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18 अगस्त 2015

दोस्तों पिछले दिनों संसद में मुट्ठीभर प्रतीपक्ष के प्रतििरोध और सत्ता पक्ष की हठधर्मिता के कारण संसद में गतिरोध के कारण आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ

दोस्तों पिछले दिनों संसद में मुट्ठीभर प्रतीपक्ष के प्रतििरोध और सत्ता पक्ष की हठधर्मिता के कारण संसद में गतिरोध के कारण आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ ,,संसद में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ,,उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पुरज़ोर आक्रामक विरोध प्रदर्शन से सत्तापक्ष हतप्रभ होकर बोखला गया ,,,उम्मीद के ख़िलाफ़ सोनिया गांधी और राहुल गांधी की परफॉर्मेंस ने सरकार के बहुमत के बाद भी सरकार को बेक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया ,,,,,,,,,,,संसद में गतििरोध नई बात नहीं भाजपा के प्रतीपक्ष में रहते संसद में शोरशराबा ,,अभद्रता ,,एक घिनौना इतिहास रहा है ,,,,,,,,,,,हमारे देश में हम सांसदों को संसद में जाकर हमारे मुद्दे उठाने के लिए चुनते है ना की संसद में जाकर शोरशराबा कर देश का बहुमूल्य वक़्त बर्बाद करने के लिए ,,लेकिन यह सब होता है ,,इसके लिए हमे ,,हमारे देश के विधि विशेषज्ञों और देश की सरकार को क़ानून और सांसदों की मर्यादा अाचरण नियम बनाने पर विचार करना होगा ,,पुराना क़ानून संसद को चलाने का जो बना है वोह सत्ता पक्ष का गुलाम है इसलिए उस क़ानून को हमे बदलना होगा ,,,दोस्तों हमारे सांसद पांच साल के लिए चुन कर जाते है और देश के मुद्दो पर चर्चा के लिए साल में एक या दो बार दिल्ली में एकत्रित होते है वोह भी दंगा ,,फसाद और शोरशराबा ,,इसका कारण क्या है हमे सोचना होगा ,,संसद चलने का नियम बने ,,जो सांसद एब्सेंट हो उसके खिलाफ कार्यवाही हो ,,उसकी सदस्य्ता बर्खास्तगी हो ,,उस पर मुक़दमा चले ऐसा क़ानून भी बनना चाहिए ,,,हमारे देश के क़ानून में सत्ता पक्ष बहुमत में होता है और संसद चलाने के लिए सत्ता पक्ष ही संसद का अध्यक्ष अपनी पार्टी की विचारधारा का चुन लेता है ,,ऐसे में निष्पक्षता की बात सोचना भी एक मज़ाक है ,,अध्यक्ष पद पर कोई सुप्रीम कोर्ट का जज अगर बैठे और वोह भी चुनाव के बाद तो शायद सभी सांसद काबू में आ सकेंगे ,,एक सांसद अगर कोई सवाल उठाता है ,,एक सांसद अगर किसी मुद्दे पर बहस करना चाहता है तो सत्ता पक्ष का बनाया गया अध्यक्ष नियमों का बहाना बनाकर उसे रोक देता है ,,,जवाब नहीं आता ,,मंत्रियों का स्पष्टीकरण नहीं होता ,,मंत्री जिस मामले में आरोपी होते है उस मामले में मंत्री को साहूकार बनाकर बिठाया जाता है ऐसे में अराजकता का माहोल तो होना ही है ,,,,दोस्तों अगर क़ानून बने के संसद हर माह में दस दिन नियमित आवश्यक रूप से चलेगी और संसद में सभी सदस्यों की उपस्थिति का क़ानून बने ,,सभी सांसद राष्ट्रीय और स्थानीय क्षेत्रीय मुद्दो पर खुलकर अपनी बात कहे ,,,ऐसे में मुद्दे लम्बित नहीं रहेंगे ,,,,सत्ता पक्ष का गुलाम विचारधारा वाला अगर संसद की कार्यवाही