कहते हैं कि मजहब किसी को दुश्मनी नहीं सिखाता। उसका मकसद तो नेकी और अमन का पैगाम देना है। यह इन्सान की गलती है कि वह धर्म और मजहब पर भी हिंसा का आवरण चढ़ा देता है। गुजरात का एक हनुमान मंदिर न केवल भक्ति बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल भी है। यहां शनिवार को बड़ी तादाद में लोग हनुमान चालीसा पढ़ने आते हैं। इसमें हिंदुओं के अलावा मुसलमान भी शामिल होते हैं।
वडोदरा के तरसाली स्थित यह हनुमान मंदिर रामभक्त हनुमान के अलावा उन लोगों से भी जाना जाता है जो हनुमानजी के भक्त हैं और उनके लिए धर्म कभी बाधक नहीं बना।
यहां आने से पहले मुसलमान पास ही स्थित एक मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं और फिर वे अपने साथियों के साथ हनुमान मंदिर पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं के मुताबिक, मुसलमान भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तथा भजनों में भी शामिल होते हैं।
बात यहीं तक नहीं है। जब हनुमान जयंती आती है तो हिंदुओं के साथ मुसलमान भी धूमधाम से ये पर्व मनाते हैं। तरसाली के लोगों के लिए सांप्रदायिक सद्भाव जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा है। इसलिए जब मुसलमान नमाज के बाद हनुमान चालीसा पढ़ते हैं तो किसी को इससे आपत्ति नहीं होती। यहां हनुमान मंदिर के द्वार सबके लिए खुले हैं।
श्रद्धालुओं के मुताबिक हिंदुओं के साथ मुसलमानों को भी हनुमान चालीसा पढ़ते देखना दिल को सुकून देता है। यहां मुस्लिम भक्त हनुमानजी के भजन गाते हैं और लोग उनका साथ देते हैं। गौरतलब है कि करीब 8 साल पहले मंदिर का निर्माण शुरू हुआ और लोगों ने मारुति मंडल नाम से एक धार्मिक संस्था बनाई।
मंदिर के लिए न केवल हिंदुओं ने बल्कि मुसलमानों ने भी दिल खोलकर दान दिया। इस संस्था के करीब 500 सदस्य मुसलमान हैं।
मुस्लिम श्रद्धालुओं के मुताबिक अल्लाह की इबादत के साथ हनुमानजी की वंदना करना उनके तन, मन और जीवन को नई ऊर्जा देता है। इससे वे खुद को ईश्वर के ज्यादा नजदीक महसूस करते हैं। यहां के हिंदू भी मुसलमानों के प्रार्थना स्थलों पर जाते हैं।