आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

22 जुलाई 2015

नॉन-वेज फूड खाने पर बंटा RSS, संघ प्रमुख मोहन भागवत भी खाते थे मीट

फाइल फोटो- संघ प्रमुख मोहन भागवत।
फाइल फोटो- संघ प्रमुख मोहन भागवत।
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) पर रिसर्च करने वाले दिलीप देवधर ने दावा किया है कि 6 साल पहले सरसंघचालक बनने तक मोहन भागवत खुद नॉन-वेज फूड (मांसाहार) का लुत्फ लिया करते थे। उन्होंने कहा, ''मैंने संघ के बालासाहब देवरस को भी आरएसएस चीफ बनने तक चिकेन और मटन पब्लिक प्लेस पर खाते देखा है। संघ के कई प्रचारक नॉन-वेज फूड खाते हैं।'' बता दें कि यह दावा करने वाले देवधर संघ पर 42 बुक लिख चुके हैं। दूसरी ओर आरएसएस नेता एम. जी. वैद्य ने माना है कि संघ में नॉन-वेज खाने पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने कहा, ''संघ प्रचारक नॉन-वेज खाते हैं तो क्या वे भारतीय नहीं हैं।''
क्या है मामला
गौरतलब है कि संघ के मुखपत्र (माउथपीस) 'ऑर्गनाइजर' में कुछ दिन पहले एक आर्टिकल में आईआईटी रुड़की की कैंटीन में नॉन-वेज फूड परोसने को 'हिंदू विरोधी' बताया था। इसके बाद विवाद शुरू हुआ कि क्या संघ से नेता खुद नॉन-वेज के शौकीन नहीं रहे हैं। इसमें हिन्दू विरोधी होने जैसी कोई बात नहीं है। देश के आईआईटी और आईआईएम में नॉन-वेज परोसने पर अब संघ भी उलझन में फंस गया है।
क्या है ऑर्गनाइजर की सफाई
ऑर्गनाइजर के एडिटर प्रफुल्ल केतकर ने कहा है कि उनकी मैगजीन संघ का मुखपत्र नहीं है। यह आरएसएस से प्रेरणा लेने वाला एक पब्लिकेशन है। हमने कई बार संघ और बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ भी लिखा है। नॉन-वेज पर छपा आर्टिकल संदीप सिंह ने लिखा था, जो आईआईटी से जुड़े रहे हैं। यह हमारा संपादकीय नहीं था। हम लेखक के विचारों के साथ नहीं हैं। केतकर ने माना कि सिंह के लेख पर आरएसएस के कई लोगों ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हम अगले अंक में उनके विचार भी पब्लिश करेंगे।
सिर्फ संघ के प्रोग्राम में नॉन-वेज पर रोक
संघ पर रिर्सच करने वाले देवधर ने कहा, ''आरएसएस ने कभी मीट या नॉन-वेज फूड पर बैन की बात नहीं कही और न ही कोई रोक लगी है। हालांकि मुख्यालय में या संघ के प्रोग्राम में कोई नॉन-वेज नहीं खा सकता है। इसके अलावा संघ से जुड़ा कोई भी आदमी अपनी पसंद के रेस्तरां या घर पर नॉन-वेज खा सकता है। नॉन-वेज फूड में मछली, चिकेन और मटन से संघ को कोई दिक्कत नहीं है, विरोध सिर्फ बीफ का है।'

याकूब की फांसी टलनी तय, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्‍या गवर्नर ले सकते हैं फैसला?

