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23 जुलाई 2015

PM नरेन्द्र मोदी को गूगल बता रहा 'MOST STUPID PRIME MINISTER'

गुगल सर्च इमेज में 'MOST STUPID PRIME MINISTER' सर्च करने पर पीएम मोदी की फोटो नजर आ रही है।
गुगल सर्च इमेज में 'MOST STUPID PRIME MINISTER' सर्च करने पर पीएम मोदी की फोटो नजर आ रही है।
नई दिल्ली. सर्च इंजन गूगल ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान किया है। मोदी भले ही देश के सबसे लोकप्रिय नेता हों लेकिन गूगल में 'दुनिया का सबसे बेवकूफ प्रधानमंत्री' सर्च करने पर उनकी तस्वीर सामने आ रही है। सिर्फ नरेंद्र मोदी ही नहीं कई अन्य देशों के प्रमुखों की तस्वीरें भी इस सर्च (most stupid prime minister) के बाद दिखाई देती हैं।
इनमें ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट और थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री अभिसित वेज्जाजीवा शामिल हैं। गूगल ऐसी गफलत पहले भी कर चुका है। इसी साल चार जून को 'टॉप 10 क्रिमिनल्स' सर्च करने पर नरेंद्र मोदी का नाम आ रहा था। तब भारत सरकार ने गूगल को चेतावनी दी थी। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि गूगल ने ऐसा जानबूझकर किया है।
सर्च इंजन तय नहीं करता
सर्च इंजन तय नहीं करता कि कौन-सी तस्वीर किस जगह पर आएगी। ये फोटो आर्टिकल, की-वर्ड या अन्य आधार पर दिखाई देती हैं।
लेकिन घर में बेलगाम नेता भी कम नहीं........
मोदी दुनिया के 10 बड़े अपराधियों में नंबर वन : आजम
यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने बुधवार को मोदी पर विवादित बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि दुनिया के दस बड़े अपराधियों में मोदी का नाम सबसे ऊपर है। यह स्टोरी गूगल पर भी चल रही है, लेकिन मीडिया इसे दिखा नहीं रहा है। मोदी ने पत्नी को स्वीकारा नहीं, बच्चा पैदा किया नहीं और अब बेटियों को अधिकार दिलाने चले हैं। ईद मिलन समारोह में शामिल होने गए आजम ने पीएम का नाम लिए बगैर कटाक्ष किया कि देश की 60 करोड़ आबादी रोजाना भूखी सोती है। एक बड़े नेता ने लोगों को झाडू थमा दी और कहा कि सड़कों की सफाई करो। इसके बजाय गरीब बच्चों के हाथ में कलम थमाई जाती तो देश की तकदीर संवर जाती।

केजरीवाल ने LG पर लगाया तानाशाही का आरोप, लिखा- तुम जीते, हम हारे



अरविंद केजरीवाल की एलजी को लिखा लेटर।
अरविंद केजरीवाल की एलजी को लिखा लेटर।
नई दिल्ली. दिल्ली महिला आयोग चीफ के अप्वॉइंटमेंट को लेकर जारी विवाद अब खत्म होता दिख रहा है। केजरीवाल ने उप राज्यपाल (एलजी) को लेटर लिख उन्हें फाइल भेजने की बात कही है और एलजी से कहा है कि फाइल पर साइन कर दें। अपने लेटर में केजरीवाल ने एलजी पर तानाशाही का आरोप लगाया है। केजरीवाल ने खुद के हारने और एलजी के जीतने की भी बात कही है।
‘कोई खुद सरकार कैसे हो सकता है?’
केजरीवाल ने लिखा है कि "एलजी साहब का कहना है कि वह खुद ही दिल्ली सरकार हैं... यह कैसे हो सकता है...? एक व्यक्ति खुद को सरकार कैसे कह सकता है...? फिर तो दिल्ली में तानाशाही हो जाएगी... इससे ज़्यादा हास्यास्पद बात नहीं हो सकती... दिल्ली सरकार का मतलब होता है, चुनी हुई सरकार, कोई व्यक्ति विशेष नहीं..."

