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01 सितंबर 2015

मुस्लिमों के बारे में बोलने पर BJP-VHP नेताओं के निशाने पर आए वाइस प्रेसिडेंट अंसारी

फाइल फोटो- उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी।
फाइल फोटो- उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी।
नई दिल्ली. मोदी सरकार के 'सबका साथ, सबका विकास नारे' पर सवाल उठाने को लेकर वाइस प्रेसिडेंट हामिद अंसारी बीजेपी और वीएचपी नेताओं के निशाने पर आ गए हैं। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि वाइस प्रेसिडेंट का संबंध देश से होता है किसी दल या धर्म से नहीं। वहीं, वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) ने अंसारी से बयान के लिए माफी के साथ इस्तीफे की मांग कर दी है।
आखिर क्या कहा था वाइस प्रेसिडेंट ने?
अंसारी ने कहा था- मुसलमानों की हिफाजत और पहचान के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाएं ताकि मुस्लिम कम्‍युनिट सबका साथ, सबका विकास के सरकार के मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ सके। सरकार के सामने ऐसी नीतियां बनाने की चुनौती है जिनसे मुसलमानों का सशक्‍तीकरण हो, फैसले लेने और संपत्ति में उनकी बराबर की भागीदारी हो। इसके लिए सिस्टम बनाया जाए। सामाजिक शांति के लिए राजनीतिक विजन जरूरी है। सेकुलर राजनीति के तहत रह रहे मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भारत का अनुभव दूसरों के लिए मॉडल होना चाहिए क्योंकि इस देश की 14 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है।
बीजेपी नेता ने क्या कहा?
कैलाश विजयवर्गीय ने नसीहत देने वाले अंदाज में सोशल साइट पर लिखा- उपराष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है, जिसका संबंध केवल देश से होता है किसी दल या धर्म से नहीं। अंसारी जी का यह कहना कि सरकार सबका साथ, सबका विकास के साथ मुस्लिमों का विशेष ध्यान रखे, संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। उपराष्ट्रपति के रूप में अंसारी जी का देश सम्मान करता है लेकिन समय-समय पर वह अपना वर्ग विशेष से संबंध होने का अहसास करा देते हैं। इस कारण लोगों की नजरों में केवल उनका ही सम्मान गिरता है।
वीएचपी ने कहा- इस्तीफा दें फिर राजनीति करें अंसारी
वीएचपी प्रवक्ता सुरेंद्र जैन ने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति संवैधानिक पद पर बैठ कर राजनीति कर रहे हैं। अगर हामिद अंसारी राजनीति करना चाहते हैं तो उन्हें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और खुलकर राजनीति करनी चाहिए। उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।

आर्मी चीफ ने कहा- सीमा पर कभी भी हो सकती है छोटी लड़ाई, रहना होगा तैयार

फाइल फोटोः आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग।
फाइल फोटोः आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग।
नई दिल्ली. पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर तोड़ने और घुसपैठ की कोशिशों पर आर्मी चीफ ने कहा है कि सीमा पर छोटी लड़ाइयां कभी भी हो सकती हैं। इसके लिए हमें हर पल तैयार रहना होगा।
जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने कहा है कि पश्चिम में हमारा पड़ोसी (पाकिस्‍तान) लगातार सीजफायर तोड़ रहा है और घुसपैठ की कोशिशें कर रहा है। इस वजह से सीमा पर हमेशा हलचल रहती है। आने वाले समय में हमें काफी कम वक्‍त की वॉर्निंग पर कभी भी छोटी-छोटी लड़ाइयां लड़नी पड़ सकती हैं। इसके लिए हमें हमेशा बड़े पैमाने पर तैयारी के साथ मुस्‍तैद रहना होगा।
जम्मू-कश्मीर को लेकर क्या कहा?
जनरल सुहाग 1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई के 50 साल पूरे होने के मौके पर दिल्‍ली में एक सेमिनार में बोल रहे थे। उन्‍होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में माहौल बिगाड़ने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए हमें सतर्क रहना होगा।
आर्मी चीफ क्यों दे रहे हैं ऐसा बयान?
इस साल पाकिस्तान की ओर से 240 बार सीजफायर तोड़ा गया है। केवल अगस्त महीने में 55 बार सीजफायर तोड़े जाने की घटना हुई। पिछले दो हफ्ते में सीमा पार से हुई फायरिंग में जम्मू-कश्मीर के सीमा इलाकों में तीन आम लोगों की मौत हुई जबकि नौ घायल हुए। इंडिपेंडेंस डे (15 अगस्त) पर भी पाकिस्तान की ओर से भारत के इलाकों में फायरिंग की गई थी।
डिफेंस मिनिस्टर ने क्या कहा?
इसी प्रोग्राम में डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर ने कहा, ''देश में सुरक्षा को लेकर जटिल माहौल है। जरूरत है कि हम हमेशा सतर्क रहें।''
पाकिस्तान ने कितनी बार सीजफायर तोड़ा?
- रूस के उफा में 10 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के बीच मुलाकात होने के बाद पाकिस्तान ने 95 बार सीजफायर तोड़ा है।
- अगस्त में पाकिस्तान ने 55 बार सीजफायर तोड़ा।
- इस साल पाकिस्तान ने अब तक 250 बार सीजफायर तोड़ा है।
साल पाक ने बॉर्डर और एलओसी पर कितनी बार तोड़ा सीजफायर कितने जवान शहीद हुए कितने आम लोगों की जान गई कितने लोग प्रभावित हुए
2015 में अब तक 250 से ज्यादा बार 17 24 8000
2014 430 बार 41 26 2.08 लाख
पिछले साल हुई थी 44 साल में सबसे भारी फायरिंग