फाइल फोटोः याकूब मेमन।
फाइल फोटोः याकूब मेमन।
नई दिल्ली. 22 साल पुराने मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड याकूब मेमन की फांसी 30 जुलाई को टल सकती है। इसकी वजह है एक नियम जो कहता है कि आखिरी पीटिशन खारिज होने और फांसी के बीच कम से कम 14 दिन का वक्त होना चाहिए। जबकि मेमन की पीटिशन मंगलवार को यानी फांसी की तय तारीख से 9 दिन पहले ही खारिज हुई थी।
इस बीच, मेमन ने महाराष्ट्र के गवर्नर को 2436 पेज की मर्सी पीटिशन भेज दी। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सवाल उठाया कि क्या गवर्नर ऐसी किसी पीटिशन पर विचार कर सकते हैं, जिसे राष्ट्रपति ठुकरा चुके हों? बता दें कि मेमन 12 मार्च 1993 को मुंबई में 2 घंटे के अंदर हुए 13 सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड है। वह 257 लोगों की मौत का दोषी है।
30 जुलाई को फांसी के आसार क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2014 को एक आदेश दिया था। इसके मुताबिक, किसी दोषी की अाखिरी पीटिशन खारिज होने और उसे फांसी दिए जाने के दिन के बीच कम से कम 14 दिनों का गैप होना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे पी. सदाशिवम की बेंच ने कहा था, ‘इस गैप से दोषी खुद को सजा के लिए तैयार कर सकेगा। आखिरी बार वह अपने फैमिली मेंबर्स से मिल सकेगा। यह जेल सुपरिडेंटेंट का जिम्मा है कि वह मर्सी पीटिशन खारिज होने की जानकारी दोषी की फैमिली तक समय रहते पहुंचा दे।’
याकूब ने गवर्नर को क्यों भेजी मर्सी पीटिशन?
याकूब मेमन के वकील अनिल गेड़ाम ने बताया कि उनके मुवक्किल ने महाराष्ट्र के गवर्नर विद्यानिवास राव को पीटिशन भेजी है। संविधान के आर्टिकल 161 के तहत गवर्नर को किसी शख्स की सजा-ए-मौत माफ करने, फांसी पर रोक लगाने या उसे उम्रकैद में बदलने का अधिकार है। गर्वनर उन मामलों में ये फैसला ले सकते हैं, जो राज्य की एग्जीक्यूटिव पावर के दायरे में आते हों।
सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर के अधिकारों पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच बुधवार को पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारों से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि क्या गवर्नर ऐसी किसी मर्सी पीटिशन पर सुनवाई कर सकते हैं जिसे एक बार राष्ट्रपति ठुकरा चुके हों? इस पर सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर राष्ट्रपति मर्सी पीटिशन ठुकरा चुके हैं तो उस पर गवर्नर सिर्फ बदले हुए हालात में सुनवाई कर सकते हैं। हालांकि, कुमार ने यह साफ नहीं किया कि बदले हुए हालात से उनके क्या मायने हैं?
याकूब ने पहले कब दी थी मर्सी पीटिशन?
अप्रैल 2014 में प्रेसिडेंट ने जो मर्सी पीटिशन खारिज की थी, वह याकूब के भाई सुलेमान मेमन ने दायर की थी। गवर्नर को भेजी गई पीटिशन खुद याकूब ने दी है। मंगलवार को उसने पीटिशन नागपुर सेंट्रल जेल को सौंपी। इसे राज्यपाल सी विद्यासागर राव के पास भेजा जाएगा।
EXPERT VIEW : गवर्नर के पास पीटिशन भेजने के बावजूद याकूब को नहीं मिलेगी राहत
1. गवर्नर को भेजी पीटिशन में क्या हैं कानूनी पेंच?
- सुप्रीम कोर्ट के वकील धीरज सिंह ने dainikbhaskar.com को बताया कि फांसी की सजा के मामले में आखिरी फैसला लेने का हक सिर्फ राष्ट्रपति को है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के पास एग्जीक्यूटिव के फैसले के ज्यूडिशियल रिव्यू का अधिकार है। शायद इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से पूछा भी है कि क्या गवर्नर किसी मर्सी पीटिशन पर विचार कर सकते हैं?
2. क्या बच जाएगा याकूब?
संविधान के एक्सपर्ट सुभाष कश्यप ने dainikbhaskar.com को बताया कि याकूब को पीटिशंस भेजने का हक है, लेकिन अब इसका कोई मतलब नहीं रह जाता। राष्ट्रपति पहले ही उसकी अर्जी खारिज कर चुके हैं, भले ही वह अर्जी उसके भाई सुलेमान ने दायर की हो। ऐसे में अब गवर्नर को भेजी अर्जी से उसे शायद ही राहत मिले। वहीं, सीनियर लॉयर आभा सिंह का कहना है- क्रिमिनल प्रोसिजर कोड की धारा 433 के तहत सजा-ए-मौत को उम्र कैद में तब्दील किया जा सकता है। लेकिन राष्ट्रपति की ओर से मर्सी पीटिशन और सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पीटिशन खारिज होने के बाद मेमन के लिए कोई उम्मीद बचती नहीं है।
3. फैसला बदलने का क्या हो सकता है बेसिस?
दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चेयरमैन राजीव खोसला ने बताया कि मेनन ने गर्वनर के जरिए रहम की अर्जी लगा कर सिर्फ एक चांस लिया है, लेकिन राहत की कोई उम्मीद नहीं है। उसकी अपील को गर्वनर, प्रेसिडेंट के पास भेेजेंगे। प्रेसिडेंट एक बार अर्जी पर फैसला ले चुके हैं। फैसला बदलने का कोई ठोस आधार नजर नहीं आता। याकूब की फांसी 30 तारीख को तय है। इस बीच अगर उसकी अर्जी पर फैसला नहीं हुआ तो वह इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। उसकी फांसी कुछ दिन के लिए टल सकती है। लेकिन सजा कम होने की संभावना बिल्कुल नहीं है।
अगर हुई फांसी तो, सुबह 3:20 बजे नाश्ता और 4 बजे मिलेगी मौत
नागपुर जेल में मेमन को 30 जुलाई की तारीख तय मानकर ही फांसी देने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए रस्सी तैयार हो रही है। फांसी के वक्त जल्लाद के अलावा जेल सुपरिंटेंडेंट, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट और मेडिकल अफसर भी मौजूद रहेंगे। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के आदेश पर वहां एक एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट वारंट पर काउंटर साइन के लिए मौजूद रहेगा।

