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03 अगस्त 2015

किचन और WIFI से लैस लग्जरी बस, 1km के लिए खर्च करने होंगे 50 रुपए

टूरिस्ट तमाम सुविधाओं का ख्याल इस लक्जरी वैन में रखा गया है। वैन के भीतर का नजारा स्वीटहोम जैसा है।(बांए)
टूरिस्ट तमाम सुविधाओं का ख्याल इस लक्जरी वैन में रखा गया है। वैन के भीतर का नजारा स्वीटहोम जैसा है।(बांए)
इंदौर. मप्र पर्यटन राज्य पर्यटन विकास निगम ने पर्यटकों की सुविधा के लिए नई कैरावैन शुरू की गई है। इसी सप्ताह यह गाड़ी इंदौर पहुंची है। इसमें 8 लोगों के सोने की व्यवस्था, दो एलईडी टीवी, सेंट्रल एसी के साथ दो अलग से एसी भी लगाए गए हैं। सोलर पैनल, वाई-फाई, बच्चों के लिए वीडियोगेम, इलेक्ट्रानिक सेफ्टी लॉकर की सुविधा भी है। पर्ययकों को इसमें सफर करने के लिए 50 रुपए प्रति किलोमीटर किराया लगेगा।
पर्यटन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल सक्सेना ने बताया कि निगम के पास पर्यटकों के लिए पहले से एक कैरावैन है, लेकिन इसमें छह लोग ही सफर कर सकते हैं और चार लोगों के सोने की सुविधा है। इसलिए ज्यादा सुविधाओं के साथ नई कैरावैन शुरू की गई है। इसमें ज्यादा जगह होने के साथ ही बड़ा वॉशरूम भी है। इस गाड़ी में बाहर की ओर निकलने वाला किचन स्टैंड है, जिस पर पर्यटक मनपसंद खाना भी पका सकते हैं।
राजबाड़ा में लाइट एंड साउंड शो इसी माह
राजबाड़ा में लाइट एंड साउंड शो इसी माह शुरु हो सकता है। इसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सक्सेना ने बताया कि जो परेशानियां हैं, उनका भी जल्द निराकरण हो जाएगा।
मांडू फेयर 16 से 18 अगस्त तक
पर्यटन वर्ष के तहत 16 से 18 अगस्त तक मांडू में मांडू फेयर का आयोजन होगा। इसमें राष्ट्रीय स्तर के चित्रकार आएंगे और पेटिंग बनाएंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। इसी माह से मांडू और महेश्वर में टूरिस्ट पुलिस की सेवा भी शुरू की जाएगी। यह सेवा हाल ही में पचमढ़ी में शुरू की गई है। वहीं पर्यटन निगम सैलानी टापू पर प्रदेश में पहली बार बैंबू हट बनाने जा रहा है, जहां पर्यटक ठहर सकेंगे।
प्रदेश में पर्यटकों के लिए अच्छी खबर। अब उन्हें इंदौर सहित प्रदेश के कुछ खास शहरों के पर्यटन स्थलों को जानने में दिक्कत नहीं होगी। क्योंकि एक मोबाइल नंबर पर ही संबंधित शहर के पर्यटन स्थलों और उनकी जानकारी मिल जाएगी। इसके लिए मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (एमपीएसटीडीसी) ने ऑडियो गाइड सेवा शुरू की है। इसमें प्रदेश के 9 शहरों इंदौर सहित उज्जैन, मांडू, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, खजूराहो, ओरछा, बुरहानपुर को शामिल किया है। इंदौर के 20 से ज्यादा लालबाग, राजबाड़ा, छत्रियां, फूटी कोठी, गीताभवन, पंढरीनाथ, गोमटगिरी, गांधी हाल, संग्रहालय, कांच मंदिर, बड़ा गणपति मंदिर, खजराना मंदिर सहित अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थल शामिल हैं। पर्यटक मोबाइल नंबर- 9993330003 डायल करने के बाद पर्यटन स्थल पर लिखे कोड को डायल करेंगे तो संबंधित स्थल की सारी जानकारी मिल जाएगी।