की अध्यक्षता करेगा तो पक्षपात सो फीसदी होना ही है ,,ऐसे में ससद में अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट का जज अगर करे तो थोड़ी बहुत निष्पक्षता की उम्मीद हो सकती है और शोर शराबे ,,सत्ता पक्ष ,,प्रतिपक्ष के गतिरोध पर निष्पक्ष निगरानी हो सकती है ,,प्रत्येक सांसद को सवाल उठाने के लिए पाबंद किया जाए ,,,,राष्ट्रिय मुद्दो पर खुलकर बहस हो ,,जो मंत्री आरोपित हो उसे उस मुद्दे पर खुद के लिखित स्पष्टीकरण के अलावा बोलने नहीं दिया जाए ,,,,,,,,फैसला अध्यक्ष करे ,,,एक साल में संसद कमसे कम सात महीिने चलाई जाए ताकि देश के हर मुद्दो पर खुल कर नीति बन सके ,,नए विधेयक पढ़ने का मौक़ा मिल सके बहस हो सके ,,सुप्रीमकोर्ट का जज अध्यक्षता करते हुए सभी की बहस सुनकर बहुमत के आधार के अलावा राष्ट्रहित और देश के क़ानून मर्यादाओं को ध्यान में रखकर अपना फैसला सुना सके ,,,,,,,,,,,,,देश में संसद अगर लगातार चलेगी तो देश के सांसदों पर भी निगरानी रहेगी ,,एक दूसरे की शिकायत होने का डर रहेंगे ,,सांसदों के भी मर्यादित आचरण नियम बने ,,संसद में उपस्थिति का आवश्यक क़ानून बने ,,संसद में हर मुद्दे पर वोटिंग के वक़्त उपस्थिति का क़ानून हो ताकि रिश्वत लेकर वोट के वक़्त बाहर रहकर अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता की मदद करने की परिपाटी पर रोक लग सके ,,,केवल बीमारी असाध्य बीमारी के आलावा संसद से अवकास का कोई प्रावधान न हो और सांसदों के खिलाफ फौजदारी मुक़दमे दर्ज करने का क़ानून भी बनाया जाए जो देश का क़ानून तोड़ने पर पक्ष ,,प्रतिपक्ष जो भी हो उसके खिलाफ सुप्रीमकोर्ट के जज के अध्यक्ष होने पर उनकी अनुमति से मुक़दमा चलाने का हक़ एक आदमी को भी दिया जाए वरना संसद में चोर चोर मोसेरे भाई बनकर देश की जनता को लूटने का कार्यक्रम बनाकर जनता को गुमराह भी करते है ,,,ऐसे में संसद के गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रत्येक सांसद के सवाल पर बहस ज़रूरी हो उसे अवसर दिया जाए ,,कोई नियमों का बहाना बनाकर हंगामा नहीं हो ,,,अगर प्रस्ताव पास होता है तो सरकार रहे वरना सरकार घर बैठे ऐसा नियम बनने पर सरकार खुद ही विवादित मुद्दो ,,विवादित प्रस्तावों को ससंद में नहीं रखेगी ,,,,,,,,,,जो भी प्रस्ताव हो पहले सर्वदलीलय बैठक में बहुमत से चर्चा कर आम राय बनाई जाए वरना संसद में ऐसे प्रस्ताव जो विवादित हो राठौड़ी करते हुए पेश नहीं किये जाए ,,अगर सर्वदलीय बैठक में प्रतीपक्ष हठधर्मिता रखता है तो फिर देश की जनता से ऐसे प्रस्तावों पर जनमत संग्रह करवाकर प्रस्ताव पारित करवाया जाए ऐसा क़ानून बनने पर देश को निष्पक्ष लोकसभा अध्यक्ष भी मिल सकेगा और देश का वक़्त भी बर्बाद होने से बचेगा ,,साथ ही देश को नीति बनाने के लिए सांसद जो जीतकर आते है वोह संसद में एवेलेबल भी मिलेंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या ऐसा नरेंद्र मोदी क़ानून बना सकेंगे ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कैसे हुई नागों की उत्पत्ति, किसने दिया था भस्म होने का श्राप?

