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20 अगस्त 2015

जस्टिस भंवरू खान को पुलिस अधिनियम को लागू करने के मामले में न्यायालय की अवमानना के खौफ से पुलिस जवाबदेही समिति का चेयरमेन तो बना दिया गया

राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस भंवरू खान को पुलिस अधिनियम को लागू करने के मामले में न्यायालय की अवमानना के खौफ से पुलिस जवाबदेही समिति का चेयरमेन तो बना दिया गया लेकिन अब तक उन्हें पिछली सरकार और नई भाजपा सरकार ने कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है ,,हालत यह है के पीडितो को इन्साफ दिलाने के जस्टिस भंवरू खान के जज़्बे की वजह से भवँरु खान अब खुद के खर्च पर ही राजस्थान भर में जनसुनवाई कर पीडितो को तत्काल इन्साफ दिलाने की कोशिशो में जुटे है ,,,,,,,,जस्टिस भंवरू खान स्वभाव से ही न्यायप्रिय है और त्वरति न्याय के सिद्धांत पर काम करते रहे है है ,,,शोषितो ,,उत्पीड़ितों ,गरीबों को उनका हक़ मिले इसके लिए इनका न्यायिक संघर्ष का एक इतिहास रहा है ,,,,,,राजस्थान में पुलिस अधिनियम दो हज़ार छ बनाया गया ,,फिर वर्ष दो हज़ार सात में पुलिस नियम बनाये गए ,,पहले वसुंधरा सरकार ,,फिर गेहलोत सरकार ,,फिर वसुंधरा सरकार लेकिन पुरे पंद्रह साल के इस सफर में राजस्थान में जनता को निष्पक्ष इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस अधिनियम के आवश्यक प्रावधानों के बाद भी पुलिस जवाब देही समिति गठन सहित जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो ह्यूमन रिलीफ सोसाइटी की तरफ से महासचिव अख्तर खान अकेला ने इस मामले में सरकार सहित न्यायालयों का दरवाज़ा खटखटाया ,,सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत जागृति कार्यक्रम चलाया ,,,नतीजन पूर्व अशोक गेहलोत सरकर ने रस्मन पुलिस कल्याण आयोग ,,,पुलिस जवाब देही समीति का प्रतीकात्मक गठन किया ,,,,समिति का गठन तो किया लेकिन कोई बजट कोई सुविधा नहीं ,,रहने की सुविधा नहीं ,,सचिव नहीं ,,स्टाफ नही ,,,ऐसे में कैसे आम हो ,,कैसे जनता और पीड़ित पुलिस पक्ष के कल्याण की बात हो ,,केवल दो वर्ष की नियुक्ति का कार्यकाल और सरकार बदल गई ,,वसुंधरा सरकार आई लेकिन आम जनता के इंसाफ ,,शोषित और पीड़ित पुलिस कर्मियों के कल्याण के लिए कोई जज़्बा कोई सुनवाई नहीं ,,कोई बजट नहीं ,,पुलिस नियामक आयोग नीं ,,पुलिस जवाब देही समिति तो है लेकिन बजट नहीं देने से कोई एक्शन नहीं ,,पुलिस कल्याण आयोग तो है लेकिन बजट के बगैर पुलिस के कल्याण की योजनाये अधूरी है ,,केवल झुनझुना बजाने के अलावा कुछ नहीं ,,,,,,,,,,,,राजस्थान पुलिस अधिनियम की पालना नहीं जबकि प्रकाश सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में पुलिस और जनता के बीच संवाद स्थापित करने ,,निरंकुश पुलिस पर जनता का अंकुश रखने ,,पीड़ित पुलिस कर्मियों के कल्याण की सुनवाई को लेकर पुलिस अधिनियम के गठन के आदेश थे ,,अफ़सोस राजस्थान ने इस क़ानून को पुरे देश में सबसे पहले तो बनाया ,,विधानसभा में पारित भी करवाया लेकिन आज तक भी इस क़ानून को लागू नहीं कर पाई है ,,सरकार को जनता की पीड़ा से कोई वास्ता नहीं केवल अफ़सरशाई और नौकरशाही की गुलाब बनी सरकार पुलिस जवाब देही समिति ,,पुलिस नियामक आयोग ,,जिला और संभाग समितियों सहित पुलिस कल्याण आयोग के गठन को टालती रही ,,ह्यूमन रिलीफ सोसाइटी महासचिव की हैसियत से इस मामले में अख्तर खान अकेला का संघर्ष जारी रहा ,,नतीजन पिछली सरकार ने दिखावटी तोर पर पुलिस जवाबदेही समिति का गठन तो किया लेकिन राजयभर में सुनवाई के लिए कोई बजट नहीं ,,,कोई भत्ता नहीं ,,कोई सुविधा नहीं ,,कोई स्टाफ नहीं ,,,,,संभाग स्तर और जिला स्तर की समितियों का गठन नहीं ,,,जस्टिस भंवरू खान ने सरकार की सुविधाओ का इन्तिज़ार किया लेकिन जब वक़्त कम देखा और काम ज़्यादा ,,शिकायते ज़्यादा ,,पीड़ितों की सिसकियाँ और आहे सुनी तो उनसे रहा न गया और जस्टिस भंवरू खान खुद के खर्च पर जवाबदेही समिति के चेयरमेन की हैसियत से जनता के हक़ की लड़ाई के लिए निकल पढ़े वोह चौराहो पर ,,,सड़कों पर ,,,ज़मीन पर चौपाल लगाकर सुनवाई करते है और पीड़ित लोगों को तत्काल न्याय भी दिलवाने के आदेश देकर उनके मुरझाये हुए चेहरों को खिला भी देते है ,,,जस्टिस भंवरू खान से आज जब मेने कोटा संभाग क्षेत्र में भी दौरा कर जनसुनवाई का आग्रह किया तो उन्होंने सरकार की बेरुखी का दर्द छुपाते हुए सिर्फ इतना कहा ,इंशा अल्लाह कोटा संभाग क्षेत्र में भी जनसुवाई कार्यक्रम होगा चाहे मेरे अपने निजी खर्च पर ही क्यों न हो ,,,बस में उनका दर्द समझ गया ,,काश राजस्थान की सरकार ,,,राजस्थान का मिडिया ,,राजस्थान का प्रतिपक्ष ,,राजस्थान के मानवाधिकार कार्यकर्ता पुलिस अधिनियम के विशिष्ठ प्रावधानों के तहत गठित इस जवाब देही समिति की ज़रूरत इस राजस्थान के इंसाफ के लिए समझे और पुलिस जवाब देही समिति को मज़बूती देने के लिए निष्पक्षता देने के लिए संभाग और ज़िले स्तर पर गठित करवाकर आम जनता को इंसाफ दिलवाने के लिए कोई क़दम उठाये तो बात बने ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जन्म लेते ही तुलसीदासजी ने बोला था राम, पत्नी के कारण बने संत

