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28 अगस्त 2015

चीन की 87 साल की महिला के सिर पर उगा विचित्र सींग, डॉक्टर भी हैरान


 चीन के सिचुआन की रहने वाली 87 वर्षीय महिला लियांग जिउजेन के सिर पर एक विचित्र सींग उग आया है।
चीन के सिचुआन की रहने वाली 87 वर्षीय महिला लियांग जिउजेन के सिर पर एक विचित्र सींग उग आया है।
सिचुआन, (चीन). चीन की 87 वर्षीय महिला के सिर पर एक विचित्र सींग उग आया है। सिचुआन की रहने वाली लियांग जिउजेन ने बताया कि आठ साल पहले एक काला मस्सा उगा था। इसके लिए उन्होंने हर्बल इलाज करवाया, लेकिन यह और बढ़ गया। दो साल पूर्व यह बढ़कर एक छोटे सींग की तरह हो गया है।
महिला के बेटे वांग झाउजुन ने बताया कि हम इलाज के लिए अस्पताल गए लेकिन डॉक्टर इसके बढ़ने का कारण पता नहीं कर पाए। उसकी मां को अस्पताल जाना पसंद नहीं है और उन्हें लगता है कि अगर वह हॉस्पिटल गईं तो दोबारा लौटकर नहीं आ सकेंगी।
महिला ने बताया कि यह कभी-कभी बहुत अधिक दर्द करता है और इसके कारण वह रात में जाग पड़ती है। अब डॉक्टरों ने इसका पता कर लिया है। यह एक रेयर कंडीशन है, जिसमें त्वाचा एकत्रित होकर ग्रोथ लेने लगती है ठीक इस तरह से जैसे प्रोटीन बालो और नाखूनों को बढ़ाती है।

इकलौता मंदिर जो देता है 700 cr सैलरी, सुविधाएं कई बड़ी कंपनियाें से ज्यादा

आंध्रप्रदेश के तिरुपति तिरुमला मंदिर में नोट गिनकर गड्डी बनाते सेवादार।
आंध्रप्रदेश के तिरुपति तिरुमला मंदिर में नोट गिनकर गड्डी बनाते सेवादार।
पहले जरा देश के मंदिरों से जुड़े इन 6 फैक्ट्स को जान लीजिए...
1- देश के 4 बड़े मंदिरों (तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ) की एक दिन की औसत कमाई 8 करोड़ रुपए और हर मिनट कमाई 55 हजार रुपए है। इसमें से अकेले करीब 7 करोड़ रुपए दान तिरुपति मंदिर के पास आता है। इतना दान एक दिन में पाने वाले ये इकलौते भगवान हैं। तिरुपति मंदिर में स्थित भगवान 24 घंटे 70 किलो सोने की ज्वैलरी पहने रहते हैं।
2- तिरुपति मंदिर एक साल में सैलरी और सुविधाओं पर 695 करोड़ रुपए खर्च करता है। दुनिया की कई बड़ी कंपनियाें जैसे ही मंदिर भी कर्मचारियों-पुजारियों को मंदिर, गाड़ी, होम लाेन, एजुकेशन लोन, शादी के लिए लाेन, फ्री फूड, पीएफ-पेंशन जैसी कई सुविधाएं देता है।
3- देश के मंदिरों के पास 50 लाख करोड़ रुपए की कीमत का कुल 22 हजार टन (करीब 20 लाख क्विंटल) सोना है। ये दौलत इतनी है कि रिलायंस जैसी करीब 25 कंपनियां एक बार में खरीदी जा सकें। (26 अगस्त को रिलायंस इंडस्ट्रीज की मार्केट कैपिटल 2.60 लाख करोड़ रुपए थी। )
4- देश के सबसे अमीर मंदिर तिरुपति तिरुमला में एक हजार लोग मिलकर 3 लाख से ज्या़दा लड्डू बनाते हैं। इन्हें बेचकर मंदिर को सालाना करीब 200 करोड़ रुपए की कमाई होती है।
5- 1200 नाईं महिलाओं के बाल काटने के लिए तिरुपति मंदिर में रखे गए हैं। इन बालों को बेचकर मंदिर को सालाना 220 करोड़ रुपए की कमाई होती है। मंदिर सालाना 850 टन बाल बेचता है। 283.5 ग्राम औसत वजन वाला महिलाओं का बाल 17900 रुपए में बिकता है। 453.6 ग्राम वजन के लंबे बालों के 29,900 रु मिलते हैं।
अब जरा देश के इन 2 अनोखे मंदिरों पर नजर डालें...
1- चिलकुर बालाजी मंदिर
देश में एक मंदिर ऐसा भी है जहां दान देना सख्त मना है। वीजा टेंपल के नाम से मशहूर हैदराबाद के चिलकुर बालाजी मंदिर में कोई हुंडी या दान पात्र नहीं है। मंदिर अपना खर्च परिसर के बाहर बने पार्किंग से आए पैसों से चलाता है। मंदिर प्रबंधन का मानना है कि श्रद्धालुओं को ये पैसा मंदिर की दान पेटी में डालने की जगह गरीबों और जरूरतमंदों पर खर्च करना चाहिए। इससे ज्यादा पुण्य मिलेगा। हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खुलने वाले मंदिर में 70 हजार से 1 लाख श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि विदेश जाने की इच्छा रखने वाले लोग अगर इस मंदिर में 108 परिक्रमा करते हैं तो उन्हें वीजा जरूर मिल जाता है।
2- भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर
कानपुर में स्थित ये देश का इकलौता ऐसा मंदिर हैं जहां न्यायधीश, नेता, सांसद, विधायक और मंत्रियों का प्रवेश वर्जित है। मंदिर प्रबंधन का मानना है कि देश में फैले भ्रष्टाचार के लिए यही लोग जिम्मेदार हैं। ऐसे में ये मंदिर के अंदर नहीं आ सकते हैं।
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अब ये बताइए, क्या अापने कभी सोचा इन मंदिरों के पास आखिर पैसा आता कहां-कहां से है और ये इतने पैसे का करते क्या हैं? देश के 4 बड़े मंदिरों (तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ) के माध्यम से  अापको बताने जा रहा है कि मंदिर आपके दान किए हुए पैसों का कैसे करते हैं इस्तेमाल... आगे की स्लाइड्स पर क्लिक कर पढ़ें मंदिरों से जुड़ी ये स्पेशल रिपोर्ट। साथ ही जानें, इस पैसे से और क्या-क्या मिल सकता है फ्री में...
दिलचस्प है कि  इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट को बनाने के लिए मंदिरों से जुड़ी 9 हजार से ज्यादा पेज की अलग-अलग रिपोर्ट अपने सोर्स की मदद से मंगाई। इसकी स्टडी कर देश के 4 बड़े मंदिरों में आपके दान के इस्तेमाल के बारे में बताया। 9 हजार पेज की ये रिपोर्ट मौजूद है।
कंटेंट सोर्स: चारों मंदिरों की ऑडिट रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मंदिर के खजाने की जांच के लिए बनाई कमेटी के चेयरमैन और पूर्व कैग विनोद राय। कर्नाटक के पूर्व देवस्थान (Muzrai) मंत्री प्रकाश बब्बाना हुकेरी। तिरुपति तिरुमला ट्रस्ट के चीफ अकाउंट ऑफिसर एस. रविप्रसादन, सिद्धि विनायक मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नरेंद्र मुरारी राणा, काशी विश्वनाथ मंदिर के डिप्टी सीईओ वी. के. द्विवेदी, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर विराग गुप्ता, गोपाल सुब्रमण्यम की मंदिर पर आधारित रिपोर्ट और इंटरनेट रिसर्च।