कैसे हुई नागों की उत्पत्ति, किसने दिया था भस्म होने का श्राप?
आज (19 अगस्त, गुरुवार) नागपंचमी का पर्व है। इस दिन नागों की पूजा का विधान है। अनेक ग्रंथों में भी नागों से संबंधित कथाएं पढ़ने को मिलती है। महाभारत के आदि पर्व में नागों की उत्पत्ति और राजा जनमेजय द्वारा किए गए नागदाह यज्ञ से संबंधित कथा का वर्णन है। यह कथा बहुत ही रोचक है। आज हम आपको नाग वंश की उत्पत्ति से संबंधित वही कथा बता रहे हैं-

ऐसे हुई नाग वंश की उत्पत्ति

महाभारत के अनुसार, महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थीं। इनमें से कद्रू भी एक थी। कद्रू ने अपने पति महर्षि कश्यप की बहुत सेवा की, जिससे प्रसन्न होकर महर्षि ने कद्रू को वरदाने मांगने के लिए कहा। कद्रू ने कहा कि एक हजार तेजस्वी नाग मेरे पुत्र हों। महर्षि कश्यप ने वरदान दे दिया, उसी के फलस्वरूप नाग वंश की उत्पत्ति हुई।
महर्षि कश्यप की एक अन्य पत्नी का नाम विनता था। पक्षीराज गरुड़ विनता का ही पुत्र है। एक बार कद्रू और विनता ने एक सफेद घोड़ा देखा। उसे देखकर कद्रू ने कहा कि इस घोड़े की पूंछ काली है और विनता ने कहा कि सफेद। इस बात पर दोनों में शर्त लग गई। तब कद्रू ने अपने नाग पुत्रों से कहा कि वे अपना आकार छोटा कर घोड़े की पूंछ से लिपट जाएं, जिससे उसकी पूंछ काली नजर आए और वह शर्त जीत जाए।
कुछ सर्पों ने ऐसा करने से मना कर दिया। तब कद्रू ने अपने पुत्रों को श्राप दे दिया कि तुम राजा जनमेजय के यज्ञ में भस्म हो जाओगो। श्राप की बात सुनकर सांप अपनी माता के कहे अनुसार उस सफेद घोड़े की पूंछ से लिपट गए जिससे उस घोड़े की पूंछ काली दिखाई देने लगी। शर्त हारने के कारण विनता कद्रू की दासी बन गई।

इसलिए हो गए नागों की जीभ के दो टुकड़े

जब गरुड़ को पता चला कि उनकी मां दासी बन गई है तो उन्होंने कद्रू और उनके सर्प पुत्रों से पूछा कि तुम्हें मैं ऐसी कौन सी वस्तु लाकर दूं जिससे कि मेरी माता तुम्हारे दासत्व से मुक्त हो जाए। तब सर्पों ने कहा कि तुम हमें स्वर्ग से अमृत लाकर दोगे तो तुम्हारी माता दासत्व से मुक्त हो जाएगी।
अपने पराक्रम से गरुड़ स्वर्ग से अमृत कलश ले आए और उसे कुशा (एक प्रकार की धारदार घास) पर रख दिया। अमृत पीने से पहले जब सर्प स्नान करने गए तभी देवराज इंद्र अमृत कलश लेकर उठाकर पुन: स्वर्ग ले गए। यह देखकर सांपों ने उस घास को चाटना शुरू कर दिया जिस पर अमृत कलश रखा था, उन्हें लगा कि इस स्थान पर थोड़ा अमृत का अंश अवश्य होगा। ऐसा करने से ही उनकी जीभ के दो टुकड़े हो गए।

शेषनाग ने की घोर तपस्या

कद्रू के पुत्रों में शेषनाग भी एक थे। उन्होंने कद्रू और अपने सर्प भाइयों को छोड़कर कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी उन्हें वरदान देने आए। तब शेषनाग ने कहा कि मेरी बुद्धि धर्म, तपस्या और शांति में बनी रहे। ब्रह्माजी ने शेषनाग की ऐसी भक्ति देखकर कहा कि ये सारी पृथ्वी पर्वत, वन, सागर और नगर हिलती-डुलती रहती है, तुम इसे इस प्रकार धारण करो कि ये स्थिर हो जाए। ब्रह्माजी के ऐसे कहने पर शेषनाग पृथ्वी के भीतर घुस गए और पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर लिया।
नागराज वासुकि को जब माता कद्रू के श्राप के बारे में पता लगा तो वे बहुत चिंतित हो गए। तब उन्हें एलापत्र नामक नाग ने बताया कि इस सर्प यज्ञ में केवल दुष्ट सर्पों का ही नाश होगा और जरत्कारू नामक ऋषि का पुत्र आस्तिक इस सर्प यज्ञ को संपूर्ण होने से रोक देगा। जरत्कारू ऋषि से ही सर्पों की बहन (मनसादेवी) का विवाह होगा। यह सुनकर वासुकि को संतोष हुआ।

जनमेजय ने क्यों किया नागदाह यज्ञ?

समय आने पर नागराज वासुकि ने अपनी बहन का विवाह ऋषि जरत्कारू से करवा दिया। कुछ समय बाद मनसादेवी को एक पुत्र हुआ, इसका नाम आस्तिक रखा गया। यह बालक नागराज वासुकि के घर पर पला। च्यवन ऋषि ने इस बालक को वेदों का ज्ञान दिया।
उस समय पृथ्वी पर राजा जनमेजय का शासन था। जब राजा जनमेजय को यह पता चला कि उनके पिता परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग द्वारा काटने से हुई है तो वे बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने नागदाह यज्ञ करने का निर्णय लिया।
जब जनमेजय ने नागदाह यज्ञ प्रारंभ किया तो उसमें बड़े-छोटे, वृद्ध, युवा सर्प आ-आकर गिरने लगे। ऋषि मुनि नाम ले लेकर आहुति देते और भयानक सर्प आकर अग्नि कुंड में गिर जाते। यज्ञ के डर से तक्षक देवराज इंद्र के यहां जाकर छिप गया।