जन्म लेते ही तुलसीदासजी ने बोला था राम, पत्नी के कारण बने संत
श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई जाती है। इस बार उनकी जयंती 22 अगस्त, शनिवार को है। तुलसीदासजी ने ही श्रीरामचरितमानस की रचना की है। श्रीरामचरितमानस में भगवान श्रीराम के जीवन का अद्भुत और सुंदर वर्णन मिलता है। आज गोस्वामी तुलसीदासजी की जयंती के अवसर पर हम आपको उनके बारे में कुछ ऐसी बातें बातें रहा हैं जो बहुत ही कम लोग जानते हैं-

1. श्रीरामचरितमानस का लेखन गोस्वामी तुलसीदास ने किया था। इनका जन्म संवत् 1554 में हुआ था। जन्म लेने के बाद बालक तुलसीदास रोए नहीं बल्कि उनके मुख से राम का शब्द निकला। जन्म से ही उनके मुख में बत्तीस दांत थे। बाल्यवास्था में इनका नाम रामबोला था। काशी में शेषसनातनजी के पास रहकर तुलसीदासजी ने वेद-वेदांगों का अध्ययन किया।

2. संवत् 1583 में तुलसीदासजी का विवाह हुआ। वे अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे। एक बार जब उनकी पत्नी अपने मायके गईं तो पीछे-पीछे वे भी वहां पहुंच गए। पत्नी ने जब यह देखा तो उन्होंने तुलसीदासजी से कहा कि जितनी तुम्हारी मुझमें आसक्ति है, उससे आधी भी यदि भगवान में होती तो तुम्हारा कल्याण हो जाता। पत्नी की यह बात तुलसीदासजी को चुभ गई और उन्होंने गृहस्थ आश्रम त्याग दिया व साधुवेश धारण कर लिया।

जाने क्या कह गया कानों में ढलता सूरज ,

जाने क्या कह गया कानों में ढलता सूरज ,
आसमां में चाँद - तारे मुस्कुराते नज़र आये ।,,,,,,जी हाँ दोस्तों कहने को यह चंद अलफ़ाज़ है लेकिन मतदाताओ का यह अंदाज़ राजस्थान नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस के लिए ख़ुशी और भाजपा खासकर खुद मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा सिंधिया के लिए एक अफ़सोस भरा पैगाम है ,,,,कांग्रेस की चाहे जीत हुई हो ,,,कांग्रेस ने चाहे महारानी के गढ़ में जाकर महारानी का क़िला ध्वस्त कर जीत हासिल कर अपना परचम लहरा दिया हो ,,लेकिन उत्साहित होने के साथ साथ कांग्रेस को भी दूसरे स्थानो के परिणामो को लेकर चिंतन मंथन की आवश्यकता है ,,,,,,दोस्तों नगरपालिका चुनाव सीधे भाजपा लहर के बाद हुए ,,पहले पंचायत के चुनाव में कोटा संभाग के मुख्यालय ग्रामीण क्षेत्र के चुनाव जहाँ भाजपा और खासकर आर एस एस का गढ़ कहा जाता है ,,वहां पंचायत ,,ज़िलापरिषद चुनाव में कांग्रेस ज़िंदाबाद हुई ,,इसके पहले उप चुनाव में चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस ज़िंदाबाद हो चुकी थी ,,बात समझने की है के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जनता ने गुमराह होकर वोट दिया और फिर अब इन चुनाव में जनता फिर से कांग्रेस की तरफ झुकाव होने की वजह से अपनी भूल सुधार कर रही है ,,,,,,,,,,भाजपा की मुख्यमंत्री लगातार कोटा संभाग की समस्याओं से विमुख है ,,कोटा संभाग का एक जिला झालावाड़ जहाँ से वोह विधायक होने की वजह से मुख्यमंत्री बनी है ,,झालावाड़ और बारा ज़िले मिलकर लोकसभा क्षेत्र बने है जहाँ से उनके पुत्र दुष्यंत सांसद है ,,लेकिन बारां ,,झालावाड़ के लोग श्रीमती वसुंधरा के कारनामो से खुश नहीं है बल्कि अब वोह कांग्रेस को ज़िंदाबाद करने के लिए मुख्यमंत्री को उनके खुद के गृह ज़िले में सभी लालच और दबाव के बाद भी कांग्रेस को वोट दे रहे है ,,मुख्यमंत्री के प्रभावित क्षेत्र धौलपुर के भी यही हालत रहे है ,,चमचे और चापलूस चाहे इस परिणाम को किसी भी नज़र से देखे लेकिन यक़ीनन यह भाजपा और खासकर मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया की सभी कार्ययोजनाओं के खिलाफ जनता का गुस्सा है और सीधे रूप में अगर कहा जाए तो यह एक मुख्यमंत्री ,,एक सांसद की असफलता की पराकाष्ठा है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दूसरी तरफ हम कांग्रेस की बात करे ,,झालावाड़ ,,,बारां में कांग्रेस जिस तरह से ज़िंदाबाद हुई है उसके लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता ,,चुनावी प्रबंधन और कांग्रेस के प्रभारी पंकज मेहता ,,नईमुद्दीन गुड्डू ,,बारां के प्रमोद जेन भाया शाबाशी के पात्र है लेकिन जहाँ कांग्रेस चुनाव हारी है ,,वहां कांग्रेस मज़बूत होकर भी ,,चुनावी कुप्रबंध और टिकिट वितरण में अनावश्यक हाईकमान के दिग्गजों के हस्तक्षेप ,,,आपसी गुटबाज़ी ,,मुख्य कार्यकर्ताओें की उपेक्षा ,,ओवरकॉन्फिडेंस सहित कई कारण चुनाव में हार की वजह रहे है ,,कांग्रेस जीत की तरफ है ,,जनता में कांग्रेस का फिर क्रेज है लेकिन कांग्रेस के कुछ लोग है जो आज भी गुटबाज़ी ,,निजी तोर पर कांग्रेस से खुद को बढ़ा समझने वाले लोग कांग्रेस की हर बार जीती हुई बाज़ी हार में बदल रहे है ,,,,कांग्रेस हाईकमान को राजस्थान में सबसे पहले वोटर्स और आम जनता की पसंद को समझना होगा ,,,,उनके मुद्दो में खुद को शामिल करना होगा ,,कांग्रेस के परम्परागत वोटर्स के क्षेत्रों में अपनी पसंद को थोपने से खुद को रोकना होगा ,,इसके लिए कांग्रेस को निष्पक्ष रूप से पत्रकारों ,,सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारीयों ,,,वकीलों की एक सर्वेक्षण टीम चुनावी क्षेत्रो में भेजकर हार के कारणों ,,टिकिट वितरण में धांधलियों ,,मनमानी ,,चुनाव कुप्रबंधन ,,,गुटबाज़ी ,,कांग्रेस द्वारा कांग्रेस को हराने के साज़िश कर्ताओ की रिपोर्ट लेकर चिंतन मंथन करना होगा ,,कांग्रेस को खुद के तोर तरीक़ो ,,पदाधिकारियों को जनता की पसंद और कार्यकर्ताओं की भावना के अनुरूप बनाना होगा तब कही कांग्रेस फिर ठोस और मज़बूत हो सकेगी ,,,कांग्रेस के शुद्धिकरण और सुधार का यह काम सिर्फ़ और सिर्फ कांग्रेस सुप्रीमो सचिन पायलेट ही कर सकते है जो उन्हें अब चिंतन मंथन कर भविष्य की रणनीति मज़बूत करने के लिए यह सब तो कठोर ह्रदय कर करना ही होगा ,,,,यह किसी एक कार्यकर्ता की आवाज़ नहीं राजस्थान भर के कांग्रेस जन की आवाज़ है और यह सब करके कांग्रेस को तो ज़िंदाबाद करना ही होगा ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यूएस मिलिट्री में महिलाओं को देते हैं ऐसी ट्रेनिंग, पिलाते हैं सांप का खून