समर्पित शख्सियत का दुसरा नाम युवा शक्ति भानु प्रताप सिंह

खामोशी से बिना कोई शोर शराबे के अपने क्षेत्र में अपने लोगों ,,,अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कांग्रेस पार्टी को ज़िंदाबाद कहकर मज़बूती की कोशिश में जुटी समर्पित शख्सियत का दुसरा नाम युवा शक्ति भानु प्रताप सिंह है ,,,,,,,,,जी हाँ दोस्तों बचपन से कांग्रेस के प्रति समर्पित इस युवा स्मार्ट शख्सियत ने ग्रामीण क्षेत्र में खुद को स्थापित किया ,,संघर्ष और ग्रामीण क्षेत्र में इंसाफ की लड़ाई में खुद को साबित किया ,,और कोटा ग्रामीण क्षेत्र खासकर पीपल्दा ,,सुल्तानपुर के इर्द गिर्द गाँवों में ग्रामीणो के सामाजिक सरोकार के साथ उनमे हिलमिल कर उनके दुःख दर्द बांटे ,,,यही वजह रही के कांग्रेस संगठन में युवा संगठन के चुनाव हो या फिर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव हो भानु प्रताप सिंह ने हर चुनाव ज़िम्मेदारी से लड़ा और अधिकतम वोटो से जीत कर खुद को कांग्रेस में ज़िंदाबाद भी किया ,,,,,भानु प्रताप सिंह को जब कांग्रेस ने टिकिट नहीं दिया तो सुल्तानपुर क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इन्हे जबरन जिला परिषद सदस्य के लिए खड़ा किया और विकट परिस्थितियों के बाद भी भानु की लोकप्रियता ही थी के यह इस विकट चुनावो में सभी दूसरे प्रत्याक्षियों को परास्त कर सुल्तानपुर क्षेत्र के सिरमौर बने ,,,,अपने क्षेत्र से भानु को जीवंत लगाव है वोह गांव में जाते है ,,उनके दुःख दर्द पूंछते है ,,,उनकी तकलीफे कैसे दूर हो समस्याओं का समाधान कैसे हो इस पर विचार करते है ,,संघर्ष करते है और फिर लोगों का दिल जीत कर उनमे हर दिल अज़ीज़ हो जाते है ,,,ज़िलापरिषद में इस बार महिला सीट थी इनके समर्थको की मांग रही के भानु नहीं तो भाभी जी ,,बहु जी ,,यानि भानु की शरीके हयात को चुनाव लड़ाया जाए ,,चुनाव की सारी ज़िम्मेदारी क्षेत्रीय लोगों की थी और एक बार फिर भानु प्रताप ने जनता की अदालत में ख़्हुद को साबित कर दिखाया ,,भानु की पत्नी क्षेत्र में फिर से निर्वाचित हुई ,,,,,,,इनके क्षेत्र में किसानो के पास बीज की समस्या हो ,,पानी की समस्या हो ,,खाद की समस्या हो ,,शिक्षा ,, स्कूल ,,फीस ,,किताबों की समस्या हो ,,निजी समस्या हो ,,वाद विवाद हो सभी का निस्तारण भानु बना साहब चुटकियों में करते है ,,,अभी हाल ही में युथ कांग्रेस के चुनाव में परीक्षा की घड़ी