अशोक कालरा एडवोकेट जो अपने भाषण से उपस्थित लोगों की सोच ,,उपस्थित लोगों का माहोल बदलने का चमत्कारिक हुनर रखते है ,,,

कोटा के ही नहीं ,,राजस्थान के ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के प्रमुख वक्ताओं में से एक अशोक कालरा एडवोकेट जो अपने भाषण से उपस्थित लोगों की सोच ,,उपस्थित लोगों का माहोल बदलने का चमत्कारिक हुनर रखते है ,,,,,,वरिष्ठ एडवोकेट अशोक कालरा छात्र राजनीति के मुखर ,,जुझारू ,,संघर्षशील हस्ताक्षर होने से छात्रो में आज भी अपना क्रेज रखते है ,,,अशोक कालरा कोटा की छात्र राजनीति के मुखर स्वाभिमानी आंदोलनकारी रहे है ,,,,,छात्र जीवन में अशोक कालरा अकेले ऐसे छात्र नेता थे जो केवल मुद्दों की बात करते थे ,,ईमानदारी और संघर्ष की बात करते थे ,,,इनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन चले ,,दफ्तरों में कर्मचारियों और अधिकारीयों की उपस्थिति समय पर नियत करने के लिए आन्दोलन चला ,,,दफ्तरों में छापामार जांच के डर से अधिकारी कर्मचारी दफ्तरों में वक़्त पर पहुंचने लगे ,,दफ्तरों में छात्रों और उनके परिजनों के बेरोकटोक काम होने लगे ,,,सिनेमाघरों में छात्रों को कन्सेशन मिले तो बसों और ट्रेनों में छात्रो को रियायती दर पर सफर का मजा मिला ,,,,रोज़गार कार्यालय में भ्रष्टाचार खत्म हुआ तो सरकारी अधिकारी कर्मचारियों द्वारा जनता के पेसे का दुरूपयोग कर सरकारी वाहनों में मोज मस्ती करने पर छापामार चेकिंग कर रोक लगवाई गई ,,,,,,,,छात्रो को सम्मान मिला ,,,,अशोक कालरा इनके काल में सुपर स्टार रहे राजेश खन्ना के हमशक्ल होने से राजेश खन्ना के नाम से प्रचारित थे ,,महिलाये इनकी फेन थी और इनके इशारे पर ही छात्र राजनीति में वोटिंग होती थी ,,,,,उर्दू ,,अंग्रेजी ,,पंजाबी ,,हिंदी सहित कई भाषाओं पर इनका कमांड रहा ,,,,कोटा की सियासत के बाद अशोक कालरा दिल्ली की सियासत में गए जहाँ काफी दिनों तक कोंग्रेस के हक में संघर्ष किया ,,,राजीव फ़ोर्स के नाम से आन्दोलन किये तो विदेशी दूतावासों का घेराव कर अपनी उपस्थिति जताई ,,,राजीव गांधी ने अशोक कालरा को उनके सत्ता कार्यकाल में बूंदी जिले का प्रशिक्षक नियुक्त कर सम्मान दिया ,,अशोक कालरा का मुख्य नारा ,,,,,,,आप मालिक है ,,इनकी पहचान है ,,छोटा हो चाहे बढ़ा हो सभी को सम्मान ,,,सभी को प्यार और जेब से निकाल कर मिठास बांटने के रूप में चोकलेट खिलाने का इनका अंदाज़ सभी को भाता है और लोग कहते है के मिठास बांटने वाले इस शख्स के दिल में कितनी मिठास होगी ,,उसूलो के लिए संघर्ष ,,उसूलो के खिलाफ कभी समझोता नहीं ,,इसी स्वभाव के कारण अशोक कालरा के खिलाफ कई दर्जन फोजदारी मुकदमे दमनकारी निति के तहत दर्ज हुए ,,कई संघर्षो में इन्हें पुलिस की लाठी का शिकार होना पढ़ा लेकिन यह न टूटे ,,न झुके बस चलते रहे ,,,अशोक कालरा कोटा के वकील आन्दोलन में भी सक्रिय रहे है एक बार वकीलों के आन्दोलन के दोरान भूख हडताल के वक्त जब अशोक कालरा को भूख हडताल पर बताया गया तो इनका कहना था के में बैठूँगा लेकिन मांगे पूरी होने तक उठूँगा नहीं ,,अपने उसूलों के प्रति जिद्दी अशोक कालरा ने यही किया ,,एक दिन ,दो दिन ,,चार दिन ,,भूख हडताल से स्वास्थ्य ख़राब ,,,चिकित्सकों की रिपोर्ट खिलाफ ,लेकिन अशोक कालरा भूख हडताल से टस से मस नहीं ,,,,,,,,,आखिर सरकार को झुकना पढ़ा ,,एक अशोक कालरा के भूख हडताल के दृढ संकल्प के कारन सभी वकीलों को इंसाफ मिला ,,वकील साथियों ने अशोक कालरा की जय जय कार की और इन्हें कोटा अभिभाषक परिषद का अध्यक्ष निर्वाचित किया ,,,,इनके कार्यकाल में न्यायिक अधिकारीयों में भी घबराहट थी ,,अशोक कालरा ,,,सरकारी वकील भी रहे है जबकि स्थाई लोग अदालत में स्थाई लोक अदालत के जज सदस्य के रूप में भी आप नियुक्त किये गए ,,,,,,,,अशोक कालरा आज भी मुस्कुराते है तो राजेश खन्ना याद आते है ,,उनके बोलचाल ,,उनकी सूरत शक्ल ,,उनके अंदाज़ आज भी कोटा के लोगों में राजेश खन्ना की यादे ताज़ा रखते है ,,लेकिन अशोक कालरा नोजवानो ,,बुजुर्गो के बीच आप मालिक है के जुमले के साथ मिलनसारी का किरदार निभाकर ,,लोगों में मिठास बाँट कर समाज की कडवाहट को दूर करने की कोशिशो में जुटे है ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आवासीय योजना की आरक्षित दर के अलावा विकास शुल्क की राशि वसूली के मामले में सरकार को प्रस्ताव भेजने का आश्वासन दिया है ,,,,

