज़ी ,,मुल्ला और समाजसेवक उर्दू और हिंदुस्तानी तहज़ीब बचाने के आंदोलन का रूप दे दे तो बेचारी ,,बेबस बनी उर्दू फिर से ज़िंदा हो सकती है ,,, आज़ाद हो सकती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या कोटा के अलावा राजस्थान के सभी ज़िलों के लोग उर्दू को ज़िंदा करने ,,उर्दू को बचाने के लिए थोड़ा खुद को तकलीफ देंगे अपने अपने सियासी आकाओ की गुलामी से मुक्त होकर दो पल ,,दो क्षण अपनी कॉम के बारे में भी सोचेंगे ,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जश्ने ईद को समाजसेवक भाई आबिद कागज़ी ने क़ौमी एकता की तहज़ीब के साथ मनाकर आज एक नया इतीहास रचा

दोस्तों रोज़ों की इबादत के बाद ईद का जश्न अगर मिलजुल कर गेरसियासी तरीके से गंगा जमुना संस्कृति के तहत भाईचारा सद्भावना के संदेश के साथ मनाया जाए तो वोह जश्न ऐतीहासिक हो जाता है ,,और जश्ने ईद को समाजसेवक भाई आबिद कागज़ी ने क़ौमी एकता की तहज़ीब के साथ मनाकर आज एक नया इतीहास रचा है ,,,,भाई आबिद कागज़ी जो समाजसेवी संस्थाओ से जुड़कर लोगों के दुःख दर्द बांटते है ,,अपनी मिलंसारी व्यक्त्तिव और जाबाज़ हौसले के कारण कोटड़ी व्यापार संघ के लगातार सिरमौर निर्वाचित किये जा रहे है ,,भाई आबिद कागज़ी छात्र कांग्रेस से लेकर ,,युथ कांग्रेस ,,अल्सपंख्य्क कांग्रेस ,,,जिला कांग्रेस में सक्रिय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे है ,,भाई आबिद कागज़ी कोटा शहर की हर घटना में मददगार बनकर अपनी उपस्थिति दलगत राजनीति से अलग हठकर दिखाते है ,,इनके सेवा भावी सिद्धांतो में कोई धर्म ,,कोई मज़हब ,,कोई सियासी विचारधारा आढे नहीं आती है इसीलिए आज इनके द्वारा आयोजित पुरखुलुस ईद मिलन समारोह में सभी पार्टी ,,सभी धर्म ,,सभी मज़हब ,,सभी आयु वर्ग के लोग के शामिल थे ,,,भाई आबिद कागज़ी ने कोटड़ी जमाल रोड पर आज के दिन पुरे दिन भर का ईद मिलन कार्यक्रम रखा था जिसमे तीन हज़ार से भी अधिक शहर के प्रबुद्ध लोगों ने शिरकत कर भाई आबिद कागज़ी के इस आयोजन का मान बढ़ाया ,,,,और सिवइयों सहित कई व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया ,,,भाई आबिद कागज़ी ने एक विनम्र पुरखुलुस मेज़बान की हैसियत से दिन भर सभी मेहमानो का माला पहना कर स्वागत किया ,,,उनका अतीथी सत्कार किया ,,,,,, आबिद कागज़ी के इस आयोजन के लिए उन्होंने सोशल मिडिया ,,व्यक्तिगत ,,,फ्लेक्स के माध्यमों से ,,मित्रों के माध्यमों से सभी को दावतनामे दिए थे ,,,कोटड़ी जमाल रोड पर आज भाजपा के विधायक प्रह्लाद गुंजल ,,भवानी सिंह राजावत ,,संदीप शर्मा सहित कई पदाधिकारी शामिल हुए तो कांग्रेस के भी कई पार्टी पदाधिकारी प्रूव विचायक ,,पार्षद और ज़िम्मेदार लोग इस कार्यक्रम में शामिल थे ,,,,नगर निगम की उप महापौर ,,,पार्षद मोहम्मद हुसेन मिस कॉल सहित कई पार्षद भी शामिल हुए ,,,सरकारी अधिकारी ,,कर्मचारी ,,हिन्दू ,,मुस्लिम समाज के धर्म गुरु ,,पंडित ,,मौलाना भी इस कार्यक्रम में थे ,,,,,,,,बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश बंजारा ,,,,,, प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्सपंख्य्क विभाग के कोटा संभाग चेयरमेन एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,संभागीय महासचिव तबरेज़ पठान ,,,जिला वक़्फ़ कमेटी के अध्यक्ष अज़ीज़ अंसारी ,,देहात कांग्रेस के प्रवक्ता मंज़ूर तंवर ,,सहित आज दिन भर तीन हज़ार से भी अधिक लोगों ने भाई आबिद कागज़ी की विशिष्ठ महमाँनवाज़ी का लुत्फ़ उठाया ,,,,,,,,,,,,,,इस दौर में जब नफरत और एक दूसरे की परस्पर प्रतिस्पर्धा होने से टांग खिंचाई का दौर चल रहा हो और एक समाज सेवक ,,,,,,धर्म ,,मज़हब ,,समाज ,,जाति ,,सियासी विचारधाराओं से अलग हठ कर लोगों को त्यौहार के जश्न के नाम पर पुरखुलुस अंदाज़ में भाईचारा ,,सद्भावना का संदेश देने में कामयाब हुआ तो ऐसी शख्सियत भाई आबिद कागज़ी के इस कमाल ,,इस चमत्कार पर बेसाख्ता वाह निकलना वाजिब है और ऐसे समाजसेवक की ऐसी रचनात्मक सोच को सलाम किया जाना भी स्वाभाविक है ,,भाई आबिद कागज़ी के इस कामयाब कार्यक्रम के लिए उन्हें बधाई ,,मुबारकबाद ,,उनके साथ जुड़े उनके भाई साजिद कागज़ी और पूरी टीम को बधाई ,,मुबारकबाद ,,शुक्रिया ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरे हाथ की