गहलोत और सचिन पायलट सहित 8 लोगों पर CBI ने दर्ज किया गबन का केस

पूर्व सीएम अशोक गहलोत(बाएं) और सचिन पायलट - फाइल फोटो
पूर्व सीएम अशोक गहलोत(बाएं) और सचिन पायलट - फाइल फोटो
जयपुर। राजस्थान में 108 एंबुलेंस सेवा में 2.56 करोड़ रुपए के गबन मामले में राज्य सरकार की सिफारिश पर सीबीआई ने आठ के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट के अलावा पूर्व चिकित्सा मंत्री दुर्रु मियां, पूर्व केंद्रीय मंत्री वायलार रवि के पुत्र रवि कृष्णा, केरल सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार शफी मातेर, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्तिक चिदंबरम, एनआरएचएम के तत्कालीन निदेशक व जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी की सीईओ श्वेता मंगल भी हैं। सीबीआई ने शुक्रवार को जिगित्सा कंपनी के मुंबई और जयपुर में झालाना स्थित ऑफिस में सर्च कार्रवाई की और दस्तावेज जब्त किए।

सभी 8 लोगों को सीबीआई ने गबन का आरोपी मानते हुए आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी में मामला दर्ज किया है। यह मामला आठ माह से केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन था। इस बीच सीबीआई ने इस प्रकरण की एक इंटरनल रिपोर्ट तैयार की और केन्द्र सरकार को राज्य सरकार की मंशा पर तथ्यों से अवगत कराया था। कुछ दिनों पहले दिल्ली सीबीआई ऑफिस के अधिकारियों ने जयपुर ऑफिस से अशोक नगर थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी मांगी थी। इसके बाद केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने सीबीआई को आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ ने मामला दर्ज होने की पुष्टि की है।