आप जीते, हम हारे
अरविंद केजरीवाल ने लिखा, "हमारे लिए महिला आयोग का मुद्दा अहम् की लड़ाई नहीं, बल्कि बेहद अहम और संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए एलजी साहब, पीएम जीते और हम सब हार गए... आपके पास महिला आयोग की फाइल भेज रहा हूं...इस पर साइन करके महिला आयोग को जल्द चालू करा दीजिए...।"
गौरतलब है कि इस विवाद में एलजी ऑफिस की तरफ से भी सीएम ऑफिस को चिट्ठी लिखी थी।एलजी ऑफिस की ओर से सीएम केजरीवाल के दफ्तर को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया कि 2002 के गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक़ दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल है (एलजी) है।
क्या है विवाद?
ये सारा विवाद डीसीडब्ल्यू की नई चीफ की नियुक्ति के साथ शुरू हुआ। दिल्ली सरकार ने इस पद पर स्वाति मालिवाल की नियुक्ति कर दी, लेकिन स्वाति की नियुक्ति एलजी द्वारा रद्द कर दी गई। एलजी ऑफिस की ओर से इस मामले में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने फ़ाइल भेजकर नई अध्यक्ष की नियुक्ति के संबंध में उनसे मंज़ूरी नहीं ली।

आज का हासिल-


न कोई शिकायत न कोई गिला है,
हमारी वफा का यही इम्तहॉ है।
जहॉ पर ज़ुबानों पे ताले लगे हों,
जिग़र का वहॉ पे लहू बोलता है।
गिरफ्तार होता कहीं इश्क में जो,
ज़मानत की फिर वो कहॉ सोंचता है।
बिछाकर पलक, उम्र सारी बिता दूँ,
अगरचे तुम्हारा यही फैसला है।
लगाकर अभी जो गये हैं ये आतिश,
वही पूछते हैं कि क्या माज़रा है।
बहारें, फज़ाएं, हवायें, चमन की,
कसम से तुम्हारे बिना बे मज़ा हैं।
कहे कोइ किस्सा, फसाना, तराना,
गज़ल ये नहीं बस मेरा आइना है।
बिछड़ते कहा तूने लम्बी उमर हो,
न जाने दुआ है कि ये बद्दुआ है।

मैनेजमेंट लेसन

मैनेजमेंट लेसन:एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया..तभी उसने देखा, एक शेर उसकी तरफ आ रहा है..।कुत्ते की सांस रूक गयी.."आज तो काम तमाम मेरा..!" उसने सोचा..फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखि..वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा..और जोर जोर से बोलने लगा, "वाह ! शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है.. एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जायेगी !"और उसने जोर से डकार मारा.. इस बार शेर सोच में पड़ गया.. उसने सोचा- "ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है ! जान बचा कर भागो !"और शेर वहां से जान बचा के भागा..पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा देख रहा था..उसने सोचा यह मौका अच्छा है शेर को सारी कहानी बता देताहूँ ..शेर से दोस्ती हो जायेगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा दूर हो जायेगा.. वो फटाफट शेर के पीछे भागा..कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गयाकी कोई लोचा है..उधर बन्दर ने शेर को सब बता दिया की कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है..शेर जोर से दहाडा, -"चल मेरे साथ, अभी उसकी लीला ख़तम करता हूँ".. और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ लपका..Can u imagine the quick management by the DOG...???कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बारफिर उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया और जोर जोर से बोलने लगा,- "इस बन्दर को भेजे 1 घंटा हो गया..साला एक शेर को फंसा कर नहीं ला सकता !"यह सुनते ही शेर ने बंदर को पटका और वापस भाग गया ।Moral of the story:There are many such monkeys around us, try to identify them..Be a Smart Worker rather than a Hard Worker.

This is Corporate Culture.

दो वर्ष तक नौकरी करने के बाद एक व्यक्ति को समझ में आया
कि इन दो सालों में ना कोई प्रमोशन, ना ट्रांसफ़र, ना कोई तनख्वाह वृद्धि,
और कम्पनी इस बारे में कुछ नहीं कर रही है..
उसने फ़ैसला किया कि वह HR मैनेजर से मिलेगा
और अपनी बात रखेगा...

