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21 जुलाई 2015

उज्‍जैन: महाकाल मंदिर में भस्‍म आरती के दौरान डूबा रहा आधा शिवलिंग



उज्जैन में आधा पानी में डूबे महाकाल की आरती हुई।
उज्जैन/ इंदौर. मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित उज्जैन में मंगलवार सुबह कोटितीर्थ कुंड का पानी भगवान महाकाल मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गया। शिवलिंग आधा पानी में डूबा हुआ था और उसी स्थिति में महाकाल की भस्म आरती हुई।
हजारों साल बाद देखने को मिली ऐसी स्थिति
भस्म आरती के बाद मोटर चलाकर गर्भगृह से पानी बाहर निकाला गया। मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि हजारों सालों बाद ऐसी स्थिति देखने को मिली है। बता दें कि कोटितीर्थ कुंड के जल से ही महाकाल का जलाभिषेक किया जाता है।
समय ना टले इसलिए हुई डूबे महाकाल की भस्म आरती
महाकाल के वरिष्ठ पुजारी पंडित रमन त्रिवेदी के मुताबिक, महाकाल की भस्म आरती हमेशा ब्रह्ममुहूर्त में होती है। मंगलवार की सुबह जब पुजारी भस्म आरती के लिए मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि महाकाल पानी में डूबे हुए थे। चूंकि आरती का समय भंग नहीं किया जा सकता, इसलिए पानी निकाले बिना ही आरती करने का फैसला लिया गया।
क्षिप्रा किनारे के कई मंदिरों में अभी भी भरा है पानी
उज्जैन में बारिश के चलते क्षिप्रा और गंभीर दोनों ही उफान पर हैं। इनमें पानी का वेग इतना ज्यादा है कि तट पर बने कई मंदिर अभी भी पूरी तरह से पानी में में हैं। अंगारेश्वर महादेव जैसे कई मंदिरों के सिर्फ गुंबद ही पानी के बाहर नजर आ रहे हैं।

संसद में मोदी ने जाना मुलायम के गले का हाल, सोनिया से भी पूछी खैरियत

संसद परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए पीएम।
संसद परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए पीएम।
नई दिल्ली. मानसून सेशन के पहले दिन मंगलवार को सदन में कुछ कामकाज तो नहीं हुआ, लेकिन कुछ दिलचस्‍प वाकये जरूर सामने आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से बात करते दिखे। दोनों नेताओं के बीच करीब 5 मिनट तक बातचीत हुई। मोदी शायद मुलायम के गले की तकलीफ के बारे में पूछ रहे थे। इसके बाद जब लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्‍थगित कर दी गई तो पीएम फिर मुलायम के पास पहुंच गए। हालांकि, इस बार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू भी उनके पास आ गए।
तबीयत पूछने सोनिया की सीट तक गए मोदी, पर गांधी ने नहीं की ज्‍यादा बात
कार्यवाही शुरू होने से पहले लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सीट से उठ कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास गए। उन्‍होंने उनसे उनकी तबीयत के बारे में पूछा, लेकिन सोनिया ने उनसे बहुत बात नहीं की। उनके इस रुख पर पॉलिटिकल एनालिस्‍ट अरविंद मोहन ने टीवी पर टिप्‍पणी की कि तबीयत पूछने के लिए पीएम को सदन के अदंर सोनिया के पास जाने की भला क्‍या जरूरत थी, दोनों तो दिल्‍ली में ही रहते हैं। एक अन्‍य एक्‍सपर्ट ने कहा, "सोनिया को हमारे कल्‍चर की ज्‍यादा जानकारी नहीं है, शायद इसलिए वह मोदी से उस गर्मजोशी से नहीं मिली होंगी।"
मोदी ने नहीं दिए सवालों के जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को जब सदन में जा रहे थे, तो बाहर मीडिया से बात करना तय था। तय जगह पर वह रुके और मीडिया के लिए बयान दिया। लेकिन पत्रकारों ने जब उनसे सवाल पूछे तो वह जवाब टाल गए। अलग-अलग पत्रकारों ने मोदी से पांच सवाल किए, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक का भी जवाब नहीं दिया और अपनी बात कह कर आगे बढ़ गए।
पत्रकार सवाल पूछते रहे, मोदी मुस्कुराते रहे
1. नेताओं पर करप्शन के आरोप पर क्‍या कहेंगे ?