थाईलैंड के चोन बुरी प्रांत में जंगल एक्सरसाइज के दौरान कोबरा सांप का खून पीती अमेरिकी सैनिक। ये एक्सरसाइज थाई नेवी के साथ मिलकर की गई।
थाईलैंड के चोन बुरी प्रांत में जंगल एक्सरसाइज के दौरान कोबरा सांप का खून पीती अमेरिकी सैनिक। ये एक्सरसाइज थाई नेवी के साथ मिलकर की गई।
इंटरनेशनल डेस्क। अमेरिकी सेना के मशहूर रेंजर स्कूल से ट्रेनिंग कोर्स पूरा कर दो महिला सैनिकों ने इतिहास रच दिया है। क्रिस्टेन ग्रीस्ट और शाए हेवर आर्मी रेंजर स्कूल से पहली बार गैजुएट होने वाली महिलाएं बन गई हैं। इसके लिए इन्हें जंगल और पहाड़ों पर कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा। हालांकि, सेना में भर्ती के बाद भी मुश्किल ट्रेनिंग का ये सफर बरकार रहेगा और जंगल एक्सरसाइज के दौरान तो इन्हें जंगली जानवरों से निपटने के साथ ही सर्वाइवल के लिए सांप का खून पीने तक की ट्रेनिंग से गुजरना होता। हालांकि, ग्रीस्ट और हेवर की कामयाबी के बाद महिलाओं को अब कॉम्बैट ऑपरेशंस में फ्रंट लाइन पर लड़ने का मौका मिल सकता है, जिसकी अब तक उन्हें आजादी नहीं थी।
1775 से अमेरिकी सेना में महिलाएं
वैसे तो अमेरिकी सेना में महिलाएं 1775 से अपनी सेवाएं दे रही हैं, लेकिन तब उनकी जिम्मेदारी नर्स, लॉन्ड्री और कुकिंग से ज्यादा की नहीं थी। हालांकि, अमेरिकी गृह युद्ध में सैकड़ों महिलाएं ने लड़ाई लड़ी, लेकिन सभी ने पुरुषों के वेश में इसमें हिस्सा लिया। 1948 में जाकर आखिरकार महिलाओं को कानूनी तौर पर मिलिट्री सर्विस का स्थायी हिस्सा बनाया गया। हालांकि, महिलाओं के किसी भी कॉम्बैट ऑपरेशन में शामिल होने की अनुमति नहीं थी।
पॉलिसी में बदलाव
2013 में सेना में महिलाओं को सीधे मुकाबले के लिए यूनिट में शामिल न करने की पॉलिसी को खत्म कर दिया गया। इसके बाद 2014 में अमेरिकी सेना ने 33 हजार नए पदों का एलान किया, जो पहले महिलाओं के लिए प्रतिबंधित थे। मौजूदा समय में सेना में 78 फीसदी पदों पर महिलाएं काम कर सकती हैं। हालांकि, कॉम्बैट ऑपरेशंस में फ्रंट लाइन पर सेवाएं देने की पूरी आजादी महिलाओं को अब भी नहीं है।

