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25 जुलाई 2015

AIPMT एंट्रेंस: नन ने स्कार्फ-क्रॉस बिना एग्जाम देने से किया इनकार

 

 

सिस्टर सायबा।
सिस्टर सायबा।
तिरुअनंतपुरम: नए ड्रेस कोड के तहत कराए जा रहे सीबीएसई के मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट एआईपीएमटी में एक नन ने स्कार्फ और पवित्र क्रॉस उतारने से इनकार कर दिया। इस वजह से उसे एग्जाम नहीं देने दिया गया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मुस्लिम संगठन की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें हिजाब पहनकर परीक्षा देने की इजाजत मांगी गई थी। चीफ जस्टिस एच एल दत्तू ने टिप्पणी की थी कि एक दिन हिजाब न पहनने से आस्था खत्म नहीं होगी।
क्या है मामला
सिस्टर सायबा शनिवार सुबह जवाहर सेंट्रल स्कूल में एग्जाम देने पहुंची थीं। सायबा ने बताया कि उन्होंने स्कूल प्रशासन से स्कार्फ और क्रॉस पहनकर एग्जाम देने की मंजूरी मांगी। स्कूल प्रिंसिपल ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा मुमकिन नहीं है। इस पर सायबा ने दरख्वास्त की कि उन्हें स्कार्फ और क्रॉस के बिना दूसरे कमरे में एग्जाम देने दिया जाए। सायबा के मुताबिक, स्कूल प्रशासन ने इसके लिए मंजूरी नहीं दी।
क्या कहना है स्कूल प्रशासन का
प्रिंसिपल का कहना है कि वह भी एक क्रिश्चियन हैं और सायबा का दर्द समझती हैं, लेकिन सीबीएसई की गाइडलाइंस के मुताबिक, क्रॉस या स्कार्फ के साथ एग्जाम देने की मंजूरी नहीं दी जा सकती। उधर, विभिन्न राज्यों में हुए एआईपीएमटी एग्जाम के दौरान स्टूडेंट्स को स्कार्फ, इयर रिंग, नोज रिंग, अंगूठी उतरवाकर एग्जाम सेंटर में घुसने दिया गया। इसके अलावा, उनकी तलाशी भी ली गई।
क्यों इतनी सख्ती
इस साल एआईपीएमटी एग्जाम के दौरान कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई को दोबारा से टेस्ट कराने का निर्देश दिया। इसके बाद, सीबीएसई ने बेहद सख्त ड्रेस कोड लागू किए। इसके तहत, जूलरी, हेयर पिन्स, हेड स्कार्फ, घड़ी, नोस पिन, नोस रिंग, ईयर रिंग आदि पहनकर एग्जाम देने की मनाही थी।
चर्च ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
नन को एग्जाम में बैठने की इजाजत न दिए जाने को लेकर सायरो मालाबार चर्च ने निराशा जाहिर की है। चर्च के स्पोक्सपर्सन फादर पाल ठेलेकट ने कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। चर्च की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ''कैथोलिक चर्च स्कार्फ को सबसे अहम धार्मिक प्रतीक नहीं मानता। हालांकि, हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के उस बयान से भी सहमत नहीं हैं, जिसके मुताबिक कुछ घंटे स्कार्फ न पहनने से कोई फर्क पैदा नहीं होगा।''