ललित गेट प्रकरण के दौरान सरकार सक्रिय
ललित गेट प्रकरण के कारण राज्य सरकार जुलाई में इस मामले को लेकर सक्रिय हो गई थी। इस संबंध में एसीएस होम ने राज्य सरकार की मंशा पर केन्द्र सरकार को मामले में जल्दी कार्रवाई को लेकर एक महीने पहले लेटर लिखा था।
सीबीआई को सौंपने की वजह
108 एंबुलेंस सेवा की फंडिंग केंद्र सरकार की स्कीम के तहत की गई थी। आरोप है कि मुख्य रुप से केंद्रीय मंत्रियों के कार्यालयों का मिस यूज हुआ है। इसमें उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। कंपनी का एक निदेशक एनआरआई है और इंटरपोल से मदद के लिए सीबीआई ही नोडल एजेंसी है। स्थानीय पुलिस एजेेंसी इस मामले की जांच करने की स्थिति में नहीं है।
बदले की भावना से कार्रवाई : पायलट
सीबीआई यह सब वसुंधरा सरकार के इशारे पर कर रही है। यह सब बदले की भावना से हो रहा है। भाजपा कुछ सालों से मामले की जांच करवा रही है, पर कुछ हाथ नहीं लग रहा। मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है। कंपनी से मेरा सरोकार नहीं है। - सचिन पायलट, प्रदेशाध्यक्ष, कांग्रेस
मुख्यमंत्री खुद के बेटे की भी जांच कराएं : गहलोत
लोगों का ध्यान हटाने के लिए और राजनीतिक दुर्भावना से ये सब किया जा रहा है। मुख्यमंत्री और उनके बेटे दुष्यंत पर गंभीर आरोप हैं। मुख्यमंत्री खुद के साथ बेटे पर लगे आरोपों की भी सीबीआई जांच की सिफारिश करें।- अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री

गुजरात के पटेल कौन हैं, उनका अतीत क्या है, उनका वर्तमान क्रुद्ध क्यों है: कल्पेश याग्निक

गुजरात के पटेल कौन हैं, उनका अतीत क्या है, उनका वर्तमान क्रुद्ध क्यों है: कल्पेश याग्निक
‘हीरा, नुकीले औजारों की चुभन के बिना तराशा नहीं जा सकता। वैसे ही मनुष्य स्पर्धा से बचकर निखर नहीं सकता।’
-पुरानी कहावत
तीन हिस्सों में बांटकर देखा जा सकता है गुजरात के पटेल-पराक्रम को।
पहला : वह देश का एक ऐसा जाति समूह है जो किसी भी अन्य जाति की तुलना में कहींं अधिक शक्तिशाली पहचान बनाने में सफल रहा है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर।
दूसरा : वह देश की एकमात्र जाति है जिसने खेती करते-करते, शहरों में पनप रहे उद्योग-कारोबार में हिस्सेदारी प्राप्त की। कठोर परिश्रम किया। बड़ी सफलता हासिल की।
तीसरा : वह एकमात्र ऐसा समुदाय है जो राजनीतिक रूप से बहुत ही प्रभावशाली, आर्थिक तौर पर बहुत ही सम्पन्न-समृद्ध और सामाजिक रूप से चारों दिशाओं में फैले-फले और बहुत ही काम के व्यक्तियों-हस्तियों से जुड़ा हुआ है।

और पटेलों के क्रोध को भी तीन आंदोलनों में देखा जा सकता है।
पहला, 1981 का, जिसमें उन्होंने अनुसूचित जाति को आरक्षण देने का, बढ़ाने का विरोध किया। दूसरा, 1985 का हिंसक प्रदर्शन जो उन्होंने पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के विरुद्ध किया। तीसरा, 25 अगस्त 2015 का अचानक भड़का आंदोलन। और आश्चर्यजनक रूप से यह उन्होंने स्वयं को पिछड़ा वर्ग में शामिल कर, आरक्षण देने की मांग को लेकर किया! यानी जो पटेल आरक्षण के घनघोर विरोधी थे, वे आज अपने लिए आरक्षण मांगते हुए सड़कों पर उग्र अभियान चला रहे हैं।

क्यों हुआ ऐसा?
कोई तात्कालिक कारण बताना पूर्ण सत्य नहीं होगा। किन्तु सारा देश जिस बात पर बहुत ही आश्चर्यचकित है, वह है पटेलों की समृद्धि और तिस पर एेसी मांग! तो कोई न कोई कारण तो होगा ही। बार-बार बताया तो यही जा रहा है कि स्वयं मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल, वित्त मंत्री सौरभ पटेल सहित आठ मंत्री, 44 विधायक पटेल समुदाय से हैं। देश में सत्ता में इतनी बड़ी भागीदारी किसी एक जाति की शायद ही हो। फिर भी वे ऐसा संभवत: इसलिए कर रहे होंगे कि ताकतवर पटेलों की संख्या है तो बहुत बड़ी - किन्तु कमज़ोर पटेलों की संख्या उनकी तुलना में कहीं अधिक है। वे त्रस्त हो रहे हैं। ये वो पटेल-पाटीदार हैं, जो नाम के ही पाटीदार बचे हैं। पाटीदार यानी भूमि के पट्‌टे के मालिक।