थी लेकिन भानु का चुनाव मैनेजमेंट ही था के विरोधियों के सभी प्रयासों के बाद भी भानु युथ कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए ,,भानु पद लेकर नहीं बैठे हर चुनाव में ,,कांग्रेस के हर कार्यक्रम में अपनी टीम के साथ कांग्रेस ज़िंदाबाद करने में जुटे रहे और कामयाबी भी हांसिल की है इनके प्रभावशाली निर्वाचन क्षेत्रो में कांग्रेस पिछड़ती नहीं है ,,और दूसरे क्षेत्रों में भी भानु अपने कार्यव्यवहार से भाजपा के वोटों में सेंध लगाकर कांग्रेस के हक़ में मतदान करवाते है ,,,, भानु प्रताप यूँ तो किसान है ,,खेतीहर है लेकिन इनके दूसरे व्यवसाय के साथ साथ स्कूल संचालन का व्यवसाय है और शिक्षाविद होने के नाते भानु अपने क्षेत्र सुल्तानपुर के बच्चो को ,,युवा पीढ़ी को आधुनिक ,,सस्ती ,,सुलभ शिक्षा देने का काम भी कर रहे है ,,भानु प्रताप सुल्तानपुर क्षेत्र से कोई भी कांग्रेस का नेता अगर निकले तो उसका गर्मजोशी से अपने समर्थको के साथ स्वागत करते है ,,भानु खुद कांग्रेस के लिए लड़ते है लेकिन अपने चहेते कांग्रेस के समर्पित उपेक्ष्ति कार्यकर्ताओं के लिए भी वरिष्ठ नेताओ से ऐसे कार्यकर्ताओं को उनका सम्मान ,,उनका हक़ दिलवाने के लिए विनम्रता से टकरा जाते है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाल ही में सदस्य्ता अभियान के दौरान भी भानु प्रताप ने अपने क्षेत्र के ग्रामीण लोगों को अधिकतम सदस्य बनाकर रिकॉर्ड बनाया है ,,,,,,,,,,इसीलिए युवा नेता भानु प्रताप कोटा देहात के क्षेत्रो में ज़िंदाबाद है ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शमशान में दो चिताओ की राख

एक फ़क़ीर शमशान में दो चिताओ की राख को बड़े ध्यान से देख रहा था।
किसी ने पूछा कि बाबा एसे क्यू देख रहे हो राख को ।
फ़क़ीर बोला कि ये एक अमीर की लाश की राख है जिसने ज़िंदगी भर काजू बादाम स्वर्ण भस्म खाये
और ये एक ग़रीब की लाश है जिसे दो वक़्त की रोटी भी बडी मुश्किल से मयस्सर होती थी ,
मगर इन दोनों की राख एक सी ही है फिर किस चीज़ पर आदमी को घमंड है..

कमाल है ना


आँखे तालाब नहीँ फिर भी भर आती हैँ
दुश्मनी बीज नही ,फिर भी बोयी जाती है,
होठ कपड़ा नही, फिर भी सिल जाते हैँ,
किस्मत सखी नही फिर भी रुठ जाती है,
बुद्वि लोहा नही, फिर भी जंग लग जाती है,
आत्मसम्मान शरीर नहीं
.................फिर भी घायल हो जाता है
और
इन्सान मौसम नही, फिर भी बदल जाता है.