कोटा अभिभाषक परिषद शिष्ठ्मंडल को आज ज़िलाकलेक्टर डॉक्टर रवी कुमार सुरपुर ने अभिभाषक आवासीय योजना की आरक्षित दर के अलावा विकास शुल्क की राशि वसूली के मामले में सरकार को प्रस्ताव भेजने का आश्वासन दिया है ,,,,,,,,,,कोटा अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष रघुगोतम ,,महासचिव संजीव विजय ,,,,,,अख्तर खान अकेला ,,प्रमोद शर्मा ,,लीलाधर अग्रवाल ,,,कोषाध्यक्ष रामगोपाल चतुर्वेदी ,,नरेश शर्मा सहित कई वकीलों ने आज जिला कलेक्टर कोटा को वकील आवासीय कॉलोनी मामले में दरो को लेकर चल रहे गतििरोध को दूर करने की जिला कलेक्टर से मांग की मांग की और जिला कलेक्टर के ज़रिये मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा सिंधिया के नाम ज्ञापन भी सौंपा ,,जिला कलेक्टर ने वार्ता के समय नगर विकास न्यास के सचिव सहित कई अधिकारीयों को पत्रावली सहित तलब किया था ,,,अध्यक्ष रघुनन्दन गौतम ने जिला कलेक्टर को बताया की वकीलों की आवासीय कॉलोनी दो सो अठावन रूपये प्रति वर्ग फिट आरक्षित दर पर दी गई है ,जबकि नगर विकास कर्मचारियों को आरक्षित दर दो सो अठ्ठावन से आधी दर में भूखंड दिए गए है जबकि विकास शुल्क के नाम पर वकीलों से अतिरिक्त मनमाना शुल्क जोड़कर वसूली का तखमीना बनाया गया है ,,,,रघु गौतम ने कहा के इस क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियों के अलावा नगर न्यास की दूसरी योजनाये भी है ऐसे में वकीलों से विकास शुल्क के नाम पर चौथ वसूली मनमानी कार्यवाही है ,,,जिला कलेक्टर कोटा ने वकीलों के शिष्ठ मंडल को धैर्य और संयम से सूना ,,न्यास अधिकारी कर्मचारियों से क्रॉस सवालात किये ,,दस्तवेजात देखे ,,और प्रशासनिक समझ बुझ से फैसला सुनाते हुए कहा के वकीलों की इस समस्या के मामले में विकास शुल्क खत्म कर केवल आरक्षित दर पर आवासीय भूखंड देने का प्रस्ताव समीक्षा कर राज्य सरकार को बनाकर भेजा जाएगा और इस पर अंतिम फैसला राज्य सरकार ही करेगी क्योंकि पूर्व के निर्णय को बदलने का कोटा स्तर पर अधिकार नहीं है जिला कलेक्टर ने ,इसी दौरान नगर विकास न्यास सचिव सहित अन्य अधिकारीयों को भी पूर्व में ही तलब कर रखा था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कोटा जिला कलेक्टर की प्रशासनिक सूझ बुझ से सभी अभिभाषक प्रभावित थे जबकि अध्यक्ष रघुनन्दन गौतम चलने फिरने असमर्थ होने पर भी अभिभाषक आवासीय योजना की दरो के गतििरोध को खत्म करने की वार्ता में विकट परिस्थितियों में भी मौजूद रहे ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोदी के पैकेज पर भड़के नीतीश ने पूछा-एक मुर्गे को कितनी बार हलाल करेंगे पीएम?