2. सर आपको संसद चलने की उम्मीद है क्या?

3. कांग्रेस ने स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है आज, क्या सरकार बहस के लिए तैयार है?
4. लैंड बिल पर सरकार का अगला कदम क्या होगा?

2 बेटियों का चार महीने तक करता रहा रेप, कोर्ट ने पिता को 6 बार सुनाई उम्रकैद




2 बेटियों का चार महीने तक करता रहा रेप, कोर्ट ने पिता को 6 बार सुनाई उम्रकैद
इंदौर. 11 और 12 साल की दो बेटियों से करीब साढ़े चार महीने तक दुष्कर्म करने वाले 53 साल के शेख एहमद को जिला कोर्ट ने छह धाराओं में छह बार उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने आदेश में कहा कि सभी सजाएं साथ चलेंगी। इन सजाओं का अर्थ है कि दुष्कर्मी को जिंदगीभर जेल में रहना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि जेल में रहते हुए उसे किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी।

इंदौर में रहने वाला एहमद मजदूरी करता था। पत्नी काम पर चली जाती थी, तब वह घर में यह गलत काम करता था। मंगलवार को जज राजेशकुमार गुप्ता ने फैसला सुनाते हुए उसे जेल भेज दिया।

एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर संतोषकुमार चौरसिया के मुताबिक उसे आईपीसी की धारा 376 (2) की धाराओं (एफ, आई व एन) के तहत तीन बार और लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम वर्ष 2012 की धारा 5 की धाराओं (एल, एम व एन) के तहत तीन बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
गलत उम्र बताकर भी नहीं बच सका
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था, तब उसने अपनी उम्र 53 साल बताई थी, लेकिन कोर्ट में दिए बयान में 63 साल बताई। अपनी ओर से दो हम्मालों के भी बतौर गवाह बयान कराए। दोनों ने कहा कि एहमद ऐसा नहीं कर सकता। इसका व्यवहार अच्छा है। कोर्ट ने फैसले में आरोपी की उम्र 53 ही मानी और उम्र छिपाने पर नाराजगी जताते हुए कहा यह कोर्ट के साथ धोखा है। फैसले में लिखा कि अच्छा व्यवहार होना और अपराध करना अलग-अलग बात है। जो कृत्य इसने किया, वह क्षमा योग्य नहीं है। इससे पहले, कोर्ट ने आरोपी से पूछा- उसे जीवनभर की सजा सुनाई गई है। उसका क्या कहना है? तब उसने कहा पत्नी की पहले शादी हो चुकी है। पहले पति को छोड़ दिया, जिससे तीन बेटियां हैं। उनमें से बड़ी की शादी हो गई है। उसी के भड़काने पर उसकी सगी बेटियों ने झूठी रिपोर्ट लिखवा दी। कोर्ट ने उसकी यह दलील नहीं मानी।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की सिफारिश पर गौर
शासकीय जिला लोक अभियोजन अधिकारी बी.जी. शर्मा के मुताबिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिश पर गौर किया गया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह व्यवस्था निर्धारित की है कि अपराध की गंभीर प्रकृति को देखते हुए अपराधी को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास को भुगतते हुए जीवनभर जेल में ही रहना होगा।

30 जुलाई को याकूब की फांसी तय, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की क्यूरेटिव पिटीशन