देश में पहली बार हुई मशीन से बारिश कराने की कोशिश, पर नहीं मिली कामयाबी

आर्टिफिशियल रेन के लिए रॉकेट के जरिए छोड़ी गई ड्राय आइस।
आर्टिफिशियल रेन के लिए रॉकेट के जरिए छोड़ी गई ड्राय आइस।
पुणे. पिछले कुछ सालों से सूखे और कम बारिश का कहर झेल रहे महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में आर्टिफिशियल रेनिंग (कृत्रिम बारिश) कराने की पहली कोशिश फेल हो गई है। सोमवार सुबह नासिक जिले की येवला तहसील में आर्टिफिशियल रेन प्रॉसेस शुरू की गई थी। ड्राय आइस से लोडेड कुल पांच रॉकेट छोड़े गए। इनमें से तीन फेल हो गए। दो रॉकेट सक्सेसफुल जरूर रहे, लेकिन इसके बाद भी जब दोपहर 12 बजे तक बारिश नहीं हुई तो एडमिनिस्ट्रेशन ने मान लिया कि यह कोशिश कामयाब नहीं हो पाई। बता दें कि आर्टिफिशियल रेनिंग की कोशिश करने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है। यहां विदर्भ और नॉर्थ महाराष्ट्र में किसान सूखे के कारण खुदकुशी कर चुके हैं।
नासिक और औरंगाबाद में कोशिश
नासिक के साथ ही औरंगाबाद में भी आर्टिफिशियल रेनिंग के लिए 4 किंग एयरबी-200 प्लेन मंगाए गए हैं। इनके अलावा, क्लाउड एनालिसिस के लिए सी-बैंड डॉप्लर रडार भी अमेरिका से मंगलवार को यहां पहुंच जाएगा। जिन रॉकेट्स को हवा में छोड़ा गया, उनमें ड्राय आइस था। यह ड्राय आइस एटमॉस्फियर में घुलकर क्लाउड सीडिंग करता है। औरंगाबाद के कमिश्नर डॉक्टर उमाकांत दांगट के मुताबिक, औरंगाबाद में आर्टिफिशियल रेन के लिए कोशिश मंगलवार को की जाएगी। डॉप्लर रडार का वजन 1500 किलोग्राम है। इसे कमिश्नर ऑफिस की छत पर इन्स्टॉल किया जाएगा और यहीं इसका कंट्रोल रूम भी बनाया जाने वाला है। आर्टिफिशियल रेनिंग के लिए फॉरेन कंपनियों को हायर किया गया है। चीन में इसी तरह से बारिश कराई जाती रही है। आर्टिफिशियल रेनिंग में 50 से ज्यादा देश कामयाबी हासिल कर चुके हैं। 1946 में यह टेक्नोलॉजी सामने आई थी।
कैसे होती है क्लाउड सीडिंग से बारिश
क्लाउड सीडिंग के लिए एयरक्राफ्ट से सिल्वर आयोडीन (जिसे ड्राय आइस भी कहा जाता है) को बादलों के बीच स्प्रे किया जाता है। ये सिल्वर आयोडीन बादलों में मौजूद पानी की बूंदों को अपनी ओर अट्रैक्ट करती है। बादलों में पानी की जो बूंदें मौजूद रहती हैं, सिल्वर आयोडीन के टच में आने के बाद बड़ी ड्रॉप्स में बदल जाती है। बाद में यही ड्रॉप्स बारिश के रूप में जमीन पर गिरती हैं। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल काफी पहले से किया जाता रहा है, लेकिन इसे कभी भी 100 शत-प्रतिशत सफलता नहीं मिली। महाराष्ट्र में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है।
क्लाउड सीडिंग: सबसे पहले कब और कहां
साल 1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक विन्सेंट शेफर ने डीप फ्रीजर के जरिए इस टेक्नोलॉजी को इन्वेंट किया था। 1990 तक अमेरिका में इस टेक्नोलॉजी को खूब यूज किया गया। दावे यहां तक किए गए कि अमेरिका ने अपने यहां मानसून सीजन को बढ़ाने के लिए क्लाउड सीडिंग की मदद ली और वो उसमें सक्सेसफुल भी रहे। सवाल यह है कि अगर यह टेक्नोलॉजी इतनी ही कामयबा थी तो अमेरिका में कई बार और कई राज्यों में सूखे के हालात पैदा क्यों हुए? विन्सेंट शेफर ने खुद कभी यह दावा नहीं किया कि यह टेक्नोलॉजी 100 फीसदी सक्सेसफुल है लेकिन यह भी सही है कि अमेरिका ने इसका कई बार फायदा उठाया।
क्लाउड सीडिंग कितनी ऊंचाई पर
Silvar Iodide को बादलों तक पहुंचाने के लिए एयरक्राफ्ट, मिनी ब्लास्टिंग रॉकेट्स (Explosive Rockets) और बैलून्स का यूज किया जाता है। आमतौर पर उन बादलों की क्लाउड सीडिंग की जाती है जो जमीन से एक या दो किलोमीटर की ऊंचाई पर होते हैं। इन बादलों को निम्बस क्लाउड कहा जाता है और इनका कलर कुछ ब्राउनिश होता है।
सबसे ज्यादा यूज करते हैं चीन और इजराइल

साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक के पहले चीन ने क्लाउड सीडिंग तकनीक का यूज करके इस क्षेत्र में पहले ही बारिश करा ली ताकि बारिश की वजह से खेलों का मजा खराब न हो। जानकार मानते हैं कि बीजिंग में ड्रिंकिंग वॉटर की प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए भी चीन ने इसी टेक्नोलॉजी का यूज किया है। अगले पांच साल में चीन इस टेक्नोलॉजी का यूज 10 फीसदी बढ़ाने पर भी काम कर रहा है। इजराइल देश के कुछ खास हिस्सों में इस टेक्नोलॉजी का यूज ज्यादा करता है। रूस, साउथ अफ्रीका और सऊदी अरब भी इसका इस्तेमाल करते रहे हैं।
उठते रहे हैं सवाल

क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। एक साइंटिस्ट तारा प्रभाकरण का कहना है कि यह अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है लेकिन इस पर अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत है। इसके लिए जो केमिकल्स यूज किए जाते हैं वह एन्वॉयरमेंट के लिए खतरनाक साबित भी हो सकते हैं। प्रभाकरण का कहना है कि इंसान की वजह से ही वेदर चेंज हुआ है और अगर हम क्लाउड सीडिंग का ज्यादा यूज किया गया तो हो सकता है कि इसका नेचर पर रिवर्स इफेक्ट हो। प्रभाकरण का ये भी कहना है कि यह टेक्नोलॉजी काफी महंगी है और हमारे देश में इसका ज्यादा यूज नहीं किया जा सकता।

उर्दू बचाने के लिए प्रदेश भर में सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे

राजस्थान में स्टाफिंग पैटर्न के नियमों के खिलाफ जाकर गैर क़ानूनी तरीके से स्कूलों से उर्दू विषय खत्म करने की साज़िशों के खिलाफ राजस्थान के उर्दू हमदर्द ,,साहित्यकार ,,शिक्षक ,,,उर्दू से जुड़े लोगों सहित कई समाज सेवी संगठन उर्दू बचाने के लिए प्रदेश भर में सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे ,,,,,,,रविवार को इस मामले में तहरीके उर्दू राजस्थान के आह्वान पर जयपुर स्थित मोती डूंगरी रोड मुसाफिर खाने में बैठक में राजस्थान के दूरदराज़ इलाक़ों से पहुंचे सबी ज़िलों और कस्बों के पर्तीिनिधियों की बैठक में उर्दू के खिलाफ चल रही साज़िश को रोकने के लिए जागरूकता अभियान के साथ एक जंगी प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया ,,,,,,,,,रविवार को क़ाज़ी ऐ शहर कोटा अलहाज अनवार अहमद की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में तहरीके उर्दू से जुड़े लोगों की उपस्थिति में राजस्थान भर के सभी ज़िलों के पर्तीिनिधियों ने एक होकर सर्वसम्मत फैसले में कहा के स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर सरकार ने स्कूलों से उर्दू खत्म करने की जो गैर क़ानूनी साज़िश की है उन सभी स्कूलों में पूर्ववत उर्दू बहाल करने तक ,,,,नए प्रस्तावों के तहत स्कूलों में स्वीकृत बजट में उर्दू के अध्यापक नियुक्त करने तक यह आंदोलन जारी रहेगा ,,,कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ने सभी ज़िलों से आये उर्दू के हमदर्दों को सम्बोधित करते हुए कहा के उर्दू हिन्दुस्तान की ज़ुबान है ,,साहित्य की जुबां है ,,तहज़ीब की जुबां है और हमे ख़ुशी है के इस जुबां को बचाने के लिए ,,इस साहित्य को बचाने के लिए राजस्थान के सभी धर्म ,,मज़हब से जुड़े लोग जागरूक है बेदार है और हमारे मिश्म में मददगार बन रहे है ,,कोटा शहर क़ाज़ी ने ब्यौरा देते हुए कहा के हमे ख़ुशी है के सरकार के इस बेहूदा फैसले के खिलाफ सरकार के ही सांसद ,,विधायक परज़ोर खिलाफ है और वोह भी इस लड़ाई में हमारे साथ रहकर अपने तरीके से ,,,मर्यादित आचरण में सरकार में बैठे लोगों के समक्ष उर्दू खत्म करने के खिलाफ अपने खयालात इज़हार करते हुए उर्दू को यथावत रखने के लिए लिख चुके है ,,,,,कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ने कहा के उर्दू के हमदर्दों अपने अपने ज़मील को झिंझोड़ो ,,ज़रा अपने अंदर झाँक कर देखो अपनी तहज़ीब ,,अपने देश की इस जुबां को बचाने के लिए आज अगर हमने कुछ नहीं किया तो यह तहज़ीब यह संस्कृति तुम्हे कभी माफ़ नहीं करेगी ,,,कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ने कहा के सभी लोग अपने अपने ज़िलों ,,,क़स्बों में जाकर ज़रिये कलेक्टर ,,ज़रिये एस डी एम मुख्यमंत्री के नाम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर उर्दू के साथ सौतेला व्यवहार खत्म कर सभी स्कूलों में पूर्ववत उर्दू बहाल कर नए स्वीकत पदो पर नियुक्ति देने की मांग को लेकर ज्ञापन दिलवाए ,,,,,,,,,,,,,,,,,बैठक में धौलपुर ,जोधपुर ,,बीकानेर ,,जैसलमेर ,,भरतपुर ,,बाड़मेर ,,जयपुर ,,कोटा ,,बारां ,,बूंदी ,,झालावाड़ ,,टोंक ,,,,सवाईमाधोपुर ,,जालोर ,,,नागौर ,,पाली ,,अजमेर सहित सभी ज़िलों के प्रतिनिधि मौजूद थे जिन्होंने एक स्वर में सर्वसम्मति से तहरीके उर्दू राजस्थान के आह्वान पर किये जा रहे संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर साथ करने का वायदा किया ,,बैठक में आगामी दो हफ्ते बाद राजस्थान भर में हर ज़िले में सड़कों पर हज़ारो हज़ार की तादाद में उर्दू के हमदर्दों के प्रदर्शन की तैयारियों का भी जायज़ा लिए जो पहले जिलेवार होगा फिर प्रदेश स्तर पर जयपुर में विधानसभा को घेरने की तैयारी होगी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बैठक में पूर्व विधायक माहिर आज़ाद ,,,,नईमुद्दीन गुडु ,,,,शौकत कुरैशी ,,,श्रीमती खान ,,,अख्तर खान अकेला ,,हाफ़िज़ मंज़ूर ,,अनीस अंसारी ,, अमीन कायमखानी ,रफ़ीक़ बेलियम ,,नायब क़ाज़ी ज़ुबेर अहमद ,,,,रईस मवाब सहित कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे जबकि हाफ़िज़ हमीद ने बैठक का संचालन किया ,,,,,कार्यक्रम की व्यवस्था में मुज़फ्फर राहीन ,,ज़ाकिर रिज़वी ,,,समीउल्ला सहित कई साथियों का योगदान रहा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बैठक के बाद कोटा शहर क़ाज़ी के नेतृत्व के गठित टीम जयपुर में उर्दू अदब के शायरों ,,उर्दू जुबांन के हमदर्दों से भी मिले और उन्हें भी आंदोलन की रूपरेखा के बारे में बताया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दबाव का असर? UPA का ही लैंड बिल अपनाएगी सरकार, अपने बिल पर जोर नहीं


