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01 अगस्त 2015

चार साल के बच्चे को ISIS आतंकी ने थमा दी तलवार, कहा-मां का सिर काट डालो

हामो उन हजारों यजीदी बच्चों में से एक है, जिन्हें आईएसआईएस कैंप में आतंकी ट्रेनिंग दी जा रही है। (तस्वीर हामो की नहीं है।)
हामो उन हजारों यजीदी बच्चों में से एक है, जिन्हें आईएसआईएस कैंप में आतंकी ट्रेनिंग दी जा रही है। (तस्वीर हामो की नहीं है।)
बेरूत। इराक की एक यजीदी महिला ने आतंकी संगठन आईएसआईएस की क्रूरता की नई कहानी सुनाई है। महिला ने बताया कि आतंकी उसके चार साल के बच्चे को ट्रेनिंग कैंप में ले गए। यहां उसे जबरन अरबी भाषा के अलावा कुरान और शरीयत की तालीम दी। इसके अलावा, हथियार चलाना भी सिखाया। हद तो तब हो गई जब आतंकियों ने उसके बेटे को तलवार देकर अपनी ही मां का सिर काटने के लिए कहा।
चार महीने बाद चंगुल से भागी
महिला का नाम बोहर (काल्पनिक नाम) है और वह उत्तरी इराक के दोहुक में एक रिफ्यूजी कैंप में रह रही है। ब्रिटिश वेबसाइट मेल ऑनलाइन को दिए इंटरव्यू में 35 साल की बोहर ने बताया कि उसके बेटे हामो (काल्पनिक नाम) और उसके तीन भाई-बहनों को पिछले साल अगस्त में सिंजार पर्वत से बंधक बनाया गया था। इन्हें 2000 यजीदियों के साथ बादुश और तल-अफर के बीच जेलों में बंधक बनाकर रखा गया था। चार महीने की यातना के बाद बोहर अपने बेटे के साथ आतंकियों की कैद से भागने में कामयाब रही।
क्या बताया महिला ने
महिला ने बताया, "मेरे बच्चे को कुरान पढ़ना और अरबी बोलना सिखाया गया। यह भी बताया गया कि तलवार कैसे चलाते हैं। आतंकी कहते थे कि हमें काफिरों के खिलाफ लड़ना है। एक बार आतंकी ने मेरे बेटे के हाथ में तलवार देकर कहा कि तुम्हे अपनी मां का सिर काटना है।" उसने बताया, ''बादुश जेल में उन्होंने हामो के दो बड़े भाई और एक बहन को भी बंधक बनाया था। बाद में वे उन्हें सीरिया ले गए। कुछ दोस्तों ने बताया कि आतंकी उन्हें रक्का ले गए हैं। मुझे उम्मीद है कि वे जिंदा होंगे।"
जेल के कड़वे अनुभव
बोहर ने बताया, "तल-अफर जेल का अनुभव सबसे खराब था। आतंकी वाटर टैंक में पेशाब मिला देते थे और खाने के लिए घास देते थे। अगस्त में गठबंधन सेना के हवाई हमले के दौरान हालात और भी खराब हो गए। वे हमें बुरी तरह मारते थे, खासकर जब वो आसमान में अमेरिकी फाइटर जेट्स देखते थे।" आतंकी उनके खाने में मॉर्फीन मिला देते थे, ताकि वे नशे में रहें और भाग न सकें। भागने और मोबाइल के इस्तेमाल की कोशिश करने वालों को मार डाला जाता था।

याकूब की फांसी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार का इस्तीफा




फाइल फोटो- सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार प्रो. अनूप सुरेंद्रनाथ।
फाइल फोटो- सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार प्रो. अनूप सुरेंद्रनाथ।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार (रिसर्च) अनूप सुरेंद्रनाथ ने याकूब को फांसी दिए जाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। अनूप सुरेंद्रनाथ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं। अनूप सुरेंद्रनाथ ने 29 तारीख की रात के वक्त को सुप्रीम कोर्ट के इतिहास के 'अंधकारमय घंटे' करार दिया है। हालांकि इस्तीफे के पीछे उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया है। अनूप सुरेंद्रनाथ कॉन्ट्रेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर काम कर रहे थे। इसके साथ ही वे याकूब का केस भी लड़ रहे थे।
गौरतलब है कि याकूब की फांसी पर आखिरी फैसला लेने के लिए देश के इतिहास में पहली बार रात साढ़े तीन बजे सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच ने दया याचिका खारिज किए जाने का फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार का इस्तीफा इसी के विरोध में बताया जा रहा है।

क़ुरआन का सन्देश

  
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