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05 अगस्त 2015

अमृतसर के गूंगे-बहरे दंपति का दावा, गलती से पाकिस्तान गई गीता हमारी बेटी

गीता के माता-पिता होने का दावा करने वाला दंपति उसकी बचपन की फोटो दिखाते हुए।
गीता के माता-पिता होने का दावा करने वाला दंपति उसकी बचपन की फोटो दिखाते हुए।
कराची/अमृतसर। फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ की कहानी गीता की जिंदगी में टर्निंग प्वाइंट साबित हुई है। उसे भारत लाने की कवायद के बीच अमृतसर की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गूंगे-बहरे दंपती ने दावा किया है कि वह उनकी बेटी पूजा है। यह परिवार रीगो ब्रिज के पास रहता है। इनके तीन लड़के और दो लड़कियां हैं। बेटे राजू ने बताया कि मां-बाप कूड़ा बीनने और हम भाई-बहन भीख मांगने का काम करते हैं। पूजा भी भीख मांगा करती थी। इसी दौरान शायद स्टेशन के जरिए अटारी बार्डर पर पहुंची और सरहद पार चली गई। टीवी पर जब गीता का फोटो देखा तो लगा कि वह पूजा है। यह परिवार बिहार का है। 25 साल पहले रोजी-रोटी की तलाश में अमृतसर आया था ।
रोजे भी रखती है गीता
धार्मिक तौर पर वो हिंदू है। उसनेे अपने कमरे में देवी-देवताओं की फोटो लगा रखी है। वह दिन में पांच बार पूजा करती है। उसे सिर्फ 193 नंबर याद है। और यह मालूम है कि उसके सात भाई-बहन भी हैं। वह हिंदी लिखना भी जानती है। वो शाकाहारी है और रमजान के समय रोजा भी रखती है।
सरबजीत का परिवार गोद लेने के लिए तैयार
सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने गीता को आश्रय देने वाले ईदी फाउंडेशन से भी संपर्क किया है। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी उसे गोद लेने की इजाजत मांगी है। नायब तहसीलदार बनी सरबजीत की बड़ी बेटी स्वपनदीप का कहना है कि हमारा परिवार गीता को अपनाने को तैयार है। गीता तीसरी बहन की तरह रहेगी। बहन दलबीर कौर ने कहा, सरकार उसके परिवार की तलाश जारी रखे। जब तक परिवार नहीं मिल जाता है तब तक वह लोग उसे रखेंगे। अगर परिवार नहीं भी मिलता है तो वह हमेशा उनके पास रहेगी।