लोहे की एक छड़

लोहे की एक छड़ का मूल्य होता है 250 रूपये.
इससे घोड़े की नाल बना दी जाये
तो इसका मूल्य हो जाता है 1000 रूपये.
इससे सुईयां बना दी जायें तो इसका मूल्य हो जाता है 10,000 रूपये.
इससे घड़ियों के बैलेंस स्प्रिंग बना दिए जायें तो इसका मूल्य हो जाता है 1,00,000 रूपये... --
"आपका अपना मूल्य-- इससे निर्धारित नहीं होता कि आप क्या है बल्कि इससे निर्धारित होता है कि आप में खुद को क्या बनाने की क्षमता है"!!!!
इतने छोटे बनिए कि
हर कोई आपके साथ बैठे,
..ओर इतने बड़े बनिए कि
आप खड़े हो तो कोई बैठा न रहे..!!
कभी कभी
आप अपनी जिंदगी से
निराश हो जाते हैं,
जबकि
दुनिया में उसी समय
कुछ लोग
आपकी जैसी जिंदगी
जीने का सपना देख रहे होते हैं।
घर पर खेत में खड़ा बच्चा
आकाश में उड़ते हवाई जहाज
को देखकर
उड़ने का सपना देख रहा होता है,
परंतु
उसी समय
उसी हवाई जहाज का पायलट
खेत ओर बच्चे को देख
घर लौटने का सपना
देख रहा होता है।
यही जिंदगी है।
जो तुम्हारे पास है उसका मजा लो।
अगर धन-दौलत रूपया पैसा ही
खुशहाल होने का सीक्रेट होता,
तो अमीर लोग नाचते दिखाई पड़ते,
लेकिन सिर्फ गरीब बच्चे
ऐसा करते दिखाई देते हैं।
अगर पाॅवर (शक्ति) मिलने से
सुरक्षा आ जाती
तो
नेता अधिकारी
बिना सिक्युरिटी के नजर आते।
परन्तु
जो सामान्य जीवन जीते हैं,
वे चैन की नींद सोते हैं।
अगर खुबसुरती और प्रसिद्धि
मजबूत रिश्ते कायम कर सकती
तो
सेलीब्रिटीज् की शादियाँ
सबसे सफल होती।
जबकि इनके तलाक
सबसे सफल होते हैं
इसलिए दोस्तों,
यह जिंदगी ......
सभी के लिए खुबसुरत है
इसको जी भरकर जीयों,
इसका भरपूर लुत्फ़ उठाओ
क्योंकि
जिदंगी ना मिलेगी दोबारा...
सामान्य जीवन जियें...
विनम्रता से चलें ...
और
ईमानदारी पूर्वक प्यार करें...
स्वर्ग यहीं हैं..

भारत के बारे में 15 ऐसे तथ्य जो मजाकिया होने के साथ सच भी है।


1. भारत एक ऐसा देश है जो कई स्थानीय भाषाओ द्वारा विभाजित है और एक विदेशी भाषा द्वारा एकजुट।
2. भारत मे लोग ट्रैफिक सिग्नल की रेड लाइट पर भले ही ना रुके लेकिन अगर एक काली बिल्ली रास्ता काट जाए हो हज़ारो लोग लाइन में खड़े हो जाते है। अब तो लगता है ट्रैफिक पुलिस में भी काली बिल्लियों की भर्ती करनी पड़ेगी।
3. चीन अपनी सरकार की वजह से तरक्की कर रहा है और भारत में तरक्की ना होने का सबसे बड़ा कारण उसकी अपनी सरकारें ही रही हैं।
4. भारत का मतदाता वोट देने से पहले उम्मीदवार की जात देखता है ना की उसकी योग्यता। अब इन लोगों को कौन समझाये की भाई तुम देश के लिए नेता ढूंढ रहे हो ना की अपने लिए जीजा।
5. भारत एक ऐसा देश है जहाँ एक्टर्स क्रिकेट खेल रहे है, क्रिकेटर्स राजनीति खेल रहे है, राजनेता पोर्न देख रहे है और पोर्न स्टार्स एक्टर बन रहे है।
6. भारत में आप 'जुगाड़' से करीब-करीब सबकुछ पा सकते है।
7. हम एक ऐसे देश में रहते है जहाँ नोबेल शांति पुरस्कार मिलने से पहले लगभग कोई भारतीय नहीं जानता था की कैलाश सत्यार्थी कौन है। लेकिन अगर एक रशियन टेनिस खिलाडी हमारे देश के एक क्रिकेटर को नही जानती तो ये हमारे लिए अपमान की बात है।