30 जुलाई को याकूब की फांसी तय, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की क्यूरेटिव पिटीशन
नई दिल्ली. 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में फांसी की सजा पाने वाले याकूब मेमन की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी। चीफ जस्टिस एच.एल. दत्तू, जस्टिस टी.एस. ठाकुर और जस्टिस ए.आर. दवे ने यह फैसला दिया। अब याकूब को 30 जुलाई की सुबह सात बजे फांसी होना तय माना जा रहा है, क्योंकि क्यूरेटिव पिटीशन उसके बचने के लिए आखिरी कानूनी विकल्प था।
क्या है क्यूरेटिव पिटीशन?
- सुप्रीम कोर्ट में रिव्‍यू पिटीशन खारिज होने के बाद दायर की जाने वाली पिटीशन
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्‍ट नहीं होने पर अपील का आखिरी विकल्‍प
- क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर जज करते हैं।
- अगर वक्‍त हो तो वही बेंच सुनवाई कर सकती है, जिसने रिव्यू पिटीशन को खारिज किया हो
- क्यूरेटिव पीटिशन की सुनवाई कोर्टरूम में नहीं, बल्कि चैंबर में होती है। इस दौरान केवल जज ही मौजूद रहते हैं
12 मार्च 1993 को क्या हुआ था:
- मुंबई में दोपहर 1.30 से 4.10 तक 13 घमाके किए गए थे।
- मौत: 257, घायल: 713
- नुकसान: करीब 27 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।
- पहला धमाका-दोपहर 1.30 बजे, मुंबई स्टॉक एक्सचेंज
- दूसरा धमाका-दोपहर 2.15 बजे, नरसी नत्था स्ट्रीट
- तीसरा धमाका-दोपहर 2.30 बजे, शिव सेना भवन
- चौथा धमाका-दोपहर 2.33 बजे,एयर इंडिया बिल्डिंग
- पांचवा धमाका-दोपहर 2.45 बजे, सेंचुरी बाज़ार
- छठा धमाका-दोपहर 2.45 बजे, माहिम
- सातवां धमाका-दोपहर 3.05 बजे,झावेरी बाज़ार
- आठवाँ धमाका-दोपहर 3.10 बजे,सी रॉक होटल
- नौवां धमाका-दोपहर 3.13 बजे,प्लाजा सिनेमा
- दसवां धमाका-दोपहर 3.20 बजे,जुहू सेंटूर होटल
- ग्यारहवां धमाका-दोपहर 3.30 बजे,सहार हवाई अड्डा
- बारहवां धमाका-दोपहर 3.40 बजे,एयरपोर्ट सेंटूर होटल
- इसके आधे घंटे बाद एक और कार ब्लास्ट हुआ।
- सेकंड वर्ल्ड वार के बाद इतने भारी मात्रा में पहली बार आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था।
ब्‍लास्‍ट के बाद कोर्ट में क्‍या हुआ?
इस मामले में 2007 में विशेष टाडा कोर्ट ने याकूब समेत 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। बाकी की सजा-ए-मौत को सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया। इसी मामले में अवैध हथियार रखने के दोषी अभिनेता संजय दत्त 6 साल की सजा काट रहे हैं।
याकूब मेमन पर क्‍या है आरोप
टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई, 2007 को याकूब को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी। इसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक के पास अपील की। लेकिन उसे राहत नहीं मिली।
याकूब मेमन मुंबई सीरियल ब्‍लास्‍ट का मास्टरमाइंड है। टाइगर मेमन के भाई याकूब के वकीलों ने अदालत में दलील थी कि वह सिर्फ धमाकों की साजिश में शामिल था, लेकिन धमाकों को अंजाम देने में शामिल नहीं था।
सीए याकूब बना टेररिस्‍ट, जेल से भी कर रहा पढ़ाई
याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन मुंबई बम धमाकों के मास्टरमाइंड टाइगर मेमन का छोटा भाई है। याकूब पेश से चार्टर्ड अकाउंटेंट था और वह अपने परिवार का सबसे का सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा शख्स है। याकूब अकाउंट से जुड़ी फर्म चलाता था। इस फर्म के जरिए वह अपने भाई टाइगर मेमन का गैरकानूनी फाइनेंस संभालता था। मेमन इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहा है। पिछले साल याकूब मेमन ने एमए की फाइनल ईयर की परीक्षा दी है। वह तब से जेल में है जब नेपाल पुलिस ने उसे काठमांडू से गिरफ्तार करके भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंपा था। याकूब ने 2013 में इग्नू से अंग्रेजी में पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की है। फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद से वह नागपुर सेंट्रल जेल में बंद है।
पुनर्विचार और दया याचिका हो चुकी है खारिज
21 मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के स्पेशल कोर्ट की फांसी की सजा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया। 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मेमन की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए उसकी मौत की सजा बरकरार रखी थी। याकूब की दया याचिका भी पिछले साल राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं। इस महीने महाराष्‍ट्र सरकार ने उसके डेथ वारंट पर भी साइन कर दिया है। अब 30 जुलाई की सुबह फांसी देने की पूरी प्रक्रिया क्‍या रहेगी, 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में फांसी की सजा पाने वाले याकूब मेमन की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी। चीफ जस्टिस एच.एल. दत्तू, जस्टिस टी.एस. ठाकुर और जस्टिस ए.आर. दवे ने यह फैसला दिया। अब याकूब को फांसी की सजा होना तय माना जा रहा है, क्योंकि क्यूरेटिव पिटीशन उसके बचने के लिए आखिरी कानूनी विकल्प था। उसे 30 जुलाई को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी जाएगी। फांसी देने के लिए जेल में तैयारी शुरू हो गई है। जल्लाद भी पहुंच गया है। याकूब को फांसी यार्ड में रखा गया है। वहां से फांसी दी जाने वाली जगह कुछ ही दूरी पर है। यह संयोग है कि जिस दिन उसने इस दुनिया में कदम रखा था, उसी तारीख और उसी महीने में उसे फांसी दी जाने वाली है। इस जेल में करीब 30 वर्ष बाद किसी कैदी को फांसी दी जाने वाली है। अब तक 23 कैदियों को फांसी दी जा चुकी है। याकूब को फांसी देने की पूरी प्रक्रिया जेल मैनुअल के अनुसार करीब पांच घंटे चलेगी।