हंसता हुआ बोला पाकिस्तानी आतंकी उस्मान- तार


जम्मू. जम्मू-कश्मीर में बुधवार को बीएसएफ के काफिले पर हमला करने वाले तीन आतंकियों में से एक को जिंदा पकड़ा गया है। दो को सुरक्षाकर्मियों ने ढेर कर दिया। तीसरे आतंकी को उन्‍हीं लोगों ने दबोचा जिन्‍हें आतंकियों ने बंधक बना रखा था। इस हमले में बीएसएफ के दो जवान शहीद हो गए। फायरिंग चार घंटे से ज्यादा चली। 2008 में मुंबई हमले के दौरान अजमल आमिर कसाब के पकड़े जाने के सात साल बाद पहली बार कोई आतंकी जिंदा दबोचा गया है। पकड़े गए आतंकी के तीन नाम सामने आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक उसका नाम कासिम खान उर्फ उस्मान उर्फ मोहम्मद नावेद है। वह पाकिस्तान के फैसलाबाद के गुलाम मुस्तफाबाद का रहने वाला है। पकड़े जाने के बाद उस्मान का एक वीडियो सामने आया। इसमें वह हंसता हुआ नजर आ रहा है। उसने कहा, 'तार काटकर जंगल के रास्ते यहां (भारत में) आया। मुझे काम के पैसे नहीं मिलते।'
हमला कैसे और कब हुआ?
- बुधवार सुबह जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे से गुजर रहे बीएसएफ के काफिले को आतंकियों ने उधमपुर से 10 किलोमीटर दूर नरसू इलाके में निशाना बनाया।
- पहले से घात लगा कर बैठे आतंकियों ने पहले बस के टायर पर गोली मारी। जब तक बीएसएफ के जवान कुछ समझ पाते, उससे पहले आतंकियोंं ने फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों की ओर से ग्रेनेड भी फेंके गए।
- आतंकी बस के अंदर घुसकर बीएसएफ के सभी जवानों को बंधक बनाना चाहते थे। लेकिन बीएसएफ के जवानों ने जवाबी फायरिंग की।
- दो आतंकियों को मार गिराया गया। क्रॉस फायरिंग में बीएसएफ के भी दो जवान शहीद हो गए।
- इसी बीच, एक आतंकी उस्मान ने एक गांव मे 5 लोगों देशराज, सुभाष शर्मा, जीवन, विक्रमजीत और राकेश को बंधक बना लिया।
- देशराज, सुभाष और जीवन बच निकले। लेकिन आतंकी ने विक्रमजीत और राकेश को धमकाकर कहा कि वह उसे बच निकलने का रास्ता बताएं। वह उन्हें जंगल की तरफ ले गया।
- लेकिन विक्रमजीत और राकेश आतंकी पर भारी पड़ गए। विक्रमजीत ने आतंकी की गर्दन पकड़ ली और राकेश ने बंदूक छीन ली। आतंकी ने फायर किया। गोली दोनों को छूकर निकली। इसके बाद आतंकी को पकड़ लिया गया। बाद में बीएसएफ पहुंची और आतंकी को पुलिस के हवाले किया गया। विक्रमजीत और राकेश जीजा-साले बताए जा रहे हैं।

शुरुआती जांच में क्या हुए चौंकाने वाले खुलासे?
- उस्मान ने खुद बताया है कि उसने 12 दिन पहले भारत में घुसपैठ की थी। उसने हंसते हुए कहा है कि वह तार काटकर जंगल के रास्ते यहां आया।
- गांव वालों का कहना है कि आतंकी ट्रक में आया था।
- जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले लोग इन आतंकियों के निशाने पर थे।
- डिफेंस सोर्सेस के मुताबिक, ये आतंकी गुरदासपुर हमले को अंजाम देने आए टेररिस्ट के साथ ही आए थे।
कौन थे निशाने पर?
पुलिस का कहना है कि आतंकियों के निशाने पर अमरनाथ जाने वाले श्रद्धालु थे। बीएसएफ की बस के ठीक पीछे अमरनाथ यात्रियों का एक जत्था आने वाला था। इस हमले के चलते भगवती नगर से निकले अमरनाथ यात्रियों के जत्थे को उधमपुर में ही रोक दिया गया। जम्मू-श्रीनगर हाईवे को दोनों तरफ से बंद कर दिया गया है। हालांकि, होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने कहा है कि इस हमले को अमरनाथ यात्रियों पर हमले से जोड़ कर न देखा जाए। बता दें कि पिछले दिनों गुरदासपुर में हुए आतंकी हमले में भी कटरा जाने वाली बस को निशाना बनाया गया था। उस हमले में भी आतंकियों के निशाने पर अमरनाथ यात्रा थी।
कहां से आए थे आतंकी?
सूत्रों का कहना है कि ये पंजाब के गुरदासपुर में हमला करने वाले आतंकियों के साथ आए थे। ये सभी पुंछ के रास्ते भारत की सीमा में 6 दिन पहले एक ट्रक में आए थे। सबसे पहले आतंकियों को देखने वाले वीडीसी सदस्यों ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि आतंकी समरोली इलाके में पहुंचने पर ट्रक से उतर गए और झाड़ियों में छिप गए थे। जैसे ही बीएसएफ की बस वहां पहुंची उन्होंने हमला कर दिया।
बीएसएफ के जवान ने कैसे दिखाई बहादुरी?