8. भारत में किसी अनजान से बात करना खतरनाक है, लेकिन किसी अनजान से शादी करना बिलकुल ठीक।
9. हम भारतीय अपनी बेटी की पढ़ाई से ज्यादा खर्च बेटी की शादी पे कर देते है।
10. हम एक ऐसे देश में रहते है जहाँ एक पुलिसवाले को देखकर लोग सुरक्षित महसूस करने की वजाए घबरा जाते है
11. हम भारतीय बहुत शर्मीले है फिर भी 125 करोड़ है।
12. हम भारतीय हेलमेट सुरक्षा के लिहाज़ से कम, चालान के डर से ज्यादा पहनते है।
13. भारत गरीब लोगो का एक अमीर देश है।
14. भारतीय समाज सिखाता है की 'बलात्कार से कैसे बचें' नाकि ये की 'बलात्कार ना करें'

शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी का पुतला फूंक कर विरोध प्रदर्शन

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव पंकज मेहता के नेतृत्व में आज कोटा सहित राजस्थान के स्कूलों से उर्दू एवं तृतीय भाषा के दूसरे विषय सिंधी ,,पंजाबी खत्म करने के विरोध में कार्यकर्ताओें ने शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी का पुतला फूंक कर विरोध प्रदर्शन किया ,,,,,,,,,पंकज मेहता के नेतृत्व में आज मध्यान्ह बारह बजे कोटा शहर के कोंग्रेसी कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट के बाहर एकत्रित हुए और नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट के गेट के बाहर प्रदर्शन कर पुतला फूंका ,,,बाद में अतीरिक्त जिला कलेक्टर कोटा नगर के ज़रिये मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजकर कोटा सहित राजस्थान के सभी स्कूलों में उर्दू सहित सिंधी ,,पंजाबी भाषा को बहाल करने की मांग दोहराई ,,,,,,,,,,,,पंकज मेहता के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग कोटा संभाग चेयरमेन एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,, देहात अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष साजिद जावेद ,,,,,,कोटा शहर अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष अब्दुल करीम खान ,,बंजारा फाउडनेशन के राष्ट्रिय अध्यक्ष कैलाश बंजारा ,,,अल्सपंख्य्क विभाग के कोटा संभाग महासचिव तबरेज़ पठान ,,,,किशोर मदनानी ,,विनोद लालवानी ,,,महेश आहूजा ,,अहमद खान ,,,अब्दुल रशीद क़ादरी ,,,,,,,,,,,,अब्दुल अज़ीज़ सिद्दीक़ी ,,प्रदेश प्रवक्ता अल्पसंख्यक विभाग ,,,,,,रुस्तम खान ,,,,,जग्गी भाई ,,,,,,,,,,सरदार हरजीत सिंह ,,,,,महिपाल सिंह ,,, सेवादल के वरिष्ठ राष्ट्रिय नेता अनूप कुमार सूद ,मनीष सूद सहित दर्जनो कार्यकर्ता मौजूद थे ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पत्नि के प्रिय जुमले