दबाव का असर? UPA का ही लैंड बिल अपनाएगी सरकार, अपने बिल पर जोर नहीं
 
नई दिल्ली. पार्लियामेंट में अपोजिशन के साथ जारी टकराव का असर मोदी सरकार की रणनीति पर भी पड़ता दिख रहा है। सरकार ने अब फैसला किया है कि वह यूपीए के वक्त के जमीन कानून में किए गए अपने बदलावों को वापस लेगी। यानी एनडीए सरकार अब यूपीए के ही लैंड बिल पर अागे बढ़ेगी। सरकार यूपीए के कानून में 6 बदलाव चाहती थी। लेकिन अब वह सभी 6 बदलाव वापस लेने पर राजी हो गई है। बता दें कि यह बिल अभी पार्लियामेंट की ज्वाइंट कमेटी के पास है।
एक साल से कैसे गरमाया मुद्दा?
यूपीए सरकार 2013 में नया लैंड एक्ट (राइट टु फेयर कम्पेनसेशन एंड ट्रांसपरेंसी इन लैंड एक्विजशन रीसेटलमेंट एंड रिहैबिलिटेशन एक्ट) लेकर आई। इसका मकसद था कि सिर्फ पब्लिक वेलफेयर वाले प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन ली जाए। ऐसा करते वक्त जमीन मालिकों को सही मुआवजा मिले। लेकिन 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद इसमें बदलाव की बात होने लगी। इस बिल को कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों ने किसान विरोधी करार दिया था। इस पर अब ज्वाइंट कमेटी विचार कर रही है। इसकी रिपोर्ट 3 दिन में आ सकती है।
अपने रुख से क्यों पलटी सरकार?
- इस मामले से जुड़े सूत्रों ने dainikbhaskar.com को बताया कि संसद में चल रहे हंगामे के कारण सरकार झुकने को राजी हुई है। सरकार को यह लग रहा है कि 3 दिन बाद अगर ज्वाइंट कमेटी की रिपोर्ट पेश होती है तो उस पर भी भारी हंगामा हो सकता है और बिल फिर टल सकता है।
- दूसरी वजह यह भी है कि कांग्रेस की अगुवाई में कई दल एनडीए सरकार के लाए बिल के विरोध में हैं। सरकार के लिए आम सहमति बनाना मुश्किल था।
- तीसरी वजह यह है कि सरकार अपने बिल को राज्यसभा में पास नहीं करा सकती। राज्यसभा में एनडीए के 62 सांसद ही हैं। जबकि अपोजिशन मेंबर्स 109 हैं।
- आखिरी वजह यह है कि यह लैंड बिल ज्वाइंट कमेटी के पास है जिसकी रिपोर्ट मानना सरकार के लिए जरूरी है। लिहाजा, सरकार रिपोर्ट पेश होने के बाद होने वाले डैमेज से बचना चाहती थी।
यूपीए और एनडीए के बिल में क्या था फर्क?
यूपीए का बनाया जमीन कानून एनडीए का लैंड बिल
प्राइवेट प्रोजेक्ट के लिए जमीन लेनी हो तो 80%, जबकि पीपीपी के लिए 70% लोगों की रजामंदी जरूरी। डिफेंस, रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर, सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए जमीन लेने पर किसी की रजामंदी जरूरी नहीं।
सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट करना जरूरी। ऊपर की कैटेगरी के लिए जमीन ली जाए तो असेसमेंट जरूरी नहीं। सरकार सिर्फ नोटिफिकेशन जारी करेगी।
खेती की जमीन नहीं ली जा सकती। खेती की जमीन जरूरी प्रायोरिटी वाले प्रोजेक्ट्स के लिए लीजा सकती है।
किसान कोर्ट जा सकता है। अगर जमीन 5 साल तक इस्तेमाल नहीं हुई, तो वह मालिक को लौटा दी जाएगी। कोर्ट जाने का हक नहीं, किसान का नोटिस माना नहीं जाएगा। जमीन का इस्तेमाल नहीं होने पर उसे कब लौटाना है, उसका वक्त प्रोजेक्ट शुरू करने के समय तय होगा।
राज्य अपने हिसाब से अलग-अलग कानून बना सकेंगे। राज्यों को अलग-अलग कानून की मंजूरी नहीं। एक ही सेंट्रल लॉ होगा। हालांकि बाद में एनडीए सरकार इस रुख पर पलटती दिखी थी।
जमीन कानून का पालन नहीं करने वाले अफसरों पर केस चलेगा। अगर प्राइवेट इंटिटी के मामले में जमीन कानून का पालन नहीं हुआ, तभी केस चलेगा।