पटेल तीन वर्गों में बांट कर देखे जा सकते हैं :
पहले, जो शहरों में बस गए, पढ़-लिखकर आगे बढ़े और विदेशों तक फैल गए। हालांकि पढ़ाई में उनसे कहीं ऊंची शिक्षा गुजराती ब्राह्मणों ‌व अन्य सवर्णों ने ली है। किन्तु पटेलों के पास तीक्ष्ण बुद्धि है जो अपने आप भारी पैसा कमा कर दे रही है। अमेरिका में होटल, बल्कि मोटल कारोबार पटेलों के ही तो अाधिपत्य में हैं। दूसरे, जो गांवों में ही रह गए। किन्तु लम्बी-चौड़ी ज़मीन के मालिक हैं। तीसरे, जो अब बड़ी संख्या में हैं - गांव में बसे, ज़मीन नहीं रही, खेती जो करते थे, उससे वैसी आमदनी नहीं बची। कुछ हीरा कारोबारियों के पास काम करने चले गए। इनके बच्चों को अच्छे, ऊंचे स्कूलों में पढ़ने को नहीं मिला, इसलिए वो बड़े प्लेसमेंट या पैकेज वाले प्रोफेशनल कॉलेज का तो प्रश्न ही कहां? जैसे खेती में लाभ कम से कमतर हो गया, वैसे ही हीरा उद्योग में भी ध्यान से देखें तो कई प्रतिष्ठान बंद हो गए/जा रहे हैं। पॉलिशिंग-कटिंग के काम कम हो गए। ढेर सारी नौकरियां चली गईं।

वो जो हर वर्ष हम खबर पढ़ते हैं कि हीरा कारोबारी ने अपने सभी सवा सौ या कि ग्यारह सौ कर्मचारियों को बोनस में कार और न जाने क्या-क्या दिया- वो होती एकदम सच्ची है। मालिक भी पटेल ही होते हैं, धनी बने कर्मचारी भी अधिकांश पटेल होते हैं। किन्तु ऐसी खबर एक या दो ही तो होती है। चूंकि पटेलों को ‘शो ऑफ’ करना पसंद होता है, वे अच्छी समृद्ध ज़िंदगी चाहते हैं, जीते भी हैं। दिखता भी है- इसलिए देश में आश्चर्य है। वरना कहां ऊंची नौकरियां हैं? कहां अवसर हैं? किन्तु यह भी पूर्ण सत्य नहीं है।

देश में पटेलों से सहस्त्रों गुना अधिक ऐसे दारुण दु:ख में जीवन जी रहे अनेक जाति-समूह के निरीह नागरिक हैं- जिनके बारे में अभी और पहले सोचा जाना आवश्यक है। अनिवार्य है। अपरिहार्य है। किन्तु नहीं सोचा जा रहा।

क्योंकि वे राजनीतिक रूप से जागरूक और जानकार नहीं हैं। जैसे कि पटेल हैं।
पटेलों के प्रारम्भ, प्रादुर्भाव, प्रभाव और प्रतिक्रियाओं को तीन तरह के दौर में विभाजित करके समझा जा सकता है।
पहला, 1967 का दौर। जब पहली बार भाईलाल पटेल के नेतृत्व में ‘पक्ष’ की स्थापना की गई। गज़ब की राजनीतिक सूझबूझ दिखाते हुए। पटेल से ‘प’ और क्षत्रिय से ‘क्ष’ लेकर बना पक्ष। 60 सीटें जीते थे। ख्यात गुजराती इतिहासकार अच्युत भाई याग्निक (*मुझसे दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं) ने गहन व्याख्या की है कि सरदार पटेल के कारण पटेलों की ताकत तो गुजरात में आरंभ से थी ही। 1960 में मुंबई राज्य के हिस्से से हटकर स्वतंत्र राज्य बनते ही पटेल सत्ता के अभिन्न अंग बन गए। बने रहे। और अब तो छह करोड़ गुजरातियों में सवा करोड़ पटेल होने के कारण और भी ताकतवर हैं।

दूसरा 1981 का दौर। जब कांग्रेस के मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी ने पटेलों को पीछे छोड़ते हुए ‘खाम’ की राजनीति शुरू की। केएचएएम यानी क्षत्रिय, ‘हरिजन’, आदिवासी, मुस्लिम। पहली बार पटेल सत्ता से बाहर किए गए। कोई पटेल मंत्री नहीं बनाया गया। कांग्रेस नेता झीनाभाई दर्जी के फॉर्मूले पर हुए प्रयोगों को सोलंकी सरकार लागू करती गई। 80 जातियों को पिछड़ी-ओबीसी घोषित कर दिया गया।
नौजवान पटेलों ने क्रुद्ध विरोध किया। किन्तु राजनीति को जातिगत बांटने वाला पहला प्रयोग ‘पक्ष’ था तो दूसरा उससे कहीं बड़ा और डरावना ‘खाम’, जो लोगों को जोड़ने की जगह तोड़ने का काम कर रहा था।
हालांकि, ये 1985 के चुनाव में कांग्रेस को सर्वोच्च सफलता दे गया। रिकॉर्ड 149 सीटें जीतीं। किन्तु फिर हुए उग्र आरक्षण-विरोधी आंदोलन ने गुजरात को हिंसा की आग में झोंक दिया। 100 से अधिक जानें गईं। चिमनभाई पटेल की जनता पार्टी के आंदोलनकारी शंकरभाई पटेल ने आरक्षण के विरुद्ध आक्रामक आंदोलन किया। जो फिर देशभर में फैल गया। किन्तु आगजनी, असुरक्षा, आतंकित आम आदमी और आरक्षण अभियान का अपयश और अनंत अपमान आज भी अतीत से उठकर आकार लेता रहता है। इसी के कारण आज सब डर रहे हैं।
इसके बाद सोलंकी को जाना पड़ा। कांग्रेस बाहर हो गई। चिमनभाई पटेल’ 90 में मुख्यमंत्री बने।’ 95 में केशुभाई पटेल। पटेल समुदाय भाजपा के साथ हो ही चुका था। कांग्रेस से लम्बी नाराज़गी हो गई। और फिर पटेलों ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।