 🌿🌿
---------------------------------------------
आप इनसे वंचित हैं तो यकीन मानिए कि आप बहुत शौभाग्यशाली है।
---------------------------------------------
🎋शादी के तीन महीने बाद 🎋
क्या कर रहे हैं ? कोई आ जाएगा, थोड़ी बहुत शर्म-वर्म है कि नहीं ?
🎋शादी के चार महीने बाद 🎋
सोने दो, तुम्हारी माँ चाहती है कि सुबह छः बजे मैं मन्दिर में उनके साथ 🔔 घंटियां बजाऊँ।
🎋छह महीने बाद 🎋
मेरे मैके नहीं तो, अपनी ससुराल ही ले चलो।
🎋दस महीने बाद 🎋
एेसी हालत में शर्मा जी अपनी पत्नी का कितना ध्यान रखते हैं, और एक तुम हो कि ?
🎋बारह महीने बाद 🎋
अपनी माँ की तरह बातें मत करो ,लडका हो या लडकी क्या फर्क पड़ता है ?
🎋पन्द्रह महीने बाद 🎋
जब तुम दुबले-पतले हो तो गुडिया आठ पौण्ड की कैसे होती ,हर बात में मुझे ही दोष देते हो ।
🎋अट्ठारह महीने बाद 🎋
हाँ-हाँ सब गुडिया से बहुत प्यार करते हैं ,लेकिन चैन ,अंगुठी तो मेरे मैके वालों ने ही दी ,देख लिया सबका प्यार ।
🎋दौ साल बाद 🎋
बिट्टो को बुखार है ,और तुम आफिस की फाइलों में सर खफा रहे हो ?तुममें अक्ल नाम की कोई चीज है कि नहीं
🎋तीन साल बाद 🎋
कान्वेंट में ही डालेंगे ,नहीं तो अपने बाप की तरह रह जाएगी ,और तुम तो इस मामले में नहीं बोलो तो अच्छा है ।
🎋चार साल बाद 🎋अब तुम्हारा भी एक परिवार है ,कब तक माँ बाबूजी के पल्लू से चिपके रहोगे ।बढे भैया को देखो ,कितनी चतुराई से अलग हो गये ।
↪पांच साल बाद 🎋
नौकरी बदलो ,ओवर टाईम करो ,डाका डालो ,अब हमारे खरचे बढ़ गये हैं ,पप्पू के खिलौने तक नहीं खरीद पाती ,जबकि पप्पू की डिलिवरी तक मेरे मैके मे हुई है ,यह कोई रिवाज है भला ?
🎋छह साल बाद 🎋
ये मकान ठीक नहीं है ,एक रूम कम पडता है ।
🎋सात साल बाद 🎋
बच्चों के चक्कर में मुझे तो बिल्कुल भूल ही गये ,पांच साल से एक अंगुठी तक नहीं दिलवाई ।
🎋आठ साल बाद 🎋
नासिक वाले इंजिनियर ने कितने कितने चक्कर काटे थे ,पर मुझे तो तुम्हारे साथ ही बर्बाद होना था ।
🎋 नौ साल बाद ↪
कोई अहसान नहीं करते हो ,जो कमा कर खिलाते हो ,सभी खिलाते हैं ।
🎋दस साल बाद 🎋
बच्चों के नम्बर नहीं आये तो मैं क्या करूं ?अकेली दोनों को पढाती हूँ ।तुम्हारे पास न तो टाइम है ना इन्हे पढाने की अकल ।
🎋ग्यारह साल बाद 🎋
खरचा कम नहीं होगा ,कमाई बढाने की चिन्ता करो ,और बाबूजी के पी .एफ का क्या हुआ। ?मकान के वक्त तो कुछ दिया नहीं ,अब जरा सी हेल्प नहीं कर सकते ,या राम ,भरत को ही देंगे ,राजगद्दी ?
🎋बारह साल बाद 🎋
मेरे पापा ने मेरी शादी की जिम्मेदारी ली थी ,तुम्हारी बहन भतीजों की नहीं ,शादियों में इतना वक्त दे रहे हैं ,यह कम है क्या ?
🎋तेरह साल बाद 🎋
ट्रान्सफर हो गया है तो मैं क्या करूं ?मैं अपने बच्चों के साथ कहीं नही जाने वाली ।
🎋चौदह साल बाद 🎋
क्या खाक मजा आया ,बच्चे तो बोर हो गये ,तुममें स्टेशन ढूंढने की भी तमीज नहीं है ,और होटल भी क्या था ,धर्मशाला जैसा ।
🎋पन्द्रह साल बाद 🎋
लौट आये ना ?पहले ही कोशिश करते तो ट्रान्सफर होता ही नहीं ,लेकिन तुममें इतनी स्मार्टनेस कहाँ है 🎋सोलह साल बाद 🎋