चाय के दुष्प्रभाव 🌞 ☕ चाय पिने वाले इसे जरूर पढ़े !!!!!!!!!!!!!! सिर्फ दो सौ वर्ष पहले तक भारतीय घर में चाय नहीं होती थी। आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछता है। ये बदलाव अंग्रेजों की देन है। कई लोग ऑफिस में दिन भर चाय लेते रहते है., यहाँ तक की उपवास में भी चाय लेते है । किसी भी डॉक्टर के पास जायेंगे तो वो शराब - सिगरेट - तम्बाखू छोड़ने को कहेगा , पर चाय नहीं, क्योंकि यह उसे पढ़ाया नहीं गया और वह भी खुद इसका गुलाम है. परन्तु किसी अच्छे वैद्य के पास जाओगे तो वह पहले सलाह देगा चाय ना पियें। चाय की हरी पत्ती पानी में उबाल कर पीने में कोई बुराई नहीं परन्तु जहां यह फर्मेंट हो कर काली हुई सारी बुराइयां उसमे आ जाती है। आइये जानते है कैसे? अंत में विकल्प ज़रूर पढ़ लें: - हमारे गर्म देश में चाय और गर्मी बढ़ाती है, पित्त बढ़ाती है। चाय के सेवन करने से शरीर में उपलब्ध विटामिन्स नष्ट होते हैं। इसके सेवन से स्मरण शक्ति में दुर्बलता आती है। - चाय का सेवन लिवर पर बुरा प्रभाव डालता है। 🌞१. चाय का सेवन रक्त आदि की वास्तविक उष्मा को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 🌞 २. दूध से बनी चाय का सेवन आमाशय पर बुरा प्रभाव डालता है और पाचन क्रिया को क्षति पहुंचाता है। 🌞 ३. चाय में उपलब्ध कैफीन हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है, अत: चाय का अधिक सेवन प्राय: हृदय के रोग को उत्पन्न करने में सहायक होता है। 🌞 ४. चाय में कैफीन तत्व छ: प्रतिशत मात्रा में होता है जो रक्त को दूषित करने के साथ शरीर के अवयवों को कमजोर भी करता है। 🌞 ५. चाय पीने से खून गन्दा हो जाता है और चेहरे पर लाल फुंसियां निकल आती है। 🌞६. जो लोग चाय बहुत पीते है उनकी आंतें जवाब दे जाती है. कब्ज घर कर जाती है और मल निष्कासन में कठिनाई आती है। 🌞७. चाय पीने से कैंसर तक होने की संभावना भी रहती है। 🌞८. चाय से स्नायविक गड़बडियां होती हैं, कमजोरी और पेट में गैस भी। 🌞९. चाय पीने से अनिद्रा की शिकायत भी बढ़ती जाती है। 🌞१०. चाय से न्यूरोलाजिकल गड़बड़ियां आ जाती है। 🌞 ११. चाय में उपलब्ध यूरिक एसिड से मूत्राशय या मूत्र नलिकायें निर्बल हो जाती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप चाय का सेवन करने वाले व्यक्ति को बार-बार मूत्र आने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। 🌞१२. इससे दांत खराब होते है. - रेलवे स्टेशनों या टी स्टालों पर बिकने वाली चाय का सेवन यदि न करें तो बेहतर होगा क्योंकि ये बरतन को साफ किये बिना कई बार इसी में चाय बनाते रहते हैं जिस कारण कई बार चाय विषैली हो जाती है। चाय को कभी भी दोबारा गर्म करके न पिएं तो बेहतर होगा। 🌞 १३. बाज़ार की चाय अक्सर अल्युमीनियम के भगोने में खदका कर बनाई जाती है। चाय के अलावा यह अल्युमीनियम भी घुल कर पेट की प्रणाली को बार्बाद करने में कम भूमिका नहीं निभाता है। 🌞 १४. कई बार हम लोग बची हुई चाय को थरमस में डालकर रख देते हैं इसलिए भूलकर भी ज्यादा देर तक थरमस में रखी चाय का सेवन न करें। जितना हो सके चायपत्ती को कम उबालें तथा एक बार चाय बन जाने पर इस्तेमाल की गई चायपत्ती को फेंक दें। 🌞१५. शरीर में आयरन अवशोषित ना हो पाने से एनीमिया हो जाता है. - इसमें मौजूद कैफीन लत लगा देता है. लत हमेशा बुरी ही होती है. 🌞१६. ज़्यादा चाय पिने से खुश्की आ जाती है.आंतों के स्नायु भी कठोर बन जाते हैं। 🌞१७. चाय के हर कप के साथ एक या अधिक चम्मच शकर ली जाती है जो वजन बढाती है। 😝 १८. अक्सर लोग चाय के साथ नमकीन , खारे बिस्कुट ,पकौड़ी आदि लेते है. यह विरुद्ध आहार है. इससे त्वचा रोग होते है.। 🌞 १९. चाय से भूख मर जाती है, दिमाग सूखने लगता है, गुदा और वीर्याशय ढीले पड़ जाते हैं। डायबिटीज़ जैसे रोग होते हैं। दिमाग सूखने से उड़ जाने वाली नींद के कारण आभासित कृत्रिम स्फूर्ति को स्फूर्ति मान लेना, यह बड़ी गलती है। 🌞२०. चाय-कॉफी के विनाशकारी व्यसन में फँसे हुए लोग स्फूर्ति का बहाना बनाकर हारे हुए जुआरी की तरह व्यसन में अधिकाधिक गहरे डूबते जाते हैं। वे लोग शरीर, मन, दिमाग और पसीने की कमाई को व्यर्थ गँवा देते हैं और भयंकर व्याधियों के शिकार बन जाते हैं। 🌞 चाय का विकल्प :-🌞 👉 पहले तो संकल्प कर लें की चाय नहीं पियेंगे. दो दिन से एक हफ्ते तक याद आएगी ; फिर सोचोगे अच्छा हुआ छोड़ दी.एक दो दिन सिर दर्द हो सकता है. 👉 सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी ले. चाहे तो उसमे आंवले के टुकड़े मिला दे. थोड़ा एलो वेरा मिला दे. 👉 सुबह गर्म पानी में शहद निम्बू डाल के पी सकते है. - गर्म पानी में तरह तरह की पत्तियाँ या फूलों की पंखुड़ियां दाल कर पी सकते है. जापान में लोग ऐसी ही चाय पीते है और स्वस्थ और दीर्घायु होते है. 👉 कभी पानी में मधुमालती की पंखुड़ियां , कभी मोगरे की , कभी जासवंद , कभी पारिजात आदि डाल कर पियें. 👉 गर्म पानी में लेमन ग्रास , तेजपत्ता , पारिजात ,आदि के पत्ते या अर्जुन की छाल या इलायची , दालचीनी इनमे से एक कुछ डाल कर पियें ।