तीसरा, 2001 में नरेन्द्र मोदी का आना। और फिर पूरी राजनीति, जाति से हटकर, सम्प्रदाय पर चली गई। पहली बार गुजरात में ऐसा हुआ। गोधरा से गांधीनगर तक घृणा-ही-घृणा। यही हेडलाइन थी, मेरी चुनावी रिपोर्ट की। बाकी चर्चा, इतिहास है। सब जानते हैं। सच जानते हैं।

25 अगस्त 2015 का आंदोलन 22 वर्षीय युवा हार्दिक पटेल के नाम है। इसे तीन प्रश्नों में पूछा जा सकता है :
पहला, हार्दिक पटेल न तो टिकैत जैसे नैसर्गिक नेता हैं, जिन्हें स्वयं की ही कोई सुध-बुध नहीं थी- फिर भी सूरत में 5-6 लाख और अहमदाबाद में तो कोई 15 लाख तो कोई 19 लाख तक के आंकड़े लिख रहा है जनसमुदाय के- कैसे इकट्‌ठे हुए? हार्दिक अरविंद केजरीवाल को पसंद करते हैं। समर्थन भी है। किन्तु लाख जिम्मेदारियां लेकर उनसे बचने की विचित्र प्रवृत्ति के बावजूद केजरीवाल की एक आंदोलनकारी पृष्ठभूमि तो रही है। विस्मयकारी भूमिका रही है। चमत्कारी उत्थान हुआ है। हार्दिक एकदम अलग हैं। करिश्माई नहीं हैं। किन्तु करिश्माई अपार भीड़ जुटा ली। न वे अन्ना हजारे जैसे कोई गांधीवादी हैं कि भरोसा कर लाखों आ जाएं। न बालासाहब ठाकरे- कि आवाज़ और अंदाज दोनों ही इतने दमदार कि जुटना ही है। फिर कैसे हार्दिक इतने बड़े नेता बने? उत्तर पता नहीं है।
दूसरा, बिना किसी बहुत बड़े व कुशल बाहरी समर्थन के इतने बड़े आंदोलन, रैली को इतनी सुनियोजित ढंग से कैसे चला पाए? या कि कोई गुप्त सहयोगी है? चूंकि करोड़ों खर्च भी तो हो रहे होंगे इसमें?

तीसरा, इतना बड़ा जनसमुदाय एक भरोसा लेकर जुटा। जबकि आरक्षण तो मिलना ही नहीं है, ऐसा सरकार का स्पष्ट कथन है। फिर, आगे क्या? और, मिलना चाहिए भी क्यों?
संघर्ष की कसौटी पर अब तीन नाम कसे जाएंगे :
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जिनके शांत गुजरात में ऐसी स्थिति पैदा हो गई। मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल, जिन्होंने पहली ही परीक्षा में कमज़ोर प्रशासक की अपनी छवि साक्षात कर दी। तीसरा, छह करोड़ गुजरातियों के गौरव को अक्षुण्ण रखने वाले मेहनतकश, सफल कारोबारी बुद्धि वाले, पारिवारिक मूल्यों वाले गुजराती नागरिक। उन्हें ठगा जा रहा है। आग लगा कर। और आग बुझाने वाले भी अागे रहकर आग लगने दे रहे हैं। वो अलग।

गुजरात हो या कि पूरा देश, आरक्षण पर अब नए सिरे से, एकदम नया, क्रांतिकारी परिवर्तन लाना चाहिए। आरक्षण की राजनीति व हिंसा बंद हो, असंभव है। किन्तु करनी ही होगी। क्योंकि संघर्ष सभी को करना अनिवार्य है। गुजरात के लिए तो मोदी स्वयं ज्वलंत उदाहरण हैं। एक साल पहले किसी को पता तक न था कि वे किस वर्ग से हैं। चुनाव में पहली बार उन्होंने पिछड़ा कार्ड खेला था।