मेरी मोहब्बत

मेरी मोहब्बत
सनकी ज़रा पागल है
मेरी मोहब्बत का
स्क्रू फिर से
ढीला हो गया है
इस बार ना पेंचकस
ना प्लायर
मेरे पास कुछ भी नहीं
बस कुछ यादे
कुछ तस्वीरें है
जिनमे दस तस्वीरें मिली अगर
तो शायद
मेरी मोहब्बत का स्क्रू
फिर से
हां फिर से
टाइट हो जाये ,,,,

लक्ष्मणजी की भक्ति भी अद्भुत थी

🌹लक्ष्मण जी के त्याग की अदभुत कथा । एक अनजाने सत्य से परिचय---
-हनुमानजी की रामभक्ति की गाथा संसार में भर में गाई जाती है।
लक्ष्मणजी की भक्ति भी अद्भुत थी. लक्ष्मणजी की कथा के बिना श्री रामकथा पूर्ण नहीं है अगस्त्य मुनि अयोध्या आए और लंका युद्ध का प्रसंग छिड़ गया -
भगवान श्रीराम ने बताया कि उन्होंने कैसे रावण और कुंभकर्ण जैसे प्रचंड वीरों का वध किया और लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत और अतिकाय जैसे शक्तिशाली असुरों को मारा॥
अगस्त्य मुनि बोले-
श्रीराम बेशक रावण और कुंभकर्ण प्रचंड वीर थे, लेकिन सबसे बड़ा वीर तो मेघनाध ही था ॥ उसने अंतरिक्ष में स्थित होकर इंद्र से युद्ध किया था और बांधकर लंका ले आया था॥
ब्रह्मा ने इंद्रजीत से दान के रूप में इंद्र को मांगा तब इंद्र मुक्त हुए थे ॥
लक्ष्मण ने उसका वध किया इसलिए वे सबसे बड़े योद्धा हुए ॥
श्रीराम को आश्चर्य हुआ लेकिन भाई की वीरता की प्रशंसा से वह खुश थे॥
फिर भी उनके मन में जिज्ञासा पैदा हुई कि आखिर अगस्त्य मुनि ऐसा क्यों कह रहे हैं कि इंद्रजीत का वध रावण से ज्यादा मुश्किल था ॥
अगस्त्य मुनि ने कहा- प्रभु इंद्रजीत को वरदान था कि उसका वध वही कर सकता था जो
💥 चौदह वर्षों तक न सोया हो,
💥 जिसने चौदह साल तक किसी स्त्री का मुख न देखा हो और
💥 चौदह साल तक भोजन न किया हो ॥
श्रीराम बोले- परंतु मैं बनवास काल में चौदह वर्षों तक नियमित रूप से लक्ष्मण के हिस्से का फल-फूल देता रहा ॥
मैं सीता के साथ एक कुटी में रहता था, बगल की कुटी में लक्ष्मण थे, फिर सीता का मुख भी न देखा हो, और चौदह वर्षों तक सोए न हों, ऐसा कैसे संभव है ॥
अगस्त्य मुनि सारी बात समझकर मुस्कुराए॥ प्रभु से कुछ छुपा है भला!
दरअसल, सभी लोग सिर्फ श्रीराम का गुणगान करते थे लेकिन प्रभु चाहते थे कि लक्ष्मण के तप और वीरता की चर्चा भी अयोध्या के घर-घर में हो ॥
अगस्त्य मुनि ने कहा - क्यों न लक्ष्मणजी से पूछा जाए ॥
लक्ष्मणजी आए प्रभु ने कहा कि आपसे जो पूछा जाए उसे सच-
सच कहिएगा॥
प्रभु ने पूछा- हम तीनों चौदह वर्षों तक साथ रहे फिर तुमने सीता का मुख कैसे नहीं देखा ?