पिछले साल अगस्त के बाद पाकिस्तान की भारी फायरिंग के कारण एलओसी के आसपास के गांवों के 32 हजार लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा था। 1971 के बाद यह पहला मौका था, जब बॉर्डर और एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ से इतनी ज्यादा फायरिंग हुई थी।
क्या है इंटरनेशनल बॉर्डर और एलओसी?

पाकिस्तान से सटा इंटरनेशनल बॉर्डर 2313 किलोमीटर लंबा है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में एलओसी 772 किलामीटर लंबी है। इंटरनेशनल बॉर्डर को बीएसएफ गार्ड करती है, जबकि एलओसी की हिफाजत आर्मी करती है। पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर पर बीएसएफ की चौकियों को ज्यादा निशाना बनाता है।
कब हुआ था सीजफायर एग्रीमेंट?

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर एग्रीमेंट नवंबर 2003 में हुआ था। दोनों देशों के बीच यह तय हुआ था कि बॉर्डर और एलओसी पर फायरिंग नहीं होगी। लेकिन पाकिस्तान ने हर साल कई-कई बार सीजफायर तोड़ा है। इससे पहले 1949 में कराची एग्रीमेंट के बाद सीजफायर लागू हुआ था। बाद में वाजपेयी सरकार के वक्त 2003 में दोबारा सीजफायर लागू हुआ।

UP: हाईकोर्ट का ऑर्डर, मदरसे हों या इंग्लिश स्कूल, फहराया जाए तिरंगा


UP: हाईकोर्ट का ऑर्डर, मदरसे हों या इंग्लिश स्कूल, फहराया जाए तिरंगा
इलाहाबाद. उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसों में रिपब्लिक और इंडिपेंडेंस डे पर तिरंगा फहराने को जरूरी करने का ऑर्डर दिया है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किए। हाईकोर्ट ने कहा कि मदरसे हों या इंग्लिश, स्कूल तिरंगा फहराया जाए। चीफ जस्टिस डा.डी.वाई.चन्द्रचूड और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने अलीगढ़ के अजीत गौड़ की पीआईएल पर यह ऑर्डर दिया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने कहा कि तिरंगा फहराए जाने (ध्‍वजारोहण) का हर स्कूल में सम्मान होना चाहिए। चाहे वह मदरसे हों या कोई अंग्रेजी मीडियम के स्कूल। पिटीशन पर हाईकोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट से जवाब भी मांगा है। अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को रिव्यू के लिए भी कहा है।

पिटीशन में क्या था?
पिटीशन में आरोप लगाया गया था कि स्टेट में मदरसों में तिरंगा नहीं फहराया जाता। तिरंगे का अपमान हो रहा है। हालांकि, अलीगढ़ के डीएम की तरफ से कोर्ट में एक जानकारी में यह दावा किया गया कि अलीगढ़ में इंडिपेंडेंस डे के अवसर पर हर मदरसे में तिरंगा फहराया गया था। कहीं भी फ्लैग के अपमान की जानकारी नहीं है। फिर भी कोर्ट ने कहा कि चूंकि पिटीशन में स्टेट के सभी मदरसों पर ध्वज के अपमान की बात कही गई है। इसलिए इस पर जवाब दाखिल किया जाए।

क़ुरआन का सन्देश

  
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