सोशल मिडिया पर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

सोशल मिडिया पर गुस्से और एक दूसरे के खिलाफ परस्पर बहसबाज़ी ,,छीटाकशी को खत्म कर प्यार बांटने की मेरी अपील के बाद एक जनाब ने मुंबई से बढ़े गुस्से में मुझे फोन किया ,,गुस्से में ही मुझ से राम राम की ,,सलाम किया और गुस्से में ही कहा के अख्तर साहब ,,में आपकी ,,आपकी लेखनी और विचारो की क़द्र करता हूँ ,,मेरी पत्नी भी आपके विचारों की फेन है ,,में भी आपका फेन हूँ ,,लेकिन जनाब ,,हाथी के पीछे कुत्ते क्यों भोंकते है ,,,,कुत्ते की दम सो साल नली में रखने के बाद भी टेडी की टेडी क्यों रहती है ,,कोई भी वैज्ञानिक इसका अर्थ नहीं जान पाया है ,,,इसलिए भाई कुत्तो की दुम काटना होगी ,,,,,,भोंकने वाले कुत्तो को क़ैद करना होगा ,,,,,वरना यह समाज जंगल हो जाएगा ,,,इन जनाब ने बढ़ी विनम्रता से कहा के हम आपकी यह बात मानने से इंकार करते है ,,क्योंकि जो हम पर पत्थर फेकेगा हम उस पर फूल नहीं फेंकेंगे ,,,,,,,,,,मुह तोड़ जवाब देंगे ,,में उनसे कुछ कहता इसके पहले ही उन्होंने शुक्रिया कहा और फोन काट दिया ,,अब वोह जनाब फोन नहीं उठा रहे है ,,,मेरा उनसे निवेदन है ,,,,प्यार की तलवार में नफरत की हर दीवार गिराने की ताक़त होती है ,,प्यार के फूलों में नफरत की हर गंदगी ,,हर बदबू खुशबु में बदलने की ताक़त होती है ,,रहा सवाल मज़हबों के खिलाफ ,,देवी ,,देवताओ ,,,भगवान ,,अल्लाह ,,,पैगम्बर मोहम्मद साहब रसूल्लल्लाह के खिलाफ लिखने का उनका अपमान करने का तो ऐसे लोगों के लिए क़ानून का रास्ता है ,,इनके लिए जेल के रास्ते खुले पढ़े है मज़ा तो जब हो जब अल्लाह और रसूल का अपमान हो तो फरियादी मेरे मुल्क का हिन्दू भाई हो अगर हिन्दू देवी देवताओ ,भगवान का अपमान हो तो ऐसे में फरियादी मेरे मुल्क का मुसलमान हो ,,,मेरे भाई अगर पढ़ रहे हो तो प्लीज़ ज़रा प्रतीक्रिया भी दीजियेगा ,,फिर में मुंबई फोन मिलाने की कोशिश कर रहा हूँ ,,,आप सही है ,,सो फीसदी सही है ,,लेकिन में भी गलत नहीं हु मेरे भाई ,,,,,गुस्सा थूक कर विनम्र भाव से क़ुरआन ,,हदीस ,,गीता ,,वेदों के नज़रिये से ,,भारतीय विनम्र संस्कृति के नज़रिये से देखेंगे ,,सोचेंगे तो शायद मेरी बात सही लगे ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में पढ़ना चाहती हैं बेटियां पढ़ाने वाला कोई नहीं – हुसैन


सरकारी स्कूलों में बेटियों में पढने की ललक है, पर टीचर लगाने में भाजपा सरकार विफल
कोटा 25 जुलाई राजस्थान के राजकीय बालिका उच्य माध्यमिक विध्यालों में पढने वाली बेटियों में पढने की ललक तो है पर इन्हें पढ़ने के लिए स्कूलों में पर्याप्त टीचर तक भाजपा सरकार देने में नाकाम हो रही है ऐसे में बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसी मुहीम का क्या मतलब जब सरकार ही बेटियों की नहीं सुन रही आम आदमी पार्टी पर्वक्ता पार्षद मोहम्मद हुसैन ने इस मामले में वसुंधरा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा की जब स्कूल में शिक्षक ही नहीं होंगे तो छात्राओं के परिणाम कैसे अच्छे होंगे यही वजह है की राजस्थान भारत में एक ऐसा प्रदेश बनता जा रहा है जहाँ सबसे ज्यादा बेटियां
आठवीं के बाद अपनी पढाई छोड़ देती है जिसका एक सामाजिक पहलु भी है अगर बेटियां पढाई छोडती हैं तो नाबालिग उम्र में ही उनकी सादी कर दी जाती है जबके आर टी आई के नियमों के तहद 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए लेकिन जमीनी हकीक़त कुछ और ही है हुसैन ने कहा की शिक्षकों की यह कमी रातों रात नहीं आई यह सरकार की लापरवाही का नतीजा है जिसके कारण कोटा सहित प्रदेश भर में बेटियां सिक्षा के अधिकार व टीचर बढाने की मांग को लेकार जगह जगह सड़कों पर उतर रहीं है हुसैन ने राजस्थान सरकार को चेताते हुए कहा की बेटियों की सिक्षा को लेकर
सरकार जल्द ही कोई ठोस कदम उठा कर शिक्षकों की कमी पूरी नहीं करेगी तो राज्य भर में आम आदमी पार्टी का कार्यकर्त्ता सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा

किसी भी नबी ऐ इकराम ने कभी कोई हराम की कमाई नहीं खाई

किसी भी नबी ऐ इकराम ने कभी कोई हराम की कमाई नहीं खाई ,,ना कमाई की ,,यानी किसी भी नबी ऐ इकराम ने मोलवी मुल्लाओं की तरह क़ुरआन की आयतो का मोल किया ,,ना ही इबादत ,,,नमाज़ पढ़ाने को अपनी रोज़ी रोटी बनाया ,,,,खुद ने महनत कर हलाल की कमाई खाई तो समझ गए ना जो लोग क़ुरआन की आयतो का मोल करते है वोह किसी कमाई खाते है और जब इनके पेट में रिज़क़ ही हलाल नहीं होगा तो क्या इनके पीछे हमारी इबादत जायज़ है ,,नहीं ना तो फिर चलाइये मुहीम भाई ऐसे मोलवी मुल्लाओं के खिलाफ जो क़ुरआन मजीद ,,की हिदायतों और हदीस की रिवायतों के खिलाफ हलाल की कमाई नहीं कर रहे है और हराम की कमाई से पेट भरकर मुस्लिम भाइयो को गुमराह कर उनका भी ईमान खराब कर रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,नबीयों के पेशे
हजरत आदम अलैहिसलाम -- खेती
हजरत नूह अलैहिसलाम -- सुतार
हजरत दाऊद अलैहिसलाम -- लोहार
हजरत इद्रीस अलैहिसलाम -- दर्जी
हजरत युसूफ अलैहिसलाम -- तिजारत व
बादशाही
हजरत याकूब अलैहिसलाम --
बकरिया चराना
हजरत इस्माईल अलैहिसलाम -- तीर
बनाना
हजरत सुलेमान अलैहिसलाम --
टोकरिया बनाना
हजरत इसा अलैहिसलाम -- रंग बनाना
हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम -- तिजारत और
बकरियाँ चराना |
हमारे तमाम अंबाया किराम और बड़े बड़े
औलिया जिंदगी गुजारने के लिये मेहनत करके
हलाल रोजी कमाते थे |
मगर किसी के सामने इन्होंने हाथ
नहीं फैलाया |
किसीने कपड़ा बुना, किसीने अनाज
उगाया तो किसी ने टोकरियाँ बनाने
का काम किया |
फिर हममें कौन है जो इनसे बड़ा और
इज्जतवाला हैं ?
मगर हम बदनसीब आज इन पेशों और
हुनरों को नाम रखते हैं और बुरी नजर से देखते हैं
|
और नाजायज और हराम तरीके से
तिजारतकरने में अपना बड़प्पन मानते हैं |
आओ सब मिलकर अल्लाह तआला से
यहीं दुआ करे के हमे
सही तरीके से हलाल
कमाई करने के नेक हिदायत दें |