चाय पिने वाले इसे जरूर पढ़े !!!!!!!!!!!!!!
सिर्फ दो सौ वर्ष पहले तक भारतीय घर में चाय नहीं होती थी। आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछता है। ये बदलाव अंग्रेजों की देन है। कई लोग ऑफिस में दिन भर चाय लेते रहते है., यहाँ तक की उपवास में भी चाय लेते है । किसी भी डॉक्टर के पास जायेंगे तो वो शराब - सिगरेट - तम्बाखू छोड़ने को कहेगा , पर चाय नहीं,
क्योंकि यह उसे पढ़ाया नहीं गया और वह भी खुद इसका गुलाम है. परन्तु किसी अच्छे वैद्य के पास जाओगे तो वह पहले सलाह देगा चाय ना पियें। चाय की हरी पत्ती पानी में उबाल कर पीने में कोई बुराई नहीं परन्तु जहां यह फर्मेंट हो कर काली हुई सारी बुराइयां उसमे आ जाती है। आइये जानते है कैसे? अंत में विकल्प ज़रूर पढ़ लें: -
हमारे गर्म देश में चाय और गर्मी बढ़ाती है, पित्त बढ़ाती है। चाय के सेवन करने से शरीर में उपलब्ध
विटामिन्स नष्ट होते हैं। इसके सेवन से स्मरण शक्ति में दुर्बलता आती है। - चाय का सेवन लिवर पर बुरा प्रभाव डालता है।
🌞१. चाय का सेवन रक्त आदि की वास्तविक उष्मा को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
🌞 २. दूध से बनी चाय का सेवन आमाशय पर बुरा प्रभाव डालता है और पाचन क्रिया को क्षति पहुंचाता है।
🌞 ३. चाय में उपलब्ध कैफीन हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है, अत: चाय का अधिक सेवन प्राय: हृदय के रोग को उत्पन्न करने में सहायक
होता है।
🌞 ४. चाय में कैफीन तत्व छ: प्रतिशत मात्रा में होता है जो रक्त को दूषित करने के साथ शरीर के अवयवों को कमजोर भी करता है।
🌞 ५. चाय पीने से खून गन्दा हो जाता है और चेहरे पर लाल फुंसियां निकल आती है।
🌞६. जो लोग चाय बहुत पीते है उनकी आंतें जवाब दे जाती है. कब्ज घर कर जाती है और मल निष्कासन में कठिनाई आती है।
🌞७. चाय पीने से कैंसर तक होने
की संभावना भी रहती है।
🌞८. चाय से स्नायविक गड़बडियां होती हैं, कमजोरी और पेट में गैस भी।
🌞९. चाय पीने से अनिद्रा की शिकायत भी बढ़ती जाती है।
🌞१०. चाय से न्यूरोलाजिकल गड़बड़ियां आ जाती है।
🌞 ११. चाय में उपलब्ध यूरिक एसिड से मूत्राशय या मूत्र नलिकायें निर्बल
हो जाती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप चाय का सेवन करने वाले
व्यक्ति को बार-बार मूत्र आने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
🌞१२. इससे दांत खराब होते है. - रेलवे स्टेशनों या टी स्टालों पर बिकने वाली चाय का सेवन यदि न करें तो बेहतर होगा क्योंकि ये बरतन को साफ किये बिना कई बार इसी में चाय बनाते रहते हैं जिस कारण कई बार चाय विषैली हो जाती है। चाय को कभी भी दोबारा गर्म करके न पिएं तो बेहतर होगा।
🌞 १३. बाज़ार की चाय अक्सर अल्युमीनियम के भगोने में
खदका कर बनाई जाती है। चाय के अलावा यह अल्युमीनियम भी घुल कर पेट की प्रणाली को बार्बाद करने में कम भूमिका नहीं निभाता है।
🌞 १४. कई बार हम लोग बची हुई चाय को थरमस में डालकर रख देते हैं इसलिए भूलकर भी ज्यादा देर तक थरमस में रखी चाय का सेवन न करें। जितना हो सके चायपत्ती को कम उबालें तथा एक बार चाय बन जाने पर इस्तेमाल की गई चायपत्ती को फेंक दें।
🌞१५. शरीर में आयरन अवशोषित ना हो पाने से एनीमिया हो जाता है. - इसमें मौजूद कैफीन लत लगा देता है. लत हमेशा बुरी ही होती है.
🌞१६. ज़्यादा चाय पिने से खुश्की आ जाती है.आंतों के स्नायु भी कठोर बन जाते हैं।
🌞१७. चाय के हर कप के साथ एक या अधिक चम्मच शकर
ली जाती है जो वजन बढाती है।
😝१८. अक्सर लोग चाय के साथ नमकीन , खारे बिस्कुट ,पकौड़ी आदि लेते है. यह विरुद्ध आहार है. इससे त्वचा रोग होते है.।
🌞 १९. चाय से भूख मर जाती है, दिमाग सूखने लगता है, गुदा और वीर्याशय ढीले पड़ जाते हैं। डायबिटीज़ जैसे रोग होते हैं। दिमाग सूखने से उड़ जाने वाली नींद के कारण आभासित कृत्रिम स्फूर्ति को स्फूर्ति मान लेना, यह
बड़ी गलती है।
🌞२०. चाय-कॉफी के विनाशकारी व्यसन में फँसे हुए लोग स्फूर्ति का बहाना बनाकर हारे हुए जुआरी की तरह व्यसन
में अधिकाधिक गहरे डूबते जाते हैं। वे लोग शरीर, मन, दिमाग और
पसीने की कमाई को व्यर्थ गँवा देते हैं और भयंकर व्याधियों के शिकार बन जाते हैं।
🌞 चाय का विकल्प :-🌞
👉 पहले तो संकल्प कर लें की चाय नहीं पियेंगे. दो दिन से एक हफ्ते तक याद आएगी ; फिर सोचोगे अच्छा हुआ छोड़ दी.एक दो दिन सिर दर्द हो सकता है.
👉 सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी ले. चाहे तो उसमे आंवले के टुकड़े मिला दे. थोड़ा एलो वेरा मिला दे.
👉 सुबह गर्म पानी में शहद निम्बू डाल के पी सकते है. - गर्म पानी में तरह तरह की पत्तियाँ या फूलों की पंखुड़ियां दाल कर पी सकते है. जापान में लोग ऐसी ही चाय पीते है और स्वस्थ और दीर्घायु होते है.
👉 कभी पानी में मधुमालती की पंखुड़ियां , कभी मोगरे की , कभी जासवंद , कभी पारिजात आदि डाल कर पियें.
👉 गर्म पानी में लेमन ग्रास , तेजपत्ता , पारिजात ,आदि के पत्ते या अर्जुन की छाल या इलायची , दालचीनी इनमे से एक कुछ डाल कर पियें ।

सीबीएसई टीचर ऋचा कुमार का पोस्ट।
सीबीएसई टीचर ऋचा कुमार का पोस्ट।
रायपुर. अक्सर अपने एजुकेशन और क्वालिफिकेशन को लेकर चर्चा में रहने वाली HRD मिनिस्टर स्मृति ईरानी को एक सीबीएसई टीचर ने नसीहत दी है कि वह अपने साथ अच्‍छे पढ़े-लिखे लोगों को ही काम पर रखें। असल में ईरानी कीे ओर से देश भर के सीबीएसई टीचर्स को भेजे गए एप्रिसिएशन लेटर में दो शब्‍द गलत लिखे गए थे। इसी वजह से टीचर ने फेसबुक के जरिए ईरानी को यह नसीहत दे डाली।
सीबीएसई बोर्ड में आए अच्छे रिजल्ट्स को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने 11 जुलाई को देश भर के टीचर्स के लिए एप्रिसिएशन लेटर भेजे थे। इस लेटरहेड में हिंदी में 'संसाधन' की जगह 'संसाधान' लिखा था। 'minister' को भी ‘minster’ लिखा गया है।
भिलाई के डीपीएस स्कूल की टीचर ऋचा कुमार ने फेसबुक पोस्‍ट के जरिए इस गलती को जगजाहिर किया और स्‍मृति ईरानी के साथ नरेंद्र मोदी को भी टैग करते हुए आगाह किया।