बीएसएफ के एक जवान ने गोली लगने के बाद भी आतंकी को मार गिराया। जब आतंकियों ने बीएसएफ की बस पर हमला किया तो उस समय बस के अंदर तैनात गार्ड को गोली लगी। लेकिन गोली लगने के बाद भी उसने आतंकी के सिर में गोली मार दी। आतंकी की मौके पर ही मौत हो गई।
आतंकी बार-बार बदल रहा है बयान
पकड़ा गया आतंकी बार-बार अपना बयान बदल रहा है। पहले उसने अपना नाम उस्मान बताया लेकिन बाद में मोहम्मद नावेद भी बताया। उसके दो भाई और एक बहन हैं। उसका एक भाई लेक्चरर है और एक कपड़े का कारोबार करता है। डीआईजी सुरेंद्र गुप्ता ने कहा, ''इलाके में ऑपरेशन पूरा हो चुका है। हमले में कितने आतंकी शामिल थे इस बात का पता लगाया जा रहा है।'' कहा जा रहा है कि जब जवानों ने दो आतंकियों को मार गिराया तो उसी दौरान बंधकों ने तीसरे आतंकी का हथियार छिन लिया। आम लोगों ने तुरंत इसकी जानकारी विलेज सिक्युरिटी कमेटी को दी और उसके बाद पुलिस और जवान पहुंचे।
पाकिस्तान के साथ होने वाली बातचीत में उठ सकता है यह मुद्दा
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले और आतंकी के जिंदा पकड़े जाने की जानकारी एनएसए अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी है। सूत्रों के मुताबिक, इसी महीने पाकिस्तान के साथ होने वाली एनएसए लेवल की बातचीत में भारत की ओर से यह मामला उठाया जा सकता है।
हॉस्पिटल में नहीं होने दिया आतंकी का पोस्टमॉर्टम

उधमपुर हाईवे पर मारे गए आतंकी का लोगों ने पोस्टमॉर्टम नहीं करने दिया गया। पुलिस जब चिन्नैनी के हॉस्पिटल में शव लेकर पहुंचीं तो लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। उसके बाद शव को उधमपुर के अस्पताल में ले जाया गया। लेकिन वहां पर भी लोगों ने प्रदर्शन किया।
EXPERT VIEW : आतंकी हमलों का बदल गया पैटर्न

डिफेंस एक्सपर्ट यूएस राठौर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने हमले का पैटर्न बदल लिया है। उन्होंने कहा, ''पहले आतंकी पीछे से छिप कर हमला करते थे लेकिन अब आतंकी सीधे हमला कर रहे हैं। जैसे आतंकियों ने आज बीएसएफ को निशाना बनाया है उससे लगता है कि वे अब सीधे टक्कर के मूड में हैं। अटैक करने के अंदाज से लगता है कि किसी नए आतंकी ग्रुप ने घाटी में दस्तक दी है।''
उमर अब्दुल्ला ने उठाए सवाल
जम्मू-कश्मीर में बीएसएफ के जवानों पर हमले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, ''लंबे समय बाद नेशनल हाईवे पर आतंकी हमला हुआ है। फिक्र इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि यह इलाका आतंकवाद से मुक्त था।''
दो दशक के बाद नेशनल हाईवे पर हमला

दो दशकों बाद आतंकियों ने नेशनल हाईवे पर किसी घटना को अंजाम दिया है। जम्मू में आतंकियों की पकड़ कमजोर होने के बाद यह इलाका पूरी तरह से आतंकवाद मुक्त हो गया था। खुफिया एजेंसियाें को इसी बात की फिक्र है कि आखिर आतंकी यहां कैसे पहुंचे? बता दें कि नब्बे के दशक में उधमपुर का यह इलाका आतंकियों के निशाना पर रहा है।
गांदरबल के स्कूल में ब्लॉस्ट, एक की मौत

उधमपुर में आतंकी हमले के बीच जम्म-कश्मीर के गंदेरबल में बुधवार दोपहर एक स्कूल में धमाका हुआ। इस ब्लॉस्ट में एक की मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए।