तेरे हाथ की काश मैं वो लकीर बन जाऊं,
काश मैं तेरा मुक़द्दर तेरी तक़दीर बन जाऊं..
मैं तुम्हें इतना चाहूँ कि तुम भूल जाओ हर रिश्ता,
सिर्फ मैं ही तुम्हारे हर रिश्ते की तस्वीर बन जाऊं..
तुम आँखें बंद करो तो आऊं मैं ही नज़र, इस तरह
मैं तुम्हारे हर ख्वाब की ताबीर बन जाऊं.

ईद मनाते हे.

आओ एक ईद मनाते हे..
कुछ सेवेयां तुम ले आओ ..
कुछ उसमे दूध हम मिलाते हे..
आओ एक ईद मनाते हे..
एक दिया तुम रख दो मंदिर में ..
एक शमां हम मस्जिद में जलाते हे..
आओ एक ईद मनाते हे..
क्यों तेरा मेरा कर लड़ते रहे अब तक ..
शाहे शरीर हे.. बे- गेरत ये सब को बताते हे..
आओ एक मुक्कमल ईद मनाते हे..
बहुत हो चूका ..धर्म के नाम पर इंसानियत का बंटवारा..
अब एक हो कर सारी दुनियां को ताकत दिखाते हे .
आओ सब मिल कर एक ईद मनाते हे..
जो कहते थे कभी की हमारे दम से हे दुनियां..
आओ उन्हें हारा हुआ सिकंदर .. और कब्र में दफ़न अकबर महान दिखाते हे..
आओ सब मिल कर एक ईद मनाते हे..
सारी दीवारे ..तेरा मेरा की छोड़ कर दूध और सिवय्यें से एक हो जाते हे ..
आओ मिल कर एक ईद मनाते हे.

अमीरी या खुदा,

नहीं मांगता शजर-ए-
अमीरी या खुदा,
मिलती रहे सबको रोटी ,ये दुआ मांगता हूँ!
गैरों की खुशहाली से न हो जलन,
दिल में बस सब्र -ए- अरमां मांगता हूँ !!

निकले न लब से बद्दुआ किसी के खातिर,
इरादे नेक और मुकम्मल इमान मांगता हूँ !!
उजड़े न चैन - ओ- अमन किसी का और,
तेरे ख्वाबों का खुशनुमा जहाँ मांगता हूँ !!
बँट गयी है दुनिया मजहबों में बहोत,
ऐ खुदा इंसानियत का एक कारवां मांगता हूँ !!
नहीं होते इंसान बुरे , हालात बना देते हैं,
ऐसे बुरे हालातों का न होना मांगता हूँ !! ...

ईदी में

नहीं कुछ और दिल को चाहिये इस बार ईदी में
खुदा तू जोड़ दे इंसानियत के तार ईदी में।
तेरी नज़्रे इनायत से न हो महरूम कोई भी
सभी के नेक सपने तू करे साकार ईदी में।
न कोई ग़म किसी को हो दुआ दिल से मेरे निकले
गले सबसे मिले खुशियों भरा संसार ईदी में।
तिलक राज कपूर राही की एक प्यारी सी ..ग़ज़ल
नहीं कुछ और दिल को चाहिये इस बार ईदी में
खुदा तू जोड़ दे इंसानियत के तार ईदी में।
तेरी नज़्रे इनायत से न हो महरूम कोई भी
सभी के नेक सपने तू करे साकार ईदी में।
न कोई ग़म किसी को हो दुआ दिल से मेरे निकले
गले सबसे मिले खुशियों भरा संसार ईदी में।
रहे न फ़र्क कोई मंदिर-ओ-मस्जि़द औ गिरजा में
सभी मिलकर सजायें उस खुदा का द्वार ईदी में।
मुहब्‍बत ही मुहब्‍बत के नज़ारे हर तरफ़ देखूँ
खुदा निकले दिलों से इक मधुर झंकार ईदी में।
मिटाकर नफ़रतों को भाईचारे की इबादत हो
करें इंसानियत का मिल के सब श्रंगार ईदी में।
खुदा से माँगता आया है पावन ईद पर ‘राही’
बढ़ा दिल में सभी के और थोड़ा प्‍यार ईदी में।
रहे न फ़र्क कोई मंदिर-ओ-मस्जि़द औ गिरजा में
सभी मिलकर सजायें उस खुदा का द्वार ईदी में।
मुहब्‍बत ही मुहब्‍बत के नज़ारे हर तरफ़ देखूँ
खुदा निकले दिलों से इक मधुर झंकार ईदी में।
मिटाकर नफ़रतों को भाईचारे की इबादत हो
करें इंसानियत का मिल के सब श्रंगार ईदी में।
खुदा से माँगता आया है पावन ईद पर उस्मान
बढ़ा दिल में सभी के और थोड़ा प्‍यार ईदी में।

क़ुरान का सन्देश

 
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