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04 अगस्त 2015

एजुकेशन मिनिस्टर की पत्नी की जगह दूसरी महिला दे रही थी एग्जाम, सेंटर से फरार

फाइल फोटो: मंत्री केदार कश्यप और उनकी पत्नी शांति कश्यप।
फाइल फोटो: मंत्री केदार कश्यप और उनकी पत्नी शांति कश्यप।
रायपुर/जगदलपुर। छत्तीसगढ़ ओपन यूनिवर्सिटी की परीक्षा में स्कूल एजुकेशन मिनिस्टर केदार कश्यप की पत्नी की जगह दूसरी महिला के बैठने का मामला सामने आया है। मंगलवार को बस्तर जिले के लौहण्डीगुड़ा ब्लॉक में ओपन यूनिवर्सिटी का एग्जाम हुआ। परीक्षा में स्कूल शिक्षा मंत्री की पत्नी शांति कश्यप शामिल होने वाली थीं, लेकिन एग्जाम सेंटर पर उनकी जगह दूसरी महिला परीक्षा देती पाई गईं। एग्जाम कंडक्ट करा रहे अफसरों ने भी इस बात की पुष्टि की है। हालांकि, मंत्री ने मामले की जानकारी होने से इनकार किया है।
क्या है मामला?
शिक्षा मंत्री की पत्नी ने सुन्दरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी की एमए फाइनल की परीक्षा के लिए एनरोल कराया था। मंगलवार को एग्जाम सेंटर में उनकी जगह कोई दूसरी महिला परीक्षा दे रही थी। एग्जाम सेंटर पर कुछ जर्नलिस्ट भी पहुंचे थे। उन्हें देखते ही महिला अपनी सीट से उठकर भाग गई। उसके भागते ही एग्जाम सुप्रिटेंडेंट अरन खरपड़े को शक हुआ। उन्होंने रोल नंबर की जांच की। पता चला कि यह रोल नंबर स्कूल एजुकेशन मिनिस्टर केदार कश्यप की पत्नी शांति कश्यप का है। सुप्रिटेंडेंट ने बताया कि शिक्षा मंत्री की पत्नी के अलावा सास भी ओपन यूनिवर्सिटी के एमए फाइनल की एग्जाम में शामिल हुई थीं। मंगलवार को हुई परीक्षा में कश्यप की सास ने तो पेपर दिया, लेकिन उनकी पत्नी की जगह दूसरी महिला एग्जाम दे रही थी। खरपड़े के मुताबिक, घटना की जानकारी यूनिवर्सिटी प्रशासन को दे दी गई है।
कांग्रेस ने मांगा इस्तीफा
कांग्रेस नेता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का माखौल उड़ाया जा रहा है। शिक्षा मंत्री की पत्नी ही ऐसा करे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव और पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने शिक्षा मंत्री को बर्खास्त किए जाने की मांग की।