मध्यप्रदेश सरकार में एक सुचना आयुक्त आत्मदीप

सुचना का अधिकार जिसे विधिक रूप से प्राप्त करने के लिए आम आदमी से लेकर ,,समाजसेवी ,,पत्रकारों सहित हर वर्ग की क़ुरबानी की भूमिका रही है ,,आज देश भर में शो पीस के रूप में सुचना का अधिकार तो है लेकिन अगर ,,मगर ,,किन्तु ,,लेकिन परन्तु के भ्रमजाल में नौकरशाहों ने इस क़ानून और अधिकार को उलझा कर रख दिया है ,,लेकिन दोस्तों मध्यप्रदेश सरकार में एक सुचना आयुक्त आत्मदीप ऐसे है जिन्होंने इस क़ानून की आत्मा को समझा ,,जाना और वोह खुद स्वमेव जागरूकता कार्यक्रम चलाकर सुचना के अधिकार अधिनियम के हक़ को दिलाने के लिए घर घर दस्तक देकर पीड़ित लोगों को न्याय दे रहे है ,,,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ राजस्थान ,,खासकर कोटा संभाग में झालावाड़ ज़िले के सुनेल क़स्बे में एक सैद्धांतिक पिता के नुत्फे से जन्मे संवेदनशील आत्मा ,आत्मदीप की जो बाद में पत्रकारिता की दुनिया में निष्पक्ष ,,निर्भीक और खोजपूर्ण रिपोर्टिंग के कारण पत्रकारिता के सिरमौर हुएं ,,राजस्थान में कोई मुख्यमंत्री हो उनसे विनम्र मुस्कुराहट के साथ राजस्थान के पत्रकारों के हक़ के लिए संघर्ष आत्मदीप की पहचान रही है ,, राजस्थान में फिर हिन्दुस्तान में अखिलभारतीय स्तर पर पत्रकारों के हक़ के संघर्ष के लिए जार का गठन कर आत्मदीप जार के फाउंडर बने और जार एक अकेला पत्रकारों का ऐसा संगठन बना जो पत्रकारों के लिए मालिकों से संघर्ष कर उन्हें उनका हक़ दिलवाने के लिए संघर्षशील रहता इस संगठन को सरकार से कार्यालय भी उपलब्ध करवाया गया ,,, आत्मदीप और मेने दोनों ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत कोटा के दैनिक धरती करे पुकार अख़बार से की और इसी लिए इस धरती पर हर वर्ग ,,,हर समाज के लिए संघर्ष का निर्भीकता और निडरता से संघर्ष का जज़्बा पैदा हुआ ,,निर्भीक ,,,निष्पक्ष,, क़लम के अलम्बरदार बने ,,पिता का स्वभाव संघ से जुड़ा था इसलिए संघ के आदर्श ,,संघ का स्वाभिमान ,,संघ के सेवाभाव का जज़्बा ,,बुराई के खिलाफ संघर्ष की सीख ने आत्मदीप को तपाकर कुंदन बना दिया ,,,फिर एक शख्सियत जो अपने पिता के आदर्श के साथ साथ पत्रकार ओमनारायण जैसे निर्भीक लेखक ,,पियूष जेन कॉमरेड पत्रकार के साथ रहकर काम कर रहा हो ऐसे में मज़दूरों का गरीबों का दर्द समेटने का जज़्बा इस शख्सियत के लिए आम बात हो गयी ,,,,,,,,,आपातकाल का संघर्ष भी आत्मदीप ने अपने पत्रकारिता के काल में देखा है , मुझ सहित कई पत्रकारों को जब अख़बार प्रकाशन के पहले साइकल लेकर कलेक्ट्रेट में जो प्रकाशित किये जाने वाला है उसका प्रूफ अनुमोदित कराने उस पर पूर्व स्वीकृति के हस्ताक्षर लेने के लिए जाना पढ़ता था तब इस बंधन ,,पत्रकारिता की आज़ादी की इस घुटन के अहसास को भाई आत्मदीप ने महसूस किया और उससे बहुत कुछ सीखा ,,,आत्मदीप जिसके रोम रोम में पत्रकारिता हो ,,लेखन हो ,,संवेदनशीलता ,,न्यायिक बुद्धि का अनुभव हो ,चेहरे पर मुस्कुराहट ,,स्वभाव में निर्मलता ,विनम्रता हो ,,लोगों के लिए मदद का जज़्बा हो तो ऐसी शख्सियत को इस दुनिया में इंसान से फरिश्ता बनाये जाने के लिए काफी समझा जाता है ,,राजस्थान सहित कई महत्वपूर्ण राज्यों के हर तरह की रिपोर्टिंग और सम्पादन के अनुभव के बाद आत्मदीप जब मध्यप्रदेश पत्रकारिता के लिए गए तो वहां इनकी कार्यशैली ,,,,इनकी क़ाबलियत ,,इनका अनुभव ,,,इनकी निर्णायक क्षमता ,, निष्पक्षता ,,निर्भीकता को ध्यान में रखकर इनके समक्ष मध्यप्रदेश सरकार ने इन्हे सुचना आयुक्त मध्यप्रदेश सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा ,,,,थोड़ा सोचा ,,समर्थकों ,,मित्रो से मशवरा किया लेकिन खोजपूर्ण पत्रकारिता को नए आयाम देने ,,,आम जनता को उनका हक़ दिलवाने ,,सरकारी संस्थाओ से भ्रष्टाचार समाप्त करने के संकल्प के साथ आत्मदीप को मंत्री दर्जा देकर सुचना आयुक्त बनाया गया ,,,,बहुत कठिन ,,बहुत मुश्किल चुनौती थी ,,न्याय का मामला था एक जज की भूमिका ,,एक इन्साफ का तराज़ू हाथ में दिया गया था ,,एक तरफ पद देने वाली सरकार दूसरी तरफ सुचना के अधिकार को तरसती जनता थी ,,,आत्मदीप ने सुचना के अधिकार के इन्साफ के लिए पीड़ित जनता को चुना और जनता के हक़ में अटके हुए फैसलों को त्वरित सुनवाई कर ,,उनके फैसले पारदर्शिता के साथ ,,बहुपक्षीय सुनवाई के नियम के साथ चमत्कारिक फैसले करना शुरू किये ,,सुचना आयुक्त कार्यालय में आप नियमित दफ्तर में बैठते है ,,सुनवाई करते है ,,इजलास लगाते है ,,कोर्ट में सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश सरकार की बढ़ी बढ़ी हस्तियां जो सुचना के अधिकार को कुचलना चाहती है उन्हें तलब करते है सुनवाई का मौक़ा देकर ऐसे हठधर्मी अधिकारीयों को कठोर दंड भी सुनाते है ,,,आत्मदीप की आत्मा न्यायिक संवेदनशीलता के साथ पत्रकारिता का स्वभाव भी रखती है इसलिए वोह हर पत्रावली ,,हर शिकायत को संवेदनशीलता ,,खोजपूर्ण निगाह और विधिक प्रावधानों के तहत देखते है ऐसी शिकायते जो फ़र्ज़ी और परेशान करने के लिए होती है उन शिकायतों को आत्मदीप कोस्ट लगाकर खारिज भी करते है ,,,एक तरफ तो आत्मदीप उन अधिकारयों के खिलाफ कठोर ऐतिहासिक फैसले त्वरित सूना रहे है जो सुचना के अधिकार अधिनियम का उलंग्घन कर रहे है दूसरी तरफ वोह ऐसे फ़र्ज़ी ,,ब्लेकमेलर शिकायतकर्ताओं को भी सबक सीखा रहे है जिन्होंने इसे व्यवसाय बना लिया है ,,जो इन्साफ का तराज़ू इन्हे दिया गया उसे बराबर के इंसाफाना तराज़ू में तोलकर आत्मदीप ने खुद को देश भर के सभी सुचना आयुक्तों में खुद को आकाश कर लिया है ,,,,,,,,,,,,आत्मदीप का स्वभाव है इन्साफ त्वरित हो ,,सस्ता हो ,,,फैसले की पालना हो और इन्साफ होना तो चाहिए ही लेकिन इन्साफ हो रहा है दिखना भी चाहिए ताकि अपराध के पहले ही अपराधियों में हड़कम्प का माहोल रहे ,,,इसीलिए आत्मदीप सुचना आयुक्त की हैसियत से विकेंद्रीकरण नीति के तहत इनके कार्यक्षेत्र के हर ज़िले में ,,क़स्बे में केम्प लगाकर दर्ज मामलों की सुनवाई करते है ,,,नए मामले दर्ज कर नोटिस