मंगलवार सुबह पटना एयरपोर्ट पर गर्मजोशी से मिलते पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार। हालांकि, बाद की रैलियों में यह गर्मजोशी गायब हो गई। शाम तक तल्खी बढ़ गई।
मंगलवार सुबह पटना एयरपोर्ट पर गर्मजोशी से मिलते पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार। हालांकि, बाद की रैलियों में यह गर्मजोशी गायब हो गई। शाम तक तल्खी बढ़ गई।
पटना: पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को बिहार के लिए सवा लाख करोड़ रुपए के पैकेज के एलान पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उनको निशाने पर लिया है। नीतीश ने कहा, ''पीएम ने जो पैकेज का एलान किया है, उसमें से कई योजनाएं पहले से ही शुरू हैं। योजनाओं में कुछ भी नया नहीं है। पीएम यह भी बताएं कि ये काम कब तक पूरे होंगे? पीएम एक ही मुर्गे को कितनी बार हलाल करेंगे?'' केंद्रीय फंड का इस्तेमाल न करने और राज्य में विकास का काम न होने के मोदी के आरोपों को नीतीश ने सिरे से खारिज कर दिया। नीतीश ने कहा, ''मुझे हैरानी होती है कि वे अपने तथ्य कहां से लाते हैं? बिहार के हर क्षेत्र में काम हुआ है। बिजली की स्थिति में कितना सुधार हुआ है, ये यहां की जनता जानती है। हमने जो पैसा खर्च किया है, वो भी नहीं मिला। सड़कों को ठीक कराने में एक हजार करोड़ खर्च किया गया, पहले वो तो पहले लौटा दें। केंद्र की एजेंसियां राज्य में काम नहीं कर रहीं।''
नीतीश का आरोप- मोदी ने रूटीन काम को बताया पैकेज का हिस्सा
नीतीश के मुताबिक, पहले से जो विकास कार्य पाइपलाइन में थे, मोदी ने उसे भी स्पेशल पैकेज में शामिल कर दिया। नीतीश ने कहा, '' मोदी ने रेलवे को पैसा देकर कुछ नया नहीं किया। ये तो रूटीन काम है। यानी बिजली के खंभे या पटरी बिछाना भी पैकेज में दिया जाएगा? क्या बिहार में रेगुलर काम नहीं होगा क्या? डिजिटल इंडिया के लिए पूरे देश को पैसा दे रहे हैं, ये उसे भी विशेष पैकेज में गिना रहे हैं। रेल प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए जो पैसा लगेगा, क्या वो केंद्र देगा? 2700 करोड़ रुपए में एयरपोर्ट कैसे बनेगा? हवाई अड्डे के लिए जमीन भी केंद्र को ही देना है। टूरिस्ट सर्किट के लिए 700 करोड़ दिया गया है, इतने कम पैसे में सात सर्किट कैसे बनेगा? ''
पीएम की टिप्पणी पर नाराज
पीएम की स्पीच में की गई टिप्पणियों पर नीतीश ने कहा, ''पीएम जैसे बोल रहे थे, ऐसा लगा मानो बोली लगा रहे हों। पीएम कॉपरेटिव फेडरेलिज्म की बात करते हैं, लेकिन उसके उलट राज्यों का अपमान करते हैं। अगर राज्य आपसे अपनी बात रखता है तो आप उसे याचक कहते हैं। एक तरफ वो मुझे याचक कहते हैं और दूसरी तरफ अहंकारी कहते हैं। ये विरोधाभास है। बिहार के विकास के लिए मुझे याचक बननना पड़े तो मुझे उससे कोई आपत्ति नहीं है। पीएम राज्यों का मजाक उड़ा रहे हैं जबकि उन्हें जो राज्य तरक्की कर रहे हैं, उन्हें उनकी पीठ थपथपानी चाहिए।''
पैसे लौटाने पर भी दी सफाई
मोदी के गुजरात के सीएम रहने के दौरान बिहार की आपदा में भेजी गई पांच करोड़ की मदद ठुकराने के आरोप पर भी नीतीश ने सफाई दी। नीतीश ने कहा, ''आपदा 2008 में आई, हमने पैसा 2010 में लौटाया। भारतीय संस्कृति में देने वाला कभी बोलता नहीं है। पांच करोड़ रुपए देकर गुजरात सरकार ने कहा कि यह किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे ज्यादा योगदान है। पीएम को सिर्फ बोलना आता है, बोलने में क्या जाता है।'' एक अन्य सवाल के जवाब में नीतीश ने कहा, ''कोई कितना भी जोर लगा ले, हम खत्म होने वाले नहीं हैं। एक बिहारी सब पर भारी।''

