आपका-अख्तर खान

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10 अगस्त 2015

तुम कितनी खूबसूरत हो

मुझे पता है
तुम खूबसूरत मोरनी
मुझे पता है
तुम्हारा खूबसूरत
सभी को मोह लेने वाला डांस
मुझे सब पता है
तुम कितनी खूबसूरत हो
बस सुन ऐ मोरनी
तुम्हारी खूबसूरती का
सिर्फ एक कलंक हूँ में
हाँ तुम खूबसूरत मोरनी हो
तुम्हारे बदसूरत पैर हूँ में
वही बदसूरत पैर
जिन्हे ख़ुशी में झूम कर नाचते वक़्त
देखते हो जब तुम
तब फुट फुट कर रो पढ़ते हो
अपनी इस कमी
अपनी इस बदसूरती पर तुम।
लेकिन ऐ खूबसूरत
ज़रा सुन
में तुझ खूबसूरत के पैर ही सही
ज़रा सोच में बदसूरत तो हूँ
लेकिन अगर
में ना होता तो ज़रा सोच
क्या तुम
मोरनी कहलाती
क्या तुम झूम कर नाच पाती
में अगर ना होता
तो ज़रा तुम ही बताओ
क्या तुम
इठलाती ,,,, लोगों को अपना नाच दिखाती
नहीं ,,नहीं ,,नहीं
में बदसूरत ही सही
फिर भी फख्र है मुझे
में पहचान हु तुम्हारी
में ज़िम्मेदारी हूँ तुम्हारी
तुम्हे नफरत है मुझ से अगर
तुम्हे नफरत है
मेरी बदशकली से अगर
तो सुनो
काट डालो मुझे
अपनी खूबसूरती से
कर डालों अलग मुझे
 में तो मर जाऊंगा तुम्हारे बगैर
लेकिन ज़रा बताओ
क्या तुम
नाच पाओगे मेरे बगैर
क्या तुम
इठला पाओगे मेरे बगैर
क्या तुम इतराओगे मेरे बगैर
क्या तुम
जी पाओगे मेरे बगैर ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नफरत ,,,नफरत

नफरत ,,,नफरत
नफरत ,,नफरत
हाँ सिर्फ नफरत
यही सिर्फ यही
दिया है तुमने
मेरी मोहब्बत का सिला
शक ,,झूंठ ,फरेब ,,झांसे ,,दिखावा
सिर्फ और सिर्फ नफरत ,,
हाँ नफरत
यही तो सब कुछ दिया है तुमने
मुझे मेरी मोहब्त का सिला ,,
फिर भी
तुम्हारी सीफ्त नफरत है अगर
तो में क्या करूँ
मेरी सीफ्त तो मोहब्बत है ,,मोहब्बत है
हाँ में कहता हूँ
तुम्हारी नफरत ही सही
मुझे तुमसे मोहब्बत है ,,मोहब्बत है ,,,,,,,,अख्तर

शिवलिंग पर खुद ही गिरता है पानी, नाग-नागिन का जोड़ा देता है भक्तों को दर्शन

शिवलिंग पर गिरता प्राकृतिक जल। इनसेट में नागराज कभी-कभी भक्तों को दर्शन देते हैं।
शिवलिंग पर गिरता प्राकृतिक जल। इनसेट में नागराज कभी-कभी भक्तों को दर्शन देते हैं।
इंदौर। इंदौर बाइपास से बैतूल मार्ग पर देवगुराडिय़ा पहाड़ी पर भगवान शिव का एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना मंदिर है, जिसमें हर साल सावन माह में पहाड़ी जल से शिवजी का प्राकृतिक अभिषेक होता है। मंदिर में शिवलिंग के ऊपर की तरफ बने नंदी के मुख से सावन-भादो के महीने में प्रतिवर्ष प्राकृतिक जल निकलता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है और मंदिर के दरवाजे के बाहर बने अमृतकुंड में भर जाता है। ऐसा एक दो साल से नहीं, बल्कि जब से मंदिर बना है तब से हो रहा है।

मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश पुरी बताते हैं कि सोलह पीढ़ियों से उन्हीं का परिवार मंदिर की पूजा कर रहा है। अब सत्रहवीं पीढ़ी यह काम संभालने के लिए तैयार है। वे बताते हैं कि यह मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर को स्‍थानीय लोगों के बीच गरुड़ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता यह है कि भगवान गरुड़ ने यहां कठिन तपस्या की थी, जिसके बाद यहां शिव प्रकट हुए थे और शिवलिंग के रूप में यहीं रह गए। होल्कर रियासत की देवी अहिल्या शिव भक्त थीं, उन्होंने 18वीं सदी में इस प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

मंदिर में पांच कुंड
माना जाता है कि देवगुराड़िया शिव मंदिर और शिवलिंग पूर्व समय में जमीन में डूब गया था और उस पर बाद में ऊपर से एक मंदिर बनवा दिया गया था। इस मंदिर पर हर साल शिवरात्रि के दौरान भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर में पांच कुंड हैं, जिसमें दो कुंडों में लोग स्नान करते हैं। इनमें हमेशा पानी भरा रहता है। मान्यता है कि इनका पानी कभी नहीं सूखता है और पूरे गांव की प्यास इसी कुंड से बुझाती है।

मंदिर में रहता है नाग का जोड़ा

मंदिर में भगवान शिव के गण माना जाने वाला नाग का जोड़ा भी रहता है। कभी कुंड में तो कभी शिवालय में ये नाग-नागिन भक्तों को दर्शन देते हैं। मान्यता है कि जिस भक्त को इनके दर्शन होते हैं, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कोर्ट ने जैन धर्म की संथारा प्रथा को बताया क्राइम, कहा- ऐसा करना आत्महत्या के बराबर

संथारा प्रथा की प्रतीकात्मक फोटो
संथारा प्रथा की प्रतीकात्मक फोटो
जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नौ साल सुनवाई के बाद सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जैन धर्म की सैकड़ों सालों से प्रचलित संथारा/सल्लेखना प्रथा को आत्महत्या के बराबर अपराध बताया। कोर्ट ने राज्य सरकार को संथारा पर रोक लगाने का आदेश देते हुए कहा-संथारा लेने और संथारा दिलाने वाले, दोनों के खिलाफ आपराधिक केस चलना चाहिए। संथारा लेने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 309 यानी आत्महत्या का अपराध का मुकदमा चलना चाहिए। संथारा के लिए उकसाने पर धारा 306 के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। हाईकोर्ट के फैसले से जैन संतों में गुस्सा है। संतों ने कहा-कोर्ट में सही तरीके से संथारा की व्याख्या नहीं की गई। संथारा का मतलब आत्महत्या नहीं है, यह आत्म स्वतंत्रता है।

मामला पिछले नौ सालों से कोर्ट में था। निखिल सोनी ने 2006 में याचिका दायर की थी। उनकी दलील थी कि संथारा इच्छा-मृत्यु की ही तरह है। इसे धार्मिक आस्था कहना गलत है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुनील अंबवानी और जस्टिस वीएस सिराधना की बेंच ने अप्रैल में सुनवाई पूरी कर ली थी। फैसला अब आया है।
जनहित याचिका में जैन समुदाय के धार्मिक संस्थान संस्थानकवाली जैन श्रावक संघ व श्रीमाल सभा मोती डूंगरी दादाबाड़ी सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया था। जैन अनुयायियों ने धार्मिक अास्था का हवाला देकर अदालत से इस मामले में दखल नहीं देने को कहा था। वहीं याचिकाकर्ता का कहना था कि यह संविधान के खिलाफ है।
आखिर क्या है ये संथारा?
जैन समाज में यह हजारों साल पुरानी प्रथा है। इसमें जब व्यक्ति को लगता है कि उसकी मृत्यु निकट है तो वह खुद को एक कमरे में बंद कर खाना-पीना त्याग देता है। मौन व्रत रख लेता है। इसके बाद वह किसी भी दिन देह त्याग देता है।
कितना व्यापक है यह?
वैसे इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन जैन संगठनों के मुताबिक हर साल 200 से 300 लोग संथारा के तहत देह त्यागते हैं। अकेले राजस्थान में ही यह आंकड़ा 100 से ज्यादा है।
हजारों साल की प्रथा का अब विरोध क्यों?
प्रथा बेशक हजारों साल पुरानी हो, लेकिन बदलते वक्त के साथ इसका विरोध बढ़ने लगा था। इसने जोर पकड़ा 2006 में। जब कैंसर से जूझ रही जयपुर की विमला देवी नामक महिला को एक जैनमुनि ने संथारा की अनुमति दी। इसके बाद विमला देवी ने 22 दिनों तक अन्न-जल का त्याग करके जान दे दी। जान देने की इस अनुमति को बाद में हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका के साथ जोड़कर चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने इसे गलत क्यों माना?
कोर्ट ने जिस याचिका पर ये फैसला दिया, उसमें कहा गया था कि संथारा सती प्रथा की ही तरह है। जब सती प्रथा आत्महत्या की श्रेणी में आती है तो संथारा को भी आत्महत्या ही माना जाए। अदालत ने इस तर्क को माना है। कोर्ट ने कहा- जैन समाज यह भी साबित नहीं कर पाया कि यह प्रथा प्राचीनकाल से चली आ रही है।
जैन समाज क्यों नाराज?
जैन आचार्य मुनि लोकेश का कहना है कि आत्महत्या तनाव और कुंठा की स्थिति में की जाती है, जबकि संथारा प्रथा आस्था का विषय है। यह आवेश में किया गया कृत्य नहीं,बल्कि सोच-समझकर लिया गया व्रत है।
तो अब क्या होगा?
जैन संत तरुणसागर का कहना है कि समाज देशभर में इसका तीव्र विरोध करेगा। जरूरत पड़ी तो सड़कों पर भी उतरेगा। वहीं कुछ संगठन फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात भी कह रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने बताया था संथारा को इच्छा मृत्यु के समान
संथारा लेने वाला शख्स अन्न-जल छोड़ देता है। मृत्यु का इंतजार करता है। इसे धार्मिक अास्था कहना गलत है। आस्था की कानून में कोई जगह नहीं है। इसे अवैध घोषित कर ऐसा करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे चलने चाहिए -निखिल सोनी, याचिकाकर्ता