लंच टाईम में वह HR मैनेजर से मिला और उसने अपनी समस्या
रखी.. HR मैनेजर बोला, मेरे बच्चे तुमने इस कम्पनी में एक दिन
भी काम नहीं किया है... कर्मचारी भौंचक्का हो गया और बोला - ऐसा कैसे.. ?
पिछले दो वर्ष से मैं यहाँ काम कर रहा हूँ.. HR मैनेजर बोला - देखो मैं समझाता हूँ...
मैनेजर - एक साल में कितने दिन होते हैं ?
कर्मचारी - 365 या 366
मैनेजर - एक दिन में कितने घंटे होते हैं ?
कर्मचारी - 24 घंटे
मैनेजर - तुम दिन में कितने घंटे काम करते हो ?
कर्मचारी - सुबह 8.00 से शाम 4.00 तक, मतलब आठ घंटे..
मैनेजर - मतलब दिन का कितना भाग तुम काम करते हो ?
कर्मचारी - (हिसाब लगाता है) 24/8= 3 एक तिहाई भाग
मैनेजर - बहुत बढिया..अब साल भर के 366 दिनों का एक-तिहाई कितना होता है ?
कर्मचारी - (???) 366/3 = 122 दिन..
मैनेजर - तुम "वीक-एण्ड" पर काम करते हो ?
कर्मचारी - नहीं
मैनेजर - साल भर में कितने वीक-एण्ड के दिन होते हैं ?
कर्मचारी - 52 शनिवार और 52 रविवार, कुल 104
मैनेजर - बढिया, अब 122 में से 104 गये तो कितने बचे ?
कर्मचारी - 18 दिन
मैनेजर - एक साल में दो सप्ताह की"सिक लीव" मैं तुम्हें देता हूँ, ठीक ?
कर्मचारी - जी
मैनेजर - 18 में से 14 गये,
तो बचे 4 दिन, ठीक ?
कर्मचारी - जी
मैनेजर - क्या तुम मई दिवस पर काम करते हो ?
कर्मचारी - नहीं..
मैनेजर - क्या तुम 15 अगस्त,26 जनवरी और 2 अक्टूबर को काम करते हो ?
कर्मचारी - नहीं..
मैनेजर - जब तुमने एक दिन भी काम नहीं किया, फ़िर किस बात की शिकायत कर रहे हो भाई.
This is Corporate Culture.

चन्द्रशेखर आज़ाद "की जयंती पर सादर नमन्

.....💐🙏💐
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश के कई क्रांतिकारी वीर-सपूतों की याद आज भी हमारी रुह में जोश और देशप्रेम की एक लहर पैदा कर देती है. एक वह समय था जब लोग अपना सब कुछ छोड़कर देश को आजाद कराने के लिए बलिदान देने को तैयार रहते थे और एक आज का समय है जब अपने ही देश के नेता अपनी ही जनता को मार कर खाने पर तुले हैं. देशभक्ति की जो मिशाल हमारे देश के क्रांतिकारियों ने पैदा की थी अगर उसे आग की तरह फैलाया जाता तो संभव था आजादी हमें जल्दी मिल जाती.
वीरता और पराक्रम की कहानी हमारे देश के वीर क्रांतिकारियों ने रखी थी वह आजादी की लड़ाई की विशेष कड़ी थी जिसके बिना आजादी मिलना नामुमकिन था.
देशप्रेम, वीरता और साहस की एक ऐसी ही मिशाल थे शहीद क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद. 25 साल की उम्र में भारत माता के लिए शहीद होने वाले इस महापुरुष के बारें में जितना कहा जाए उतना कम है. आज ही के दिन साल 1931 में चन्द्रशेखर आजाद शहीद हुए थे. उन्हीं की याद में प्रस्तुत है उनके जीवन के एक छोटा-सा वृतांत.
चन्द्रशेखर आजाद का जीवन
पृथ्वी पर चन्द्रशेखर आजाद जैसे योद्धा का अवतरण एक चमत्कारिक सत्य है, जिससे बदरिकाश्रम के समान पवित्र उन्नाव जिले का बदरका गांव संसार में जाना जाता है. कानपुर जिसे हम क्रांति-राजधानी कह सकते है, के निकटवर्ती इसी जनपद में पं. सीताराम तिवारी के पुत्र के रूप में जन्मलब्ध चन्द्रशेखर का बाल्यकाल मालवा प्रदेश में व्यतीत हुआ.
असहयोग आंदोलन से जागे देश में दमन-चक्र जारी था, सत्याग्रहियों के बीच निकल पड़े, प्रस्तरखंड उठाया, बेंत बरसाने वालों में से एक सिपाही के सिर में दे मारा. पेशी होने पर अपना नाम आजाद, काम आजादी के कारखाने में मजदूरी और निवास जेलखाने में बताया. गुस्साए अंग्रेज मजिस्ट्रेट ने पंद्रह बेंतों की सख्त सजा सुनाई. हर सांस में वंदेमातरम का निनाद करते हुए उन्होंने यह परीक्षा भी उत्तीर्ण की.
क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद
अचूक निशानेबाज आजाद ने अपना पावन शरीर मातृभूमि के शत्रुओं को फिर कभी छूने नहीं दिया. क्रांति की जितनी योजनाएं बनीं सभी के सूत्रधार आजाद थे. कानपुर में भगत सिंह से भेंट हुई. साथियों के अनुरोध पर आजाद एक रात घर गए और सुषुप्त मां एवं जागते पिता को प्रणाम कर कर्तव्यपथ पर वापस आ गए. सांडर्स का वध-विधान पूरा कर राजगुरु, भगतसिंह और आजाद फरार हो गए. 8 अप्रैल 1929 को श्रमिक विरोधी ट्रेड डिस्प्यूट बिल का परिणाम सभापति द्वारा खोलते ही, इसके लिए नियुक्त दर्शक-दीर्घा में खड़े दत्त और भगत सिंह को असेंबली में बम के धमाके के साथ इंकलाब जिंदाबाद का नारा बुलंद करते गिरफ्तार कर लिया गया. भगत सिंह को छुड़ाने की योजना चन्द्रशेखर ने बनाई, पर बम जांचते वोहरा सहसा शहीद हो गए. घर में रखा बम दूसरे दिन फट जाने से योजना विफल हो गई. हमारी आजादी की नींव में उन सूरमाओं का इतिहास अमर है जिन्होंने हमें स्वाभिमानपूर्वक अपने इतिहास और संस्कृति की संरक्षा की अविचल प्रेरणा प्रदान की है...... नमन् है ऎसे देश भक्त को जय हिन्द~