जारी करते है ,,इनका यह प्रयोग देश भर में पहला प्रयोग है जिसे देश भर के सुचना आयुक्त ,,पत्रकारों ,,समाजसेवकों और सुचना के अधिकार अधिनियम के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के लिए प्रशंसनीय बन गया ,,आत्मदीप थकते नहीं ,,काम करते रहना चाहते है वोह अभी भी सुचना का अधिकार आम जनता तक नहीं पहुंच पाने के कारण चिंतित है और इसीलिए उन्होंने एक नया प्रयोग एक नई कार्यवाही शुरू कर मोबाइल ,,वेबसाइट पर शिकायत का पंजीयन कर इसी माध्यम से सुनवाई कर त्वरित निर्णय का प्रयोग शुरू किया है जो सार्थक और सफल हों रहा है ,,,,,,देश भर के लोग कहते है आत्मदीप अगर मध्यप्रदेश शासन में सुचना आयुक्त न होते तो मध्यप्रदेश का सुचना आयुक्त विभाग पुरे भारत में अपनी त्वरित और निष्पक्ष ,,निर्भीक ,,न्यायिक कार्यशैली के लिए विशिष्ठ पहचान नहीं बना पाता ,,लेकिन आत्मदीप के कार्यकलापों ,सुझावों ,,कार्यशैली से मध्यप्रदेश सरकार का सुचना आयुक्त विभाग देश भर में पारदर्शिता ,,त्वरित प्रकरण निस्तारण ,,आम जन में जागरूकता अभियान में अव्वल हो गया है और इसीलिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चाहे जितने भी गंभीर आरोप हो लेकिन सुचना के अधिकार क्षेत्र में त्वरित न्याय ,,संवेदनशीलता ,,पारदर्शिता ,,और निष्पक्षता के कारण वहां की आम जनता शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ गंभीर आरोपों के बाद भी कोई भी आरोप स्वीकार करने को तैयार नहीं है क्योंकि जनता का सवाल है ,,,, जो मुख्यमंत्री सुचना का अधिकार अव्वल रूप से दे सकता है वोह भ्रष्ट कैसे हो सकता है ,,,भाई आत्मदीप को सलाम सेल्यूट ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ललित के पवार RPSC के नए अध्यक्ष

राजस्थान सरकार द्वारा श्री ललित के पवार RPSC के नए अध्यक्ष मनोनीत किये गए हैं
रिटायर्ड आईएएस ललित के पवार को सरकार ने राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। कार्मिक विभाग ने नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं।
जानिए नए आरपीएससी चेयरमेन के बारे में
ललित के पवार आईएएस रहे है और 31 जुलाई को ही रिटायर्ड हुए हैं। पवार आईएएस रहते हुए कई अहम पदों पर रहे हैं। पिछले भाजपा राज में पवार जेडीसी रहे। वे लंबे समय से केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर थे और प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए ही 31 जुलाई को रिटायर्ड हुए। पवार आईटीडीसी के अध्यक्ष रहे, केंद्र में पर्यटन सचिव रहे। पवार की छवि सबको साथ लेकर चलने वाले और डाउन टू अर्थ अफसर की रही है। पवार पर्यटन क्षेत्र के विशेषज्ञ है।, अमेरिका से उन्होंने पर्यटन में पीएचडी भी की है। आरपीएससी की गिरी हुई साख को फिर से बहाल करना और भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाना उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी।

क़ुरान का सन्देश

 
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