स्टाफिंग पैटर्न

स्टाफिंग पैटर्न उर्दू विषय की दुबारा समीक्षा के लिए शिक्षा निदेशक ने आपात आदेश कल रविवार को निकालकर सोमवार दस अगस्त दोपहर तक समस्त जानकारियां भिजवाने के निर्देश दिए है ,,,कोटा में शिक्षा निदेशक सुआलाल के प्रवास के दौरान तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के सरपरस्त क़ाज़ी ऐ शहर कोटा की सरपरस्ती में ज्ञापन देकर अधिक बच्चो की संख्या होने पर भी स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर उर्दू खत्म करने की साज़िश की शिकायत की थी ,,शिक्षा निदेशक कल ही अपने राजकीय दौरे से बीकानेर पहुंचे थे जहाँ पहुंचते ही उन्होंने रविवार होने पर भी उर्दू विषय मामले में स्टफिंग पैटर्न पुनसमीक्षा मामले को लेकर सभी स्कूलों से वर्ष दो हज़ार चवदाह और वर्तमान स्थिति भिजवाने को निर्देशित किया है ,,प्रभावित अध्यापक ,,छात्र ,छात्राओ और जो भी अभिभावक या जन प्रतीनिधी हो उनसे गुज़ारिश है के वोह अपने अपने इलाक़े के स्कूलों में उर्दू के छात्र छात्राओ की संख्या निर्धारित फॉर्मेट में भर कर खुद भी अपने स्तर पर भिजवाये ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तन्हा हूँ परेशान हूँ