एक कहानी लिख डालूं

बहुत दिनों से सोच रहा हूँ एक कहानी लिख डालूं
गंगा यमुना झेलम जैसा निर्मल पानी लिख डालूँ
सोच रहा हूँ गर्म लहू की कोई रवानी लिख डालूँ
चंद्रशेखर आजाद सरीखी वीर जवानी लिख डालूँ
हां आज़ाद वही जो भारत माँ की आँख का तारा था
भारत की आज़ादी का आज़ाद स्वम् ही नारा था
खेल खिलोने न भाये वो हथियारों से खेला था
निर्मम कोड़ों को बचपन में तन पे अपने झेला था
शेरों सी हुंकार को सुनकर तख़्त फिरंगी डोल गया
आजाद रहूंगा जीवन भर में भरी अदालत बोल गया
भरकर भावों से मन को मैं श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूँ
भारत माँ के अमर पुत्र की अमर कथा दोहराता हूँ
मेरे अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद जी को जन्म दिवस 23 जुलाई के अवसर पर विनम्र श्रधान्जली...... एवं कृतज्ञ राष्ट्र का शत् -2 नमन

हिंदुस्तानी मादरी जुबां ,,,,उर्दू

हिंदुस्तानी मादरी जुबां ,,,,उर्दू ,,,बचाओ संघर्ष समीति के रफ़ीक़ अहमद ,,तबरेज़ पठान कोटा शहर के उर्दू हमदर्दों के साथ मिलकर कल चोईस जुलाई शुक्रवार को बाद नमाज़ जुमा,, ज़िलाकलेक्टर के ज़रिये राजस्थान के स्कूलों में उर्दू विषय बहाल करने के लिए ज्ञापन सौंपेंगे ,,,,,,, प्रदेश कांग्रेस कमेटी कोटा संभाग अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमेन एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कोटा के सभी अल्पसंख्यक विभाग से जुड़े कार्यकर्ताओं और उर्दू साहित्य के हमदर्दों से आह्वान किया है के वोह दलगत राजनीति से अलग हठकर ,,धर्म ,,,समाज,,जाति के भेदभाव को भुलाकर उर्दू विषय स्कूलों में बचाने के लिए हर लिए हर स म्भ्व सम्भव प्रयास और आंदोलन में जुट जाएँ ,,,,,,,,,,,,कोटा संभाग अल्पसंख्यक विभाग के कार्यालय प्रभारी महासचिव प्रवक्ता तबरेज़ पठान ने इस संबंध में कहा के उर्दू जुबां हिन्दुस्तान की ज़ुबान है यह किसी जाति ,,किसी धर्म की ज़ुबान नहीं ,,फिर यह सरकार ,,सरकार में बैठे संकीर्ण विचारधाराओं के लोग बदले की भावना से उर्दू के साथ खिलवाड़ कर रहे है जो राजस्थान के किसी भी समाज को गले नहीं उत्तर रहा है ,,,,,उर्दू बचाओ संघर्ष समीति के रफ़ीक़ भाई ने आह्वान किया है के कोटा के सभी प्रबुद्ध लोग जो किसी भी समाज से जुड़े हो उर्दू साहित्त्य बचाने के लिए आगे आये और कल दिए जाने वाले ज्ञापन कार्यक्रम में शामिल हो ,,,,,,,,,,,,,,,तबरेज़ पठान ने इस संबंध में कोटा के सभी धर्म ,,समाज ,,वर्ग के लोगों से आह्वान किया है के वोह इस ज्ञापन कार्यक्रम में शामिल हो ,,तबरेज़ पठान ने कहा के ज्ञापन के साथ ज़िलाकलेक्टर को फूलों का गुलदस्ता पेशकर विनम्रता से कोटा सहित राजस्थान के सभी स्कूलों ,,कॉलेजों में उर्दू विषय बहाल करने का ज्ञापन सौंपा जाएगा ,,,,,,,,,,बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश बंजारा सहित कई समाजो ने उर्दू बचाओ इस मुहीम को समर्थन देकर हर तरह की मदद का आश्वासन दिया है ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पानी को बर्बाद मत करो