तहज़ीब की जुबां उर्दू के हक़ की लड़ाई के लिए तहज़ीब के दायरे में रहकर प्रदर्शन

तहज़ीब की जुबां उर्दू के हक़ की लड़ाई के लिए तहज़ीब के दायरे में रहकर प्रदर्शन ,,मोन जुलुस नकालने की हिदायते लगातार अलग अलग टोलियों को दी जा रही है ,,,तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के सरपरस्त शहर क़ाज़ी कोटा अनवार अहमद इस मामले में आज भी अलग अलग टोलियों ,,अलग अलग संगठनो के प्रमुखों ,,कार्यकर्ताओं से मिले ,,,,,,,,,,,,,तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के सरपरस्त अनवार अहमद ने सभी को समझाइश करते हुए कहा के यह हमारी तहज़ीब की ज़ुबान के अस्तित्व का सवाल है इसलिए सभी लोग दो सितमबर को सुबह दस बजे अपने कारोबार बंद कर गुमानपुरा मल्टीपर्पस स्कूल पहुंचे ,,,अनवार अहमद ने कहा के तहज़ीब की ज़ुबान उर्दू के हक़ के लिए संघर्ष तहज़ीब के दायरे में होगा जिसम मोन जुलुस ,,अनुशासन के साथ निकाला जाएगा ,,अनवार अहमद ने हिदायत दी के सभी लोग घर से वुज़ू बनाकर निकले ,,,,सफेद लिबास हो ,,,,,अनवर अहमद ने कहा के तहज़ीब के दायरे में रहकर सभी के सर ढके हो और कलेक्ट्रेट तक चलते वक़्त अपनी मांग के समर्थन में ख्याल रखकर दरूद शरीफ पढ़ते रहे ,,जुलुस कलेक्ट्रेट पहुंचेगा जहाँ तफ्सील बयांन होने के बाद सभी लोग फिर दरूद शरीफ पढ़ते हुए पैदल ही अपने अपने घरो पर शांतिपूर्ण तरीके से जाएंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के इस मोन जुलुस आंदोलन को राजस्थान भर में ज़बरदस्त समर्थन मिल रहा है ,,राजस्थान के सभी इलाक़ो से लोगों के समर्थन के फोन आ रहे है ,,,,,,,कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमेन निज़ाम कुरैशी ,,को ओर्डीनेटर मक़सूद खान ,,राजस्थान क्रिकेट एकेडमी के अमीन पठान ,,,,सहित सभी ने खुलकर समर्थन का ऐलान किया है ,,कोटा में स्टेशन के कॉमरेड गफ्फार ,,फातेहाँन समिति के रहीम खान ,,,घोसियन समिति के उमर भाई ,,अब्बासी वेलफेयर सोसाइटी के आबिद अब्बासी ,,,,,,,,,बंजारा समाज के कैलाश बंजारा ,,मदनी वेलफेयर सोसायटी के तबरेज़ पठान मदनी ,,,खिदमत ओर्गेनाइज़ेशन के हाफ़िज़ रशीद क़ादरी ,,,,,मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी के सलीम अब्बासी ,,निजामुद्दीन बबलू ,,,जंगलीशाह बाबा के जानशीन हाजी अज़ीज़ जावा ,,,,,मौलाना कोंसिल के मौलाना रौनक ,,,,सुल्तानपुर के पूर्व डाइरेक्टर मंज़ूर तंवर ,,सुल्तानपुर के सरपंच ,,मंगू भाई ,,डॉक्टर इकराम खान ,,शानवाज़ खान ,,,,ह्यूमन रिलीफ सोसाइटी ,,अंजुमन इस्लामिया मदरसा ,,,,,पूर्व वक़्फ़ के चेयरमेन निज़ामुद्दीन बबलू ,,,,बालक बाबा ,,,सलमान पंचायत के अब्दुल रज़ाक सहित सभी संस्थाओ ने आंदोलन को खुल कर समर्थन दिया ,,, आज कोटा शहर क़ाज़ी अनवर अहमद ने इस मामले में हाजी जमील अहमद ,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,गुलशेर अहमद ,,,,रफ़ीक़ बेलियम ,,,ज़ाकिर हुसेन ,,फईम खान ,,,अमिन खान ,,,मुज़फ्फर राईन सहित सभी लोगों से विचार विमर्श कर आवश्यक निर्देश जारी किये ,,आज सभी कार्यकर्ताओं ने प्रचार सामग्री कोटा ,,बूंदी ,,बारां ,,झालावाड़ सहित क़स्बे के क्षेत्रो में भिजवाई ,,,,,तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान को एडवोकेट मोहन लाल राव ,,,ब्रह्ममानन्द शर्मा ,,,,पाँचुलाला ऋषि ,,,,,सहित सभी संस्थाओ ने तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान को समर्थन दिया है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा जिन स्मार्ट लोगों के कारण स्मार्ट बना