गैर पोर्न साइट्स से ही हटेगा बैन, ब्लू फिल्म-चाइल्ड पोर्न पर लगी रहेगी बंदिश

गैर पोर्न साइट्स से ही हटेगा बैन, ब्लू फिल्म-चाइल्ड पोर्न पर लगी रहेगी बंदिश
नई दिल्ली: पोर्न परोसने के आरोप में 850 से ज्यादा साइट्स पर लगाए गए बैन के फैसले में केंद्र सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं। सरकार ने गैर पोर्न साइट्स से बैन हटाने का फैसला किया है। दरअसल, सरकार की इस बैन के दायरे में कुछ डेटिंग, ह्यूमर और टॉरंट साइट्स भी आ गई थीं। फ्रेंच मीडिया ने रिपोर्ट किया कि ब्लॉक की गई साइट्स में अखबार Le Dauphine की वेबसाइट भी शामिल है। इनसे ही बैन हटाने का फैसला किया गया है। हालांकि, ब्लू फिल्मों और चाइल्ड पोर्न परोसने वाली साइट्स पर बंदिश लगी रहेगी। वहीं, अधिकारियों ने कहा कि बैन एक टेंपररी कदम है। यह सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में फाइनल आदेश न आने तक जारी रहेगा।
बिना होमवर्क किए ब्लॉक किए साइट्स
बीते हफ्ते सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइट्स को कुछ साइट्स की लिस्ट सौंपते हुए उन्हें ब्लॉक करने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने इस मामले में बिना होमवर्क किए उन साइट्स की लिस्ट ब्लॉक करने के लिए दे दी, जिनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने याचिका लगाई हुई थी। अब सरकार फिर से उन साइट्स की लिस्ट तैयार कर रही है, जिन पर बैन जारी रहेगा।
हुई हाईलेवल मीटिंग
टेलिकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को एक हाई लेवल मीटिंग की। इसमें आईटी सेक्रेटरी आरएस शर्मा और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद भी शामिल थे। रविशंकर प्रसाद के मुताबिक, मीटिंग में फैसला लिया गया कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइट्स से तुरंत कहा जाएगा कि वे उन साइट्स से बैन हटाएं जो पोर्नोग्राफिक और खास तौर पर चाइल्ड पोर्न नहीं परोसते। सरकार के बैन के फैसले पर प्रसाद ने कहा, ''सरकार ने तत्काल बैन का फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरा करने के लिए लिया था। इसमें कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा मुहैया कराई गई कथित पोर्न साइट्स के खिलाफ टेलिकॉम डिपार्टमेंट कार्रवाई करे।'' प्रसाद ने कहा कि सरकार इंटरनेट पर फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की हिमायती है।
क्या है मामला
भारत में 850 से ज्यादा पोर्न वेबसाइट्स ब्लॉक कर दी गईं। इन साइट्स को एक्सेस करने की कोशिश करने पर “Your requested URL has been blocked as per the directions received from Department of Telecommunications, Government of India. Please contact administrator for more information.” का मैसेज देखने को मिला। इसके बाद, सोशल मीडिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सरकार के फैसले की आलोचना की।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का कमेंट
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्रफी रोकने में गृह मंत्रालय के नाकाम रहने पर कमेंट किया था। टेलिकॉम डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस कमेंट के बाद जरूरी हो गया था कि एडल्ट कंटेंट रखने वाली साइटों पर लगाम लगाई जाए। सूत्रों ने कहा, ''यह ऑर्डर आईटी एक्‍ट के आर्टिकल 19(2) के तहत जारी हुआ है। इसके मुताबिक सरकार के पास शालीनता और नैतिकता बनाए रखने के लिए बैन लगाने का अधिकार है।'' हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक दूसरे कमेंट में पोर्न साइटों पर बैन लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि कोई किसी को बंद कमरे में पोर्न देखने से कैसे रोक सकता है?
इन पांच कारणों से पोर्न पर कंप्लीट बैन नामुमकिन
>साइबर एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पोर्न साइट्स पर बैन इसलिए नामुमकिन है, क्योंकि इससे जुड़े सभी सर्वरों को ब्लॉक नहीं किया जा सकता।
>इंटरनेट पर पोर्न कंटेंट परोसने वाली लाखों वेबसाइट्स हैं। सरकार ने अभी तक सिर्फ 850 साइट्स पर बैन लगाया है। ऐसे में जिसे पोर्न कंटेंट चाहिए, वो गूगल से सर्च करके इसे हासिल कर सकता है।
>ब्लॉक साइट्स को प्रॉक्सी सर्वरों के जरिए एक्सेस करना मुमकिन है। ऐसी कई साइट्स हैं, जो वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए इन साइट्स का एक्सेस देती हैं।
>वेबसाइट्स के कंटेंट फिल्टरिंग की सही व्यवस्था नहीं है। यानी पोर्न वेबसाइट्स चाहें तो एक मिरर साइट क्रिएट करके या अपने नाम में थोड़ा बहुत फेरबदल करके ये चीजें परोस सकती हैं। इसके अलावा, बैन तभी तक अच्छे से लागू रह सकता है, जब यह कीवर्ड बेस्ट हो या कंटेंट पर पूरी तरह नजर रखी जाए। यह प्रक्रिया बेहद महंगी है और इसे मेंटेन करना आसान नहीं है।
>वेबसाइट्स ब्लॉक करके पोर्न को नहीं रोका जा सकता। लोग टॉरंट साइट्स के जरिए इन्हें डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा, मार्केट में यह डीवीडी, सीडी के तौर पर भी मुहैया है।

अनुशासन नियमों का सख्ती से पालना करे तो अधिकतम नगरपालिका के चुनाव जीते जा सकते है ,,

राजस्थान नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस अगर अनुशासन नियमों का सख्ती से पालना करे तो अधिकतम नगरपालिका के चुनाव जीते जा सकते है ,,,,,बुधवार नगरपालिका प्रत्याक्षियों के आवेदन और चयन का अंतिम दिन है ,,,लेकिन पार्टी हाईकमान द्वारा सभी सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद जो नाम तय किये है वोह स्थानीय कथित पार्टी के नाम पर मज़े करने वाले नेताओं को समझ नही आ रहे है ,,और यह नेता जो पार्टी के टिकिटों पर चुनाव लड़ चुके है या फिर सत्ता पक्ष में पार्टी के पदाधिकारी बनकर चाशनी पीते रहे है यह सब लोग आपसी गुटबाज़ी में सीधे और अप्रत्यक्ष तोर पर पार्टी के ऑब्ज़र्वर ,,प्रभारी नेताओ के समक्ष नतीजे भुगतने की धमकिया देते देखे गए ,,इससे साफ़ है के पार्टी के इन नेताओं को संगठन और संगठन के वरिष्ठ नेताओ के निर्देशो से कोई लेना देना नहीं यह तो खुद को पार्टी से बढ़ा समझ कर ऐसी धमकिया देते देखे जा रहे है ,,कांग्रेस पार्टी अगर ऐसे नेताओं की गतिविधियों पर नज़र रखे ,,और यह लोग अगर पार्टी के टिकिट पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याक्षियों का सहयोग करते नज़र नहीं आये ,,विरोध करते नज़र आये ,,या फिर खुद को चुनाव प्रचार से अलग रखकर देखे तो ऐसे पार्टी के पदाधिकारियों को पर्यवेक्षक रिपोर्ट लेकर बाहर का स्थाई रास्ता दिखाना होगा तब कहीं पार्टी मज़बूत हो सकेगी ,,,अगर पार्टी ने इस तरह के अनुशासन मर्यादाओं का मज़बूती से पालन किया तो रामगंजमंडी ,,इटावा नगर पालिका ही नहीं कांग्रेस पुरे राज्य की अधिकतम नगरपालिकाएं जीत कर आएगी ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क़ुरान का सन्देश

  
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