फल दिए गए फिर भी अनाहारी कैसे रहे ?
और 14 साल तक सोए नहीं ?
यह कैसे हुआ ?
लक्ष्मणजी ने बताया- भैया जब हम भाभी को तलाशते ऋष्यमूक पर्वत गए तो सुग्रीव ने हमें उनके आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा ॥
आपको स्मरण होगा मैं तो सिवाए उनके पैरों के नुपूर के कोई आभूषण नहीं पहचान पाया था क्योंकि मैंने कभी भी उनके चरणों के ऊपर देखा ही नहीं.
चौदह वर्ष नहीं सोने के बारे में सुनिए - आप औऱ माता एक कुटिया में सोते थे. मैं रातभर बाहर धनुष पर बाण चढ़ाए पहरेदारी में खड़ा रहता था. निद्रा ने मेरी आंखों पर कब्जा करने की कोशिश की तो मैंने निद्रा को अपने बाणों से बेध दिया था॥
निद्रा ने हारकर स्वीकार किया कि वह चौदह साल तक मुझे स्पर्श नहीं करेगी लेकिन जब श्रीराम का अयोध्या में राज्याभिषेक हो रहा होगा और मैं उनके पीछे सेवक की तरह छत्र लिए खड़ा रहूंगा तब वह मुझे घेरेगी ॥ आपको याद होगा
राज्याभिषेक के समय मेरे हाथ से छत्र गिर गया था.
अब मैं 14 साल तक अनाहारी कैसे रहा! मैं जो फल-फूल लाता था आप उसके तीन भाग करते थे. एक भाग देकर आप मुझसे कहते थे लक्ष्मण फल रख लो॥ आपने कभी फल खाने को नहीं कहा- फिर बिना आपकी आज्ञा के मैं उसे खाता कैसे?
मैंने उन्हें संभाल कर रख दिया॥
सभी फल उसी कुटिया में अभी भी रखे होंगे ॥ प्रभु के आदेश पर लक्ष्मणजी चित्रकूट की कुटिया में से वे सारे फलों की टोकरी लेकर आए और दरबार में रख दिया॥ फलों की
गिनती हुई, सात दिन के हिस्से के फल नहीं थे॥
प्रभु ने कहा-
इसका अर्थ है कि तुमने सात दिन तो आहार लिया था?
लक्ष्मणजी ने सात फल कम होने के बारे बताया- उन सात दिनों में फल आए ही नहीं,
1. जिस दिन हमें पिताश्री के स्वर्गवासी होने की सूचना मिली, हम निराहारी रहे॥
2. जिस दिन रावण ने माता का हरण किया उस दिन फल लाने कौन जाता॥
3. जिस दिन समुद्र की साधना कर आप उससे राह मांग रहे थे,
4. जिस दिन आप इंद्रजीत के नागपाश में बंधकर दिनभर अचेत रहे,
5. जिस दिन इंद्रजीत ने मायावी सीता को काटा था और हम शोक में
रहे,
6. जिस दिन इंद्रजीत ने मुझे शक्ति मारी
7. और जिस दिन आपने रावण-वध किया ॥
इन दिनों में हमें भोजन की सुध कहां थी॥ विश्वामित्र मुनि से मैंने एक अतिरिक्त विद्या का ज्ञान लिया था- बिना आहार किए जीने की विद्या. उसके प्रयोग से मैं चौदह साल तक अपनी भूख को नियंत्रित कर सका जिससे इंद्रजीत मारा गया ॥
भगवान श्रीराम ने लक्ष्मणजी की तपस्या के बारे में सुनकर उन्हें ह्रदय से लगा लिया.