संयोगवश घर में पानी नही था

एक दिन पंडित को प्यास लगी, संयोगवश घर में पानी नही था इसलिए उसकी पत्नी पडोस से पानी ले आई I पानी पीकर पंडित ने पूछा....
पंडित - कहाँ से लायी हो बहुत ठंडा पानी है I
पत्नी - पडोस के कुम्हार के घर से I (पंडित ने यह सुनकर लोटा फैंक दिया और उसके तेवर चढ़ गए वह जोर जोर से चीखने लगा )
पंडित - अरी तूने तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया, कुंभार ( शुद्र ) के घर का पानी पिला दिया। पत्नी भय से थर-थर कांपने लगी, उसने पण्डित से माफ़ी मांग ली I
पत्नी - अब ऐसी भूल नही होगी। शाम को पण्डित जब खाना खाने बैठा तो घरमे खानेके लिए
कुछ नहीं था.
पंडित - रोटी नहीं बनाई. भाजी
नहीं बनाई.
पत्नी - बनायी तो थी लेकिन अनाज पैदा करनेवाला कुणबी(शुद्र) था.
और जिस कढ़ाई में बनाया था वो लोहार (शुद्र) के घर से आई थी। सब फेक दिया.
पण्डित - तू पगली है क्या कही अनाज और कढ़ाई में भी छुत होती है? यह कह कर पण्डित बोला की पानी तो ले आओ I
पत्नी - पानी तो नही है जीI
पण्डित - घड़े कहाँ गए हैI
पत्नी - वो तो मेने फैंक दिए क्योंकि कुम्हार के हाथ से बने थेI पंडित बोला दूध ही ले आओ वही पीलूँगा I
पत्नी - दूध भी फैंक दिया जी क्योंकि गाय को जिस नौकर ने दुहा था वो तो नीची (शुद्र) जाति से था न I
पंडित- हद कर दी तूने तो यह भी नही जानती की दूध में छूत नही लगती है I
पत्नी-यह कैसी छूत है जी जो पानी में तो लगती है, परन्तु दूध में नही लगती। पंडित के मन में आया कि दीवार से सर फोड़ ले। गुर्रा कर बोला - तूने मुझे चौपट कर दिया है जा अब आंगन में खाट डाल दे मुझे अब नींद आ रही है I
पत्नी- खाट! उसे तो मैने तोड़ कर फैंक दिया है क्योंकि उसे शुद्र (सुतार ) जात वाले ने बनाया था.
पंडित चीखा - ओ फुलो का हार लाओ भगवन को चढ़ाऊंगा ताकि तेरी अक्ल ठिकाने आये.
पत्नी- फेक दिया उसे माली(शुद्र)
जाती ने बनाया था.
पंडित चीखा- सब में आग लगा दो, घर में कुछ बचा भी हैं या नहीं.
पत्नी - हाँ यह घर बचा है, इसे अभी तोडना बाकी है क्योंकि इसे भी तो पिछड़ी जाति के मजदूरों ने बनाया है I पंडित के पास कोई जबाब नही था .उसकी अक्ल तो ठिकाने आयी
बाकी लोगोकी भी आ जायेगी सिर्फ
इस कहानी आगे फॉरवर्ड करो हो सके देश मे जाती वाद खत्म हो जाये

नबीयों के पेशे


हजरत आदम अलैहिसलाम -- खेती
हजरत नूह अलैहिसलाम -- सुतार
हजरत दाऊद अलैहिसलाम -- लोहार
हजरत इद्रीस अलैहिसलाम -- दर्जी
हजरत युसूफ अलैहिसलाम -- तिजारत व
बादशाही
हजरत याकूब अलैहिसलाम --
बकरिया चराना
हजरत इस्माईल अलैहिसलाम -- तीर
बनाना
हजरत सुलेमान अलैहिसलाम --
टोकरिया बनाना
हजरत इसा अलैहिसलाम -- रंग बनाना
हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम -- तिजारत और
बकरियाँ चराना |
हमारे तमाम अंबाया किराम और बड़े बड़े
औलिया जिंदगी गुजारने के लिये मेहनत करके
हलाल रोजी कमाते थे |
मगर किसी के सामने इन्होंने हाथ
नहीं फैलाया |
किसीने कपड़ा बुना, किसीने अनाज
उगाया तो किसी ने टोकरियाँ बनाने
का काम किया |
फिर हममें कौन है जो इनसे बड़ा और
इज्जतवाला हैं ?
मगर हम बदनसीब आज इन पेशों और
हुनरों को नाम रखते हैं और बुरी नजर से देखते हैं
|
और नाजायज और हराम तरीके से
तिजारतकरने में अपना बड़प्पन मानते हैं |
आओ सब मिलकर अल्लाह तआला से
यहीं दुआ करे के हमे
सही तरीके से हलाल
कमाई करने के नेक हिदायत दें |