लबों पर

लबों पर हर किसी के प्यार की मुस्कान लिखना है,
हमें हिन्दु न मुस्लिम पहले इक इंसान लिखना है।
जिसे लिखना हो सफ्हें नफरतों के शौक से लिखे
हमें तो हर किसी के दिल में हिन्दुस्तान लिखना है॥

दुनिया में तीन लोग

दुनिया में तीन लोग बहुत प्यारे और अच्छे हैं...!!
एक मैं...!!
दुसरा मेरे पेरेंटस की औलाद...
यानि के मैं...!!
और तीसरा आपका दोस्त...
यानि के फिर मैं...!!
जलो मत हौसला रखो आप भी तो इतने प्यारे और अच्छे इंसान के दोस्त हो...!!
यानि के फिर मैं....!

बिहार को मोदी का पैकेज: जानिए कैसे और कहां खर्च होंगे सवा लाख करोड़ रुपए

...
पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बिहार के लिए सवा लाख करोड़ रुपए के स्पेशल पैकेज का एलान किया। वे आरा में कई सरकारी योजनाओं की शुरुआत करने पहुंचे थे। जेडीयू ने पैकेज को राजनीतिक रिश्वत करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि यह पैकेज वोटरों को लुभाने के लिए है।
कहां खर्च होंगे सवा लाख करोड़ रुपए?
कितनी रकम (करोड़ रुपए में) किस काम के लिए दिए गए?
54, 713 2775 किमी लंबे हाईवे के साथ-साथ कोसी, सोन और गंगा नदियों पर पुल और 12 रेल ओवरब्रिज बनाने के लिए।
21,476 पेट्रोलियम और गैस सेक्‍टर के तहत बरौनी रिफाइनरी का विस्‍तार करने और रक्‍सौल से नेपाल तक पेट्रोल-डीजल के लिए पाइपलाइन बिछाने के लिए।
पाइप के जरिए घरों तक रसोई गैस पहुंचाने और ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को एलपीजी कनेक्‍शन देने के लिए।
नया पेट्रोकेमिकल प्‍लांट बनाने की भी योजना है।
16,130 गांव-कस्‍बों तक बिजली पहुंचाने और बक्‍सर में 1300 मेगावाट का पावर प्‍लांट लगाने के लिए।
13,820 गांवों में 22,500 किलोमीटर लंबी सड़के बनवानें के लिए।
8,870 676 किलोमीटर लंबे रेल रूट पर डबल और ट्रिपल ट्रैक बिछाने के साथ-साथ 574 किलो मीटर लंबे रेल रूट पर बिजली से ट्रेन चलाने की व्‍यवस्‍था करने पर।
3,094
राजेन्‍द्र प्रसाद एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने, नए रिसर्च सेंटर खोलने के लिए।
मछली पालन को बढ़ावा देने, सिंचाई से जुड़ी स्‍कीम लागू करने, खेती में मशीनों का इस्‍तेमाल बढ़ाने के लिए।
तैयार फसल रखने के लिए नए गोदाम बनाए जाने के लिए।
1000 एजुकेशन सेक्‍टर में बोध गया में आईआईएम और भागलपुर के पास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने के लिए।
2700 पटना में एक और हवाईअड्डा बनाने के साथ-साथ गया, रक्‍सौल और पूर्णिया के एयरपोर्ट को डेवलप करने के लिए।
1550 स्किल डेवलपमेंट के लिए यूनिवर्सिटी खोलने और एक लाख युवाओं को ट्रेंड करने के लिए।
600 पटना, भागलपुर , गया के मेडिकल कॉलेजों को और बेहतर बनाने के लिए।
600 सात टूरिज्‍म सर्किट डेवलप करने के लिए।
440
डिजिटल बिहार के लिए।
टेक्‍नोलॉजी पार्क्‍स, रूरल बीपीओ, ट्रेनिंग सेंटर, एक हजार नए मोबाइल टॉवर बनाने, बड़े टूरिस्‍ट स्‍पॉट्स पर 30 वाई-फाई हॉटस्‍पॉट बनाने और सर्विस सेंटर्स की संख्‍या बढ़ा कर 8,800 से 26,000 करने के लिए।
आरा में हुए कार्यक्रम में मोदी ने कहा, '' मैं आरा की धरती से बिहार की जनता को किया अपना वादा पूरा करता हूं। मुझे लगा कि 50 हजार करोड़ से कुछ नहीं होने वाला। आज मैं यहां से विशेष पैकेज का एलान करता हूं। 70 हजार करूं कि 80 हजार करूं कि ज्यादा करूं? ...मैं आज वादा करता हूं। बिहार का भाग्य बदलने के लिए सवा लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा, 40 हजार करोड़ की योजनाएं पहले से ही मंजूर की जा चुकी हैं। अगर दोनों को जोड़ दूं तो कुल 1 करोड़ 65 लाख करोड़ होंगे। इसमें नीतीश कुमार सरकार के पास पहले से बचे 8282 करोड़ रुपए शामिल नहीं हैं। ''
नीतीश पर निशाना
मोदी ने कहा, '' बिहार को बीमारू राज्य कहा तो यहां के सीएम नाराज हो गए। उन्होंने डंके की चोट पर कहा- अब बिहार बीमारू राज्य नहीं है। सीएम जी, आपके मुंह में घी-शक्कर। मैं आपकी बात को स्वीकार करता हूं। लेकिन अगर राज्य बीमारू नहीं है तो क्यों आप रोज कहते हैं कि हमें ये दो, हमें वो दो।'' इससे पहले, पटना एयरपोर्ट पहुंचने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम का स्वागत किया। मोदी ने 10 सड़कें बनाने की नींव रखीं और 1 सड़क का उद्घाटन किया।
मोदी पर नीतीश-लालू ने किया पलटवार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा,''बिहार को विशेष सहायता दिलाने के लिए मेरे प्रयासों को मोदीजी द्वारा याचना बताने पर मुझे इतना ही कहना है कि बिहार और बिहार की जनता के लिए अगर मुझे बार-बार याचक के तौर पर किसी के दरवाज़े जाना पड़े तो इसमें मुझे कोई संकोच नहीं है।'' बिहार के लिए पैकेज एलान पर उन्होंने कहा, ''मुझे पैकेज के डिटेल का इंतजार है। स्पेशल पैकेज मांग नहीं, हक है।'' वहीं आरजेडी सुप्रीम लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट कर पीएम पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ''स्पेशल स्टेटस और पैकेज में फर्क होता है। वादा तो स्पेशल स्टेटस का किया था।''
आरा में सरकारी प्रोग्राम में पैकेज का एलान करने के बाद मोदी ने सहरसा में भाजपा की परिवर्तन रैली को एड्रेस किया। वहां उन्‍होंने नीतीश कुमार को अहंकारी बताया।