सैकड़ो सालों से मैं तन्हा हूँ परेशान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ।
अपने पुरखो की वतनपरस्ती के सबूत ढूंढ रहा हूँ।
इसी मुल्क में पैदा होकर अपना वज़ूद ढूंढ रहा हूँ
सिर्फ चुनावी मोहरा नहीं हूँ
मैं सियासत का हिस्सेदार हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
देश में दंगे करवाने वाले देशभक्ति
हमें सिखाते
जिसने गांधी की हत्या की
देश में उसका मंदिर बनवाते
इनकी नज़रो में तो केवल मैं ही बुरा इंसान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मसलमान हूँ।
भूल गये तुम मेरी हकीकत
जब चारो ओर अँधियारा था
ब्रिटिश हुकूमत को सबसे पहले
मैंने ही ललकारा था
कर्नाटक के मैसूर में जन्मा
मैं ही टीपू सुलतान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
आज मुझसे पूछते हो
देश को मैंने क्या दिया
तो फिर आकर देख लो
आगरे का ताजमहल
और दिल्ली का लालकिला
जिसको तुम सब ढूंढते हो
मैं भारत का वही खोया हुआ
सम्मान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का
मुसलमान हूँ
आज़ादी की खातिर
गर्दन मेने भी कटवाई है
जलियावाला बाग़ में गोली
मैंने भी तो खाई है
फिर भी देशभक्ति की कसौटी
पर में ही सवालिया निशान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
क्या फर्क है तुझमे मुझमे
दोनों देश के लाल है
खून तेरा भी लाल है
खून मेरा भी लाल है
जान से ज्यादा प्यारे
तिरंगे पर मैं भी तो क़ुर्बान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
देश में शांति चाहते है हम
इसीलिए चुप रहते है
तेरी चुभती बातो को भी
ख़ामोशी से सहते है
जिस दिन अपना मुह
खोला "इश्क़ " तो फिर
मैं एक तूफ़ान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
संविधान के दायरे में रहकर
हम अपना हक़ मांगते है
मेरा हक इज़्ज़त से दे वरना.....
दूसरा रास्ता भी जानते है।
आ गया अगर "इश्क़ "अपने रंग में
तो फिर सबके लिए नुक्सान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क
का मुसलमान हूँ।
जब तक मैं हद में हूँ
तब तक सब कुछ हद में है
आ गया अगर मैं हद से बाहर
फिर ना कुछ तेरे बस में है
जब तक चुप हूँ तब तक चुप हूँ
जाग गया अगर मैं तो फिर
घायल शेर समान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ।

संता

संता को एक लावारिस बंदर मिला। वह उसे पुलिस स्टेशन ले गया।
इंस्पेक्टर ने कहा: इसे चिड़ियाघर ले जाओ।
संता दूसरे दिन बंदर के साथ
बस स्टॉप पर खड़ा था।

इंस्पेक्टर ने देखा तो पूछा: इसे चिड़ियाघर लेकर नहीं गए?
संता: कल ले गया था। बहुत घूमे और बड़ा मजा भी आया! आज कुतुब मीनार जा रहे हैं।

कभी मैं भी

कभी मैं भी आइना देखता था !!
__
कभी किसी की रोटीयाँ मैंने भी जलायीं हैं . . .
इसी गुमां पे,
अब भी आइना देख लेता हूँ . . !
____
जल गई थी,
तबे पर,,
कभी रोटी उनकी--
मुझे सोचकर !!

हाय !
ख्याल जब भी,
उस ख़त का आता है,
मैं अब भी,
आईना देख लेता हूँ !!
__
अक्सर कलछुल से,
आँच पर चढ़ी सब्जी का सूप लेकर,
उसमें झटके से उँगली डुबोकर,
उँगली जीभ पर रखकर,
नमक चखा करती थी,
कि मुझे सोचते-सोचते,
कहीं . . ,,
नमक डालना भूल तो नहीं गई?
हाय !
ख्याल जब भी,
उस ख़त का आता है,
मैं अब भी,
आइना देख लेता हूँ !!
__
एक ख़त,
जिसमें लिखा है . .
"आज चाय में शक्कर की जगह नमक डाल दी"--
तब सोच रही थी,
कि आज रात में, ख़त में ;
तुम्हें क्या-क्या लिखूँगी ??
माँ सिर पीट रही है . .
तन्दुरुस्त बच्ची को आजकल क्या हो गया है ??
हाय !
ख्याल जब भी,
उस ख़त का आता है,
मैं अब भी,
आइना देख लेता हूँ !!
_
प्रवीण कुमार ।

अच्छा हुआ

अच्छा हुआ
तुमने मुझ से
किनारा कर लिया ,,,
मुझ से मिलकर
तुम्हे मिलता भी क्या ,,
मेरे पास कुछ भी तो नहीं
देने के लिए
सिर्फ मोहब्बत
सिर्फ वफ़ा के सिवा ,,
अच्छा हुआ
तुमने मुझ से
किनारा कर लिया ,,
कैसे निभती
तुम्हारी बेवफाई
मेरी वफ़ा मेरी मोहब्बत के बीच
अच्छा हुआ
तुमने व्यापार में
मुझ से सोदा किया
तुमने मुझ से किनारा कर लिया
मेरा क्या
मेने तो
सिर्फ मोहब्बत की है ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नफरत करो तुम