कोटा शहर क़ाज़ी अलहाज अनवार अहमद ने कहा के अल्लाह ने हर चीज़ जोड़े से बनाई है ,

कोटा शहर क़ाज़ी अलहाज अनवार अहमद ने कहा के अल्लाह ने हर चीज़ जोड़े से बनाई है ,,बुराई के साथ अच्छाई बनाई है ,,,आदमी के साथ औरत ,,जन्नत के साथ दोज़क ,,,इंसान के साथ शैतान बनाया है लेकिन अल्लाह ने हमे अक़्ल दी है तो अक़्ल के साथ साथ पूरी आज़ादी भी दी है ऐसे में हमे ही तय करना होता है के हम अच्छी राह पर चलकर जन्नत के रस्ते पर जाए या फिर बुरे रास्ते पर चलकर दोज़क के रास्ते पर जाए ,,,,,,,,कोटा शहर क़ाज़ी आज अभिभाषक पार्षद कोटा द्वारा आयोजित ईद मिलन समारोह में बोल रहे थे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कोटा शहर क़ाज़ी ने कहा के हमारे शरीर के सभी हिस्से हमारे हर अपराध की कहानी हिसाब के दिन कहेंगे और वहां हमे कोई बचाने वाला नहीं आएगा इसलिए नेक रास्ते पर चलकर अपनी आख़िरत हमे सुधारना होगी ,,,,,,,,,,,,,,,,,ईद मिलन समारोह में बोलते हुए कोटा पुलिस अधीक्षक सवाई सिंह गोधाारा ने कहा के अभिभाषकों का अपराध न्याय से संबंध है ,,अभिभाषकों को अपराध मामले में न्याय में मदद करना चाहिए ,,,पुलिस अधीक्षक सवाई सिंह ने सभी अभिभाषकों को ईद की मुबारकबाद भी दी ,,,,,,,,कार्यक्रम में बोलते हुए नगर विकास न्यास के सचिव मोहनलाल यादव ने कहा के नगर विकास न्यास शहर के सोंदर्यकर्ण के लिए कई योजनाये बना रहा है हाल ही में रिंग रोड बनाने की योजना अंतिम चरणो में है ,,यादव ने कहा के कोटा में चाहे अभिभाषक परिषद के प्लाट की योजना हो ,,,पत्रकार भूखंड योजना हो ,,करबाज़ार या कोई दूसरी योजना हो कहीं न कहीं किसी लिटिगेशन में उलझी पढ़ी है ऐसे में वकील साथियों को ऐसी योजनाओ के बारे में सकारात्मक रुख लेकर कार्यवाही करना चाहिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कार्यक्रम में बोलते हे अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष रघुगोतम ने खुले रूप से वकीलों की समस्याओां सहित ,,प्लाट संबंधित योजनाओ मामले उठाते हुए कहा के प्लाट योजना के मामले में वकीलों से वर्तमान सांसद और विधायकों ने वायदा किया था जो वायदा आज तक उन्होंने नहीं निभाया है ,,रघु गौतम ने कहा के प्रशासन और सरकार वकीलों के धैर्य संयम की परीक्षा न ले और अदालत परिसर की समस्याओ के समाधान सहित प्लाट योजना की पेचीदगियां खत्म कर प्लाट की समस्याओ का भी सकरात्मक समाधान निकलवाए वरना वकील समुदाय आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेगा ,,,,,,,,,कार्यक्रम में बोलते हेु अभिभाषक परिषद के महासचिव संजीव