फाइल फोटो: इलाहाबाद हाइकोर्ट।
फाइल फोटो: इलाहाबाद हाइकोर्ट।
इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि यूपी के सभी जनप्रतिनिधियों, सरकारी अफसरों और कर्मचारियों और जजों को अपने बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्‍कूलों (प्राथमिक विद्यालयों) में पढ़ाना होगा। हाईकोर्ट के मुताबिक, यदि सरकारी कर्मचारियों ने अपने बच्‍चों को कॉन्‍वेंट स्कूलों में पढ़ाया तो उन्‍हें फीस के बराबर की रकम हर महीने सरकारी खजाने में जमा करानी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे लोगों का इंक्रीमेंट और प्रमोशन कुछ वक्त के लिए रोकने की व्यवस्था की जाए। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने यह आदेश दिया।
यूपी के जूनियर और सीनियर स्कूलों में पढ़ाई की बुरी हालत के मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह सख्त कदम उठाया है। कोर्ट ने कहा कि जब तक जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों, टॉप लेवल पर बैठे अधिकारियों और जजों के बच्चे सरकारी स्कूलों में अनिवार्य रूप से नहीं पढ़ेंगे, तब तक इन स्कूलों की हालत नहीं सुधरेगी।
छह महीने का दिया वक्त
हाईकोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह अन्य अधिकारियों से राय-मशविरा करके यह सुनिश्चित करें कि सरकारी, अर्द्धसरकारी विभागों के बाबू, जन प्रतिनिधियों, जुडिशरी के लोग, सरकारी खजाने से सैलरी पाने वाले लोगों के बच्चे अनिवार्य रूप से यूपी बोर्ड द्वारा संचालित स्कूलों में एजुकेशन हासिल करें। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा है कि वह इस मामले में की गई कार्रवाई के बारे में छह महीने बाद रिपोर्ट दें।

क़ुरआन का सन्देश

   
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