मुझ से
नफरत करो तुम
में तुम्हारे
प्यार के लायक नहीं
में सच्चा हूँ
में वफादार हूँ
तुम्हारी तरह झूंठा
तुम्हारी तरह बेवफा
तुम्हारी तरह इलज़ाम खोर नहीं
मुझ से
नफरत करो तुम
में तुम्हारे
प्यार के लायक नहीं ,,,,,,,,,,,अख्तर

अच्छा हुआ

अच्छा हुआ
जो तुमने
मुझ से
नफरत कर ली
वरना मेरी मोत पर
मुझ से
तुम्हे रोता हुआ
नहीं देखा जाता ,,,,अख्तर

इस फल के फायदे एक से बढ़कर एक, सेहत और त्वचा दोनों के लिए बेजोड़"


बारिश के मौसम में आसानी से उपलब्ध नाशपाती से रोगों से दूर रहा जा सकता है...इसमें विटामिन्स, खनिज, एंजाइम और फाइबर खूब पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट गुण खूब होते हैं। नाशपाती में मौजूद पैक्टिन नामक घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है।
आयुर्वेद के अनुसार नाशपाती पचने में हल्की, रोगी को जल्दी ऊर्जा देने वाली, प्यास बुझाने वाली और त्रिदोष नाशक है। इसमें हाइड्रोऑक्सीनॉमिक एसिड होता है जो पेट के कैंसर को रोकने में मदद करता है। फाइबर पेट के कैंसर को बढऩे से रोकता है व बड़ी आंत को ठीक रखता है। इसमें मौजूद फोलिक एसिड (फोलेट) गर्भवती महिलाओं के शिशुओं में न्यूरल ट्यूब दोष से बचाता है।
यह आयरन का अच्छा स्रोत है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है। एक गिलास नाशपाती का रस पीने से बुखार में जल्द आराम मिलता है। यह झुर्रियां, मुहांसे और त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं को रोकने में मदद करता है। नाशपाती के पत्रों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा विकारों में लाभ होता है
नाशपाती में बोरोन तत्व होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके सेवन से हार्ट स्ट्रोक का खतरा 50 फीसदी कम होता है व शरीर का ग्लूकोज ऊर्जा में बदल जाता है। इसमें विटामिन सी और तांबा पर्याप्त मात्रा में मिलता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
नाशपाती के नियमित सेवन से मोनोपॉज के बाद महिलाओं में होने वाले कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। मधुमेह रोगियों के लिए यह स्मार्ट नाश्ता है। इससे मीठा खाने की तलब में आराम मिलता है और पोषक तत्व भी मिल जाते हैं।
ध्यान रखें
नाशपाती को अच्छी तरह धो कर छिलके समेत चबा-चबा कर खाएंं। जल्दबाजी में बिना चबाए इसे खाने से पेट में दर्द हो सकता है। देर से काट कर रखी नाशपाती नहीं खानी चाहिए।

- सियासी रहनुमा से ---


गरीबो के नगर में जब भी क़त्ले आम होता है
तुम्हारे बाजुओं में हुस्न लब पर जाम होता है
तुम्हारे ही इशारों पर चमन में आग लगती है
तुम्हारे कारनामो से बदन में आग लगती है
तुम्हें हिन्दू से हमदर्दी न मतलब है मुसलमां से
वफ़ा का दर्स गीता से लिया तुमने न कुरान से
मगर मज़हब का नाम आजाये तो नारे लगाते हो
यहाँ दैरो हरम के नाम पर झगडे कराते हो
चलाया जंगली कानून इंसानों की बस्ती में
गिरे हैं मंदिरो मस्जिद तुम्हारी सरपरस्ती में
मैं शायर हूँ जो देखूंगा वही हर बार लिखूंगा
तुम्हें गद्दार लिखा है तुम्हें गद्दार लिखूंगा

दर्द

दर्द मजलूम का सुनाएगा कौन
यहाँ अब आवाज़ उठाएगा कौन
अखबार तो नोट छापने लगे दोस्त
वतन की हकीक़त दिखायेगा कौन
हमारे नुमाइन्दे ही जालिम हुए
अब जालिमो से हमें बचाएगा कौन
मायूस निगाहे तलाश रही हैं
वतन में इन्कलाब लायेगा कौन

क़ुरआन का सन्देश

  
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