दोस्तों उम्र एक सो एक साल ,,याददाश्त भरपूर जवानी की ,,पेशा असाध्य बिमारियों का हिकमत से इलाज ,खिदमत इस्लाम की इस्लाह ,,,बुराइयों से दूर रहने के संदेश

दोस्तों उम्र एक सो एक साल ,,याददाश्त भरपूर जवानी की ,,पेशा असाध्य बिमारियों का हिकमत से इलाज ,खिदमत इस्लाम की इस्लाह ,,,बुराइयों से दूर रहने के संदेश ,,,और इस्लामिक मसले मसाइलों पर इस्लामिक फैसले ,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ जयपुर में रह रहे मुफ्ती हकीम अहमद हसन खान की जो टोंक से जयपुर ऐसे आये के जयपुर के ही होकर रह गए ,,,इस्लाम के प्रति समर्पण ,,इस्लाम के बारे में एन्साइक्लोपीडिया कहे जाने वाले मुफ़्ती हकीम अहमद हसन खान साहब की सनद विश्वसनीय है ,,इनकी उस्तादी का सिलसिला इकीसवें नंबर पर हुज़ूर स अ व तक पहुंचता है ,,यही वजह है के मुफ्ती अहमद हसन खान साहब हिन्दुस्तान के उन गिनती के मुफ्तियों में से है जिनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान और विश्वसनीयता है ,,,,,,,मुफ़्ती अहमद हसन खान साहब के पास आज भी पुरे विश्व के अलग अलग मुल्कों से फोन आते है और वोह कॉन्फ्रेंस पर मुफ़्ती साहब से कलाम सुनते है ,,सिलसिले सुनते है और इस्लाम के बारे में सवालात के जवाब लेते है ,,,,,मुफ़्ती अहमद हसन खान का जन्म टोंक में जनवरी उन्नीस सो चोवदाह में हुआ और टोंक रियासत में ही इन्होने शिक्षा ग्रहण की ,,इस्लामिक तालीम के साथ साथ दुनियावी तालीम और सभी ज़ुबानों की तालीम इन्होने हासिल की ,,अरबी ,,फ़ारसी ,,उर्दू ,,इंग्लिश ,,,संस्कृत जैसी सभी आम फहम ज़ुबानों में आप मास्टर हो गए ,,,इस्लामिक मोलवी के कोर्स के बाद ,,आप ने मुफ़्ती की डिग्री ली और टोंक स्टेट में महकमा ऐ ख़ास में फौजदारी मामलों के फैसलों के लिए इन्हे जज नियुक्त किया गया ,,,काफी वक़्त तक इनके ईमानदाराना फैसलों ने लोगों को हक़ दिलवाया ,,इंसाफ दिलवाया ,,बाद में मुफ्ती अहमद हसन फौजदारी मामलों के साथ साथ दीवानी मामलों के भी इस्लामिक क़ानून और दूसरे क़ानूनो के तहत फैसले देने लगे ,,,देश आज़ाद हुआ ,,,देश की आज़ादी के बाद टोंक से इन्हे कमिश्नर साहब जयपुर ले गए वहा जाकर कमिश्नरेट में होने वाले फैसलों में इनकी मदद ली जाने लगी ,, मुफ्ती अहमद हसन साहब हिकमत का कोर्स कर चुके थे अल्लाह ने इनकी बताई हुई दवा में शिफ़ा पैदा कर रखी थी और मरीज़ चाहे जैसी बीमारी हो ठीक होने