कोटा जिन स्मार्ट लोगों के कारण स्मार्ट बना ,,,उनका नाम अगर कोटा के रचनात्मक सौंदर्यकरण और विकास से हटा दिया जाए तो यह उनके साथ ज़्यादती है ,,कोटा को स्मार्ट बनाने में सिर्फ और सिर्फ दो चतुर्वेदी और दो धारीवाल का ही मुख्य हाथ रहा है ,,,एक स्मार्ट सिटी पर जो खर्च होगा उससे तो कई गुना ज़्यादा खर्च अकेले शानतीधारीवाल के कार्यकाल में कोटा पर हुआ है ,,,,,,,जी हाँ दोस्तों प्रोफेसर ललित किशोर चतुर्वेदी को कोटा में थर्मल ,,मेडिकल कॉलेज ,,इंजीनियरिंग कॉलेज लाये ,,,कोटा बाईपास के संघर्ष के लिए खुद का मुख्यमंत्री पद तक दाव पर लगा दिया ,,मुख्यमंत्री भेरो सिंह शेखावत से सीधा टकराव किया ,,कोटा ओपन यूनिवर्सिटी सहित कई सौगाते कोटा को विकसित और खूबसूरत बनाने के लिए ललित चतुर्वेदी के कार्यकाल में हुई , कोटा ग्रामीण स्कूटर में पूल बने ,,सड़के बनी ,,सी ऐ डी की सिंचाई योजना तय्यार हुई ,रिखब चंद धारीवाल जिन्होंने कोटा को उद्योग नगरी का रूप दिया ,,इधर उधर भटक रहे उद्योपतियों को एकत्रित कर यहां उद्योग खुलवाकर कोटा को रोज़गार से जोड़ा ,,,,,,,,जबकि भुवनेश चतुर्वेदी के काल में कोटा मेग्नेट सिटी बना ,,बी टू का दर्जा कोटा को मिला ,,कोटा यूनिवर्सिटी खुली ,,,कोटा में सड़कों का जाल बिछा ,,,कोटा को नगर निगम का दर्जा मिला ,,रेलवे ओवर ब्रिज बना ,,, कोटा एयरपोर्ट को शुरू करने के प्रयास हुए ,,,,,,,,,,,,,कई विद्यालय खुले ,,उद्योगो को राहत मिली ,जबकि आधुनिक कोटा के जनक शांति धारीवाल के कार्यकाल में कमाल हो हो गया करोड़ों करोड़ रूपये कोटा पर खर्च हुए कई वैकल्पिक मार्ग ,,उद्यान , ,,ओवर ब्रिज बनाये गए ,,कोटा को सजाया ,,संवारा गया ,,,कोटा के औद्योगिक माहोल को रचनात्मक सुरक्षा मिली जबकि कोटा के सोंदर्यकर्ण और पर्यटन योजनाओ पर ऐसे चार चाँद लगे के कोटा आज बुलंदियों के सातवे आसमान पर है ,,लेकिन अफ़सोस सिर्फ और सिर्फ यहां एयरपोर्ट नहीं होने से यहां से आई आई टी गई ,,ट्रिपल आई टी आई लेकिन काम शुरू नहीं हुआ ,एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पाइप लाइन में है ,,,सम्पर्क साधन कमज़ोर है और इसीलिए पुरे देश को पानी ,,बिजली ,,,हरियाली ,,शिक्षा ,डॉक्टर ,,इंजीनियर देने वाले इस कोटा शहर को सुपर स्मार्ट होने पर भी सीटी की कतार में पीछे खड़ा कर दिया गया है ,,,इन्तिज़ार में खड़ा किया गया है ,,कोटा के साथ अन्याय है लेकिन अगर कोटा को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाने वाली हस्तियों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि नहीं दी गई और शांतिधरीवाल को स्वागत कर ज़िंदाबाद नहीं किया गया तो यक़ीनन कोटा के विकास और सोंदर्यकर्ण के प्रति चिंतित लोग उत्साहवर्धित नहीं हो पाएंगे ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तू टीवी चालू कर, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है..

मैं आपके देश की महिला हूँ साहब.... सब्जियां बहुत महंगी हो गयी है, क्या करू ?
* तू टीवी चालू कर, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है....
● मैं आपके देश का गरीब नागरिक हूँ साहब... मेरे कैंसर की 8 हज़ार की दवाई, अब 1 लाख 8 हज़ार की हो गई...
* तू टीवी चालू कर, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है....
● मैं आपके देश का एक आम आदमी हूँ साहब... रेल में सफर करना मुश्किल हो गया है..
* तू टीवी चालू कर, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है....
● मैं आपके देश का एक किसान हूँ साहब... खेत में डालनेवाला यूरिया बहोत महँगा हो गया है...
* तू टीवी चालू कर, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है...
● मैं आपके देश का एक व्यापारी हूँ साहब.. विदेशी कम्पनिया हमारा धंधा चौपट कर देगी...
* तू टीवी चालू कर, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है..
● मैं आपके देश की एक बेटी हूँ साहब... आपके मंत्रालय में बैठे कुछ लोगो से ही मुझे डर लग रहा है...
* तू टीवी चालू कर बिटिया, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है...
● मैं आपके देश का एक युवा हूँ साहब.... रोज़गार नहीं है, हमारा इंटरनेट दोगुना महँगा हो गया...
* तू टीवी चालू कर, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है...
● कालाधन लाने के लिए रामलीला में हमने आधी रात को लाठियां खायी थी... अन्ना और बाबा को तो अपना फायदा मिल गया, कालाधन कब आएगा ?
* तू टीवी चालू कर, पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है.... और आखिर में....
● बेटा, मैं तेरी भारत माँ हूँ.... मेरे बेटे रोज़ सीमा पर गोलिया खा रहे है.... टीवी चालू करके क्या देखू ? तेरे manage hone वाले मीडिया का तमाशा ?