कर्बला के बहत्तर शहीदों के नाम व मुखतसर तआरुफ़


1. जनाबे मुस्लिम बिन औसजा – रसूल अकरम (स॰अ॰व॰व॰) के सहाबी थे
2. जनाबे अब्दुल्लाह बिन ओमैर कल्बी – हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
3. जनाबे वहब – इन्होंने इस्लाम क़बूल किया था, करबला में इमाम हुसैन (अ॰स॰) की नुसरत में शहीद हुए
4. जनाबे बोरैर इब्ने खोज़ैर हमदानी – हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
5. मन्जह इब्ने सहम – इमाम हुसैन (अ॰स॰) की कनीज़ हुसैनिया के बत्न से थे
6. उमर बिन ख़ालिद – कूफ़ा के रहने वाले और सच्चे मोहिब्बे अहलेबैत (अ॰स॰) थे
7. यज़ीद बिन ज़ेयाद अबू शाताए किन्दी – कूफ़ा के रहने वाले थे
8. मजमा इब्ने अब्दुल्ला मज़जही – अली (अ॰स॰) के सहाबी थे, यह जंगे सिफ़्फीन में भी शरीक थे।
9. जनादा बिन हारिसे सलमानी – कूफ़ा के मशहूर शिया थे, यह हज़रते मुस्लिम के साथ जेहाद में भी शरीक थे।
10. जन्दब बिन हजर किन्दी – कूफ़ा के मश्हूर शिया व हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे।
11. ओमय्या बिन साद ताई – हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे।
12. जब्ला बिन अली शैबानी – कूफ़ा के बाशिन्दे और हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे, करबला में हमल-ए-ऊला में शहीद हुए।
13. जनादा बिन क़ाब बिन हारिस अंसारी ख़ज़रजी – मक्का से अपने कुन्बे के साथ करबला आए और हमल-ए-ऊला में शहीद हुए।
14. हारिस बिन इमरउल क़ैस किन्दी – करबला में उमरे साद की फ़ौज के साथ आए थे लेकिन इमाम हुसैन (अ॰स॰) के साथ शामिल होकर शहीद हुए
15. हारिस बिन नैहान – हज़रते हमज़ा के ग़ुलाम नैहान के बेटे और हज़रते अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
16. हब्शा बिन क़ैस नहमी – आलिमे दीन थे, हमल-ए-ऊला में शहीद हुए
17. हल्लास बिन अम्रे अज़्दी – हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
18. ज़ाहिर बिन अम्रे सल्मी किन्दी – रसूल अकरम (स॰अ॰व॰व॰) के सहाबी और हदीस के रावी थे
19. स्वार बिन अबी ओमेर नहमी – हदीस के रावी थे, हमल-ए-ऊला में शहीद हुए
20. शबीब बिन अब्दुल्लाह – हारिस बिन सोरैय के ग़ुलाम थे, हज़रत अली (अ॰स॰) और रसूल अकरम (स.अ.व.व.) के सहाबी थे
21. शबीब बिन अब्दुल्लाह नहशली – हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
22. अब्दुर्रहमान बिन अब्दे रब अन्सारी ख़ज़रजी - रसूल अकरम (स॰अ॰व॰व॰) के सहाबी थे
23. अब्दुर्रहमान बिन अब्दुल्लाह बिन कदन अरहबी – जनाबे मुस्लिम के साथ कूफ़ा पहुँचे किसी तरह बचकर करबला पहुँचे और हमल-ए-ऊला में शहीद हुए
24. अम्मार बिन अबी सलामा दालानी – रसूल अकरम (स॰अ॰व॰व॰) और हज़रत अली (अ॰स॰) के साथ भी शरीक थे। करबला में हमल-ए-ऊला में शहीद हुए
25. क़ासित बिन ज़ोहैर तग़लबी – यह और इनके दो भाई हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
26. कुरदूस बिन ज़ोहैर बिन हारिस तग़लबी - क़ासित इब्ने ज़ोहैर के भाई और हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
27. मसऊद बिन हज्जाज तैमी – उमरे साद की फ़ौज में शामिल होकर करबला पहुँचे लेकिन इमाम हुसैन (अ॰स॰) की नुसरत में शहीद हुए
28. मुस्लिम बिन कसीर सदफ़ी अज़्दी – जंगे जमल में हज़रत अली (अ॰स॰) के साथ थे, करबला में हमला-ए-ऊला में शहीद हुए
29. मुस्कित बिन ज़ोहैर तग़लबी – करबला में हमला-ए-ऊला में शहीद हुए
30. कनाना बिन अतीक़ तग़लबी - करबला में हमला-ए-ऊला में शहीद हुए
31. नोमान बिन अम्रे अज़दी – हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे, हमला-ए-ऊला में शहीद हुए
32. नईम बिन अजलान अन्सारी – हमला-ए-ऊला में शहीद हुए
33. अम्र बिन जनादा बिन काब ख़ज़रजी – करबला में बाप की शहादत के बाद माँ के हुक्म से शहीद हुए
34. हबीब इब्ने मज़ाहिर असदी – हज़रत रसूल अकरम (स॰अ॰व॰व॰) के सहाबी, हज़रत अली (अ॰स॰), हज़रत इमामे हसन (अ॰स॰) के सहाबी थे, इमामे हुसैन (अ॰स॰) के बचपन के दोस्त थे और करबला में शहीद हुए
35. मोसय्यब बिन यज़ीद रेयाही – हज़रत हुर के भाई थे
36. हुज़्र बिन हुर यज़ीद रेयाही – जनाबे हुर के बेटे थे
37. जनाबे हुर बिन यज़ीद रेयाही – यज़ीदी फ़ौज के सरदार थे, बाद में इमामे हुसैन (अ॰स॰) की ख़िदमत में हाज़िर होकर शहादत का शरफ़ हासिल किया
38. अबू समामा सायदी – आशूर के दिन नमाज़े ज़ोहर के एहतेमाम में दुश्मनों के तीर से शहीद हुए
39. सईद बिन अब्दुल्लाह हनफ़ी – ये भी नमाज़े ज़ोहर एहतेमाम में दुश्मनों के तीर से शहीद हुए
40. ज़ोहैर बिन क़ैन बोजिल्ली - ये भी नमाज़ ज़ोहर में ज़ख़्मी होकर जंग में शहीद हुए
41. उमर बिन करज़ाह बिन काब अंसारी – ये भी नमाज़े ज़ोहर में शहीद हुए
42. नाफ़े बिन हेलाल हम्बली – नमाज़े ज़ोहर की हिफ़ाज़त में जंग की और बाद में शिम्र के हाथों शहीद हुए
43. शौज़ब बिन अब्दुल्लाह – मुस्लिम इब्ने अक़ील का ख़त लेकर कर्बला पहुँचे और शहीद हुए
44. आबिस बिन अबी शबीब शकरी – हज़रत इमाम अली (अ॰स॰) के सहाबी थे, रोज़े आशूरा कर्बला में शहीद हुए
45. हन्ज़ला बिन असअद शबामी – रोज़े आशूर ज़ोहर के बाद जंग की और शहीद हुए
46. जौन ग़ुलामे अबूज़र ग़ेफ़ारी – हब्शी थे, हज़रत अबूज़र ग़ेफ़ारी के ग़ुलाम थे
47. ग़ुलामे तुर्की – हज़रत इमामे हुसैन (अ॰स॰) के ग़ुलाम थे, इमाम ने अपने फ़रज़न्द हज़रत इमामे ज़ैनुल आब्दीन (अ॰स॰) के नाम हिबा कर दिया था
48. अनस बिन हारिस असदी – बहुत बूढ़े थे, बड़े एहतेमाम के साथ शहादत नोश फ़रमाई
49. हज्जाज बिन मसरूक़ जाफ़ी – मक्के से साथ हुए और वहीं से मोअज़्ज़िन का फ़र्ज़ अंजाम दिया
50. ज़ेयाद बिन ओरैब हमदानी – इनके वालिद हज़रत रसूल अकरम (स॰अ॰व॰व॰) के सहाबी थे
51. अम्र बिन जन्दब हज़मी – हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
52. साद बिन हारिस – हज़रत अली (अ॰स॰) ग़ुलाम थे
53. यज़ीद बिन मग़फल – हज़रत अली (अ॰स॰) के सहाबी थे
54. सोवैद बिन अम्र ख़सअमी – बूढ़े थे, करबला में इमाम हुसैन (अ॰स॰) के तमाम सहाबियों में सबसे आख़िर में जंग में ज़ख्मी हुए थे। होश में आने पर इमाम हुसैन (अ॰स॰) की शहादत की ख़बर सुन कर फिर जंग की और शहीद हुए
बनी हाशिम यानी आले अबू तालिब (अ॰स॰) के शोहदा
55. हज़रत अब्दुल्लाह – जनाबे मुस्लिम के बेटे और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पोते
56. हज़रत मोहम्मद – जनाबे मुस्लिम के बेटे और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पोते
57. हज़रत जाफ़र – हज़रत अक़ील के बेटे और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पोते
58. हज़रत अब्दुर्रहमान - हज़रत अक़ील के बेटे और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पोते
59. हज़रत मोहम्मद – हज़रत अक़ील के पोते और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पर पोते
60. हज़रत मोहम्मद – अब्दुल्ला के बेटे, जाफ़र के पोते और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पर पोते
61. हज़रत औन – अब्दुल्ला के बेटे जाफ़र के पोते और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पर पोते
62. जनाबे क़ासिम – हज़रत इमाम हसन (अ॰स॰) के बेटे, हज़रत इमाम अली (अ॰स॰) के पोते और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पर पोते
63. हज़रत अबू बक्र - हज़रत इमामे हसन (अ॰स॰) के बेटे, हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के पोते और जनाबे अबू तालिब (अ॰स॰) के पर पोते
64. हज़रत मोहम्मद - हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के बेटे और जनाबे अबु तालिब (अ॰स॰) के पोते
65. हज़रत अब्दुल्ला - हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के बेटे और जनाबे अबु तालिब (अ॰स॰) के पोते
66. हज़रत उसमान - हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के बेटे और जनाबे अबु तालिब (अ॰स॰) के पोते
67. हज़रत जाफ़र - हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के बेटे और जनाबे अबु तालिब (अ॰स॰) के पोते
68. हज़रत अब्बास - हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के बेटे और जनाबे अबु तालिब (अ॰स॰) के पोते
69. हज़रत अली अकबर – हज़रत इमामे हुसैन (अ॰स॰) के बेटे और हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के पोते
70. हज़रत अब्दुल्लाह - हज़रत इमामे हसन (अ॰स॰) के बेटे और हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के पोते
71. हज़रत अली असग़र - हज़रत इमामे हुसैन (अ॰स॰) के बेटे और हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) के पोते
72. हज़रत इमामे हुसैन (अ॰स॰) - हज़रत इमामे अली (अ॰स॰) बेटे और जनाबे अबु तालिब (अ॰स॰) के पोते ।