लगे ,,,लोगों की भीड़ इलाज के लिए उमड़ने लगी ,,लिहाजा मुफ्ती अहमद हसन खान साहब ने एक वक़्त इबादत और इस्लामिक शिक्षा के लिए मुक़र्रर किया ,,,,और बाक़ी वक़्त हिकमत से इलाज के ज़रिये लोगों की खिदमत में लग गए ,,इनकी क़ाबलियत ,,इनके फैसले ,,इस्लाम के तजुर्बे और जानकारियों का फायदा उठाने के लिए देश विदेश के हज़ारो हज़ार आलिम ,,रिसर्च स्कॉलर इनके पास आने लगे ,,खुद मुफ़्ती अहमद हसन साहब की सनद फतवा तीन जिल्दों में प्रकाशित हुई है जिसमे खुसूसी मामलों में फतवे की रौशनी से लोगों को समझाने का एक कामयाब प्रयास है ,,,,आज भी मुफ़्ती अहमद हैं एक सो एक साल से भी ज़्यादा के होने के बाद भी अपनी दिन चर्या यथावत रखे हुए है ,,वोह इबादत करते है ,,,,,टेलीफोन पर कॉन्फ्रेंस के ज़रिये देश विदेश से उनके पास आने वाले कॉल का जवाब देते है ,,इस्लामिक मसलों को सुलझाते है ,,इनका सिलसिला उस्तादी में सनद के बतौर सबसे कम संख्या पर हुज़ूर स अ व तक जाता है और इसीलिए इन मुफ़्ती अहमद हसन साहब की खुसुसियात और बढ़ जाती है ,,,,,कल दो अगस्त रविवार को कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ,,नायब क़ाज़ी ज़ुबेर अहमद के साथ हम उर्दू के खिलाफ साज़िश को रोकने की कोशिशों के लिए जयपुर पहुंचे थे जब इन मुफ़्ती साहब का ज़िक्र आया तो इनसे मिले बगैर आना ना मुमकिन सा था ,,बस क़ाज़ी ऐ शहर अनवर अहमद ,,नायब क़ाज़ी ज़ुबेर अहमद ,,,,इंजीनियर खलील अहमद ,,,हाजी मुनव्वर खान ,,,एडवोकेट नजीमुद्दीन सिद्दीक़ी ने चार दरवाज़े क्षेत्र में इनके निवास का रुख किया और इनसे मुलाक़ात के बाद मुफ्ती अहमद खान साहब की जो खुसूसियत जानने को मिली चंद लाइने इनके सम्मान में लिखने के लिए क़लम बेताब हो गयी ,,वैसे भी मुफ़्ती अहमद खान साहब का ताल्लुक़ मेरे अज़ीज़ ससुराल टोंक से थो सो फिर में और इनके हक़ में सच्चाई लिखने को बेताब हुआ ,,मुफ़्ती अहमद खान साहब के बारे में कुछ भी लिखना सूरज को दिया दिखाने के बराबर है ,,,लेकिन फिर भी चंद अल्फ़ाज़ों में इनकी खुसूसियात बताने की गुस्ताखी की है ,,अल्लाह मुफ़्ती अहमद खान साहब को लम्बी उम्र दराज़ी के साथ सह्त्याब रखे और इनके इल्म की रौशनी से इस्लाम रोशन होता रहे ,,,,,,,आमीन सुम्मा आमीन ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क़ुरआन का सन्देश

  
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