विजय ने सभी अतीथियों का स्वागत किया उनका माल्यार्पण कर स्वागत सत्कार किया ,,अंत में रघुगोतम ,, संजीव विजय ,,रामगोपाल चतुर्वेदी ने अतीथियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इसके पूर्व ईद मिलन समारोह में शायर चाँद शेरी ने अपनी पुरकशिश अंदाज़ में तीखे अल्फ़ाज़ों से रची गई ग़ज़लों से समा बाँध दिया ,,शायर चाँद शेरी ने राष्ट्रीयता से ओतप्रोत वीर रस की रचनाओ से अभिभाषकों को मंत्रमुग्ध कर खूब वाहवाही लूटी ,,तो शायर उमर सी आई डी ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में क़ौमी एकता के तराने सुनाये और हाल ही में पाकिस्तान द्वारा ईद की मिठाई वापस कर देने पर तंज़ कसते हुए उसे नापाक कहकर अपनी ग़ज़ल सुनाई तो प्रख्यात कवि रामनारायण हलधर ने पुरकशिश आवाज़ में तरन्नुम से अपनी कविताये पढ़कर खूब वाहवाही लूटी और अपनी कविताओ के सार में देश ,,दुनिया का सारा दर्द ,,सारी ज़रूरते भर दी रामनारायण हलधर अपने दोहों में गागर में सागर भरने का कामयाब हुनर रखते है ,,,,जबकि शायर अलहाज शमीम आफरीदी ने एक हवा के झोंके के ज़रिये पुरे देश का दर्द और प्रमुख समस्याओ को समेट कर अपनी पुरकशिश ग़ज़ल में पेश किया जिसे अभिभाषकों ने खूब सराहा ,,,,,,,,,कवि अखिलेश अंजुम ने अपनी कविता नज़्म के ज़रिये देश के वर्तमान हालातो पर प्रकाश डाला ,,,, इसके पूर्व एडवोकेट जमील अहमद ने ईद की फ़ज़ीलत बयांन की कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने किया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हर वकील:

हर वकील:एक सत्ता हैं।
उसका कण कण उसकी खुद की कमाई हैं।
उसका सदेव सजग रहना अपडेट रहना आदत और अनिवार्यता है।
वकील सागर से गहरा राजदार हैं।
वकील कर्तव्यनिष्ठ वफादार हैं।
वकील समय की मांग हैं। पीडितो की आस हैं।
वकील समाज के पथ प्रदर्शक हैं ।
वकील चिंतक हैं,सृजक हैं,विश्लेषक हैं ।
वकील सरस्वती का पुत्र हैं।
एसा विश्लेषक की पानी में से तेल निकाल दे।
एसा चिंतक की नया क़ानून रच दे।
एसा जादूगर की रस्सी
को साप और साप को रस्सी बना दे।
उसे सत्य का बोध हैं। और जिसे सत्य का बोध हैं वो बुद्ध हैं।
वकील:कानून का निर्माता,भोक्ता,रक्षक और प्रणेता हैं।
वकील हैं तो न्याय हैं। वह न्यायाधिकारी हैं।
वकील कोर्ट की रोंनक है।
वकील दुखियो का देवता हैं।
ओरो के दुखो को मिटान, अपने दुखो से बेखबर ओरो के लिये दोड़ता समाज सेवक हैं।
हर वकील आत्मविश्वास का साक्षात् अवतार हैं।
उसका सम्मान ही उसकी पुन्जी हैं। उसके पास इसके आलावा देने और खोने को कुछ नही।
वकील समाज की शान हैं।