पंजाब: रिटायर्ड फौजी के खेत से मिले 22 हजार कारतूस, मोर्टार, बम और राइफल

पटियाला के गांव रीठखेड़ी में एक पूर्व सैनिक के खेत से निकाले गए मोर्टार।
पटियाला के गांव रीठखेड़ी में एक पूर्व सैनिक के खेत से निकाले गए मोर्टार।
पटियाला। पंजाब में पटियाला जिले के एक खेत से भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए हैं। इनमें 22230 कारतूस (9 एमएम), 1 राइफल (30 बोर), 3 हैंड ग्रेनेड, मोर्टार और 4 बम शामिल हैं। ये हथियार एक रिटायर्ड फौजी के खेत में गड़े थे, जिसकी मौत हो चुकी है।
थाना सदर पटियाला के एसएचओ जसविंदर सिंह टिवाणा ने dainikbhaskar.com को बताया कि पुलिस को गुरुवार सुबह ही गुप्त सूचना मिली थी कि रीठखेड़ी गांव के एक खेत में हथियार व गोला-बारूद गाड़कर रखे गए हैं। टिवाणा के नेतृत्व में एक टीम तुरंत वहां गई और जांच की। जहां हथियार मिले वह खेत सेना में नौकरी कर चुके गुरचरण सिंह के परिवार का है। हथियारों की बरामदगी के बारे में सेना के अधिकारियों को भी बताया गया है।
2010 में हादसे में हो गई थी गुरचरण की मौत, परिवार विदेश में
करीब 15 बरस पहले सेना से रिटायर हुए गांव रीठखेड़ी के गुरचरण सिंह की 2010 में एक सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। इसके अलावा उसकी एक बेटी की भी मौत हो चुकी है और कई बरसों से गुरचरण की पत्नी, बेटा और एक बेटी अमेरिका में रह रहे हैं।
ढाई से तीन दशक पुराने हैं हथियार
थाना टिवाणा की मानें तो मृतक पूर्व सैनिक गुरचरण सिंह के खेत से बरामद किए गए ये हथियार 25 से 30 साल पुराने हैं। ये हथियार कहां से आए, इस बात की जांच की जा रही है। कहीं ये हथियार चोरी के तो नहीं, इस बात पर टिवाणा ने कुछ नहीं कहा, जबकि उन्होंने यह जरूर बताया कि बरामद किए गए हथियारों को सेना के हवाले कर दिया गया है। इनकी जांच के बाद ही कोई और खुलासा हो पाएगा, इसके अलावा अमेरिका में रह रहे गुरचरण के परिवार से संपर्क किया जाएगा। इसके बाद भी जांच कुछ आगे बढ़ सकेगी, लेकिन बिना मामले की जांच के फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