क्या आप जानते हैं

क्या आप जानते हैं की अपने आखरी हज के समय अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने जो आखरी भाषण (खुतबा) दिया जो अपने
आप में एक ऐसी मिसाल है कि किसी भी धर्मगुरु या नेता ने
ऐसा भाषण न दिया होगा जो की मानवता और समानता के उपदेश से परिपूर्ण है|
मेरा सभी मुस्लिम और गैर-मुस्लिम भाइयों से निवेदन है की इसे ज़रूर पढ़ें:
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:
=>प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो।
ऐ इंसानो!
=> तुम्हारा रब सिर्फ एक अल्लाह है, अल्लाह के साथ किसीको शरीक न करना।
=> अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
=> लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना,
=> ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा.
=> कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना।
=> ब्याज के क़रीब भी न फटकना।
=> किसी अरबी किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर,
न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर,
प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है
अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है।
=> बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
=> तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
=>अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
=> इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए।
(अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने
ख़ानदान का ख़ून–रबीआ इब्न हारिस का ख़ून– ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
=>अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
=>औरतों के मामले में अल्लाह से डरो।
तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
=>ऐ लोगों
याद रखो, मेरे बाद कोई
नबी (ईश्वर का सन्देश वाहक)नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना,
प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना।
रमज़ान के रोज़े रखना,
खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात (2.5% of your accumulated wealth) देना,
अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना।
=>ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो!
क्या मैंने अल्लाहसका पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया!
लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी :–
हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल!
(तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा)
ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
=>"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत

गीता में लिखा है की ....

....
अगर कोई इन्सान बहुत हंसता है , तो अंदर से वो बहुत अकेला है अगर कोई इन्सान बहुत सोता है , तो अंदर से वो बहुत उदास है अगर कोई इन्सान खुद को बहुत मजबूत दिखाता है और रोता नही , तो वो अंदर से बहुत कमजोर है अगर कोई जरा जरा सी बात पर रो देता है तो वो बहुत मासूम और नाजुक दिल का है अगर कोई हर बात पर नाराज़ हो जाता है तो वो अंदर से बहुत अकेला और जिन्दगी में प्यार की कमी महसूस करता है लोगों को समझने की कोशिश कीजिये ,जिन्दगी किसी का इंतज़ार नही करती , लोगों को एहसास कराइए की वो आप के लिए कितने खास हैे!!!
1. अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो,,, तरीके बदलो....., ईरादे नही..
2. जब सड़क पर बारात नाच रही हो तो हॉर्न मार-मार के परेशान ना हो...... गाडी से उतरकर थोड़ा नाच लें..., मन शान्त होगा। टाइम तो उतना लगना ही है..!
3. इस कलयुग में रूपया चाहे कितना भी गिर जाए, इतना कभी नहीं गिर पायेगा, जितना रूपये के लिए इंसान गिर चूका है... सत्य वचन....
4. रास्ते में अगर मंदिर देखो तो,,, प्रार्थना नहीं करो तो चलेगा . . पर रास्ते में एम्बुलेंस मिले तब प्रार्थना जरूर करना,,, शायद कोई जिन्दगी बच जाये
5. जिसके पास उम्मीद हैं, वो लाख बार हार के भी, नही हार सकता..!
6. बादाम खाने से उतनी अक्ल नहीं आती... जितनी धोखा खाने से आती है.....!
7. एक बहुत अच्छी बात जो जिन्दगी भर याद रखिये,,, आप का खुश रहना ही आप का बुरा चाहने वालों के लिए सबसे बड़ी सजा है....!
8. खुबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते, अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत नहीं होते...!
9. रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलु हैं... कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते खो जाते हैं,,, और कभी रास्तो पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं...!
10. बेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता है,,,, वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती है...!
11. दुनिया में कोई काम "impossible" नहीं,,, बस होसला और मेहनत की जरूरत है...l पहले मैं होशियार थl, इसलिए दुनिया बदलने चला था,,, आज मैं समझदार हूँ, इसलिए खुद को बदल रहा हूँ...।।

क़ुरआन का सन्देश

 
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