"मेरी मोहब्ब्त को

पत्नी मायके जाती है और मज़े लेने के लिये पति को मैसेज भेजती है:
"मेरी मोहब्ब्त को अपने दिल में ढूंढ लेना;
और हाँ, आटे को अच्छी तरह गूँथ लेना!

मिल जाए अगर प्यार तो खोना नहीं;
प्याज़ काटते वक्त बिलकुल रोना नहीं!
मुझसे रूठ जाने का बहाना अच्छा है;
थोड़ी देर और पकाओ आलू अभी कच्चा है!
मिलकर फिर खुशियों को बाँटना है;
टमाटर जरा बारीक़ ही काटना है!
लोग हमारी मोहब्ब्त से जल न जाएं;
चावल टाइम पे देख लेना कहीं गल न जाएं!
कैसी लगी हमारी ग़जल बता देना;
नमक कम लगे तो और मिला लेना!
😜😜😜😜😜😜😜😜
पति का सुपर रिप्लाई:
तुम्हारी यही अदा तो दिल को भा गईं..
तुम्हारे जाते ही, पड़ोसन खाना पकाने आ गई

दहेज प्रथा

दहेज प्रथा एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है जो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों, चाहे वे मानसिक हों या फिर शारीरिक, को बढावा देता है. इस व्यवस्था ने समाज के सभी वर्गों को अपनी चपेट में ले लिया है. अमीर और संपन्न परिवार जिस प्रथा का अनुसरण अपनी सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा दिखाने के लिए करते हैं वहीं निर्धन अभिभावकों के लिए बेटी के विवाह में दहेज देना उनके लिए विवशता बन जाता है. क्योंकि वे जानते हैं कि अगर दहेज ना दिया गया तो यह उनके मान-सम्मान को तो समाप्त करेगा ही साथ ही बेटी को बिना दहेज के विदा किया तो ससुराल में उसका जीना तक दूभर बन जाएगा. संपन्न परिवार बेटी के विवाह में किए गए व्यय को अपने लिए एक निवेश मानते हैं. उन्हें लगता है कि बहूमूल्य उपहारों के साथ बेटी को विदा करेंगे तो यह सीधा उनकी अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा. इसके अलावा उनकी बेटी को भी ससुराल में सम्मान और प्रेम मिलेगा.
हमारा सामाजिक परिवेश कुछ इस प्रकार बन चुका है कि यहां व्यक्ति की प्रतिष्ठा उसके आर्थिक हालातों पर ही निर्भर करती है. जिसके पास जितना धन होता है उसे समाज में उतना ही महत्व और सम्मान दिया जाता है. ऐसे परिदृश्य में लोगों का लालची होना और दहेज की आशा रखना एक स्वाभाविक परिणाम है. आए दिन हमें दहेज हत्याओं या फिर घरेलू हिंसा से जुड़े समाचारों से दो-चार होना पड़ता है. यह मनुष्य के लालच और उसकी आर्थिक आकांक्षाओं से ही जुड़ी है. इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जिसे जितना ज्यादा दहेज मिलता है उसे समाज में उतने ही सम्माननीय नजरों से देखा जाता है.
दहेज प्रथा समाप्त करने के लिए सरकार ने वर्ष 1961 में दहेज प्रतिषेध अधिनियम पारित किया था. लेकिन आज भी इसके स्वरूप या पारिवारिक मान्यताओं में कोई परिवर्तन नहीं आया. इसके विपरीत इसकी लोकप्रियता और चलन दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है. अभिभावक बेटी के पैदा होने पर खुशी जाहिर नहीं

क़ुरआन का सन्देश

 
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