नई दिल्ली. दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और
बीजेपी नेताओं की को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग चल रही है। मीटिंग के पहले
दिन बुधवार को मोदी सरकार के मंत्रियों ने प्रजेंटेशन दिया। विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान से बातचीत और बांग्लादेश से बॉर्डर एग्रीमेंट को
लेकर जानकारी दी। सुषमा के अलावा कई और मंत्रियों ने अपने कामकाज की
जानकारी दी। बताया जा रहा है कि मीटिंग में आखिरी दिन पीएम नरेंद्र मोदी भी
शामिल होंगे।
उठा मंदिर निर्माण का मुद्दा
तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक की शुरुआत में ही विश्व हिंदू परिषद
(VHP) ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया। VHP नेताओं ने सरकार से कहा है कि राम
मंदिर के मुद्दे पर लोगों के बीच गलत मैसेज जा रहा है, इसलिए सरकार को इस
पर पॉजिटिव तरीके से आगे बढ़ना चाहिए, जिससे लोगों में कोई गलतफहमी न रहे।
खास बात यह है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य
लालकृष्ण आडवाणी बैठक से नदारद दिखे।
कौन-कौन शामिल हुआ बैठक में?
दिल्ली के वसंत कुंज स्थित मध्यांचल भवन में हो रही इस बैठक के पहले
दिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, बीजेपी अध्यक्ष अमित
शाह,रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शामिल हुईं।
बैठक में संघ के बड़े पदाधिकारियों सहित संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल
हैं।
OROP पर सरकार ही लेगी कोई फैसला
RSS और BJP की कॉर्डिनेशन कमेटी की पहले दिन की बैठक खत्म हो गई। इस
बारे में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने बताया कि बैठक में सरकार
के काम काज की कोई समीक्षा नहीं की गई और न ही राम मंदिर जैसे मसलों पर
चर्चा हुई। राम माधव ने यह भी कहा कि मीटिंग में वन रैंक वन पेंशन पर भी
कोई बातचीत नहीं हुई। उन्होंने साफ कहा कि वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा पूरी
तरह नीतिगत है और सरकार इस पर अपना काम कर रही है, राम माधव बोले कि OROP
पर सरकार ही फैसला लेगी। राम माधव ने कहा कि बैठक में कुछ मुद्दों पर बात
जरूर हुई, लेकिन इनमें वन रैंक, वन पेंशन और राम मंदिर जैसे मामले शामिल
नहीं हैं।
विपक्ष बोला मोदी सरकार का अप्रेजल हो रहा है?
बीजेपी-आरएसएस की को-ऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक पर
विपक्षी दलों ने निशाना साधा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला ने
ट्वीट किया है। उमर ने लिखा कि 'तो आरएसएस मोदी सरकार के प्रदर्शन का 3
दिन तक अप्रेजल करेगी, क्या कोई अब भी ये बताना चाहता है कि ये आरएसएस कोई
सामाजिक संगठन है।' आपको बताते चलें कि अप्रेजल वह प्रक्रिया होती है
जिसमें कोई संस्था या कंपनी अपने कर्मचारियों के काम का मूल्यांकन कर उनके
काम की सराहना या आलोचना करते हुए वेतन और भत्तों में बढोतरी या कमी करती
है।
पीएम देश के प्रति जवाबदेह, RSS के प्रति नहींआम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने भी बीजेपी-संघ की को-ऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक में पीएम के शामिल होने पर सवाल उठाए हैं। आशुतोष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आरएसएस एक ऐसी संस्था है जिसका महात्मा गांधी की हत्या से संबंध है। सरदार पटेल ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया था जिसके बाद गुरु गोलवलकर ने सरदार पटेल से चिट्ठी लिखकर कहा कि संस्था से बैन हटाया जाए। इस पर पटेल ने कहा कि प्रतिबंध तब हटेगा जब आप 3 शर्तें मानेंगे- संविधान को मानेंगे, तिरंगे को सैल्यूट करेंगे और संघ कभी राजनीति नहीं करेगा। जब इन्होंने लिखित में मानने का वादा किया तब संघ से बैन हटा था, लेकिन आज संघ राजनीति में खुलकर शिरकत कर रहा है। आशुतोष ने कहा कि एक गैर संवैधानिक संस्था के प्रति पीएम क्यों जवाबदेह हो रहे है, जबकि वे देश और उसकी संसद के प्रति जिम्मेदार हैं।