बच्चे बड़े हो गये हैं ,उनसे ढंग से बात किया करो ,ये मेरा घर है ,तुम्हारा दो टके का आफिस नहीं ।
🎋सत्रह साल बाद 🎋
बच्चे घूमने चले गये तो कौन-सा पहाड टूट गया ,सब जाते हैं ।तुम्हारे भरोसे तो केवल सब्जीमंडी देख सकते हैं ।बात करते हो ।
🎋अट्ठारह साल बाद 🎋
डाक्टर ने आराम करने को कहा है ,पर मेरी जान तो घर का काम करते -करते ही निकल जायेगी ।
🎋उन्नीस साल बाद 🎋
हो जाता है इस उम्र में ,बिट्टो को समझा दिया है ,अब वो देर रात तक बाहर नहीं रहेगी ,पर तुम शुरू मत हो जाना ।
🎋बीस साल बाद 🎋
मोटर साइकिल चलाएगा तो गिरेगा ही ,पहले ही कहा था ,कार दिला दो ,तब तो बजट का रोना रो रहे थे ।
🎋इक्कीस साल बाद 🎋
डायबिटीज हो गयी है तो मै क्या करूं ?जुबान पर तो लगाम है नहीं ,तीन-तीन बार मीठा ठूंसते रहते हो ,दवा लो ।
🎋बाइस साल बाद ↪
ये गीता भाभी का इतना ध्यान क्यों रखते हो ?इस उम्र में नाक कटवाओगे क्या ?
🎋तेईस साल बाद 🎋
अपने भाईयों के साथ बिजनेस नहीं करोगे ?बस नौकरी तो ठीक से होती नहीं ।बिजनेस करेंगे वो भी शातिरों के साथ ।
🎋चौबीस साल बाद 🎋
हाँ-हाँ ,तो अपने बूते पर ही की है ,अपनी बिट्टो की शादी ,तुम्हारे परिवारवाले तो मेहमान बन कर आये थे ,मेरा भाई नहीं आता तो लडकी की डोली तक नहीं उठती ।
🎋पच्चीस साल बाद 🎋
रहने दो ,काहे की सिल्वर जुबली ,मेरा तो जिगर और फिगर दोनो खराब करके रख दिया तुमने ।अच्छा मना लो ,पर ज्यादा पटर-पटर मत करना और सब से गिफ्ट भी लेना ,हमने भी पचासों जगह बांटी है ।
🎋छब्बीस साल बाद 🎋
पढी -लिखी बहू है तो अपने ढंग से रहेगी ही ,कानपुर वाली तो तुम बाप-बेटे को जमीं नहीं ,अब भुगतो ।
🎋सत्ताईस साल बाद 🎋
ससुर-नाना हो गये हो ,ये फटे पाजामें में हाल में मत आया करो ,मुझे शर्म आती है ।
🎋अठ्टाईस साल बाद 🎋
तुम्हे जाना है तो जाओ ,मै कहीं नहीं जाऊँगी ,पोते को कौन सम्भालेगा ?बहू में अक्ल है क्या ?
🎋उन्तीस साल बाद 🎋
कोई मन्दिर-वन्दिर नहीं ,तीस साल हो गये घंटियाँ बजाते ,क्या दिया भगवान् ने ,तंगी में ही जी रहे हैं न। ?
🎋तीस साल बाद 🎋
देख लो ,बीमारी में मैं ही काम आ रही है ,बडा दम भरते थे भाई-भाभी का ,कोई झांकने तक नहीं आया ,चिल्लाओ मत ,अभी खांसी शुरू हो जायेगी ।
🎋इकत्तीस साल बाद 🎋
आपरेशन से पहले वी.आर एस ले लो ,क्या पता बाद में नौकरी करने लायक रहो ना रहो ?
🎋बत्तीस साल बाद 🎋
सुबह से हल्ला मत मचाया करो ,पचास काम होते हैं घर में ,मै तुम्हारी तरह रिटायर नहीं हूं ,सुबह से शाम तक सबके लिये खटती हूँ ।
🎋तैंतीस साल बाद 🎋
भैया आप तो इन्हें ले जाओ ,सुबह से शाम तक सबका जीना हराम कर रखा है ,परेशान हो गये हैं ,क्या मुसीबत है ?
🎋चौंतीस साल बाद 🎋
पप्पू ,सारे पेपर अपने नाम करवाले बेटा ,अब तेरे पापा का कोई भरोसा नहीं ,तबीयत सम्भल भी गयी तो दिमाग की क्या गारंटी है ?
🎋पैंतीस साल बाद 🎋
क्या कर रहे हो ?कोई आ जाएगा ।थोडी शर्म-वर्म है कि नहीं ?
🌼जिस किसी भी पडाव में है भुगतते रहे ,कुढते रहे ।नमस्कार

क़ुरआन का सन्देश

 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...