पानी को बर्बाद मत करो चाहे तुम पानी के झरने/नदी पर भी क्यो ना बैठे हुये हो !
---हज़रत मुहम्मद sallalaho alayhe wasalam
ऑस्ट्रेलियाई पानी की कम्पनी ने पानी की बोतल पर दुनिया के आखिरी नबी मुहम्मद sallalaho alayhe wasallam
की हदीस को छापा हैं ताकि पानी की बर्बादी ना हो सके.

क़त्ल और आतंकवाद को इस्लाम का समर्थन नहीं


वो लोग जो अपने क़त्लो-ग़ारत और दहशतगर्दी के कामों को इस्लाम के आदेशानुसार बतलातें हैं वो कुरान और रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की तालीमों का अपमान करतें है ।
क्योंकि कुरान वो ग्रंथ है जिसने एक क़त्ल के अपराध को पूरी इंसानियत के कत्ल करने के अपराध के बराबर रखा और कहा,
» अल-कुरान: “जिसने कोई जान क़त्ल की, बग़ैर जान के बदले या ज़मीन में फसाद किया तो गौया उसने सब लोगों का क़त्ल किया और जिसने एक जान को बचा लिया तो गौया उसने सब लोगों को बचा लिया (सूर: 5, आयत 32)
» अल-कुरान: “किसी जान को क़त्ल न करो जिसके क़त्ल को अल्लाह ने हराम किया है सिवाय हक़ के ।”- (सूरह इसरा, आयत 33)
कुरान जिस जगह नाज़िल हुआ था पहले वहां के इंसानों की नज़र में इंसानी जान की कोई कीमत न थी । बात-बात पे वो एक दूसरे का ख़ून बहा देते थे, लूटमार करते थे । कुरान के अवतरण ने न केवल इन क़त्लों को नाजायज़ बताया बल्कि क़ातिलों के लिये सज़ा का प्रावधान भी तय किया ।
वो आतंकी लोग जो कुरान के मानने वाले होने की बात करते हैं उन्हें ये ज़रुर पता होना चाहिये कि इस्लाम ने ये सख़्त ताकीद की है कि ख़ुदा की बनाई इस धरती पर कोई फसाद न फैलाये
» अल-कुरान: “हमने हुक्म दिया कि खुदा की अता की हुई रोज़ी खाओ और धरती पर फसाद फैलाते न फिरो”- (सूरह बकरह, आयत- 60)
कुरान वो ग्रंथ है जो न केवल फसाद (आतंकवाद) यानि दहशतगर्दी फैलाने से मना करता है बल्कि दशहतगर्दी फैलाने वालों को सजा-ए-क़त्ल को जाएज़ करार देता है (सूरह माइदह, आयत- 32)
यहां ये बात भी याद रखने की है कि पवित्र कुरान में जिहाद शब्द केवल 41 बार आया है (वो भी विभिन्न अर्थों में) जबकि रहमत या दया शब्द 335 बार और इंसाफ शब्द 244 बार आया है ।

क़ुरआन का सन्देश

  
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