अपर कलेक्टर ने जड़ा थप्पड़ तो ड्यूटी पर तैनात सिपाही ने भी पीट दिया


उज्जैन/इंदौर. महाकाल मंदिर में नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर दर्शन के दौरान हंगामा हो गया। बुधवार रात 10 बजे गेट नं. 4 (एग्जिट गेट) से कुछ लोगों के साथ एंट्री करने से रोके जाने से अफसर (अपर कलेक्टर) नरेंद्र सूर्यवंशी इस कदर झल्लाए कि उन्होंने एडीएम की मौजूदगी में एक सिपाही को सरेआम चांटा मार दिया। यही नहीं, अफसर ने सिपाही का कॉलर भी पकड़ लिया। इसी बीच, खींचतान में सिपाही की वर्दी के बटन टूट गए। सूर्यवंशी के इस बर्ताव से सिपाही बेहद गुस्से में आ गया। उसने भी अफसर की पिटाई कर दी और जमकर गालियां दी। सिपाही के आक्रामक रवैये को देखकर अफसर भी सहम गया। मौके पर मौजूद अन्य अफसरों के बीच-बचाव के बाद मामला शांत हुआ।
क्या था मामला?
बुधवार रात 10 बजे महाकाल मंदिर के गेट नंबर चार पर महाकाल थाने के टीआई (थानेदार) मनोज दुबे कुछ सिपाहियों के साथ तैनात थे। उसी समय अपर कलेक्टर सूर्यवंशी कुछ लोगों के साथ आए और एग्जिट गेट से अंदर जाने लगे। इस पर टीआई ने उन्हें रोक दिया। रोकते ही टीआई पर अपर कलेक्टर बरस पड़े। वहीं, ड्यूटी पर तैनात सिपाही भंवर लाल ने पूछा कि आप कौन हैं? तब सूर्यवंशी ने बताया कि वे अपर कलेक्टर हैं। इतना सुनते ही टीआई और पुलिसवालों ने हाथ जोड़ लिए और कहा कि सर आपको पहचान नहीं पाया। उसके बाद सूर्यवंशी अपने साथ के लोगों को लेकर अंदर चले गए।
एडीएम को लेकर लौटे और सिपाही का कॉलर पकड़ लिया
करीब 10 मिनट बाद सूर्यवंशी एडीएम अवधेश शर्मा को लेकर आ गए। उन्होंने भंवर लाल की ओर इशारा किया और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए उसका कॉलर पकड़ लिया। जब तक एडीएम शर्मा और पुलिसवाले कुछ समझ पाते तब तक सूर्यवंशी ने भंवर लाल को थप्पड़ जड़ दिया। दूसरा चांटा मारने के लिए एसडीएम ने हाथ उठाया तो भंवर लाल ने हाथ पकड़ लिया। चश्मदीदों के मुताबिक टीआई और भंवर लाल ने हाथ जोड़कर कहा कि साहब आपको पहचान नहीं पाया। लेकिन सूर्यवंशी तब भी नहीं माने। इसके बाद सिपाही और सूर्यवंशी में खींचतान शुरू हो गई। एडीएम शर्मा अपर कलेक्टर सूर्यवंशी को खींचकर दूर ले गए। मारपीट की खबर लगते ही मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई। करीब आधे घंटे तक अफरा-तफरी मची रही। अधिकारियों ने किसी तरह मामले को शांत कराया।
अफसर की सफाई
नरेंद्र सूर्यवंशी ने पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा, 'कलेक्टर के गेस्ट को लेकर जा रहे थे। गेट पर तैनात पुलिसकर्मियों ने पहचाना नहीं। बताने के बाद भी पुलिस ने बदतमीजी की।'
...उधर पब्लिक को आया गुस्‍सा
उज्‍जैन में जहां सिपाही और अफसर में गरमागरमी हो गई, वहीं मध्‍य प्रदेश के ही मुरैना में पब्लिक को मेयर पर गुस्‍सा आ गया। गंदगी से गुस्साए आम लोगों ने मेयर पर गुस्‍सा उतारा और उन्‍हें कीचड़ भरी सड़क पर नगर निगम के पहले मेयर को चलने पर मजबूर कर दिया

पटना: लिफ्ट में फंसे अमित शाह, आधे घंटे बाद निकाला गया बाहर


पटना: लिफ्ट में फंसे अमित शाह, आधे घंटे बाद निकाला गया बाहर
पटना. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुरुवार रात आधे घंटे तक लिफ्ट में फंसे रहे। कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें सेफली बाहर निकाला गया। टीवी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार चुनाव के मद्देनज़र अमित शाह पटना आए हुए थे। वे पटना के स्टेट गेस्ट हाउस में ठहरे थे। बताया जा रहा है कि गेस्ट हाउस की लिफ्ट में जैसे ही अमित शाह गए तो तकनीकी खराबी के कारण लिफ्ट बंद हो गई। आधे घंटे बाद जब लिफ्ट शुरू हुई तो उन्हें निकाला गया।
विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति बनाई
लिफ्ट में फंसने की घटना के पहले अमित शाह ने बिहार के भाजपा नेताओं के साथ विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति बनाई। टास्क भी दिया। वरिष्ठ नेताओं से कहा- हर हाल में चुनाव जीतना है। उन्होंने एक सितंबर को भागलपुर में प्रधानमंत्री की होने वाली रैली की तैयारी और सीट शेयरिंग पर भी बात की।
बंद कमरे में ली मीटिंग
शाह ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद भूपेंद्र यादव, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सांसद डॉ सीपी ठाकुर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह आदि से बंद कमरे में करीब एक घंटे तक चुनावी रणनीति पर चर्चा की। कहा कि कार्यकर्ता लोगों के घर-घर जाएं और नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बिहार के लिए किए जा रहे काम को बताएं।

क़ुरआन का संदेश

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