राजस्थान सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को ज्ञापन दिया

तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के शिष्ठ मंडल ने आज कोटा में उर्दू के सभी पद बहाल कर स्कूलों में पूर्ववत उर्दू संचालित करने के मामले को लेकर राजस्थान सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को ज्ञापन दिया ,,,तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान की कल सुबह दस बजे कोटा जंगलीशाह बाबा परिसर वल्ल्भ नगर पर आगामी दो सितमबर को आयोजित विशाल मोन जुलुस की व्यवस्थाओ को लेकर बैठक आयोजित की गई है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तहरीक ऐ राजस्थान के सरपरस्त कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ,,,को कन्वीनर एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,,,नायब क़ाज़ी ज़ुबेर अहमद ,,,,एडवोकेट जमील अहमद शिक्षा विद मोहम्मद शफी खान ने आज सुबह कोटा पुलिस अन्वेषण भवन में उर्दू के सभी पद यथावत रखते हुए बहाल करने की मांग को लेकर गृह मंत्री गुलाब कटारिया को विस्तृत ज्ञापन सौंपा ,,,,गृहमंत्री गुलाब कतरियां ने उर्दू के मसले पर सभी विवाद जानने के बाद इस संबंध में वार्ता के लिए जयपुर आने को कहा ,,,,आगामी एक सितमबर को जयपुर में मंत्री मंडल की बैठक आयोजित की गई है ,,अगर मुमकिन हुआ तो इस बैठक के बाद तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान का एक शिष्ट मंडल राजस्थान सरकार से इस संबंध में वार्ता के लिए जाएगा ,,, इधर ,शिक्षा विभाग द्वारा आज तक सभी जिला शिक्षा अधिकारीयों की सिफारिश के बाद भी उर्दू के पद बहाल नहीं करने के खिलाफ जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है ,,, तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के आह्वान पर आयोजित दो सितमबर की विशाल खामोश रैली को भारी जन समर्थन मिल रहा है ,,,आज शुक्रवार होने से कोटा की हर गली ,,सड़क और नुक्कड़ पर दो सितम्बर को आयोजित होने वाली रैली के बारे में प्रचार प्रसार हुआ ,,,मस्जिदो में ऐलान हुआ जबकि गली ,,मोहल्लो में पोस्टर ,,बैनर ,,हेंड बिल भेजकर सभी को आगामी दो सितमबर को आयोजित रैली में अनुशासित तरीके से आने और इस विरोध प्रदर्शन को ऐतिहासिक बनाने का आह्वान किया ,,,,,इमरान कुरैशी ,,समीउल्ला अंसारी ,,,मुज़फ्फर राहीन ,,रईस नवाब ,रफ़ीक़ बेलियम ,,अमीन खान ,,ज़ाकिर रिज़वी ,,,ज़ाकिर हुसेन ,,,सहित सभी कार्यकर्ताओं ने गली गली पम्पलेट बांटे और जागरूकता कार्यक्रम चलाये ,,,,,,,,,,,,,,तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के को कन्वीनर ऐवोकेट अख्तर खान अकेला ने सभी प्रबुद्ध लोगों से तहज़ीब की जुबां उर्दू बचाओ मुहीम के तहत आगामी दो सितमबर की आयोजित खामोश रैली को ऐतिहासिक सफल बनाने के लिए कल शनिवार उन्तीस अगस्त सुबह दस बजे बाबा जंगलीशाह परिसर में आयोजित बैठक में सभी लोगों से आने का आह्वान किया है ,.,,आज तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान की बैठक में सभी कार्यकर्ताओं ने अलग अगल तरीके से कोटा शहर के प्रबुद्ध लोगों से इस संबंध में सम्पर्क कर बैठक में आने का आह्वान किया ,,तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के सरपरस्त शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ने कोटा के सभी उर्दू के हमदर्द लोगों से आह्वान किया है के जाति ,,धर्म ,,सम्प्रदाय ,,आपसी रंजिश ,,,सियासी टकराव सहित सभी विवादों को ताक़ में रखकर कल उन्तीस अगस्त को आयोजित बैठक में सभी लोग उपस्थित होकर अपने बहुमूल्य सुझावों से हमे नवाज़े और आगामी दो सितंबर की खामोश रैली को ऐतिहासिक सफल बनाने में तहरीक की मदद करे,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान

तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के रईस नवाब ने कोटा के सभी सरकारी स्कूलों में उर्दू के अध्ययनरत छात्र छात्राओ की राय जानी ,,,,सभी छात्र छात्राओं ने स्कूलों में उर्दू पढ़ने के मामले में तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के रईस नवाब से शिकायत की है ,,रईस नवाब को सरकारी स्कूलों में अध्ययन रत बच्चो की राय जानने के लिए नियुक्त किया गया था ,,रईस नवाब स्कूल के सभी छात्र छात्राओ की तरफ से स्कूल के संस्था प्रधानो के ज़रिये जिला कलेक्टर कोटा के नाम उनके स्कूल में उर्दू के पद बहाल कर उर्दू यथावत रखने और सभी स्कूलों में इच्छुक छात्र छात्रों को उर्दू पढ़ाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपेंगे ,,इस मामले में रईस नवाब ने सभी स्कूलों के छात्र छात्राओ के अभिभावकों से भी सम्पर्क किया है जो कल उन्तीस अगस्त को आयोजित तहरीक की बैठक में भी उपस्थित रहेंगे ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क़ुरान का सन्देश

 
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